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काज़िंड-2023: भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास, Facts in Brief

Exercise karzind 2023 Facts in brief

भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है काज़िंड-2023 जिसका आयोजन 30 अक्टूबर से 11 नवंबर 2023 तक कतर, कजाकिस्तान में किया जाएगा। भारतीय थलसेना और भारतीय वायु सेना की 120 सैन्‍य कर्मियों वाली टुकड़ी संयुक्त सैन्य ‘अभ्‍यास काज़िंड-2023’ के 7वें संस्करण में भाग लेंगी । 

भारतीय सेना के दल में डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के नेतृत्व में 90 सैन्‍य कर्मी शामिल हैं। कजाकिस्तान के सैन्‍य दल का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से कजाख ग्राउंड फोर्सेज के दक्षिण क्षेत्रीय कमान के सैन्‍य कर्मियों द्वारा किया जाता है। इस सैन्‍य अभ्यास के वर्तमान संस्करण में सेना की टुकड़ियों के साथ दोनों पक्षों से वायु सेना के 30 सैन्‍य कर्मी भी भाग लेंगे।

2016 में शुरू किया गया

भारत और कजाकिस्तान के बीच संयुक्त अभ्यास को वर्ष 2016 में ‘एक्सरसाइज प्रबल दोस्‍तीक’ के रूप में शुरू किया गया था। दूसरे संस्करण के बाद, अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर ‘एक्सरसाइज काज़िंड’ कर दिया गया। इस वर्ष वायु सेना को शामिल करके अभ्यास को द्वि-सेवा अभ्यास के रूप में अपग्रेड किया गया है। 

अभ्यास के इस संस्करण में, दोनों सैन्‍य पक्ष संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के अंतर्गत उप-औपचारिक वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करेंगे। यह टुकड़ियां संयुक्त रूप से विभिन्न सामरिक अभ्यासों का अभ्यास करेंगी, जिसमें छापेमारी, खोज और विनाश संचालन, छोटी टीम प्रविष्टि और निष्कर्षण संचालन आदि शामिल हैं। अभ्यास के कार्यक्षेत्र में काउंटर मानव रहित हवाई प्रणाली संचालन भी शामिल है।

एक्सरसाइज काज़िंड-2023: Facts

‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सैन्‍य पक्षों को एक-दूसरे की रणनीति, युद्ध अभ्यास और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने का अवसर प्रदान करेगा, जो संयुक्त राष्ट्र कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कार्य संचालन के लिए जरूरी है। इस संयुक्त प्रशिक्षण से अर्ध-शहरी और शहरी परिस्थितियों में संयुक्त सैन्य अभियान के संचालन के लिए अपेक्षित कौशल, लचीलापन और समन्वय को विकसित करेगा।

दोनों सैन्य पक्षों को युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर अभ्यास करने और एक-दूसरे से पारस्परिक रूप से सीखने का अवसर प्राप्‍त होगा। यह अभ्यास प्रतिभागियों को विचारों का आदान-प्रदान करने और सर्वश्रेष्‍ठ अभ्‍यासों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। ‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और अधिक प्रबल करेगा।

वर्ल्ड वेटलैंड्स डे 2023 : महत्व, रामसर साइटों की संख्या और जाने अन्य खास बातें

World Wetland Day Significance History

वेटलैंड या आर्द्रभूमि वास्तव में ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ पर्यावरण और संबंधित पौधे व पशु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक क्षेत्र में उपलब्ध जल को माना जाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वेटलैंड या आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ पानी की मात्रा इतनी अधिक होती है कि यह मिट्टी को संतृप्त कर देती है या इसे उथले पानी से ढक देती है.

वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए 2023 की विषयवस्तु 'वेटलैंड रिस्टोरेशन' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस जाता है। 

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, ने गोवा के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में 'आर्द्रभूमि बचाओ अभियान' का शुभारंभ किया। यह अभियान वेटलैंड्स का संरक्षण करने के लिए "सम्पूर्ण  समाज" के दृष्टिकोण के साथ ही समाज के सभी स्तरों पर आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए सकारात्मक कार्यों को सक्षम बनाते हुए समाज के सभी स्तरों को इस अभियान में शामिल करता है। अगले एक वर्ष के दौरान इस अभियान में आर्द्रभूमि के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना, आर्द्रभूमि मित्र के कार्यक्षेत्र को बढ़ाना और आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए नागरिक भागीदारी का निर्माण करना शामिल होगा।

शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (जम्मू कश्मीर) जहाँ है चार लाख से अधिक पक्षियों का आश्रय

गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में 75 रामसर स्थलों की उपलब्धि और प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार को बधाई दी। उन्होंने नंदा झील को रामसर साईट के रूप में नामित करने में राज्य का समर्थन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया।

विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में

ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी सन् 1971  को हुए सम्मेलन में आर्द्रभूमियों के संरक्षण से संबंधित अभिसमय पर हस्ताक्षर किया गया। वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस जाता है। भारत 1982 से इस कन्वेंशन  का एक पक्ष है और अब तक 23 राज्यों एवं  केंद्र शासित प्रदेशों को समाहित करते हुए 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित कर चुका है।

 वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए 2023 की विषयवस्तु 'वेटलैंड रिस्टोरेशन' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। यह एक पूरी पीढ़ी के लिए आह्वान है कि आर्द्रभूमियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी निवेश करके आर्द्रभूमियों के लिए सक्रिय कार्रवाई करें और जो खराब स्थिति में पहुँच  चुकी हैं उन्हें पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करें।

 भारत के पास एशिया में रामसर साइटों का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो इन साइटों को वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव कल्याण का समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक नेटवर्क बनाता है।

 पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2022 में सहभागिता मिशन शुरू किया जो 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की 75 आर्द्रभूमियों के एक स्वस्थ और प्रभावी ढंग से प्रबंधित नेटवर्क ‘का अभियान है जिसके अंतर्गत पानी और खाद्य सुरक्षा, बाढ़, सूखा, चक्रवात और अन्य चरम घटनाओं से बचाव, रोजगार सृजन, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की प्रजातियों का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन क्रियाएं, और सांस्कृतिक विरासत की मान्यता, संरक्षण और आयोजनों को सहायता दी जाती है।  

वेटलैंड्स से होने वाले लाभ क्या हैं? 

जल संरक्षण: वेटलैंड्स पानी को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं, जिससे बाढ़ और सूखे को कम करने में मदद मिलती है.

जल शोधन:वेटलैंड्स पानी को प्रदूषण से मुक्त करते हैं, जिससे पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है.

जैव विविधता का संरक्षण: वेटलैंड्स कई प्रजातियों के पौधों और जानवरों का घर हैं, जिनमें कुछ प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे में हैं.

मनोरंजन: वेटलैंड्स लोगों के लिए मनोरंजन और शिक्षा के लिए एक लोकप्रिय स्थान हैं.

नए संसद भवन का निर्माण क्यों जबकि मौजूदा संसद भवन का नवीनीकरण किया जा सकता था: Facts In Brief

pm modi inaugurated new parliament building on 28 may

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार  की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है जिसे 'काउंसिल हाउस' के रूप में डिजाइन किया गया था और इसे 1927 में पूरा किया गया था। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो इसे संसद भवन के रूप में परिवर्तित किया गया। मौजूदा भवन को पूर्णविकसित लोकतंत्र हेतु द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था।

सेंट्रल विस्टा विकास / पुनर्विकास योजना एक पीढ़ीगत बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना है, जिसमें 6 वर्षों में फैली कई परियोजनाएं शामिल हैं।

विभिन्न संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के अनुसार 1976 से लोकसभा की मौजूदा संख्या 552 पर स्थिर बनी हुई है। इसका मतलब है कि आज, संसद का प्रत्येक सदस्य औसतन 25 लाख नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है । यह संख्या स्वतंत्रता के समय - लगभग 5 लाख - की तुलना में और दुनिया के अन्य लोकतंत्रों की तुलना में बहुत अधिक है और भारत की बढ़ती आबादी के साथ यह भी बढ़ती रहेगी । नतीजतन, भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कई जरूरी मांगें उठी हैं। संसद सदस्य संख्या विस्तार पर पाबंदी समाप्त होने के बाद अगर 2026 में यह संख्या बढ़ जाती है तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि संसद भवन में कार्य करने के लिए एक व्यापक व्यवस्था हो।

वर्तमान संसद भवन विभिन्न कारणों से पहले ही अत्यधिक दबाव में है। इसके संरचना का विस्तार से अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि यदि संसद की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है , इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है , तो नया संसद भवन आवश्यक होगा।

वर्तमान संसद भवन विभिन्न कारणों से पहले ही अत्यधिक दबाव में है:

मौजूदा लोकसभा और केन्द्रीय कक्ष अपनी पूरी क्षमता तक भरे हुए हैं और उनका और अधिक विस्तार नहीं किया जा सकता। लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति और केंद्रीय कक्ष में अधिकतम 436 व्यक्ति बैठ सकते हैं। हालांकि, संयुक्त सत्र के दौरान गलियारों में कम से कम 200 तदर्थ/अस्थायी सीटें जोड़ी जाती हैं जो कि गरिमाहीन और असुरक्षित है।

मंत्रियों के कार्यालय और बैठक कक्ष, भोजन सुविधाएं, प्रेस कक्ष इत्यादि जैसी सुविधाएं अपर्याप्त हैं, इनके लिए अस्थायी व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो हमेशा सुविधापूर्ण या सम्मानजनक नहीं होती है।

तकनीकी प्रगति और कार्यात्मकता को बनाए रखने के लिए, पिछले कुछ वर्षों में इस इमारत में कई जुड़ाव और बदलाव किए गए हैं , जिनसे इस इमारत की संरचना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है।

इस भवन की विद्युत, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, दृश्य-श्रव्य, ध्वनिक, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और सुरक्षा अवसंरचना बिल्कुल पुरानी है और इसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

इस भवन में परिवर्धन असंवेदनशील तरीके से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, इस इमारत के बाहरी गोलाकार हिस्से में 1956 में जोड़ी गई दो नई मंजिलों ने मूल भवन के अग्रभाग को बदलते हुए सेंट्रल हॉल के गुंबद को छिपा दिया है। जाली वाली खिड़कियों को ढकने से संसद के दो सदनों के हॉल में प्राकृतिक रोशनी कम हो गई है।

93 साल पुरानी इस इमारत में अपनी संरचनात्मक मजबूती स्थापित करने के लिए समुचित दस्तावेजीकरण और मानचित्रण का अभाव है । चूंकि इसकी संरचनात्मक मजबूती को स्थापित करने के लिए बेधन परीक्षण नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि वे संसद के कामकाज को गंभीर रूप से बाधित कर सकते हैं, इसलिए इस भवन को भूकंपरोधी प्रमाणित नहीं किया जा सकता है । यह विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि दिल्ली का भूकंप जोखिम गुणॉक भवन निर्माण के समय के भूकंपीय क्षेत्र- II से भूकंपीय क्षेत्र- IV में स्थानांतरित हो गया है, जिसके जोन-V में बढ़ जाने की संभावना है।

अग्नि से सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि इस भवन को आधुनिक अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है। इससे आपात स्थिति में, निकासी की व्यवस्था अत्यंत अपर्याप्त और असुरक्षित है।

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि संसद भवन की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है और इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो वर्तमान भवन की मरम्मत करके ऐसा करना संभव नहीं है। इसके लिए एक नए, उद्देश्यपूर्ण संसद भवन का निर्माण करना आवश्यक होगा।

माननीय लोक सभा अध्यक्षों अर्थात श्रीमती मीरा कुमार ने दिनांक 13.07.2012, श्रीमती सुमित्रा महाजन ने दिनांक 09.12.2015 और श्री ओम बिरला ने दिनांक 02.08.2019 के अपने पत्र में सरकार से संसद के लिए नए भवन के निर्माण का अनुरोध किया।

(Source: मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)

नए संसद भवन के डिज़ाइन में मिलेंगे: राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद और भी बहुत कुछ

New Parliament and its unique features

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। 
नए संसद भवन में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये साम्रगियों और देश की विशिष्ट विविधताओं को भी समाहित किया गया है. 

 इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ सेंगोल को स्थापित किया। उन्होंने दीया भी प्रज्वलित किया और सेंगोल को पुष्प अर्पित किए।

 इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है। 

नए संसद भवन में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये साम्रगियों और देश की विशिष्ट विविधताओं को भी समाहित किया है. 

नया संसद भवन: पाएं झलक 

  1.  लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है।
  2.  राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। 
  3.  संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। 
  4.  इसमें राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर लगाए गए हैं।
  5.  ये जो लकड़ी का काम वो महाराष्ट्र से आई है। 
  6. यूपी में भदोही के कारीगरों ने इसके लिए अपने हाथ से कालीनों को बुना है। 
  7.  इस संसद भवन ने करीब 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का भी काम किया है।

ये सिर्फ एक भवन नहीं है। ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। ये विश्व को भारत के दृढ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। ये नया संसद भवन, योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। ये नया भवन, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा। ये नया भवन, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। ये नया भवन, विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। ये नया भवन, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श है।

हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है, इस नए भवन ने उन सबको समाहित किया है। एक तरह से, इस भवन के कण-कण में हमें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के दर्शन होंगे।


आखिर क्यों हुई नई संसद की आवश्यकता: Facts In Brief

New Parliament building Need Coast Facts in Brief

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार के ऑफिसियल वेबसाइट पर दिए गए तथ्यों के अनुसार  संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। यह लगभग 100 वर्ष पुराना एक विरासत ग्रेड-I भवन है।

 गत वर्षों में, संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है। इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है। इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया है। इसीलिए, यह अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा हैं तथा स्थान, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी जैसे मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है।

सांसदों के बैठने की संकीर्ण जगह

वर्तमान भवन को पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 पर अपरिवर्तित बनी हुई है। 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर स्थिरता केवल 2026 तक ही है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।

अप्रचलित संचार संरचनाएं

वर्तमान संसद भवन में, संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन कालीन है। सभी हॉलों की ध्वनिकी में बड़े सुधार की आवश्यकता है।

सुरक्षा सरोकार

इस भवन की संरचनात्मक सुरक्षा चिंताएं हैं। वर्तमान संसद भवन तब बनाया गया था जब दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र- II में थी, वर्तमान में यह भूकंपीय क्षेत्र- IV में है।

कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र

कार्यक्षेत्र की बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खराब गुणवत्ता वाले और संकीर्ण कार्यस्थल बने। स्थान की लगातार बढ़ती हुई मांग को समायोजित करने के लिए, मौजूदा कार्यक्षेत्र के भीतर उप-विभाजन बनाए गए, जिससे कार्यालय में भीड़भाड़ हो गई।

(Source: मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)

भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास अल मोहेद अल हिंदी- 2023: Facts in Brief

MARITIME EXERCISE AL MOHED AL HINDI 23

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: 
भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच द्विपक्षीय अभ्यास है जिसके दूसरे को सऊदी अरब में आयोजित किया गया. भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच 23-25 मई, 2023 को सऊदी अरब के अल जुबैल में आयोजित किया गया। 

भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के बीच द्विपक्षीय अभ्यास 'अल मोहेद अल हिंदी- 2023' के दूसरे संस्करण का समुद्री चरण 23-25 मई, 2023 को सऊदी अरब के अल जुबैल में आयोजित किया गया। भारत की ओर से इस अभ्यास में आईएनएस तरकश, आईएनएस सुभद्रा और डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) ने हिस्सा लिया। वहीं, आरएसएनएफ का प्रतिनिधित्व एचएमएस बद्र व अब्दुल अजीज, एमएच  60आर हेलो और यूएवी द्वारा किया गया।

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: भारत की और से हिस्सा लेने वाले युद्धपोत 

  • आईएनएस तरकश, 
  • आईएनएस सुभद्रा 
  • डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) 

अल मोहेद अल हिंदी- 2023: सऊदी अरब की और से हिस्सा लेने वाले युद्धपोत 

  • एचएमएस बद्र व अब्दुल अजीज, 
  • एमएच  60आर हेलो 
  • यूएवी

समुद्र में आयोजित इस तीन दिवसीय अभ्यास में समुद्री परिचालनों की एक व्यापक पहुंच देखी गई। इस अभ्यास का समापन समुद्र में डीब्रीफ (अभ्यास पूरा होने पर सवाल-जवाब) के साथ हुआ और उसके बाद पारंपरिक स्टीम पास्ट हुआ। 

'अल मोहेद अल हिंदी- 2023' के सफल आयोजन ने दोनों नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर की पेशेवरता, अंतरपरिचालनीयता और सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों के आदान-प्रदान को प्रदर्शित किया। इस द्विपक्षीय अभ्यास ने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया है। दोनों पक्ष इसके अगले संस्करण में इसे और अधिक उन्नत स्तर पर ले जाने की सोच रखते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया मिजोरम में 2415 करोड़ रुपये के कई विकास कार्यों का उद्घाटन: Facts in Brief

 2415 Cr Development Works Inaugurated in Mizoram


केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मिजोरम की राजधानी आइजोल में आज 2415 करोड़ रुपये के कई विकास कार्यों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री ज़ोरमथांगा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थिति थे।

 असम राइफल्स की नई बटालियन मुख्यालय का उद्घाटन किया गया है।  इसके साथ ही राज्य के विकास के लिए मिजोरम सरकार को जमीन सौंपने के लिए गृह मंत्रालय, असम सरकार और मिजोरम सरकार के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से यहां विकास के नए रास्ते खुलेंगे। 

 लालडेंगा लम्मुअल सेंटर का शिलान्यास भी किया गया है जो इस क्षेत्र को एक बहुत अच्छे सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और मिजोरम सरकार राज्य के लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में आज लगभग 2500 करोड़ रुपये की 11 विभिन्न योजनाओं के तहत लोकार्पण और शिलान्यास हो चुका है।

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने कहा कि मिजोरम के सर्वांगीण विकास के लिए करीब 1200 करोड़ रुपये की 4 नई सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इससे मिजोरम के उद्योग और व्यापार में काफी वृद्धि होगी और मिजोरम और म्यांमार के बीच व्यापार आसान होगा। उन्होंने कहा कि मिजोरम के गठन और राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से यह 36वां वर्ष है और इस अवधि के दौरान मिजोरम ने काफी प्रगति की है।

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में 2014 की तुलना में 2021 में हिंसक घटनाओं में 67 प्रतिशत की कमी, सुरक्षा बलों की मौत में 60 प्रतिशत की कमी और नागरिकों की मौत में 83 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक उग्रवादी संगठनों के लगभग 8000 काडर आत्मसमर्पण कर समूचे पूर्वोत्तर में मुख्य धारा में शामिल हो चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 2019 में त्रिपुरा में एनएलएफटी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, 2020 में ब्रू समझौते पर हस्ताक्षर करके त्रिपुरा में लगभग 37,000 लोगों का पुनर्वास किया। सरकार ने असम में बोडो समझौते पर हस्ताक्षर करके शांति स्थापित की। 2021 और ऊपरी असम में भी 2022 में कार्बी-एंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर करके शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में अफ्सपा के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आई है।

श्री अमित शाह ने कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी जी पूर्वोत्तर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 53 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है और ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के निर्देशानुसार भारत सरकार के मंत्रियों ने 432 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है।

 श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पीएम-डिवाइन से पूर्वोत्तर के बजट में 276 प्रतिशत की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2025 से पहले 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की राजधानियों के बीच रेल, सड़क और हवाई संपर्क का विकास किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि मिजोरम में अपार संभावनाएं हैं। विकास के लिए और विशेष रूप से श्री ज़ोरमथांगा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, मिज़ोरम की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और पिछले दशक में सकल घरेलू उत्पाद औसतन 12.15 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 

प्रगति मैदान में हुआ 23वां इंडियासॉफ्ट का उद्घाटन: Facts in Brief


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुश्री अनुप्रिया पटेल ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में इंडियासॉफ्ट के 23वें संस्करण का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों के 650 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 1500 से अधिक भारतीय प्रदर्शक इस कार्यक्रम तथा इससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों में अपने उत्पादों तथा समाधानों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

सुश्री पटेल ने कहा कि अभी से लेकर 2047 तक, जिसे हम प्यार से अमृत काल कहते हैं, की अवधि के दौरान भारत हर प्रत्येक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है - यह हमारा साझा विजन है, सामूहिक लक्ष्य है और हमारे गौरवशाली इतिहास में एक रूपांतरकारी मोड़ है।

2047 तक भारत 32 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ एक विकसित देश बन जाएगा जो भारत और वैश्विक समुदाय के लिए भी समान रूप से एक निर्णायक क्षण होगा। विकास का यह परिमाण आईसीटी सेक्टर में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अत्यधिक प्रभावित होगा।

 इंडियासॉफ्ट के अगले तीन दिनों के दौरान 70 से अधिक नए उत्पाद लांच किए जा रहे हैं, जिन्हें भारत के अनुसंधान एवं विकास के अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों की टीम के प्रयासों के माध्यम से विकसित और परिपूर्ण किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ यह उस प्रकार की उपलब्धियों को दर्शाता है जो भारत ने डिजिटल क्षेत्र में अर्जित किया है और ये 2047 तक एक विकसित देश बनने के भारत के संकल्प को और भी मजबूत बनाती हैं।

भारत का निर्यात, वस्तु एवं सेवा निर्यात दोनों ही, वित्त वर्ष 2021-22 के 650 बिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 तक 750 बिलियन की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। 

आज से आरंभ हुए इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों के 650 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 1500 से अधिक भारतीय प्रदर्शक इस कार्यक्रम तथा इससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों में अपने उत्पादों तथा समाधानों का प्रदर्शन कर रहे हैं। क्यूबा के उप संचार मंत्री सुश्री ग्रिसेल ईयूलालिया, चिली के अरुकानिया के रीजनल गर्वनर श्री रिवास स्टेपके लुसियानो अलेजैंद्रो ने भी अपने शिष्टमंडलों के साथ उद्घाटन समारोह में भाग लिया।

इससे पूर्व, शिष्टमंडलों का स्वागत करते हुए ईएससी के अध्यक्ष श्री संदीप नरुला ने कहा कि 2030 तक भारत का आईसीटी सक्टर 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा जो देश द्वारा अनुसंधान एवं विकास, नवोन्मेषण और व्यवधानों को दूर करने पर दिए जाने वाले ध्यान के कारण संभव हो पाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत निर्यात की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब हमने 80 के दशक के आखिर में आईटी और आईटीईएस का निर्यात करना आरंभ किया था, तो यह केवल 50 मिलियन डॉलर था, जो अब बढ़ कर 200 बिलियन डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने विभिन्न स्कीमों को लागू करने के द्वारा सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटाइज किया है जो नागरिकों को सरकारी डिलीवरी प्रणाली से सेवाओं तक सहजता से पहुंच बनाने में सक्षम बनाती है। 

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘बहुत से देश भारत की सफल स्कीमों का अनुकरण कर सकते हैं और हम उनके डिजिटल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में अपनी विशेषज्ञता को साझा करने के इच्छुक हैं। ‘‘ श्री नरुला ने कहा कि इंडियासॉफ्ट और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, जिनमें ईएससी नियमित रूप से भाग लेता है, भारतीय आईसीटी सेक्टर के लिए बहुत सारे व्यावसायिक अवसर जेनेरेट हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रयत्न जारी रहेंगे।

दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023: अपने सफर के 50 वे वर्ष में, फ़्रांस होगा अतिथि देश

World Book Fair 2023 Facts

नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जाएगा. दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला इस बार अपनी 50 साल की यात्रा का उत्सव मना रहा है। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में प्रगति मैदान के नवनिर्मित हॉल 2-5 GF, में सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

अतिथि देश के रूप में फ्रांस इस 9 दिवसीय पुस्तक मेले शामिल होगा इसके साथ ही फ्रांस के अनेक चित्रकारों तथा प्रकाशकों के अतिरिक्त, नोबेल पुरस्कार विजेता, फ्रांस, सुश्री आनी ओरनौ के नेतृत्व में फ्रांसीसी लेखकों का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा। 

भारत सरकार का प्रमुख प्रकाशन गृह ‘प्रकाशन प्रभाग’ देश के सबसे प्रशंसित पुस्तक मेलों में से एक 31वें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में पुस्तकों और पत्रिकाओं के अपने विस्‍तृत संग्रह को प्रदर्शि‍त करेगा। यह 9 दिवसीय विशाल पुस्तक मेला 25 फरवरी से लेकर 5 मार्च, 2023 तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्‍थ भारत सरकार के एक स्वायत्त संगठन नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।

प्रकाशन प्रभाग अपने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पुस्तक संग्रह को प्रदर्शि‍त करेगा, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संगाम पर प्रकाश डाला जाएगा और उन स्वतंत्रता सेनानियों को स्‍मरण किया जाएगा जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। पुस्तक मेले में इतिहास, कला एवं संस्कृति, गांधीवादी साहित्य, भूमि एवं लोग, व्यक्तित्व व जीवनी, सिनेमा, और बाल साहित्य जैसे विषयों पर शीर्षक भी शामिल होंगे। इसके अलावा प्रकाशन प्रभाग राष्ट्रपति भवन से संबंधित अपनी पुस्‍तकों की विशिष्‍ट श्रृंखला के साथ-साथ राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्री के भाषणों को भी इस पुस्‍तक मेले में प्रस्‍तुत करेगा, जो कि प्रकाशन विभाग द्वारा विशेष रूप से प्रकाशित किए गए हैं। शीर्षकों का सूचनात्मक संग्रह पाठकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की गहरी समझ के साथ-साथ समसामयिक मुद्दों पर विशिष्‍ट जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है।

बुक स्टाल पर पुस्तकों के अलावा प्रकाशन प्रभाग की प्रमुख पत्रिकाएं जैसे कि योजना, कुरुक्षेत्र और आजकल भी उपलब्ध होंगी। बच्चों की लोकप्रिय पत्रिका ‘बाल भारती’ भी इस मेले का हिस्सा होगी। प्रकाशन प्रभाग का बहुप्रतीक्षित साप्ताहिक रोजगार समाचार पत्र ‘एम्प्लॉयमेंट न्यूज (रोजगार समाचार)’ भी इस मेले में उपलब्ध होगा।

प्रकाशन प्रभाग स्टाल नंबर 171-186, हॉल नंबर 5, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में अपनी पुस्तकों और पत्रिकाओं को प्रदर्शि‍त करेगा।

भारत का सबसे बड़ा पुस्तक मेला कौन सा है?

कोलकाता पुस्तक मेला, दुनिया का सबसे बड़ा गैर-व्यापार पुस्तक मेला, एशिया में सबसे बड़ा पुस्तक मेला होने का गौरव भी अर्जित किया था। "लंदन में फ्रैंकफर्ट बुक फेयर और बुक फेयर के बाद यह किताबों का तीसरा सबसे बड़ा वार्षिक समूह है।"



गवर्नर लिस्ट 2023: इन राज्यों के लिए नियुक्त हुए हैं नए राज्यपाल, जानें प्रमुख सूची

List of Governor

राष्ट्रपति ने कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में प्रमुख नियक्ति की सहमति दिया है जिसके सनुसार कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में परिवर्तन किया गया है. राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में श्री भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में श्री राधा कृष्णन माथुर के इस्तीफे को स्वीकृति दे दी है।

राष्ट्रपति ने निम्नलिखित नियुक्तियां करने हुए प्रसन्नता व्यक्त की है:-

(i) लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, वाईएसएम (सेवानिवृत्त) की अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(ii) श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य की सिक्किम के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(iii) श्री सी.पी. राधाकृष्णन की झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(iv) श्री शिव प्रताप शुक्ल की हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रुप में नियुक्ति

(v) श्री गुलाब चंद कटारिया की असम के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(vi) श्री न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नज़ीर की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(vii) आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री बिस्वा भूषण हरिचंदन की छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रूप में नियुक्ति

(viii) छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके की मणिपुर के राज्यपाल रुप में नियुक्ति

(ix) मणिपुर के राज्यपाल श्री ला गणेशन की नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(x) बिहार के राज्यपाल श्री फागू चौहान की मेघालय के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xi) हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xii) झारखंड के राज्यपाल श्री रमेश बैस की महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति

(xiii) अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) श्री बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) की लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्ति

उपरोक्त नियुक्तियां उनके संबंधित कार्यालयों का प्रभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगी।

Sea Vigil 2022: भारत के सम्पूर्ण 7516 किलोमीटर के समुद्र तट की सुरक्षा को समर्पित, जानें खास बातें


सी विजिल -22: पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा और इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और अन्य ऐसे मंत्रालयों के साथ मिल कर समन्वयपूर्वक किया जा रहा है जिनका कार्य समुद्री गतिविधियों से संबंधित है।

'पैन-इंडिया' तटीय रक्षा अभ्यास 'सी विजिल -22' का तीसरा संस्करण दिनांक 15-16 नवंबर 2022 को आयोजित किया जाएगा। इस राष्ट्रीय स्तर के तटीय रक्षा अभ्यास की परिकल्पना 2018 में '26/11' के बाद से समुद्री सुरक्षा को पुख़्ता करने के लिए उठाए गए अनेक कदमों की पुष्टि करने के लिए की गई थी। तटीय सुरक्षा के तटीय रक्षा निर्माण ढांचे का एक प्रमुख अंग होने के नाते, 'सी विजिल' की अवधारणा पूरे भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र को सक्रिय करना और व्यापक तटीय रक्षा तंत्र का आकलन करना है।

यह अभ्यास पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा और इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और अन्य ऐसे मंत्रालयों के साथ मिल कर समन्वयपूर्वक किया जा रहा है जिनका कार्य समुद्री गतिविधियों से संबंधित है।

अभ्यास का पैमाना और वैचारिक विस्तार भौगोलिक सीमा, शामिल हितधारकों की संख्या, भाग लेने वाली इकाइयों की संख्या और प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों के दृष्टिकोण से अभूतपूर्व है। यह अभ्यास प्रमुख थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स) की ओर एक बिल्ड अप है, जिसे भारतीय नौसेना हर दो साल में आयोजित करती है। सी विजिल और ट्रोपेक्स एक साथ पूरे स्पेक्ट्रम में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कवर करेंगे। भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्तियां सी विजिल अभ्यास में भाग लेंगी। रक्षा मंत्रालय के अलावा इस अभ्यास के संचालन में गृह मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, सीमा शुल्क, और केंद्र/राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा भी मदद की जा रही है।

हालांकि तटीय राज्यों में नियमित रूप से छोटे पैमाने पर अभ्यास आयोजित किए जाते हैं जिसमें आसपास के प्रदेशों के बीच संयुक्त अभ्यास शामिल हैं, राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री सतर्कता अभ्यास का उद्देश्य एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करना है। यह समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा के क्षेत्र में हमारी तैयारियों का आकलन करने के लिए शीर्ष स्तर पर अवसर प्रदान करता है। अभ्यास सी विजिल-22 हमारी ताकत और कमजोरियों का वास्तविक मूल्यांकन प्रदान करेगा एवं इस प्रकार समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने में मदद करेगा।

क्यूआरएसएएम का सफल परीक्षण किया: जाने क्या होता है क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल

QRSAM Missile Facts You Need to Know

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने ओडीशा तट के निकट एकीकृत परीक्षण क्षेत्र, चांदीपुर से क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली (क्यूआरएसएएम)की छह उड़ानों का सफल परीक्षण किया है। क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली का नयापन यह है कि वह चलित स्थिति में भी काम कर सकती है। इसमें थोड़ी सी देर रुककर तलाश, ट्रैकिंग और गोला-बारी करने की क्षमता है। पूर्व में इसका परीक्षण किया जा चुका है। ये उड़ान परीक्षण भारतीय सेना द्वारा किये जाने वाले मूल्यांकन परीक्षण का हिस्सा हैं।

उड़ान परीक्षण उच्च गति वाले लक्ष्यों पर किया गया था। ये लक्ष्य वास्तविक खतरे के प्रकार के बनाये गये थे, ताकि विभिन्न हालात में हथियार प्रणालियों की क्षमता का आकलन किया जा सके। इसमें लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य, छोटी रेंज वाले लक्ष्य, ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य, राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्य शामिल थे। इन सबको ध्यान में रखते हुये तेजी के साथ दो मिसाइल दागे गये। प्रणाली के काम करने का मूल्यांकन रात व दिन की परिस्थितियों में भी किया गया।

इन परीक्षणों के दौरान, सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी सटीकता के साथ भेदा गया। मूल्यांकन में हथियार प्रणाली और उसका उत्कृष्ट दिशा-निर्देश और नियंत्रण सटीक पाया गया। इसमें युद्धक सामग्री भी शामिल थी। प्रणाली के प्रदर्शन की पुष्टि आईटीआर द्वारा विकसित टेलीमेट्री, राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली से भी की गई। डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया।

ये परीक्षण स्वदेश में विकसित समस्त उप-प्रणालियों की तैनाती के तहत किया गया, जिसमें स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, मोबाइल लॉन्चर, पूरी तरह स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी और बहुपयोगी राडार शामिल है। क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली का नयापन यह है कि वह चलित स्थिति में भी काम कर सकती है। इसमें थोड़ी सी देर रुककर तलाश, ट्रैकिंग और गोला-बारी करने की क्षमता है। पूर्व में इसका परीक्षण किया जा चुका है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षणों के लिये डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने भरोसा जताया कि क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली सशस्त्र बलों की शक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी होगी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने सफल परीक्षणों से जुड़े दल को बधाई दी और कहा कि यह प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिये तैयार है।

भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" लद्दाख में स्थापित की जाएगी: Facts in Brief

India first Night Sky Sanctuary in Ladakh Facts in Brief

एस्ट्रो पर्यटन को बढ़ावा देने तथा ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे टेलिस्कोप के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक होने वाला भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" लद्दाख में स्थापित की जाएगी। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक विशिष्ट और अपनी तरह की पहली पहल के तहत लद्दाख में भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस सैंक्चुअरी की स्थापना का कार्य अगले तीन महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। 

 केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर. के. माथुर के साथ मुलाकात करने के बाद  बताया कि केन्द्र शासित प्रशासन लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के बीच डार्क स्पेस रिजर्व की स्थापना के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

यह प्रस्तावित डार्क स्काई रिजर्व चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूप में लद्दाख के हनले में स्थापित किया जाएगा। इससे देश में एस्ट्रो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे टेलिस्कोप के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक होगा। 

सभी हितधारक संयुक्त रूप से अवांछित प्रकाश प्रदूषण और रोशनी से रात्रिकालीन आकाश के संरक्षण की दिशा में कार्य करेंगे, जो वैज्ञानिक अवलोकनों और प्राकृतिक आकाश की स्थिति के लिए एक गंभीर खतरा है। 

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हनले इस परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह लद्दाख के सबसे ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है और किसी भी प्रकार की मानवीय बाधाओं से दूर है और यहां पूरे साल आसमान साफ रहता है और शुष्क मौसम की स्थिति मौजूद रहती है। 

भारत-ओमान संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजफ IV: Facts in Brief

Indo Oman Military Exercise Al Najaf

भारत और ओमान के बीच आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजफ IV आज महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित हुआ । इस अभ्यास में स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर 'ध्रुव', ड्रोन और नई पीढ़ी की विभिन्न तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल भी शामिल था।   दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने संयुक्त रूप से सत्यापन अभ्यास में भाग लिया जिसमें मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे ।यह प्लाटून स्तर 13 दिनों का सैन्य अभ्यास था जिसका आरम्भ 1 अगस्त 2022 को शुरू हुआ था।

अल नजफ IV: Facts in Brief 

  • भारतीय दल मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की 18वीं बटालियन से था। 
  • ओमान की शाही सेना का प्रतिनिधित्व ओमान पैराशूट रेजिमेंट के सुल्तान ने किया था.
  • यह सैन्य अभ्यास तीन चरणों में आयोजित किया गया । 
  • कॉम्बैट कंडीशनिंग, साझा ड्रिल्स,मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे

इस अभ्यास का उद्देश्य अंतर-संचालनीयता प्राप्त करना और संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत आतंकवाद-रोधी माहौल में एक दूसरे को संचालन प्रक्रियाओं और युद्ध अभ्यास से परिचित कराना था । दोनों सेनाएं  उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम थीं । भारतीय दल मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की 18वीं बटालियन से था और ओमान की शाही सेना का प्रतिनिधित्व ओमान पैराशूट रेजिमेंट के सुल्तान ने किया था।

यह सैन्य अभ्यास तीन चरणों में आयोजित किया गया । पहला चरण भाग लेने वाली सैन्य टुकड़ियों के लिए हथियार, उपकरण और एक दूसरे के सामरिक अभ्यास के साथ अभिविन्यासित और परिचित होने का था । दूसरे चरण में कॉम्बैट कंडीशनिंग, साझा ड्रिल्स और उन्हें अभ्यास में लाने का था।

अंतिम चरण पहले दो चरणों के दौरान सीखे गए प्रमुख अभ्यासों और अवधारणाओं का 48 घंटे का सत्यापन अभ्यास था । दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने संयुक्त रूप से सत्यापन अभ्यास में भाग लिया जिसमें मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे । इस अभ्यास में स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर 'ध्रुव', ड्रोन और नई पीढ़ी की विभिन्न तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल भी शामिल था।

कुल मिलाकर यह सैन्य अभ्यास एक शानदार सफलता थी । दोनों सेनाओं ने एक अंतरराष्ट्रीय वातावरण में काउंटर टेररिस्ट, क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति रक्षा अभियानों के संबंध में मूल्यवान युद्ध अनुभव साझा किया । यह दोनों सेनाओं के बीच अंतःक्रियाशीलता सुनिश्चित करने, दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाने में हासिल किया गया एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

भारतीय नौसेना ने किया ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण: Facts in Brief

Extended Range Brahmos Misslle Facts in Brief

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए आज भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का लंबी दूरी तक जमीन पर सटीक हमले का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। 

भारतीय नौसेना ने 5 मार्च, 2022 को अपने युद्धपोत आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। मिसाइल ने एक लंबी रेंज के प्रक्षेप वक्र को पार करने के बाद अपने लक्ष्य पर सटीकता के साथ निशाना साधा और जटिल युद्धाभ्यास किया।

उल्लेखनीय है कि  ब्रह्मोस मिसाइल और आईएनएस चेन्नई दोनों का देश में ही निर्माण हुआ और इन्होंने अत्याधुनिक भारतीय मिसाइल तथा जहाज निर्माण कौशल का प्रदर्शन किया।

इससे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की पहलों में भारतीय नौसेना के योगदान को मजबूती मिलती है।

यह उपलब्धि भारतीय नौसेना की जरूरत पड़ने पर दूर से हमला करने और समुद्र से जमीन तक हमला करने की क्षमता को स्थापित करती है।

नौसैनिक अभ्यास मिलन-22: 26 पोत, 21 वायुयान और एक पनडुब्बी-Facts in Brief

Milan 22 Sea Phase Exercise Facts in Brief

मिलन-22 एक बहु-पक्षीय नौसैनिक अभ्यास है जो बंगाल की खाड़ी में आयोजित हुई।   1 मार्च, 2022 से बंगाल की खाड़ी में किए जा रहे इस बहु-पक्षीय नौसैनिक अभ्यास में कुल 26 पोत, 21 वायुयान और एक पनडुब्बी हिस्सा ले रहे हैं। यह समुद्री चरण 4 मार्च तक निर्धारित है और इसमें समुद्री ऑपरेशनों के सभी तीनों आयामों में उन्नत व जटिल अभ्यास शामिल हैं।

समुद्री चरण का अभ्यास शुरू करने से पहले प्री-सेल (समुद्री यात्रा से पूर्व) संयुक्त ब्रीफिंग की अध्यक्षता पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल संजय भल्ला ने की थी। इसमें मित्र देशों के सभी प्रतिभागी इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों, कमांडिंग अधिकारियों और नियोजन टीमों ने भी हिस्सा लिया।

मिलन के समुद्री चरण का उद्देश्य पारस्परिकता और समुद्री सहयोग को बढ़ाना तथा इसमें हिस्सा लेने वाली नौसेनाओं के बीच सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को साझा करना है। इसकी कार्यसूची में हथियार फायरिंग, नौ-कौशल का विकास, उन्नत पनडुब्बी-रोधी युद्ध अभ्यास, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर लैंडिंग, जटिल परिचालन परिदृश्यों का सतत अनुकरण और सामरिक युद्धाभ्यास शामिल हैं।

धर्म गार्जियन-2022: भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, जाने Facts in Brief

Dharma Guardian-2022 Indo Japan Exercise Facts in Brief
भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास "धर्म गार्जियन-2022" 27 फरवरी 2022 से 10 मार्च 2022 तक बेलगावी (बेलगाम, कर्नाटक) के फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आयोजित किया जाएगा। सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 एक वार्षिक अभ्यास कार्यक्रम है, जो साल 2018 से भारत में आयोजित किया जा रहा है। विशेष तौर पर, विभिन्न देशों के साथ भारत द्वारा किए गए सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों की श्रृंखला में, जापान के साथ अभ्यास "धर्म गार्जियन" वर्तमान वैश्विक परिस्थिति की पृष्ठभूमि में दोनों देशों द्वारा सामना की जाने वाली सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में निर्णायक और अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

इस अभ्यास के दौरान जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में जंगी कार्रवाई पर प्लाटून स्तर का संयुक्त प्रशिक्षण भी आयोजित किया जा रहा है।

 भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 15वीं बटालियन और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (जेजीएसडीएफ) की 30वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के अनुभवी सैनिक इस वर्ष अभ्यास में भाग ले रहे हैं ताकि जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में विभिन्न कौशलों की योजना तथा निष्पादन अंतर-संचालन बढ़ाने के लिए युद्धक कार्रवाई के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा किया जा सके। 

जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज की टुकड़ी 25 फरवरी 2022 को अभ्यास स्थल पर पहुंची, जहां भारतीय सैनिकों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

 12 दिनों तक चलने वाले संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास में हाउस इंटरवेंशन ड्रिल, अर्ध शहरी इलाकों में आतंकवादी ठिकानों पर छापेमारी, प्राथमिक उपचार, बिना हथियार के मुकाबला करना और क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट फायरिंग अभ्यास शामिल हैं, जहां दोनों पक्ष संयुक्त रूप से संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए अच्छी तरह से विकसित सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला के दौरान प्रशिक्षण, योजना निर्माण और क्रियान्वयन करेंगे।

संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास, संयुक्त युद्ध चर्चा और संयुक्त प्रदर्शन का समापन 08 और 09 मार्च 2022 को निर्धारित दो दिवसीय वैलीडेशन एक्सरसाइज के साथ होगा। वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए सामरिक कौशल को बढ़ाने तथा बलों के बीच अंतर-संचालन बढ़ाने और एक सेना से दूसरी सेना के संबंधों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

"एक्सरसाइज धर्म गार्जियन" से भारतीय सेना तथा जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के बीच रक्षा सहयोग का स्तर बढ़ेगा, जो बदले में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा।

राफेल विमान हुआ भारतीय वायु सेना में शामिल: Facts-in brief

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पहले पांच राफेल विमान वायु सेना स्टेशन, अंबाला पहुंचे हैं। विमानों ने 27 जुलाई 2020 की सुबह दसौं एविएशन फैसिलिटी, मेरिग्नैक, फ्रांस से उड़ान भरी और आज दोपहर भारत पहुंचे। यात्रा के दौरान विमान, संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रुके थे।

यात्रा की योजना दो चरणों में तैयार की गई थी और इसे भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा संचालित किया गया था। विमानों ने फ्रांस से भारत तक लगभग 8500 किमी की दूरी तय की। 

उड़ान के पहले चरण में साढ़े सात घंटे में 5800 किमी की दूरी तय की गयी। फ्रांसीसी वायु सेना (एफएएफ) के टैंकर ने उड़ान के दौरान समर्पित एयर-टू-एयर ईंधन भरने की सुविधा दी। 2700 किमी से अधिक दूरी की उड़ान के दूसरे चरण में, वायुसेना के टैंकर द्वारा एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया।

 भारतीय वायु सेना, समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए फ्रांस सरकार और फ्रांस के उद्योग द्वारा दिए गए सक्रिय समर्थन की सराहना करती है। उड़ान के दौरान फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा दी गयी टैंकर सुविधा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे लंबी उड़ान सफलतापूर्वक और समयबद्ध तरीके से पूरी हुई।

विमान 17 स्क्वाड्रन, "गोल्डन एरो" के हिस्से के रूप में शामिल होंगे, जिसे 10 सितंबर 19 को पुनर्गठित किया गया था। स्क्वाड्रन को मूल रूप से वायु सेना स्टेशन, अंबाला में 01 अक्टूबर 1951 को स्थापित किया गया था। कई उपलब्धियां ऐसी हैं जो पहली बार 17 स्क्वाड्रन के द्वारा हासिल की गयी हैं; इसे 1955 में पहला जेट फाइटर, डी हैविलैंड वैम्पायर मिला। अगस्त 1957 में, स्क्वाड्रन एक स्वेप्ट विंग लड़ाकू विमान, हॉकर हंटर में परिवर्तित होने वाला पहला स्क्वाड्रन बना।

17 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल करने का औपचारिक समारोह अगस्त 2020 के दूसरे पक्ष में आयोजित किया जायेगा। समारोह का विवरण नियत समय पर सूचित किया जाएगा।