Chaitra Navratri 2025: माँ अम्बे की आरती


Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र इस वर्ष 30 मार्च से शुरू हो रहा है जो खासतौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्र इस दौरान लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं। भगवान की आरती  उतरना हम सभी बचपन मे हीं अपने घरों से सीखते हैं। शायद ही कोई ऐसा हिन्दू घर होगा जहां पूजा पाठ के दौरान बच्चा आरती से रु बरु नहीं होता है। आरती के दौरान हमेशा खड़ा हो जाना और अंत मे दीपक के लौ को अपने बाल पर लगाना और फिर भगवान का आशीर्वाद लेना हम अपने घरों से हीं सीखते हैं। आरती के दौरान भक्तगन आरती मे जलते दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि  हम सभी भक्तगण आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें।

माँ अम्बे की आरती 

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

Daily Current Affairs march 22 Complete GK Dose



मिजोरम ने किया एंथुरियम फूलों का निर्यात 

  • मिजोरम के बागवानी विभाग के सहयोग से आइजोल (मिजोरम) से सिंगापुर के लिए एंथुरियम फूलों की पहली खेप को सफलतापूर्वक रवाना किया।
  • 50 नालीदार बक्सों में पैक किए गए 1,024 एंथुरियम फूलों (वजन 70 किलोग्राम) वाली इस खेप को आईवीसी एग्रोवेट प्राइवेट लिमिटेड ने आइजोल, मिजोरम से कोलकाता के रास्ते सिंगापुर भेजा। 
  • एंथुरियम मिज़ोरम में उगाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण फूलों में से एक है, जो स्थानीय आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर महिलाओं सहित किसानों को लाभ पहुंचाता है।
  • वित्त वर्ष 2023-2024 में भारत का पुष्प उत्पादन निर्यात 86.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की 13वीं बैठक रोम में

  • भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की 13 वीं बैठक 20-21 मार्च 2025 को, इटली की राजधानी रोम में सफलतापूर्वक आयोजित की गई। 
देश की एक अरब टन कोयला उत्पादन की ऐतिहासिक उपलब्धि 

  • भारत ने कोयला उत्पादन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 20 मार्च, 2025 को एक बिलियन टन (बीटी) को पार कर गया।
  • कोयला क्षेत्र की सफलता का श्रेय कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू), निजी क्षेत्र के दिग्गजों और 350 से अधिक कोयला खदानों में कार्यरत लगभग 5 लाख खदान श्रमिकों के अथक प्रयासों को जाता है।
  • भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता के लगभग 55 प्रतिशत के लिए कोयले पर निर्भर है,
  • देश की लगभग 74 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पन्न की जाती है।

गुड़ की खेप को बांग्लादेश को निर्यात

  • मुजफ्फरनगर से 30 मीट्रिक टन (एमटी) जीआई-टैग वाले गुड़ की खेप को बांग्लादेश को निर्यात के लिए रवाना किया गया।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना: युवाओं का सशक्तिकरण, एक सक्षम करियर


भारत जनसांख्यिकीय लाभांश के मुहाने पर खड़ा है, जहां युवा आबादी देश की प्रगति को गति देने को तैयार है। इस क्षमता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने 3 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) शुरू की। इस दूरदर्शी पहल का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में एक करोड़ युवा भारतीयों को देश की शीर्ष कंपनियों में 12-महीने का सशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिससे अकादमिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच की दूरी को खत्म किया जा सके।

यह मंच अब एक सरलीकृत पीएमआईएस पोर्टल के साथ-साथ एक समर्पित मोबाइल ऐप भी प्रदान करता है, जिससे उपयोगकर्ता आसानी से जिले, राज्य, क्षेत्र और स्थान के दायरे के अनुसार अवसरों को फिल्टर कर सकते हैं। इसकी आउटरीच और उपलब्धता को सुदृढ़ करते हुए, वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 17 मार्च 2025 को आधिकारिक तौर पर पीएमआईएस के लिए समर्पित मोबाइल ऐप लॉन्च किया। उम्मीदवार ऐप के जरिए एक ही समय में तीन इंटर्नशिप के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक सुविधा मिलेगी। 

इसके अतिरिक्त, ऐप उपयोगकर्ताओं को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए रेफरल कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति देता है। पंजीकृत उपयोगकर्ता अन्य योग्य उम्मीदवारों को रेफर कर सकते हैं और पुरस्कार पा सकते हैं। रेफरल कार्यक्रम पीएमआईएस वेब पोर्टल पर भी मौजूद है। पीएमआईएस ऐप इंटर्नशिप को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे युवाओं को मूल्यवान अवसरों से आसानी से जुड़ने में मदद मिलेगी।

ऐप का लिंक- https://play.google.com/store/apps/details?id=com.mca.pm_internship

पायलट चरण में विस्तार - राउंड II (जनवरी-मार्च 2025)

