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Daily GK Current Affairs 09 April 2024

Daily GK Current Affairs 09 April 2024


  •  पीटर पेलेग्रिनी ने स्लोवाकिया का राष्ट्रपति चुनाव जीता।
  • स्लोवाकिया - राजधानी - ब्रातिस्लावा, मुद्रा - यूरो. प्रधान मंत्री - रॉबर्ट फिको
  • श्रीनि पल्लिया को भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड का नया सीईओ और एमडी नियुक्त किया गया है।
  • भारत ने मालदीव के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हुए आवश्यक वस्तुओं के लिए अब तक के सबसे अधिक निर्यात कोटा को मंजूरी दे दी है।
  • मीराबाई चानू पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय वेटलिफ्टर बन गई हैं।
  • फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया।
  •   गेल ने उत्तर-पूर्व भारत को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने वाली बरौनी-गुवाहाटी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए 15वां सीआईडीसी विश्वकर्मा पुरस्कार जीता।
  • परिवर्तन चिंतन, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में एक त्रि-सेवा सम्मेलन 8 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य संयुक्तता और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए नए विचारों, सुधारों और पहलों को उत्पन्न करना है।
  • प्रयास।
  • जाम्बिया और मलावी के साथ-साथ जिम्बाब्वे ने पूरे दक्षिणी अफ्रीका में भयंकर सूखे के कारण आपदा की स्थिति घोषित कर दी है। राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा ने "अल नीनो-प्रेरित सूखे" का हवाला दिया, जिसके कारण सामान्य से कम वर्षा हुई,
  • देश का 80% से अधिक हिस्सा प्रभावित। राष्ट्रपति मनांगाग्वा ने संकट से निपटने के लिए 2 अरब डॉलर की मानवीय सहायता की आवश्यकता पर बल देते हुए आपातकालीन घोषणा की। अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य एजेंसी (यूएसएआईडी)
  • अनुमान है कि दक्षिणी अफ़्रीका में 20 मिलियन लोगों को खाद्य राहत की आवश्यकता है, जिनकी ज़रूरतें 2025 की शुरुआत तक बढ़ेंगी।
  • अबू धाबी फ्यूचर एनर्जी कंपनी पीजेएससी - मसदर, संयुक्त अरब अमीरात की स्वच्छ ऊर्जा बिजलीघर, विश्व भविष्य ऊर्जा शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएफईएस) की मेजबानी करेगी।
  • भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने संयुक्त रूप से एक स्वदेशी ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (आई-टीसीएमएस) विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य देश में रेल संचार प्रौद्योगिकी में "क्रांतिकारी बदलाव" करना है।
  • परिवर्तन चिंतन, एक अग्रणी त्रि-सेवा सम्मेलन है जिसका उद्देश्य नई दिल्ली में संयुक्तता और एकीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नए और ताज़ा विचार, पहल और सुधार पैदा करना है। यह सभी त्रि-राष्ट्र प्रमुखों का पहला सम्मेलन है।
  • सेवा संस्थान, सैन्य मामलों का विभाग, मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ और तीनों सेनाएँ।
  • पंजाब में जिला चुनाव अधिकारी और मालेरकोटला के उपायुक्त डॉ. पल्लवी की अनूठी पहल के तहत लोगों को चुनाव संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए 'बूथ राब्ता' नाम से एक विशेष वेबसाइट लॉन्च की गई है।
  • ज़िला।
  •   ट्रिपल विश्व चैंपियन मैक्स वेरस्टैपेन ने जापानी ग्रां प्री में जीत हासिल की, जिससे टीम के साथी सर्जियो पेरेज़ ने रेड बुल के लिए एक-दो से बढ़त हासिल की।

Daily News Current Affairs: 02 April 2024

  


पी.शिवम द्वारा 

1. यूनेस्को ने ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क में 18 साइटें जोड़ीं, जिससे 48 देशों में जियोपार्क की कुल संख्या 213 हो गई। नए जियोपार्क ब्राजील, चीन, क्रोएशिया, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, ग्रीस, हंगरी, पोलैंड, पुर्तगाल और में स्थित हैं। स्पेन.

यूनेस्को : इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक विशेष एजेंसी है।

इसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति का निर्माण करना है।

ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क: यह एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन है जिसे आधिकारिक तौर पर 2014 में फ्रांसीसी कानून के अधीन स्थापित किया गया था। यह यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के संचालन के लिए यूनेस्को का आधिकारिक भागीदार है।

2. आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र पवन दावुलुरी को माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और सरफेस का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है।

3. निधि सक्सेना को बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एमडी और सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया।

4. ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस 1 अप्रैल को मनाया जाता है। उत्कल दिवस 1 अप्रैल, 1936 को ब्रिटिश शासन के दौरान बिहार और उड़ीसा प्रांतों से अलग होने के कारण ओडिशा की स्थापना का जश्न मनाया जाता है।

5. भारतीय रिजर्व बैंक के 90 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 90 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया.

आरबीआई के बारे में तथ्य:

स्थापना – 1 अप्रैल 1935 (एसएससी जीडी 2023 में पूछे गए प्रश्न)

मुख्यालय – मुंबई (एमपी पुलिस 2017 में पूछे गए प्रश्न)

अध्यक्ष – शक्तिकांत दास (25वें)

राष्ट्रीयकरण – 1 जनवरी 1949 (दिल्ली पुलिस 2020 में पूछे गए प्रश्न)

6. मथुरा की प्रसिद्ध सांझी शिल्प को भारत सरकार द्वारा जीआई टैग दिया गया। सांझी शिल्प में कृष्ण कथा से एक आकृति बनाना और चित्रित करना, कागज या केले के पत्ते पर छोटी, महीन, अनुकूलित कैंची का उपयोग करके एक स्टैंसिल काटना शामिल है। फिर चित्र बनाने के लिए स्टेंसिल का उपयोग किया जाता है।

Daily GK Facts in Brief 08 March 2024

Daily GK Facts in Brief 08 March 2024

 फ्रांस- गर्भपात को संवैधानिक अधिकार 

फ्रांस गर्भपात को संवैधानिक अधिकार की गारंटी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर फ्रांस ने अपने संविधान में गर्भपात का अधिकार शामिल कर लिया।  

नई दिल्‍ली-कृषि एकीकृत कमान और नियंत्रण केन्‍द्र का उद्घाटन

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने देशभर के किसानों को सशक्‍त बनाने के लिए कल नई दिल्‍ली में कृषि एकीकृत कमान और नियंत्रण केन्‍द्र का उद्घाटन किया।

जोरहाट-योद्धा लचित बोरफुकान की प्रतिमा 

जोरहाट, असम में होलोंगा पाथर में महान योद्धा लचित बोरफुकान की 84 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण ।

सेला सुरंग- ईटानगर 

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी आज ईटानगर से तवांग जिले में बहुप्रतीक्षित सेला सुरंग का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करेंगे। इस परियोजना की नींव श्री मोदी ने फरवरी 2019 में रखी थी। 
  • इस परियोजना में दो सुरंगें और 8.8 किलोमीटर लंबी सड़क शामिल है।
  • सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाइलेन सुरंग होगी। 

