Point Of View : इन टिप्स से करें एक्जाम स्ट्रेस को गायब
Point of View : सोशल मीडिया के दौर मे दुनिया जुड़ें, लेकिन अपनी जड़ों से कटकर नहीं
दुनिया से जुड़े पर अपनों से दूर
आज के दौर मे जहां हम सोशल मीडिया और मोबाईल फोन जैसे अत्याधुनिक संसाधनों के साथ रहते हुए भी खुशी और अपने लोगों के प्रेम को भूल चुके हैं, अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हमें याद दिलाता है कि खुशी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें हर दिन खुशी के क्षणों को खोजने और उन्हें संजोने का प्रयास करना चाहिए। सच्चाई तो यह है कि सोशल मीडिया के इस युग मे हम चाहे दुनिया से भले हीं
कनेक्ट हो गए हैं, लेकिन अपने माता-पिता और भाई बहन से काफी दूर हो गए हैं जो की प्रसन्नता और खुशी के लिए सबसे प्रभावी और सस्ता श्रोत हैं।
हेनरी डेविड थोरो ने जीवन के लिए खुशी को लेकर व्याख्या करते हुए क्या खूब कहा है कि "खुशी एक तितली की तरह है, जिसे आप जितना अधिक पीछा करते हैं, वह उतनी ही दूर रहेगी, लेकिन अगर आप अपना ध्यान दूसरी चीजों पर केंद्रित करते हैं, तो यह आएगी और धीरे से आपके कंधे पर बैठ जाएगी।"
अक्सर हम कहते हैं की "संतोषम परम सुखम" लेकिन खुद पर जब इसका प्रयोग करना होता है तो हम भूल सा जाते हैं। इस संदर्भ मे अज्ञात के इस कथन को हमेशा याद रखें-"खुशी का रहस्य यह नहीं है कि हमेशा अधिक पाने की कोशिश करें, बल्कि जो आपके पास है उसका आनंद लेना है।"
नकारात्मक पहलुओं ने हमेशा से लोगों के खुशी को उनसे छीना है और इसके लिए यह जरूरी था की लोगों के बीच सकरात्मकता फैलाई जाए। यह दिन सकारात्मकता और आशावाद को बढ़ावा देता है, जो व्यक्तियों और समुदायों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
वैश्विक कल्याण को बढ़ावा देना भी प्रमुख उदेश्य है ताकि इसके माध्यम से दुनिया भर के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालकर उनके जीवन में अच्छाई और उजाले को शामिल किया जाए।
खुशी के संदर्भ मे राल्फ वाल्डो इमर्सन की उस उक्ति को अवश्य याद रखें जिसमें उन्होंने कहा है कि -"खुशी कोई मंजिल नहीं है, यह एक यात्रा है।" जीवन मे प्रसन्नता और खुशी को लेकर महात्मा गांधी का यह कथन लाजवाब और सटीक है कि -"खुशी वह है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, वह सामंजस्य में होता है"
स्वामी विवेकानंद: जीवन परिचय, शिक्षाएं, उपलब्धियां तथा अन्य जानकारी
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं, इसलिए भारत में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने साहित्य, दर्शन और धर्म का भी अध्ययन किया, और इस क्षेत्र में माता-पिता तथा शिक्षकों से सहायता मिली। विवेकानंद (1863-1902) विवेकानंद का चरित्र उनके गुरु से बिलकुल अलग था।हालाँकि, वे केवल आध्यात्मिकता से संतुष्ट नहीं थे। जिस सवाल ने उन्हें लगातार परेशान किया, वह था उनकी मातृभूमि की पतित स्थिति। अखिल भारतीय दौरे के बाद उन्होंने पाया कि "गरीबी, गंदगी, मानसिक शक्ति की कमी और भविष्य के लिए कोई उम्मीद नहीं थी।
अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ब्रह्म समाज और साधु संतों के पास भटकने के बाद, नरेन्द्रनाथ रामकृष्ण परमहंस के शरण में पहुंचे। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर 1881 में उन्होंने रामकृष्ण को गुरु माना और संन्यास जीवन की शुरुआत की।
उनका उद्देश्य था भारतीय संस्कृति, वेदांत और योग के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाना।आत्मनिर्भरता, आत्मबल और मानव सेवा के वे प्रबल समर्थक थे और इसलिए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हम ही अपने सभी दुखों और अपने सभी पतन के लिए जिम्मेदार हैं"।
उन्होंने अपने देशवासियों से अपने उद्धार के लिए काम करने का आग्रह किया। इसलिए उन्होंने अपने देशवासियों को जगाने और उनकी कमजोरियों को याद दिलाने का काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने उन्हें "गरीबों के लिए सहानुभूति, उनके भूखे मुँह को रोटी और बड़े पैमाने पर लोगों को ज्ञान देने के लिए जीवन और मृत्यु तक संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।"
