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Point Of View : नेलसन मंडेला-जानें उनका संघर्ष, जीवन, कोट्स और भी बहुत कुछ



नेल्सन रोलीह्लला मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले नेल्सन मंडेला के जन्म दिवस को  दिन18 जुलाई  को मनाया जाता है। 
अफ्रीका में सदियों से जारी रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष के लिए नेल्सन मंडेला ने दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया। अपने आंदोलन के लिए तत्कालीन सरकार ने उन्हें कई सालों तक जेल में डाले  रखा। लेकिन सरकार की ज्यादती भी मंडेला के इरादों को डिगा नहीं सकी। 

मंडेला देश के पहले अश्वेत  राष्ट्रपति बने जिनका कार्यकाल  1994 से 1999 तक रहा।

सरकार के खिलाफ रंगभेद निति के विरोध के कारण उन्होंने 27 साल जेल में बिताए। आखिरकार सरकार ने उन्हें 11 फरवरी 1990 को जेल से आजाद किया।
अवार्ड
1993 में मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
नेलसन मंडेला को भारत सरकार ने 1990 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया।

1992 में मंडेला को पाकिस्तान सरकार ने निशाने पाकिस्तान से सम्मानित किया था।
नेलसन मंडेला के महत्वपूर्ण कोट्स
1. शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।
2. आप किसी काम में तभी सफल हो सकते हो जब आप उस पर गर्व करे।
3. मैं कोई मसीहा नहीं था, बल्कि एक साधारण व्यक्ति था जो असाधारण परिस्थितियों के कारण एक लीडर बन गया।

नवरात्रि: माँ अम्बे की आरती


भगवान की आरती  उतरना हम सभी बचपन मे हीं अपने घरों से सीखते हैं। शायद ही कोई ऐसा हिन्दू घर होगा जहां पूजा पाठ के दौरान बच्चा आरती से रु बरु नहीं होता है। आरती के दौरान हमेशा खड़ा हो जाना और अंत मे दीपक के लौ को अपने बाल पर लगाना और फिर भगवान का आशीर्वाद लेना हम अपने घरों से हीं सीखते हैं। आरती के दौरान भक्तगन आरती मे जलते दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि  हम सभी भक्तगण आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें।

माँ अम्बे की आरती 

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

 

Chaitra Navtarti 2024 Shailpurti and Nine form of Goddess Durga

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि: 
नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। 
 शारदीय नवरात्रि  2024 का आरंभ इस वर्ष  03 अक्टूबर 2024  से आरंभ हो चुकी है । नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है।


दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


नवरात्रि 2024 के अनुसार, माता दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन निम्नलिखित है:

शैलपुत्री : 

पहला रूप शैलपुत्री है, जो शैल (पर्वत) की पुत्री कहलाती हैं। इस रूप में माता का ध्यान शुद्धता और त्याग में होता है। वह एक कमंडलु और लोटा धारण करती हैं। देवी शैल पुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है जिसका उल्लेख पुराण में किया गया है। ऐसा कहा गया है कि देवी दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों में शैपुत्री प्रथम हैं। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, शैलपुत्री को सती का पुनर्जन्म माना जाता है और वह दक्ष शैलपुत्री की बेटी थीं।

ब्रह्मचारिणी:

 दूसरे रूप में माता ब्रह्मचारिणी हैं, जो तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा करती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का नाम नवदुर्गा माता के नौ रूपों में से एक है। इस रूप में माँ दुर्गा को तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा का दर्शाया जाता है। 

ब्रह्मचारिणी का स्वरूप उत्तम ध्यान, तपस्या, और संयम का प्रतीक है।  ब्रह्मचारिणी के हाथों में माला और कमंडलु होती है। माला का प्रतीक है ध्यान और मनन, जबकि कमंडलु तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक होती है। वे साधारणतः सफेद वस्त्र पहनती हैं जो उनकी शुद्धता और सात्विकता को दर्शाता है।

चंद्रघंटा: 

तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा हैं, जो चंद्र के आकार की स्थापना करती हैं। वह चंद्रमा के रूप में विशेष आसन पर बैठती हैं।  वे चाँद से प्रकाशित होती हैं और उनके मुख पर एक विशालकाय चंद्रमा की प्रतिमा होती है।

चंद्रघंटा माँ के चेहरे की दृष्टि शांतिप्रद होती है, लेकिन उनका रूप विक्रमी और महान होता है। वे अपने दो हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने चेहरे पर चंद्रमा के रूप का चंद्रकोटि धारण करती हैं। चंद्रघंटा माँ के चंद्रकोटि के बीच एक तिरंगा होता है, जो अभिनवता और शक्ति का प्रतीक होता है। उनके साथ अक्षमाला, बेल, और धूप-दीप का सामान होता है, जो पूजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। चंद्रघंटा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उन्हें भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि माँ चंद्रघंटा हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

कुष्माण्डा देवी:

नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। उनकी आंखों का रंग लाल होता है और उनके मुख पर एक उग्र मुस्कान होती है। उनके मुख के एक स्वरूप में उनके आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। कुष्माण्डा माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडलु होती है। वे एक शूल और एक बिखरी चाकू धारण करती हैं, जो उनकी उत्पत्ति की प्रतीक हैं। कुष्माण्डा माँ का वाहन एक शेर होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। कुष्माण्डा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्त समस्याओं और बाधाओं का निवारण प्राप्त करते हैं, और उन्हें सार्थक और समृद्धिशाली जीवन प्राप्त होता है। उनकी पूजा भक्तों को शक्ति और साहस का आशीर्वाद प्रदान करती है।

स्कंदमाता: 

