Mann Ki Baat: मिलिए मन की बात के इन साइलेंट हीरोज से जो अपने आप में आंदोलन हैं



PM Modi Mann Ki Baat :  आज नवंबर 26, 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 107 वे मन की बात रेडियो कार्यक्रम के संस्करण के अंतर्गत सम्बोधन किया. यूपी के रामसिंह, आंध्र प्रदेश के बेल्जिपुरम, तमिलनाडू के लोगनाथन जिनकी चर्चा पी एम ने किया है 
 प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम ने कई ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छुआ है और इसमें  किसी को संदेह नहीं होने चाहिए। 
त्योहारों में मिलने वाले लोकल और वोकल के सन्तगत 4 लाख करोड़ का व्यापार किया गया. घर के बच्चे भी अब दुकान पर मेड इन इंडिया उत्पाद को देख कर सामान खरीदते हैं. 



27 नवम्बर 
देव दीपावली और कार्तिक स्नान. प्रधान मंत्री शुभकामनाये दिया। 
गुरुनानक जी की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके सीख और सादगी की चर्चा किया. 

रामसिंह म्यूजियम अमरोहा
रेडिओ म्यूजियम बनाया है और उन्होंने कहा कि मन की बात कार्यक्रम के कारन उनकी म्यूजियम को देखने वालों की संख्या बढ़ गई है. 

बेल्जिपुरम, काकुलम आँध्रप्रदेश 
स्किल डेवलोपमेन्ट के खास कार्य किया जिसमे महिलाओं और बच्चों को खास हुनर सिखाती है. स्किल डेवलोपमेन्ट  टीम किसानों को नई शिक्षा प्रदान करना का 

लोगनाथन तमिलनाडु 
गरीब बच्चों के लिए कपड़ों को देने के लिए अपने सेलरी का १ परसेंट दिया. 1500 से अधिक बच्चों की सहायता दिया. 

सफाई संडे सूरत 
सूरत में स्वक्षता अभियान का आरंभ जिसमे ताप्ती नदी की सफाई की गई. लगभग 50 हजार की संख्या में युवाओं ने जमीनी स्तर पर शुरू किया गया. 

प्रधान मंत्री ने विदेशों में होने वाले शादियों पर कहा कि शादी और व्याह जैसे त्यौहार अपने देश में करना लोकल पर वोकल ध्यान देने की जरुरत. 

छऊ नृत्य का आयोजन श्रीनगर में 
कठुआ जिले में बसोहनी उत्सव का आयोजन हुआ. 
पारम्परिक रामलीला का भी  आयोजन किया 

सऊदी अरब में संस्कृत मेले का आयोजन 

एक तरफ जहां टेलीविजन और इंटरनेट का युग नए नए मनोरंजन का आयाम प्रस्तुत कर रहा है, ऐसे समय में लगभग आउटडेटेड हो चुका रेडियो कार्यक्रम मन की बात जनांदोलन बन चुका हैं निसंदेह इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को जाता है।  उल्लेखनीय है कि मन की बात  का पहले संस्करण कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर प्रसारित किया गया था। प्रत्येक महीने में इसका आयोजन होता है और 30 अप्रैल 2023 को इसका सौवाँ प्रसारण हुआ था ।

हाल हीं में 29 अक्टूबर 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन किया.  जब पूरा देश  त्योहारों की उमंग में डूबा है ऐसे समय में मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में  मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान  मंत्री ने जिन खास  मुद्दों को याद किया उनमे शामिल है-गांधी जयन्ती के अवसर पर दिल्ली में खादी की रिकॉर्ड बिक्री, मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती,हमारा साहित्य, literature, कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस तथा और भी बहुत कुछ. 

मन की बात -106वीं कड़ी (29 अक्टूबर 2023): Facts in Brief
मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने एक बार फिर से इस कार्यकर्म में उन हीरो का जिक्र किया जिन्होंने देश और समाज को एक नहीं दिशा और ऊंचाई दिया है.  जैसा कि जाहिर है, इस कार्यक्रम में प्रधान मंत्री उन लोगों का ज़िक्र करते हैं जो हमारे Heroes हैं और जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। तो आइये  106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने मन की बात के जिन Heroes का चर्चा किया उन पर एक नजर डालते हैं. 
15 नवंबर-भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती-जनजातीय गौरव दिवस 
15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा। यह विशेष दिन भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती से जुड़ा है। भगवान बिरसा मुंडा हम सब के ह्रदय में बसे हैं। सच्चा साहस क्या है और अपनी संकल्प शक्ति पर अडिग रहना किसे कहते हैं, ये हम उनके जीवन से सीख सकते हैं। उन्होंने विदेशी शासन को कभी स्वीकार नहीं किया।

 उन्होंने ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जहाँ अन्याय के लिए कोई जगह नहीं थी। वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिले। भगवान बिरसा मुंडा ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना इस पर भी हमेशा जोर दिया। आज भी हम देख सकते हैं कि हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के लिए हर तरह से समर्पित हैं। हम सब के लिए, हमारे आदिवासी भाई-बहनों का ये काम बहुत बड़ी प्रेरणा है।

कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल
कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी का काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। उन्होंने तमिलनाडु के ये जो storytelling tradition है उसको संरक्षित करने का सराहनीय काम किया है। वे अपने इस मिशन में पिछले 40 सालों से जुटे हैं। इसके लिए वे तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में Travel करते हैं और Folk Art Forms को खोज कर उसे अपनी Book का हिस्सा बनाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने अब तक ऐसी करीब 100 किताबें लिख डाली हैं। इसके अलावा पेरूमल जी का एक और भी Passion है। तमिलनाडु के Temple Culture के बारे में Research करना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने Leather Puppets पर भी काफी Research की है, जिसका लाभ वहाँ के स्थानीय लोक कलाकारों को हो रहा है। शिवशंकरी जी और ए. के. पेरूमल जी के प्रयास हर किसी के लिए एक मिसाल हैं। भारत को अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने वाले ऐसे हर प्रयास पर गर्व है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने के साथ ही देश का नाम, देश का मान, सब कुछ बढ़ाये।

तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी का चर्चा किया. उन्होंने बताया कि शिवशंकरी जी ने एक Project किया है – Knit India, Through Literature इसका मतलब है – साहित्य से देश को एक धागे में पिरोना और जोड़ना। वे इस Project पर बीते 16 सालों से काम कर रही है। इस Project के जरिए उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। 

उन्होंने कई बार कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इंफाल से जैसलमेर तक देशभर में यात्राएँ की, ताकि अलग - अलग राज्यों के लेखकों और कवियों के Interview कर सकें। शिवशंकरी जी ने अलग - अलग जगहों पर अपनी यात्रा की, travel commentary के साथ उन्हें Publish किया है। यह तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है।
 इस Project में चार बड़े volumes हैं और हर volume भारत के अलग-अलग हिस्से को समर्पित है। 

असम स्थित Akshar Forum खास स्कूल 

प्रधान मंत्री ने बतायाकि सम के Kamrup Metropolitan District में Akshar Forum इस नाम का एक School बच्चों में, Sustainable Development की भावना भरने का, संस्कार का, एक निरंतर काम कर रहा है। यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी हर हफ्ते Plastic Waste जमा करते हैं, जिसका उपयोग Eco- Friendly ईटें और चाबी की Chain जैसे सामान बनाने में होता है। यहां Students को Recycling और Plastic Waste से Products बनाना भी सिखाया जाता है। कम आयु में ही पर्यावरण के प्रति ये जागरूकता, इन बच्चों को देश का एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाने में बहुत मदद करेगी।  

मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती

 देश इस वर्ष महान संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती मना रहा है। वो देशभर के लोगों के लिए कई वजहों से एक प्रेरणाशक्ति रही हैं। अगर किसी की संगीत में रूचि हो, तो वो संगीत के प्रति समर्पण का बड़ा उदाहरण ही है, अगर कोई कविताओं का प्रेमी हो, तो भक्तिरस में डूबे मीराबाई के भजन, उसे अलग ही आनंद देते हैं, अगर कोई दैवीय शक्ति में विश्वास रखता हो, तो मीराबाई का श्रीकृष्ण में लीन हो जाना उसके लिए एक बड़ी प्रेरणा बन सकता है। मीराबाई, संत रविदास को अपना गुरु मानती थी। वो कहती भी थी- 