1893 में विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में अखिल विश्व धर्म सम्मेलन (धर्म संसद) में भाग लिया। वहाँ उनके भाषण ने अन्य देशों के लोगों पर गहरी छाप छोड़ी और इस तरह दुनिया की नज़र में भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद की।
रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के दर्शन धर्मों के सामंजस्य के इर्द-गिर्द घूमते थे। और यह सामंजस्य व्यक्ति की ईश्वर चेतना को गहन करने से इसकी अनुभूति होती है।
Point Of View: रामनवमी- जानें भगवान राम के चरित्र के कौन-कौन से हैं 16 गुण
भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मर्यादाओं का हमेशा पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मित्र थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इन मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया.
सच तो यह है कि इस उपनाम के माध्यम से भगवान राम की विशेषता और उनके जीवन में अनुसरण करने लायक आदर्शों को दर्शाने का प्रयास किया जाता है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम उनकी महानता के लिए दिया गया उपाधि है जिसमे पारिवारिक संबंधो की मर्यादा के साथ ही राजकीय और दोस्तों और यहाँ तक कि दुश्मनों के साथ भी मर्यादा के निर्वाह के लिए दिया जाता है. और यही वजह है कि भगवन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से पुकारा जाता है.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, जिनका सभी सम्बन्धो के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व
भगवान राम को "मर्यादा पुरुषोत्तम" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में धर्म, नैतिकता, और श्रेष्ठता की मर्यादा बनाए रखी। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, अपनी पतिव्रता पत्नी सीता के प्रति वफादारी दिखाई, और अपने भक्तों के प्रति सत्य, न्याय, और करुणा का प्रदर्शन किया।
आदर्श पुत्र
कहने की जरुरत नहीं कि भगवन राम ने अपने पिता दशरथ के आदेश का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। वे जानते थे कि पिता का आदेश सदैव मानना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। इस प्रकार की मिसाल शायद हीं कहीं और मिलती है.
भगवान राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है
आदर्श भाई
भारत मिलाप और अपने भाइयों के प्रति प्रेम और अनुराग भगवन राम की अलग विशेषता है जो उन्हें सबसे अलग रखता है. भगवन राम ने अपने भाई भरत के प्रति कभी भी ईर्ष्या या घृणा का भाव नहीं रखा। वे भरत को अपना सच्चा भाई मानते थे और उनका हमेशा सम्मान करते थे।
आदर्श पति
मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी संबंधों को पूर्ण एवं उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाला प्रभु रामचंद्र के चरित्र के समान दूसरा कोई चरित्र नहीं है। और जहाँ तक आदर्श पति का सवाल है, राम ने अपनी पत्नी सीता के प्रति हमेशा प्रेम और सम्मान का भाव रखा। वे सीता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार थे।
आदर्श राजा
राम के राज्य में राजनीति स्वार्थ से प्रेरित ना होकर प्रजा की भलाई के लिए थी। इसमें अधिनायकवाद की छाया मात्र भी नहीं थी। राम ने अपने राज्य में हमेशा न्याय और धर्म का पालन किया। वे प्रजा के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
आदर्श मित्र
श्री रामचंद्र जी निष्काम और अनासक्त भाव से राज्य करते थे। उनमें कर्तव्य परायणता थी और वे मर्यादा के अनुरूप आचरण करते थे। राम ने अपने दोस्तों सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि के प्रति हमेशा निष्ठा और समर्पण का भाव रखा। उन्होंने अपने दोस्तों की हर समय मदद की।
भगवान राम की विशेषता हैं ये खास 16 गुण
भगवान राम के मर्यादा और उनके विशेष गुणों को लेकर जो छवि प्रत्येक हिंदुओं में बसी है वह किसी लेखनी की मोहताज नहीं है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान राम को भगवान विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन एक मर्यादा में रहकर व्यतीत किया.