पांचवे रूप में माता स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। स्कंदमाता, नवदुर्गा माता के पांचवे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत प्रसन्न और सुंदर होता है। वह एक बालक को अपने गोद में ले कर बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) को प्रतिनिधित करता है। उनकी विगति आध्यात्मिक और आनंदमयी होती है, और वे आकर्षक साध्वी के रूप में विशेषता दिखाती हैं।स्कंदमाता माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में बच्चों की संतान, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कात्यायनी: 

छठे रूप में माता कात्यायनी हैं, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। कात्यायनी देवी का स्वरूप अत्यंत महान और उदार होता है। वह चेहरे पर प्रसन्नता और सौम्यता का प्रतीक होती हैं, लेकिन उनकी दृष्टि उग्र और प्रभावशाली होती है। कात्यायनी देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वीणा होती है। उनके दो हाथ और एक मुद्रा में विशेषता दिखाते हैं, जो उनके शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कात्यायनी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और वीरता को प्रतिनिधित करता है। कात्यायनी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय देती हैं। 

कालरात्रि: 

सातवें रूप में माता कालरात्रि हैं, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं।कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यधिक उग्र और भयंकर होता है। वह काली के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं, जिनका चेहरा उग्रता और अद्भुतता से भरा होता है। उनके मुख पर विशालकाय चाकु की प्रतिमा होती है, और उनके आंखों में अग्नि की ज्वाला लगती है। कालरात्रि देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में काले रंग का घड़ा होता है। उनकी तीसरी हाथ में दमरू होता है, और चौथे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कालरात्रि देवी का वाहन भालू होता है, जो उनकी शक्ति और संरक्षण को प्रतिनिधित करता है। कालरात्रि माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शक्ति, साहस, और अभय की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी भयों और संकटों को दूर करती हैं, और उन्हें संरक्षण और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

महागौरी देवी

 नवदुर्गा माता के आठवें रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को शुभ और पवित्र स्वरूप में पूजा जाता है। इस रूप में माँ दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप शानदार और दिव्य होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी निर्मलता और पवित्रता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है, जो उनकी दयालुता और प्रसन्नता को प्रतिनिधित करती है। महागौरी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। महागौरी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शुभ और पवित्र गुणों को प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी दुःखों और बुराइयों को दूर करती हैं, और उन्हें शांति और सुख का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री:

 नौवें रूप में माता सिद्धिदात्री हैं, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वह अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन को धारण करती हैं। ये नौ रूप माता दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जो नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। सिद्धिदात्री देवी, नवदुर्गा माता के नौवें और अंतिम रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को सर्वशक्तिमान सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ (अच्छे परिणाम) प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप अत्यधिक प्रसन्न और उदार होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और उनकी आंखों में अनंत दया और स्नेह की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके हाथों में उज्जवल और शुभता की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी का वाहन गदा होता है, जो उनकी सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिनिधित करता है। सिद्धिदात्री माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में सिद्धियाँ, सफलता, और अनुग्रह प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


दशहरा 2024: असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छे के विजय का प्रतीक है विजयादशमी

Happy Dussehra Wishes Facts

दशहरा 2024 :
नवरात्रि जो कि माँ दुर्गा के विभिन्न 9  रूपों के पूजन के बाद  दशहरा या विजयदशमी 2024  का त्यौहार  है. नवरात्रि के दौरान हम माता दुर्गा के सभी रूपों का पूजन करते हैं।  9 दिनों से माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों के पूजन के बाद आने वाले दशहरा या विजयदशमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्यत:बुराई पर अच्छाई की जीत के  उपलक्ष्य में मनाया जाता है. 

नवरात्र के 10 दिनों के लंबे उत्सव के बाद, अंतिम दिन को विजयदशमी और दशहरा के रूप में भी जाना जाता है। पूरे देश के लिए दशहरे का अपना महत्व है जो भारत के लोगों द्वारा मनाया जा जाता है जो इस वर्ष 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

दशहरा या विजयादशमी के अवसर पर लोग रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलाते हैं। कहने की जरूरत नहीं है, अगर आप रामायण के महाकाव्य के माध्यम से जाते हैं, तो रावण, मेघनाद और कुंभकरण सभी बुराई के प्रतीक थे। उन्होंने रामायण की कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन गलत कारण के लिए और इसलिए लोग हमारे समाज में बुराई का संदेश देने के लिए तीनों का पुतला जलाते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, विजयादशमी या दशहरा लंबे दस दिनों के नवरात्रि उत्सव की परिणति पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्योहार के दसवें दिन, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं।

हालाँकि विजयदशमी या दशहरा हिंदू परंपरा के अनुसार इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का भी प्रतीक है. लोग बुराई (महिषासुर) पर अच्छाई (देवी दुर्गा) की जीत का कारण मनाने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं। साथ ही लोग विजयदशमी या दशहरा के दिन को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में भी मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह विजयदशमी या दशहरा का दिन था जब भगवान राम को बुराई पर सफलता मिलती थी, यानी रावण जिसे बुराई का प्रतीक माना जाता है. 

नवरात्री के दौरान देश में खास तौर पर रामलीला का मंचन किया जाता है जहाँ भगवान् राम और रामायण के प्रसंगों  को भी प्रदर्शित किया जो दस दिनों के नवरात्रि उत्सव के दौरान का प्रमुख उत्सव हैं। नवरात्री के अंत में लोग असत्य पर सत्य के विजयस्वरुप परंपरागत रूप से, रावण, मेघनाद और कुंभकरण के तीन पुतलों को बुराई को चिह्नित करने के लिए दशहरे पर जलाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन और अनुष्ठान, तिथि और भी बहुत कुछ

Navratri Know the 9 Manifestation of Goddess Dugra

शारदीय नवरात्रि 2024 : देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी को की जाती है।  ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.

