तंपारा झील ओडिशा: पक्षियों की 60, मछलियों की 46 और फाइटोप्लांकटन की 48 प्रजातियों से पूर्ण, जाने खासियत

Tampara Lake freshwater lakes Odisha Facts In Brief

तंपारा झील, ओडिशा  राज्य के गंजाम जिले में स्थित एक खूबसूरत और शांत जलाशय है जो वहाँ के  प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। तंपारा झील एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप मे विख्यात है और अपनी सुंदरता के कारण पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। पर्यटक यहाँ बोटिंग और वॉटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि झील के आसपास कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, जो इसे बर्ड वॉचिंग के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाते हैं।तम्पारा झील पक्षी प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यहां प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।

यह झील पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और उन सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है जो शांति और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं। यहां का शांत वातावरण और सुंदर परिदृश्य मन को शांति और सुकून प्रदान करते हैं।
तंपारा झील एक मीठे पानी की झील है जो लगभग 300 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. यह ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक है जो राज्य की खूबसूरत झीलों मे से एक है। यह आर्द्रभूमि दुर्लभ प्रजातियों जैसे कि साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड (अथ्या फेरिना), और रिवर टर्न (स्टर्ना औरंतिया) के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है।

 यह रुशिकुल्या नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है जो एक प्राकृतिक स्थल होने के साथ ही यह महत्वपूर्ण पक्षी विहार और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैतंपारा झील एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार है और यहां पर कई प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. यह झील एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहां पर लोग तैराकी, बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद लेते हैं. झील के किनारे पर कई होटल और रेस्तरां हैं, जहां पर लोग भोजन और आराम कर सकते हैं.

तंपारा झील: 
भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों में से  ओडिशा स्थित तंपारा झील भी शामिल है. 

तंपारा झील: Facts in Brief 

तंपारा झील गंजम जिले में स्थित ओडिशा राज्य की सबसे प्रमुख मीठे पानी की झीलों में से एक है। यहां की भूमि का क्षेत्र धीरे-धीरे वर्षा जल के प्रवाह से भर गया और इसे अंग्रेजों द्वारा "टैम्प" कहा गया और बाद में स्थानीय लोगों द्वारा इसे "तंपारा" कहा गया।

आर्द्रभूमि पक्षियों की कम से कम 60 प्रजातियों, मछलियों की 46 प्रजातियों, फाइटोप्लांकटन की कम से कम 48 प्रजातियों और स्थलीय पौधों और मैक्रोफाइट्स की सात से अधिक प्रजातियों का पालन करती है। 

तंपारा झील एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार है. यहां पर कई प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सारस
  • बगुला
  • हंस
  • कबूतर
  • तोता
  • मैना
  • कोयल
  • मोर
  • चकवा
  • बतख

आर्द्रभूमि दुर्लभ प्रजातियों जैसे कि साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड (अथ्या फेरिना), और रिवर टर्न (स्टर्ना औरंतिया) के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है। प्रति वर्ष 12 टन की अनुमानित औसत मछली उपज के साथ, आर्द्रभूमि स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

 यह आर्द्रभूमि मछलियों के साथ-साथ कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पानी जैसे प्रावधान की सेवाएं भी उपलब्‍ध कराती है और यह एक प्रसिद्ध पर्यटन और मनोरंजन स्थल भी है।

तम्पारा  झील: जाने क्या है खासियत? 

तम्पारा  एक मीठे पानी की झील है जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या  5 के निकट (छत्रपुर से) सुंदर में स्थित है. तंपारा झील की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके  किनारे पर हल्की लहरें उठती हैं और या वाटर सम्बंधित गतिविधियों के लिए शानदार डेस्टिनेशन है,तट के किनारे स्थित काजू के बागानों से होकर बंगाल की खाड़ी के अविर्जिन समुद्र तट तक जाने वाली रोमांचक यात्रा का आनंद भी आप उठा सकते हैं. 

FAQ

पर्यटकों के लिए तम्पारा पहुँचने के लिए किस प्रकार के मार्ग उपलब्ध है?

हवाई जहाज

अगर आप हवाईजहाज से जाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर है.

 ट्रेन से

अगर आप ट्रेन से तम्पारा पहुंचना चाहते हैं तो निकटतम रेलवे स्टेशन छत्रपुर है. 

सड़क द्वारा 

यह झील ओडिशा के छत्रपुर शहर के पास स्थित है और राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-16) से आसानी से पहुँचा जा सकता है। अगर आप सड़क द्वारा जाना चाहते हैं तो सड़क मार्ग से यह छत्रपुर से 4 किमी दूर है. 