भगवान राम जी के चरित्र की कई ऐसी विशेषताएं हैं जो उन्हें लोगों का आदर्श बनाती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रभु राम 16 गुणों से युक्त थे जो उनको मर्यादा पुरुषोतम बनाते हैं और हम सभी उनके इन गुणों को अपनाकर अपना जीवन बना सकते हैं-
जानते हैं भगवान राम के चरित्र मे कौन-कौन से 16 गुण हैं जो हमें अपनानी चाहिए .
- गुणवान (योग्य और कुशल)
- किसी की निंदा न करने वाला (प्रशंसक, सकारात्मक)
- धर्मज्ञ (धर्म का ज्ञान रखने वाला)
- कृतज्ञ (आभारी या आभार जताने वाला विनम्रता)
- सत्य (सत्य बोलने वाला और सच्चा)
- दृढ़प्रतिज्ञ (प्रतिज्ञा पर अटल रहने वाला, दृढ़ निश्चयी )
- सदाचारी (धर्मात्मा, पुण्यात्मा और अच्छे आचरण वाला, आदर्श चरित्र)
- सभी प्राणियों का रक्षक (सहयोगी)
- विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)
- सामर्थशाली (सभी का विश्वास और समर्थन पाने वाला समर्थवान)
- प्रियदर्शन (सुंदर मुख वाला)
- मन पर अधिकार रखने वाला (जितेंद्रीय)
- क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)
- कांतिमान (चमकदार शरीर वाला और अच्छा व्यक्तित्व)
- वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
- युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें : (वीर, साहसी, धनुर्धारि, असत्य का विरोधी)
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम से सीखें परिवार में सभी सम्बन्धो में कैसे करें उच्च आदर्शों को स्थापित
भगवान् राम के व्यापक चरित्र जिसमें उन्होंने परिवार के सभी सम्बन्धो को विनम्रता और गंभीरता के साथ निभाया है. भगवान्र राम ने बताया है कि जीवन में कितना भी बड़ा विपत्ति सामने क्यों नहीं आये, संबधो की गरिमा को बनाये हुए श्रेष्ठतम जीवनशैली प्रदर्शित किया जा सकता है.
यह भगवान् राम के जीवन का उच्चतम आदर्श ही है जिसके लिए हम प्रभु राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहकर पुकारते हैं. भगवन राम के चरित्र की व्यापकता की हम मानव मात्र सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं जहाँ उन्होंने गुरु, माता-पिता, भाई, पत्नी, सेवक की कौन कहें, यहाँ तक कि प्रभु राम ने अपने शत्रुओं के साथ भी समरनीति की व्यवहारिकता और आदर्श को स्थापित किया है जो सम्पूर्ण जगत में अनूठा उदहारण है.
गुरु के प्रति निष्ठा और समर्पण:
भगवान राम ने अपने गुरु को हमेशा ही सर्वोपरि रखा जिसकी झलक विश्वामित्र,वशिष्ठ और वाल्मीकि जैसे गुरुजनों की सीख और आदर्शों को हमेशा से जीवन का सर्वोच्च स्थान दिया.
माता पिता के आदेश निर्देश का अनुसरण:
भगवान राम ने हमेशा माता-पिता की बातों को सर्वोच्च स्थान दिया. माता पिता के आदेश और निर्देश को उन्होंने हमेशा से पालन किया और इसकी सबसे सुन्दर झलक मिलती है वनवास के आज्ञा के पालन के दौरान. राज-पाट को त्याग कर वनवास में एक वनवासी के जीवन जीना इतिहास में एक अनूठा आदर्श है.