नवरात्रि प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है जो माता  दुर्गा की पूजा करने का गौरवशाली अवसर है। जैसा कि  हम सभी जानते हैं कि सामान्यता  दो नवरात्रि के प्रमुख अवसर होते हैं-चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र.  चैत्र नवरात्र मूल रूप से चैत्र के महीने में आते हैं, जो कि 12 हिंदी महीने का पहला महीना है। शरद नवरात्र आमतौर पर हिंदी महीने में अश्विन के महीने में पड़ता है। आम तौर पर माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन किया जाता है जो हैं-शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

इस साल साल 2024  की शारदीय नवरात्रि 03  अक्टूबर से शुरू होगी और 12  अक्टूबर को समाप्त होगी.  शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानिए देवी दुर्गा के नौ अवतार

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 

शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


नवरात्र के अवसर पर हम नवदुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हालाँकि, पहले दिन हम देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे पहले हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के कुल नौ स्वरूपों की पूजा की गई है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

शैलपुत्री को पर्वत हिमालय की पुत्री माना जाता है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि शैपुत्री देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में प्रथम है। देवी शैलपुत्री को प्रकृति माता का पूर्ण रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री का जन्म पर्वतों के राजा, हिमालय शैल के घर में हुआ था और इसलिए उन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है।

ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी अभिव्यक्ति है जिसे हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है और हम नवरात्र के तीसरे दिन पूजा करते हैं।

कुष्मांडा देवी दुर्गा की चौथी अभिव्यक्ति है और नवरात्र के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। पांचवीं कुष्मांडा, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और देवी सिद्धिदात्री देवी दुर्गा की नौवीं अभिव्यक्ति हैं।

Shardiya Navratri 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 रूपों के बारे में, महत्व और पूजन विधि


Navratri Maa Dugra ke 9 rup aur significance

नवरात्री 2024: देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी को की जाती है।  ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.
मां दुर्गा  की आराधना और माता रानी के पूजन को समर्पित नवरात्रि  2024  का आरंभ 03  अक्टूबर 2024 से आरंभ हुई जो 12  अक्टूबर को समाप्त होगी.  हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। साल भर में चैत्र और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है जब हम माता दुर्गा के सभी रूपों का पूजन करते हैं। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना करने का विधान होता है। 

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ये रूप हैं:
  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कुष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री 

  • नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय के घर देवी ने पुत्री के रूप में जन्म लिया और इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। 
  • मां ब्रह्मचारिणी दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल लिए हुई हैं।
  • मां शैलपुत्री को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है तथा भक्त यह मानते हैं कि माता शैलपुत्री जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का सर्वोच्च शिखर प्रदान करती हैं। 
  • माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रहता है तथा इनका वाहन वृषभ (बैल) है।
  •  मां शैलपुत्री का पूजन घर के सभी सदस्य के रोगों को दूर करता है एवं घर से दरिद्रता को मिटा संपन्नता को लाता है। 


द्वितीय दुर्गा मां ब्रह्मचारिणी

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि  शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। 
  •  मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। 
  •  देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें  संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  • कहा जाता है कि  मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने और उनका कृपा प्राप्त करने के लिए कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

तृतीय दुर्गा चंद्रघण्टा

  • नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है.
  • मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है, जिस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
  • मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं जिनमें कमल का फूल, कमंडल, त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष और बाण है।
  • माता का एक हाथ जहाँ आशीर्वाद देने की मुद्रा में रहता है वही  दूसरा हाथ सदैव भक्तों के लिए अभय मुद्रा में रहता है, जबकि शेष बचा एक हाथ वे अपने हृदय पर रखती हैं।
  • मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है। 
  • ऐसी मान्यता है कि  माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा इनकी कृपा से भक्तों को अपने  मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।


चतुर्थ दुर्गा कूष्मांडा

  • देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा की जाती है 
  • ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.
  • माँ कूष्मांडा काआठवां हस्त सर्व सिद्धि और सर्व निधि प्रदान करने वाली जपमाला से सुशोभित रहती हैं। 


पंचम दुर्गा मां स्कंदमाता 

  • नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता का पूजन किया जाता है।
  •  ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: श्वेत है
  •  मां की चार भुजाएं हैं और मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है और ऊपर वाली बाई भुजा से आशीर्वाद देती हैं। 
  • मां  स्कंदमाता का वाहन सिंह हैऔर इस रूप को पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है। 
  • ऐसा कहा जाता है कि मां स्कंदमाता वात्सल्य विग्रह होने के कारण इनकी हाथों में कोई शस्त्र नहीं होता। 
  • मां स्कंदमाता के स्वरुप के पूजन और प्रसन्नता से भक्तगण को ज्ञान की प्राप्ति होती है क्यंकि माँ स्कन्द माता को  को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।


षष्ठी दुर्गा मां कात्यायनी 

  • नवरात्री के छठे दिन मां कात्यायनी स्वरुप का पूजा किया जाता है. 
  • ऐसी मान्यता है कि ऋषि के गोत्र में जन्म लेने के कारण इन देवी का नाम कात्यायनी पड़ा।
  • मां का रंग स्वर्ण की भांति अन्यन्त चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। 
  • मां कात्यायनी देवी को अति गुप्त रहस्य एवं शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. 
  • ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी के पूजन से मनुष्य के आंतरिक सूक्ष्म जगत से नकारात्मकता होता है तथा वहां सकारात्मक  ऊर्जा प्राप्त होती है.  
  • देवी कात्यायनी का वाहन खूंखार सिंह है जिसकी मुद्रा तुरंत झपट पड़ने वाली होती है। 


सप्तम दुर्गा मां कालरात्रि 

  • देवी कालरात्रि की पूजा हम नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं।
  • मां कालरात्रि के बारे में कहा जाता है कि इनकी पूजा मात्र से हीं मनुष्यों को भय से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. 
  •  माता कालरात्रि तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली हैं। 
  • मां के चार हाथ और तीन नेत्र हैं। 
  • मां  कालरात्रि की पूजन से अनिष्ट ग्रहों द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव और बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं.
  • माता कालरात्रि का यह रूप उग्र एवं भयावह है जिनके बारे में मान्यता है की वह काल पर भी विजय प्राप्त करने वाली हैं। 
  • इनका वाहन गर्दभ (गधा) होता है। 