राउंड I की सफलता के बाद, इंटर्नशिप पहल का राउंड II काफी हद तक बढ़ गया है, जिसमें सभी 735 जिलों में 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप की पेशकश की गई है, जिसमें 327 प्रतिष्ठित कंपनियों की भागीदारी है, जिसमें राउंड I से आगे की भूमिकाएं भी शामिल हैं। अवसर ऑटोमोबाइल, पर्यटन और आतिथ्य, बैंकिंग और वित्त, विनिर्माण, धातु और खनन, एफएमसीजी, और अन्य जैसे विविध क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जो विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को पूरा करते हैं।


राउंड II के लिए इंटर्नशिप आवेदन खिड़की 31 मार्च, 2025 तक खुली है। पात्र उम्मीदवार नए मोबाइल ऐप या https://pminternship.mca.gov.in/ पर उपलब्ध पोर्टल के जरिए आवेदन कर सकते हैं।

इंटर्नशिप भूमिकाएं:

  • स्नातक (बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए, बीसीए, आदि) के लिए 37,000
  • आईटीआई धारकों के लिए 23,000
  • डिप्लोमा धारकों के लिए 18,000
  • 12वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए 15,000
  • 10वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए 25,000


उद्योग में भागीदारी: भागीदार कंपनियों की सूची

पीएमआईएस कृषि, ऑटोमोटिव, विमानन और रक्षा, बैंकिंग और वित्त सेवाएं, सीमेंट और निर्माण सामग्री, रासायनिक उद्योग, परामर्श सेवाएं, विविध समूह, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), रत्न एवं आभूषण, स्वास्थ्य सेवा, आवास, बुनियादी ढांचा और निर्माण, आईटी और सॉफ्टवेयर विकास, चमड़ा और उत्पाद, विनिर्माण और औद्योगिक, मीडिया, मनोरंजन और शिक्षा, धातु और खनन, तेल, गैस और ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, खुदरा और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, खेल, दूरसंचार, कपड़ा विनिर्माण, पर्यटन और आतिथ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शीर्ष कंपनियों के साथ भागीदारी का दावा करता है। यह सहयोग सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षु अग्रणी कंपनियों में मूल्यवान एक्सपोजर और अनुभव प्राप्त करें।

कंपनियों की पूरी सूची 

(श्रोत PIB)

कैच द रेन - 2025: विश्व जल दिवस 22 मार्च- जानें क्या है जल शक्ति अभियान


विश्व जल दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उदेशय लोगों को पानी के महत्व और इसकी कमी से निपटने के लिए आम लोगों की बीच जागरूकता पैदा करना है। वर्ष 1993 से हर साल इसे मनाया जाता है और प्रत्येक साल इसका थीम अलग-अलग विषयों और जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जाता है। 
थीम 2025 : जल संचयन जन भागीदारी: जन जागरूकता की ओर

आज 22 मार्च 2025 को विश्व जल दिवस है और इस अवसर पर कैच द रेन - 2025 कार्यक्रम का आरंभ किया जा रहा है। जल शक्ति मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और हरियाणा सरकार के सहयोग से 22 मार्च 2025 को विश्व जल दिवस पर बहुप्रतीक्षित जल शक्ति अभियान: कैच द रेन - 2025 का शुभारंभ करने जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम के मल्टीपर्पज हॉल में होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी और नवीन रणनीतियों के माध्यम से जल संरक्षण और प्रबंधन पर बल देना है।

"जल संचयन जन भागीदारी: जन जागरूकता की ओर" की थीम वाला यह अभियान जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जल चुनौतियों के मद्देनजर जल सुरक्षा, वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण के महत्व को रेखांकित करता है। यह पहल देश भर के 148 जिलों पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने में सरकारी एजेंसियों, समुदायों और हितधारकों के बीच अधिक तालमेल को बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम में हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, माननीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल, माननीय सिंचाई और जल संसाधन मंत्री, हरियाणा सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:

जल संरक्षण पर कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित करने वाली एक पेंटिंग और मूर्तिकला प्रदर्शनी का लोकार्पण।

नदियों, झरनों और जंगलों के बीच पारिस्थितिक संबंध को मजबूत करने वाले ‘जल-जंगल-जन: एक प्राकृतिक बंधन अभियान’ का शुभारंभ।

वैज्ञानिक जल संसाधन प्रबंधन में सहायता करने वाली ‘मुख्यमंत्री जल संचय योजना’ और हरियाणा के लिए जल संसाधन एटलस का ई-लॉन्च।

जल संरक्षण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रगतिशील किसानों, महिलाओं, जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए), उद्योगों और गैर सरकारी संगठनों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार समारोह।

हरियाणा में सामुदायिक स्वच्छता परिसर, तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, गोबरधन परियोजना और एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शेड सहित अभिनव जल प्रबंधन परियोजनाओं का अनावरण।