भाई के साथ बंधुत्व की कोमलता:
भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ भी हमेशा से कोमलता और प्रेम को स्थान दिया. वह चाहे भरत-मिलाप हो या फिर अन्य कई ऐसे घटनाएं राम चरितमानस में उल्लेखित हैं जो यह साबित करती है कि भगवान राम ने बंधुत्व के साथ सम्बन्धो को हमेशा से कोमलता और गंभीरता के साथ निभाया.
पत्नी के साथ दाम्पत्य का शालीन स्नेहभाव:
राम चरित मानस में आप पाएंगे की भगवन राम ने पत्नी के साथ शालीन स्नेहभाव का परिचय दिया है.
सेवक के लिए उदारता और वत्सलता:
भगवन राम ने अपने सेवकों के साथ किस प्रकार का सम्बन्ध निभाया है, वह अपने आप में अनुकरणीय है. हनुमान भगवान् जो प्रभु राम की भक्ति और अपने सेवक वाली छवि के लिए ही पूजनीय है, रामायण में केवट और शबरी जैसे कितने सेवक हैं जिनके साथ प्रभु राम ने उदारता और वत्सलता का परिचय देकर प्रभु और सेवक के साथ सम्बन्धो को नया आयाम दिया है.
मित्र के लिए सर्वस्व अर्पण की तत्परता:
प्रभु राम ने मित्रों के साथ हमेशा दोस्ती के धर्म को निभाया है जिसके लिए प्रभु हमेशा से पूजनीय है. लंका के राजा रावण के भाई विभीषण के साथ मित्रता हो या फिर सुग्रीव के साथ, प्रभु राम ने हमेशा से मित्र धर्म को प्रमुखता के साथ सर्वस्व अर्पण करते हुए तत्परता के साथ निभाया है.
Point Of View : सेल्फ डिसिप्लिन के महत्त्व को समझे, जानें स्व-अनुशासन को विकसित करने के टिप्स
आत्म-अनुशासन जीवन का अभ्यास आपको वह करने की क्षमता प्रदान करता है जो आपके जीवन की सार्थकता और सम्पूर्णता को प्राप्त करने में सहायता करती है. क्योंकि आप जानते हैं कि आप अपने मन में किसी भी सपने को प्राप्त करना सीख सकते हैं ... इसलिए जीवन में आत्म अनुशासन के लिए जरुरी पांच स्तंभों को हमेशा याद रखें जो आपको जीवन के किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने और जीवन की सम्पूर्णता की और ले जाती है -स्वीकृति, इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम, मेहनती और दृढ़ता।
स्व-अनुशासन को विकसित करने के टिप्स
- अपने लक्ष्यों को निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाएं.
- अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और समर्पण रखें.
- अपने आप को नियमित रूप से प्रेरित करें और प्रोत्साहित करें.
- अपने आप को छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत करें.
- स्व-अनुशासन एक जीवन भर की यात्रा है, लेकिन यह एक यात्रा है जो आपको अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद कर सकती है. इसलिए, आज ही स्व-अनुशासन विकसित करना शुरू करें और अपने सपनों को पूरा करें.
- "सफलता का रहस्य स्व-अनुशासन है." - एलेन वार्क
- "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है." - लाओ त्ज़ू
- "स्व-अनुशासन ही वह कौशल है जो आपको अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है." - ब्रूस ली
- "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने जीवन को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाती है." - नेपोलियन हिल
- "स्व-अनुशासन ही वह नींव है जिस पर आप अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं." - विलियम जेम्स
आत्म-अनुशासन आपके जीवन के हर प्रयास में बनने वाला अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कारक है..जो न केवल आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है..बल्कि यह भ्रम की स्थिति में भी आपके जीवन को हमेशा सही रास्ते पर लाता है और यह हमारे जीवन में क्या करना है और क्या नहीं करना है के बीच की रेखा का सीमांकन करता है।
Point Of View : काम की अधिकता से नहीं, हम इस कारण जल्दी थकते हैं, ये टिप्स बदल देगी आपकी नजरिया
Point Of View: सकारात्मक और उत्साही लोगों के साथ समय बिताएं, जीवन का हर मुश्किल होगा आसान
... यह सकारात्मक दृष्टिकोण का अभ्यास है जो आपके जीवन में आशावाद और आशावादी दृष्टिकोण लाता है। सकारात्मक दृष्टिकोण हमें सकारात्मक सोचने में आसान बनाता है और यह हमें चिंताओं और नकारात्मक सोच से बचने की कला भी सिखाता है...