गुरु मिलिया रैदास, दीन्ही ज्ञान की गुटकी। 

प्रधान मंन्त्री ने बताया कि देश की माताओं-बहनों और बेटियों के लिए मीराबाई आज भी प्रेरणापुंज हैं। उस कालखंड में भी उन्होंने अपने भीतर की आवाज़ को ही सुना और रुढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी हुई। एक संत के रूप में भी वे हम सबको प्रेरित करती हैं। वे भारतीय समाज और संस्कृति को तब सशक्त करने के लिए आगे आईं, जब देश कई प्रकार के हमले झेल रहा था। सरलता और सादगी में कितनी शक्ति होती है, ये हमें मीराबाई के जीवनकाल से पता चलता है।

अंबाजी मंदिर, गुजरात

प्रधान मंत्री ने गुजरात के तीर्थक्षेत्र अंबाजी मंदिर के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि  यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां अंबे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां गब्बर पर्वत के रास्ते में आपको विभिन्न प्रकार की योग मुद्राओं और आसनों की प्रतिमाएं दिखाई देंगी। क्या आप जानते हैं कि इन प्रतिमाओं की खास क्या बात है ? दरअसल ये Scrap से बने Sculpture हैं, एक प्रकार से कबाड़ से बने हुए और जो बेहद अद्दभुत हैं। यानि ये प्रतिमाएं इस्तेमाल हो चुकी, कबाड़ में फेक दी गयी पुरानी चीजों से बनाई गई हैं। अंबाजी शक्ति पीठ पर देवी मां के दर्शन के साथ-साथ ये प्रतिमाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। 

MYBharat संगठन

प्रधान मंत्री ने घोषणा किया कि MYBharat संगठन की जो भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। उन्होंने कहाः कि, "31 अक्टूबर को एक बहुत बड़े राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है और वो भी सरदार साहब की जन्मजयन्ती के दिन। इस संगठन का नाम है – मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। 

ये, विकसित भारत के निर्माण में भारत की युवा शक्ति को एकजुट करने का एक अनोखा प्रयास है। मेरा युवा भारत की वेबसाइट MYBharat भी शुरू होने वाली है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किय कि  MYBharat.Gov.in पर register करें और विभिन्न कार्यक्रम के लिए Sign Up करें। 

वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती- 31 अक्टूबर 

हम भारतवासी सरदार पटेल को कई वजहों से याद करते हैं, और श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। सबसे बड़ी वजह है – देश की 580 से ज्यादा रियासतों को जोड़ने में उनकी अतुलनीय भूमिका।  हर साल 31 अक्टूबर को गुजरात में Statue of Unity पर एकता दिवस से जुड़ा मुख्य समारोह होता है। इस बार इसके अलावा दिल्ली में कर्तव्य पथ पर एक बहुत ही विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। आपको याद होगा, मैंने पिछले दिनों देश के हर गाँव से, हर घर से मिट्टी संग्रह करने का आग्रह किया गया था।

 हर घर से मिट्टी संग्रह करने के बाद उसे कलश में रखा गया और फिर अमृत कलश यात्राएं निकाली गईं। देश के कोने-कोने से एकत्रित की गयी ये माटी, ये हजारों अमृत कलश यात्राएं अब दिल्ली पहुँच रही हैं। यहाँ दिल्ली में उस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में डाला जाएगा और इसी पवित्र मिट्टी से दिल्ली में ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण होगा।

 यह देश की राजधानी के हृदय में अमृत महोत्सव की भव्य विरासत के रूप में मौजूद रहेगी। 31 अक्टूबर को ही देशभर में पिछले ढ़ाई साल से चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का समापन होगा। आजादी के अमृत महोत्सव में, लोगों ने अपने स्थानीय इतिहास को, एक नई पहचान दी है। इस दौरान सामुदायिक सेवा की भी अद्भुत मिसाल देखने को मिली है।

Special Olympics World Summer Games 

प्रधान मंत्री ने Special Olympics World Summer Games का चर्चा भी मन की बात के 106 थे संस्करण में किया जिसका आयोजन बर्लिन में हुआ था। ये प्रतियोगिता हमारे Intellectual Disabilities वाले एथलीटों की अद्भुत क्षमता को सामने लाती है। इस प्रतियोगिता में भारतीय दल ने 75 Gold Medals सहित 200 पदक जीते। Roller skating हो, Beach Volleyball हो, Football हो, या Tennis, भारतीय खिलाड़ियों ने Medals की झड़ी लगा दी। इन पदक विजेताओं की Life Journey काफ़ी Inspiring रही है।
 हरियाणा के रणवीर सैनी ने Golf में Gold Medal जीता है। बचपन से ही Autism से जूझ रहे रणवीर के लिए कोई भी चुनौती Golf को लेकर उनके जुनून को कम नहीं कर पाई। उनकी माँ तो यहाँ तक कहती हैं कि परिवार में आज सब Golfer बन गए हैं। पुडुचेरी के 16 साल के टी-विशाल ने चार Medal जीते। गोवा की सिया सरोदे ने Powerlifting में 2 Gold Medals सहित चार पदक अपने नाम किये। 9 साल की उम्र में अपनी माँ को खोने के बाद भी उन्होंने खुद को निराश नहीं होने दिया। छत्तीसगढ़ के दुर्ग के रहने वाले अनुराग प्रसाद ने Powerlifting में तीन Gold और एक Silver Medal जीता है। ऐसे ही प्रेरक गाथा झारखंड के इंदु प्रकाश की है, जिन्होंने Cycling में दो Medal जीते हैं। ब

हुत ही साधारण परिवार से आने के बावजूद, इंदु ने गरीबी को कभी अपनी सफलता के सामने दीवार नहीं बनने दिया। मुझे विश्वास है कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता Intellectual Disabilities का मुकाबला कर रहे अन्य बच्चों और परिवारों को भी प्रेरित करेगी। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा किआपके गाँव में, आपके गाँव के अगल-बगल में, ऐसे बच्चे, जिन्होंने इस खेलकूद में हिस्सा लिया है या विजयी हुए हैं, आप सपरिवार उनके साथ जाइए। उनको बधाई दीजिये। और कुछ पल उन बच्चों के साथ बिताइए। आपको एक नया ही अनुभव होगा। परमात्मा ने उनके अन्दर एक ऐसी शक्ति भरी है आपको भी उसके दर्शन का मौका मिलेगा।

आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास 

प्रधान मंत्री ने कहा कि देश आदिवासी समाज का कृतज्ञ है, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा है। भारतवर्ष में आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। इसी भारत भूमि पर महान तिलका मांझी ने अन्याय के खिलाफ बिगुल फूंका था। इसी धरती से सिद्धो-कान्हू ने समानता की आवाज उठाई। हमें गर्व है कि जिन योद्धा टंट्या भील ने हमारी धरती पर जन्म लिया।
 हम शहीद वीर नारायण सिंह को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में अपने लोगों के साथ खड़े रहे। वीर रामजी गोंड हों, वीर गुंडाधुर हों, भीमा नायक हों, उनका साहस आज भी हमें प्रेरित करता है। अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी भाई-बहनों में जो अलख जगाई, उसे देश आज भी याद करता है।

 North East में कियांग नोबांग और रानी गाइदिन्ल्यू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से भी हमें काफी प्रेरणा मिलती है। आदिवासी समाज से ही देश को राजमोहिनी देवी और रानी कमलापति जैसी वीरांगनाएं मिलीं। देश इस समय आदिवासी समाज को प्रेरणा देने वाली रानी दुर्गावती जी की 500वीं जयंती मना रही हैं। 

मन की बात -100वीं कड़ी

मन की बात की 100वीं कड़ी में आज प्रधान मंत्री ने देश को सम्बोधन किया. 3 अक्टूबर, 2014,  विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू हुई  थी। विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। 

इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा- यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने आप में खास रहा। हर बार, नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार। ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो, जन-आंदोलन बन गया, और इसे  लोगों ने बना दिया। 