उद्देश्य

जल शक्ति अभियान: कैच द रेन - 2025 का उद्देश्य जल संरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देना है, जिससे ‘हर बूंद अनमोल’ के सपने को साकार किया जा सके। अभियान सभी नागरिकों से अभिनव समाधानों और जमीनी स्तर की भागीदारी के माध्यम से भारत के जल भविष्य को सुरक्षित करने में मिलकर काम करने का आह्वान करता है।

75 वेटलैंड बर्ड्स सैंक्चुअरी : रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि जुड़ीं, पाएं विस्तृत जानकारी


Wetlands Birds Sanctuaries Ramsar List

एक और जहाँ देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष  मना रहा है ऐसे में भारत के लिए  और  उपलब्धि हासिल हुई है जहाँ 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। 11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। 

भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं।

11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।

1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।

इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं।

तमिलनाडु में अधिकतम संख्या है। रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं। 

रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त विवरण
आद्रभूमि का नाम-राज्‍य
  1. तंपारा झील-ओडिशा
  2. हीराकुंड जलाशय-ओडिशा
  3. अंशुपा झील-ओडिशा
  4. यशवंत सागर-मध्‍य प्रदेश
  5. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य-तमिलनाडु
  6. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स-तमिलनाडु
  7. वडुवूर पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  8. कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  9. ठाणे क्रीक-महाराष्‍ट्र
  10. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर
  11. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर

 

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल पक्षियों का स्थल


Kanjirankulam Bird Sanctuary: कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण पक्षी संरक्षण क्षेत्र है जो प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक शानदार गंतव्य है।

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो रामनाथपुरम जिले के कांजीरनकुलम गांव के भीतर स्थित है। केबीएस का अनुमानित क्षेत्र कीला (निचला) कांजीरनकुलम (66.66 हेक्टेयर) और मेला (ऊपरी) कांजीरनकुलम (30.231 हेक्टेयर) के बीच विभाजित है।  तमिलनाडु में  कुल सत्रह घोषित पक्षी अभयारण्य हैं हालांकि कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान करीब 40 प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करता है।
 
यह मछलियों के भोजन, अंडे देने की जगह, नर्सरी और/या प्रवास पथ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का भंडार निर्भर करता है।

 बरसात के मौसम में बांधों के भीतर जमा होने वाला अतिरिक्त पानी बाद में कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता है। अभयारण्य एक कुशल बाढ़ नियंत्रण, बाढ़ भंडारण तंत्र के लिए भंडार स्थान के रूप में कार्य करता है। 
भारत के तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं। 

ये स्‍थल पक्षियों के प्रजनन, घोंसले के शिकार, आश्रय, चारागाह और ठहरने के स्‍थलों के रूप में कार्य करते हैं। यह आर्द्रभूमि आईयूसीएन रेडलिस्ट विलुप्‍त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों जैसे स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) का पालन करती है।

प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर और फरवरी के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं। यह स्‍थल आईबीए के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है। 

जैव विविधता और पक्षी प्रजातियाँ

प्रवासी पक्षी:

साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट

स्थानीय पक्षी:

 भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट

आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं। 


हीराकुंड जलाशय ओडिशा : 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां और भी बहुत कुछ-Facts in Brief


हीराकुंड बांध परियोजना, ओडिशा राज्य में महानदी नदी पर बनी एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन करना है. यह  एक विशाल जलाशय है, जो हीराकुंड बांध के निर्माण के कारण बना है। यह जलाशय महानदी नदी पर स्थित है और इसे दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी से बने बांधों में से एक माना जाता है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जलजीवों का प्राकृतिक आवास भी बन चुका है। 

 हीराकुंड बाँध हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है।  ओडिशा में सबसे बड़ा मिट्टी के बांध हीराकुंड जलाशय ने कई उच्च संरक्षण महत्व सहित पुष्प और जीव प्रजातियों की एक श्रृंखला का समर्थन करने के लिए 1957 में काम करना शुरू कर दिया था।

 जलाशय से ज्ञात 54 प्रजातियों की मछलियों में से एक को लुप्तप्राय, छह को निकट संकटग्रस्त और 21 मछली प्रजातियों को आर्थिक महत्व के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 

हीराकुंड बांध का इतिहास

हीराकुंड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1953 में बनकर पूरा हुआ। मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन  था। बांध की आधारशिला 12 अप्रैल, 1948 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।


हीराकुंड जलाशय: Facts in Brief

  • इस बांध की आधारशिला ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल सर हॉथोर्न लुईस ने रखी थी.
  • स्थिति: संबलपुर ज़िला, ओडिशा
  • निर्माण वर्ष: 1948 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1957 में पूरा हुआ।
  • लंबाई: लगभग 55 किलोमीटर
  • क्षेत्रफल: लगभग 746 वर्ग किलोमीटर
  • मुख्य उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन

  • 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां  जिनमें से  20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं 
  • 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन
  • 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई 
  • 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन 
  •  महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है।
  • प्रचुर मात्रा में पर्यटन को बढ़ावा
  • प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक


मत्स्य पालन के अंतर्गत यहां वर्तमान में सालाना लगभग 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन होता है और यह 7000 मछुआरे परिवारों की आजीविका का मुख्य आधार है। इसी तरह, इस स्थल पर 130 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से 20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं। 

जलाशय लगभग 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन और 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई के लिए पानी का एक स्रोत है। यह आर्द्रभूमि भारत के पूर्वी तट के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक केंद्र महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है। 

हीराकुंड जलाशय प्रचुर मात्रा में पर्यटन को भी बढ़ावा देता है और इसे संबलपुर के आसपास स्थित उच्च पर्यटन मूल्य स्थलों का एक अभिन्न अंग बनाता है, जिसमें प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक आते हैं।

गुजिया को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? जानें इतिहास और अन्य

Gujiya ko english me kya kahte hain gujiye kaise banaayen

वैसे तो रंगों के त्योहार होली का आरंभ फाल्गुन महीने के साथ ही हो जाता है, लेकिन अब जबकि होली के चंद दिन बाकी रह गए हैं, फिजाओं मे रंगों के अतिरिक्त पुआ और गुजिया का स्वाद भी भर सा गया है। पुआ और गुजिया के बगैर होली की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजिया क्या है और इसे अंग्रेजी में किस नाम से बुलाते हैं।

 सच तो यह है कि गुजिया भारत में कई स्वादिष्ट मिठाइयों में से एक अनोखी मिठाई है। यह सबसे लोकप्रिय व्यंजन है और इसके बिना पूरे भारत में कई त्यौहारों की कल्पना नहीं की जा सकती। गुजिया को आमतौर पर पेडकिया, पुरुकिया और देश के कई हिस्सों में जाना जाता है। इसे देश के कई हिस्सों में करंजी, कज्जिकयालु, सोमास और करजीकाई भी कहा जाता है। यह मूल रूप से एक मिठाई है जिसका उपयोग कई रूपों में किया जाता है जैसे मीठा, फ्राइड पेस्ट्री जो भारतीय उपमहाद्वीप में एक लोकप्रिय मिठाई है। इस लेख में, आप गुजिया के बारे में सभी विवरण जानेंगे और इसे कैसे बनाया जा सकता है, इसका महत्व और सभी प्रकार। गुजिया उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित कई भारतीय राज्यों में एक लोकप्रिय मिठाई है।


गुजिया को अंग्रेजी में स्वीट फ्राइड डंपलिंग या इंडियन स्वीट एम्पानाडा कहा जा सकता है। इसे आमतौर पर होली के अवसर पर बनाया जाता है और वास्तव में; होली की कल्पना मेहमानों और परिवार के सदस्यों के लिए गुजिया बनाए बिना नहीं की जा सकती। यह हरियाली तीज के त्यौहार का भी हिस्सा है जिसे पेदकिया या पुरुकिया के नाम से जाना जाता है और तीज के त्यौहार की कल्पना इसके बिना नहीं की जा सकती। तीज आमतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में मनाई जाती है जिसमें महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। 



गुजिया क्या है 

गुजिया मूल रूप से एक डीप-फ्राइड, अर्धचंद्राकार पेस्ट्री है जिसे गर्म रिफाइन या घी में तलने के बाद बनाया जाता है। गुजिया बनाने के लिए, आप अपने स्वाद के अनुसार मावा (खोया), सूखे मेवे, फ्राई सूजी, चॉकलेट और अन्य चीजों के मीठे मिश्रण सहित कई स्वादिष्ट चीजें भर सकते हैं। 

गुजिया का इतिहास

हालांकि गुजिया की शुरुआत के बारे में कोई आधिकारिक तथ्य नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति मध्यकालीन युग में भारत में हुई थी। 13वीं-14वीं शताब्दी में मुगलों के आगमन के बाद भारतीय मिठाइयों में बदलाव आया और गुजिया में और विविधता आई। जैसा कि आप जानते हैं, भारत त्योहारों और कई सांस्कृतिक विरासतों की भूमि है, जो कई क्षेत्रीय मिठाइयों और क्षेत्रीय और विशिष्ट स्थानीय व्यंजनों को बनाने का अवसर प्रदान करती है। जैसा कि कहा गया है, पेदाकिया या पुरुकिया जो गुजिया का एक प्रकार है, आमतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल भारत में प्रसिद्ध है। गुजिया मूल रूप से उत्तर भारत, खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में बनाई जाती थी। इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों और शाही रसोई में भी मिलता है।