Attitude भले एक छोटी से चीज सही लेकिन सच यह है कि जीवन के इसी बड़े और महत्वपूर्ण फर्क लाने के लिए यह बहुत प्रभावी भूमिका निभाती है....
सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण की मदद से कई लोगों यहाँ तक की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने कई बड़ी बीमारियों या संघर्षों के साथ अपनी लड़ाई जीत ली है.... वावजूद इस तथ्य के कि जीतना मुश्किल था….वास्तव में केवल एटीट्यूड ही काफी नहीं है..लेकिन जीवन में हमारी सफलता के लिए सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण की आवश्यकता है...
मनोवृत्ति मूल रूप से वह तरीका है जिसमें हम किसी चीज़ के प्रति व्यवहार करते हैं या सोचते हैं या महसूस करते हैं .आम तौर पर हम अपनी सोच, भावनाओं तथा अन्य पहलुओं के संदर्भ में अपना दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं। वास्तव में आपकी सोच गठन के पीछे मूल कारण है किसी चीज के प्रति आपका नजरिया...
यदि आप सकारात्मक सोचने के आदि हैं और किसी भी घटना का केवल सकारात्मक पक्ष देखते हैं तो आप अपने जीवन के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं ... आप जिस मुद्दे से निपट रहे हैं, उसके बारे में बात करें ...और इसके लिए नेगेटिव विचारों को अपने मन में घर नहीं करने दें...
याद रखें, प्रकृति भी आपके अंदर उत्पन्न विचारों को हीं सशक्त करने और उसे पूरा करने की लिए बल देती है, और इसलिए हैं हमें बचपन से यह पढ़ाया जाता है कि -" हमें अपने मन में बुरे विचारों को लाने से बचना चाहिए"
आपका Attitude आपके आस-पास हो रही घटनाओं के बारे में आपकी राय बनाने में आपकी मदद करता है... सोचने के तरीके ने आपके विचारों को तय किया और निश्चित रूप से यह आपके कार्यों में दिखाई देता है। जिस वातावरण में आप रह रहे हैं, वह भी आपके दृष्टिकोण के प्रभाव प्रदर्शित करता है...
दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी मामूली चोटों और जीवन की कठिनाइयों के कारण जीवन के निराशावादी और नकारात्मक रवैये के कारण दम तोड़ दिया है….
अपने जीवन में हर असफलता के लिए अपने आस-पास की परिस्थितियों को दोष न दें. आपके जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए अपनी मानसिकता और दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है.।
आपके सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण में आपके जीवन में आपकी हर सफलता/असफलता का कारण प्रदान करने की शक्ति है और इसलिए अपने सोचने के तरीके को नज़रअंदाज़ न करें.निश्चित रूप से यह आपके जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने का मूल तरीका है,
लॉकडाउन और ऑनलाइन पढ़ाई: बच्चों से अधिक है पेरेंट्स की भूमिका, अपनाएँ ये टिप्स
आपको अपने जीवन में आने वाली हर घटना के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा चाहे वह पेशेवर हो या व्यक्तिगत। यह एक भावनात्मक स्थिति हो सकती है जिस पर आपको ध्यान देने की आवश्यकता है… सभी घटनाओं से निपटने के लिए आपको सकारात्मक और आशावादी रवैया रखना होगा। मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सहित ....