प्रधान मंत्री के अनुसार मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे Heroes हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब यह 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो फिर प्रधन मंत्री मोदी ने  इन सारे Heroes और उनकी यात्रा के बारे में विस्तार से चर्चा किया ।

हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी।

सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में Gender Ratio पर काफी चर्चा होती थी. प्रधान मंत्री ने  भी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। और इसी बीच जब सुनील जी के ‘Selfie With Daughter’ Campaign पर प्रधान मंत्री की नजर पडी। 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव की महिलाओं की चर्चा पहले किया जा चूका है. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गाँव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं। 

 तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं


तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों Eco-Friendly Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली। तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था। 

मंजूर अहमद, जम्मू-कश्मीर 

मंजूर अहमद। ‘मन की बात’ में, जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद  जी का जिक्र पहले के मन की बात  संस्करण में हुआ था।
प्रधानमंत्री  द्वारा यह पूछने पर की ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है, मंजूर जी  ने बताया कि बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से, जब से सर  आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहाँ बहुत बढ़ा है इस काम में।

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत Chart Share किया था। उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय products ही इस्तेमाल करेंगे। जब बेतिया के प्रमोद जी ने LED बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने mats बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना। हमने Make in India के अनेक उदाहरणों से लेकर Space Start-ups तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है।
 

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र पहले की मन की बात सेक्सकरन में किया था। विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे eco-friendly idea की बात हुई तो उनका काम और popular हो गया।

प्रदीप सांगवान जी 


‘मन की बात’ के पहले के संस्करण में प्रधान मंत्री ने  प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी। प्रदीप जी ने बताया कि शुरुआत बहुत nervous हुई थी बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएँगे कि नहीं कर पाएँगे पर थोड़ा support मिला और 2020 तक हम बहुत struggle भी कर रहे थे honestly। लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि support नहीं कर पा रहे थे। हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे। But 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़े बदल गई। मतलब पहले हम, साल में 6-7 cleaning drive कर पाते थे, 10 cleaning drive कर पाते थे। आज की date में हम daily bases पे पाँच टन कचरा इक्कठा करते हैं। अलग-अलग location से। 

झारखण्ड के संजय कश्यप जी


झारखण्ड के गांवों में Digital Library चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, Covid के दौरान E-learning के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता N.K. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं। हमने Cultural Preservation के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।

Born on Sunday: सूर्य की तरह चमकते सितारे होते है रविवार को जन्मे लोग, खूबियां जानकर आप भी हो जायेंगे हैरान

Qualities of People Borne on Sunday

रविवार का हमारे जीवन में खास महत्त्व है.अगर आप देखेंगे तो संसार की अधिकांश परंपराओं में रविवार को सप्ताह का पहला दिन माना जाता है जिस दिन का इंतनार हमें हमेशा होता है। आखिर हो भी क्यों नहीं, यह रविवार ही तो दिन होता ही जिसका उपयोग आने वाले सप्ताह की तैयारी, आराम और पूजा के लिए करते हैं। इस अद्भुत दिन का स्वामी सूर्य है।
 रविवार को जन्मे लोग सचमुच सूर्य की तरह चमकते सितारे होते हैं। ज्योतिष के अनुसर अलग-अलग दिन के अनुसार जन्‍में लोगों का व्यक्तित्व भी अलग ही होता है और इस प्रकार से तरह रविवार को जन्‍में लोगों की भी कुछ स्पेशल विशेषताएं होती है. ऐसे लोगों पर भगवान सूर्य की कृपा हमेशा बनी रहती है और यही कारण है कि इसलिये इनके जीवन पर सूर्यदेव काफी गहरा असर छोड़ते हैं। 
अक्सर लोग यह पूछते हैं कि संडे को जन्म लेने वाले लोगों की सबसे बड़ी खासियत क्या होती है और उनका स्वास्थ्य, करियर, दाम्पत्य जीवन आदिवकैसा होता है. कुंडली और ज्योतिष के अनुसार रविवार को जन्म लेने वाले लोग मिलनसार और मददगार होने के साथ ही उनमे नेतृत्व की क्षमता, और स्वाभिमानी होने के साथ ही भ्रमणशील और घूमने के शौक़ीन होते हैं. वे अपने जीवन में किसी भी परिस्थिति में हमेशा आशावादी होते हैं. सकारात्मक गुणों से भरपूर होने क्व साथ ही रविवार को पैदा होने बच्चा भाग्यशाली और खुश माना जाता है। आइये जानते हैं रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की क्या होती है विशेषता,  विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा.

रविवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तित्व का जीवन सूर्य के समान चमकीला होता है क्योकि आप जानते हैं कि सूर्य रविवार का स्वामी होते हैं. ऐसे लोग जीवन में थोड़े से संतुष्ट कभी नहीं होना चाहते भले ही वह सफलता हीं क्यों नहीं हो.

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण और उनको उपयुक्त नाम रखने के लिए अक्सर माता पिता उत्सुक और परेशान रहते हैं. हालाँकि नामकरण के पीछे भी सामान्यत:कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और घर के अनुसार रखने की परंपरा होती है और सच तो यह है कि बच्चे का नाम रखने में ज्योतिष और परंपरागत फैक्टर की भूमिका महत्पूर्ण होती है. 

इसके साथ हीं  परिवार की पसंद और आपकी खुद की राय भी जरुरी होत्ती है. हालाँकि  जन्म के दिन के आधार पर नाम रखने की परंपरा के अनुसार बच्चे के नाम का चयन भी हो सकता है। आप चाहें तो रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के लिए निम्न नामों को एक सुझाव के तौर पर ले सकते हैं. 

रविवार को जन्मे बच्चे के लिए कुछ नाम 

सूरज: सूरज रविवार का प्रतीक होता है और यह एक पॉवरफुल नाम हो सकता है।
आदित्य: आदित्य भी सूरज के देवता का नाम है और यह एक प्रसिद्ध हिन्दू नाम है।
दिनेश: दिनेश भी सूरज का एक अन्य नाम हो सकता है, जो रविवार के साथ जुड़ा होता है।
आर्यम: यह एक पॉप्युलर हिन्दू नाम है जो सूर्य के रूप में जाना जाता है।

याद रखें कि नाम चुनते समय व्यक्तिगत पसंद और परंपराओं का महत्वपूर्ण होता है, इसलिए यह आपके परिवार और आपके स्वयं के मूड और समर्थन के आधार पर आधारित होना चाहिए।

रविवार को जन्म लेने वाले लोग दूसरों को प्रेरित करते हैं और अपने जीवम वे बहुत सफल होते हैं तथा काफी सफलताएं  हासिल करते हैं. रविवार को जन्म लेने वाले लोगों का जीवन बहुत खुशहाल और सफल होता है. वे दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत होते हैं और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं. वे अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं.


Sunday को जन्म लेने वाले लोग अपने क्रिएटिव के बदौलत काफी नाम कमाते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं. 


नेतृत्व की क्षमता 
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सूर्य के गुणों से युक्त होते हैं और वे भीड़ का हिस्सा शायद ही बनकर रहें. वे हमेशा नेतृत्व करने का हौसला रखते है. ऐसे जातक जातक किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते हैं और न हीं किसी के अंदर  कार्य करना पसन्द करते हैं. ये अपना रास्ता खुद बनाना चाहते हैं और इसमें अक्सर सफल भी होते हैं. ये अच्छे व्यवस्थापक और कठोर नियम कानून में रहने के अभ्यस्त होते हैं. 

सुन्दर नेत्र और आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सुन्दर नेत्रों वाले तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक होते हैं. अपने इष्ट देव भगवान् सूर्य के तरह गंभीर व्यक्तित्व वाले होते हैं. अपने आकर्षक छवि जिसमे इनके व्यक्तित्व और बोलने की कला और दूसरे खूबियों  के कारण अन्य लोगों को शीघ्र ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है.



स्वाभिमानी अपमान स्वीकार नहीं 
रविवार को जन्मे लोगों के लिए स्वाभिमान और आत्म सम्मान की भूख अधिक होती है. यह अपने आत्म-सम्मान और अपने सम्मान के लिए हर प्रकार की कुर्बानी  के लिए तैयार रहते हैं. अपने रिश्तों के साथ हीं साथ अपने वातावरण के प्रति जहाँ ये रहते हैं, बेहद संवेदनशील होते है. किसी की अप्रिय या कड़वी बातों को भूलना इनके लिए आसान नहीं होता है और ये उसे अक्सर काफी दिनों तक भूल नहीं पाते हैं. 