Amazon-Flipkart के गोदामों पर छापा: नकली आईएसआई लेबल वाले 3,500 से अधिक उत्पाद जब्त

 

Amazon-Flipkart raid goods seized raid by BIS

भारतीय राष्ट्रीय मानक निकाय, भारतीय मानक ब्यूरो की दिल्ली शाखा ने दिल्ली के मोहन कोऑपरेटिव औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अमेज़न सेलर्स प्राइवेट लिमिटेड के गोदामों में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। यह अभियान 15 घंटे से अधिक समय तक चला और बिना आईएसआई मार्क वाले और नकली आईएसआई लेबल वाले 3,500 से अधिक उत्पाद जब्त किए गए। जब्त किए गए उत्पादों जैसे गीजर, फूड मिक्सर और अन्य बिजली के उपकरणों की कुल अनुमानित कीमत लगभग 70 लाख रुपये है।

दिल्ली के त्रिनगर में स्थित फ्लिपकार्ट की सहायक कंपनी इंस्टाकार्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर की गई एक अन्य छापेमारी में बिना आईएसआई मार्क और निर्माण की तारीख के डिस्पैच के लिए पैक किए गए स्पोर्ट्स फुटवियर का स्टॉक बरामद हुआ। इस कार्रवाई के दौरान करीब 6 लाख रुपये की कीमत के करीब 590 जोड़ी स्पोर्ट्स फुटवियर जब्त किए गए।

पिछले एक महीने में, बीआईएस टीम ने देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह की कार्रवाई की है और दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, लखनऊ और श्रीपेरंबदूर में कई घटिया सामान जब्त किए हैं। ये छापे उपभोक्ता संरक्षण के लिए गुणवत्ता मानकों के अनुपालन को लागू करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं। वर्तमान में विभिन्न नियामकों और भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों द्वारा अनिवार्य प्रमाणन के लिए 769 उत्पाद अधिसूचित हैं। बीआईएस से वैध लाइसेंस या अनुपालन प्रमाणपत्र (सीओसी) के बिना इन उत्पादों का निर्माण, आयात, वितरण, बिक्री, किराए पर लेना, पट्टे पर देना, भंडारण या प्रदर्शन (बिक्री के लिए) करना प्रतिबंधित है।

कोई भी व्यक्ति जो इस आदेश के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, उसे बीआईएस अधिनियम, 2016 की धारा 29 की उपधारा (3) के अंतर्गत कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। (Source: PIB)

Yogi Adityanath Biopic: अजेय- द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ ए योगी पहला लुक जारी


योगी आदित्यनाथ के प्रेरक परिवर्तन और उनके जीवन के पहलुओं को समेटे हुए लाजवाब फिल्म अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ ए योगी का पहला लुक जारी किया है। यह मूवी शांतनु गुप्ता की बेस्टसेलिंग किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित  है। सम्राट सिनेमैटिक्स द्वारा निर्मित यह फिल्म पोस्टर योगी आदित्यनाथ के प्रेरक परिवर्तन की एक झलक पेश करता है, जो उनके आध्यात्मिक और राजनीतिक मार्ग को आकार देने वाले फैसलों को दिखाता है।

 किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित 

मूवी उनके जीवन के पहलुओं को समेटे हुए है। उनके शुरुआती साल, नाथपंथी योगी के रूप में संन्यास लेने का उनका निर्णय और उत्तर प्रदेश के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप देने वाले नेता के रूप में उनका विकास। सम्राट सिनेमैटिक्स के बैनर तले ऋतु मेंगी द्वारा निर्मित और रवींद्र गौतम (महारानी 2 फेम) द्वारा निर्देशित यह मूवी शांतनु गुप्ता की बेस्टसेलिंग किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित  है। इसमें ड्रामा, इमोशन, एक्शन और बलिदान का एक रोमांचक मिश्रण देखने को मिलेगा।

 मूवी में अनंत जोशी ने योगी आदित्यनाथ की भूमिका निभाई है, जबकि फिल्म में परेश रावल, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, अजय मेंगी, पवन मल्होत्रा, राजेश खट्टर, गरिमा सिंह ने भी दमदार अभिनय किया है। 2025 में दुनिया भर में भव्य रिलीज के लिए तैयार फिल्म हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में भी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खीचेगी। फिल्म का संगीत मीट ब्रदर्स द्वारा दिया गया है, लेखन दिलीप बच्चन झा और प्रियंक दुबे ने किया है। निर्देशक फोटोग्राफी विष्णु राव एवं प्रोडक्शन डिज़ाइनर उदय प्रकाश सिंह हैं।

योगी आदित्यनाथ का जीवन चुनौतियों और परिवर्तन से भरा 

सम्राट सिनेमैटिक्स की निर्माता रितु मेंगी ने कहा, “योगी आदित्यनाथ का जीवन चुनौतियों और परिवर्तन से भरा है। हमारी फिल्म उनके सफर को आकर्षक और नाटकीय तरीके से पेश करती है, और उन घटनाओं को जीवंत करती है जिन्होंने उन्हें आकार दिया। कलाकारों की शानदार टोली और एक मनोरंजक कहानी के साथ, हम इस प्रेरणादायक कहानी को दुनिया भर के दर्शकों के सामने लाने के लिए उत्साहित हैं।”