आईएनएस जटायु : भारतीय नौसेना ने लक्षद्वीप द्वीप में आईएनएस जटायु को कमीशन किया

INS Jatayu in lakshdweep facts in brief

आईएनएस जटायु को नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, लक्षद्वीप के माननीय प्रशासक श्री प्रफुल्ल के पटेल, वी एडमिरल वी श्रीनिवास, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी नौसेना की उपस्थिति में मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप में कमीशन किया गया । यह लक्षद्वीप द्वीप में भारतीय नौसेना की पकड़ को मजबूत करेगा साथ ही  यह क्षेत्र में क्षमता निर्माण, परिचालन पहुंच और जीविका का विस्तार करता है। 

मिनिकॉय में नौसेना बेस की स्थापना से द्वीपों के व्यापक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आईएनएस जटायु नौसेना प्रभारी अधिकारी (लक्षद्वीप), दक्षिणी नौसेना कमान के परिचालन नियंत्रण में कार्य करेगा।

एक प्रभावशाली कमीशनिंग समारोह में, नौसेना प्रमुख को 50 पुरुषों का गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यूनिट के पहले कमांडिंग ऑफिसर कमांडर व्रत बघेल ने संस्कृत में मंगलाचरण का पाठ किया और उसके बाद कमीशनिंग वारंट का वाचन किया। कमीशनिंग पट्टिका के अनावरण के बाद, राष्ट्रगान की धुन पर नौसेना ध्वज फहराया गया। राष्ट्रगान के अंतिम स्वर के साथ, मस्तूल पर कमीशनिंग पेनेंट को तोड़ दिया गया। कमीशनिंग समारोह में वाइस एडमिरल संजय जे सिंह, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान, वरिष्ठ नौसेना अधिकारी और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

 आईएनएस जटायु सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण को अपनाते हुए भारतीय नौसेना की परिचालन निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

क्या है कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ जिसका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया है

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मन की बात के 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया ने किया जिसमे उन्होंने कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ का चर्चा किया। आइये जानते हैं कि क्या है  'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ने क्यों इसका जिक्र किया. 

हमर हाथी - हमर गोठ: Facts in Brief

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं।

‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है।

 इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। 

छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

26 जनवरी 2024: जानें गणतंत्र दिवस परेड में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

26 जनवरी 2024: जानें  गणतंत्र दिवस परेड  में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

भारत सरकार हर साल एक विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित करती है। यह आमंत्रण भारत और उस देश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार के मेहमान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन हैं। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुथ्य अतिथि होंगे। इमैनुएल मैक्रों छठे फ्रांसीसी नेता हैं जो 2024 गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री जैक्स शिराक ने 1976 और 1998 में दो बार इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु और लोकतांत्रिक देश है जिसने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया था. भारत के एक गणराज्य बनने की खुशी में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप मनाया जाता है.

वर्ष-    अतिथि का नाम-देश

  • 1950-राष्ट्रपति सुकर्णो-इंडोनेशिया
  • 1951-राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह-नेपाल
  • 1952-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1953-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1954-राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक-भूटान
  • 1955-गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद-पाकिस्तान
  • 1956-राजकोष के चांसलर आरए बटलर
  • मुख्य न्यायाधीश कोटारो तनाका-यूनाइटेड किंगडमजापान
  • 1957-रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़ुकोव-सोवियत संघ
  • 1958-मार्शल ये जियानिंग-चीन
  • 1959-एडिनबर्ग के ड्यूक प्रिंस फिलिप-यूनाइटेड किंगडम
  • 1960-राष्ट्रपति क्लिमेंट वोरोशिलो-सोवियत संघ
  • 1961-क्वीन एलिजाबेथ II-यूनाइटेड किंगडम
  • 1962-प्रधान मंत्री विगो काम्पमैन-डेनमार्क
  • 1963-राजा नोरोडोम सिहानोक-कंबोडिया
  • 1964-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लॉर्ड लुईस माउंटबेटन-यूनाइटेड किंगडम
  • 1965-खाद्य एवं कृषि मंत्री राणा अब्दुल हामिद-पाकिस्तान
  • 1966-कोई निमंत्रण नहीं-
  • 1967-राजा मोहम्मद ज़हीर शाह-अफ़ग़ानिस्तान
  • 1968-प्रधान मंत्री एलेक्सी कोसिगिन-सोवियत संघ
  • राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो एसएफआर यूगोस्लाविया
  • 1969-बुल्गारिया के प्रधान मंत्री टोडर ज़िवकोव बुल्गारिया
  • 1970-बेल्जियम के राजा बाउडौइन-बेल्जियम
  • 1971-राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे तंजानिया
  • 1972-प्रधान मंत्री शिवसागर रामगुलाम-मॉरीशस
  • 1973-राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको-ज़ैरे
  • 1974-राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो-एसएफआर यूगोस्लाविया
  • प्रधान मंत्री सिरिमावो रतवाटे डायस भंडारनायके-श्रीलंका
  • 1975-राष्ट्रपति केनेथ कौंडा-जाम्बिया
  • 1976-प्रधान मंत्री जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1977-प्रथम सचिव एडवर्ड गिरेक-पोलैंड
  • 1978-राष्ट्रपति पैट्रिक हिलेरी-आयरलैंड
  • 1979-प्रधान मंत्री मैल्कम फ़्रेज़र-ऑस्ट्रेलिया
  • 1980-राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टाइंग-फ्रांस
  • 1981-राष्ट्रपति जोस लोपेज़ पोर्टिलो-मेक्सिको
  • 1982-राजा जुआन कार्लोस प्रथम-स्पेन
  • 1983-राष्ट्रपति शेहु शगारी-नाइजीरिया
  • 1984-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 1985-राष्ट्रपति राउल अल्फोन्सिन-अर्जेंटीना
  • 1986-प्रधान मंत्री एंड्रियास पापंड्रेउ-यूनान
  • 1987-राष्ट्रपति एलन गार्सिया-पेरू
  • 1988-राष्ट्रपति जुनियस जयवर्धने-श्रीलंका
  • 1989-महासचिव गुयेन वान लिन्ह-वियतनाम
  • 1990-प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जुगनुथ-मॉरीशस
  • 1991-राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम-मालदीव
  • 1992-राष्ट्रपति मारियो सोरेस-पुर्तगाल
  • 1993-प्रधान मंत्री जॉन मेजर-यूनाइटेड किंगडम
  • 1994-प्रधान मंत्री गोह चोक टोंग-सिंगापुर
  • 1995-राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला-दक्षिण अफ्रीका
  • 1996-राष्ट्रपति डॉ. फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो-ब्राज़िल
  • 1997-प्रधान मंत्री बासदेव पांडे-त्रिनिदाद और टोबैगो
  • 1998-राष्ट्रपति जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1999-राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव-नेपाल
  • 2000-राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासंजो-नाइजीरिया
  • 2001-राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका-एलजीरिया
  • 2002-राष्ट्रपति कसाम उतीम-मॉरीशस
  • 2003-राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी-ईरान
  • 2004-राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा-ब्राज़िल
  • 2005-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 2006-किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-सऊद[ सऊदी अरब
  • 2007-राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन-रूस
  • 2008-राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी-फ्रांस
  • 2009-राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव-कजाखस्तान
  • 2010-राष्ट्रपति ली म्युंग बाक-कोरियान गणतन्त्र
  • 2011-राष्ट्रपति सुसीलो बंबांग युधोयोनो-इंडोनेशिया
  • 2012-प्रधान मंत्री यिंगलक शिनावात्रा-थाईलैंड
  • 2013-भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक-भूटान
  • 2014-प्रधान मंत्री शिंजो आबे-जापान
  • 2015-राष्ट्रपति बराक ओबामा-संयुक्त राज्य अमेरिका
  • 2016-राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद-फ्रांस
  • 2017-क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद-संयुक्त अरब अमीरात
  • 2018-सभी दस आसियान देशों के प्रमुख
  • 2019-राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा-दक्षिण अफ्रीका
  • 2020-राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो-ब्राज़िल
  • 2021-प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन (अपनी यात्रा रद्द)-यूनाइटेड किंगडम
  • 2022=
  • 2023-राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी-मिस्र
  • 2024-इमैनुएल मैक्रों -फ्रांस के राष्ट्रपति 