घूमने का शौक़ीन 
रविवार को जन्मे जातक घूमने-फिरने के शौक़ीन होते हैं और एक जगह शायद ही स्थिर रहना चाहें. मजबूरी  के कारण उन्हें ऐसा करना पड़े तो और बात है लेकिन स्वाभाव से ये घूमने के काफी शौक़ीन होते हैं और उसे पूरा भी करते हैं. 

स्पष्ट बोलने वाले और निश्चल 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सामान्यत स्पष्ट बोलने वाले होते हैं और स्टेट फॉरवर्ड संबंधों में विश्वास करते हैं. न्यायप्रिय होते हैं लेकिन  बल पूर्वक न्याय हासिल करना अपना धर्म समझते हैं. हालाँकि ये स्वभाव से  निश्छल होते हैं और दूसरों का अहित सोच नहीं सकते हैं. 

अनुशासन युक्त जीवन 
रविवार को जन्मे जातकों में अनुशासन की भावना सर्वोपरि होती है और ये लोग खुद पर भी अनुशासन लागु करने में आगे रहते हैं. सफलता कहाँ तक मिलती है ये दूसरे बातों पर भी निर्भर करती है लेकिन अपनी ओर से अनुशासन में रहने इनकी प्राथमिकता और स्वाभाव होती है. 

महत्वकाँक्षी एवं दृढ इच्छा शक्ति के धनी 
रविवार को जन्में लोग काफी महत्वाकांक्षी होते हैं. जीवन में  ये बड़े-बड़े सपने देखते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी ओर  से पूर्ण कोशिश भी करते हैं. इनके पास  दृढ इच्छा शक्ति होती है और इसकी मदद से ऐसे जातक अपने उदेश्यों को पूरा करने में जी जान लगा देते हैं और उसे पूरा भी करते है. 

रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में
आम तौर पर ऐसा माना  जाता है कि रविवार को जन्मे लेने वाला बच्चा आकर्षक,प्रसन्न रहने वाला और बुद्धिमान होता है।  सकारात्मक गुणों से भरपूर होने क्व साथ ही रविवार को पैदा होने बच्चा भाग्यशाली और खुश माना जाता है। 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

Born of Saturday: धैर्य की कमी, दृढ़ इच्छा शक्ति के स्वामी, जुझारू व्यक्तित्व,आसानी से हार नहीं मानने वाले

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Born on Saturday: Saturday को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि ऐसे लोगों के दोस्तों की संख्या काफी कम ही होती है हालाँकि जो भी होते हैं उनपर ये लोग जान न्योछावर वाले होते हैं. नेचर के हिसाब से ये थोड़े क्रोधी होते हैं साथ ही ऐसे लोगों में धैर्य की काफी कमी होती है. Saturday को जन्म लेने वाले लोग भले ही दूसरों की बातों को काफी गंभीरता से सुनते तो हैं, लेकिन अपनी बातों को हमेशा प्राथमिता देते  हैं. जानिये शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.


क्रोधी, धैर्य की काफी कमी 
गुस्से पर काबू पाने में अक्सर ये लोग काफी असफल होते हैं और शायद यही वजह है कि इनके अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी काफी काम निभती है. ऐसे जातक अगर अपनी गुस्से पर नियंत्रण करना सीख लें तो जीवन में काफी आगे जा सकते हैं. 







प्यार व्यक्त करने में होते हैं कंजूस
जिन जातकों का जन्म शनिवार को होता है वो सामान्यत:  अंतर्मुखी प्रतिभा के धनी होते है. एकांतप्रिय होने के साथ ही वो अपनी बातों को व्यक्त करने में जल्दीबाजी कभी नहीं करते. यही वजह होता है कि प्रेम के मामलों में भी वो अपने बातों को व्यक्त नहीं कर पाते हैं. अपने प्यार का इजहार करने में काफी विलम्ब करते हैं और चाहते हैं कि  उनका पार्टनर उनके फीलिंग्स को पहचान ले... 

परिस्थितियों के गुलाम नहीं होते 
शनिवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति परिस्थितियों के स्वामी होते हैं और कभी भी उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देते.... भले ही उनके जीवन में कितने भी संघर्ष वाले दिन या संकट आये, वे उससे निकलने के लिए सही वक्त का इन्तजार करते हैं और हिम्मत नहीं हारते.... 


दृढ निश्चय के मालिक 
शनिवार को जन्म लेने वाले जातक दृढ इच्छा शक्ति के स्वामी होते हैं और अपने कार्यों को हर हाल में पूरा करना चाहते हैं. अपने लक्ष्य को पाने के लिए संसाधनों की कमी हो तो भी ये इन्हे जुटाने की क्षमता रखते हैं.  जिस किसी क्षेत्र में इन्हे कार्य का अवसर प्रदान की जाए, उसमे हीं ये सफलता के नए सोपान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं. 




नजरिया जीने का: असफलता संकेत है कि हम लक्ष्य से चूक गए, खुद को विफल व्यक्ति तो हम खुद मान लेते हैं

najariya jine ka tips to overcome fear of failure

असफलता का मतलब यह कदापि नहीं होती है कि कोई खास व्यक्ति अपने लक्ष्य से चूक गया है और अब वह बिलकुल एक असफल व्यक्ति ही होकर रह जायेगा। अगर  सफलता की कोशिश के दौरान मिली असफलता का मतलब आपने यह लगा लिया है कि आप एक विफल व्यक्ति हैं तो फिर तो आपको  अपने  सोचने के रवैये में परिवर्तन की जरुरत है। 

सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि सफलता की राह में मिली असफलता का डर एक सामान्य भावना है जो हर किसी को कभी न कभी महसूस होती है। सच तो यह है कि यह एक ऐसा डर है जो हमें नए अवसरों से पीछे हटने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करने से रोक सकता है। जरुरत इस बात कि है कि आप असफलता का डर को नियंत्रित करना सीखे क्योंकि बिना इसके जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाना असंभव हो जाएगी। असफलता के भय को दूर करने में ये टिप्स सहायक हो सकते हैं-

अपने डर को पहचानें-

सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप किस चीज से डरते हैं। क्या आप डरते हैं कि आप असफल होंगे? क्या आप डरते हैं कि लोग आपका मजाक उड़ाएंगे? या क्या आप डरते हैं कि आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करेंगे? एक बार जब आप अपने डर को पहचान लेते हैं, तो आप उनका सामना करने के लिए एक योजना बनाना शुरू कर सकते हैं।

अपने डर को चुनौती दें-

अपने डर को चुनौती देने का एक तरीका है कि आप उन चीजों को करें जिनसे आप डरते हैं। यदि आप डरते हैं कि आप सार्वजनिक रूप से बोलने में असफल होंगे, तो एक सार्वजनिक भाषण दें। यदि आप डरते हैं कि आप एक परीक्षा में असफल होंगे, तो एक कठिन परीक्षा लें। अपने डर का सामना करने से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि वे वास्तव में कितने खतरनाक हैं।



अपने आप पर विश्वास करें-

असफलता का डर अक्सर आत्म-संदेह से जुड़ा होता है। यदि आप अपने आप पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आप सफल होने की संभावना कम हैं। अपने आत्म-विश्वास को बढ़ाने के लिए, अपने गुणों और उपलब्धियों पर ध्यान दें। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आप जो कड़ी मेहनत कर रहे हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें।

अपने आप को तैयार करें-

असफलता का डर अक्सर अनिश्चितता से जुड़ा होता है। यदि आप अपने आप को तैयार करते हैं, तो आप अनिश्चितता को कम करने में मदद कर सकते हैं। अपने लक्ष्यों के लिए एक योजना बनाएं और उस पर काम करें। अपने आप को उन चीजों के लिए तैयार करें जो गलत हो सकते हैं।

अपने आप को माफ करें। 

यदि आप असफल होते हैं, तो अपने आप को माफ करना सीखें। असफलता एक सामान्य हिस्सा है। हर कोई असफल होता है। असफलता से सीखने और आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है।