उत्तराखंड के एक सुदूर गांव से शुरू है कहानी 

निर्देशक रवींद्र गौतम ने कहा, “हमारी फिल्म हमारे देश के युवाओं के लिए अविश्वसनीय रूप से प्रेरणादायक है, जो उत्तराखंड के एक सुदूर गांव के एक साधारण मध्यमवर्गीय लड़के को चित्रित करती है, जो भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य का मुख्यमंत्री बन जाता है। उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प, निस्वार्थता, विश्वास और नेतृत्व की है, और हमने एक ऐसा अनुभव बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है जो उनके अविश्वसनीय जीवन के साथ न्याय करता है।”


 

Chaitra Navratri 2025: माँ अम्बे की आरती


Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र इस वर्ष 30 मार्च से शुरू हो रहा है जो खासतौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्र इस दौरान लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं। भगवान की आरती  उतरना हम सभी बचपन मे हीं अपने घरों से सीखते हैं। शायद ही कोई ऐसा हिन्दू घर होगा जहां पूजा पाठ के दौरान बच्चा आरती से रु बरु नहीं होता है। आरती के दौरान हमेशा खड़ा हो जाना और अंत मे दीपक के लौ को अपने बाल पर लगाना और फिर भगवान का आशीर्वाद लेना हम अपने घरों से हीं सीखते हैं। आरती के दौरान भक्तगन आरती मे जलते दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि  हम सभी भक्तगण आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें।

माँ अम्बे की आरती 

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

============

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

Daily Current Affairs march 22 Complete GK Dose



मिजोरम ने किया एंथुरियम फूलों का निर्यात 

  • मिजोरम के बागवानी विभाग के सहयोग से आइजोल (मिजोरम) से सिंगापुर के लिए एंथुरियम फूलों की पहली खेप को सफलतापूर्वक रवाना किया।
  • 50 नालीदार बक्सों में पैक किए गए 1,024 एंथुरियम फूलों (वजन 70 किलोग्राम) वाली इस खेप को आईवीसी एग्रोवेट प्राइवेट लिमिटेड ने आइजोल, मिजोरम से कोलकाता के रास्ते सिंगापुर भेजा। 
  • एंथुरियम मिज़ोरम में उगाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण फूलों में से एक है, जो स्थानीय आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर महिलाओं सहित किसानों को लाभ पहुंचाता है।
  • वित्त वर्ष 2023-2024 में भारत का पुष्प उत्पादन निर्यात 86.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की 13वीं बैठक रोम में

  • भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की 13 वीं बैठक 20-21 मार्च 2025 को, इटली की राजधानी रोम में सफलतापूर्वक आयोजित की गई। 
देश की एक अरब टन कोयला उत्पादन की ऐतिहासिक उपलब्धि 

  • भारत ने कोयला उत्पादन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 20 मार्च, 2025 को एक बिलियन टन (बीटी) को पार कर गया।
  • कोयला क्षेत्र की सफलता का श्रेय कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू), निजी क्षेत्र के दिग्गजों और 350 से अधिक कोयला खदानों में कार्यरत लगभग 5 लाख खदान श्रमिकों के अथक प्रयासों को जाता है।
  • भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता के लगभग 55 प्रतिशत के लिए कोयले पर निर्भर है,
  • देश की लगभग 74 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पन्न की जाती है।

गुड़ की खेप को बांग्लादेश को निर्यात

  • मुजफ्फरनगर से 30 मीट्रिक टन (एमटी) जीआई-टैग वाले गुड़ की खेप को बांग्लादेश को निर्यात के लिए रवाना किया गया।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना: युवाओं का सशक्तिकरण, एक सक्षम करियर


भारत जनसांख्यिकीय लाभांश के मुहाने पर खड़ा है, जहां युवा आबादी देश की प्रगति को गति देने को तैयार है। इस क्षमता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने 3 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) शुरू की। इस दूरदर्शी पहल का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में एक करोड़ युवा भारतीयों को देश की शीर्ष कंपनियों में 12-महीने का सशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिससे अकादमिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच की दूरी को खत्म किया जा सके।

यह मंच अब एक सरलीकृत पीएमआईएस पोर्टल के साथ-साथ एक समर्पित मोबाइल ऐप भी प्रदान करता है, जिससे उपयोगकर्ता आसानी से जिले, राज्य, क्षेत्र और स्थान के दायरे के अनुसार अवसरों को फिल्टर कर सकते हैं। इसकी आउटरीच और उपलब्धता को सुदृढ़ करते हुए, वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 17 मार्च 2025 को आधिकारिक तौर पर पीएमआईएस के लिए समर्पित मोबाइल ऐप लॉन्च किया। उम्मीदवार ऐप के जरिए एक ही समय में तीन इंटर्नशिप के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक सुविधा मिलेगी। 

इसके अतिरिक्त, ऐप उपयोगकर्ताओं को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए रेफरल कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति देता है। पंजीकृत उपयोगकर्ता अन्य योग्य उम्मीदवारों को रेफर कर सकते हैं और पुरस्कार पा सकते हैं। रेफरल कार्यक्रम पीएमआईएस वेब पोर्टल पर भी मौजूद है। पीएमआईएस ऐप इंटर्नशिप को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे युवाओं को मूल्यवान अवसरों से आसानी से जुड़ने में मदद मिलेगी।