स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: जानें खास बातें

Imphal Missile Destroyer Facts In Brief

वाई-12706 (इम्फाल): 
भारतीय नौसेना, वाई-12706 (इम्फाल), विध्‍वंसक को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। वाई-12706 (इम्फाल) पहला युद्धपोत है जिसका नाम उत्तर पूर्व के एक शहर के नाम पर रखा गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल 2019 को मंजूरी दी थी। इसे स्वदेशी रूप से भारतीय नौसेना के संस्‍थानिक संगठन युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है। 

भारतीय नौसेना 26 दिसंबर 2023 को मुख्य अतिथि के रूप में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई में अपने नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह आयोजन चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से तीसरे को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक है।

बंदरगाह और समुद्र दोनों में सख्‍त और व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद इम्फाल को 20 अक्टूबर 2023 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।

 ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण 

इम्‍फाल पोत ने नवंबर 2023 में विस्तारित-रेंज सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो बेड़े में शामिल किए जाने (कमीशनिंग) से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए पहला था, जो नौसेना के युद्ध प्रभावशीलता और अपने अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों में विश्वास पर जोर का प्रदर्शन है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद, आईएनएस इम्‍फाल के शिखर का अनावरण रक्षा मंत्री ने 28 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया। कमीशनिंग के बाद, आईएनएस इम्फाल पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा।

मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: Features 

  • नौसैनिक बेड़े में शामिल होने वाला इम्‍फाल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और एम/एस एमडीएल द्वारा निर्मित किया गया है।
  •  इसमें एमएसएमई और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। 
  • प्रोजेक्ट 15बी (विशाखापत्तनम वर्ग) उन्नत क्षमताओं और अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता वर्ग) और प्रोजेक्ट 15 (दिल्ली वर्ग) स्वदेशी विध्वंसक की श्रृंखला में नवीनतम है। 
  • 163 मीटर लंबाई, 7,400 टन वजन और 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ इम्फाल को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है।
  •  यह ‘आत्म-निर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता का प्रमाण है।
  •  इम्फाल ‘अमृत काल’ की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप, विकसित भारत का सच्चा अग्रदूत भी है।
  • समुद्र में दुर्जेय गतिशील किला इम्फाल 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों जैसे परिष्कृत ‘अत्याधुनिक’ हथियारों और सेंसर से परिपूर्ण है।
  •  इस युद्ध पोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा हुआ है, जो इसके तोपखाने हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है।
  •  इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलि‍कॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं। 
  • यह युद्ध पोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है। इसमें उच्च स्तर की स्वचालन और गुप्त विशेषताएं हैं जो उसकी युद्ध क्षमता और उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं।

इम्‍फाल में मौजूद कुछ प्रमुख स्वदेशी उपकरणों/प्रणालियों में स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट के अलावा लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली, एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित पावर प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और झुके हुए माउंटेड सोनार शामिल हैं।

 प्रमुख ओईएम के साथ-साथ बीईएल, एलएंडटी, गोदरेज, मरीन इलेक्ट्रिकल, ब्रह्मोस, टेक्निको, किनेको, जीत एंड जीत, सुषमा मरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि जैसे एमएसएमई ने शक्तिशाली इम्फाल के निर्माण में योगदान दिया है।

इम्फाल के निर्माण और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है।

 इम्फाल युद्धपोत का निर्माण 19 मई 2017 को की शुरु हुआ और इसे 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया था। इम्फाल 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और बंदरगाह तथा समुद्र दोनों में परीक्षणों का एक समग्र कार्यक्रम पूरा कर लिया है। 20 अक्टूबर 2023 को इसकी डिलीवरी की गई जो छह महीने की रिकॉर्ड समय सीमा के भीतर इस आकार के जहा

एस्ट्रोसैट द्वारा नए उच्च चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे में पाए गए मिली-सेकंड विस्फोट का पता लगाया

AstroSat India first multi-wavelength space-based observatory detected bright sub-second X ray bursts

एक व्यापक उपलब्धि हासिल करते हुए एस्ट्रोसैट, जो भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, ने अल्ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटर) के साथ एक नए और विशिष्‍ट न्यूट्रॉन तारे से चमकीले सब-सेकेंड एक्स-रे विस्फोट का पता लगाया है। इससे मैग्नेटर्स की दिलचस्प चरम खगोल भौतिकी स्थितियों को समझने में सहायता मिल सकती है।

मैग्नेटार के बारे में 

मैग्नेटार ऐसे न्यूट्रॉन तारे हैं जिनमें अल्‍ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र होता है जो स्थलीय चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक मजबूत होता है। सामान्‍य रूप से कहें तो मैग्नेटर का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से एक क्वाड्रिलियन (एक करोड़ शंख) गुना अधिक मजबूत होता है। उनमें उच्च-ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय विकिरण के उत्सर्जन की शक्ति इन वस्तुओं में चुंबकीय क्षेत्र का क्षरण है। इसके अलावा, मैग्नेटर्स मजबूत अस्थायी परिवर्तनशीलता को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें सामान्‍य रूप से धीमी गति से घूमना, तेजी से घूमना, चमकीले लेकिन छोटे विस्फोट शामिल होते हैं जो महीनों तक चलते रहते हैं।

ऐसे एक मैग्नेटर को एसजीआर  जे1830-0645 कहा जाता था, जिसकी अक्टूबर 2020 में नासा के स्विफ्ट अंतरिक्ष यान ने खोज की थी। यह अपेक्षाकृत युवा (लगभग 24,000 वर्ष) और पृथक न्यूट्रॉन तारा है।