असफलता का डर को नियंत्रित करना आसान नहीं है, लेकिन यह संभव है। यदि आप इन युक्तियों का पालन करते हैं, तो आप अपने डर को दूर करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक कदम आगे बढ़ सकते हैं।

लक्ष्य को पहचानें  

अपने लक्ष्यों को छोटे और अधिक प्रबंधनीय लक्ष्यों में विभाजित करें। इससे आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक आत्मविश्वास महसूस करने में मदद मिलेगी।एक समर्थन प्रणाली बनाएं। ऐसे लोगों के साथ जुड़ें जो आपके सपनों में आपका समर्थन करते हैं।

सकारात्मक सोच 

इसके लिए यह जरुरी है कि आप सकारात्मक सोच का अभ्यास करें और खुद में सबसे पहले यह विश्वाश जगाएं कि आपके अंदर ऊर्जा का अपार भण्डार है । अपने आप को यह बताएं कि आप सफल हो सकते हैं। यदि आप असफलता के भय से गंभीर रूप से पीड़ित हैं, तो एक पेशेवर चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। एक चिकित्सक आपको अपने डर का कारण समझने और उन्हें प्रबंधित करने के लिए रणनीति विकसित करने में मदद कर सकता है।

असफलता के भय से निकलने में सहायक कोट्स 

  • "असफलता सफलता का एक हिस्सा है। कोई कभी भी असफलता के बिना सफल नहीं होता है।" - माइकल जॉर्डन
  • "असफलता का डर सफलता का सबसे बड़ा अवरोध है।" - डेविड हॉकिंग
  • "असफलता एक विकल्प नहीं है। यह एक परिणाम है।" - जॉर्ज एलिस
  • "असफलता एक अवसर है कि हम शुरू से बेहतर शुरुआत करें।" - हेनरी फोर्ड
  • "असफलता का मतलब है कि आपने अपने लक्ष्य से चूक गए। इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक विफल व्यक्ति हैं।" - जॉन सी. मैक्सवेल



नजरिया जीने का: हम असफलता से नहीं, उसके भय से घबराते हैं...जानें कैसे पाएं नियंत्रण

नजरिया जीने का: भय की तरह साहस भी संक्रामक होता हैं और हम सभी इस तथ्य से परिचित हैं लेकिन  हमारी सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि  हम दिल से इसे स्वीकार नहीं कर पाते. जीवन में अगर सफल होना है तो हमें असफलता के भय पर काबू  पाना ही होगा और अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद के अंदर भय या साहस...किसका बीज खुद के अंदर रोपते हैं.... क्योंकि याद रखें....अंकुरण आपके अंदर रोपे  गए बीज में होना है और वृक्ष और फल भी उसमें हीं लगना है.... 
असफलता का डर एक ऐसा भय है जो हमें नए अवसरों से पीछे हटने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करने से रोकता है। आप असफलता का डर को नियंत्रित करना सीखे क्योंकि बिना इसके जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाना असंभव हो जाएगी। 

क्या आप जानते हैं कि हमें सफलता को हासिल करने वाले जूनून और मिली असफ़लतां के लिए सबसे बड़ी विफलता क्या है.... दोस्तों वह है असफलता का भय... हाँ दोस्तों... हम असफलता से उतना नहीं घबराते जिंतना हमें उसे मिलने वाले भय से हम विफलता के शिकार हो जाते हैं...

वास्तव में यह हमारी सोच और माइंडसेट है जो हमारी एक्शन और स्टेप्स का निर्धारण करती है... जीवन है दोस्तों तो कठिंनाइयों का मिलना तय है और आप उससे बच नहीं सकते... हाँ जीवन में मिलने वाली उन बाधाओं और कठिनाइयों को कैसे लेते हैं यह आपके पॉजिटिव और नेगेटिव सोच पर निर्भर करता है....

दोस्तों..  एक बार याद रखें... जीवन में कठिनाइयाँ हमे बर्बाद करने नहीं आती है, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में हमारी मदद करती है... ये  हमें यह बताती हैं कि हम किस मिटटी के बने हैं.. 

यह एकमात्र सत्य है क़ि अगर आप अपने लक्ष्य में सफल होना चाहते हैं तो  खुद के अंदर के भय को  दूर करने के लिए प्रयास कीजिये.... और इसके लिए सबसे जरुरी है खुद के अंदर साहस रूपी बीज को अंकुरित करें.... 

वास्तव में हमारा साहस हीं एकमात्र सच है जो  हमारे मन से भय को दूर कर सकता है. याद रखें, विफलता के डर को अलग किए बिना, आप अपने सपने को सफल नहीं बना सकते हैं और इसलिए सबसे पहले आपको अपने प्रयासों में विफलता के डर पर नियंत्रण प्राप्त करना होगा/

विंस्टन चर्चिल द्वारा भय और साहस के संदर्भ में दिए गए ऐतिहासिक उद्धरण को याद रखें ... "भय एक प्रतिक्रिया है, साहस एक निर्णय है।"

दोस्तों, जैसा कि आप जानते हैं कि "भय की तरह साहस भी संक्रामक होता हैं.... " तो जाहिर है कि  यह आप पर निर्भर करता है कि  आप खुद के अंदर भय या साहस...किसका बीज खुद के अंदर रोपते हैं.... क्योंकि याद रखें....अंकुरण आपके अंदर रोपे  गए बीज में होना है और वृक्ष और फल भी उसमें हीं लगना है.... 

किसी के रोके न रुक जाना तू,
लकीरें किस्मत की खुद बनाना तू,
कर मंजिल अपनी तू फतह,
कामयाबी के निशान छोड़ दे,
घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
-नरेंद्र वर्मा

सच तो यह है कि भय और साहस में चयन करने का निर्णय आपके मानसिकता से आएगी और इसके लिए यह जरुरी है कि आप आपने सोच और मानसिकता को मजबूत और स्वस्थ रखें....

यह आपकी मानसिकता ही हैं जो आपके अंदर विजय रूपी साहस का संचार पैदा करेगा… और आप के अंदर अंकुरित आपका साहस आपकी मानसिकता का बचाव करेगा और यह आपके प्रयासों में आपकी सफलता के लिए इसे दूर करने के लिए भय की अनुपस्थिति का रास्ता तय करेगा,,,
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी वाजपेयी



इसके लिए यह जरुरी है कि सबसे पहले आप अपने अंदर मजबूत मानसिकता को पैदा करें जो आपके अंदर साहस पैदा कर असफलता के भय को समाप्त करेगा साथ ही  विफलता के डर की भावना को गायब करने का रास्ता दिखाएगा…याद रखें... यह आपकी मानसिकता की स्थिति है और इसलिए आपको अपने आप को विकसित करना होगा…तभी आप असफलता के भय से बाहर आ पाएंगे जो सफलता के लिए सबसे जरुरी शर्त है. 

Born In December: खासियत जानकार आप हो जायेंगे हैंरान-क्रिएटिव माइंड, नेतृत्व क्षमता, संवेदनशील और साहित्य में रूचि

What is Traits for Born In December

Born In December: दिसंबर महीने में जन्मे लोग क्रिएटिव माइंड के होते हैं और संभवत: इनका रचनात्मक स्वभाव ही इन्हें दूसरों से अलग बनाता है। माने जाते हैं। कहा जाता है कि इनका रचनात्मक स्वभाव ही इन्हें दूसरों से अलग बनाता है। नेतृत्व की क्षमता इन्हे जन्म से ही प्राप्त होती है और इसलिए हीं ये पैदाइशी लीडर माने जाते हैं। विषम परिस्थिति को हैंडल करने इन्हे बखूबी आता है और अगर इन्हें कहीं भी लीड करने का मौका मिलता है तो ये बेहतरीन ढंग से अपनी जिम्मेदारियों को निभा लेते हैं। कानून और व्यवस्था के प्रति उनका गहरा सम्मान व्यक्त करने वाले होते हैं और वे शायद ही कभी नियमों का उल्लंघन करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग पूरी तरह से आशावादी रहते हैं और किसी भी मिशन के लिए शुरुआत में कभी उम्मीद नहीं छोड़ते। दिसंबर में पैदा हुए लोगों के लिए कला, संस्कृति और साहित्य के प्रति अत्यधिक लगाव र आकर्षण पाई जाती है. दिसंबर में पैदा हुए लोग दूसरों से बातचीत के दौरान अत्यधिक समझदार और संवेदनशील होते हैं। चूंकि वे एकाग्रता की गुणवत्ता प्रदर्शित करते हैं इसलिए वे पूरी एकाग्रता और उत्साह के साथ अपने लक्ष्य पर अपने ध्यान को केंद्रित करते हैं। 