ऐप का लिंक- https://play.google.com/store/apps/details?id=com.mca.pm_internship

पायलट चरण में विस्तार - राउंड II (जनवरी-मार्च 2025)

राउंड I की सफलता के बाद, इंटर्नशिप पहल का राउंड II काफी हद तक बढ़ गया है, जिसमें सभी 735 जिलों में 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप की पेशकश की गई है, जिसमें 327 प्रतिष्ठित कंपनियों की भागीदारी है, जिसमें राउंड I से आगे की भूमिकाएं भी शामिल हैं। अवसर ऑटोमोबाइल, पर्यटन और आतिथ्य, बैंकिंग और वित्त, विनिर्माण, धातु और खनन, एफएमसीजी, और अन्य जैसे विविध क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जो विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को पूरा करते हैं।


राउंड II के लिए इंटर्नशिप आवेदन खिड़की 31 मार्च, 2025 तक खुली है। पात्र उम्मीदवार नए मोबाइल ऐप या https://pminternship.mca.gov.in/ पर उपलब्ध पोर्टल के जरिए आवेदन कर सकते हैं।

इंटर्नशिप भूमिकाएं:

  • स्नातक (बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए, बीसीए, आदि) के लिए 37,000
  • आईटीआई धारकों के लिए 23,000
  • डिप्लोमा धारकों के लिए 18,000
  • 12वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए 15,000
  • 10वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए 25,000


उद्योग में भागीदारी: भागीदार कंपनियों की सूची

पीएमआईएस कृषि, ऑटोमोटिव, विमानन और रक्षा, बैंकिंग और वित्त सेवाएं, सीमेंट और निर्माण सामग्री, रासायनिक उद्योग, परामर्श सेवाएं, विविध समूह, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), रत्न एवं आभूषण, स्वास्थ्य सेवा, आवास, बुनियादी ढांचा और निर्माण, आईटी और सॉफ्टवेयर विकास, चमड़ा और उत्पाद, विनिर्माण और औद्योगिक, मीडिया, मनोरंजन और शिक्षा, धातु और खनन, तेल, गैस और ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, खुदरा और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, खेल, दूरसंचार, कपड़ा विनिर्माण, पर्यटन और आतिथ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शीर्ष कंपनियों के साथ भागीदारी का दावा करता है। यह सहयोग सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षु अग्रणी कंपनियों में मूल्यवान एक्सपोजर और अनुभव प्राप्त करें।

कंपनियों की पूरी सूची 

(श्रोत PIB)

कैच द रेन - 2025: विश्व जल दिवस 22 मार्च- जानें क्या है जल शक्ति अभियान


विश्व जल दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उदेशय लोगों को पानी के महत्व और इसकी कमी से निपटने के लिए आम लोगों की बीच जागरूकता पैदा करना है। वर्ष 1993 से हर साल इसे मनाया जाता है और प्रत्येक साल इसका थीम अलग-अलग विषयों और जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जाता है। 
थीम 2025 : जल संचयन जन भागीदारी: जन जागरूकता की ओर

आज 22 मार्च 2025 को विश्व जल दिवस है और इस अवसर पर कैच द रेन - 2025 कार्यक्रम का आरंभ किया जा रहा है। जल शक्ति मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और हरियाणा सरकार के सहयोग से 22 मार्च 2025 को विश्व जल दिवस पर बहुप्रतीक्षित जल शक्ति अभियान: कैच द रेन - 2025 का शुभारंभ करने जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम के मल्टीपर्पज हॉल में होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी और नवीन रणनीतियों के माध्यम से जल संरक्षण और प्रबंधन पर बल देना है।

"जल संचयन जन भागीदारी: जन जागरूकता की ओर" की थीम वाला यह अभियान जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जल चुनौतियों के मद्देनजर जल सुरक्षा, वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण के महत्व को रेखांकित करता है। यह पहल देश भर के 148 जिलों पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने में सरकारी एजेंसियों, समुदायों और हितधारकों के बीच अधिक तालमेल को बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम में हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, माननीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल, माननीय सिंचाई और जल संसाधन मंत्री, हरियाणा सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:

जल संरक्षण पर कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित करने वाली एक पेंटिंग और मूर्तिकला प्रदर्शनी का लोकार्पण।

नदियों, झरनों और जंगलों के बीच पारिस्थितिक संबंध को मजबूत करने वाले ‘जल-जंगल-जन: एक प्राकृतिक बंधन अभियान’ का शुभारंभ।

वैज्ञानिक जल संसाधन प्रबंधन में सहायता करने वाली ‘मुख्यमंत्री जल संचय योजना’ और हरियाणा के लिए जल संसाधन एटलस का ई-लॉन्च।

जल संरक्षण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रगतिशील किसानों, महिलाओं, जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए), उद्योगों और गैर सरकारी संगठनों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार समारोह।