एस्ट्रोसैट के साथ ब्रॉड-बैंड एक्स-रे ऊर्जा में मैग्नेटर का अध्ययन करने और इसकी विशेषताओं का पता लगाने के उद्देश्‍य के लिए प्रेरित होकर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) और दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एस्ट्रोसैट पर दो उपकरणों- बड़े क्षेत्र वाले एक्स-रे आनुपातिक काउंटर (एलएएक्सपीसी) और सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (एसएक्सटी) का उपयोग करके इस मैग्नेटर का समय और स्‍पेक्‍ट्रल का विश्लेषण किया है। 

“एक मुख्य निष्कर्ष 33 मिलिसेकंड की औसत अवधि के साथ 67 छोटे सब-सेकंड एक्स-रे विस्फोटों का पता लगाना था। इन विस्फोटों में से एक सबसे चमकीला विस्‍फोट लगभग 90 मिलीसेकंड का रहा।” यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त संस्थान आरआरआई में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो और अनुसंधान-पत्र के लेखक डॉ. राहुल शर्मा ने दी।

यह अध्‍ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक सूचना में प्रकाशित हुआ। जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि एसजीआर जे1830-0645 एक विशिष्‍ट मेगनेटर है जो अपने स्पेक्ट्रा में उत्सर्जन लाइन को प्रदर्शित करता है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि उत्सर्जन लाइनों की उपस्थिति और इसकी संभावित उत्पत्ति या तो आयरन की प्रतिदीप्ति, प्रोटॉन साइक्लोट्रॉन लाइन या एक उपकरणीय प्रभाव के कारण हुई जो चर्चा का कारण बनी हुई है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि एसजीआर जे1830-0645 में ऊर्जा-निर्भरता कई अन्य मगनेटरों में पाई गई ऊर्जा से भिन्न थी। यहां, न्यूट्रॉन तारे की सतह (0.65 और 2.45 किमी की रेडियस) से उत्पन्न होने वाले दो थर्मल ब्लैकबॉडी उत्सर्जन घटक थे। इस प्रकार, यह शोध मैग्नेटर्स और उनकी चरम खगोलीय स्थितियों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में योगदान देता है।

हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की सह-लेखिका प्रोफेसर चेतना जैन ने कहा कि हमने यह देखा है कि समग्र एक्स-रे उत्सर्जन के स्पंदित घटक ने ऊर्जा के साथ महत्वपूर्ण भिन्नता दर्शायी है। यह ऊर्जा के लिए लगभग 5 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (केवी) तक बढ़ गया और उसके बाद इसमें भारी गिरावट देखी गई। यह प्रवृत्ति कई अन्य मैग्‍नेटरों में पाई गई प्रवृत्ति से अलग है।

शोध दल अब इन अत्यधिक ऊर्जावान उत्सर्जनों की उत्पत्ति को समझने और यह पता लगाने के लिए अपने आगे के अध्ययन का विस्तार करने की योजना बना रहा है कि क्या ये उत्‍सर्जन खगोलीय है या यांत्रिक‍ प्रकृति के हैं। (स्रोत-PIB)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2023: Facts In Brief


भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद के सघन उत्‍सर्जन में कटौती करने के मद्देनजर लक्ष्‍य को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाना; इसके अलावा गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली की निर्धारित क्षमता को 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य

जी-20 पहल में गांधीनगर कार्यान्वयन प्रारूप और गांधीनगर सूचना मंच (जीआईआर-जीआईपी) के अंतर्गत जंगल की आग और खनन प्रभावित क्षेत्रों की भूमि बहाली पर वैश्विक गठबंधन; संसाधन दक्षता परिपत्र अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन आरईसीईआईसी और सतत एवं सशक्‍त नीली/महासागर-आधारित अर्थव्यवस्था (एचएलपीएसआरबीई) के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों की शुरूआत

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सीओपी 28 के अवसर पर ग्रीन क्रेडिट पहल का शुभारंभ किया  
  • प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिष्‍टी) के लिए मैंग्रोव पहल का शुभारंभ
  • बाघ सहित बिग कैट प्रजातियों के वैश्विक स्‍तर पर संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन (आईबीसीए) का प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ
  • भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार भारत में कुल वन और वृक्षावरण  क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है
  • पर्यावरण स्‍वीकृति प्रस्तावों को बढ़ाने के लिए गतिशक्ति पोर्टल का परिवेश 2.0 के साथ एकीकरण

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान 2023 

  1.  भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। 
  2. हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 
  3. 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां सत्र (सीओपी-28)

भारत के एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 30 नवंबर' 2023 से 13 दिसंबर' 2023 तक दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 28) के 28वें सत्र में भाग लिया।

रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि

  • देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। 
  • वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है।
  •  पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। 
  • सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।


20 अक्टूबर 2022 को मिशन लाईफ का भारत के माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा शुभारंभ किया गया था। 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी 26) में, माननीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में सकारात्मक सुधार के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को अग्रणी रखने के लिए मिशन लाईफ की घोषणा की।

वन्यजीव 2023 

चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है। 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में बढ़ोत्‍तरी: देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या, जो वर्ष 2014 में 745 थी, बढ़कर 998 हो गई है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.28 प्रतिशत है। देश में सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों की संख्या वर्ष 2014 में 43 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 220 हो गई है।

वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि: भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्ष आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत होता है। इसमें से, 2019 की तुलना में, वन आवरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई है। 2020 की तुलना में, अक्टूबर 2023 तक, 589.70 करोड़ पौधे लगाए गए और कुल 8.77 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वृक्षारोपण के तहत कवर किया गया।

तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए वनस्‍पति गरान पहल (मिश्ती): माननीय प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2023) पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिश्ती) के लिए वनस्‍पति गरान पहल शुरू की गई थी। 

ब्लू फ्लैग समुद्र तट: 2014 में, भारत में कोई ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट नहीं था। भारत सरकार ने समुद्र तट विकास कार्य शुरू किया और 2020 में 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया गया। 2022 में, कुल 12 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ।

परिवेश: परिवेश एक वेब आधारित, भूमिका आधारित वर्कफ़्लो अनुप्रयोग है, जिसे केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और सीआरजेड मंजूरी प्राप्त करने के लिए समर्थकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी के लिए विकसित किया गया है।

(Source PIB)


वन्यजीव 2023 : Facts in Brief


चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है।

 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

(सोर्स: PIB) 

काज़िंड-2023: भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास, Facts in Brief

Exercise karzind 2023 Facts in brief

भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है काज़िंड-2023 जिसका आयोजन 30 अक्टूबर से 11 नवंबर 2023 तक कतर, कजाकिस्तान में किया जाएगा। भारतीय थलसेना और भारतीय वायु सेना की 120 सैन्‍य कर्मियों वाली टुकड़ी संयुक्त सैन्य ‘अभ्‍यास काज़िंड-2023’ के 7वें संस्करण में भाग लेंगी । 

