नजरिया जीने का: निगेटिव माइंडसेट हमारी सफलता के लिए सबसे बड़ी बाधक है इसमें हम में से किसी को शायद हीं संदेह हो. इसके साथ ही यह भी उतना हीं बड़ा सच है कि हम सभी इस सत्य को जानने के बावजूद खुद पर शायद हीं इम्प्लीमेंट करते हों.
मानव का मन भी बहुत हीं विचित्र और रहस्यपूर्ण है. जब कभी हमें कोई कार्य करने की जरुरत होती है हम पहले उस कार्य की गंभीरता और जरुरत की अपेक्षा गैर जरुरी और अनावश्यक विचारों के आधार पर उस कार्य को तौलने की कोशिश करते हैं.
अगर कोई कार्य और लक्ष्य हमारी जरुरत है तो उसके लिए हर दुर्गम रास्तों को भी अपनाये जाने पर विचार किया जाना चाहिए, लेकिन अगर अगर कोई खास कार्य हमारे लिए जरुरी नहीं है तो बेहिचक उससे किनारा कर लिया जाना चाहिए.
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लेकिन हमारी विडम्बना है कि हम कार्यों की अधिकता या अमाउंट ऑफ़ वर्क से नहीं बल्कि उसे पहले ही बोझ समझ लेते हैं और यही कारण है कि हम पहले ही थक जाते हैं, ऐसे स्थिंति में कार्य पूरा होने के सम्भावना की कल्पना सहज ही की जा सकती है.
आप काम की अमाउंट और अपने नेचर के एडॉप्शन का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि अगर आप सकारात्मकता से सराबोर हैं तो जटिल से जटिल काम भी आप कर लेते हैं लेकिन एक छोटा और अत्यंत साधारण सा कार्य भी आपको पहाड़ सा प्रतीत होता है अगर आप पहले ही मान लेते हैं की बहुत भारी और उबाऊ सा काम है.
फिर क्या इसमें संदेह बचता है कि हमारा माइंडसेट यह निर्धारित करता है कि काम भारी है या आसान.
देखें वीडियो-नजरिया जीने का: सकारात्मक सोचें, सकारात्मक देखें और सकारात्मक दृष्टिकोण रखें
दोस्तों यह सामान्य सी प्रवृति है जिसके गिरफ्त में हम हमेशा से रहे हैं और विडम्बना यह है कि हम उससे निकलना नहीं चाहते.
जैसे ही हमें कोई काम असाइन किया जाता है, हम उसे पूरा करने की बजाय उसके नकारात्मक और असंभव सा लगने वाले प्रकृति को ही पहले देखते हैं. हम यह नहीं सोचते हैं कि हममें उस कार्य को पूरा करने की क्षमता और सामर्थ्य है या नहीं.
जब तक हम दिए गए काम पूर्ण रूप से समाप्त करने का विश्वास खुद के अंदर नहीं लाएंगे, उस असंभव से कार्य के पूर्ण होने की तो बात ही छोड़िये, किसी साधारण से काम को आरम्भ नहीं करने के लिए भी हमें सैकड़ों बहाने मिल जाएंगे. आश्चर्य है कि हम काम की अधिकता और उसे उबाऊ प्रकृति को दोष देते है.
दोस्तों अगर, हम अपनी ऊर्जा के साथ उस काम को खत्म करने की कोशिश करेंगे तो वह काम समाप्त हो सकता है लेकिन हमारा नकारात्मकता है कि हम पहले ही उसे बोझ समझ लेते हैं.
सबसे पहले यह जरूरी है किसी भी काम को शुरू करने के लिए हम अपने अंदर सकारात्मक या पॉजिटिव ऊर्जा का संचार करें.
जब तक आपके अंदर पॉजिटिव उर्जा नहीं होगा आप किसी भी काम को उसके पूरी ईमानदारी और सफाई के साथ पूर्ण नहीं कर सकते और आपके अंदर सकारात्मकता तब आएगी जब आप खुद में भरोसा करना सीखें.
इसके लिए जरूरी है कि आप अपने आसपास वैसे लोगों को हमेशा रखें जो आपके और आपके सपने में विश्वास करते हैं आप जब तक अपने ऊपर विश्वास नहीं करेंगे कोई भी काम जो आपको करना है उसे आप संपूर्ण ईमानदारी के साथ नहीं करें इसके लिए यह जरूरी है कि आप अपने अंदर स्थित ऊर्जा को पहचाने.
विश्वास करें दोस्तों आप जितना अपने बारे में सोचते हैं उससे कहीं बहुत ज्यादा साहसी है आप. अपने अंदर के साहस को पहचाने क्योंकि आपके अंदर का यह साहस हीं है जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर रखेगा.
किसी भी काम को करने के लिए आपको आप अपने ऊपर कभी भी अविश्वास नहीं करें क्योंकि आपमें न टैलेंट की कमी है और न हीं योग्यता की और ना दूरदर्शिता की कमी है. अगर कमी है तो सिर्फ इस प्रवृति कि जिसमे आप नकारात्मक माइंडसेट से खुद का मूल्यांकन करने का आदत बना चुके हैं.
दोस्तों विश्वास करें किसी भी काम को सफाई के साथ करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि हम अपनी ऊर्जा का समुचित रूप से उपयोग नहीं कर पाते.
विश्वास करें दोस्तों ऐसा कोई भी असंभव कार्य नहीं है जिससे आप पूरा नहीं कर सकते हैं क्योंकि आपके अंदर ऊर्जा का विशाल भण्डार स्थित है. ... आशा और उम्मीद नहीं छोड़े दोस्तों क्योंकि बिना उम्मीद के आप जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते और उम्मीद के लिए यह जरूरी है कि आप अपने ऊपर सबसे पहले विश्वास करना सीखें.
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