हरियाणा में सामुदायिक स्वच्छता परिसर, तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, गोबरधन परियोजना और एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शेड सहित अभिनव जल प्रबंधन परियोजनाओं का अनावरण।

उद्देश्य

जल शक्ति अभियान: कैच द रेन - 2025 का उद्देश्य जल संरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देना है, जिससे ‘हर बूंद अनमोल’ के सपने को साकार किया जा सके। अभियान सभी नागरिकों से अभिनव समाधानों और जमीनी स्तर की भागीदारी के माध्यम से भारत के जल भविष्य को सुरक्षित करने में मिलकर काम करने का आह्वान करता है।

75 वेटलैंड बर्ड्स सैंक्चुअरी : रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि जुड़ीं, पाएं विस्तृत जानकारी


Wetlands Birds Sanctuaries Ramsar List

एक और जहाँ देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष  मना रहा है ऐसे में भारत के लिए  और  उपलब्धि हासिल हुई है जहाँ 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। 11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। 

भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं।

11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।

1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।

इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं।

तमिलनाडु में अधिकतम संख्या है। रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं। 

रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त विवरण
आद्रभूमि का नाम-राज्‍य
  1. तंपारा झील-ओडिशा
  2. हीराकुंड जलाशय-ओडिशा
  3. अंशुपा झील-ओडिशा
  4. यशवंत सागर-मध्‍य प्रदेश
  5. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य-तमिलनाडु
  6. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स-तमिलनाडु
  7. वडुवूर पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  8. कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  9. ठाणे क्रीक-महाराष्‍ट्र
  10. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर
  11. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर

 

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल पक्षियों का स्थल


Kanjirankulam Bird Sanctuary: कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण पक्षी संरक्षण क्षेत्र है जो प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक शानदार गंतव्य है।

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो रामनाथपुरम जिले के कांजीरनकुलम गांव के भीतर स्थित है। केबीएस का अनुमानित क्षेत्र कीला (निचला) कांजीरनकुलम (66.66 हेक्टेयर) और मेला (ऊपरी) कांजीरनकुलम (30.231 हेक्टेयर) के बीच विभाजित है।  तमिलनाडु में  कुल सत्रह घोषित पक्षी अभयारण्य हैं हालांकि कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान करीब 40 प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करता है।
 
यह मछलियों के भोजन, अंडे देने की जगह, नर्सरी और/या प्रवास पथ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का भंडार निर्भर करता है।

 बरसात के मौसम में बांधों के भीतर जमा होने वाला अतिरिक्त पानी बाद में कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता है। अभयारण्य एक कुशल बाढ़ नियंत्रण, बाढ़ भंडारण तंत्र के लिए भंडार स्थान के रूप में कार्य करता है। 
भारत के तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं। 

ये स्‍थल पक्षियों के प्रजनन, घोंसले के शिकार, आश्रय, चारागाह और ठहरने के स्‍थलों के रूप में कार्य करते हैं। यह आर्द्रभूमि आईयूसीएन रेडलिस्ट विलुप्‍त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों जैसे स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) का पालन करती है।

प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर और फरवरी के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं। यह स्‍थल आईबीए के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है। 

जैव विविधता और पक्षी प्रजातियाँ

प्रवासी पक्षी:

साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट

स्थानीय पक्षी:

 भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट

आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं। 


हीराकुंड जलाशय ओडिशा : 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां और भी बहुत कुछ-Facts in Brief


हीराकुंड बांध परियोजना, ओडिशा राज्य में महानदी नदी पर बनी एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन करना है. यह  एक विशाल जलाशय है, जो हीराकुंड बांध के निर्माण के कारण बना है। यह जलाशय महानदी नदी पर स्थित है और इसे दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी से बने बांधों में से एक माना जाता है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जलजीवों का प्राकृतिक आवास भी बन चुका है। 

 हीराकुंड बाँध हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है।  ओडिशा में सबसे बड़ा मिट्टी के बांध हीराकुंड जलाशय ने कई उच्च संरक्षण महत्व सहित पुष्प और जीव प्रजातियों की एक श्रृंखला का समर्थन करने के लिए 1957 में काम करना शुरू कर दिया था।

 जलाशय से ज्ञात 54 प्रजातियों की मछलियों में से एक को लुप्तप्राय, छह को निकट संकटग्रस्त और 21 मछली प्रजातियों को आर्थिक महत्व के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 

हीराकुंड बांध का इतिहास

हीराकुंड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1953 में बनकर पूरा हुआ। मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन  था। बांध की आधारशिला 12 अप्रैल, 1948 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।


हीराकुंड जलाशय: Facts in Brief

  • इस बांध की आधारशिला ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल सर हॉथोर्न लुईस ने रखी थी.
  • स्थिति: संबलपुर ज़िला, ओडिशा
  • निर्माण वर्ष: 1948 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1957 में पूरा हुआ।
  • लंबाई: लगभग 55 किलोमीटर
  • क्षेत्रफल: लगभग 746 वर्ग किलोमीटर
  • मुख्य उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन

  • 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां  जिनमें से  20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं 
  • 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन
  • 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई 
  • 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन 
  •  महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है।
  • प्रचुर मात्रा में पर्यटन को बढ़ावा
  • प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक


मत्स्य पालन के अंतर्गत यहां वर्तमान में सालाना लगभग 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन होता है और यह 7000 मछुआरे परिवारों की आजीविका का मुख्य आधार है। इसी तरह, इस स्थल पर 130 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से 20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं। 

जलाशय लगभग 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन और 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई के लिए पानी का एक स्रोत है। यह आर्द्रभूमि भारत के पूर्वी तट के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक केंद्र महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है। 

हीराकुंड जलाशय प्रचुर मात्रा में पर्यटन को भी बढ़ावा देता है और इसे संबलपुर के आसपास स्थित उच्च पर्यटन मूल्य स्थलों का एक अभिन्न अंग बनाता है, जिसमें प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक आते हैं।

गुजिया को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? जानें इतिहास और अन्य

Gujiya ko english me kya kahte hain gujiye kaise banaayen

वैसे तो रंगों के त्योहार होली का आरंभ फाल्गुन महीने के साथ ही हो जाता है, लेकिन अब जबकि होली के चंद दिन बाकी रह गए हैं, फिजाओं मे रंगों के अतिरिक्त पुआ और गुजिया का स्वाद भी भर सा गया है। पुआ और गुजिया के बगैर होली की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजिया क्या है और इसे अंग्रेजी में किस नाम से बुलाते हैं।

 सच तो यह है कि गुजिया भारत में कई स्वादिष्ट मिठाइयों में से एक अनोखी मिठाई है। यह सबसे लोकप्रिय व्यंजन है और इसके बिना पूरे भारत में कई त्यौहारों की कल्पना नहीं की जा सकती। गुजिया को आमतौर पर पेडकिया, पुरुकिया और देश के कई हिस्सों में जाना जाता है। इसे देश के कई हिस्सों में करंजी, कज्जिकयालु, सोमास और करजीकाई भी कहा जाता है। यह मूल रूप से एक मिठाई है जिसका उपयोग कई रूपों में किया जाता है जैसे मीठा, फ्राइड पेस्ट्री जो भारतीय उपमहाद्वीप में एक लोकप्रिय मिठाई है। इस लेख में, आप गुजिया के बारे में सभी विवरण जानेंगे और इसे कैसे बनाया जा सकता है, इसका महत्व और सभी प्रकार। गुजिया उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित कई भारतीय राज्यों में एक लोकप्रिय मिठाई है।


गुजिया को अंग्रेजी में स्वीट फ्राइड डंपलिंग या इंडियन स्वीट एम्पानाडा कहा जा सकता है। इसे आमतौर पर होली के अवसर पर बनाया जाता है और वास्तव में; होली की कल्पना मेहमानों और परिवार के सदस्यों के लिए गुजिया बनाए बिना नहीं की जा सकती। यह हरियाली तीज के त्यौहार का भी हिस्सा है जिसे पेदकिया या पुरुकिया के नाम से जाना जाता है और तीज के त्यौहार की कल्पना इसके बिना नहीं की जा सकती। तीज आमतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में मनाई जाती है जिसमें महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। 



गुजिया क्या है 

गुजिया मूल रूप से एक डीप-फ्राइड, अर्धचंद्राकार पेस्ट्री है जिसे गर्म रिफाइन या घी में तलने के बाद बनाया जाता है। गुजिया बनाने के लिए, आप अपने स्वाद के अनुसार मावा (खोया), सूखे मेवे, फ्राई सूजी, चॉकलेट और अन्य चीजों के मीठे मिश्रण सहित कई स्वादिष्ट चीजें भर सकते हैं। 

गुजिया का इतिहास

हालांकि गुजिया की शुरुआत के बारे में कोई आधिकारिक तथ्य नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति मध्यकालीन युग में भारत में हुई थी। 13वीं-14वीं शताब्दी में मुगलों के आगमन के बाद भारतीय मिठाइयों में बदलाव आया और गुजिया में और विविधता आई। जैसा कि आप जानते हैं, भारत त्योहारों और कई सांस्कृतिक विरासतों की भूमि है, जो कई क्षेत्रीय मिठाइयों और क्षेत्रीय और विशिष्ट स्थानीय व्यंजनों को बनाने का अवसर प्रदान करती है। जैसा कि कहा गया है, पेदाकिया या पुरुकिया जो गुजिया का एक प्रकार है, आमतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल भारत में प्रसिद्ध है। गुजिया मूल रूप से उत्तर भारत, खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में बनाई जाती थी। इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों और शाही रसोई में भी मिलता है।

गुजिया के प्रकार

गुजिया के कई प्रकार हैं, जो इसकी सामग्री और पकाने की विधि के आधार पर भिन्न होते हैं:

  • मावा (खोया) गुजिया - सबसे पारंपरिक रूप, खोया, सूखे मेवे और नारियल के मिश्रण से भरा हुआ।
  • सूजी (रवा) गुजिया - इसमें मावा की जगह सूजी का उपयोग किया जाता है, जिससे यह हल्का और कुरकुरा होता है।
  • चॉकलेट गुजिया - नई पीढ़ी की खास रेसिपी, इसमें चॉकलेट और नट्स का मिश्रण भरा जाता है।
  •  बेक्ड गुजिया - एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प, डीप-फ्राई करने के बजाय ओवन में बेक किया जाता है।
  •  काजू गुजिया - काजू पेस्ट से भरी हुई, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाती है।

जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका : बलराम पाणी


 दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में "जीव विज्ञान में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका: एक सतत भविष्य" विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए डीन ऑफ कॉलेजेज, दिल्ली विश्वविद्यालय , बलराम पाणी जी ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी में नवीन प्रयोग अत्यंत आवश्यक हैं। इससे मानव स्वास्थ्य में काफी मदद मिलेगी।

तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अग्रणी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने जैव प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति पर चर्चा की। उद्घाटन सत्र में मिरांडा हाउस की प्राचार्या प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि सभी प्रतिभागियों को नवाचार और सतत विकास के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 

प्रो. रूप लाल (आईएनएसए सीनियर साइंटिस्ट, एएनडीसी) ने जीव ई-3 की अवधारणा प्रस्तुत की, जो जैव-उद्यमिता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है उन्होंने कहा कि हमारी आंत में मौजूद सूक्ष्मजीव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, और उन्हें समझकर हम अपने शरीर को स्वस्थ और जीवन को अधिक शांतिपूर्ण बना सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय मिश्रा (डीबीटी) ने वैज्ञानिक अनुसंधान में अंतःविषय दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डाला। 

एम्स से प्रो. सुजाता मोहंती ने अपनी प्रस्तुति में विटिलिगो और कॉर्निया उपचार में स्टेम सेल अनुप्रयोगों की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "ऊतक इंजीनियरिंग की सहायता से एलएससीडी में एक्स-वीवो संवर्धित लिम्बल उपकला का उपयोग करके नेत्र सतह की मरम्मत संभव है, जिससे पारंपरिक उपचारों और कॉर्नियल प्रत्यारोपण की सीमाओं को दूर किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि प्रो. मोहम्मद अफशार आलम वीसी, जामिया हमदर्द ने विषय के चयन और आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि इन विषयों से आगामी पीढ़ी का नई जानकारियों से  परिचय होगा। 

 प्रो. अनुराग अग्रवाल (अशोका विश्वविद्यालय) ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा जैव विज्ञान में किए जा रहे क्रांतिकारी बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, कृत्रिम बुद्धि एजेंटों द्वारा नैनोबॉडीज़ को डिज़ाइन किया जा रहा है और उनका प्रयोगशाला में सत्यापन किया गया है।  इसके अलावा, डॉ. सौविक मैती (सीएसआईआर-आईजीआईबी, नई दिल्ली) ने स्वदेशी तकनीक और उसकी सटीक जीन थेरेपी में भूमिका पर व्याख्यान दिया। जैव प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए डॉ. तरुणा मदान (आईसीएमआर, नई दिल्ली), डॉ. एलोरा सेन (एनबीआरसी, मानेसर), डॉ. गीता अंजलि यादव (एनआईपीजीआर, नई दिल्ली), प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा (मिरांडा हाउस) और प्रो. साधना शर्मा (मिरांडा हाउस) ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए।


Born On Sunday: होते हैं करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी - यहां पाएं रविवार को जन्मे बच्चों के नाम की लिस्ट

sunday को जन्मे बच्चे का नाम list ravivar ko janme bacche ka naam


रविवार को जन्मे व्यक्तित्व: ज्योतिष और अस्ट्रालजी के अनुसार सभी नौ ग्रहों मे सूर्य को देवताओं का राजा माना जाता है और ऐसा इसलिए भी कि सौरमंडल का केंद्र सूर्य हैं और सभी ग्रह इसका चक्कर लगाते हैं। रविवार को भगवान सूर्य का दिवस माना जाता है और यदि आप रविवार जो जन्मे बच्चों के लिए नए नाम की तलाश कर रहे हैं तो अपने नामों की लिस्ट में आप भगवान सूर्य देव  के नामों को रख सकते हैं। भगवान सूर्य पर बच्चों का नाम रखने के लिए अनेक नामों मे से आप  इन  यूनिक और वैदिक नामों को भी अपनी लिस्ट मे शामिल कर सकते हैं जो खास होने के साथ विशेष और मीनिंगफूल भी है। 
अगर आपका जन्म  संडे अर्थात रविवार को हुआ है तो फिर आप एक खास और विशिष्ट व्यक्तित्व के मालिक हैं। रविवार जो जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग अक्सर रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होने के साथ ही उनके अंदर  प्राकृतिक रूप से एक प्रकार के करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी होता है जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है। रविवार को जन्मे ऐसे शानदार व्यक्तित्व वाले लोग हैं बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, ड्वेन जॉनसन, मेरिल स्ट्रीप, एम्मा वाटसन, केट ब्लैंचेट, एंजेलिना जोली और जूलिया रॉबर्ट्स।
 रविवार को जन्मे लोग अपने व्यक्तित्व से प्रभावशाली, सकारात्मक, प्रसिद्ध, नेतृत्वकारी, मेहनती और थोड़े संवेदनशील भी होते हैं। आइये जानते हैं रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की खासियत, उनके लिए रखे जाने वाले नाम तथा अन्य विशेषताएं विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा.
 