विश्वास करें, आपमें परिस्थितियों को बदलने के लिए एटीट्यूड की शक्ति है क्योंकि आप अपनी खुद की परिस्थितियों के निर्माता हैं अपने सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण के साथ।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।
Point Of View : भगवन राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है
भगवान राम के चरित्र की ये महिमाएं हमें जीवन में सत्य, धर्म, दया, वीरता और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
सत्य:
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सत्य के पुजारी थे। उन्होंने अपने जीवन में चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, उन्होंने झूठ कभी नहीं बोलै। उन्होंने अपने पिता दशरथ के वचन का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास स्वीकार किया लेकिन पुत्र धर्म का त्याग नहीं किया।
धर्म:
भगवान राम धर्म के पालनकर्ता थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास किया। भाईयों के लिए त्याग और समर्पण के लिए भी वे हमेशा तैयार रहे. उन्होंने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। धर्म का पालन करना उन्होंने तब भी नहीं छोड़ा और उन्होंने रावण जैसे अत्याचारी का वध करके धर्म की रक्षा की।
दया:
भगवान राम दयालु और करुणावान थे। उन्होंने हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश की। उन्होंने सुग्रीव और हनुमान जैसे अनेकों लोगों की मदद की। भगवान राम ने अपनी दयालुता के कारण उनकी सेना में पशु, मानव व दानव सभी थे और उन्होंने सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया।
बेहतर प्रबंधक
भगवान राम न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि वे अपने सभी स्वजनों और सहकर्मियों को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे। सुग्रीव को राज्य, हनुमान, जाम्बवंत व नल-नील को भी उन्होंने समय-समय पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया और इसी वजह से लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था।
नैतिकता:
भगवान राम नैतिकता के आदर्श थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा नैतिकता का पालन किया। उन्होंने रावण के साथ युद्ध करते समय भी उसके साथ नैतिकता का पालन किया।
भगवान श्रीराम के अनमोल वचन
- "सत्य ही धर्म है और धर्म ही परम तत्व है।"
- "मन पर विजय ही सच्ची विजय है।"
- "जो अपने वचन पर अडिग रहता है, वही सच्चा राजा होता है।"
- "धन और बल क्षणिक हैं, परंतु धर्म और सत्य शाश्वत हैं।"
- "जो अपने पिता की आज्ञा का पालन करता है, वही सच्चा पुत्र है।"
- "दया, क्षमा और नम्रता ही मानव की सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं।"
- "संकट में धैर्य न छोड़ना ही वीरता है।"
- "अहंकार विनाश का कारण है। विनम्रता ही सच्चा बल है।"
- "जो धर्म के मार्ग पर चलता है, वही सच्चा विजयी होता है।"
- "शत्रु पर विजय से पहले अपने भीतर के विकारों पर विजय आवश्यक है।"
Point Of View: सपने सभी देखते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही सपनों को हकीकत में बदलते हैं
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- "धैर्य ही शक्ति है। शांत रहकर आप किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।" - महात्मा गांधी
- "आत्मविश्वास सफलता की पहली कुंजी है।" - स्वामी विवेकानंद
- "अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।" - अननोद मॉरिल
- "धैर्यवान व्यक्ति ही विजेता होता है।" - विलियम आर्थर वॉर्ड
- "हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।" - विनस्टन चर्चिल
- "धैर्य वह कुंजी है जो असंभव दरवाजों को भी खोल सकती है।"
- "हर बड़ी उपलब्धि के पीछे धैर्य और निरंतर प्रयास छिपे होते हैं।"
- "धैर्य रखने वालों को उनके सपने जरूर मिलते हैं, बस सही समय पर।"
- "धैर्य का अर्थ है परिस्थिति को स्वीकार करना और सही समय का इंतजार करना।"
- "जल्दी में सब कुछ खो सकता है, लेकिन धैर्य से हर चीज जीती जा सकती है।"
- "धैर्य से अधिक मजबूत और कोई ताकत नहीं है। यह हर तूफान को शांत कर सकता है।"
- "कठिन समय में धैर्यवान रहना, सच्ची ताकत का प्रतीक है।"
- "एक बूँद की तरह गिरते रहो, समय आने पर पत्थर भी कट जाएगा।"
- "धैर्य वह जड़ है, जिससे सफलता का वृक्ष फलता-फूलता है।"
- "सपने देखने वाले कई होते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही अपने सपनों को हकीकत में बदलते हैं।"