भारतीय सेना के दल में डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के नेतृत्व में 90 सैन्‍य कर्मी शामिल हैं। कजाकिस्तान के सैन्‍य दल का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से कजाख ग्राउंड फोर्सेज के दक्षिण क्षेत्रीय कमान के सैन्‍य कर्मियों द्वारा किया जाता है। इस सैन्‍य अभ्यास के वर्तमान संस्करण में सेना की टुकड़ियों के साथ दोनों पक्षों से वायु सेना के 30 सैन्‍य कर्मी भी भाग लेंगे।

2016 में शुरू किया गया

भारत और कजाकिस्तान के बीच संयुक्त अभ्यास को वर्ष 2016 में ‘एक्सरसाइज प्रबल दोस्‍तीक’ के रूप में शुरू किया गया था। दूसरे संस्करण के बाद, अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर ‘एक्सरसाइज काज़िंड’ कर दिया गया। इस वर्ष वायु सेना को शामिल करके अभ्यास को द्वि-सेवा अभ्यास के रूप में अपग्रेड किया गया है। 

अभ्यास के इस संस्करण में, दोनों सैन्‍य पक्ष संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के अंतर्गत उप-औपचारिक वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करेंगे। यह टुकड़ियां संयुक्त रूप से विभिन्न सामरिक अभ्यासों का अभ्यास करेंगी, जिसमें छापेमारी, खोज और विनाश संचालन, छोटी टीम प्रविष्टि और निष्कर्षण संचालन आदि शामिल हैं। अभ्यास के कार्यक्षेत्र में काउंटर मानव रहित हवाई प्रणाली संचालन भी शामिल है।

एक्सरसाइज काज़िंड-2023: Facts

‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सैन्‍य पक्षों को एक-दूसरे की रणनीति, युद्ध अभ्यास और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने का अवसर प्रदान करेगा, जो संयुक्त राष्ट्र कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कार्य संचालन के लिए जरूरी है। इस संयुक्त प्रशिक्षण से अर्ध-शहरी और शहरी परिस्थितियों में संयुक्त सैन्य अभियान के संचालन के लिए अपेक्षित कौशल, लचीलापन और समन्वय को विकसित करेगा।

दोनों सैन्य पक्षों को युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर अभ्यास करने और एक-दूसरे से पारस्परिक रूप से सीखने का अवसर प्राप्‍त होगा। यह अभ्यास प्रतिभागियों को विचारों का आदान-प्रदान करने और सर्वश्रेष्‍ठ अभ्‍यासों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। ‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और अधिक प्रबल करेगा।

वर्ल्ड वेटलैंड्स डे 2023 : महत्व, रामसर साइटों की संख्या और जाने अन्य खास बातें

World Wetland Day Significance History

वेटलैंड या आर्द्रभूमि वास्तव में ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ पर्यावरण और संबंधित पौधे व पशु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक क्षेत्र में उपलब्ध जल को माना जाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वेटलैंड या आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ पानी की मात्रा इतनी अधिक होती है कि यह मिट्टी को संतृप्त कर देती है या इसे उथले पानी से ढक देती है.

वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए 2023 की विषयवस्तु 'वेटलैंड रिस्टोरेशन' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस जाता है। 

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, ने गोवा के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में 'आर्द्रभूमि बचाओ अभियान' का शुभारंभ किया। यह अभियान वेटलैंड्स का संरक्षण करने के लिए "सम्पूर्ण  समाज" के दृष्टिकोण के साथ ही समाज के सभी स्तरों पर आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए सकारात्मक कार्यों को सक्षम बनाते हुए समाज के सभी स्तरों को इस अभियान में शामिल करता है। अगले एक वर्ष के दौरान इस अभियान में आर्द्रभूमि के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना, आर्द्रभूमि मित्र के कार्यक्षेत्र को बढ़ाना और आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए नागरिक भागीदारी का निर्माण करना शामिल होगा।

शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (जम्मू कश्मीर) जहाँ है चार लाख से अधिक पक्षियों का आश्रय

गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में 75 रामसर स्थलों की उपलब्धि और प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार को बधाई दी। उन्होंने नंदा झील को रामसर साईट के रूप में नामित करने में राज्य का समर्थन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया।

विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में

ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी सन् 1971  को हुए सम्मेलन में आर्द्रभूमियों के संरक्षण से संबंधित अभिसमय पर हस्ताक्षर किया गया। वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस जाता है। भारत 1982 से इस कन्वेंशन  का एक पक्ष है और अब तक 23 राज्यों एवं  केंद्र शासित प्रदेशों को समाहित करते हुए 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित कर चुका है।

 वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए 2023 की विषयवस्तु 'वेटलैंड रिस्टोरेशन' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। यह एक पूरी पीढ़ी के लिए आह्वान है कि आर्द्रभूमियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी निवेश करके आर्द्रभूमियों के लिए सक्रिय कार्रवाई करें और जो खराब स्थिति में पहुँच  चुकी हैं उन्हें पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करें।

 भारत के पास एशिया में रामसर साइटों का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो इन साइटों को वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव कल्याण का समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक नेटवर्क बनाता है।

 पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2022 में सहभागिता मिशन शुरू किया जो 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की 75 आर्द्रभूमियों के एक स्वस्थ और प्रभावी ढंग से प्रबंधित नेटवर्क ‘का अभियान है जिसके अंतर्गत पानी और खाद्य सुरक्षा, बाढ़, सूखा, चक्रवात और अन्य चरम घटनाओं से बचाव, रोजगार सृजन, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की प्रजातियों का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन क्रियाएं, और सांस्कृतिक विरासत की मान्यता, संरक्षण और आयोजनों को सहायता दी जाती है।  

वेटलैंड्स से होने वाले लाभ क्या हैं? 

जल संरक्षण: वेटलैंड्स पानी को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं, जिससे बाढ़ और सूखे को कम करने में मदद मिलती है.

जल शोधन:वेटलैंड्स पानी को प्रदूषण से मुक्त करते हैं, जिससे पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है.

जैव विविधता का संरक्षण: वेटलैंड्स कई प्रजातियों के पौधों और जानवरों का घर हैं, जिनमें कुछ प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे में हैं.

मनोरंजन: वेटलैंड्स लोगों के लिए मनोरंजन और शिक्षा के लिए एक लोकप्रिय स्थान हैं.