गुजिया के प्रकार

गुजिया के कई प्रकार हैं, जो इसकी सामग्री और पकाने की विधि के आधार पर भिन्न होते हैं:

  • मावा (खोया) गुजिया - सबसे पारंपरिक रूप, खोया, सूखे मेवे और नारियल के मिश्रण से भरा हुआ।
  • सूजी (रवा) गुजिया - इसमें मावा की जगह सूजी का उपयोग किया जाता है, जिससे यह हल्का और कुरकुरा होता है।
  • चॉकलेट गुजिया - नई पीढ़ी की खास रेसिपी, इसमें चॉकलेट और नट्स का मिश्रण भरा जाता है।
  •  बेक्ड गुजिया - एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प, डीप-फ्राई करने के बजाय ओवन में बेक किया जाता है।
  •  काजू गुजिया - काजू पेस्ट से भरी हुई, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाती है।

जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका : बलराम पाणी


 दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में "जीव विज्ञान में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका: एक सतत भविष्य" विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए डीन ऑफ कॉलेजेज, दिल्ली विश्वविद्यालय , बलराम पाणी जी ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी में नवीन प्रयोग अत्यंत आवश्यक हैं। इससे मानव स्वास्थ्य में काफी मदद मिलेगी।

तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अग्रणी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने जैव प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति पर चर्चा की। उद्घाटन सत्र में मिरांडा हाउस की प्राचार्या प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि सभी प्रतिभागियों को नवाचार और सतत विकास के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 

प्रो. रूप लाल (आईएनएसए सीनियर साइंटिस्ट, एएनडीसी) ने जीव ई-3 की अवधारणा प्रस्तुत की, जो जैव-उद्यमिता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है उन्होंने कहा कि हमारी आंत में मौजूद सूक्ष्मजीव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, और उन्हें समझकर हम अपने शरीर को स्वस्थ और जीवन को अधिक शांतिपूर्ण बना सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय मिश्रा (डीबीटी) ने वैज्ञानिक अनुसंधान में अंतःविषय दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डाला। 

एम्स से प्रो. सुजाता मोहंती ने अपनी प्रस्तुति में विटिलिगो और कॉर्निया उपचार में स्टेम सेल अनुप्रयोगों की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "ऊतक इंजीनियरिंग की सहायता से एलएससीडी में एक्स-वीवो संवर्धित लिम्बल उपकला का उपयोग करके नेत्र सतह की मरम्मत संभव है, जिससे पारंपरिक उपचारों और कॉर्नियल प्रत्यारोपण की सीमाओं को दूर किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि प्रो. मोहम्मद अफशार आलम वीसी, जामिया हमदर्द ने विषय के चयन और आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि इन विषयों से आगामी पीढ़ी का नई जानकारियों से  परिचय होगा। 

 प्रो. अनुराग अग्रवाल (अशोका विश्वविद्यालय) ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा जैव विज्ञान में किए जा रहे क्रांतिकारी बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, कृत्रिम बुद्धि एजेंटों द्वारा नैनोबॉडीज़ को डिज़ाइन किया जा रहा है और उनका प्रयोगशाला में सत्यापन किया गया है।  इसके अलावा, डॉ. सौविक मैती (सीएसआईआर-आईजीआईबी, नई दिल्ली) ने स्वदेशी तकनीक और उसकी सटीक जीन थेरेपी में भूमिका पर व्याख्यान दिया। जैव प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए डॉ. तरुणा मदान (आईसीएमआर, नई दिल्ली), डॉ. एलोरा सेन (एनबीआरसी, मानेसर), डॉ. गीता अंजलि यादव (एनआईपीजीआर, नई दिल्ली), प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा (मिरांडा हाउस) और प्रो. साधना शर्मा (मिरांडा हाउस) ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए।


Born On Sunday: होते हैं करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी - यहां पाएं रविवार को जन्मे बच्चों के नाम की लिस्ट