International Women Day : मलाला यूसुफजई-जिनकी आवाज को तालिबानी आतंकवादियों की गोली भी खामोश नहीं कर सकी
Point Of View: मलाला यूसुफजई सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि शिक्षा और हिम्मत की मिसाल हैं जिसने पाकिस्तान के तालिबानी कट्टरपंथियों को ललकार कर अपने मिशन को आगे बढ़ाया। उनका जीवन और संघर्ष हमें यह बताता है कि अगर इरादे पक्के हों, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। अपने जुनून के बदौलत मलाल ने 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।
मलाला का पिता, जिसका नाम जियाद यूसुफजई है, एक स्कूल का प्रधानाध्यापक थे और उन्होंने हमेशा से अपनी बेटी की शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया। मालाला अपने पिता की प्रेरणा से जीवनभर शिक्षा के महत्व को समझने लगीं।
2012 में, जब मलाला केवल 15 वर्षीय थीं, तब उन्हें अपने लेखों के माध्यम से लड़ाई स्तंभ के रूप में जाना जाने लगा। वह पाकिस्तानी तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगीं। मलाला के द्वारा लिखे गए लेखों में वह लड़कियों के अधिकारों की बहुतायत से चर्चा करतीं थीं और उन्होंने बच्चों की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
2012 के अक्टूबर में, मलाला को एक बस में जाते हुए तालिबानी लोगों द्वारा गोली मारी गई। इस हमले में उनकी गंभीर घायली हो गई, लेकिन वे बच गईं। मलाला की इस हमले के बाद विश्व भर में उनके समर्थन में आवाज बुलंद हुई और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। यह उन्हें सबसे युवा व्यक्ति बनाता है जिसे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी में हुआ।
- उनके पिता ज़ियाउद्दीन यूसुफजई खुद एक शिक्षक और शिक्षा के समर्थक थे।
- उनकी आत्मकथा "I Am Malala" दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
- उन्होंने "मलाला फंड" नामक संस्था बनाई, जो दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रही है।
- 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में, मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।
मलाला यूसुफजई आज भी मानवाधिकारों की प्रचार-प्रसार करती हैं और बाल-श्रम और बाल-विवाह के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रहती हैं। उन्होंने एक मानवाधिकार संगठन "मलाला फंड" की स्थापना की है, जो गरीबी से पीड़ित बच्चों की शिक्षा को संचालित करने का प्रयास करता है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण कोट्स ऑफ़ मलाला यूसुफजई हैं:
"एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक उसकी शिक्षा में चंद स्लेट, यही है हमारी मुसीबतों की आस्था और साथी।" -मलाला यूसुफजई
("One child, one teacher, one book, and one pen can change the world.")
"हम शिक्षा की ताकत से नहीं डरते हैं, बल्की उसकी आवश्यकता से डरते हैं।" -मलाला यूसुफजई
("We are not afraid of the power of education, but rather the need for it.")
"जब आप शिक्षा को इजाज़त देते हैं, आप उजाले को समर्थन देते हैं।"
-मलाला यूसुफजई
("When you give education the permission to exist, you give support to the light.")
"हमारी लड़ाई शिक्षा की लड़ाई है, और हमें इसमें गिरावट नहीं होने देनी चाहिए।" -मलाला यूसुफजई
("Our fight is a fight for education, and we must not allow setbacks in this.")
"शिक्षा एक बुराई से बचाव कर सकती है। शिक्षा एक बंदूक से ज़्यादा ताकतवर है।" -मलाला यूसुफजई
("Education can save us from evil. Education is mightier than a gun.")
"मैं नहीं चाहती कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मुझ पर हमला हुआ था, बल्कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मैं अपनी आवाज़ बदलने के लिए खड़ी हुई थी।" -मलाला यूसुफजई
("I don't want to be remembered because I was shot, but because I stood up to change my voice.")
"जब आपके शब्द और आपकी आवाज़ मिल जाती है, तब आप दुनिया को बदलने की शक्ति प्राप्त करते हैं।"-मलाला यूसुफजई
("When your words and your voice come together, you gain the power to change the world.")
मलाला यूसुफजई ने अपने समर्पण और साहस के माध्यम से दुनिया भर में शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है। उनके इन कोट्स ने दुनिया को प्रेरित किया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।