अष्टम दुर्गा मां महागौरी

  • नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी का पूजन किया जाता है.
  • ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था. \
  • ऐसी मान्यता है कि प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अर्धांगिनी रूप में स्वीकार किया तथा भगवन की कृपा से पवित्र गंगा की जलधारा जब माता पर अर्पित की तो उनका रंग गौर हो गया। 
  • माता महागौरी का वाहन वृषभ है। 


नवम दुर्गा माँ सिद्धिदात्री

  • नवरात्रि के अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है.
  •  जैसा कि नाम से ही प्रतीत होती है, देवी का यह स्वरुप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं.
  • सिद्धिदात्री माता के कारण ही अर्धनारीश्वर का जन्म हुआ है जिनका वाहन सिंह है। 
  • माँ सिद्धिदात्री के दाएं और के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र रहता है.
  • नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा के उपरांत कन्या पूजन करना चाहिए जिससे देवी सबसे अधिक प्रसन्न होती हैं

शारदीय नवरात्री 2024: जानें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा तिथि, महत्व और अन्य जानकारी

Navratri Manifestation  of 9 Goddess form of Dugra
शारदीय नवरात्रि 2024: 
शारदीय नवरात्रि  2024 का आरंभ इस वर्ष  03 अक्टूबर 2024  से आरंभ हो चुकी है । नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है। 
यह एक नौ दिवसीय त्योहार है जो हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है. नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा और नौवां दिन दशमी के रूप में जाना जाता है. 

क्या होता है चैत्र और शारदीय नवरात्र दोनों मे विशेष अंतर?

चैत्र और शारदीय नवरात्रि दोनों ही  नवरात्रि का अलग-अलग रूप है जो हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार हैं। लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं। चैत्र नवरात्रि सामान्यत: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिन्दी के चैत्र मास में मनाई जाती है। वहीं शारदीय नवरात्रि सामान्यत: आश्विन मास के अश्विनी पक्ष में मनाया जाता है, जो सितंबर या अक्टूबर में होता है।

चैत्र नवरात्रि खासतौर पर ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्री  उत्सव भारत भर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर पश्चिमी भारत में। नवरात्री के इन दिनों में, लोग धार्मिक परंपराओं, रस्मों, और उत्सवों में भाग लेते हैं, जिनमें दंगल, रास लीला, गरबा, दंडिया रास, और दुर्गा पूजन शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि शारदीय नवरात्री का त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. नवरात्रि के दौरान, लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. वे देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री.


मुख्य तौर पर नवरात्री वर्ष में दो अवसरों पर मनाये जाते हिन् जिन्हे हम मौसम के अनुसार विभाजित करते हैं-चैत्र और शरद नवरात्र। चैत्र नवरात्र मूल रूप से चैत्र के महीने में आते हैं, जो कि 12 हिंदी महीने का पहला महीना है।

नवरात्रि मनाने के लिए, भक्त एक ही देवता की पूजा करते हैं, विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। नवरात्र के अवसर पर हम नवदुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हालाँकि, पहले दिन हम देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे पहले हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के कुल नौ रूपों की पूजा की गई है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


 शैलपुत्री को पर्वत हिमालय की पुत्री माना जाता है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि शैपुत्री देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में प्रथम है। देवी शैलपुत्री को प्रकृति माता का पूर्ण रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री का जन्म पर्वतों के राजा, हिमालय शैल के घर में हुआ था और इसलिए उन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है।

आमतौर पर हम नवरात्र को मनाने के लिए दो अवसरों का उपयोग करते हैं जिन्हें चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के नाम से जाना जाता है। प्रसिद्ध हिंदू चैत्र नवरात्रि हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में शुरू होती है। चैत्र हिंदी 12 महीने का पहला महीना है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च/अप्रैल में माना जाता है।

 ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी अभिव्यक्ति है जिसे हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है और हम नवरात्र के तीसरे दिन पूजा करते हैं।

 कुष्मांडा देवी दुर्गा की चौथी अभिव्यक्ति है और नवरात्र के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। पांचवीं कुष्मांडा, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और देवी सिद्धिदात्री देवी दुर्गा की नौवीं अभिव्यक्ति हैं।

नवरात्रि में भक्तगण माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और मनाने के लिए, भक्त एक ही देवता की पूजा और अनुष्ठान करते हैं।

नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती

जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने  पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

शारदीय नवरात्रि मां ब्रह्मचारिणी: जानें महिमा, कैसे करें पूजन

Goddess Brahmacharini how to worshipp

नवरात्रि के दूसरे दिन हम मां दुर्गा के जिस स्वरूप को पूजा करते हैं उन्हें  मां ब्रह्मचारिणी के नाम से बुलाते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है जिनके बारे में मान्यता है कि उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

ऐसी मान्यता है कि  शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

 मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। 

 देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें  संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।कहा जाता है कि  मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने और उनका कृपा प्राप्त करने के लिए कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

महात्मा गांधी विश्व नेताओं की नज़र में @अल्बर्ट आइंस्टीन, मार्टिन लूथर किंग, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला और अन्य


मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, भारत के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्होंने 1922 में असहयोग आंदोलन और 1930 में नमक मार्च और बाद में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में देश का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी वह व्यक्तित्व थे जिन्होंने सत्य और अहिंसा के अपने दर्शन से लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया। अहिंसक प्रतिरोध के उनके दर्शन, जिसे अक्सर "सत्याग्रह" के रूप में संदर्भित किया जाता है, ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया और आज भी नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रभावित करना जारी रखता है।

