English Is Easy: Know The Idioms based on word Apple, meaning, uses and others

Idioms based on Apple Green Apple and others

Idioms and phrases have its own advantage during writing and verbal or spoken English. It improves your writing skill in impressive ways and it also improve your personality during interaction with others. In this chapter, we will discuss all the major idioms/phrased based on the word Apple and its uses. 

Here are some idioms and phrases based on the word "apple" and their meanings:

Apple of my eye

This idiom means someone or something that is very dear to you. For example, you might say that your child is the apple of your eye.

A bad apple

 This idiom refers to a person who is bad or corrupt. For example, you might say that there was a bad apple in the bunch of police officers.

One rotten apple spoils the whole barrel

 This idiom means that one bad person can ruin a group of people. For example, you might say that one rotten apple spoiled the whole team.

The apple doesn't fall far from the tree

This idiom means that children tend to be like their parents. For example, you might say that the apple doesn't fall far from the tree when you see a child acting like their parent.

Keep your eye on the apple

This idiom means to stay focused on your goal. For example, you might say to yourself, "Keep your eye on the apple and don't give up."

Here are some other idioms and phrases that use the word "apple," but their meanings are not as common:

Apple-polisher

 This idiom refers to someone who is trying to please someone else by saying things that they want to hear.

Apple-knocker

This idiom refers to someone who is a critic or complainer.

Bitter apple

This idiom refers to something that is unpleasant or difficult to deal with.

Green apple

This idiom refers to someone who is inexperienced or naive.

Pear-shaped

 This idiom refers to something that has gone wrong or is going wrong.

Discovery: पूर्वी और पश्चिमी घाट के इलाकों में मीठे पानी में डायटम की एक नई प्रजाति की खोज

Gomphonemoid: A new freshwater diatom genus discovered from the Eastern and Western Ghats

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का पुणे में स्थित स्वायत्त संस्थान अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने इंडिकोनेमा की खोज की। इस इंडिकोनेमा में केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र क्षेत्र होने के बजाय सिर और पैर के दोनों ध्रुव पर एक छिद्र क्षेत्र है। डिकोनेमा की एक प्रजाति पूर्वी घाट से और दूसरी पश्चिमी घाट से पाई गई है। दो पर्वत प्रणालियों के बीच स्थानिक तत्वों को साझा करने का एक समान पैटर्न अन्य स्थानिक-समृद्ध समूहों, जैसे सरीसृपों के लिए देखा गया है।

शोधकर्ताओं ने पूर्वी घाट की स्वच्छ जल नदी में पाए जाने वाले गोम्फोनमॉइड डायटम की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस प्रजाति में कई दिलचस्प विशेषताएं हैं, जो इसे वाल्व समरूपता और अन्य कुछ वाल्व विशेषताओं के मामले में गोम्फोनमॉइड समूह के अन्य सदस्यों से अलग करती हैं। देश में इसके सीमित वितरण को अहमियत देने के लिए इसे इंडिकोनेमा नाम दिया गया है। यह शोध भारत के विविध परिदृश्यों की जैव विविधता को आकार देने में डायटम के महत्व को रेखांकित करता है।

डायटम सूक्ष्म शैवाल हैं जो वैश्विक ऑक्सीजन का 25 प्रतिशत, यानी हमारे द्वारा ली जाने वाली ऑक्सीजन की लगभग हर चौथी सांस का उत्पादन करके हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जलीय खाद्य श्रृंखला के आधार के रूप में कार्य करते हैं। किसी भी जल रसायन परिवर्तन के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण, वे जलीय स्वास्थ्य के उत्कृष्ट संकेतक हैं।

डायटम भारत में सबसे पहले दर्ज किए गए सूक्ष्मजीव हैं। इस बारे में एहरनबर्ग की पहली रिपोर्ट 1845 में उनके बड़े प्रकाशन माइक्रोजियोलॉजी में छपी थी। तब से, भारत में कई अध्ययनों में मीठे पानी और समुद्री वातावरण से डायटम दर्ज किए गए हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार लगभग 6,500 डायटम टैक्सा हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत भारत के लिए स्थानिक (एक विशेष क्षेत्र तक सीमित) हैं, जो भारत की अनूठी जैव विविधता का प्रमाण हैं। इसके अलावा, विविध जैवभौगोलिक क्षेत्र मीठे पानी से लेकर समुद्री, समुद्र तल से लेकर ऊंचे पहाड़ों और क्षारीय झीलों से लेकर अम्लीय दलदलों तक के आवास विविधता के साथ विभिन्न प्रजातियों के अनुकूल हैं। प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वी और पश्चिमी घाट शामिल हैं। इनमें विशिष्ट भौतिक, मृदा और जलवायु प्रवणता हैं जो अद्वितीय भौगोलिक स्थितियों के साथ आवासों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं और डायटम के अनोखे सेट के अनुकूल भी हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का पुणे में स्थित स्वायत्त संस्थान अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने इंडिकोनेमा की खोज की। इस इंडिकोनेमा में केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र क्षेत्र होने के बजाय सिर और पैर के दोनों ध्रुव पर एक छिद्र क्षेत्र है।