नए संसद भवन का निर्माण क्यों जबकि मौजूदा संसद भवन का नवीनीकरण किया जा सकता था: Facts In Brief

pm modi inaugurated new parliament building on 28 may

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार  की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है जिसे 'काउंसिल हाउस' के रूप में डिजाइन किया गया था और इसे 1927 में पूरा किया गया था। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो इसे संसद भवन के रूप में परिवर्तित किया गया। मौजूदा भवन को पूर्णविकसित लोकतंत्र हेतु द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था।

सेंट्रल विस्टा विकास / पुनर्विकास योजना एक पीढ़ीगत बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना है, जिसमें 6 वर्षों में फैली कई परियोजनाएं शामिल हैं।

विभिन्न संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के अनुसार 1976 से लोकसभा की मौजूदा संख्या 552 पर स्थिर बनी हुई है। इसका मतलब है कि आज, संसद का प्रत्येक सदस्य औसतन 25 लाख नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है । यह संख्या स्वतंत्रता के समय - लगभग 5 लाख - की तुलना में और दुनिया के अन्य लोकतंत्रों की तुलना में बहुत अधिक है और भारत की बढ़ती आबादी के साथ यह भी बढ़ती रहेगी । नतीजतन, भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कई जरूरी मांगें उठी हैं। संसद सदस्य संख्या विस्तार पर पाबंदी समाप्त होने के बाद अगर 2026 में यह संख्या बढ़ जाती है तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि संसद भवन में कार्य करने के लिए एक व्यापक व्यवस्था हो।

वर्तमान संसद भवन विभिन्न कारणों से पहले ही अत्यधिक दबाव में है। इसके संरचना का विस्तार से अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि यदि संसद की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है , इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है , तो नया संसद भवन आवश्यक होगा।

वर्तमान संसद भवन विभिन्न कारणों से पहले ही अत्यधिक दबाव में है:

मौजूदा लोकसभा और केन्द्रीय कक्ष अपनी पूरी क्षमता तक भरे हुए हैं और उनका और अधिक विस्तार नहीं किया जा सकता। लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति और केंद्रीय कक्ष में अधिकतम 436 व्यक्ति बैठ सकते हैं। हालांकि, संयुक्त सत्र के दौरान गलियारों में कम से कम 200 तदर्थ/अस्थायी सीटें जोड़ी जाती हैं जो कि गरिमाहीन और असुरक्षित है।

मंत्रियों के कार्यालय और बैठक कक्ष, भोजन सुविधाएं, प्रेस कक्ष इत्यादि जैसी सुविधाएं अपर्याप्त हैं, इनके लिए अस्थायी व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो हमेशा सुविधापूर्ण या सम्मानजनक नहीं होती है।

तकनीकी प्रगति और कार्यात्मकता को बनाए रखने के लिए, पिछले कुछ वर्षों में इस इमारत में कई जुड़ाव और बदलाव किए गए हैं , जिनसे इस इमारत की संरचना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है।

इस भवन की विद्युत, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, दृश्य-श्रव्य, ध्वनिक, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और सुरक्षा अवसंरचना बिल्कुल पुरानी है और इसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

इस भवन में परिवर्धन असंवेदनशील तरीके से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, इस इमारत के बाहरी गोलाकार हिस्से में 1956 में जोड़ी गई दो नई मंजिलों ने मूल भवन के अग्रभाग को बदलते हुए सेंट्रल हॉल के गुंबद को छिपा दिया है। जाली वाली खिड़कियों को ढकने से संसद के दो सदनों के हॉल में प्राकृतिक रोशनी कम हो गई है।

93 साल पुरानी इस इमारत में अपनी संरचनात्मक मजबूती स्थापित करने के लिए समुचित दस्तावेजीकरण और मानचित्रण का अभाव है । चूंकि इसकी संरचनात्मक मजबूती को स्थापित करने के लिए बेधन परीक्षण नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि वे संसद के कामकाज को गंभीर रूप से बाधित कर सकते हैं, इसलिए इस भवन को भूकंपरोधी प्रमाणित नहीं किया जा सकता है । यह विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि दिल्ली का भूकंप जोखिम गुणॉक भवन निर्माण के समय के भूकंपीय क्षेत्र- II से भूकंपीय क्षेत्र- IV में स्थानांतरित हो गया है, जिसके जोन-V में बढ़ जाने की संभावना है।

अग्नि से सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि इस भवन को आधुनिक अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है। इससे आपात स्थिति में, निकासी की व्यवस्था अत्यंत अपर्याप्त और असुरक्षित है।

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि संसद भवन की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है और इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो वर्तमान भवन की मरम्मत करके ऐसा करना संभव नहीं है। इसके लिए एक नए, उद्देश्यपूर्ण संसद भवन का निर्माण करना आवश्यक होगा।

माननीय लोक सभा अध्यक्षों अर्थात श्रीमती मीरा कुमार ने दिनांक 13.07.2012, श्रीमती सुमित्रा महाजन ने दिनांक 09.12.2015 और श्री ओम बिरला ने दिनांक 02.08.2019 के अपने पत्र में सरकार से संसद के लिए नए भवन के निर्माण का अनुरोध किया।

(Source: मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)

नए संसद भवन के डिज़ाइन में मिलेंगे: राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद और भी बहुत कुछ

New Parliament and its unique features

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। 
नए संसद भवन में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये साम्रगियों और देश की विशिष्ट विविधताओं को भी समाहित किया गया है. 

 इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ सेंगोल को स्थापित किया। उन्होंने दीया भी प्रज्वलित किया और सेंगोल को पुष्प अर्पित किए।

 इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है। 

नए संसद भवन में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये साम्रगियों और देश की विशिष्ट विविधताओं को भी समाहित किया है. 

नया संसद भवन: पाएं झलक 

  1.  लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है।
  2.  राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। 
  3.  संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। 
  4.  इसमें राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर लगाए गए हैं।
  5.  ये जो लकड़ी का काम वो महाराष्ट्र से आई है। 
  6. यूपी में भदोही के कारीगरों ने इसके लिए अपने हाथ से कालीनों को बुना है। 
  7.  इस संसद भवन ने करीब 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का भी काम किया है।

ये सिर्फ एक भवन नहीं है। ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। ये विश्व को भारत के दृढ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। ये नया संसद भवन, योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। ये नया भवन, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा। ये नया भवन, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। ये नया भवन, विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। ये नया भवन, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श है।

हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है, इस नए भवन ने उन सबको समाहित किया है। एक तरह से, इस भवन के कण-कण में हमें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के दर्शन होंगे।


आखिर क्यों हुई नई संसद की आवश्यकता: Facts In Brief

New Parliament building Need Coast Facts in Brief

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार के ऑफिसियल वेबसाइट पर दिए गए तथ्यों के अनुसार  संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। यह लगभग 100 वर्ष पुराना एक विरासत ग्रेड-I भवन है।

 गत वर्षों में, संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है। इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है। इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया है। इसीलिए, यह अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा हैं तथा स्थान, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी जैसे मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है।

सांसदों के बैठने की संकीर्ण जगह

वर्तमान भवन को पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 पर अपरिवर्तित बनी हुई है। 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर स्थिरता केवल 2026 तक ही है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।

अप्रचलित संचार संरचनाएं

वर्तमान संसद भवन में, संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन कालीन है। सभी हॉलों की ध्वनिकी में बड़े सुधार की आवश्यकता है।

सुरक्षा सरोकार

इस भवन की संरचनात्मक सुरक्षा चिंताएं हैं। वर्तमान संसद भवन तब बनाया गया था जब दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र- II में थी, वर्तमान में यह भूकंपीय क्षेत्र- IV में है।

कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र

कार्यक्षेत्र की बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खराब गुणवत्ता वाले और संकीर्ण कार्यस्थल बने। स्थान की लगातार बढ़ती हुई मांग को समायोजित करने के लिए, मौजूदा कार्यक्षेत्र के भीतर उप-विभाजन बनाए गए, जिससे कार्यालय में भीड़भाड़ हो गई।