कानून और व्यवस्था के लिए आदर 

दिसंबर में पैदा हुए लोगों का कानून और व्यवस्था के प्रति गहरा सम्मान होता है और वे शायद ही कभी नियमों का उल्लंघन करने की कोशिश करते हैं। वास्तव में उनका धार्मिक दिमाग मजबूत होता है और वे आध्यात्मिक और धार्मिक बातों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं। ऐसे लोग शायद ही कभी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की अवहेलना करते हैं और किसी भी कीमत पर पूरा करने की कोशिश करते हैं।



ऊर्जा से भरपूर और आशावादी

दिसंबर में पैदा हुए लोग पूरी तरह से आशावादी रहते हैं और शुरुआत में किसी भी मिशन के लिए अपने प्रयासों पर भरोसा रखते हैं. वे अंत तक अपने प्लान को पूरा करने की उम्मीद रखते हैं और निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते हैं। वे अपनी पूरी कोशिश करते हैं और अपने लक्ष्य या लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनके पास उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग करते हैं जो उन्होंने अपने जीवन के लिए निर्धारित किए हैं। मेहनती दिमाग के कारण ये किसी भी परियोजना के बीच में कभी हार नहीं मानते थे और अपनी परियोजना को अंत तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।

कलम को तलवार से अधिक शक्तिशाली मानते हैं 

दिसंबर में पैदा हुए लोगों को तलवार से ज्यादा कलम की ताकत पर भरोसा होता है। कला और संस्कृति के सच्चे अनुयायी होने के नाते, वे इस तथ्य में विश्वास करते हैं कि वे अपनी आध्यात्मिकता, लेखन, कला या वाणी से दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं जो तलवार की ताकत से हासिल नहीं किया जा सकता है। ऐसे लोगों के लिए कलम दूसरों से संवाद करने का अंतिम साधन है और दर्शन, धर्म, अध्यात्म और गूढ़ विज्ञान के साथ उनका आकर्षण उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

Guru Nanak Jayanti 2023: कब है गुरु नानक जयंती और इस दिन क्यों मनाया जाता है प्रकाश पर्व?


गुरु नानक देव जयंती 2023 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा, जो कि 27 नवंबर, सोमवार को है। यह सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन का उत्सव है। 

इक ओंकार सिख धर्म के मूल दर्शन का प्रतीक है, जिसका अर्थ है 'परम शक्ति एक ही है'. गुरू नानक देव जी ने सिख समुदाय की नींव रखी थी. इसीलिए सिखों के पहले गुरू कहे जाते हैं. गुरु नानक देव जी का असली नाम 'नानक' था.

क्या होता है गुरुपर्व

गुरुपर्व (पंजाबी: ਗੁਰਪੁਰਬ (गुरुमुखी)), जिसे वैकल्पिक रूप से गुरुपर्व या गुरुपरुब के रूप में जाना जाता है, सिख परंपरा में एक गुरु के जन्म की सालगिरह का उत्सव है जिसे एक त्योहार के आयोजन द्वारा चिह्नित किया जाता है।

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को पंजाब के तलवंडी नामक गांव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में सभी धर्मों के लोगों को एकता और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने सामाजिक सुधारों के लिए भी काम किया और जाति व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास किया।


गुरु नानक का जन्मदिन कैसे मनाते हैं? 

गुरु नानक देव जी की जयंती को सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। इसके अलावा, भजन-कीर्तन, लंगर और प्रभात फेरी जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। 

सिख लोग इस दिन का वर्षों से इन्तजार करते हैं और इस दिन को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं. इस दिन को लोग हर साल लोग सड़कों पर आतिशबाजी और जुलूस के साथ गुरु नानक का जन्म मनाते हैं। सिख मंदिरों - गुरुद्वारों में - सिखों की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब, को पूरा पढ़ा जाता है। मोमबत्तियाँ घरों और सार्वजनिक स्थानों जैसे कार्यालयों और दुकानों में जलाई जाती हैं। 


 गुरु नानक देव जी के अनमोल विचार

1 अहंकार, ईर्ष्या, लालच, लोभ मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देते हैं। ऐसे में इनसे दूर रहना चाहिए।"

2. हमें अपनी कमाई का दसवां हिस्सा परोपकार के लिए और अपने समय का दसवां हिस्सा प्रभु सिमरन या ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहिए। 

3.ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है। सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।  ईश्वर सब जगह उपस्थित हैं। ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी बात का भय नहीं रहता है।

4. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए।

5. सत्य को जानना हर एक चीज से बड़ा है और उससे भी बड़ा है सच्चाई से जीना। 




छठ पूजा 2023: छठ घाटों को डिजाइनर गेटों और रंगीन रोशनी से सजाएं, जानें टिप्स

Chhath puja How to Decorate Chhth Ghat Tips

छठ पूजा 2023: नहाय खान और खरना के सफलतापूर्वक उत्सव के बाद,अब संध्या अर्ध्य की बारी है जो घरों के आस-पास में स्थित  निकटतम तालाब या नदी पर आयोजित की जाती है। व्रती और परिवार के अन्य सदस्य संध्या अर्ध्य के लिए छठ घाट पहुँचते हैं जहाँ भगवन सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. 

सूर्य को संध्या अर्घ्य

चूँकि छठ पूजा का मुख्य कार्य भगवान सूर्य की पूजा करना है और यह छठ पूजा के तीसरे दिन होता है जब हम सूर्य देव को शाम का अर्घ्य देते हैं।   आम तौर पर लोग निकटतम नदी या तालाब पर जाते हैं, जहां वे घाटों को सजाते हैं और घर की महिलाएं भगवान सूर्य को प्रार्थना करती हैं।

हालाँकि छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है जिसे आमतौर पर भव्य उत्सव के पहले चरण के रूप में जाना जाता है। छठ पूजा सूर्य देव को पृथ्वी पर जीवन प्रदान करने के लिए धन्यवाद देने और कुछ इच्छाओं को पूरा करने का अनुरोध करने के लिए समर्पित है। 



छठ पूजा की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें न केवल सिर्फ व्रती  और उनके परिवार के लोग बल्कि पड़ोस के लोग भी इसमें सम्मिलित होते हैं.  लोग लोगों के सुचारू आवागमन के लिए लोग सड़कों सहित अपने आसपास के इलाकों को साफ करते हैं। लोग छठ घाटों और क्षेत्र को विभिन्न रंगीन रोशनी के साथ डिजाइनर द्वारों से भी सजाते हैं।

संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य देने के लिए लोग हमेशा छठ घाटों को रंगीन और प्रभावशाली तरीके से सजाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।

लोग, आमतौर पर परिवार के पुरुष सदस्य अपनी उपलब्धता के अनुसार नदियों/तालाबों के किनारे छठ घाटों को सजाते हैं। क्षेत्र के पास नदियों/तालाबों के अभाव में, आजकल लोग छठ पूजा मनाने के लिए अपने घरों की छत पर छठ घाट बनाते हैं और उसे सजाते हैं।

छठ घाटों को सजाने के लिए लोग केले के पेड़ों का इस्तेमाल करते हैं, जो हर हिंदू अवसर पर बहुत शुभ माना जाता है। हालाँकि, अब समय बदल गया है और आज लोग छठ घाटों को नया रूप देने के लिए रंगीन रोशनी और अन्य चीजों सहित नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हैं।

घाटों को खूबसूरत लुक देने के लिए लोग छठ घाटों पर अलग-अलग रंगों की मदद से रंगोली भी बनाते हैं।

कहने की जरूरत नहीं है कि छठ पूजा की उत्पत्ति मूल रूप से बिहार से हुई है, लेकिन अब छठ पूजा भारत के लगभग सभी हिस्सों में मनाई जाती है। बिहार ही नहीं, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल देश को ऐसा सशक्त क्षेत्र कहा जा सकता है, जहां छठ पूजा पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है।