गांधी ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया, जिनमें महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता दलाई लामा और शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध नागरिक अधिकार नेताओं में से एक, मार्टिन लूथर किंग जूनियर किंग ने गांधी के बारे में उनके लेखन और 1959 में भारत की यात्रा के माध्यम से जाना। किंग ने अपने नागरिक अधिकार अभियान में अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत से बहुत कुछ सीखा।

महात्मा गांधी के विचार शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक हैं और वे आज भी हमारे समाज के लिए आवश्यक हैं। महात्मा गांधी की शिक्षाएं एक सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारे सामूहिक दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करने के लिए पर्याप्त हैं।

आने वाली पीढ़ियां, शायद ही कभी यह विश्वास करेंगी कि इस तरह का एक व्यक्ति कभी इस धरती पर चला था।अल्बर्ट आइंस्टीन

"महात्मा गांधी मेरे राजनीतिक गुरु हैं। उनकी शिक्षाओं ने मुझे स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष के सबसे अंधेरे क्षणों में एक नैतिक दिशा प्रदान की।"- नेल्सन मंडेला

"ईसा मसीह ने हमें प्रेम का लक्ष्य दिया और गांधी ने हमें विधि दी।" बराक ओबामा: "गांधी ने मुझे प्रेम और करुणा से संचालित होने वाली दुनिया के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।"- मार्टिन लूथर किंग जूनियर

"गांधी की विरासत मानवता के लिए शांति और आशा की विरासत है।"- एंजेला मर्केल

"महात्मा गांधी मानव स्वभाव की गहरी समझ रखने वाले एक महान इंसान थे और उन्होंने मानव क्षमता के सकारात्मक पहलुओं के पूर्ण विकास को प्रोत्साहित करने और नकारात्मक को कम करने या नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास किया।" - दलाई लामा

जस्टिन ट्रूडो: "महात्मा गांधी इतिहास में एक महान व्यक्ति थे, और उनकी शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती हैं।"

महात्मा गांधी की शिक्षाएँ और विचार आज भी लोगों को प्रकाश प्रदान कर रहे हैं और उनके उद्धरण आपको प्रज्वलित करने के लिए पर्याप्त शक्ति रखते हैं।

गांधी के उद्धरण।

"आपको वह बदलाव खुद बनना चाहिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।"

"खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है दूसरों की सेवा में खुद को खो देना।"

"आँख के बदले आँख लेने से पूरी दुनिया अंधी हो जाती है।"

"आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, आप मुझे यातना दे सकते हैं, आप इस शरीर को नष्ट भी कर सकते हैं, लेकिन आप मेरे दिमाग को कभी कैद नहीं कर सकते।"

"अगर इसमें गलती करने की आज़ादी शामिल नहीं है, तो आज़ादी बेकार है।"

"किसी देश की महानता और उसकी नैतिक प्रगति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।" पहले, वे आपको अनदेखा करते हैं, फिर वे आप पर हंसते हैं, फिर वे आपसे लड़ते हैं, फिर आप जीत जाते हैं।"

"ऐसे जियो जैसे कि कल ही मरना है। ऐसे सीखो जैसे कि हमेशा के लिए जीना है।"

Point Of View : फादर्स डे को कैसे खास बनाएं, अपनाएं ये 5 तरीके- महत्वपूर्ण Quotes


Point Of View : फादर्स डे 2024 को  एक विशेष और यादगार पल बनाने क लिए सबसे जरूरी यह है कि आप अपने पापा को यह महसूस कराएं कि वह आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और आप उनसे कितना प्यार करते हैं। याद रखें, भले ही कोई भी पिता सच्चे सुपरहीरो होते हैं जो अपने परिवार के लिए  दिन हो या रात , सर्दी हो या गर्मी या बरसात, अपने कर्तव्य पथ  पर चल रहे होते हैं । क्योंकि उन्हे यह पता होता है कि उनके लगातार चलते कदम उस परिवार के लिए उम्मीद होती है जो घर बैठे उनके इंतजार कर रहे होते हैं। भले कि किस भी पिता के पास  शक्तियों का भंडार नहीं होता है लेकिन उनके पास हमेशा एक महापुरुष होता है।

फादर्स डे हर साल दुनिया भर में हमारे जीवन में पिता के योगदान को याद करने और हमारे जीवन में उनकी उपस्थिति की सराहना करने के लिए मनाया जाता है। जीवन की कल्पना पिता के बिना नहीं की जा सकती, जिन्हें हमारे जीवन में हर मुस्कान का कारण माना जाता है और यही कारण है कि लोग अपने पिता के बलिदान को सरप्राइज पार्टी आयोजित करने, हाथ से बने उपहार बनाने, उनका पसंदीदा भोजन पकाने या उन्हें किसी यात्रा पर ले जाने जैसे यादगार इशारों से स्वीकार करते हैं। भारत सहित कई देश जून के तीसरे रविवार को यह त्यौहार मनाते हैं।

बदलें खुद को: "नजरिया जीने का" के साथ 

जैसा कि पूरी दुनिया फादर्स डे मनाने के अपने-अपने तरीके देख रही है...निश्चित रूप से हमारे लिए पिता के योगदान को याद करने के लिए एक नए जोश और जीत के साथ, यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनसे हम इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना सकते हैं। हाँ, फादर्स डे मनाने के लिए, हमें यह सोचना चाहिए कि कुल मिलाकर आप इस फादर्स डे को खास बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? 