(Source: मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)

भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास अल मोहेद अल हिंदी- 2023: Facts in Brief

MARITIME EXERCISE AL MOHED AL HINDI 23

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: 
भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच द्विपक्षीय अभ्यास है जिसके दूसरे को सऊदी अरब में आयोजित किया गया. भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच 23-25 मई, 2023 को सऊदी अरब के अल जुबैल में आयोजित किया गया। 

भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच द्विपक्षीय अभ्यास 'अल मोहेद अल हिंदी- 2023' के दूसरे संस्करण का समुद्री चरण 23-25 मई, 2023 को सऊदी अरब के अल जुबैल में आयोजित किया गया। भारत की ओर से इस अभ्यास में आईएनएस तरकश, आईएनएस सुभद्रा और डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) ने हिस्सा लिया। वहीं, आरएसएनएफ का प्रतिनिधित्व एचएमएस बद्र व अब्दुल अजीज, एमएच  60आर हेलो और यूएवी द्वारा किया गया।

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: भारत की और से हिस्सा लेने वाले युद्धपोत 

  • आईएनएस तरकश, 
  • आईएनएस सुभद्रा 
  • डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) 

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: सऊदी अरब की और से हिस्सा लेने वाले युद्धपोत 

  • एचएमएस बद्र व अब्दुल अजीज, 
  • एमएच  60आर हेलो 
  • यूएवी

समुद्र में आयोजित इस तीन दिवसीय अभ्यास में समुद्री परिचालनों की एक व्यापक पहुंच देखी गई। इस अभ्यास का समापन समुद्र में डीब्रीफ (अभ्यास पूरा होने पर सवाल-जवाब) के साथ हुआ और उसके बाद पारंपरिक स्टीम पास्ट हुआ। 

'अल मोहेद अल हिंदी- 2023' के सफल आयोजन ने दोनों नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर की पेशेवरता, अंतरपरिचालनीयता और सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों के आदान-प्रदान को प्रदर्शित किया। इस द्विपक्षीय अभ्यास ने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया है। दोनों पक्ष इसके अगले संस्करण में इसे और अधिक उन्नत स्तर पर ले जाने की सोच रखते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया मिजोरम में 2415 करोड़ रुपये के कई विकास कार्यों का उद्घाटन: Facts in Brief

 2415 Cr Development Works Inaugurated in Mizoram


केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मिजोरम की राजधानी आइजोल में आज 2415 करोड़ रुपये के कई विकास कार्यों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री ज़ोरमथांगा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थिति थे।

 असम राइफल्स की नई बटालियन मुख्यालय का उद्घाटन किया गया है।  इसके साथ ही राज्य के विकास के लिए मिजोरम सरकार को जमीन सौंपने के लिए गृह मंत्रालय, असम सरकार और मिजोरम सरकार के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से यहां विकास के नए रास्ते खुलेंगे। 

 लालडेंगा लम्मुअल सेंटर का शिलान्यास भी किया गया है जो इस क्षेत्र को एक बहुत अच्छे सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और मिजोरम सरकार राज्य के लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में आज लगभग 2500 करोड़ रुपये की 11 विभिन्न योजनाओं के तहत लोकार्पण और शिलान्यास हो चुका है।

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने कहा कि मिजोरम के सर्वांगीण विकास के लिए करीब 1200 करोड़ रुपये की 4 नई सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इससे मिजोरम के उद्योग और व्यापार में काफी वृद्धि होगी और मिजोरम और म्यांमार के बीच व्यापार आसान होगा। उन्होंने कहा कि मिजोरम के गठन और राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से यह 36वां वर्ष है और इस अवधि के दौरान मिजोरम ने काफी प्रगति की है।

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में 2014 की तुलना में 2021 में हिंसक घटनाओं में 67 प्रतिशत की कमी, सुरक्षा बलों की मौत में 60 प्रतिशत की कमी और नागरिकों की मौत में 83 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक उग्रवादी संगठनों के लगभग 8000 काडर आत्मसमर्पण कर समूचे पूर्वोत्तर में मुख्य धारा में शामिल हो चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 2019 में त्रिपुरा में एनएलएफटी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, 2020 में ब्रू समझौते पर हस्ताक्षर करके त्रिपुरा में लगभग 37,000 लोगों का पुनर्वास किया। सरकार ने असम में बोडो समझौते पर हस्ताक्षर करके शांति स्थापित की। 2021 और ऊपरी असम में भी 2022 में कार्बी-एंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर करके शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में अफ्सपा के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आई है।

श्री अमित शाह ने कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी जी पूर्वोत्तर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 53 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है और ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के निर्देशानुसार भारत सरकार के मंत्रियों ने 432 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है।

 श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पीएम-डिवाइन से पूर्वोत्तर के बजट में 276 प्रतिशत की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2025 से पहले 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की राजधानियों के बीच रेल, सड़क और हवाई संपर्क का विकास किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि मिजोरम में अपार संभावनाएं हैं। विकास के लिए और विशेष रूप से श्री ज़ोरमथांगा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, मिज़ोरम की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और पिछले दशक में सकल घरेलू उत्पाद औसतन 12.15 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 

प्रगति मैदान में हुआ 23वां इंडियासॉफ्ट का उद्घाटन: Facts in Brief


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुश्री अनुप्रिया पटेल ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में इंडियासॉफ्ट के 23वें संस्करण का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों के 650 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 1500 से अधिक भारतीय प्रदर्शक इस कार्यक्रम तथा इससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों में अपने उत्पादों तथा समाधानों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

सुश्री पटेल ने कहा कि अभी से लेकर 2047 तक, जिसे हम प्यार से अमृत काल कहते हैं, की अवधि के दौरान भारत हर प्रत्येक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है - यह हमारा साझा विजन है, सामूहिक लक्ष्य है और हमारे गौरवशाली इतिहास में एक रूपांतरकारी मोड़ है।

2047 तक भारत 32 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ एक विकसित देश बन जाएगा जो भारत और वैश्विक समुदाय के लिए भी समान रूप से एक निर्णायक क्षण होगा। विकास का यह परिमाण आईसीटी सेक्टर में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अत्यधिक प्रभावित होगा।

 इंडियासॉफ्ट के अगले तीन दिनों के दौरान 70 से अधिक नए उत्पाद लांच किए जा रहे हैं, जिन्हें भारत के अनुसंधान एवं विकास के अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों की टीम के प्रयासों के माध्यम से विकसित और परिपूर्ण किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ यह उस प्रकार की उपलब्धियों को दर्शाता है जो भारत ने डिजिटल क्षेत्र में अर्जित किया है और ये 2047 तक एक विकसित देश बनने के भारत के संकल्प को और भी मजबूत बनाती हैं।

भारत का निर्यात, वस्तु एवं सेवा निर्यात दोनों ही, वित्त वर्ष 2021-22 के 650 बिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 तक 750 बिलियन की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। 