बढ़ते मानसून ने भारतीय प्रायद्वीप में वर्षा वन बायोम को संरचित किया है और संबंधित अलग-अलग नमी स्तर बनाया है, जिसकी डायटम वनस्पतियों को आकार देने में प्रत्यक्ष भूमिका है।

फाइकोलोजिया पत्रिका में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि इंडिकोनेमा की एक प्रजाति पूर्वी घाट से और दूसरी पश्चिमी घाट से पाई गई है। दो पर्वत प्रणालियों के बीच स्थानिक तत्वों को साझा करने का एक समान पैटर्न अन्य स्थानिक-समृद्ध समूहों, जैसे सरीसृपों के लिए देखा गया है।

इसके अलावा, इस समूह की रूपात्मक विशेषताओं के आधार पर, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि इंडिकोनेमा पूर्वी अफ्रीका में स्थानिक प्रजाति एफ्रोसिमबेला की सहोदर है। शुरुआती अध्ययनों में पाया गया कि भारत और पूर्वी अफ्रीका तथा मेडागास्कर की गोम्फोनेमा प्रजातियों के बीच समानताओं को वर्तमान अध्ययन समूह भी मानता है। पूर्ववर्ती एसईआरबी, जो अब एएनआरएफ बन गया है, ने कहा है कि यह खोज डायटम जैवभौगोलिकी के रहस्यों को उजागर करने और भारत के विविध परिदृश्यों की जैव विविधता को आकार देने में उनकी भूमिका के लिए चल रहे शोध काफी महत्वपूर्ण हैं। (Source PIB)

11 October: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, Facts, Date Significance


हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, दुनिया भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत को पुरजोर तरीके से याद दिलाता है। यह दिन बालिकाओं के अधिकारों और वैश्विक स्तर पर उनसे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक  करने के लिए समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके मानवाधिकारों को सुरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

  • 2024 का थीम -भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टि कोण 
  • बीजिंग में 1995 में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर आयोजित पर विश्व सम्मेलन,  दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2011 को संकल्प संख्या 66/170 को पारित किया और 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
  • गर्ल्स विजन फॉर द फ्यूचर:  थीम 2024

भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरू की हैं-

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ  योजना 
  •  सुकन्या समृद्धि योजना 
  •  किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) 
  •  मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता
  • अभिनव परियोजना ‘उड़ान’ 
  • बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई)
Facts in Brief 
  • आज, 20 से 24 वर्ष की आयु की पाँच में से एक युवती बचपन में ही विवाहित हो गई थी।
  • लगभग चार में से एक विवाहित किशोरियों ने यौन या शारीरिक शोषण का अनुभव का सामना करना  पड़ा  है।
  • विश्व स्तर पर, किशोरों में 75% नए एचआईवी संक्रमण लड़कियों में होते हैं।
  • तीन में से एक किशोर लड़की एनीमिया से पीड़ित है, जो कुपोषण का एक रूप है।
  • लड़कों की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में किशोर लड़कियाँ (चार में से एक) किसी भी तरह की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं हैं।

Point Of View : जीवन में विशिष्ट बनें, अपनाएँ ये टिप्स

najariya jine ka how to become special in life

Point Of View: जीवन में विशिष्ट बनने के लिए हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए क्योंकि साधारण से असाधारण बनने का प्रयास हीं हमें जीवन में मुकमल सफलता प्रदान करने में मदद करती है. जीवन में आप किसी भी क्षेत्र में हैं, याद रखें की उस क्षेत्र में टॉप पर हमेशा स्थान मौजूद होता है और उसके लिए आपको विशिष्ट बनने की जरुरत है. जब आप अपने काम में विशिष्ट होते हैं, तो आपके सफल होने की संभावना अधिक होती है। आप अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ बन जाते हैं, और लोग आपके ज्ञान और कौशल की तलाश करते हैं।

हालांकि यह सच है कि यह सफर आसान नहीं है, लेकिन यह इतना मुश्किल भी नहीं है। जब आप जीवन में विशिष्ट होते हैं, तो आप अधिक सफल, संतुष्ट और खुश होते हैं।  अपने काम में विशिष्ट बनने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:

अपनी प्रतिभा को पहचानें: 

 जीवन का मतलब सिर्फ जीना हीं नहीं होता है बल्कि ऐसा जीवन जीना है जो कि आपको संतुष्टि दें। आप अपने प्रतिभा और रुचि  को सबसे पहले पहचाने और अपने टेस्ट के अनुसार अपना लक्ष्य का चयन करें। यह जानने के लिए कि आपको क्या पसंद है और आप किस काम में अच्छे हैं, आत्म-विश्लेषण करें। अपनी रुचि के क्षेत्रों में गहराई से अध्ययन करें और अपनी प्रतिभा को विकसित करें।

लक्ष्य निर्धारित करें:

सबसे पहले आप अपने लिए अच्छे से विचार कर उचित क्षेत्र का चयन करें और उसमें अच्छी प्रदर्शन  के लिए अपनी विशेषज्ञता तय करें। इसके लिए आवश्यक है कि आप अपने जुनून को खोजें और ईमानदारी से उसे हासिल करने में लग जाएँ। आपको कड़ी मेहनत करने, लगातार रहने और कभी भी सीखना बंद न करने की आवश्यकता है। 

नियमित अध्ययन और अद्यतन रहें: 

सबसे पहले, अपने लिए स्पष्ट और स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें। आप क्या हासिल करना चाहते हैं और आपकी सफलता कैसी दिखेगी इसपर विचार कर आप खुद का भविष्य तय करें. 

सीखने के लिए तैयार रहें:

जैसा की आप जानते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और आत्म-विकास के लिए खुद को सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना हीं जीवन का सबसे बड़ा सत्य और चैलेंज है। अपने काम में बेहतर बनने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करें। इसमें तकनीकी कौशल, नरम कौशल और ज्ञान शामिल हो सकते हैं।

हमेशा पॉजिटिव रहें:

अपने काम में प्रेरित होना सीखिए और हमेशा पॉजिटिव रहने सीखें. पॉजिटिव रहने के लिए अच्छी पुस्तकों और लोगो पर्सनालिटी के जीवन को पढ़ें।   अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें, अपनी प्रगति का जश्न मनाएं और नई चुनौतियों की तलाश करें। अपने आप को चुनौती दें। अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें और नई चीजें आज़माएं।

अपने आप को चुनौती दें: 

अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए खुद को चुनौती दें और खुद से बात करना सीखें। स्वामी विवेकानंद के उस कथन को हमेशन याद रखें कि- " यदि चौबीस घंटे मे एक बार आप खुद से बात नहीं करते हैं तो संसार के सबसे विशिष्ट और खास आदमी कि आप उपेक्षा कर रहे हैं। "

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जीवन में विशिष्ट बनने के लिए समय और प्रयास लगता है। धैर्य रखें, कड़ी मेहनत करें, और कभी भी हार न मानें।आप भी अपनी रुचि और प्रतिभा के आधार पर जीवन में विशिष्ट स्थान बना सकते हैं। 

Point Of View : हमेशा दिखावा से अधिक पास रखे, पर जानकारी से कम बोलें

Point Of View: William Shakespeare की एक बहुत ही महत्वपूर्ण उक्ति है "Have more than you show, Speak less than you know।" मतलब स्पष्ट है कि जानकारी से कम बोलें और दिखावा से ज्यादा रखें। शेक्सपियर की यह कथन का भावार्थ स्पष्ट सिखाती है कि हमें अपने ज्ञान और क्षमताओं को दिखाने के लिए बातचीत में ज्यादा हिस्सा नहीं लेना चाहिए। आपकी गंभीरता आपकी व्यक्तित्व को और भी व्यापक बनाती है जो श्रोताओं में एक जिज्ञासा को बनाए रखती है। आपका ज्यादा और अनावश्यक बोलना न  केवल आपकी व्यक्तित्व बल्कि सुनने वालों में भी बोझलता का माहौल बनाएगा। इसके बजाय, हमें दूसरों को सुनना चाहिए और उनकी बातों को समझना चाहिए।

अगर आप इस कहावत की गंभीरता पर विचार करेंगे तो पाएंगे कि इसके कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह हमें विनम्र और सम्मानजनक बनाता है। जब हम दूसरों को सुनते हैं, तो हम उनके विचारों और भावनाओं को महत्व देते हैं। यह हमें एक बेहतर संवादी बनाता है और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करता है।

