भारत और पाकिस्तान मे बीच बंटवारे मे सबकुछ का बंटवारा हुआ और इसमे नदियां भी अछूती नहीं रही। जी हाँ, 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ, तब न सिर्फ ज़मीनें बंटी, बल्कि नदियों का प्रवाह भी दो देशों में बंट गया। आपको पता होनी चाहिए की भारत और पाकिस्तान की बीच उस समय कुल छह प्रमुख नदियाँ रहीं थी जिनमे शामिल है-
- सिंधु,
- झेलम,
- चिनाब,
- रावी,
- व्यास,
- सतलुज।
अगर गौर करें तो इनमें से तीन प्रमुख नदियां पाकिस्तान और तीन भारत मे बहती ही। पाकिस्तान मे बहने वाले नदियां है- सिंधु, झेलम, चिनाब। जबकि भारत से होकर – पाकिस्तान से होकर बहती हैं, और बाकी तीन – रावी, व्यास, सतलुज – भारत के हिस्से में आती हैं।
इस संधि पर करांची में पाकिस्तान के तत्कालीन फिल्ड मार्शल मोहम्मद अयूब खान और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू एवं विश्व बैंक के श्री डब्लू, ए. बी. इलिफ द्वारा 19 सितम्बर, 1960 को हस्ताक्षर किया गया ।
समस्या यह थी कि इन सभी नदियों का स्रोत भारत में था, और जाहिर है कि पाकिस्तान डरता था कि भारत कभी भी पानी रोककर उसकी खेती को बर्बाद कर सकता है।
1948 में भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी और कुछ समय के लिए नदियों का पानी रोक भी दिया।
विश्व बैंक (उस समय इसे "इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट" कहा जाता था) ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया।
8 साल तक चली बातचीत के बाद, अंततः 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान ने एक ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर किए – यही थी सिंधु जल संधि।
संधि के मुख्य बिंदु
पानी का बंटवारा:
- पूर्वी नदियाँ (रावी, सतलुज, व्यास) – इनका पूरा जल भारत को दिया गया।
- पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) – इनका 80% से अधिक जल पाकिस्तान को उपयोग करने का अधिकार मिला, लेकिन भारत इन नदियों का सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई, जलविद्युत परियोजनाएँ) कर सकता है।
- निगरानी व्यवस्था के अंतर्गत दोनों देशों ने एक स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) बनाया, जिसमें दोनों तरफ से एक-एक आयुक्त होता है।
अगर दोनों देशों के बीच किसी प्रकार का कोई विवाद होता है, तो पहले दोनों आयुक्त मिलकर सुलझाते हैं।
समाधान न होने पर विश्व बैंक, मध्यस्थता या अंतरराष्ट्रीय अदालत में मामला जाता है।
इस संधि की विशेषताएँ
- यह अब तक की सबसे स्थायी जल संधियों में से एक है।
- तीन युद्धों के बावजूद (1965, 1971, 1999) यह संधि कभी समाप्त नहीं हुई।
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