कार्तिक स्नान 2023 : जाने क्या है महत्त्व, सुबह मुहूर्त, स्नान करने के नियम और भी बहुत कुछ

Kartik Snan Importance how to Celebrate Fast Reason

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र मास माना जाता है और यही कारण है कि कार्तिक महीने में विशेष रूप से पूजा और देवताओं के लिए विशेष रूप से अर्चना का योग बनता है. सबसे पतित्र और आस्था का महा पर्व छठ के साथ ही दीपावली, तुलसी विवाह, कार्तिक पूर्णिमा, भैया दूज, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा के साथ ही कार्तिक स्नान का भी विशेष स्थान है. हिन्दू मान्यता के अनुसर इस मास में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कार्तिक स्नान का महत्व निम्नलिखित है:

  • कार्तिक स्नान से मनुष्य के शरीर से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं।
  • कार्तिक स्नान से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • कार्तिक स्नान से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है और उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • कार्तिक स्नान से मनुष्य की बुद्धि बढ़ती है और उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • कार्तिक स्नान से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


कार्तिक स्नान कब मनाते हैं

हिन्दू पंचांग के अनुसार  कार्तिक पूर्णिमा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। 2023 में कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर 2023 को सोमवार को मनाई जाएगी।

कार्तिक स्नान कैसे मनाते हैं

हिन्दू पंचांग और मान्यताओं के अनुसार कार्तिक स्नान का विशेष स्थान है. ऐसा कहा गया है कि स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। स्नान करने से पहले घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर, किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। स्नान करते समय "आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च।" मंत्र का जाप करें। स्नान करने के बाद, स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु को प्रसाद अर्पित करें।


कार्तिक स्नान करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:

  • कार्तिक स्नान करने से पहले किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • कार्तिक स्नान करते समय किसी भी प्रकार का अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए।
  • कार्तिक स्नान करने के बाद, किसी भी प्रकार का झूठ बोलना नहीं चाहिए।
  • कार्तिक स्नान एक पवित्र पर्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
कार्तिक स्नान क्यों किया जाता है?

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में ही भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं जैसा कि देवउठान एकादसी भी मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवन विष्णु अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और इस मास में भगवान विष्णु पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच जल में निवास करते हैं. इसलिए कार्तिक माह में गंगा स्नान का विशेष महत्व है.

कार्तिक पूर्णिमा 2023: जाने महत्व, पूजा विधि, उपवास और अन्य विस्तृत जानकारी

Kartol Purnima 2023 Importance Vrat Vidhi Importance

 कार्तिक पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो कार्तिक के पवित्र महीने में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा जिसे आमतौर पर पूर्णिमा, पूनम, पूर्णमासी और पूर्णिमासी के नाम से जाना जाता है, 27 नवंबर, 2023 को मनाई जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा आमतौर पर हिंदू कैलेंडर में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार हिंदुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा वह दिन है जब भगवान विष्णु ने राक्षस तारकासुर को हराया था। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय के जन्म से भी जुड़ा है।

कार्तिक पूर्णिमा कैसे मनायें

कार्तिक पूर्णिमा को मनाने के लिए विशेष रूप से स्थानीय लोगों और सामुदायिक स्तर पर कई अनुष्ठान होते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सभी लोग इस संबंध में सांस्कृतिक विरासत का पालन करते हुए कार्तिक पूर्णिमा को पारंपरिक और उत्तम तरीके से मनाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा मनाने के कई तरीके हैं। कुछ सबसे आम परंपराओं में शामिल हैं:

पवित्र स्नान (कार्तिक स्नान): भक्तों का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा पर किसी नदी या अन्य पवित्र जल में पवित्र स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है।

उपवास: कई हिंदू कार्तिक पूर्णिमा पर उपवास रखते हैं। आमतौर पर शाम को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है।

प्रार्थना करना और दीये जलाना: भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अपने घरों और मंदिरों में दीये (तेल के दीपक) जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे बुरी आत्माएं दूर रहती हैं और सौभाग्य आता है।

दान-पुण्य: कार्तिक पूर्णिमा को दान-पुण्य करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। हिंदुओं का मानना है कि इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

मंदिरों में जाना: कई हिंदू कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिरों में जाकर प्रार्थना करते हैं और विशेष समारोहों में भाग लेते हैं।

सात्विक भोजन करना: सात्विक भोजन एक प्रकार का भोजन है जिसे शुद्ध और सात्विक माना जाता है। यह आम तौर पर शाकाहारी होता है और ताजी, मौसमी सामग्री से बनाया जाता है। कई हिंदू अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा पर सात्विक भोजन करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा कई कारणों से हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने, भगवान विष्णु से आशीर्वाद लेने और अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का समय है। यह त्यौहार परिवार और दोस्तों के एक साथ आने और उत्सव में भाग लेने का भी समय है।

अपने धार्मिक महत्व के अलावा, कार्तिक पूर्णिमा के कई सांस्कृतिक और सामाजिक लाभ भी हैं। यह त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामुदायिक संबंधों को मजबूत करता है। यह शांति, सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।

कार्तिक पूर्णिमा एक सुंदर और सार्थक त्योहार है जिसे दुनिया भर के हिंदू बहुत खुशी और भक्ति के साथ मनाते हैं। यह दुनिया में अच्छाई पर विचार करने और भगवान विष्णु से आशीर्वाद लेने का समय है।

स्मार्टफोन और बचपन : बच्चों की मासूमियत और उनके निर्दोष बचपन को छीन रहे है स्मार्टफोन

Smartphone and its Impact on Children
बच्चे और स्मार्टफोन: स्मार्टफोन एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग बच्चों को शिक्षित, सामाजिक रूप से जुड़ा हुआ और रचनात्मक बनाने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, माता-पिता को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए कि उनके बच्चे इसका उपयोग सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से कर रहे हैं।स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 
तेज और भागदौड़ वाली जिंदगी जहाँ माता-पिता अपने जिम्मेदारियों से छुटकारा पाने के लिए अपने बच्चों को स्मार्टफोन सौप कर तात्कालिक निजात पाना आसान हल समझते हैं समस्याओं का, उन्हें पता नहीं होती कि ऐसा कर वे बच्चों के हाथों से मासूमियत और उनके निर्दोष बचपन को छीन रहे है. बच्चों की हाथों में थमाया गया स्मार्टफोन से उनके भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार में काफी नकारात्मक बदलाव देखने को मिलती है. विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि  कि कई वीडियो गेम और ऐप बच्चों की एकाग्रता और ध्यान की समस्याओं को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इसमें  किसी प्रकार का  कोई संदेह नहीं हो सकती की यह यह तकनीक ही है जिसने हमारे जीवन को आसान बना दिया है और नवीनतम विकास ने हमारे जीवन को इतना आसान बना दिया है कि हम इनके बिना इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन, क्या यह सच नहीं है कि जिस तरह से तकनीकी उपकरणों ने हमें आकर्षित किया है, हम उसके लिए कुछ ज्यादा ही कीमत पे कर रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं बच्चों और उनकी स्मार्ट फ़ोन पर उनकी निर्भरता के बारे में.

माता-पिता को अपने व्यक्तिगर या पेशेवर असाइनमेंट में व्यस्त रहने के कारन ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को स्मार्टफोन देकर कुछ देर के लिए भले हीं छुटकारा तो पा लेते हैं... लेकिन सच यह है कि यह बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक पहल है. 

तथ्य यह है कि ये छोटी-छोटी आदतें इन बच्चों के लिए घातक और हानिकारक हो गई हैं...कहा गया है...अगर हम समय के भीतर अपनी आदतों को बदलने में असमर्थ रहे तो...यह हमारे  लिए एक नशे की लत की तरह बन जाते हैं। 

 इसलिए हमारे बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की आवश्यकता है, इस तथ्य के बावजूद कि हम लॉकडाउन की स्थिति के कारन ज्यादातर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के दौर से गुजरना पड़ता है।

माता-पिता के रूप में, क्या यह हमारे बच्चे पर स्मार्टफोन के बढ़ते प्रभाव के बारे में चिंतित होने के बारे में पुनर्विचार करने का उपयुक्त समय नहीं है? कुछ समय के लिए उनसे छुटकारा पाने के लिए अपने स्मार्टफोन को अपने बच्चों को सौंपना हमारे लिए एक फैशन बन गया है। 

लेकिन ऐसे समय में जब स्मार्टफोन हमारे शरीर और जीवन पर अपना नकारात्मक प्रभाव दिखा रहा है, क्या यह हमारे बच्चे के शरीर और उनके समग्र विकास पर इसके नकारात्मक प्रभाव के साथ चिंता का विषय नहीं है?