जानकारी से हमेशा काम बोलने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह आदत हमें दूसरों से सीखने में मदद करता है। जब हम दूसरों को सुनते हैं, तो हम नए विचारों और सूचनाओं से परिचित होते हैं। यह हमें अपने ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मदद करता है।


इसके अतिरिक्त, यह हमें निर्णय लेने में मदद करता है। जब हम दूसरों से सुनते हैं, तो हम विभिन्न दृष्टिकोणों को देखते हैं। यह हमें अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।

Point Of View : इन टिप्स से बढ़ाएं अपना साहस-डर का सामना करें, अपने आप को चुनौती दें तथा दूसरों से प्रेरणा लें

Inspiring Thoughts: Why Courage is Important for Our Life…Follow These Quotes and witness Changes in your Life
Point Of View : साहस एक ऐसा गुण है जो हमें कठिनाइयों का सामना करने और अपनी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है. यह हमें जोखिम लेने और नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रेरित करता है. साहस के बिना, हम अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते हैं. यह न केवल हमें कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है बल्कि  जीवन में नए अवसरों को खोजने के लिए तैयार करने का भी कार्य करता है. 

 भले ही आप साहस और हिम्मत के सन्दर्भ में अनगिनत कोट्स पढ़े होंगे लेकिन अगर हम सबसे प्रासंगिक कथन जो हिम्मत को ग्लोरिफाई करती है वह है  कि हिम्मत न कर पाने का कारण यह नहीं होता है की कुछ कर पाना कठिन हैं, बल्कि सच्चाई तो यह है है कि कुछ कर पाना कठिन इसलिए हो जाता है  क्योंकि हम हिम्मत ही नही करते और इसके लिए आवश्यक साहस नहीं जुटा पाते हैं. 

साहस हीं हमारा वह आत्म बल है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है आपने मुंशी प्रेमचंद की वह कथन तो सुनी होगी-" भय की तरह साहस भी संक्रामक होती है" तो साफ़ है कि अगर आप साहस को अपना जीवन का आधार नहीं बनाएंगे, तो भय आप पर हावी हो जायेगा.  लोगों का हुजूम हो चाहिए आप अपने जीवन के  पथ पर अकेले ही संघर्षरत हो, साहस का होना अत्यंत आवश्यक है. सच तो यह है कि साहस हीं हमारा वह आत्म बल है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है, यह हमारा साहस हीं हैं जो किसी भी असस्म्भव से लगने वाले काम को भी पूरा करना का हिम्मत प्रदान करती है.

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने साहस को बढ़ा सकते हैं:

अपने डर का सामना करें: 
सबसे अच्छा तरीका अपने डर का सामना करना है. जब आप अपने डर का सामना करते हैं, तो आप देखते हैं कि वे उतने खतरनाक नहीं हैं जितने आप सोचते थे.
अपने आप को चुनौती दें: 
अपने आप को चुनौती दें. अपने आप को उन चीजों के लिए चुनौती दें जो आपके लिए मुश्किल हैं. जब आप अपने आप को चुनौती देते हैं, तो आप अपने साहस का निर्माण करते हैं.

दूसरों से प्रेरणा लें: 
 उन लोगों के बारे में सोचें जो आपके लिए साहसी हैं. उन लोगों से प्रेरणा लें और उनके जैसा बनने की कोशिश करें.

साहस एक ऐसा गुण है जो आपको अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद कर सकता है. अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको साहसवान होना होगा.

इंसान के जीवन में साहस सबसे महत्वपूर्ण घटना है जो आपको अपने जीवन में कुछ सोचने और कुछ आश्चर्य करने की हिम्मत प्रदान करती है..मानव जीवन में जहां सब कुछ अप्रत्याशित है और हमें अपने अस्तित्व की लड़ाई और जीने के लिए बहुत से ऐसे कार्य भी करने होते हैं जो सामान्य रूप से हम उसे नहीं करना चाहते हैं.


दोस्तों.. यह केवल साहस है जो हमारे जीवन में कुछ अप्रत्याशित सपने देखने की शक्ति प्रदान करती है..   अन्यथा हम अपने वर्तमान हालात के आगे मजबूर होकर जीने को विवश हो जाते....

बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे 


 आपका साहस आपको कुछ अप्रत्याशित और असंभव से लगने वाले लक्ष्य को पाने का हिम्मत प्रदान करती है जो आगे चलकर हमारे जीवन में हमारे लक्ष्य को निर्धारित करने का अवसर प्रदान करती है...

Inspiring Thoughts: हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं.. बदलें इस माइंडसेट को

 जीवन में लक्ष्य का होना अत्यंत आवश्यक है और बिना लक्ष्य के हमारा जीवन  करें ... आपके सपने की नींव और आपके प्रयासों का निष्पादन वह कारक है जो आपको प्रदान करता है। अपने भाग्य को प्राप्त करने का तरीका और यह साहस ही है जो आपको रास्ता प्रदान करता है ... सोच से लेकर लक्ष्य हासिल करने तक ...


 कहने की जरूरत नहीं है ... मानव ने  अपने सोच को हमेशा से नकारात्मक और अजीबोगरीब सोच से भरकर उसे कंफ्यूज बनाकर रखा है.... और यही हमारी सोच है जो हमें हमेशा से जीवन के दौड़ में पीछे धकेलने में मुख्य भूमिका निभाती है.... हमने अपने सोच को हमेशा से डर और संदेह से कभी बाहर नहीं आने देते ऐसे में भला हमारा मस्तिष्क सही और साहसी निर्णय कैसे ले सकता है...

Inspiring Thoughts: हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं.. बदलें इस माइंडसेट को

Inspiring Thoughts: साहस को अपनाएँ... सफलता की कहानी खुद लिखें...

 निश्चित रूप से इन संदेहों का जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है... .हमारे जीवन में और कोई भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता ....तो इसके लिए जरुरी है कि आप निर्णय लेने में अपने साहस का इस्तेमाल करें और कभी भी खुद पर संदेह नहीं करें...

Inspiring Thoughts: डिप्रेशन और फ़्रस्ट्रेशन पर काबू पाने के लिए पाएं नेगेटिव माइंडसेट से छुटकारा

 निश्चित रूप से यह आपके अंदर का साहस है जो इन अनावश्यक डर को दूर करता है और जीवन में ठोस और सही लक्ष्य के निर्धारण में आपकी मदद करती है... दोस्तों बिना किसी लक्ष्य के निर्धारण के आप उसे कैसे प्राप्त करने की कोशिश करेंगे.... जाहिर है कि या आपका साहस ही हैं जो जीवन में किसी भी अप्रत्याशित सपने और लक्ष्य को साकार करने और पाने का हिम्मत प्रदान करती है.

Point Of View : नेलसन मंडेला-जानें उनका संघर्ष, जीवन, कोट्स और भी बहुत कुछ



नेल्सन रोलीह्लला मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले नेल्सन मंडेला के जन्म दिवस को  दिन18 जुलाई  को मनाया जाता है। 
अफ्रीका में सदियों से जारी रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष के लिए नेल्सन मंडेला ने दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया। अपने आंदोलन के लिए तत्कालीन सरकार ने उन्हें कई सालों तक जेल में डाले  रखा। लेकिन सरकार की ज्यादती भी मंडेला के इरादों को डिगा नहीं सकी। 

मंडेला देश के पहले अश्वेत  राष्ट्रपति बने जिनका कार्यकाल  1994 से 1999 तक रहा।

सरकार के खिलाफ रंगभेद निति के विरोध के कारण उन्होंने 27 साल जेल में बिताए। आखिरकार सरकार ने उन्हें 11 फरवरी 1990 को जेल से आजाद किया।
अवार्ड
1993 में मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
नेलसन मंडेला को भारत सरकार ने 1990 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया।

1992 में मंडेला को पाकिस्तान सरकार ने निशाने पाकिस्तान से सम्मानित किया था।
नेलसन मंडेला के महत्वपूर्ण कोट्स
1. शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।
2. आप किसी काम में तभी सफल हो सकते हो जब आप उस पर गर्व करे।
3. मैं कोई मसीहा नहीं था, बल्कि एक साधारण व्यक्ति था जो असाधारण परिस्थितियों के कारण एक लीडर बन गया।

Shree Astrology:अक्टूबर मे जन्मे लोगों की खासियत जान आप भी हो जाएंगे हैरान-गांधी, आइंस्टीन, मंडेला आदि मिलिये इन महापुरुषों से

People Born In October Prediction Traits Characteristic

Shree Astrology : अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले लोगों के सबसे बढ़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग अक्सर  स्वतंत्र और जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं। महात्मा गांधी,  अल्बर्ट आइंस्टीन,  मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसे महान विभूतियों ने अक्तूबर महीने में जन्म लिया और अपने अपने क्षेत्रों में संसार को नई राह दिखाई।   स्वतंत्रता उनकी चाहत होती है और इनकी यह प्रवृति इनकी सोच और कार्यों में से भी जाहिर होती है. अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोग अक्सर नई चीजें सीखने में रुचि रखते हैं साथ ही वाे रचनात्मक और कलात्मक होते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करने के नए तरीके खोजते हैं।आइए हम देखते हैं अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की क्या होती है विशेषता, करिअर, स्वभाव और अन्य एस्ट्रोलॉजर कुंडली शास्त्री हिमांशु रंजन शेखर से.