आज से आरंभ हुए इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों के 650 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 1500 से अधिक भारतीय प्रदर्शक इस कार्यक्रम तथा इससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों में अपने उत्पादों तथा समाधानों का प्रदर्शन कर रहे हैं। क्यूबा के उप संचार मंत्री सुश्री ग्रिसेल ईयूलालिया, चिली के अरुकानिया के रीजनल गर्वनर श्री रिवास स्टेपके लुसियानो अलेजैंद्रो ने भी अपने शिष्टमंडलों के साथ उद्घाटन समारोह में भाग लिया।

इससे पूर्व, शिष्टमंडलों का स्वागत करते हुए ईएससी के अध्यक्ष श्री संदीप नरुला ने कहा कि 2030 तक भारत का आईसीटी सक्टर 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा जो देश द्वारा अनुसंधान एवं विकास, नवोन्मेषण और व्यवधानों को दूर करने पर दिए जाने वाले ध्यान के कारण संभव हो पाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत निर्यात की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब हमने 80 के दशक के आखिर में आईटी और आईटीईएस का निर्यात करना आरंभ किया था, तो यह केवल 50 मिलियन डॉलर था, जो अब बढ़ कर 200 बिलियन डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने विभिन्न स्कीमों को लागू करने के द्वारा सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटाइज किया है जो नागरिकों को सरकारी डिलीवरी प्रणाली से सेवाओं तक सहजता से पहुंच बनाने में सक्षम बनाती है। 

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘बहुत से देश भारत की सफल स्कीमों का अनुकरण कर सकते हैं और हम उनके डिजिटल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में अपनी विशेषज्ञता को साझा करने के इच्छुक हैं। ‘‘ श्री नरुला ने कहा कि इंडियासॉफ्ट और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, जिनमें ईएससी नियमित रूप से भाग लेता है, भारतीय आईसीटी सेक्टर के लिए बहुत सारे व्यावसायिक अवसर जेनेरेट हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रयत्न जारी रहेंगे।

दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023: अपने सफर के 50 वे वर्ष में, फ़्रांस होगा अतिथि देश

World Book Fair 2023 Facts

नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जाएगा. दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला इस बार अपनी 50 साल की यात्रा का उत्सव मना रहा है। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में प्रगति मैदान के नवनिर्मित हॉल 2-5 GF, में सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

अतिथि देश के रूप में फ्रांस इस 9 दिवसीय पुस्तक मेले शामिल होगा इसके साथ ही फ्रांस के अनेक चित्रकारों तथा प्रकाशकों के अतिरिक्त, नोबेल पुरस्कार विजेता, फ्रांस, सुश्री आनी ओरनौ के नेतृत्व में फ्रांसीसी लेखकों का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा। 

भारत सरकार का प्रमुख प्रकाशन गृह ‘प्रकाशन प्रभाग’ देश के सबसे प्रशंसित पुस्तक मेलों में से एक 31वें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में पुस्तकों और पत्रिकाओं के अपने विस्‍तृत संग्रह को प्रदर्शि‍त करेगा। यह 9 दिवसीय विशाल पुस्तक मेला 25 फरवरी से लेकर 5 मार्च, 2023 तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्‍थ भारत सरकार के एक स्वायत्त संगठन नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।

प्रकाशन प्रभाग अपने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पुस्तक संग्रह को प्रदर्शि‍त करेगा, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संगाम पर प्रकाश डाला जाएगा और उन स्वतंत्रता सेनानियों को स्‍मरण किया जाएगा जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। पुस्तक मेले में इतिहास, कला एवं संस्कृति, गांधीवादी साहित्य, भूमि एवं लोग, व्यक्तित्व व जीवनी, सिनेमा, और बाल साहित्य जैसे विषयों पर शीर्षक भी शामिल होंगे। इसके अलावा प्रकाशन प्रभाग राष्ट्रपति भवन से संबंधित अपनी पुस्‍तकों की विशिष्‍ट श्रृंखला के साथ-साथ राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्री के भाषणों को भी इस पुस्‍तक मेले में प्रस्‍तुत करेगा, जो कि प्रकाशन विभाग द्वारा विशेष रूप से प्रकाशित किए गए हैं। शीर्षकों का सूचनात्मक संग्रह पाठकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की गहरी समझ के साथ-साथ समसामयिक मुद्दों पर विशिष्‍ट जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है।

बुक स्टाल पर पुस्तकों के अलावा प्रकाशन प्रभाग की प्रमुख पत्रिकाएं जैसे कि योजना, कुरुक्षेत्र और आजकल भी उपलब्ध होंगी। बच्चों की लोकप्रिय पत्रिका ‘बाल भारती’ भी इस मेले का हिस्सा होगी। प्रकाशन प्रभाग का बहुप्रतीक्षित साप्ताहिक रोजगार समाचार पत्र ‘एम्प्लॉयमेंट न्यूज (रोजगार समाचार)’ भी इस मेले में उपलब्ध होगा।

प्रकाशन प्रभाग स्टाल नंबर 171-186, हॉल नंबर 5, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में अपनी पुस्तकों और पत्रिकाओं को प्रदर्शि‍त करेगा।

भारत का सबसे बड़ा पुस्तक मेला कौन सा है?

कोलकाता पुस्तक मेला, दुनिया का सबसे बड़ा गैर-व्यापार पुस्तक मेला, एशिया में सबसे बड़ा पुस्तक मेला होने का गौरव भी अर्जित किया था। "लंदन में फ्रैंकफर्ट बुक फेयर और बुक फेयर के बाद यह किताबों का तीसरा सबसे बड़ा वार्षिक समूह है।"



गवर्नर लिस्ट 2023: इन राज्यों के लिए नियुक्त हुए हैं नए राज्यपाल, जानें प्रमुख सूची

List of Governor

राष्ट्रपति ने कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में प्रमुख नियक्ति की सहमति दिया है जिसके सनुसार कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में परिवर्तन किया गया है. राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में श्री भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में श्री राधा कृष्णन माथुर के इस्तीफे को स्वीकृति दे दी है।

राष्ट्रपति ने निम्नलिखित नियुक्तियां करने हुए प्रसन्नता व्यक्त की है:-

(i) लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, वाईएसएम (सेवानिवृत्त) की अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(ii) श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य की सिक्किम के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(iii) श्री सी.पी. राधाकृष्णन की झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(iv) श्री शिव प्रताप शुक्ल की हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रुप में नियुक्ति

(v) श्री गुलाब चंद कटारिया की असम के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(vi) श्री न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नज़ीर की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(vii) आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री बिस्वा भूषण हरिचंदन की छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रूप में नियुक्ति

(viii) छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके की मणिपुर के राज्यपाल रुप में नियुक्ति

(ix) मणिपुर के राज्यपाल श्री ला गणेशन की नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(x) बिहार के राज्यपाल श्री फागू चौहान की मेघालय के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xi) हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xii) झारखंड के राज्यपाल श्री रमेश बैस की महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xiii) अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) श्री बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) की लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्ति

उपरोक्त नियुक्तियां उनके संबंधित कार्यालयों का प्रभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगी।