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नजरिया जीने का: जानें गौतम बुद्ध के अनुसार-सत्य के राह पर चलने वाला मनुष्य कौन सी दो गलतियाँ करता है

 

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गौतम बुद्ध, जिन्हें "शांत" और "ज्ञानोदय" के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, जीवन जीने का एक अनूठा और गहन नजरिया प्रदान करते हैं।गौतम बुद्ध  कहते हैं, अगर आप जीवन में शांति और खुशी चाहते हैं तो कभी भी भूतकाल और भविष्य काल में न उलझें। वह कहते हाँ कि सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य जीवन में दो ही गलतियां कर सकता है- पहला या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता और दूसरा कि वह शुरुआत ही नहीं करता।

 बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में हमेशा लोगों को अहिंसा और करुणा की शिक्षा दी और आज भी यह सच है कि साथ ही गौतम बुद्ध के विचार और उपदेश हमें जीवन की हकीकत से रूबरू कराते हैं,उनकी शिक्षाएं, जिन्हें "धर्म" कहा जाता है, आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि 2500 साल पहले थीं।

बुद्ध से सीखने के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:

वर्तमान पर ध्यान दें: बुद्ध हमें वर्तमान क्षण में जीने का महत्व सिखाते हैं। अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंता में फंसने के बजाय, हमें वर्तमान क्षण की सुंदरता और संभावनाओं को स्वीकार करना चाहिए। भूतकाल पर ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो। 

अपने विचारों को संभालें: "आपके सबसे बड़े दुश्मन को भी उतना नुकसान नहीं पहुँचा सकता जितना कि आपके अपने असुरक्षित विचार।

करुणा और दया: बुद्ध की शिक्षाओं का केंद्र करुणा और दया है। हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए, चाहे वे कोई भी हों। घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है जो की एक प्राकृतिक सत्य है.

क्रोध से बचें: गौतम बुद्ध का कहना है कि क्रोध एक दण्ड है साथ  हीं क्रोध एक जहर  और आग है जो तुम्हें जला देगी। उनका कहना है कि क्रोध को हर प्रकार शमन किया जाना जरूरी है अगर जीवन मे शांति कि तलाश है। "किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं."

मन को वश में करें: गौतम बुद्ध  ने कहा है कि जिसने अपने मन को वश में कर लिया उसने शांति को प्राप्त कर लिया। इसके लिए सबसे जरूरी इस बात की  हैं कि  हम अपने मन को अपने वश मे करें जो कि संतोष के साथ जीने का अवसर प्रदान करती है। 

अपने कार्यों के प्रति जागरूक रहें:  "हम वही हैं जो बार-बार करते हैं। उत्कृष्टता तब एक क्रिया नहीं बल्कि एक आदत बन जाती है।"

खुद को जानो: बुद्ध ने हमें अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के बारे में जागरूक होने का महत्व सिखाया। उनका कहना है ki आत्म-जागरूकता से ही हम अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। स्वयं की विजय सबसे बड़ी विजय है। आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें, उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते.

सीखने की यात्रा पर रहें:  सीखने की कभी समाप्ति नहीं होती और यह जीवन का सतत प्रक्रिया है। उनका  कहना है कि  अज्ञानी व्यक्ति एक बैल के समान है वह ज्ञान में नहीं बल्कि आकार में बढ़ता है।

शांति का मार्ग अपनाएं: शांति अपने आप में नहीं आती है; यह उपलब्धि है जिसे बुद्धि, करुणा और साहस से प्राप्त किया जाना चाहिए। नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती. नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है. यह एक प्राकृतिक सत्य है.

बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में कैसे लागू करें:

  • ध्यान: ध्यान एकाग्रता और आत्म-जागरूकता विकसित करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  • सचेतता: अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के प्रति सचेत रहने का प्रयास करें।
  • करुणा: दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनें।
  • मध्यम मार्ग: चरम सीमाओं से बचें और संतुलित जीवन जीने का प्रयास करें।
  • नैतिकता: सदाचारी जीवन जीने का प्रयास करें।
  • गौतम बुद्ध की शिक्षाएं हमें एक अधिक शांतिपूर्ण, खुशहाल और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
गौतम बुद्ध Quotes 

  • भविष्य के सपनों में मत खोओ और भूतकाल में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। -गौतम बुद्ध
  • शत्रुओं से बदला लेना चाहिए, न कि शत्रुओं को बदल देना चाहिए। - गौतम बुद्ध
  • क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।
  • अपने विचारों का मालिक बनो, न कि अपने विचारों के गुलाम। - गौतम बुद्ध
  • स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।गौतम बुद्ध
  • घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। गौतम बुद्ध
  • विवेकी पुरुष विचारों के परिणामों के आधार पर अपने कार्य को निर्णय करता है, और फिर कार्य करता है।-गौतम बुद्ध
  • बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन को शांत करता है, जैसे एक झील में पानी को शांत किया जा सकता है, ताकि अन्यत्र मछलियाँ तस्वीरें देख सकें।" - गौतम बुद्ध
  • वहीं जीत है, जो दूसरों को जीतता है।- 
  • किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं। -गौतम बुद्ध


नजरिया जीने का: असीमित सोच और विचारों को किसी सीमा से नहीं बांधे, ऊँचा सोचें और बड़ा लक्ष्य हासिल करें

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अगर आप असीमित शब्द के सार्थकता को समझेंगे तो पाएंगे कि यह शब्द बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह आपको  विश्वास दिलाता है कि आप वह सब कुछ कर सकता हूं जो आप चाहते हैं। सच तो यही है कि यह आपकी असीमित सोच है जो आपके अंदर के विचारों को जागृत करता है और  संभावनाओं की याद दिलाता है, तब भी जब सारी परिस्थितियाँ मेरे विरुद्ध हों। असीमित सोच और असीमित विचारों पर विश्वास करके, आप असीमित चीजें हासिल कर सकते हैं हाँ इसके लिए पहल आपको हीं करनी होगी । 
सोचने की कोई सीमा नहीं है, इसलिए बड़ा सोचें और अपने जीवन में बड़ा हासिल करें क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर अपार शक्ति है और हमें बस उसे प्रज्वलित करना है। प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। विडम्बना यह हैं कि प्रकृति ने तो हमें कोई भेदभाव नहीं किया हमें शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने में, लेकिन यह केवल हम ही हैं जो अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है।

आपके आस-पास होने वाली हर घटना को कुछ न कुछ सीमा प्रदान की गई है। चाहे वह सड़क हो, क्रेडिट/डेबिट कार्ड हो, आपका शरीर हो, आपके शरीर के अंग हों और यहां तक कि सभी अत्यधिक परिष्कृत और नवीनतम उपकरण हों, उनके उपयुक्त और मानक प्रदर्शन की अपनी सीमाएं हैं। यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

असीमित सोच:

हमारा दिमाग शारीरिक बाधाओं से बंधा नहीं है और हम चाहें  तो हम वर्तमान और सीमाओं से परे कल्पना कर सकते हैं, अन्वेषण कर सकते हैं और सपने देख सकते हैं। यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

यह केवल हम ही हैं जो इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है, अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं। यह असीमित सोच हमें उन संभावनाओं पर विचार करने की अनुमति देती है जो पहली नज़र में संभव नहीं लगती हैं।

बड़ी सोच का महत्व:

प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने से प्रेरणा मिलती है और हमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

बड़ी सोच चुनौतियों का सामना करने में नवीनता, रचनात्मकता और लचीलेपन को बढ़ावा देती है। हमें ऊंचा सोचना चाहिए और अपनी सोच को नई ऊंचाइयां प्रदान करनी चाहिए, आश्चर्यजनक रूप से हम अखबारों और टीवी समाचारों में ऐसे चमत्कार रचने वालों से गुजरते रहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे लोगों ने अपनी सोच को नई ऊंचाई प्रदान की है और अपने जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया है

संतुलन महत्वपूर्ण है-

जबकि बड़ा सोचना महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ हीं सुनिश्चित करना भी जरुरी है कि आपके लक्ष्य भी यथार्थवादी हों और आपके मूल्यों और संसाधनों के अनुरूप हों। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, सीखने, बढ़ने और उनके साथ तालमेल बिठाने की प्रक्रिया अत्यधिक मूल्यवान है। 

दुनिया में हर सफल शख्सियत ने तभी बड़ा हासिल किया है, जब उसने बड़ा सोचने का साहस किया। हमें एक मुर्ख और लापरवाह इंसान बनने की मानसिकता को बदलने के लिए तैयार रहना होगा न कि यह सोचना होगा कि प्रकृति ने हमें चमत्कार करने की सारी शक्ति और विचारों से सुसज्जित किया है।

नजरिया जीने का: धैर्य और आत्मविश्वास का समझें महत्व- प्रेरित करना, हार न मानना, क्षमताओं पर विश्वास, जोखिम लेना और अंत मे सफलता दिलाना


नजरिया जीने का: जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम के अलावा भी हमें धैर्य और आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। आपका इस तथ्य को समझना होगा कि आजकल के कठिन और कम्पेटिटिव माहौल मे जहां सफलता आसान नहीं रहा गया है, हमें धैर्य और आत्मविश्वास को अपनाने कि नितांत जरूरत हैं।

धैर्य वह है जो हमें चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, भले ही परिणाम तुरंत न मिलें। यह हमें हार न मानने और प्रयास करते रहने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं आत्मविश्वास हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद करता है। यह हमें जोखिम लेने और नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।


 याद रखें तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हम अपने लाइफ में सफल हो सकते हैं और इसके लिए सबसे जरुरी फैक्टर हैं  आपके अंदर आत्मविश्वास और धैर्य का होना.

आप विश्वास कीजिए जिनके पास आत्मविश्वास है वह इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सफलता का मार्ग लेते हैं और इसके लिए सबसे जरूरी है  सकारात्मक और पॉजिटिविटी का होना.

दोस्तों विपरीत परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करने के लिए धैर्य  का होना बहुत जरूरी है पर यह याद रखें यह आपको अपने अंदर ही विकसित करनी होगी.  

किसी कवि की ये पंक्तियाँ आप को विपरीत परिस्थितियों में लड़ने में सार्थंक हो सकती है. 
वह पथ क्या पथिक परीक्षा क्या
जिस पथ में बिखरे शूल ना हो
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या 
यदि धाराएं प्रतिकूल ना हो. 


आप इतिहास के तमाम महापुरुषों की जीवन वृतांत को देखें तो यह साबित हो जाएगा की रातों-रात सफलता किसी को नहीं मिलती और यह भी उतना ही बड़ा सच है कि जिसने जितनी बड़ी सफलता हासिल किया है उसके मार्ग पर प्रकृति ने उतने ही कांटे और फूल बिछा कर रखे थे ऐसा नहीं है कि वे महापुरुषों और उन बाधाओं को देख अपने कदम वापस खींच लिए. 

तू रुख हवाओं का मोड़ दे,
हिम्मत की अपनी कलम उठा,
लोगों के भरम को तोड़ दे।
-नरेंद्र वर्मा

किसी भी कार्य को करने के बहुत सारे तरीके हो सकते हैं. और आपको भी अपने लिए तरीकों को चुनने की पूरी आजादी है. लेकिन यह याद रहें दोस्तों . अपने चुने गए तरीकों को जस्टिफाई करना भी आपको ही होगा. हाँ इसके लिए आप सफल महापुरुषों के अनुभवो और बताये गए रास्तों को आधार बना सकते हैं. 

विख्यात कवि/ साहित्यकार की उस कथन को याद करों दोस्तों..."महाशक्तियों के वेग में रोड़े अटकाने से उनके वेग कम नहीं होता बल्कि वो दुगुने वेग से आगे बढ़ती है." दोस्तों अब फैसला आपको करना है कि आप खुद का तुलना किसी मामूली शक्ति करते हैं या किसी महाशक्ति. अगर उत्तर महाशक्ति में है तो फिर याद रखें.आप इन बाधाओं को पार करने और निकलने के लिए दुगुने वेग से प्रयास करने वालों में से हैं. 
अक्सर ऐसा होता है कि अपनी राहों में मिलने वाले थोड़ी से चुनौतियों को हम बाधा का नाम देकर उससे परेशान हो जाते हैं कि हम खुद को परिस्थति के आगे विवश और लाचार समझने लगते हैं. पता नहीं हमें ऐसा क्यों लगता है कि परिस्थितियों का हमेशा हमारे पक्ष में हीं होनी चाहिए.

लेकिन क्या यह सच नहीं है दोस्तों कि परिस्थितियों हमेशा हमारे अनुकूल रहे हैं ऐसा नहीं करना चाहिए आखिर यह संसार सिर्फ हमारे लिए हीं तो नहीं बनी है. 

दोस्तों आपको आश्चर्य होगा के हम जिन बाधाओं और परिस्थितियों को अपनी सफलता के मार्ग का सबसे बाड़ा बाधा बताते हैं. सच्चाई तो यह है कि हम अपनी सफलता के मार्ग का बाधा खुद होते हैं. 

हमारी नेगेटिव सोच और खुद का अंदर पैदा किया गया नकारात्मक माइंडसेट प्रमुख बाधा होती है हमारी असफलता के पीछे….लेकिन हम दोष देते हैं उन परिस्थितियों और बाधाओं को. 
प्रमुख कोट्स:
  • "धैर्य ही शक्ति है। शांत रहकर आप किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।" - महात्मा गांधी
  • "आत्मविश्वास सफलता की पहली कुंजी है।" - स्वामी विवेकानंद
  • "अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।" - अननोद मॉरिल
  • "धैर्यवान व्यक्ति ही विजेता होता है।" - विलियम आर्थर वॉर्ड
  • "हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।" - विनस्टन चर्चिल

Hanuman Jayanti 2024: संकट मोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें

Lord Hanuman and Teaching Sankatmochak Hanuman Jayanti

Hanuman Jayanti 2024  हनुमान जयंती, जिसे हनुमान जन्मोत्सव भी कहा जाता है, इस साल 23/24 अप्रैल, 2024 को पूरे धूम धाम से मनाई जाएगी। भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और देश भर में लोग हनुमान जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। भगवान हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं।
वैसे तो भगवन हनमान जी को भक्तगण अनगिनत नामों से पुकारते हैं,  लेकिन उन सबमे जो सबसे लोकप्रिय है वह है "संकट मोचन". ऐसी मान्यता है कि भगवन हनुमान जो खुद प्रभु राम के सेवक हैं, हमेशा से संकट में पड़ें लोगों को उबारने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. आप रामायण या रामचरित मानस का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि प्रभु हनुमान न केवल भगवान् राम बल्कि सभी चरित्रों चाहे वह माता सीता हो, लक्ष्मण हो, विभीषण हो, सुग्रीव हो या अन्य चरित्र।। हनुमान हमेशा से उन्हें संकटों से निकालने में हमेशा आगे रहे हैं और यही वजह है कि अपने भक्तों में भगवन हनुमान संकटमोचन नाम से अधिक प्रिय भी हैं. मान्यता भी यही है कि सभी के संकट को हरने वाले भगवान् हनुमान इस घोर कलयुग में सबसे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर भी करते हैं.

भगवान् राम के सेवा के लिए तो प्रभु हुनमान हमेशा तैयार रहते हैं. फिर वह चाहिए रावण द्वारा सीता माता का हरण किये जाने पर लंका में उनका पता लगाना हो या रावण के साथ युद्ध का प्रसंग हो, भगवन हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं. 

अपने बड़े भाई बालि द्वारा से प्रताडित होकर सुग्रीव जहाँ पहाड़ों की कंदराओं में जीवन काट रहे थे. बड़े भाई बालि के भय से चिप कर जीवन गुजरने किए लिए विवश सुग्रीव को भगवन हनुमान ही इस संकट से निकलते हैं. सुग्रीव से भगवन राम की मित्रता करने वाले हनुमान ही हैं जो बालि का वध कर सुग्रीव को राज पाट दिलवाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. 

लंकाधिपति रावण द्वारा ठुकराए गए उसके भाई विभीषण को संकट के क्षण में भगवन हनुमान ही निकलते हैं. पहले भगवन राम से मित्रता और फिर विभीषण को लंका का राजा बनाने में हनुमान प्रमुख भूमिका निभाते हैं. 

कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने शनि देव को अपने दरबार में उलटा लटका कर बंधक बना लिया था. भगवन शनि देव उस समय खुद संकट में थे क्योंकि रावण के जाल से शनिदेव का निकलना आसान नहीं था. ऐसी मान्यता है कि भगवन हनुमान ने ही शनिदेव को उस संकट से उबारा था. आज भी यह कहा जाता है कि भगवन हनुमान की पूजा करने वाले भक्तों को शनि के प्रकोप से शांति मिलती है. 

ऐसे अनगिनत प्रसंग रामायण और रामचरित मानस में आपको मिलेंगे जो यह प्रमाणित करता है कि भगवन हनुमान हमेशा से आपदाग्रस्त या किसी संकट में रहने वाले चरित्रों को संकट से निकलने में सबसे आगे रहते हैं और यही कारण है कि भगवान् हनुमान हमेशा अपने भक्तों के संकट को दूर करने में तत्पर रहते हैं और इसीलिए भक्तगण उन्हें संकटमोचन के नाम से पुकारते हैं. 

हनुमान जयंती 2024: संकटमोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें


हनुमान जयंती 2024: 
भगवान हनुमान की जयंती चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मनाई जाती है। हनुमान जयंती मनाने के लिए सबसे सुंदर यह होगा कि हम भगवान हनुमान के जीवन और व्यक्तित्व से सीखें तथा अपने अंदर उनके गुणों को आत्मसात करें। भगवान हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी 
मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं।

संकट मोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातेंयह सच है कि हमें अपने लक्ष्य को पाने की खातिर हर संभव प्रयासों को अपनाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। निरंतर प्रयास करते करते अगर आपको लगता है कि कुछ ब्रेक की जरूरत है तो इंस्पायर होने के लिए आप किसी भी अन्य महापुरुषों और व्यक्तित्व का अध्ययन कर सकते हैं क्योंकि यह न केवल मोटिवेट करेगा बल्कि आपको नई आज से सराबोर भी करेगा।

लेकिन याद रखें दोस्तों, अपने लक्ष्य को पाने के लिए जिस डिटरमिनेशन या इच्छा शक्ति की जरूरत है, उसे आपको अपने अंदर ही तलाश करनी होगी।

इच्छा शक्ति अगर महबूत है तो फिर आपको इंस्पायर होने की जरूरत काम पड़ेगी, क्योंकि यह आपको थकने नही देगा।

प्रसिद्ध कवि जय शंकर प्रसाद की इन पंक्तियों को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लें " महाशक्तियों के बेग में रोड़े अटकाने से उनका बेग काम नहीभोता बल्कि वे दुगुने बेग से आगे बढ़ती हैं"

अपने इच्छाशक्ति को मजबूत बनाकर खुद को एक महाशक्ति के समान कठोर बना लें, फिर आपके और आपके लक्ष्य की बीच कोई बाधा टिक नहीं पाएगी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान हनुमान अपने गुरु रामचंद्र के चरण कमलों के प्रति काफी समर्पित रहते हैं और इसलिए प्रभु राम को प्रसन्न करके भी लोग भगवान हनुमान को खुश और प्रसन्न करने के लिए मंदिरों और घरों मे पूजन आयोजित करते हैं। भगवान हनुमान की पूजा करने के दो तरीके हैं; पारंपरिक पूजा और हनुमान के गुणों का ध्यान।  

ऐसी मान्यता है कि भगवान इस लोक मे तब तक  तक गुप्त रूप से पृथ्वी पर रहेंगे जब तक भगवान राम का नाम गाया जाएगा , महिमामंडित और स्मरण और पूजा किया जाएगा।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।








Hanuman Jayanti 2024: : शक्ति, भक्ति और सेवा के अवतार भगवान हनुमान के इन टिप्स से बढ़ाएं आत्मविश्वास


Najariya  Jine Ka Build Self Confidence with Teaching of Lord Hanuman

Hanuman Jayanti 2024: शक्ति, भक्ति और सेवा के अवतार, भगवान हनुमान आत्मविश्वास पैदा करने के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करते हैं। भगवान हनुमान के जीवन का अध्ययन करके, हम आत्मविश्वास के निर्माण के बारे में बहुमूल्य सबक सीख सकते हैं। उनका जीवन और कार्य उन शिक्षाओं से भरे हुए हैं जो हमें चुनौतियों से उबरने और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अपने आप में उनके अटूट विश्वास, उच्च उद्देश्य के प्रति उनकी भक्ति, उनकी विनम्रता और दूसरों की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता को अपनाकर, हम अपने भीतर उन्हीं गुणों को विकसित कर सकते हैं और साहस और विश्वास के साथ दुनिया का सामना कर सकते हैं। हनुमान की आत्मा अडिग थी। यहां तक कि जब दुर्गम बाधाओं का सामना करना पड़ा, तब भी वह अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहे। यह सकारात्मक दृष्टिकोण की शक्ति और बाधाओं को दूर करने की क्षमता में विश्वास का उदाहरण देता है।

क्षमताओं में अटूट विश्वास

हनुमान का सबसे प्रतिष्ठित पराक्रम समुद्र पार करके लंका तक छलांग लगाना था। यह कार्य केवल शारीरिक शक्ति के बारे में नहीं था, बल्कि अपनी क्षमताओं में उनके अटूट विश्वास के बारे में भी था। उन्हें संदेह और डर का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा करने और छलांग लगाने का फैसला किया। यह हमें सिखाता है कि खुद पर विश्वास करना हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम है।



साहस के साथ करें चुनौतियों का सामना: 

भगवन कई बाधाओं के बावजूद भी कभी पीछे नहीं हटना, बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हर चुनौती का सामना करें ।

शक्तिशाली सेवक: 

अपार शक्ति और ताकत के बावजूद, हनुमान जी सदा विनम्र बने रहे और खुद को केवल भगवान राम का सेवक मानते थे और उन्होंने कभी भी मान्यता या प्रशंसा की मांग नहीं की। अपनी पूरी यात्रा के दौरान, हनुमान ने कई बाधाओं और प्रतिकूलताओं का सामना किया। वह कभी पीछे नहीं हटे, बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हर चुनौती का सामना किया। इससे हमें पता चलता है कि आत्मविश्वास का मतलब डर की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि खुद पर विश्वास के साथ इसका डटकर सामना करने की क्षमता है।

मार्गदर्शन की तलाश: 

अपनी क्षमताओं के साथ भी, उन्होंने महापुरुषों की बुद्धिमत्ता से हमशा सीखने और विकास के महत्व को महत्व दिया, जो याद दिलाता है कि आत्मविश्वास का मतलब सब कुछ जानना नहीं है, बल्कि सीखने और खुद को बेहतर बनाने के लिए ओपन माइंड होना जरुरी  है।

अदम्य भावना:

हनुमान की आत्मा अडिग थी। यहां तक कि जब दुर्गम बाधाओं का सामना करना पड़ा, तब भी वह अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहे। यह सकारात्मक दृष्टिकोण की जो शक्ति है वह बाधाओं को दूर करने की क्षमता देता है। जब सीता को खोजने में कथित विफलता के कारण हनुमान निराश हो गए, तो उन्हें अपनी असली ताकत याद आई। उन्होंने अपनी भक्ति और योग्यता की स्मृति में एक पर्वत उखाड़कर अर्पित कर दिया। यह अधिनियम दर्शाता है कि हम सभी में अपार क्षमताएं हैं और इसे पहचानने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ सकता है।

भगवान राम की सेवा: 

भगवान राम के प्रति हनुमान का समर्पण पूर्ण था जो हमें सिखाता है कि उच्च उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने से हमें दिशा मिल सकती है और हमारा संकल्प मजबूत हो सकता है। भगवान राम की सेवा: भगवान राम के प्रति हनुमान का समर्पण पूर्ण था। उन्होंने अटूट निष्ठा और विश्वास के साथ उनकी सेवा की, उनके कार्यों पर कभी सवाल नहीं उठाया या उनके उद्देश्य पर संदेह नहीं किया। यह हमें सिखाता है कि उच्च उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना, चाहे वह व्यक्तिगत लक्ष्य हो या कुछ बड़ा, हमें दिशा दे सकता है और हमारे संकल्प को मजबूत कर सकता है।

असफलताओं का सामना: 

हनुमान को अपनी यात्रा में कई असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, खुद को संभाला और आगे बढ़ते रहे। यह हमें सिखाता है कि चुनौतियों पर काबू पाने और असफलताओं से सीखने से आत्मविश्वास बनता है।

टीम वर्क की शक्ति: 

हनुमान ने सीता की खोज में अन्य वानरों और सहयोगियों के साथ काम किया। उन्होंने टीम वर्क और सहयोग के महत्व को समझा, यह पहचानते हुए कि महान चीजें हासिल करने के लिए अक्सर दूसरों के समर्थन और सामूहिक ताकत की आवश्यकता होती है। यह हमें याद दिलाता है कि मजबूत रिश्ते बनाने और समर्थन मांगने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ सकता है और हमें और अधिक हासिल करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।


रामनवमी 2024: भगवान राम के जीवन से सीखें-जीवन की चुनौतियों को स्वीकार एवं सामना करने की कला

 



Ram Navami 2024: राम नवमी का पावन पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाते हैं.  जो इस साल अप्रैल 17 , 2024 को मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम और माता लक्ष्मी ने सीता के रूप मे अवतार लिया था। जिस दिन श्रीहरि ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया था, उस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी और इसलिए इस तिथि को राम नवमी के रूप में मनाई जाती है।
 इस दिन चैत्र नवरात्रि का समापन भी होगा. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुण्य तिथियों में से एक माना जाता है। भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है, उनका जीवन कठिनाइयों और त्याग से भरा था। 14 वर्ष का वनवास, प्रिय पत्नी सीता का अपहरण, रावण के साथ युद्ध - इन सबके बावजूद उन्होंने धैर्य, साहस और नैतिकता का परिचय दिया। 

भगवान राम का जीवन  फूलों का सेज नहीं बल्कि काँटों का ताज था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जीवन के उच्च  मर्यादाओं का पालन करते है मर्यादा पुरुषोतम  राम के रूप मे पूजा किए जाते हैं। जीवन मे चुनौतियों का आना निश्चित होता है लेकिन उनके सामने नतमस्तक हो जाना कायरता है। आइए हम भगवान राम के जीवन से सीखते हैं कि कैसे इन चुनौतियों को स्वीकार कर उनका सामना किया जाए।

 1. कर्म पर विश्वास:

भगवान राम ने सदैव अपना कर्म निष्ठापूर्वक किया, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। उन्होंने हमें सिखाया है कि कर्म का फल हमें अवश्य मिलेगा, इसलिए हमें सदैव कर्म करते रहना चाहिए। आपको याद होगा कि राज्याभिषेक से ठीक एक दिन पहले, श्री राम को 14 साल के वनवास के लिए जाने का आदेश मिला। भगवान राम ने बिना किसी शिकायत के, प्रसन्न भाव से वह जीवन को वैसे ही स्वीकार कर अपनी नई यात्रा पर निकल पड़ते हैं।

2. धैर्य और संयम:

राजमहल मे रहने वाले भगवान राम के सामने वनवास के जीवन चुनौतियों से भरी रही होंगी इसमे किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं। अपने पत्नी सीता और भरत लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद भगवान राम ने कभी भी धैर्य और संयम नहीं खोया। वनवास के दौरान मिलने वाले विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के दौरान उन्होंने हमें सिखाया है कि जीवन में धैर्य और संयम बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

3. साहस और दृढ़ संकल्प:

रावण के साथ युद्ध में भगवान राम ने अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया। उन्होंने हमें सिखाया है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और दृढ़ संकल्प होना आवश्यक है।

4. सत्य और न्याय का मार्ग:

जीवन में पैदा होने वाले विपरीत परिस्थितियों के सामने भी कभी भी भगवान राम ने सत्य और न्याय का मार्ग नहीं त्याग। सत्य के मार्ग पर चलना हमेशा से काँटों के पथ पर चलने के समान होता है और भगवान राम ने हमें सिखाया है कि जीवन में सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए, चाहे इसके लिए हमें कितने भी त्याग क्यों न करने पड़ें।

5. क्षमा और करुणा:

मर्यादा पुरुषोतम राम भगवान राम क्षमा और करुणा के प्रतीक थे और उन्होंने अपने शरण मे आने वाले आगंतुकों को कभी भी मना नहीं किया। यहाँ तक कि उन्होंने रावण के भाई विभीषण को क्षमा करने मे विलंब नहीं किया। सच तो यह है कि जीवन में क्षमा और करुणा का क्या महत्व है, यह हमे भगवान राम के जीवन से सीख सकते हैं।

6. मित्रता और सेवा:

भगवान राम ने हनुमान और सुग्रीव जैसे मित्रों का साथ पाकर हमें सिखाया है कि जीवन में सच्ची मित्रता का क्या महत्व है। उन्होंने शबरी, निषादराज आदि की सेवा करके हमें सिखाया है कि दूसरों की सेवा करने से जीवन सार्थक होता है।

7. विनम्रता और सरलता:

राजकुमार होने के बावजूद भगवान राम सदैव विनम्र और सरल रहे। उन्होंने हमें सिखाया है कि जीवन में विनम्रता और सरलता का गुण अपनाना चाहिए। उन्होंने राजाओं से लेकर साधुओं और यहाँ तक कि जानवरों तक सभी के साथ समान व्यवहार किया।

Ramnavmi 2024-नजरिया जीने का: भगवान राम से सीखें परिवार, एकता और रिश्तों का महत्व

 


Ramnavmi 2024: भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है, ने हमेशा अपने निजी सुख सुविधा से अधिक अपने परिवार, राज्य, को महत्व दिया। सच तो यह है कि  भगवान राम का जीवन एकता, परिवार और रिश्तों को महत्व देने की प्रेरणादायक कहानी है जिसकी आज के संदर्भ मे लोगों को सबसे अधिक जरूरत है। आज जहां हम अपने निजी लाभ के लिए परिवार से अलग हो जाना और खुद के बारे मे सोचने को प्रोफेशनल और समझदार मानते हैं, सच्चाई यह है कि हम अपने जीवन मे भगवान राम के आदर्शों को भूल गए हीं जिन्होंने अपने जीवन को इन मूल्यों को अपनाने के लिए न्योछावर कर मर्यादा पुरुषोतम के रूप मे पूजनीय बने।

एकता

भगवान राम ने सदैव एकता पर बल दिया और जीवन मे हर समय अपने परिवार और अपने सहयोगियों कि सहायता के लिए सदैव उपस्थितः रहे । उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ मिलकर वनवास के कष्टों का सामना किया। उन्होंने वनवासियों और वनचरों को भी एकजुट किया और रावण के विरुद्ध युद्ध में उनका नेतृत्व किया।

भगवान राम का यह एकता और त्याग  हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एकता अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए और एकता के सूत्र में बंधकर काम करना चाहिए।

परिवार

भगवान राम के लिए परिवार सर्वोपरि था और इसकी झलक हर समय प्राप्त होती है जब उन्हे परिवार के सदस्यों के लिए त्याग या समर्पण कि जरूरत होती है। उन्होंने अपने पिता दशरथ के वचन को पूरा करने के लिए वनवास का कष्ट सहन किया और अपनी पत्नी सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए युद्ध लड़ा। उन्होंने अपने भाईयों और माता कैकेयी का भी सदैव सम्मान किया।

भगवान राम हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों मे भी एक परिवार के रूप में एक साथ खड़े रहें एकजुटता का ही वह फल होता है जो आपको सबसे बुरे तूफानों से निपटने की शक्ति देता है। हर रिश्ता हमारे लिए लालच, क्रोध और शक्ति से ऊपर उठने का एक अवसर होता है और भगवान राम ने जीवन मे हर अवसर पर इसे साबित किया कि मर्यादा और उच्च आदर्श उनके लिए सबसे जरूरी है बजाए लालच, क्रोध और शक्ति है। अगर हम प्यार को हर चीज से ऊपर रखते हैं, जीवन के प्रति हमारा मूल्य और सम्मान अपने आप बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह हमारी आत्मा को शुद्ध करता है और हमें अच्छे कर्म के मार्ग पर स्थापित करता है।

भगवान राम का परिवार और उसके सदस्यों के प्रति प्रेम हमें सिखाता है कि जीवन में परिवार का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। हमें अपने परिवार के सदस्यों के प्रति सदैव प्रेम, स्नेह और सम्मान का भाव रखना चाहिए और उनके सुख-दुख में सदैव उनके साथ खड़ा रहना चाहिए।

रिश्ते

भगवान राम ने अपने जीवन में सभी रिश्तों को महत्व दिया फिर चाहे वह पुत्र के रूप में हो, पति के रूप मे हो चाहे भाई के रूप मे  उन्होंने गुरु वशिष्ठ, मित्र हनुमान, भक्त विभीषण और शत्रु रावण के साथ भी सदैव सम्मान और विनम्रता का व्यवहार किया। अगर आप भगवान राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने सभी रिश्तों को महत्व दिया। उन्होंने अपने पिता के सम्मान की रक्षा के लिए स्वेच्छा से 14 साल जंगल में बिताने का फैसला किया। इस दौरान, लक्ष्मण - उनके सौतेले भाई - भी उनका समर्थन करने के लिए उनके साथ वनवास गए।


भगवान राम के परिवार और अन्य सहकर्मियों के संबंधों को देखकर यह कहा जा सकता है कि जीवन में सभी रिश्ते अनमोल होते हैं। हमें अपने रिश्तेदारों, मित्रों और परिचितों के साथ सदैव प्रेम, विश्वास और सद्भाव का भाव रखना चाहिए और उनके साथ मजबूत संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

भगवान राम का जीवन एकता, परिवार और रिश्तों को महत्व देने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनके जीवन से हमें अनेक शिक्षाएं मिलती हैं जो हमें अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। हमें सदैव एकता के सूत्र में बंधकर काम करना चाहिए, अपने परिवार के प्रति समर्पित रहना चाहिए, और सभी रिश्तों को महत्व देना चाहिए।


नजरिया जीने का: युवा भगवान राम के जीवन से सीखें -आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज की जरूरत


आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज आज के युवाओं के लिए सबसे जरूरी  है जो न केवल उन्ही सफलता के लिए प्रेरित करती है बल्कि इससे वे इस संबंध मे भगवान राम की शिक्षाओं को अपनाकर, एक ऐसा रास्ता बना सकता है जो न केवल व्यक्तिगत सफलता की ओर ले जाता है बल्कि बड़े पैमाने पर समाज और दुनिया की भलाई की ओर भी ले जाता है।

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम का जीवन और उनका त्याग हमेशा से  लोगों के लिए आदर्श रहा है। जीवन मे तमाम उत्तार चड्डाव और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भगवान राम ने कभी भी रिश्तों के प्रति श्रद्धा, प्रेम और स्नेह का साथ कभी नहीं छोड़ा। 

भगवान राम: प्रेरणा श्रोत

सच तो यह है कि भगवान राम  का जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत है जो जीवन मे किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में लचीलापन, परंपरा और अनुकूलनशीलता के बीच नाजुक संतुलन और आत्मनिरीक्षण की शक्ति  को  प्राप्त करने और उसे खुद पर अनुशासन के रूप के लागू करने के लिए तैयार करती है।

आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज

 भगवान राम का जीवन हमें खासकर आज के युवाओं को यह सिखाता है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और आध्यात्मिक चेतना प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

आप अगर भगवान राम  के जीवन को गंभीरता से देखेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने ने अपने जीवन में अनेक बार आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज की  और अपने जीवन के उद्देश्य और मायने को समझने का प्रयास किया। लोगों  को जीवन और धर्म का उपदेश देते हुए भी मर्यादा पुरुषोतम राम ने वनवास के दौरान उन्होंने ऋषि-मुनियों से ज्ञान प्राप्त करने का कोई मौका नहीं जाने दिए। 

स्वयं की गहन खोज

आत्मनिरीक्षण और आत्म-खोज के लिए भगवान राम की यात्रा केवल एक बाहरी खोज नहीं है, बल्कि स्वयं की गहन खोज है जिसके लिए वह जीवन मे आने वाले हर किसी से कुछ भी सीखने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। जीवन मे विभिन्न विपरीत परिस्थितियों  से निबटने के दौरान भी कभी भी वह धैर्य नहीं खोते  हैं साथ ही उनके निर्णय गहन आत्मनिरीक्षण और अपने कर्तव्यों के प्रति गहन जागरूकता द्वारा निर्देशित होते हैं।

 निरंतर विकर्षणों और बाहरी प्रभावों के युग में, रामायण आज के युवाओं को आत्मनिरीक्षण के लिए क्षण निकालने के लिए प्रेरित करती है। स्वयं को, अपनी प्रेरणाओं को, और व्यक्तिगत विकल्पों के प्रभाव को समझना एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया बन जाती है जो अधिक उद्देश्यपूर्ण और पूर्ण जीवन की ओर ले जा सकती है।


नजरिया जीने का- रामनवमी 2024: भगवन राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है

Najariya jine ka Qualities of Lord Ram

राम नवमी मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार है जो चैत्र महीने (हिंदू कैलेंडर) के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन आमतौर पर मार्च और अप्रैल के महीनों के बीच आता है। 2024 में राम नवमी 17 अप्रैल, बुधवार को है। 
भगवान राम के चरित्र की ये पांच महिमाएं हमें जीवन में सत्य, धर्म, दया, वीरता और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। भगवान राम ने विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहेऔर धर्म का मार्ग उन्होंने कभी नहीं छोड़ा । उन्होंने वेदों और मर्यादा का पालन करते हुए सुखी राज्य की स्थापना की तथा अपने निकट आने वाले सभी का कल्याण किया चाहे वह पशु रूप में हो, पक्षी रूप में हो, अमीर  हो गरीब हो । स्वयं की भावना व सुखों से समझौता कर न्याय और सत्य का साथ दिया। बाली का वध करने, रावण का संहार करने या पिता के वचन की रक्षा के लिए वन का मार्ग चुनने जैसे अनेक उदाहरण है जहाँ भगवान् राम ने धर्म और न्याय का मार्ग कभी नहीं छोड़ा. 

भगवान राम के चरित्र की ये  महिमाएं हमें जीवन में सत्य, धर्म, दया, वीरता और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

सत्य:

 मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सत्य के पुजारी थे। उन्होंने अपने जीवन में चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, उन्होंने झूठ कभी नहीं बोलै। उन्होंने अपने पिता दशरथ के वचन का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास स्वीकार किया लेकिन पुत्र धर्म का त्याग नहीं किया।

धर्म: 

भगवान राम धर्म के पालनकर्ता थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास किया। भाईयों के लिए त्याग और समर्पण के लिए भी वे हमेशा तैयार रहे. उन्होंने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। धर्म का पालन करना उन्होंने तब भी नहीं छोड़ा और  उन्होंने रावण जैसे अत्याचारी का वध करके धर्म की रक्षा की। 

दया: 

भगवान राम दयालु और करुणावान थे। उन्होंने हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश की। उन्होंने सुग्रीव और हनुमान जैसे अनेकों लोगों की मदद की।  भगवान राम ने अपनी दयालुता के कारण उनकी सेना में पशु, मानव व दानव सभी थे और उन्होंने सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया।

बेहतर प्रबंधक

भगवान राम न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि वे अपने सभी स्वजनों और सहकर्मियों को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे। सुग्रीव को राज्य, हनुमान, जाम्बवंत व नल-नील को भी उन्होंने समय-समय पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया और इसी वजह से लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था। 

नैतिकता: 

भगवान राम नैतिकता के आदर्श थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा नैतिकता का पालन किया। उन्होंने रावण के साथ युद्ध करते समय भी उसके साथ नैतिकता का पालन किया।

नजरिया जीने का : साहस और दुसाहस मे फर्क को समझें


साहस और दुस्साहस मे अक्सर हम फर्क  नहीं कर पाते हैं और अज्ञानता के कारण हम अक्सर अपने दुस्साहस को ही साहस समझने  का भ्रम पाल लेते हैं। 

साहस और दुस्साहस दो शब्द हैं जो अक्सर एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर होता है।

साहस का अर्थ है डर पर विजय प्राप्त करके जो सही है उसे करना। यह एक सकारात्मक गुण है जो हमें चुनौतियों का सामना करने, जोखिम लेने और कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। साहसी व्यक्ति सोच-समझकर कार्य करता है, अपनी क्षमताओं का आकलन करता है और परिणामों की संभावनाओं को समझता है।

सच तो यह है कि साहस का अर्थ है डर पर विजय प्राप्त करके जो सही है उसे करना। यह एक सकारात्मक गुण है जो हमें चुनौतियों का सामना करने, जोखिम लेने और कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। साहसी व्यक्ति सोच-समझकर कार्य करता है, अपनी क्षमताओं का आकलन करता है और परिणामों की संभावनाओं को समझता है।

दुस्साहस का अर्थ है बिना सोचे समझे जोखिम लेना। यह एक नकारात्मक गुण है जो हमें खतरनाक परिस्थितियों में डाल सकता है और हानिकारक परिणामों का कारण बन सकता है। दुस्साहसी व्यक्ति आवेश में कार्य करता है, अपनी सीमाओं को अनदेखा करता है और संभावित खतरों को कम आंकता है।

अंतर को समझने के लिए कुछ बिंदु:

उद्देश्य: साहस का उद्देश्य सही काम करना होता है, जबकि दुस्साहस का उद्देश्य रोमांच या उत्तेजना प्राप्त करना होता है।

सोच: साहसी व्यक्ति सोच-समझकर कार्य करता है, जबकि दुस्साहसी व्यक्ति आवेश में कार्य करता है।

जोखिम मूल्यांकन: साहसी व्यक्ति अपनी क्षमताओं और परिस्थितियों का आकलन करता है, जबकि दुस्साहसी व्यक्ति जोखिमों को कम आंकता है।

परिणाम: साहस सकारात्मक परिणामों की ओर ले जाता है, जबकि दुस्साहस नकारात्मक परिणामों का कारण बन सकता है।

उदाहरण:

साहस: एक अग्निशामक जलती हुई इमारत में घुसकर लोगों को बचाता है जो निश्चित ही एक प्लैनिंग और स्ट्रैटिजी के साथ किया जाने वाला रूटीन वर्क है । 

दुस्साहस: एक व्यक्ति बिना तैयारी के खतरनाक पहाड़ी पर चढ़ने का प्रयास करता है जिसमे प्लैनिंग कि नहीं बल्कि किसी आवेश और अनावश्यक जोश की  पूत होती है 

साहस और दुस्साहस में स्पष्ट अंतर है। साहस एक सकारात्मक गुण है जो हमें चुनौतियों का सामना करने और सही काम करने के लिए प्रेरित करता है, जबकि दुस्साहस एक नकारात्मक गुण है जो हमें खतरनाक परिस्थितियों में डाल सकता है।

"साहस और दुसाहस में फर्क है कि साहस में आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जबकि दुसाहस में आप मुश्किलों के सामने झुक जाते हैं।" - विलियम रार्फ।

"साहस उस लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता है जो हमें डर से अधिक महत्वपूर्ण लगता है।" - अरिस्टोटल।

"दुसाहस उसे कहते हैं जब आप अपनी मनोबल से हार मान लेते हैं, साहस उसे कहते हैं जब आप दुसरी बार कोशिश करते हैं।" - डेल कार्नेगी।

"जीवन में साहस दिखाने का अर्थ यह नहीं है कि हमे कभी डर नहीं लगता, बल्कि यह है कि हम अपने डर के बावजूद आगे बढ़ते हैं।" - नेल्सन मंडेला।

नजरिया जीने का: हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं, बदलें इस माइंडसेट को

नजरिया जीने का: मानव का मन भी बहुत हीं विचित्र और रहस्यपूर्ण है. जब कभी हमें कोई कार्य करने की जरुरत होती है हम पहले उस  कार्य की गंभीरता और जरुरत की अपेक्षा गैर जरुरी और अनावश्यक विचारों के आधार पर उस कार्य को तौलने की कोशिश करते हैं. 

हमारी यह सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम काम को जीवन और कर्त्तव्य समझने से पहले हम काम को एक ऐसी चीज़ के रूप में देखना शुरू कर देते हैं जिससे हमें छुटकारा पाना है. जबकि हकीकत यह है की इसके बजाय हमें काम को ऐसे चीज़ के रूप में लेने की जरुरत है जो हमारे जीवन में मूल्य जोड़ती है साथ ही  यह हमें पैसा कमाने, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने, अपने कौशल और क्षमताओं को विकसित करने, और दूसरों से जुड़ने में मदद करता है। काम को बोझ समझने से बचने के लिए, हमें यह याद रखना चाहिए कि काम हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।  अपने काम को एक चुनौती के रूप में देखें अपने काम में से कुछ आनंद लें। जब आप काम को एक अवसर के रूप में देखते हैं, तो आप इसे बोझ नहीं समझेंगे। आप इसे अपने जीवन में एक सकारात्मक और मूल्यवान योगदान के रूप में देखेंगे।

निगेटिव माइंडसेट हमारी सफलता के लिए सबसे बड़ी बाधक है इसमें हम में से किसी को शायद हीं संदेह हो. इसके साथ ही यह भी उतना हीं बड़ा सच है कि हम सभी इस सत्य को जानने के बावजूद खुद पर शायद हीं इम्प्लीमेंट करते हों.