sunday को जन्मे बच्चे का नाम list ravivar ko janme bacche ka naam


रविवार को जन्मे व्यक्तित्व: ज्योतिष और अस्ट्रालजी के अनुसार सभी नौ ग्रहों मे सूर्य को देवताओं का राजा माना जाता है और ऐसा इसलिए भी कि सौरमंडल का केंद्र सूर्य हैं और सभी ग्रह इसका चक्कर लगाते हैं। रविवार को भगवान सूर्य का दिवस माना जाता है और यदि आप रविवार जो जन्मे बच्चों के लिए नए नाम की तलाश कर रहे हैं तो अपने नामों की लिस्ट में आप भगवान सूर्य देव  के नामों को रख सकते हैं। भगवान सूर्य पर बच्चों का नाम रखने के लिए अनेक नामों मे से आप  इन  यूनिक और वैदिक नामों को भी अपनी लिस्ट मे शामिल कर सकते हैं जो खास होने के साथ विशेष और मीनिंगफूल भी है। 
अगर आपका जन्म  संडे अर्थात रविवार को हुआ है तो फिर आप एक खास और विशिष्ट व्यक्तित्व के मालिक हैं। रविवार जो जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग अक्सर रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होने के साथ ही उनके अंदर  प्राकृतिक रूप से एक प्रकार के करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी होता है जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है। रविवार को जन्मे ऐसे शानदार व्यक्तित्व वाले लोग हैं बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, ड्वेन जॉनसन, मेरिल स्ट्रीप, एम्मा वाटसन, केट ब्लैंचेट, एंजेलिना जोली और जूलिया रॉबर्ट्स।
 रविवार को जन्मे लोग अपने व्यक्तित्व से प्रभावशाली, सकारात्मक, प्रसिद्ध, नेतृत्वकारी, मेहनती और थोड़े संवेदनशील भी होते हैं। आइये जानते हैं रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की खासियत, उनके लिए रखे जाने वाले नाम तथा अन्य विशेषताएं विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा.
 

रविवार को जन्मे व्यक्ति विशेष रूप से अपने जीवन में किसी भी विषम परिस्थिति मे  उपयुक्त विचार और समाधान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। वास्तव में, आप कह सकते हैं कि जिन लोगों को किसी भी गंभीर स्थिति के लिए विचारों या समाधान के संदर्भ में किसी भी मदद की आवश्यकता है, तो  आप उनसे संपर्क कर सकते हैं, निश्चित रूप से आपको सर्वोत्तम विचार मिलेंगे। 

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण करते समय, माता-पिता अक्सर ऐसे नाम चुनते हैं जो आनंद, खुशी, और सकारात्मकता का प्रतीक हों। इसके अलावा, रविवार को जन्म लेने वाले बच्चे को भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त माना जाता है, इसलिए उनके नाम में सूर्य से संबंधित शब्दों का उपयोग करना भी प्रचलित है।रविवार को जन्मे बच्चों का नामकरण के लिए अक्सर सूर्य भगवन का नाम दिया जाता है जाहिर है कि इसके पीछे हमारी सोच होती है कि हमारा बच्चा भी सूर्य के सामान तेज और तेजस्वी हो और संसार में नाम करें. 

 यहां कुछ लोकप्रिय रविवार के बच्चे के नाम दिए गए हैं:

लड़कों के लिए:

  • दिनकर, 
  • भानु
  • रविमंत्री
  • आकाशगंगा,
  • दिनेश्वर, 
  • जगदीश, 
  • रविनंदन,
  •  दिनानाथ, 
  • दिवाकर, 
  • भानु, 
  • चिति
  • भास्कर, 
  • आक, 
  • आदित्य, 
  • दिनेश,
  •  मित्र, 
  • मार्तण्ड, 
  • मन्दार,
  •  पतंग, 
  • विहंगम, 
  • ज्ञान
  • सत्ता
  • विवस्वान
  • प्रभाकर
  • ज्योतिर्मय
  • सूरजमंडल
  • भावना
  • ध्यान
  • अनन्त
  • रवि, 
  • भाव्या
  • प्रभाकर, 
  • अरुण, 
  • अंशुमाली
  •  सूरज भगत।
  • सुरज, 
  • रविनंदन, 
  • प्रकाश
  • रवि
  • आदित्य
  • इशान
  • सूर्य
  • अग्नि
  • दीपक
  • प्रकाश
  • उज्ज्वल
  • अभिजीत

लड़कियों के लिए:

  • अर्चना
  • दीप्ति
  • ज्योति
  • प्रभा
  • उषा
  • सुधा
  • सुभ्रा
  • सुमन
  • सविता
  • सुशीला

इनके अलावा, आप अपने बच्चे के लिए कोई भी नाम चुन सकते हैं जिसका अर्थ आपको पसंद हो। यह महत्वपूर्ण है कि नाम आपके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उसका व्यक्तित्व दर्शाता हो।

रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी

रविवार को जन्मे लोगों के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि ऐसे लोग अक्सर रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होने के साथ ही मिलनसार और मददगार होते हैं। ऐसे लोगों में नेतृत्व की क्षमता  कूट-कूट कर भरी होती है और स्वाभिमानी होने के साथ ही भ्रमणशील और घूमने के शौक़ीन होते हैं. हिन्दू पंचांग एवं ज्योतिष के अनुसार रविवार को जन्म लेने वाले लोगों पर भगवन सूर्य का प्रभाव होता है और यही वजह है कि उनमें एक प्राकृतिक करिश्मा होती जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है.  