अक्टूबर के कुछ महापुरुषों में शामिल हैं:
  • अल्बर्ट आइंस्टीन, भौतिक विज्ञानी
  • माइकल एंजेलो, चित्रकार और मूर्तिकार
  • वॉल्ट डिज़नी, एनिमेटर और फिल्म निर्माता
  • मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता
  • नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीकी नेता
  • एलेना रॉबिन्सन, आयरिश लेखिका
  • अरविंदो घोष, भारतीय दार्शनिक और योगी
  • महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी

 आदर्शवाद के प्रति उनके जीवन में काफी गहरी आस्था
अक्टूबर में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नैतिक सिद्धांतों और आदर्शवाद के प्रति उनके जीवन में काफी गहरी आस्था होती है. जहां तक बात धन और संपत्ति की है उनके लिए यह बातें यह चीजें बहुत ज्यादा महत्व की नहीं होती है हां अध्ययन के मामले में वे काफी गंभीर होते हैं और अक्सर वे गूढ़ या रहस्यों से भरे  विषयों को अपनाना चाहते हैं और वे इसमें सफल होते हैं. 

जीवन के कला का विशेष स्थान 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति कला यात्रा के प्रति काफी गंभीर होते हैं और किसी भी प्रकार की कला या कलात्मक चीजों को वे काफी पसंद करते हैं. संगीत हो या पेंटिंग हो या क्राफ्ट हर प्रकार की कलात्मक चीजों को जीवन में हुए काफी महत्व देते हैं.  ऐसे लोग खुद भी इस प्रकार के किसी ने किसी कला को अपने  हॉबी के रूप में अपनाते हैं.  वह वातावरण या परिवार या आसपास के प्रति हर तरफ से कला की चीजों को अपने जीवन में काफी महत्व देते हैं

शांत स्वभाव 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वे अपने जीवन में काफी गंभीर स्वभाव के होते हैं. आमतौर पर वे लोग जीवन में अशांति या उपद्रव वाली स्थिति  से बचना चाहते हैं या उनसे खुद को अप्रभावित रखते हैं.  उन्हें लगता है कि जीवन में शांति ही प्रगति का एकमात्र सही रास्ता है और अंदर से और बाहर की परिस्थितियों को भी वे आमतौर पर शांति और गंभीरता के साथ पेश आते हैं या इस तरह के किसी भी चीजों से दूर करते हैं जो उनके को असंतुलित करती है या प्रभावित करती है. 

संवेदनशील और गंभीर प्रकृति 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति आमतौर पर काफी संवेदनशील और गंभीर प्रकृति के होते हैं उनके लिए संवेदनशीलता या गंभीरता उनकी कमजोरी नहीं बल्कि जीवन में आगे बढ़ने का उनका हथियार होता है. ऐसा नहीं है कि वह अपने आसपास या परिवार या खुद के प्रति होने वाले उथल-पुथल या  उत्पन्न विपरीत परिस्थितयों को नजरअंदाज करते हैं बल्कि सच यह है कि वे इन परिस्थितियों से निकलने के लिए अपना विकल्प और रास्ता गंभीरता और मिस्टर कूल होकर निकालते हैं. 

प्रखर तर्क शक्ति के स्वामी 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वह तर्कशक्ति के मामले में सशक्त होते हैं वह आसानी से किसी बात या किसी विचारधारा या किसी स्थान सिद्धांत को नहीं अपनाते हैं. अपने सामने आने वाले किसी भी सिद्धांत या विचारधारा क पहले वे अपने तर्कशक्ति के तराजू पर तौलते हैं और संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं. लेकिन सच यह भी है कि एक बार अगर उन्हें किसी सिद्धांत या विचारधारा ने प्रभावित कर दिया तो वह उस रास्ते पर अपना सब कुछ छोड़ कर निकल जाते हैं. 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

नवरात्रि: माँ अम्बे की आरती


भगवान की आरती  उतरना हम सभी बचपन मे हीं अपने घरों से सीखते हैं। शायद ही कोई ऐसा हिन्दू घर होगा जहां पूजा पाठ के दौरान बच्चा आरती से रु बरु नहीं होता है। आरती के दौरान हमेशा खड़ा हो जाना और अंत मे दीपक के लौ को अपने बाल पर लगाना और फिर भगवान का आशीर्वाद लेना हम अपने घरों से हीं सीखते हैं। आरती के दौरान भक्तगन आरती मे जलते दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि  हम सभी भक्तगण आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें।