अगर कोई कार्य और लक्ष्य हमारी जरुरत है तो उसके लिए हर दुर्गम रास्तों को भी अपनाये जाने पर विचार किया जाना चाहिए, लेकिन अगर अगर कोई खास कार्य हमारे लिए जरुरी नहीं है तो बेहिचक उससे किनारा कर लिया जाना चाहिए.  

देखें वीडियो: नजरिया-जीने का-जीवन में स्व-अनुशासन का महत्त्व 


लेकिन हमारी विडम्बना है कि हम कार्यों की अधिकता या अमाउंट ऑफ़ वर्क से नहीं बल्कि उसे पहले ही बोझ समझ लेते हैं और यही कारण है कि हम पहले ही थक जाते हैं, ऐसे स्थिंति में कार्य पूरा होने के सम्भावना की कल्पना सहज ही की जा सकती है.

आप काम की अमाउंट और अपने नेचर के एडॉप्शन का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि अगर आप सकारात्मकता से सराबोर हैं तो जटिल से जटिल काम भी आप कर लेते हैं लेकिन एक छोटा और अत्यंत साधारण सा कार्य भी आपको पहाड़ सा प्रतीत होता है अगर आप पहले ही मान लेते हैं की बहुत भारी और उबाऊ सा काम है.

फिर क्या इसमें संदेह बचता है कि हमारा माइंडसेट यह निर्धारित करता है कि काम भारी है या आसान.
देखें वीडियो-नजरिया जीने का: सकारात्मक सोचें, सकारात्मक देखें और सकारात्मक दृष्टिकोण रखें



दोस्तों यह सामान्य सी प्रवृति है जिसके गिरफ्त में हम हमेशा से रहे हैं और विडम्बना यह है कि हम उससे निकलना नहीं चाहते.

जैसे  ही हमें कोई काम असाइन  किया जाता है,  हम उसे पूरा करने की बजाय उसके नकारात्मक और असंभव सा लगने वाले प्रकृति को ही पहले  देखते हैंहम यह नहीं सोचते हैं कि हममें उस कार्य को पूरा करने की क्षमता और सामर्थ्य है या नहीं. 

जब तक हम दिए गए काम पूर्ण रूप से समाप्त करने का विश्वास  खुद के अंदर नहीं लाएंगे, उस असंभव से कार्य के पूर्ण होने की तो बात ही छोड़िये,  किसी  साधारण से काम को आरम्भ नहीं करने के लिए भी हमें सैकड़ों बहाने मिल जाएंगेआश्चर्य है कि हम काम की अधिकता और उसे उबाऊ प्रकृति को दोष देते है
दोस्तों अगर, हम अपनी ऊर्जा के साथ उस काम को खत्म करने की कोशिश करेंगे तो वह काम समाप्त हो सकता है लेकिन हमारा नकारात्मकता है कि हम पहले ही उसे बोझ  समझ लेते हैं
सबसे पहले यह जरूरी है किसी भी काम को शुरू करने के लिए हम अपने अंदर सकारात्मक या पॉजिटिव ऊर्जा का संचार करें.




 जब तक आपके अंदर पॉजिटिव उर्जा नहीं होगा आप किसी भी काम को उसके पूरी ईमानदारी और सफाई के साथ पूर्ण नहीं कर सकते और आपके अंदर सकारात्मकता तब आएगी जब आप खुद में भरोसा करना सीखें.

इसके लिए जरूरी है कि आप अपने आसपास वैसे लोगों को हमेशा रखें जो आपके और आपके सपने में विश्वास करते हैं आप जब तक अपने ऊपर विश्वास नहीं करेंगे कोई भी काम जो आपको करना है उसे आप संपूर्ण ईमानदारी के साथ नहीं करें इसके लिए यह जरूरी है कि आप अपने अंदर स्थित ऊर्जा  को पहचाने.


विश्वास करें दोस्तों आप जितना अपने बारे में सोचते हैं उससे कहीं बहुत ज्यादा साहसी है आप. अपने अंदर के साहस को पहचाने क्योंकि आपके अंदर का यह साहस हीं है जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर रखेगा. 

किसी भी काम को करने के लिए आपको आप अपने ऊपर कभी भी अविश्वास नहीं करें क्योंकि आपमें न टैलेंट की कमी है और न हीं योग्यता की और ना दूरदर्शिता की कमी है अगर कमी है तो सिर्फ इस प्रवृति कि जिसमे आप नकारात्मक माइंडसेट से खुद का मूल्यांकन करने का आदत बना चुके हैं.

दोस्तों विश्वास करें किसी भी काम को सफाई के साथ करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि हम अपनी ऊर्जा का समुचित रूप से उपयोग नहीं कर पाते.

विश्वास करें दोस्तों ऐसा कोई भी असंभव कार्य नहीं है जिससे आप पूरा नहीं कर सकते हैं क्योंकि आपके अंदर ऊर्जा का विशाल भण्डार स्थित है. ... आशा और उम्मीद नहीं छोड़े दोस्तों क्योंकि बिना उम्मीद के आप जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते और उम्मीद के लिए यह जरूरी है कि आप अपने ऊपर सबसे पहले विश्वास करना सीखें.

नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती

जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में

नजरिया जीने का: जीवन में विशिष्ट बनें, अपनाएँ ये टिप्स

najariya jine ka how to become special in life

जीवन में विशिष्ट बनने के लिए हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए क्योंकि साधारण से असाधारण बनने का प्रयास हीं हमें जीवन में मुकमल सफलता प्रदान करने में मदद करती है. जीवन में आप किसी भी क्षेत्र में हैं, याद रखें की उस क्षेत्र में टॉप पर हमेशा स्थान मौजूद होता है और उसके लिए आपको विशिष्ट बनने की जरुरत है. जब आप अपने काम में विशिष्ट होते हैं, तो आपके सफल होने की संभावना अधिक होती है। आप अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ बन जाते हैं, और लोग आपके ज्ञान और कौशल की तलाश करते हैं।

हालांकि यह सच है कि यह सफर आसान नहीं है, लेकिन यह इतना मुश्किल भी नहीं है। जब आप जीवन में विशिष्ट होते हैं, तो आप अधिक सफल, संतुष्ट और खुश होते हैं।  अपने काम में विशिष्ट बनने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:

अपनी प्रतिभा को पहचानें: 

 जीवन का मतलब सिर्फ जीना हीं नहीं होता है बल्कि ऐसा जीवन जीना है जो कि आपको संतुष्टि दें। आप अपने प्रतिभा और रुचि  को सबसे पहले पहचाने और अपने टेस्ट के अनुसार अपना लक्ष्य का चयन करें। यह जानने के लिए कि आपको क्या पसंद है और आप किस काम में अच्छे हैं, आत्म-विश्लेषण करें। अपनी रुचि के क्षेत्रों में गहराई से अध्ययन करें और अपनी प्रतिभा को विकसित करें।

लक्ष्य निर्धारित करें:

सबसे पहले आप अपने लिए अच्छे से विचार कर उचित क्षेत्र का चयन करें और उसमें अच्छी प्रदर्शन  के लिए अपनी विशेषज्ञता तय करें। इसके लिए आवश्यक है कि आप अपने जुनून को खोजें और ईमानदारी से उसे हासिल करने में लग जाएँ। आपको कड़ी मेहनत करने, लगातार रहने और कभी भी सीखना बंद न करने की आवश्यकता है। 

नियमित अध्ययन और अद्यतन रहें: 

सबसे पहले, अपने लिए स्पष्ट और स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें। आप क्या हासिल करना चाहते हैं और आपकी सफलता कैसी दिखेगी इसपर विचार कर आप खुद का भविष्य तय करें. 