1. पिता के साथ समय बिताना: 

सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने प्यारे पिता के साथ समय बिताना एक पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपहार होगा...हां, इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुत सारे अतिरिक्त तनाव और काम हैं जिन्हें पूरा करना है, लेकिन पिता के साथ समय बिताना एक पिता के लिए उपयुक्त और संतोषजनक उपहार हो सकता है।

2. उनके योगदान को याद रखें: 

किसी के योगदान को याद करने का सबसे उपयुक्त तरीका उसकी प्रशंसा करना है। आपको परिवार के लिए उनके नैतिक और भावनात्मक समर्थन को याद रखना चाहिए, जिस पर हमारे परिवार की मजबूत इमारत खड़ी हुई है। पिता के भावनात्मक और नैतिक और शारीरिक समर्थन के मजबूत कंधों के बिना परिवार की मजबूत इमारत का निर्माण कैसे किया जा सकता है। निश्चित रूप से आपको उनके योगदान को याद रखना चाहिए और उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।

3. अपने भावनात्मक क्षणों को साझा करें: 

वास्तव में फादर्स डे केवल एक दिन को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह उनके साथ अपनी भावनाओं और भावनाओं को साझा करने का दिन है। हां, अपने भावनात्मक और भावुक भावनाओं को उनके साथ महत्वपूर्ण क्षणों में साझा करना न भूलें। आपको अपने परिवार के साथ बिताए जीवन के सभी शानदार पलों को साझा करना चाहिए, खास तौर पर अपने पिता के साथ। आपको उनके सम्मान, प्यार और पूरे जीवन में उनके समर्थन को भी याद रखना चाहिए, जिसके लिए हमारा परिवार उनके साथ खड़ा है।

4. पिता की बात सुनें: 

बेशक पिता हमेशा के लिए आपके परिवार के शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्ति नहीं होते, लेकिन वे अभी परिवार के लिए अधिक सम्मान और आदर के हकदार हैं। हां, एक पिता अपने पूरे युवा और महत्वपूर्ण दिन को परिवार के स्तंभ के रूप में खड़ा करने में बिताता है और इसलिए यह आपका कर्तव्य है कि आप हमारे परिवार के लिए इन संघर्षों और संघर्षों के पीछे उनके संघर्षों और कहानियों को सुनें। हो सकता है कि उनके पास हर बार की तरह शारीरिक रूप से मजबूत न हो, लेकिन उनके पास आपके साथ साझा करने के लिए कई कहानियाँ हैं और इसलिए पहले उनकी बात सुनें और फिर अपनी भावनाओं को साझा करें।

5. उन पर ध्यान दें-

चूंकि यह परिवार के साथ पिता के योगदान को याद करने का सबसे अच्छा दिन है, इसलिए अपने पिता की पसंद और शौक का ध्यान रखें। निश्चित रूप से यह पिता का दिन है, इसलिए उन्हें अपने हिसाब से दिन मनाने का फैसला करने दें। हां, आप बस उनका ख्याल रखें और उनका साथ दें, लेकिन उन्हें दिन की योजना के बारे में फैसला करना होगा।

Father  Day महत्वपूर्ण उद्धरण

  • कोई भी व्यक्ति पिता बन सकता है, लेकिन पिता बनने के लिए किसी विशेष व्यक्ति की आवश्यकता होती है। – ऐनी गेडेस
  • पिता आपको यह नहीं बताता कि वह आपसे प्यार करता है। वह आपको दिखाता है। – दिमित्री द स्टोनहार्ट
  • एक बच्चे के जीवन में पिता की शक्ति बेजोड़ है। – जस्टिन रिकलेफ़्स
  • पिता वह होता है जो आपको गिरने पर पकड़ना चाहता है, लेकिन इसके बजाय वह आपको उठाता है, आपको झाड़ता है, और आपको फिर से प्रयास करने देता है। – अज्ञात
  • उसके लिए, पिता का नाम प्रेम का दूसरा नाम था। – फैनी फ़र्न
  • पिता न तो हमें रोकने वाला लंगर है, न ही हमें वहाँ ले जाने वाला पाल, बल्कि एक मार्गदर्शक प्रकाश है जिसका प्रेम हमें रास्ता दिखाता है। – अज्ञात
  • पिता सच्चे सुपरहीरो होते हैं। उनके पास भले ही महाशक्तियाँ न हों, लेकिन उनके पास हमेशा एक महापुरुष होता है। – अज्ञात
  • पिता की मुस्कान एक बच्चे के पूरे दिन को रोशन करने के लिए जानी जाती है। – सुसान गेल
  • पिताजी, आपका प्यार और समर्थन मेरे मार्गदर्शक सितारे रहे हैं। हैप्पी फादर्स डे!
  • मैं जितना बड़ा होता जा रहा हूँ, मेरे पिता उतने ही समझदार होते जा रहे हैं। - जेम्स मैकलॉगलिन
  • कोई भी मूर्ख बच्चा पैदा कर सकता है। पिता बनने के लिए एक आदमी की जरूरत होती है। - फ्रैंकलिन पी. जोन्स
  • पिता वह होता है जिसे आप चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएँ, सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। - अज्ञात
  • मेरे पिता ने मुझे वह सबसे बड़ा उपहार दिया जो कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति को दे सकता है; उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। - जिम वाल्वानो
  • एक पिता सौ से अधिक स्कूल मास्टर होते हैं। - जॉर्ज हर्बर्ट
  • पिता सबसे साधारण व्यक्ति होते हैं जिन्हें प्यार ने नायक, साहसी, कहानीकार और गीतकार बना दिया है। - पाम ब्राउन
  • पिता की मुस्कान बच्चे के पूरे दिन को रोशन करने के लिए जानी जाती है।" - सुसान गेल
  • एक अच्छा पिता हमारे समाज में सबसे अनसुना, अप्रशंसित, अनदेखा और फिर भी सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है। - बिली ग्राहम

चार धाम: जाने चार दिशाओं में स्थित इन चार महान धामों के बारे में


चार दिशाओं में हैं चार धाम: उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में जगन्नाथ पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम और पश्चिम में  द्वारका- पाएं विस्तृत जानकारी