माँ अम्बे की आरती 

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

 

Chaitra Navtarti 2024 Shailpurti and Nine form of Goddess Durga

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि: 
नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। 
 शारदीय नवरात्रि  2024 का आरंभ इस वर्ष  03 अक्टूबर 2024  से आरंभ हो चुकी है । नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है।


दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


नवरात्रि 2024 के अनुसार, माता दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन निम्नलिखित है:

शैलपुत्री : 

पहला रूप शैलपुत्री है, जो शैल (पर्वत) की पुत्री कहलाती हैं। इस रूप में माता का ध्यान शुद्धता और त्याग में होता है। वह एक कमंडलु और लोटा धारण करती हैं। देवी शैल पुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है जिसका उल्लेख पुराण में किया गया है। ऐसा कहा गया है कि देवी दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों में शैपुत्री प्रथम हैं। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, शैलपुत्री को सती का पुनर्जन्म माना जाता है और वह दक्ष शैलपुत्री की बेटी थीं।

ब्रह्मचारिणी:

 दूसरे रूप में माता ब्रह्मचारिणी हैं, जो तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा करती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का नाम नवदुर्गा माता के नौ रूपों में से एक है। इस रूप में माँ दुर्गा को तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा का दर्शाया जाता है। 

ब्रह्मचारिणी का स्वरूप उत्तम ध्यान, तपस्या, और संयम का प्रतीक है।  ब्रह्मचारिणी के हाथों में माला और कमंडलु होती है। माला का प्रतीक है ध्यान और मनन, जबकि कमंडलु तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक होती है। वे साधारणतः सफेद वस्त्र पहनती हैं जो उनकी शुद्धता और सात्विकता को दर्शाता है।

चंद्रघंटा: 

तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा हैं, जो चंद्र के आकार की स्थापना करती हैं। वह चंद्रमा के रूप में विशेष आसन पर बैठती हैं।  वे चाँद से प्रकाशित होती हैं और उनके मुख पर एक विशालकाय चंद्रमा की प्रतिमा होती है।

चंद्रघंटा माँ के चेहरे की दृष्टि शांतिप्रद होती है, लेकिन उनका रूप विक्रमी और महान होता है। वे अपने दो हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने चेहरे पर चंद्रमा के रूप का चंद्रकोटि धारण करती हैं। चंद्रघंटा माँ के चंद्रकोटि के बीच एक तिरंगा होता है, जो अभिनवता और शक्ति का प्रतीक होता है। उनके साथ अक्षमाला, बेल, और धूप-दीप का सामान होता है, जो पूजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। चंद्रघंटा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उन्हें भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि माँ चंद्रघंटा हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

कुष्माण्डा देवी:

नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। उनकी आंखों का रंग लाल होता है और उनके मुख पर एक उग्र मुस्कान होती है। उनके मुख के एक स्वरूप में उनके आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। कुष्माण्डा माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडलु होती है। वे एक शूल और एक बिखरी चाकू धारण करती हैं, जो उनकी उत्पत्ति की प्रतीक हैं। कुष्माण्डा माँ का वाहन एक शेर होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। कुष्माण्डा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्त समस्याओं और बाधाओं का निवारण प्राप्त करते हैं, और उन्हें सार्थक और समृद्धिशाली जीवन प्राप्त होता है। उनकी पूजा भक्तों को शक्ति और साहस का आशीर्वाद प्रदान करती है।

स्कंदमाता: 

पांचवे रूप में माता स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। स्कंदमाता, नवदुर्गा माता के पांचवे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत प्रसन्न और सुंदर होता है। वह एक बालक को अपने गोद में ले कर बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) को प्रतिनिधित करता है। उनकी विगति आध्यात्मिक और आनंदमयी होती है, और वे आकर्षक साध्वी के रूप में विशेषता दिखाती हैं।स्कंदमाता माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में बच्चों की संतान, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कात्यायनी: 

छठे रूप में माता कात्यायनी हैं, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। कात्यायनी देवी का स्वरूप अत्यंत महान और उदार होता है। वह चेहरे पर प्रसन्नता और सौम्यता का प्रतीक होती हैं, लेकिन उनकी दृष्टि उग्र और प्रभावशाली होती है। कात्यायनी देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वीणा होती है। उनके दो हाथ और एक मुद्रा में विशेषता दिखाते हैं, जो उनके शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कात्यायनी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और वीरता को प्रतिनिधित करता है। कात्यायनी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय देती हैं। 

कालरात्रि: 

सातवें रूप में माता कालरात्रि हैं, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं।कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यधिक उग्र और भयंकर होता है। वह काली के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं, जिनका चेहरा उग्रता और अद्भुतता से भरा होता है। उनके मुख पर विशालकाय चाकु की प्रतिमा होती है, और उनके आंखों में अग्नि की ज्वाला लगती है। कालरात्रि देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में काले रंग का घड़ा होता है। उनकी तीसरी हाथ में दमरू होता है, और चौथे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कालरात्रि देवी का वाहन भालू होता है, जो उनकी शक्ति और संरक्षण को प्रतिनिधित करता है। कालरात्रि माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शक्ति, साहस, और अभय की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी भयों और संकटों को दूर करती हैं, और उन्हें संरक्षण और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

महागौरी देवी

 नवदुर्गा माता के आठवें रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को शुभ और पवित्र स्वरूप में पूजा जाता है। इस रूप में माँ दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप शानदार और दिव्य होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी निर्मलता और पवित्रता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है, जो उनकी दयालुता और प्रसन्नता को प्रतिनिधित करती है। महागौरी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। महागौरी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शुभ और पवित्र गुणों को प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी दुःखों और बुराइयों को दूर करती हैं, और उन्हें शांति और सुख का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री:

 नौवें रूप में माता सिद्धिदात्री हैं, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वह अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन को धारण करती हैं। ये नौ रूप माता दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जो नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। सिद्धिदात्री देवी, नवदुर्गा माता के नौवें और अंतिम रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को सर्वशक्तिमान सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ (अच्छे परिणाम) प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप अत्यधिक प्रसन्न और उदार होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और उनकी आंखों में अनंत दया और स्नेह की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके हाथों में उज्जवल और शुभता की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी का वाहन गदा होता है, जो उनकी सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिनिधित करता है। सिद्धिदात्री माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में सिद्धियाँ, सफलता, और अनुग्रह प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


दशहरा 2024: असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छे के विजय का प्रतीक है विजयादशमी

Happy Dussehra Wishes Facts

दशहरा 2024 :
नवरात्रि जो कि माँ दुर्गा के विभिन्न 9  रूपों के पूजन के बाद  दशहरा या विजयदशमी 2024  का त्यौहार  है. नवरात्रि के दौरान हम माता दुर्गा के सभी रूपों का पूजन करते हैं।  9 दिनों से माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों के पूजन के बाद आने वाले दशहरा या विजयदशमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्यत:बुराई पर अच्छाई की जीत के  उपलक्ष्य में मनाया जाता है. 

नवरात्र के 10 दिनों के लंबे उत्सव के बाद, अंतिम दिन को विजयदशमी और दशहरा के रूप में भी जाना जाता है। पूरे देश के लिए दशहरे का अपना महत्व है जो भारत के लोगों द्वारा मनाया जा जाता है जो इस वर्ष 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

दशहरा या विजयादशमी के अवसर पर लोग रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलाते हैं। कहने की जरूरत नहीं है, अगर आप रामायण के महाकाव्य के माध्यम से जाते हैं, तो रावण, मेघनाद और कुंभकरण सभी बुराई के प्रतीक थे। उन्होंने रामायण की कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन गलत कारण के लिए और इसलिए लोग हमारे समाज में बुराई का संदेश देने के लिए तीनों का पुतला जलाते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, विजयादशमी या दशहरा लंबे दस दिनों के नवरात्रि उत्सव की परिणति पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्योहार के दसवें दिन, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं।

हालाँकि विजयदशमी या दशहरा हिंदू परंपरा के अनुसार इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का भी प्रतीक है. लोग बुराई (महिषासुर) पर अच्छाई (देवी दुर्गा) की जीत का कारण मनाने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं। साथ ही लोग विजयदशमी या दशहरा के दिन को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में भी मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह विजयदशमी या दशहरा का दिन था जब भगवान राम को बुराई पर सफलता मिलती थी, यानी रावण जिसे बुराई का प्रतीक माना जाता है. 

नवरात्री के दौरान देश में खास तौर पर रामलीला का मंचन किया जाता है जहाँ भगवान् राम और रामायण के प्रसंगों  को भी प्रदर्शित किया जो दस दिनों के नवरात्रि उत्सव के दौरान का प्रमुख उत्सव हैं। नवरात्री के अंत में लोग असत्य पर सत्य के विजयस्वरुप परंपरागत रूप से, रावण, मेघनाद और कुंभकरण के तीन पुतलों को बुराई को चिह्नित करने के लिए दशहरे पर जलाया जाता है।