सीखने के लिए तैयार रहें:

जैसा की आप जानते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और आत्म-विकास के लिए खुद को सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना हीं जीवन का सबसे बड़ा सत्य और चैलेंज है। अपने काम में बेहतर बनने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करें। इसमें तकनीकी कौशल, नरम कौशल और ज्ञान शामिल हो सकते हैं।

हमेशा पॉजिटिव रहें:

अपने काम में प्रेरित होना सीखिए और हमेशा पॉजिटिव रहने सीखें. पॉजिटिव रहने के लिए अच्छी पुस्तकों और लोगो पर्सनालिटी के जीवन को पढ़ें।   अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें, अपनी प्रगति का जश्न मनाएं और नई चुनौतियों की तलाश करें। अपने आप को चुनौती दें। अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें और नई चीजें आज़माएं।

अपने आप को चुनौती दें: 

अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए खुद को चुनौती दें और खुद से बात करना सीखें। स्वामी विवेकानंद के उस कथन को हमेशन याद रखें कि- " यदि चौबीस घंटे मे एक बार आप खुद से बात नहीं करते हैं तो संसार के सबसे विशिष्ट और खास आदमी कि आप उपेक्षा कर रहे हैं। "

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जीवन में विशिष्ट बनने के लिए समय और प्रयास लगता है। धैर्य रखें, कड़ी मेहनत करें, और कभी भी हार न मानें।आप भी अपनी रुचि और प्रतिभा के आधार पर जीवन में विशिष्ट स्थान बना सकते हैं। 

नजरिया जीने का: विपत्तियां यह अहसास दिलाती हैं कि आप किस मिटटी के बने हैं

Opportunity in Adversity
नजरिया जीने का:
विपत्तियां जीवन का एक हिस्सा हैं और वास्तव में विपत्तियां हमारे ज्जीवन की वह आकस्मिक घटनाएं होती हैं जो हमारे जीवन में परेशानी और दुःख लाती हैं। विपत्तियाँ अक्सर नकारात्मक मानी जाती हैं, क्योकि इसके आगमन के साथ ही हमारे जीवन में उथल पुथल आ जाती ही यही हमारा सामान्य जीवन को ब्रेक सा लग जाता है. विपत्तियाँ अक्सर नकारात्मक मानी जाती हैं, लेकिन, यदि हम उनका सामना सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ करते हैं, तो वे हमें बेहतर इंसान बनने में मदद कर सकती हैं. हालांकि, विपत्तियाँ अक्सर नकारात्मक मानी जाती हैं, लेकिन वे हमारे जीवन में सकारात्मक भूमिका भी निभा सकती हैं। 
सच तो है है कि यह हमारे जीवन में आने वाली विपत्तियां हीं होती है जो हमारे साहस और धैर्य और दूसरों की मदद करने की भावना का अहसास दिलाती है. विपत्तियां के केवल हमें यह बताती है कि हम किस मिट्टी के बने हैं बल्कि यह हमें समस्याओं को सुलझाने की क्षमता और जीवन के मूल्यों को समझने की क्षमता भी विकसित करने में मदद करता है. 

आपदा या विपरीत परिस्थितियों में माध्यम से नेचर या प्रकृति भी हमारी परीक्षा लेती है..... जीवन में जिसको जितना आगे जाना होता है उसके  रास्ते में प्रकृति उतना ही शूल और  कांटे बिछा के रखती है....... 
अगर आप उन कांटों के डर से वापस लौट जाएंगे तो आपकी यात्रा वहीँ  जायेगी....लेकिन याद रखें जिसे जीवन में जितना आगे जाना होता है उसे प्रकृति अपनी ओर से उतना ही ऊर्जा प्रदान कर उसे सकारात्मक ऊर्जाओं से पूर्ण कर भेजती है ताकि वे लोग लाइफ में मिलने वाले तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह अपने सफलता के कीर्तिमान स्थापित करते हैं.


विपत्तियों से निकलने के लिए सबसे जरुरी 

विपत्तियों से निबटना यह सच है की आसान नहीं होता लेकिन इंसान अगर ठान ले तो यह इतना मुश्किल भी नहीं होती. विपत्तियों का आना तो अपने हाथ में नहीं होती लेकिन आपकी मानसिक स्थिति, आपकी सोच और आपकी सकारात्मक सोच अवश्य ही इससे बाहर निकलने में मदद कर सकती है. विपत्तियों से निकलने के लिए सबसे जरुरी है कि सकारात्मक रहें। मुश्किल परिस्थितियों में भी सकारात्मक रहने की कोशिश करें। इससे आपको अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय से मदद मांगने से न डरें। दूसरों की मदद से आप मुश्किल समय में बेहतर तरीके से निपट पाएंगे। अपने अनुभव से सीखें। विपत्तियों से सीखने से आपको भविष्य में बेहतर तरीके से तैयार रहने में मदद मिलेगी।

आपदा में भी अवसर 

सच्चाई तो यह है कि इस आपदा में भी हमें अवसर की तलाश करनी होती है क्योंकि आपदा या विपरीत परिस्थितियां हमारे लिए एक अवश्यंभावी प्रहार  होती है जो हमारे वश में नहीं हो सकते.
क्या आपदा या बुरा समय हमसे पूछ कर आती है, नहीं ना. आपदा का आना हमारे लिए नियति है लेकिन यह हमारी सूझ- बुझ और इच्छाशक्ति होती है कि  हम  आगे टूट जाते हैं या उस आपदा में भी अवसर तलाश कर उससे निकलने का प्रयास करते हैं. 
"विपत्तियों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम उनका सामना करें।" - अल्बर्ट आइंस्टीन

अगर आप देखेंगे तो पिछले कुछ सालों से कोविड-19 नामक एक नए आपदा ने पूरी दुनिया को अस्त-व्यस्त करने के साथ ही कई देशों के विकास दर को न जाने कई साल  पीछे कर दिया है. कितने जानों को असामायिक काल के ग्रास में जाने को मजबूर होना पड़ा और कई परिवार तो छिन्न-भिन्न हो गए.
यह कहानी काफी लम्बी हो सकती है, न केवल हिंदुस्तान बल्कि दुनिया के सभी देशों में आपदा की स्थिति बन  चुकी थी  तो क्या हमें इस आपदा के भरोसे खुद को छोड़ देनी चाहिए थी ? 

आप अगर देखेंगे तो इस दौरान कई लोगों के व्यापार को जहां बंद तक करना पड़ा, लेकिन कई ऐसे लोग हैं जिन्हे इस आपदा ने भी रोगजार के अवसर प्रदान किये. वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन पढ़ाई व्ययस्था, ऑनलाइन ट्यूशन  जैसे कई व्यवसाय थे जो कोरोना के कारण आज फल-फूल  रहे हैं. 
"विपत्तियां जीवन का हिस्सा हैं। उनसे बचना असंभव है। लेकिन हम उनसे कैसे निपटते हैं, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है।" - डेल कार्नेगी

 याद रखें दोस्तों वह चाहे कोई भी विपरीत परिस्थिति  या आपदा हो आपको इस से निकलना होगा इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि हमारे अंदर यह जिजीविषा पैदा करनी होगी हम इसे झेल  सकते हैं....

इस आपदा को एक अवसर  के रूप में देखकर जो इसका उपयोग कर लेगा लाइफ में आगे जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं है. इसके लिए जरूरी है कि आप अपने एटीट्यूड और अपने माइंडसेट को बदलें क्योंकि यह आपका माइंडसेट  और एटीट्यूड ही है जो आपको इस आपदा में अवसर तलाश करने में मदद करेगा...

 याद रखें दोस्तों आपको इस आपदा से निकलने के लिए अपने अंदर साहस का संचार खुद करना होगा आपको अपने आसपास निराशावादी या नकारात्मक सोच के लोगों से खुद को दूर रखना होगा और इसके लिए यह जरूरी है कि सबसे पहले अपने अंदर सकारात्मक और पॉजिटिव ऊर्जा को कम नहीं होने दिया जाए.

"विपत्तियां हमें मजबूत बनाती हैं।" - नेल्सन मंडेला

याद रखें आपके जीवन में आपदाएं और विपत्तियां या  विपरीत परिस्थिति सभी परेशानियों के साथ ही आपके लिए एक नया सवेरा के रूप में  कई सारे अवसर भी लेकर आती है.

लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप इस आपदा में अवसर की तलाश कर उसे पाने के लिए होम कर देते हैं या एक निराशावादी की तरह बस इस आपदा के भरोसे खुद को छोड़ देते हैं.








नजरिया जीने का: कठिन समय से विचलित होना कायरों का काम है-ऐसे करें सामना

najariya jine ka Hard times in life how to face

कठिन समय जीवन का अभिन्न अंग है और यह जीवन के लिए धुप-छाव के खेल की तरह है. किसी विद्वान ने क्या खूब कहा है कि "परिस्थितियां हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसे आशा नहीं करों क्योंकि यह संसार सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं बनी है." हर व्यक्ति को अपने जीवन में कभी न कभी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन यहाँ यह समझना महत्वपूर्ण है कि कठिन समय हमेशा के लिए नहीं रहते हैं। धैर्य रखने से हमें मुश्किलों का सामना करने में मदद मिलती है।

जीवन में हार्ड टाइम या कठिन समय का आना जिंदगी का अभिन्न अंग है  और इससे घबराने के बजाये इसका सामना करें... हमारे जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है.... जीवन के किसी खास फेज में आने वाले कठिन समय या हार्ड टीम और कुछ नहीं बल्कि परिस्थितियों का  संयोग ,मात्र होता है. निश्चित रूप से तथाकथित कठिन समय या हम कहें की विपरीत परिस्थितियां जीवन का एक खास समय होता जो हमारे सोच के अपेक्षित नहीं होती है और जो जल्द ही बीत जाते हैं।

याद रखें. एक तीर को कमान से छोड़ने से पहले उसे पीछे की ओर खींचना जरुरी होता है, अतः: मारे जीवन का कठिन समय इस बात का संकेत है कि उसने एक कदम तो पीछे ले लिया है लेकिन वह आपके जीवन में एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है.