रविवार को जन्मे व्यक्ति विशेष रूप से अपने जीवन में किसी भी विषम परिस्थिति मे  उपयुक्त विचार और समाधान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। वास्तव में, आप कह सकते हैं कि जिन लोगों को किसी भी गंभीर स्थिति के लिए विचारों या समाधान के संदर्भ में किसी भी मदद की आवश्यकता है, तो  आप उनसे संपर्क कर सकते हैं, निश्चित रूप से आपको सर्वोत्तम विचार मिलेंगे। 

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण करते समय, माता-पिता अक्सर ऐसे नाम चुनते हैं जो आनंद, खुशी, और सकारात्मकता का प्रतीक हों। इसके अलावा, रविवार को जन्म लेने वाले बच्चे को भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त माना जाता है, इसलिए उनके नाम में सूर्य से संबंधित शब्दों का उपयोग करना भी प्रचलित है।रविवार को जन्मे बच्चों का नामकरण के लिए अक्सर सूर्य भगवन का नाम दिया जाता है जाहिर है कि इसके पीछे हमारी सोच होती है कि हमारा बच्चा भी सूर्य के सामान तेज और तेजस्वी हो और संसार में नाम करें. 

 यहां कुछ लोकप्रिय रविवार के बच्चे के नाम दिए गए हैं:

लड़कों के लिए:

  • दिनकर, 
  • भानु
  • रविमंत्री
  • आकाशगंगा,
  • दिनेश्वर, 
  • जगदीश, 
  • रविनंदन,
  •  दिनानाथ, 
  • दिवाकर, 
  • भानु, 
  • चिति
  • भास्कर, 
  • आक, 
  • आदित्य, 
  • दिनेश,
  •  मित्र, 
  • मार्तण्ड, 
  • मन्दार,
  •  पतंग, 
  • विहंगम, 
  • ज्ञान
  • सत्ता
  • विवस्वान
  • प्रभाकर
  • ज्योतिर्मय
  • सूरजमंडल
  • भावना
  • ध्यान
  • अनन्त
  • रवि, 
  • भाव्या
  • प्रभाकर, 
  • अरुण, 
  • अंशुमाली
  •  सूरज भगत।
  • सुरज, 
  • रविनंदन, 
  • प्रकाश
  • रवि
  • आदित्य
  • इशान
  • सूर्य
  • अग्नि
  • दीपक
  • प्रकाश
  • उज्ज्वल
  • अभिजीत

लड़कियों के लिए:

  • अर्चना
  • दीप्ति
  • ज्योति
  • प्रभा
  • उषा
  • सुधा
  • सुभ्रा
  • सुमन
  • सविता
  • सुशीला

इनके अलावा, आप अपने बच्चे के लिए कोई भी नाम चुन सकते हैं जिसका अर्थ आपको पसंद हो। यह महत्वपूर्ण है कि नाम आपके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उसका व्यक्तित्व दर्शाता हो।

रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी

रविवार को जन्मे लोगों के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि ऐसे लोग अक्सर रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होने के साथ ही मिलनसार और मददगार होते हैं। ऐसे लोगों में नेतृत्व की क्षमता  कूट-कूट कर भरी होती है और स्वाभिमानी होने के साथ ही भ्रमणशील और घूमने के शौक़ीन होते हैं. हिन्दू पंचांग एवं ज्योतिष के अनुसार रविवार को जन्म लेने वाले लोगों पर भगवन सूर्य का प्रभाव होता है और यही वजह है कि उनमें एक प्राकृतिक करिश्मा होती जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है.  

आप कह सकते हैं कि ऐसे लोग किसी भी पार्टी  की जान होते हैं और साथ ही वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं।

यहां कुछ अन्य विचार दिए गए हैं:

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक मजबूत और शक्तिशाली नाम चाहते हैं, तो आप शक्ति, वीर, बलवीर, या अरिहंत जैसे नाम चुन सकते हैं।

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक सुंदर और आकर्षक नाम चाहते हैं, तो आप सौंदर्य, प्रेम, मृदुला, या रुचिरा जैसे नाम चुन सकते हैं।

यदि आप अपने बच्चे के लिए एक धार्मिक या आध्यात्मिक नाम चाहते हैं, तो आप भगवान, ईश्वर, परमेश्वर, या संत जैसे नाम चुन सकते हैं।

अंततः, बच्चे का नाम चुनना एक व्यक्तिगत निर्णय है। माता-पिता को अपने बच्चे के लिए उपयुक्त नाम चुनने के लिए समय और विचार देना चाहिए।

===============

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।