एक बच्चे के लिए स्मार्टफोन प्राप्त करना आसान है और लगता है कि वे कम उम्र में तकनीक से परिचित होने की प्रक्रिया में हैं। लेकिन, स्मार्टफोन की लत का बच्चे पर क्या असर होता है? माता-पिता होने के नाते, यह सोचना हमारा कर्तव्य है कि स्मार्टफोन बच्चे के समग्र विकास और विशेष रूप से उसके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण को खतरे में डालने के लिए पर्याप्त है।

 आप समझ सकते हैं और नोटिस कर सकते हैं कि एक बच्चे के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल उसकी लत बन सकता है और इस तरह की लत उन्हें बुरी तरह से उलझाने के लिए काफी है और यह उनके दिमाग के रचनात्मकता मोड़ को भी बाधित करता है।

यह आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन यह सच है कि स्मार्टफोन का अधिक उपयोग अवसाद के रूप में बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है और इससे अच्छी नींद की कमी होती है।

विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों द्वारा स्मार्टफोन पर अधिक से अधिक समय बिताने से उनके भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार में बदलाव भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। यह साबित नहीं हुआ है कि कई वीडियो गेम और ऐप बच्चों की एकाग्रता और ध्यान की समस्याओं को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त हैं।

माता-पिता के लिए सुझाव

माता-पिता स्मार्टफोन के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ावा देने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्मार्टफोन का उपयोग करने के लिए बच्चों के लिए नियम निर्धारित करें। ये नियम स्क्रीन टाइम की सीमा, उपयोग के लिए अनुमत अनुप्रयोगों और उपयोग के लिए अनुमत समय को निर्धारित कर सकते हैं।
  • अपने बच्चों के साथ स्मार्टफोन के उपयोग के बारे में बात करें। उन्हें बताएं कि स्मार्टफोन का उपयोग करने के क्या फायदे और नुकसान हैं।
  • अपने बच्चों के ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे सुरक्षित हों, उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले अनुप्रयोगों और वेबसाइटों की जांच करें।

चार धाम: जाने चार दिशाओं में स्थित इन चार महान धामों के बारे मेम


चार दिशाओं में हैं चार धाम: उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में जगन्नाथ पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम और पश्चिम में  द्वारका- पाएं विस्तृत जानकारी

 हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार बद्रीनाथ (उत्तराखंड),द्वारका (गुजरात), जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) और रामेश्वरम (तमिलनाडू) चार धाम है जो विभिन्न देवी-देवताओं और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं.आश्चर्यजनक रूप से ये चरों धार भारत के चारों दिशाओं में स्थित है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित ये चार वैष्णव तीर्थ हैं जहाँ हर हिंदू को अपने जीवन काल मे अवश्य जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इन तीर्थ स्थलों पर जाने से हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है । इसमें उत्तर दिशा मे बद्रीनाथ, पश्चिम की ओर द्वारका, पूर्व दिशा मे जगन्नाथ पुरी और दक्षिण मे रामेश्वरम धाम है। आइये जानते हैं इन प्रमुख चार धामों के बारे में विस्तृत जानकारी. 

भारत के चार धाम और सम्बंधित राज्य निम्न हैं. 

  • बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
  • द्वारका (गुजरात)
  • जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)
  • रामेश्वरम (तमिलनाडू )


बद्रीनाथ (Badrinath): 

यह धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है  यहां बद्रीनाथ मंदिर है, जिसमें विष्णु के बद्रीनाथ रूप की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पूर्वी धाम है। बद्रीनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक चरणपादुका (पैर की छाप) स्थापित है. बद्रीनाथ मंदिर को 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने बनवाया था. मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें से कुछ हैं:

तप्त कुंड: यह एक गर्म पानी का कुंड है, जिसका पानी पवित्र माना जाता है.

नारद कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान नारद को समर्पित है.

ब्रह्म कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान ब्रह्मा को समर्पित है.

गरुड़ चट्टान: यह एक चट्टान है, जिस पर भगवान गरुड़ का पदचिह्न है.

वेद व्यास गुफा: यह एक गुफा है, जहां वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी.

बद्रीनाथ एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घेरा हुआ है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है. बद्रीनाथ एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है, जहां लोग आकर आराम और शांति पा सकते हैं.

जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri): 

जगन्नाथ पुरी भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक विशाल मंदिर के लिए जाना जाता है. मंदिर को 12वीं शताब्दी में ओडिशा के राजा अनंतवर्मन ने बनवाया था. मंदिर का निर्माण लाल और सफेद बलुआ पत्थर से किया गया है और यह 135 फीट ऊंचा है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित हैं. भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.

जगन्नाथ पुरी एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से दीवारों से घेरा हुआ है और केवल हिंदू ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. मंदिर के परिसर में एक विशाल रथ यात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर शहर के चारों ओर घुमाया जाता है. रथ यात्रा एक अत्यंत भव्य और रंगीन उत्सव है, जो लाखों लोगों को आकर्षित करती है. यह धाम ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बालभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। यह मंदिर चार धामों में से पश्चिमी धाम है।


रामेश्वरम् (Rameswaram):

 यह धाम तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम में श्री रामेश्वर स्वामी मंदिर है, जिसमें शिव के पृथ्वी तत्व को दर्शाने वाली ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है। यह मंदिर चार धामों में से दक्षिणी धाम है। 

रामेश्वरम भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक द्वीप शहर है. यह शहर हिंदुओं के चार धामों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित रामेश्वरम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. रामेश्वरम मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद किया था. मंदिर में भगवान शिव का एक लिंग स्थापित है, जिसे रामलिंगम कहा जाता है. रामेश्वरम मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं.

रामेश्वरम एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर रामायण के कई घटनाओं से जुड़ा हुआ है. रामेश्वरम में रामेश्वरम द्वीप, रामेश्वरम मंदिर, धनुषकोटि, सीतामीनार और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं. रामेश्वरम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं.

रामेश्वरम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है.

द्वारका (Dwarka):

 यह धाम गुजरात राज्य के द्वारका जिले में स्थित है। द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पश्चिमी धाम है। 

द्वारका भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर और नगरपालिका है. द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है. यह हिन्दुओं के चारधाम में से एक है और सप्तपुरी (सबसे पवित्र प्राचीन नगर) में से भी एक है. यह श्रीकृष्ण के प्राचीन राज्य द्वारका का स्थल है और गुजरात की सर्वप्रथम राजधानी माना जाता है.


द्वारका का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने मथुरा से निकाले जाने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी. द्वारका नगरी सोने और चांदी से बनी थी और यह बहुत ही समृद्ध थी. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी का वर्णन महाभारत के आठवें स्कंध में मिलता है. महाभारत में कहा गया है कि द्वारका नगरी एक बहुत ही सुंदर नगरी थी. द्वारका नगरी में कई मंदिर और महल थे. द्वारका नगरी में एक बहुत ही विशाल समुद्र तट भी था. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी आज भी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका नाम द्वारकाधीश मंदिर है. द्वारकाधीश मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है. द्वारकाधीश मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.


द्वारका नगरी एक बहुत ही पवित्र नगरी है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपना राज्य चलाया था और उन्होंने अपने भक्तों को बहुत सारी शिक्षाएं दी थीं. द्वारका नगरी एक बहुत ही ऐतिहासिक नगरी भी है. द्वारका नगरी में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो आज भी मौजूद हैं.


द्वारका नगरी एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है. द्वारका नगरी में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के मंदिरों के अलावा, कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही सुंदर समुद्र तट भी है. द्वारका नगरी एक बहुत ही शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है.

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।