कठिन समय में विचलित होने के जगह हम इन टिप्स की मदद से खुद को मजबूत और सकारात्मक बनाये रख सकते हैं 

धैर्य रखें :

यह समझना महत्वपूर्ण है कि कठिन समय हमेशा के लिए नहीं रहते हैं। धैर्य रखने से हमें मुश्किलों का सामना करने में मदद मिलती है।

सकारात्मक रहें 

नकारात्मक विचारों में डूबने के बजाय, हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

 कमजोरियों का सामना करें :

 कठिन समय हमें अपनी कमजोरियों का पता लगाने और उन्हें दूर करने का मौका देता है।

से

कठिन समय हमें अपनी गलतियों से सीखने और भविष्य में उन्हें दोहराने से बचने का मौका देता है।

मदद लेने में नहीं हिचकें : 

कठिन समय में हमें दूसरों की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।

तू छोड़ ये आंसू उठ हो खड़ा, 

मंजिल की ओर अब कदम बढ़ा,

हासिल कर इक मुकाम नया, 

पन्ना इतिहास में जोड़ दे,

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,

-नरेंद्र वर्मा

सकारात्मक और आशावादी रवैया अपनाकर, इन परिस्थितियों से बिना घबराए इनका सामना करने का साहस दिखाना ही बहादुरी है.. 


ये कठिन समय आपके जीवन की दौड़ के रास्ते में कोई बाधा नहीं है... वास्तव में प्रकृति आपके धैर्य की परीक्षा लेने की प्रक्रिया में है जिसके परिणामस्वरूप आप मजबूत बनेंगे...

बाधाएँ आती हैं आएँ

घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,

निज हाथों में हँसते-हँसते,

आग लगाकर जलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

-अटल बिहारी वाजपेयी

कठिन समय को आप कोस सकते हैं और इसके लिए आप स्वतंत्र हैं...लेकिन याद रखें.यह कठिन समय आपके भविष्य को एक ठोस आकार देने की क्षमता से परिपूर्ण होता है..



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नजरिया जीने का: खुद को वश में करना सीखें, फिरआपकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते

नजरिया जीने का: खुद को वश में करना एक स्वाभाविक और आत्मिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत आप अपनी भावनाओं, विचारों, और क्रियाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। 
बिहार बोर्ड के परीक्षा में एक सब्जी बेचने वाले के लड़के द्वारा राज्य में टॉपर बनने की कहानी को आप क्या कहेंगे. गौतम बुद्ध के उस कथन को  सन्दर्भ में उल्लेख करना अत्यधिक उपयुक्त होगी-"जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते "
 विपरीत परिस्थितियों का जीवन में आना और जाना तो प्रकृति का नियम है जिसे बदलना हमारे वश में नहीं है. कहा भी गया है "परिस्थितियां हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसी आशा न करो आखिर संसार सिर्फ तुम्हारे लिए थोड़े ही बना है?" लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों से निकलना आपके हाथ में हैं और ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको खुद के अंदर आत्मविश्वास पैदा करना सीखना होगा. संसार का कोई भी मोटिवेटर कुछ नहीं कर सकता जबतक आप खुद के अंदर सकारात्मक सोच डेवलप नहीं करेंगे. अपने सकारात्मक सोच और खुद में विश्वास पैदा कर जरूर हीं हम इन आपदाओं से निकलने का मार्ग प्रशस्त कर सकते है. आपने सुनी होगी. "
 सफल होने के लिए सफलता की इच्छा,  असफलता के भय से अधिक होनी चाहिए " भगवान् भी आपके लिए कुछ नहीं कर सकते जबतक कि  आप खुद पर विश्वास करना नहीं सीख  लेते.जी हाँ, आप किसी और यहाँ तक कि  भगवान् पर भरोसा करने से पहले खुद पर  यकीन करने सीख  लें, भगवान खुद भी आपके प्रयासों के आगे नतमस्तक हो जायेंगे। यहां कुछ टिप्स हैं जो आपको खुद को वश में करने में मदद कर सकते हैं:

अपनी भावनाओं को पहचानें: 
सबसे पहले, अपनी भावनाओं को पहचानना सीखें क्योंकि खुद की भावनाओं को सबसे अधिक आप पहचान सकते हैं । जब आप गुस्सा, चिंता, या निराशा महसूस करते हैं, तो इसे स्वीकार करें और इसे दबाने की कोशिश न करें बल्कि खुद हीं इनपर नियंत्रण करने सीखे ।
 अपनी भावनाओं को समझें और स्वीकार करें:
 अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। वे क्यों उत्पन्न हो रही हैं? क्या कोई विशेष कारण है? साथ ही अपनी भावनाओं को स्वीकार करें, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक। उन्हें दबाने या नकारने की कोशिश न करें।

अपने विचारों को नियंत्रित करें:
 अपने विचारों को नियंत्रित करना सीखना बहुत जरुरी है क्योंकि हमारे अंदर आने वाले विचार ही हमारे कार्यों को नियंत्रित करते हैं. नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में प्रवेश न करने दें क्योंकि यह आपके मानसिक स्थिति को कमजोर  करेगा और फिर आप खुद को नकारात्मक विचारों के अधीन पा सकते हैं ।

अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करें:
 अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करें क्योंकि आपकी मजबूत इच्छाशक्ति हीं आपके ठोस विचारों को गाइड करता है । जब आप किसी लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, तो हार न मानें और मजबूत इच्छाशक्ति से उन्हें हासिल करने का प्रयास करें. ।

 धैर्य रखें: 
धैर्य रखें क्योंकि आज की दौड़ में जहाँ चारो तरफ कठोर प्रतिस्पर्धा है वहां धैर्य का होना बहुत जरुरी है। खुद को वश में करना एक सतत प्रक्रिया है। हार न मानें।

अनुशासन में रहें: 
अनुशासन को अपना सर्वस्व माने क्योंकि यही वह शक्ति है जो आपको खुद पर नियंत्रण करने में आपकी मदद करता है. खुद के लिए आप नियम बनाएं लेकिन उनके पालन करने में आप खुद हीं मॉनिटरिंग भी करें. नियमित रूप से अभ्यास करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन बनाए रखें।



सच्चाई तो यह है कि जीवन में मिलने वाली सफलता और असफलता के बीच ... जो सबसे बड़ा फैक्टर- इंटेलीजेंस और मिलने वाले सीमित  संसाधन कभी नहीं होते... क्योंकि अगर सिर्फ इंटेलीजेंस और संसाधन हीं  जीवन में सफलता की गारंटी होते  तो फिर औसत दर्जे और सीमित  संसाधनों वाले छात्र जीवन में सफलता प्राप्त कर हीं नहीं  पाते... 



अगर खुद पर यकींन काफी नहीं होता तो फिर उस 13 वर्षीय लड़की ज्योति के बारे में आप क्यां कहेंगे जिसने अपने घायल और लाचार पिता को गुड़गांव(दिल्ली ) से बिहार के दरभंगा तक के हजारों किलोमीटर की दूरी को साइकिल से तय कर मुश्किल से लक्ष्य को हकीकत में बदल डाला. क्या वह खुद में भरोसा और यकीन  की जीत  नहीं है? 

असफलता के भय को समाप्त करने के लिए करें खुद के अंदर साहस का संचार 
याद रखें... अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता... 

 इसमें कोई संदेह नहीं है संसार में ऐसा कोई सफल व्यक्ति नहीं है जो किसी दूसरे की मदद से सफलता प्राप्त किया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया हो... सफल होने के लिए सबसे जरूरी यह है- पॉजिटिव माइंड सेट के साथ अपने भविष्य के लिए बनाये गए आपके पास एक पॉजिटिव इमेज का होना ....  

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 दोस्तों खुद में यकीन करना इतना कठिन नहीं है... पर  इतना आसान भी नहीं है... आप इसके बगैर दुनिया की तमाम संसाध्नों और मोटिवेशल बातों से भी कुछ हासिल नहीं कर सकते....  जबतक   कि  आप खुद पर यकीन  करना नहीं सीख  लेते... 
याद रखें... अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है.. और एक बार आपने खुद के ऊपर विजय प्राप्त करना सीख लिया.. संसार में आप को कोई ताकत लक्ष्य हासिल करने से रोक नहीं सकती....

खुद को वश में करना कैसे सीखें - कुछ प्रेरणादायक उद्धरण:
1. "अपने विचारों पर नियंत्रण रखो, वरना तुम्हारे विचार तुम्हें नियंत्रित करेंगे।" -
2. "क्रोध एक क्षणिक पागलपन है। यदि तुम उस क्षण में खुद को नियंत्रित नहीं कर सकते, तो तुम पछताओगे।" -
3. "मन एक जंगली घोड़े की तरह है। इसे वश में करना आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं।" -
4. "इच्छाक्ति ही वह शक्ति है जो तुम्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकती है।" -
5. "धैर्य एक गुण है। जो धैर्य रख सकता है, वह जीत सकता है।" -
6. "अपनी कमजोरियों को पहचानो और उन पर काम करो।" -
7. "अपनी गलतियों से सीखो और आगे बढ़ो।" -
8. "नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में प्रवेश न करने दो।" -