आप कह सकते हैं कि ऐसे लोग किसी भी पार्टी  की जान होते हैं और साथ ही वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं।

यहां कुछ अन्य विचार दिए गए हैं:

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक मजबूत और शक्तिशाली नाम चाहते हैं, तो आप शक्ति, वीर, बलवीर, या अरिहंत जैसे नाम चुन सकते हैं।

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक सुंदर और आकर्षक नाम चाहते हैं, तो आप सौंदर्य, प्रेम, मृदुला, या रुचिरा जैसे नाम चुन सकते हैं।

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक धार्मिक या आध्यात्मिक नाम चाहते हैं, तो आप भगवान, ईश्वर, परमेश्वर, या संत जैसे नाम चुन सकते हैं।

अंततः, बच्चे का नाम चुनना एक व्यक्तिगत निर्णय है। माता-पिता को अपने बच्चे के लिए उपयुक्त नाम चुनने के लिए समय और विचार देना चाहिए।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।








International Women Day : मलाला यूसुफजई-जिनकी आवाज को तालिबानी आतंकवादियों की गोली भी खामोश नहीं कर सकी

International Malala Day  Malala Yusufjai Quotes Importance

Point Of View: मलाला यूसुफजई सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि शिक्षा और हिम्मत की मिसाल हैं जिसने पाकिस्तान के तालिबानी कट्टरपंथियों को ललकार कर अपने मिशन को आगे बढ़ाया। उनका जीवन और संघर्ष हमें यह बताता है कि अगर इरादे पक्के हों, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। अपने जुनून के बदौलत मलाल ने 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।
मलाला यूसुफजई एक पाकिस्तानी शिक्षाविद और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता  हैं। उनका जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी में हुआ।

मलाला का पिता, जिसका नाम जियाद यूसुफजई है, एक स्कूल का प्रधानाध्यापक थे और उन्होंने हमेशा से अपनी बेटी की शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया। मालाला अपने पिता की प्रेरणा से जीवनभर शिक्षा के महत्व को समझने लगीं।

2012 में, जब मलाला केवल 15 वर्षीय थीं, तब उन्हें अपने लेखों के माध्यम से लड़ाई स्तंभ के रूप में जाना जाने लगा। वह पाकिस्तानी तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगीं। मलाला के द्वारा लिखे गए लेखों में वह लड़कियों के अधिकारों की बहुतायत से चर्चा करतीं थीं और उन्होंने बच्चों की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।

2012 के अक्टूबर में, मलाला को एक बस में जाते हुए तालिबानी लोगों द्वारा गोली मारी गई। इस हमले में उनकी गंभीर घायली हो गई, लेकिन वे बच गईं। मलाला की इस हमले के बाद विश्व भर में उनके समर्थन में आवाज बुलंद हुई और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। यह उन्हें सबसे युवा व्यक्ति बनाता है जिसे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

  • मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी में हुआ।
  • उनके पिता ज़ियाउद्दीन यूसुफजई खुद एक शिक्षक और शिक्षा के समर्थक थे।
  • उनकी आत्मकथा "I Am Malala" दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
  • उन्होंने "मलाला फंड" नामक संस्था बनाई, जो दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रही है।
  • 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में, मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।

मलाला यूसुफजई आज भी मानवाधिकारों की प्रचार-प्रसार करती हैं और बाल-श्रम और बाल-विवाह के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रहती हैं। उन्होंने एक मानवाधिकार संगठन "मलाला फंड" की स्थापना की है, जो गरीबी से पीड़ित बच्चों की शिक्षा को संचालित करने का प्रयास करता है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण कोट्स ऑफ़ मलाला यूसुफजई हैं:

"एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक उसकी शिक्षा में चंद स्लेट, यही है हमारी मुसीबतों की आस्था और साथी।" -मलाला यूसुफजई

("One child, one teacher, one book, and one pen can change the world.")

"हम शिक्षा की ताकत से नहीं डरते हैं, बल्की उसकी आवश्यकता से डरते हैं।" -मलाला यूसुफजई

("We are not afraid of the power of education, but rather the need for it.")

"जब आप शिक्षा को इजाज़त देते हैं, आप उजाले को समर्थन देते हैं।"

-मलाला यूसुफजई

("When you give education the permission to exist, you give support to the light.")

"हमारी लड़ाई शिक्षा की लड़ाई है, और हमें इसमें गिरावट नहीं होने देनी चाहिए।" -मलाला यूसुफजई

("Our fight is a fight for education, and we must not allow setbacks in this.")

"शिक्षा एक बुराई से बचाव कर सकती है। शिक्षा एक बंदूक से ज़्यादा ताकतवर है।" -मलाला यूसुफजई

("Education can save us from evil. Education is mightier than a gun.")

"मैं नहीं चाहती कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मुझ पर हमला हुआ था, बल्कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मैं अपनी आवाज़ बदलने के लिए खड़ी हुई थी।" -मलाला यूसुफजई

("I don't want to be remembered because I was shot, but because I stood up to change my voice.")