भारत के चार धाम चार प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल हैं जो देश के चार दिशाओं में स्थित हैं। ये चार धाम जिन्हे प्रमुख तौर पर जाना जाता है-बद्रीनाथ (उत्तर दिशा), द्वारका (पश्चिम दिशा), पुरी (पूर्व दिशा) तथा रामेश्वरम (दक्षिण दिशा) का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है और इन्हें जीवन में एक बार अवश्य दर्शन करने योग्य माना जाता है। ये चार धाम तीर्थस्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी अत्यधिक हैं। यहां की यात्रा आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। आइए, इन चार धामों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

 हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार बद्रीनाथ (उत्तराखंड),द्वारका (गुजरात), जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) और रामेश्वरम (तमिलनाडू) चार धाम है जो विभिन्न देवी-देवताओं और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं.आश्चर्यजनक रूप से ये चरों धार भारत के चारों दिशाओं में स्थित है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित ये चार वैष्णव तीर्थ हैं जहाँ हर हिंदू को अपने जीवन काल मे अवश्य जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इन तीर्थ स्थलों पर जाने से हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है । इसमें उत्तर दिशा मे बद्रीनाथ, पश्चिम की ओर द्वारका, पूर्व दिशा मे जगन्नाथ पुरी और दक्षिण मे रामेश्वरम धाम है। आइये जानते हैं इन प्रमुख चार धामों के बारे में विस्तृत जानकारी. 

भारत के चार धाम और सम्बंधित राज्य निम्न हैं. 

  • बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
  • द्वारका (गुजरात)
  • जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)
  • रामेश्वरम (तमिलनाडू )


बद्रीनाथ (Badrinath): 

यह धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है  यहां बद्रीनाथ मंदिर है, जिसमें विष्णु के बद्रीनाथ रूप की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पूर्वी धाम है। बद्रीनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक चरणपादुका (पैर की छाप) स्थापित है. बद्रीनाथ मंदिर को 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने बनवाया था. मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें से कुछ हैं:

तप्त कुंड: यह एक गर्म पानी का कुंड है, जिसका पानी पवित्र माना जाता है.

नारद कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान नारद को समर्पित है.

ब्रह्म कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान ब्रह्मा को समर्पित है.

गरुड़ चट्टान: यह एक चट्टान है, जिस पर भगवान गरुड़ का पदचिह्न है.

वेद व्यास गुफा: यह एक गुफा है, जहां वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी.

बद्रीनाथ एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घेरा हुआ है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है. बद्रीनाथ एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है, जहां लोग आकर आराम और शांति पा सकते हैं.

जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri): 

जगन्नाथ पुरी भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक विशाल मंदिर के लिए जाना जाता है. मंदिर को 12वीं शताब्दी में ओडिशा के राजा अनंतवर्मन ने बनवाया था. मंदिर का निर्माण लाल और सफेद बलुआ पत्थर से किया गया है और यह 135 फीट ऊंचा है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित हैं. भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.

जगन्नाथ पुरी एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से दीवारों से घेरा हुआ है और केवल हिंदू ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. मंदिर के परिसर में एक विशाल रथ यात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर शहर के चारों ओर घुमाया जाता है. रथ यात्रा एक अत्यंत भव्य और रंगीन उत्सव है, जो लाखों लोगों को आकर्षित करती है. यह धाम ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बालभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। यह मंदिर चार धामों में से पश्चिमी धाम है।


रामेश्वरम् (Rameswaram):

 यह धाम तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम में श्री रामेश्वर स्वामी मंदिर है, जिसमें शिव के पृथ्वी तत्व को दर्शाने वाली ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है। यह मंदिर चार धामों में से दक्षिणी धाम है। 

रामेश्वरम भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक द्वीप शहर है. यह शहर हिंदुओं के चार धामों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित रामेश्वरम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. रामेश्वरम मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद किया था. मंदिर में भगवान शिव का एक लिंग स्थापित है, जिसे रामलिंगम कहा जाता है. रामेश्वरम मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं.

रामेश्वरम एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर रामायण के कई घटनाओं से जुड़ा हुआ है. रामेश्वरम में रामेश्वरम द्वीप, रामेश्वरम मंदिर, धनुषकोटि, सीतामीनार और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं. रामेश्वरम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं.

रामेश्वरम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है.

द्वारका (Dwarka):

 यह धाम गुजरात राज्य के द्वारका जिले में स्थित है। द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पश्चिमी धाम है। 

द्वारका भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर और नगरपालिका है. द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है. यह हिन्दुओं के चारधाम में से एक है और सप्तपुरी (सबसे पवित्र प्राचीन नगर) में से भी एक है. यह श्रीकृष्ण के प्राचीन राज्य द्वारका का स्थल है और गुजरात की सर्वप्रथम राजधानी माना जाता है.


द्वारका का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने मथुरा से निकाले जाने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी. द्वारका नगरी सोने और चांदी से बनी थी और यह बहुत ही समृद्ध थी. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी का वर्णन महाभारत के आठवें स्कंध में मिलता है. महाभारत में कहा गया है कि द्वारका नगरी एक बहुत ही सुंदर नगरी थी. द्वारका नगरी में कई मंदिर और महल थे. द्वारका नगरी में एक बहुत ही विशाल समुद्र तट भी था. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी आज भी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका नाम द्वारकाधीश मंदिर है. द्वारकाधीश मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है. द्वारकाधीश मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.


द्वारका नगरी एक बहुत ही पवित्र नगरी है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपना राज्य चलाया था और उन्होंने अपने भक्तों को बहुत सारी शिक्षाएं दी थीं. द्वारका नगरी एक बहुत ही ऐतिहासिक नगरी भी है. द्वारका नगरी में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो आज भी मौजूद हैं.