"जब आपके शब्द और आपकी आवाज़ मिल जाती है, तब आप दुनिया को बदलने की शक्ति प्राप्त करते हैं।"-मलाला यूसुफजई

("When your words and your voice come together, you gain the power to change the world.")

मलाला यूसुफजई ने अपने समर्पण और साहस के माध्यम से दुनिया भर में शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है। उनके इन कोट्स ने दुनिया को प्रेरित किया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।


अंतरिक्ष से भारत का अवलोकन करने वाले नासा वैज्ञानिक ने माना : "भारत ज़मीन पर अधिक सुंदर है"

NASA Astronaut  Massimino Brian Greene Visits Taj Mahal
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइक मैसिमिनो जिन्होंने अंतरिक्ष से भारत का अवलोकन किया है, ने कहा है कि "भारत ज़मीन पर अधिक सुंदर है।" उन्होंने कहा है कि भारत में मैंने विज्ञान और नवाचार के प्रति जो जुनून देखा है वह अद्भुत है। भारत के सौंदर्य के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए उन्होंने ताजमहल की असाधारण शिल्पकला की प्रशंसा की और इसे भारत की इंजीनियरिंग और डिज़ाइन की समृद्ध विरासत का प्रमाण बताया। 

डॉ. ब्रायन ग्रीन ने ताजमहल की अपनी यात्रा के दौरान कहा, "भारत में मैंने विज्ञान और नवाचार के प्रति जो जुनून देखा है वह अद्भुत है। यहां के छात्रों में ऊर्जा और जिज्ञासा वास्तव में प्रेरणादायक है।" शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति भारत के विशिष्ट दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने वैश्विक प्रभाव डालने के लिए भारतीय छात्रों के उत्साह और महत्वाकांक्षा पर जोर दिया।

प्रोफेसर ब्रायन ग्रीन, एक प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, लेखक, तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी के प्रोफेसर हैं। इनको सुपरस्ट्रिंग सिद्धांत में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है जिसमें दर्पण समरूपता की सह-खोज और स्थानिक टोपोलॉजी परिवर्तन की खोज शामिल है।

नासा के दो अंतरिक्ष मिशनों के अनुभवी माइक मैसिमिनो ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है और वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। अंतरिक्ष से ट्वीट करने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में, उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है विशेष रूप से 2002 और 2009 में हबल स्पेस टेलीस्कोप सर्विसिंग मिशन में।

अपने पूरे करियर के दौरान, मैसिमिनो को कई नासा स्पेस फ़्लाइट मेडल, नासा विशिष्‍ट सेवा मेडल और अमेरिकन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी के फ़्लाइट अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वह वर्तमान में न्यूयॉर्क शहर में इंट्रेपिड सी, एयर एंड स्पेस म्यूज़ियम में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं।

डॉ. ग्रीन और श्री मैसिमिनो की ताजमहल की यात्रा वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। उनकी यात्रा शिल्पकला में भारत की ऐतिहासिक उत्कृष्टता और विश्व मंच पर विज्ञान और नवाचार में इसकी तेजी से बढ़ती भूमिका के बीच एक सेतु का काम करेगी है।

डॉ. ब्रायन ग्रीन और माइक मैसिमिनो वर्तमान में भारत की यात्रा पर हैं और देश की समृद्ध वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रतिष्ठित ताजमहल का दौरा किया जहां उन्होंने विज्ञान, इंजीनियरिंग और शिल्प कौशल में भारत की प्रगति की प्रशंसा की।

प्रोफेसर ब्रायन ग्रीन, एक प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, लेखक, तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी के प्रोफेसर हैं। इनको सुपरस्ट्रिंग सिद्धांत में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है जिसमें दर्पण समरूपता की सह-खोज और स्थानिक टोपोलॉजी परिवर्तन की खोज शामिल है।

Daily Current Affairs Complete GK Dose March 01 Patryacha Wada Asteroid 2025 DU7

  


संकलन : पी.शिवम द्वारा 

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Rare planetary parade

एक खास और दुर्लभ आकाशीय  घटना जिसके अंतर्गत कई ग्रह एक साथ और पृथ्वी से देखने पर भी संरेखित दिखाई दिए।

 ग्रहों के नाम- मंगल, बृहस्पति, यूरेनस, नेपच्यून, बुध, शनि और शुक्र.

Patryacha Wada

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गाँव का नाम बदलकर निवासियों ने दिवंगत अभिनेता- इरफान खान की विरासत का सम्मान करने के लिए "हीरो ची वाड़ी" रखा है

Asteroid 2025 DU7

क्षुद्रग्रह 2025 DU7 का आकार 15 फीट है और यह अपोलो समूह के क्षुद्रग्रहों से संबंधित है, यह तब चर्चा में था जब यह 28 फरवरी, 2025 को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचा था। क्षुद्रग्रह 7,175 मील प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहा था।