द्वारका नगरी एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है. द्वारका नगरी में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के मंदिरों के अलावा, कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही सुंदर समुद्र तट भी है. द्वारका नगरी एक बहुत ही शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है.


चार धाम यात्रा का क्रम क्या है?

ऐसा माना जाता है कि यमुनोत्री से यात्रा की शुरुआत करने पर बिना किसी बाधा के आपकी चारधाम यात्रा पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही शास्त्रों में वर्णित है कि, यात्रा की शुरुआत पश्चिम से की जाती है और पूर्व में समाप्त होती है इसलिए भी सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किये जाते हैं। तीर्थयात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, गंगोत्री की ओर बढ़ती है, केदारनाथ पर जाती है और अंत में बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यात्रा सड़क या हवाई मार्ग से पूरी की जा सकती है। कुछ भक्त दो धाम यात्रा या दो तीर्थस्थलों - केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थयात्रा भी करते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।


Born of Saturday: बुद्धिमान, व्यावहारिक, अनुशासनप्रिय, धुन का पक्का और भी बहुत कुछ

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Born on Saturday:

जैसा कि आप जानते हैं कि सप्ताह में सात दिन होते हैं और हर दिन का एक स्वामी ग्रह होता है। हिन्दू पंचांग और ज्योतिष के अनुसार किसी खास दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति पर उसके स्वामी ग्रह का प्रभाव देखने को मिलता है। यहां हम बात करेंगे शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों जिस दिन के देवता भगवान शनिदेव होते हैं।  शनि के प्रभाव से व्यक्ति काफी मेहनती होता है साथ ही जैसा कि शनि प्लानेट कि गति काफी धीमी होती है, वैसे ही वह धीरे-धीरे ही सही, लेकिन ये अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होते हैं. जानिये शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.

शनिवार को जन्मे लोग दृढ़निश्चयी होने के साथ ही साथ वे मेहनती और जीवन के प्रति सख्त दृष्टिकोण अपनाते हैं। अनुशासन प्रिय तथा बुद्धिमान और पेशेवर होते हैं जिनके लिए जीवन का खास महत्व होता है। एस्ट्रोलॉजी और विज्ञान के अनुसार शनि गृह अपने पथ पर काफी धीमी गति से घूमता है और जाहिर है कि शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों पर शनि ग्रह का काफी इन्फ्लुएंस रहते है.  

अनुशासनप्रिय होते हैं 

वे धीमे होने के साथ  स्थिर, मेहनती, अनुशासित और दूसरों से अलग होते हैं। शनिवार को जन्मे लोगों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे  बुद्धिमान और व्यावहारिक होते हैं साथ हीं इनके जीवन में सख्त सीमाएँ  और अनुशासनप्रिय होते हैं शनिवार को जन्मे लोग शनि ग्रह के प्रभाव में पैदा होते हैं और जाहिर  है कि उनका जीवन शनि ग्रह के प्रभाव के अनुसार होता है। उनका संघर्ष निरंतर रहता है जो उन्हें मजबूत बनाता है और हर चीज से उबरने के लिए दृढ़ संकल्पित होना होता है अर्थात  उनके जीवन मे संघर्ष लगा रहता है । वे के साथ ही वे अत्यधिक अनुशासित हैं।

मेहनती और धुन का पक्का

शनि के प्रभाव से व्यक्ति काफी मेहनती और धुन का पक्का होता है. भले ही सफलता मिलने में कुछ देरी हो सकती है लेकिन वह व्यक्ति  धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होते हैं. ये लोग थोड़े गंभीर प्रवृति के होते हैं और खुलने में काफी वक्त ले ले सकते हैं.  लेकिन परिवार के लोगों के साथ इनके संबंधों में कई बार मतभेद देखने को मिलते हैं. शनिवार को जन्मे लोग हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं. वैसे इनका स्वभाव क्रोधी हो सकता है. 


क्रोधी, धैर्य की काफी कमी 
गुस्से पर काबू पाने में अक्सर ये लोग काफी असफल होते हैं और शायद यही वजह है कि इनके अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी काफी काम निभती है. ऐसे जातक अगर अपनी गुस्से पर नियंत्रण करना सीख लें तो जीवन में काफी आगे जा सकते हैं. 






प्यार व्यक्त करने में होते हैं कंजूस
जिन जातकों का जन्म शनिवार को होता है वो सामान्यत:  अंतर्मुखी प्रतिभा के धनी होते है. एकांतप्रिय होने के साथ ही वो अपनी बातों को व्यक्त करने में जल्दीबाजी कभी नहीं करते. यही वजह होता है कि प्रेम के मामलों में भी वो अपने बातों को व्यक्त नहीं कर पाते हैं. अपने प्यार का इजहार करने में काफी विलम्ब करते हैं और चाहते हैं कि  उनका पार्टनर उनके फीलिंग्स को पहचान ले... 

परिस्थितियों के गुलाम नहीं होते 
शनिवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति परिस्थितियों के स्वामी होते हैं और कभी भी उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देते.... भले ही उनके जीवन में कितने भी संघर्ष वाले दिन या संकट आये, वे उससे निकलने के लिए सही वक्त का इन्तजार करते हैं और हिम्मत नहीं हारते.... 

दृढ निश्चय के मालिक 
शनिवार को जन्म लेने वाले जातक दृढ इच्छा शक्ति के स्वामी होते हैं और अपने कार्यों को हर हाल में पूरा करना चाहते हैं. अपने लक्ष्य को पाने के लिए संसाधनों की कमी हो तो भी ये इन्हे जुटाने की क्षमता रखते हैं.  जिस किसी क्षेत्र में इन्हे कार्य का अवसर प्रदान की जाए, उसमे हीं ये सफलता के नए सोपान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं. 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।