Tatkal Ticket Rules 2025: 1 जुलाई से आईआरसीटीसी और ऐप पर तत्काल टिकट सिर्फ यही लोग बुक कर सकेंगे

 

Tatkal Ticket Rules 2025

Tatkal Ticket Rules 2025: तत्काल बुकिंग में पारदर्शिता बढ़ाने और यात्रियों को तत्काल टिकट निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सुलभ कराने के लिए भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में महत्वपूर्ण संशोधनों की घोषणा की है। इनका उद्देश्य उपयोगकर्ता सत्‍यापन बढ़ाना और योजना का दुरुपयोग रोकना है।

यात्रियों को तत्काल टिकट निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सुलभ कराने और उनके हितों की रक्षा के लिए भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में महत्वपूर्ण संशोधनों की घोषणा की है। इनका उद्देश्य उपयोगकर्ता सत्‍यापन बढ़ाना और योजना का दुरुपयोग रोकना है।

नए प्रावधान में निम्‍नलिखित व्‍यवस्‍था की गई है:

1. ऑनलाइन तत्काल बुकिंग के लिए आधार सत्‍यापन:

एक जुलाई 2025 से, भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की आधिकारिक वेबसाइट और मोबाइल ऐप द्वारा तत्काल टिकट बुकिंग केवल आधार सत्‍यापित उपयोगकर्ताओं के लिए ही उपलब्ध होंगे।

इसके अलावा, 15 जुलाई 2025 से ऑनलाइन तत्काल बुकिंग के लिए आधार ओटीपी सत्‍यापन अनिवार्य हो जाएगा।

2. यात्री आरक्षण प्रणाली काउंटर (पीआरएस काउंटर) और एजेंटों द्वारा बुकिंग में सिस्टम-आधारित ओटीपी सत्‍यापन:

कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) काउंटरों और अधिकृत एजेंटों के माध्यम से तत्काल टिकटों की बुकिंग के दौरान उपयोगकर्ता के मोबाइल नंबर पर ओटीपी सत्‍यापन की आवश्यकता होगी।

यह प्रावधान भी 15 जुलाई 2025 से लागू होगा।

3. अधिकृत एजेंटों के लिए बुकिंग समय की पाबंदी:

रेल आरक्षण के शुरूआती समय में बल्क (एक साथ बहुत सारे) बुकिंग रोकने के लिए, भारतीय रेलवे के अधिकृत टिकटिंग एजेंटों को बुकिंग विंडो के पहले 30 मिनट के दौरान तत्काल टिकट बुक करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एसी क्लासों के लिए, यह प्रतिबंध सुबह 10 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक और गैर-एसी क्लास के लिए, सुबह 11 बजे से 11 बजकर 30 मिनट तक लागू होगा।

ये बदलाव तत्काल बुकिंग में पारदर्शिता बढ़ाने और सुनिश्चित करने के लिए लागू किए जा रहे हैं कि योजना का लाभ वास्तविक उपयोगकर्ताओं को मिले।

रेलवे सूचना प्रणाली केन्‍द्र (सीआरआईएस) और आईआरसीटीसी को इस बारे में आवश्यक प्रणालीगत संशोधन करने और सभी रेलवे जोन और संबंधित विभागों को सूचित करने के निर्देश दिये गये हैं।

जी-7: जानें इतिहास, वनलाइनर फैक्ट्स, तथा अन्य रोचक तथ्य


जी-7 समूह देशों का 45वां शिखर सम्मेलन फ्रांस में हो रहा है खास बात यह है कि जी-7 समूह देशों का पहला बैठक भी फ्रांस के रामबोएलेट में हुई थी. इस सम्मेलन में भारत को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने फ्रांस मे होंगे। 

वैश्विक आर्थिक संकटों का समाधान निकालना और विकसित देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना हमेशा से दुनिया के लिए जरूरत रही है और यह आवश्यकता काफी पहले से अनुभव किया जा रहा था। इसी जरूरत को देखते हुए  विश्व की तात्कालिक सबसे विकसित और औद्योगीकृत लोकतांत्रिक शक्तियों ने मिलकर G7 यानी "ग्रुप ऑफ सेवन" को जन्म दिया। हालांकि शुरुआत मे यह सिर्फ 6 देशों का संगठन था जिसमे शामिल थे अमेरिका (USA), यूनाइटेड किंगडम (UK), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany) और  इटली (Italy)। बाद मे   कनाडा (Canada) को इसमें शामिल किया गया जिसके साथ इसके सदस्यों की संख्या 7 हो गई।  इसका स्थापना 1975 मे की गई थी और प्रथम बैठक फ्रांस के रामबोएलेट में हुई थी।

दुनिया के रंगमंच पर G7 एक प्रमुख  आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक नीतियों को प्रभावित करने की दिशा मे प्रमुख भूमिका निभा रहा है। 

हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन कई बार G7 शिखर सम्मेलनों में अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। 


  • स्थापना वर्ष-1975
  • पहली बैठक-फ्रांस (रामबोएलेट)

  • G7 के पास दुनिया की केवल 10% जनसंख्या है लेकिन ये देश वैश्विक GDP का लगभग 43% साझा करते हैं।
  • साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था. 
  • 2024 में G7 Summit 13 से 15 जून 2024 तक इटली के अपुलिया के फसानो शहर के बोर्गो एग्नाज़िया में आयोजित किया  गया था
  • 9 वां G7 शिखर सम्मेलन जापान के हिरोशिमा में आयोजित किया गया था। 


Point Of View : इन टिप्स से करें एक्जाम स्ट्रेस को गायब

Avoid Exam Stress, Tips For Exam Stress Controlling

Point Of View : देश में एक बार फ़िर बोर्ड और बारहवीं की परीक्षा की घोषणा हो चुकी है। राज्यों के बोर्ड का शेड्यूल जारी  हो चुकी है और सच तो यह है कि आने वाले कुछ महीने परीक्षा के माहौल से गुलजार रहने वाला है. जाहिर है की परीक्षार्थी अपने एक्जाम की तैयारी को लेकर तनाव में रहते हैं लेकिन जरूरत इस बात की हैं कि वे एक्जाम स्ट्रेस को खुद पर हावी नहीं होने दें. उच्च तनाव का स्तर छात्रों की दक्षता में बाधा डाल सकता है जिसके परिणामस्वरूप बोर्ड परीक्षाओं के दौरान उनका प्रदर्शन ख़राब हो सकता है। कहने की जरुरत नहीं है कि परीक्षा की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है और इसमें कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण की आवश्यकता होती है। 

हालांकि, कभी-कभी परीक्षा की तैयारी के दौरान निराशा का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कहते हैं ना कि " परिस्थितियां  हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसी आशा नहीं करो क्योंकि आखिर संसार सिर्फ तुम्हारे लिए तो नहीं बना है।" क्या आप जानते हैं कि आखिर इस निराशा के क्या कारण हो सकते हैं?

याद रखें दोस्तों, निराशा एक सामान्य भावना है। हालांकि, यदि आप निराशा से ग्रस्त हो जाते हैं, तो यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, निराशा पर काबू पाने के लिए निम्न टिप्स की मदद ले सकते हैं जो आपको परीक्षा की तैयारी में निराशा पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं:

परीक्षा की तैयारी में निराशा पर काबू पाने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

सकारात्मक सोच रखें। निराशा का सबसे अच्छा इलाज सकारात्मक सोच है। जब आप सकारात्मक सोच रखते हैं, तो आप किसी भी बाधा को पार करने के लिए तैयार रहते हैं।
अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखें। परीक्षा की तैयारी करते समय, अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखें। यह आपको प्रेरित रहने में मदद करेगा।
अपनी प्रगति का मूल्यांकन करें। अपनी प्रगति का मूल्यांकन करके, आप यह देख पाएंगे कि आप कितनी दूर आ चुके हैं। यह आपको आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा।
अपनी रणनीति में बदलाव करें। यदि आप लगातार निराशा महसूस कर रहे हैं, तो अपनी रणनीति में बदलाव करने का प्रयास करें। हो सकता है कि आप अपनी तैयारी का तरीका बदलकर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।
अपने दोस्तों और परिवार से बात करें। अपने दोस्तों और परिवार से बात करके, आप अपनी भावनाओं को बाहर निकाल सकते हैं और उन्हें समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।

तैयारी के लिए एक विशिष्ट योजना बनाएं। यह आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक दिशा प्रदान करेगा।  पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, व्यायाम, आराम और मनोरंजन के लिए भी समय निकालें।

अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने से न डरें। नई चीजें सीखने और चुनौतियों का सामना करने से आपको अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

तमिलनाडु का चित्रांगुडी अभ्यारण्य: पक्षीप्रेमियों के लिए एक छिपा खज़ाना- Facts In Brief

Chitrangudi Bird Sanctuary Facts in Brief

चित्रांगुडी पक्षी अभ्‍यारण्य, जिसे स्थानीय रूप से "चित्रांगुडी कनमोली" के नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह रामेश्वरम और मन्नार की खाड़ी के करीब स्थित है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार स्थल बनाता है। यह अभ्यारण्य पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है जो पक्षियों और प्रकृति की तस्वीरें लेने वालों के लिए एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त यह अभ्यारण्य जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अद्भुत स्थल है।

 यह आर्द्रभूमि 1989 से एक संरक्षित क्षेत्र है और इसे पक्षी अभ्‍यारण्य के रूप में घोषित किया गया है, जो तमिलनाडु वन विभाग, रामनाथपुरम डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

चित्रांगुडी पक्षी अभ्‍यारण्य शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास है। स्‍थल से 30 परिवारों के लगभग 50 पक्षियों के उपस्थित होने की जानकारी मिली है। इनमें से 47 जल पक्षी और 3 स्थलीय पक्षी हैं। 

इस स्‍थल क्षेत्र से स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, लिटिल एग्रेट, ग्रे हेरॉन, लार्ज एग्रेट, ओपन बिल स्टॉर्क, पर्पल और पोंड हेरॉन जैसे उल्लेखनीय जलपक्षी देखे गए।

पाई जाने वाली पक्षी प्रजातियाँ

  • जलपक्षी: ग्रे पेलिकन, लिटिल कॉर्मोरेंट, स्पूनबिल, एग्रेट, पेंटेड स्टॉर्क।
  • प्रवासी पक्षी: फ्लेमिंगो, ग्रे हेरॉन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, सैंडपाइपर।
  • स्थानीय पक्षी: भारतीय बगुला, किंगफिशर, टर्न आदि।

 चित्रांगुडी कृषि क्षेत्रों से घिरा हुआ है, जहां साल भर विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। आर्द्रभूमि कई मछलियों, उभयचरों, मोलस्क, जलीय कीड़ों और उनके लार्वा का भी पालन करती है यह प्रवासी जलपक्षियों के लिए अच्छे भोजन स्रोत बनाते हैं। कृषि उद्देश्यों के लिए आर्द्रभूमि के आसपास और भीतर सिंचाई के लिए भूजल निकाला जाता है।

फिट इंडिया संडेज: राष्ट्रव्यापी अभियान में ओलंपियन, अभिनेता और फिटनेस आइकन सहित प्रतिष्ठित हस्तियां हुईं शामिल


अभिनेता और फिटनेस आइकन सुनील शेट्टी ने फिट इंडिया मूवमेंट द्वारा सीबीआईसी-जीएसटी के सहयोग से आयोजित राष्ट्रव्यापी संडे ऑन साइकिल कार्यक्रम में निरंतर स्वस्थ रहने का जोरदार आह्वान करते हुए कहा, "सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य बीमारी से कहीं सस्ता है। फिटनेस एक दिन की चीज नहीं होनी चाहिए, जैसे कि आज ही साइकिल चलाना, बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए हर दिन इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। तभी कोई फर्क दिखाई पड़ता है।" शेट्टी मुंबई में जीएसटी कमीश्‍नरेट में प्रतिभागियों के साथ शामिल हुए, इसमें अभिनेता की शक्ति और एक ऐसी पहल शामिल हो गइ्र जो तेजी से जन आंदोलन बन रही है।

नई दिल्ली में साइकिल चलाना इस अभियान का सिर्फ़ एक हिस्सा था। बुडापेस्ट में 2024 शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाली शतरंज ग्रैंडमास्टर तानिया सचदेव भी इस अभियान में शामिल हुईं और फिटनेस को बढ़ावा देने वाले संदेश के साथ लोगों में जोश भर दिया। उन्होंने कहा, "फिटनेस के लिए किसी शानदार उपकरण या जिम की ज़रूरत नहीं होती - बस इच्छाशक्ति और अनुशासन की ज़रूरत होती है।" "शतरंज में भी सहनशक्ति बहुत ज़रूरी है। साइकिल चलाना अब मेरी फिटनेस के तरीके का एक बड़ा हिस्सा बन गया है।"

राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में जुम्बा, रस्सी कूद और योग सत्र शामिल थे, जिसने रविवार को शारीरिक गतिविधि और मानसिक सम्‍पूर्ण स्वास्थ्य के उत्सव में बदल दिया। यह कार्यक्रम देश भर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया, जिसमें एसएआई आरसी, एसटीसी एनसीओई, खेलो इंडिया सेंटर और सभी प्रमुख सीबीआईसी-जीएसटी केन्‍द्र शामिल थे।

शंकर महादेवन ने अपने वीडियो संदेश में कहा, "भारत साइकिल चलाकर फिटनेस की दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए एकजुट हो रहा है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे इस रविवार को हमारे अधिकारियों के साथ जुड़ें और इसे एक यादगार कार्यक्रम बनाएं।" मिलिंद सोमन ने कहा, "फिट हम, तो फिट इंडिया।"

थर्मोस्फीयर: जानें महत्व, सीमा और अन्य जानकारी Facts in Brief

Thermosphere layer Facts in Brief
थर्मोस्फीयर (या ऊपरी वायुमंडल) 85 किलोमीटर (53 मील) से ऊपर की ऊँचाई वाला क्षेत्र है, जबकि ट्रोपोपॉज़ और मेसोपॉज़ के बीच का क्षेत्र मध्य वायुमंडल ( स्ट्रैटोस्फियर और मेसोस्फीयर ) है जहाँ सौर UV विकिरण का अवशोषण 45 किलोमीटर (28 मील) की ऊँचाई के पास अधिकतम तापमान उत्पन्न करता है और ओजोन परत का कारण बनता है। थर्मोस्फीयर पृथ्वी के वायुमंडल की चौथी परत है जो सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती है, जिससे यह बहुत गर्म हो जाती है। 

मेसोस्फीयर के ऊपर बहुत ही दुर्लभ हवा की परत को थर्मोस्फीयर कहा जाता है। सूर्य से आने वाली उच्च-ऊर्जा एक्स-रे और यूवी विकिरण थर्मोस्फीयर में अवशोषित हो जाते हैं, जिससे इसका तापमान सैकड़ों या कई बार हज़ारों डिग्री तक बढ़ जाता है। हालाँकि, इस परत में हवा इतनी पतली होती है कि यह हमें बर्फीली ठंड लगती है! कई मायनों में, थर्मोस्फीयर वायुमंडल के एक हिस्से की तुलना में बाहरी अंतरिक्ष की तरह अधिक है।

वडुवूर पक्षी अभयारण्य

  •  हमारे वायुमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच की अनुमानित सीमा, जिसे कार्मन रेखा के रूप में जाना जाता है, थर्मोस्फीयर में लगभग 100 किमी की ऊँचाई पर है।
  •  कई उपग्रह वास्तव में थर्मोस्फीयर के भीतर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं! सूर्य से आने वाली ऊर्जा की मात्रा में भिन्नता इस परत के शीर्ष की ऊँचाई और इसके भीतर के तापमान दोनों पर एक शक्तिशाली प्रभाव डालती है। 
  •  थर्मोस्फीयर का शीर्ष ज़मीन से 500 से 1,000 किमी (311 से 621 मील) ऊपर कहीं भी पाया जा सकता है। 
  • ऊपरी तापमण्डल में तापमान लगभग 500° सेल्सियस (932° फारेनहाइट) से लेकर 2,000° सेल्सियस (3,632° फारेनहाइट) या उससे अधिक तक हो सकता है।
What is the temperature range in the thermosphere?

थर्मोस्फीयर में तापमान की सीमा काफी चरम पर होती है और सौर गतिविधि के आधार पर बदलती रहती है:
सामान्य सीमा: 500°C से 2,000°C (या 932°F से 3,632°F)
उच्च सौर गतिविधि (जैसे सौर फ्लेयर्स) के दौरान: यह 2,500°C (4,532°F) से अधिक हो सकता है.

Thermosphere height

थर्मोस्फीयर पृथ्वी की सतह से लगभग 80 से 700 किलोमीटर (50 से 435 मील) ऊपर तक फैला हुआ है। यह मेसोस्फीयर के ऊपर और एक्सोस्फीयर के नीचे वायुमंडल की परत है।

मदर्स डे 2025: माँ को खुश करने के दिल छू लेने वाले तरीके


मां एक ऐसा शब्‍द है, जिसमें पूरी दुनिया  दुनिया समाई है और इसके बगैर भला हमारी हैसियत कहाँ है? हमारा वजूद और हमारा व्यक्तित्व तो बहुत बाद का है, जब हम इन शब्दों का मतलब समझने लगते हैं, माँ तो वह होती है जो हमें दुनिया मे लाती है और हमें सांस और भूख और प्यास का अर्थ और उनकी अहमियत समझाती है। जब हमें सही गलत कर फरक नहीं मालूम होता और कुछ भी उठाकर अपने मुंह मे डाल लेने वाले नादानी कर रहे होते हैं, तो वह माँ हीं तो होती है जो हमें बचाती है। बच्‍चों को किसी चीज की कमी न रहे, इसलिए वे कभी काम से छुट्टी नहीं लेती और खुद को भूखा रखकर भी हमें भरपेट भोजन कराती है। न तो कभी वह अपने किसी कि शिकायत करती है और न ही अपना दर्द सुनाती है। ऐसे में बच्‍चों का भी फर्ज है कि उन्‍हें धन्‍यवाद दें और स्‍पेशल फील कराएं।

मदर्स डे पर माँ को खुश कैसे करें:

भावनाएं व्यक्त करें

माँ वह होती है जो अपने हर सपने को पीछे रखकर हमारे सपनों को उड़ान देती है और हमारे सपनों और लक्ष्यों को पाने के लिए वह अपने  खुद की नींदें कुर्बान कर देती है ताकि हम अपनी रातें चैन से गुजार सकें। इसके लिए यह जरूरी है कि हम  अपनी भावनाएं इस प्रकार से व्यक्त करें कि उन्हे यह फ़ील हो सके कि हमारे बच्चे उनके कठिनाइयों को समझ तो रहे हैं।

एक दिन खाना खुद बनाएं

माँ को कभी भी आराम नहीं मिलती और यह वास्तविकता है कि छुट्टियों के दिन जहां हम स्कूल और ऑफिस से वीकेंड पर घर मे होते हैं, माँ जो हमारे साथ स्कूल और ऑफिस के लिए हमारे साथ लंच और ब्रेआकफ़ास्ट तैयार करने मे लगी रहती है, वीकेंड के दिन उनकी परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि हम कुछ अच्छा और खास खाने कि उम्मीद पाले होते हैं। जाहिर है कि माँ कि परेशानी इन  वीकेंड पर बढ़ जाती है और फिर उनके वीकेंड कहाँ गया? उन्हे छुट्टी कब मिली। इसलिए यह जरूरी है कि कभी कभी आप कहना खुद बनाकर माँ को खिलाएं।

उनके चेहरे पर हंसी और संतोष लाएं

सच्चाई तो यही है कि हम माँ द्वारा किए गए त्याग और उनके ममता कि कीमत नहीं चुका सकते लेकिन कम से कम उनके चेहरे पर कम से कम मुस्कान और संतोष तो दे ही सकते हैं। उन्हे यह एहसास दिलाए कि उन्होंने जो हमारे लिए किया है उसका ऋण तो चुकाना संभव नहीं है, हाँ उन्हे हम कम से कम याद करके उनका आभार तो व्यक्त कर ही सकते हैं।

माँ के पुरानी यादों की एलबम बनाएं

माँ के त्याग और उनके ममता को कभी लौटाया तो नहीं जा सकता लेकिन उनके इन गुणों को अगर एक एलबम के रूप मे बनाकर उन्हे भेंट किया जाए तो शायद निश्चित हीं यह माँ के चेहरे पर मुस्कान कि वजह हो सकती है। आप इसे ऐसे भी व्यक्त कर सकते हैं कि एक दिल से लिखा हुआ पत्र माँ को दें जिसमें आप उनके किए गए त्याग और ममता को याद करते हुए उसके लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करें।

माँ को आराम दें

जन्म से लेकर हमें पढ़ाने और एक अच्छा इंसान बनाने में माँ का खास योगदान होता है क्योंकि आप जानते हैं कि माँ हीं हमारे प्रथम पाठशाला होती है। फिर माँ हमारे लिए जन्म से लेकर हमारे बड़े होने तक माँ हमेशा काम करते रही है और फिर माँ को आराम भला कब मिल सकती थी। तो फिर आप एक दिन कम से कम माँ को आराम दें और अधिकांश काम खुद से अंजाम दें ताकि माँ को आराम फिल हो सके।


 


 




 


 


 

घर पर बनाएं ठंडी ठंडी खरबूजा आइसक्रीम | टेस्ट के साथ पोषण भी, बच्चे भी मांग- मांग कर खाएंगे

घर पर बनाएं ठंडी ठंडी खरबूजा आइसक्रीम | टेस्ट के साथ पोषण भी, बच्चे भी मांग- मांग कर खाएंगे
Melon (खरबूजा) खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं खास तौर पर यह गर्मियों में हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। अक्सर बच्चे खरबूज खाने से मना करते हैं क्योंकि उन्हे इससे शायद टेस्ट को लेकर परेशानी होती है।  वैसे तो बच्चे फ्रूट के नाम से हीं भागते हैं लेकिन क्योंकि खरबूज एक ऋतु फल है और इसलिए भी वे इसे नहीं कहना चाहते हैं। लेकिन गर्मियों को देखते हुए यह हमारे शरीर कि जरूरत है एक तो यह 

शरीर को ठंडक प्रदान करता है, पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है साथ हीं यह  शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। खरबूजे में विटामिन ए, विटामिन सी, और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। 

मेलन आइसक्रीम खाने के फायदे (Benefits):

मेलन हाइड्रेशन में मददगार होता है क्योंकि  खरबूजा 90% तक पानी से भरपूर होता है, जो शरीर को गर्मियों में हाइड्रेट रखता है।

इसके अतिरिक्त यह  लो कैलोरी स्वीट ट्रीट भी है क्योंकि  चीनी की जगह कंडेन्स्ड मिल्क और फल का मीठापन यूज़ करने से ये हेल्दी डिज़र्ट बनता है। इसके साथ हीं मेलोईं विटामिन्स से भरपूर होता है जिसमें  विटामिन A, C और पोटैशियम होता है, जो स्किन और इम्यून सिस्टम के लिए अच्छा है। बच्चों को पोषण के साथ स्वाद बच्चे अक्सर फल नहीं खाते – यह आइसक्रीम उनके लिए एक स्वादिष्ट तरीका है पोषण देने का।

तो फिर हम आपको बता रहे हैं Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम) बनाने कि विधि जिसे बच्चे न नहीं कहेंगे और साथ मे व खरबूजा का सेवन भी कर सकेंगे। 

 मेलन आइसक्रीम बनाने की विधि

Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम)  बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा तैयारी नहीं करनी है क्योंकि इसे आप कुछ स्टेप मे हीं बना लेंगे। हाँ, क्योंकि आइसक्रीम है तो आपको फ्रीजिंग के लिए कुछ समय देना पड़ेगा। तो आइए बनाते हैं Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम) 

 सामग्री (Ingredients):

खरबूजा (Melon) – 2 कप (छोटे टुकड़ों में काटा हुआ, बीज हटाकर)

फ्रेश क्रीम – 1 कप

कंडेन्स्ड मिल्क (Condensed Milk) – ½ कप (स्वादानुसार कम-ज्यादा कर सकते हैं)

दूध (Milk) – ½ कप (उबला और ठंडा)

वेनिला एसेंस – ½ टीस्पून (ऑप्शनल)

बनाने की विधि (Recipe Method):

खरबूजा पीसें: सबसे पहले कटे हुए खरबूजे को मिक्सी में डालकर स्मूद प्यूरी बना लें।

मिक्स करें: इसके बाद अब आप कैट हुए खरबूजे को अब एक बड़े बाउल में खरबूजा प्यूरी, फ्रेश क्रीम, कंडेन्स्ड मिल्क और दूध डालें। अच्छी तरह फेंटें या मिक्सी में हल्का चला लें।

फ्लेवर ऐड करें: इसके लिए ध्यान दें की जो फ्लेवर बच्चे चाहते हैं आप उसे हीं प्राथमिकता दें ताकि बच्चे उसे खा सकें। हम यहाँ पर वेनिला एसेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

फ्रीज़ करें: इस मिक्सचर को एक एयरटाइट कंटेनर में डालें और 6–8 घंटे या ओवरनाइट फ्रीज़र में रख दें।

स्कूप करें और परोसें: एक बार जम जाने के बाद स्कूप निकालें और ठंडी-ठंडी मेलन आइसक्रीम सर्व करें।


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हैदराबादी चिकन मसाला  

चॉकलेट आइसक्रीम 

सुनहरी चिकन बॉल्स  




SSC, Railway, UPSC, CUET जैसे परीक्षाओं मे पूछे गए पुस्तकों का कलेक्शन

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक एक महत्वपूर्ण टॉपिक हैं जिसमें से हर परीक्षा मे सवाल पूछे जाते हैं। हमने यहाँ पर प्रमुख लेखकों के पुस्तकों का संग्रह प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जिनमें आजादी के समय से लेकर एतिहासिक  और अन्य दुनिया के दूसरे नेताओं के लेखकों के पुस्तकों का नाम और उनके लेखकों का नाम भी शामिल हैं जो विभिन्न परीक्षाओं मे पूछे गए हैं। 

  • India Divided : Rajendra Prasad 
  • In the Company of Women : Khushwant Singh 
  • In Search of Gandhi : Richard Attenborough
  • Gita Rahasya : Bal Gangadhar Tilak 
  • Hungry Stones : Rabindranath Tagore 
  • Ideology and Social Science : Andre Beteille 
  • India We Left : Hymphry Trevelyan 
  • Fury : Salman Rushdie 
  • I Too Had A Dream : Dr. Verghese Kurien
  • Great Tragedy : Z. A. Bhutto 
  • In Search of Identity : Anwar el-Sadat 
  • I Follow the Mahatma : K. M. Munshi 
  • Hind Swaraj : M. K. Gandhi
  • If I Am Assassinated : Z. A. Bhutto 
  • Freedom in Exile : Dalai Lama 
  • Gitanjali : Rabindranath Tagore 
  • Frozen Assets : P. G. Wodehouse
  • Hamlet : William Shakespeare
  • Flight to Parliament : Rajesh Pilot
  • Fortynine Days : Amrita Pritam 
  • Geet Govinda : Jaya Dev
  • Heir Apparent : Dr. Karan Singh 
  • Friends and Foes : Sheikh Mujibur Rehman
  • Gathering Storm : Winston Churchill  
  • Glass Palace : Amitabha Ghosh
  • Humour : Ben Johnson 
  • 100 Best Parliamentary Speeches–1947-97 : Dr. Subhash C. Kashyap 
  • Husband of a Fanatic : Amitava Kumar
  • I Muse; Therefore I Am : V. N. Narayanan
  • Indian Home Rule : M. K. Gandhi
  • India-Pakistan–History of Unsolved Conflicts : Lars Blinkenberg
  • From Rajpath to Lokpath : Vijaya Raje Scindia
  • Inside the CBI : Joginder Singh
  • Indomitable Spirit : Dr. A.P.J. Abdul Kalam
  • Gladiators : Arthur Koestler  
  •  The Sepoy Mutiny and revolt of 1857 - R.C Majumdar
  • 1857- The great Rebellion- Ashok Mehta
  • Civil Rebellion in the Indian Mutinies – 1857 -59-S.B Chaudhery
  • The Indian war of Independence-V.D Sawarkar 

झेलम नदी: महत्व, लंबाई उद्गम स्थल और अन्य रोचक जानकारी


मीडिया रेपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद क्षेत्र में झेलम नदी के जलस्तर में अचानक और अप्रत्याशित वृद्धि से गंभीर चिंता पैदा हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार झेलम नदी के जलस्तर मे अचानक हुई वृद्धि के कारण बाढ़ की आशंका पैदा हो गई है। आइए जानते हैं कि झेलम नदी कहाँ से निकलती है, किन देशों के बीच बहती है और साथ ही इसके बारे मे अन्य रोचक जानकारी। 

झेलम नदी भारत और पाकिस्तान में बहने वाली एक प्रमुख नदी है जो कि समुद्र तल से लगभग 1,850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नदी सिंधु नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदियों मे से एक है और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर आप पूर्व के इतिहास का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि  ऋग्वेद और अन्य प्राचीन ग्रंथों  झेलम नदी को 'वितस्ता' (Vitasta) के नाम से उल्लेख मिलती है और ग्रीक में इसे "हाइडस्पेस" कहा जाता था। 

झेलम नदी की उत्पत्ति:

झेलम नदी की उत्पत्ति भारत के जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में स्थित वेरिनाग (Verinag) से होती है। वेरिनाग एक सुंदर झरना है जो पिर पंजाल पर्वत श्रेणी (Pir Panjal Range) के पास स्थित है।यह जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग जिले में स्थित है. यह नदी जम्मू-कश्मीर से बहती हुई पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में प्रवेश करती है और चिनाब नदी में मिल जाती है.  इसकी सहायक नदियों मे  नीलम नदी, किशनगंगा नदी शामिल है।  

यह स्थान समुद्र तल से लगभग 1,850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा इसकी लंबाई  725 किलोमीटर है। जहां तक  प्रवाह का सवाल है, झेलम नदी भारत में लगभग 400 किलोमीटर बहने के बाद यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है।मंगला डैम, जो झेलम पर बना है, पाकिस्तान का सबसे बड़ा बांधों में से एक है।

झेलम नदी की गहराई 

सिंधु फिर पश्चिम की ओर बहती है और दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है, इस प्रक्रिया में नंगा पर्वत (26,660 फीट [8,126 मीटर]) के उत्तरी और पश्चिमी किनारों को घेरती हुई घाटियों में जाती है जो 15,000 से 17,000 फीट (4,600 से 5,200 मीटर) की गहराई और 12 से 16 मील (19 से 26 किमी) है। .

झेलम नदी प्रवाह

वेरिनाग से निकलकर झेलम नदी दक्षिण की ओर बहती है तथा श्रीनगर शहर के बीचों-बीच से होकर गुजरती है।यह डल झील और वुलर झील (Wular Lake) से भी होकर गुजरती है।

भारत मे लगभग 400 किलोमीटर बहने के बाद यह नदी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश करती है। वहाँ से आगे बढ़ते हुए यह मंगला डैम (Mangla Dam) के पास एक विशाल जलाशय बनाती है। फिर आगे चलकर झेलम नदी पंजाब प्रांत में बहती है और अंततः पाकिस्तान में चिनाब नदी से मिल जाती है।

झेलम नदी का ऐतिहासिक महत्व:

अगर आप ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखेंगे तो झेलम नहीं की अपना महत्व और विशेषता है जो इसे इतिहास के पन्नों मे जगह दिलाती है। प्राचीन समय में झेलम के किनारे कई महत्वपूर्ण सभ्यताएँ बसी बसी हुई थी और इतिहास मे इनका उल्लेख भी मिलता है। इसके अतिरिक्त सिकंदर और भारतीय राजा पोरस (Porus) के बीच ऐतिहासिक हाइडेस्पीज का युद्ध (Hydaspes Battle) भी झेलम इसी नदी के किनारे लड़ा गया था।

मंगला बाँध

मंगला बाँध पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में झेलम नदी पर स्थित है। पाकिस्तान के मीरपुर जिले में झेलम नदी पर बना एक बहुउद्देशीय बांध है। यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा बांध है जिसका उपयोग सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। यह मंगला गाँव के पास स्थित है जिसके कारण इसका नाम मंगला बांध रखा गया है।

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty): Five Facts You Need To Know


भारत और पाकिस्तान मे बीच बंटवारे मे सबकुछ का बंटवारा हुआ और इसमे नदियां भी अछूती नहीं रही। जी हाँ, 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ, तब न सिर्फ ज़मीनें बंटी, बल्कि नदियों का प्रवाह भी दो देशों में बंट गया। आपको पता होनी चाहिए की भारत और पाकिस्तान की बीच उस समय कुल छह प्रमुख नदियाँ रहीं थी जिनमे शामिल है-

  • सिंधु,
  • झेलम,
  • चिनाब,
  • रावी,
  • व्यास,
  • सतलुज।

अगर गौर करें तो इनमें से तीन प्रमुख नदियां पाकिस्तान और तीन भारत मे बहती ही। पाकिस्तान मे बहने वाले नदियां है- सिंधु, झेलम, चिनाब। जबकि भारत से होकर  – पाकिस्तान से होकर बहती हैं, और बाकी तीन – रावी, व्यास, सतलुज – भारत के हिस्से में आती हैं।

इस संधि पर करांची में पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन फिल्‍ड मार्शल मोहम्‍मद अयूब खान और भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू एवं विश्‍व बैंक के श्री डब्‍लू, ए. बी. इलिफ द्वारा 19 सितम्‍बर, 1960 को हस्‍ताक्षर किया गया ।

समस्या यह थी कि इन सभी नदियों का स्रोत भारत में था, और जाहिर है कि पाकिस्तान डरता था कि भारत कभी भी पानी रोककर उसकी खेती को बर्बाद कर सकता है।

1948 में भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी और कुछ समय के लिए नदियों का पानी रोक भी दिया।

विश्व बैंक (उस समय इसे "इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट" कहा जाता था) ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया।

8 साल तक चली बातचीत के बाद, अंततः 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान ने एक ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर किए – यही थी सिंधु जल संधि।

संधि के मुख्य बिंदु

पानी का बंटवारा:

  • पूर्वी नदियाँ (रावी, सतलुज, व्यास) – इनका पूरा जल भारत को दिया गया।
  • पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) – इनका 80% से अधिक जल पाकिस्तान को उपयोग करने का अधिकार मिला, लेकिन भारत इन नदियों का सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई, जलविद्युत परियोजनाएँ) कर सकता है।
  • निगरानी व्यवस्था के अंतर्गत दोनों देशों ने एक स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) बनाया, जिसमें दोनों तरफ से एक-एक आयुक्त होता है।


अगर दोनों देशों के बीच किसी प्रकार का कोई विवाद होता है, तो पहले दोनों आयुक्त मिलकर सुलझाते हैं।

समाधान न होने पर विश्व बैंक, मध्यस्थता या अंतरराष्ट्रीय अदालत में मामला जाता है।

इस संधि की विशेषताएँ

  • यह अब तक की सबसे स्थायी जल संधियों में से एक है।
  • तीन युद्धों के बावजूद (1965, 1971, 1999) यह संधि कभी समाप्त नहीं हुई।


Health Tips: जानें क्या है रोज एक अमरूद खाने के फायदे-Facts in Brief


Health Benefits of Guava Facts in Brief

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमरूद को उष्णकटिबंधीय फल माना जाता है जो अपने स्वादिष्ट स्वाद और कई स्वास्थ्य लाभों के लिए दुनिया भर में  मशहूर है। अमरूद में की प्रकार के औषधीय गुण होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के साथ हीं पाचन में सुधार के लिए भी यह बहुत प्रभावी होता है। खाने योग्य बीज और विटामिन से भरपूर गूदा अमरूद को किसी के आहार में बहुत स्वस्थ बनाता है। 

रोज़ एक अमरूद खाने से न सिर्फ आपकी इम्यूनिटी मजबूत होगी, बल्कि पाचन, दिल और त्वचा के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है। अमरूद में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन बी6, मैग्नीशियम और आयरन कि बहुतायत होती है जो इसे सभी फलों मे खास बनाती है। अमरूद कि सबसे बड़ी विशेषता यह है कि  विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त इसमें फाइबर की अधिकता होती है, जो पाचन को बेहतर बनाती है और कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करती है। 

अमरूद के फल और पत्तियों में विटामिन सी और पोटैशियम सहित कई पोषक तत्व होते हैं, जो आपके हृदय, पाचन और शरीर की अन्य प्रणालियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। एक्सपर्ट की मानें तो अमरूद के फल मे न केवल आइरन कि पर्याप्त मात्रा होती है बल्कि अमरूद के फल एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, पोटैशियम और फाइबर से भी भरपूर होते हैं। 

अमरूद के फल मे  उल्लेखनीय पोषक मौजूद होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होते हैं। हर दिन अमरूद खाने से इसके समृद्ध पोषक तत्व प्रोफ़ाइल के कारण कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। 

यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

विटामिन सी से भरपूर: 

अमरूद में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है और आप जानते हैं कि विटामिन सी  शरीर कि रोग प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी तत्व है। इसके साथ ही विटामिन सी हमारे शरीर के कार्य, त्वचा के स्वास्थ्य और कोलेजन संश्लेषण का समर्थन करता है। अमरूद खाने से आपके शरीर को बीमारियों से बचाने और त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

फाइबर में उच्च:

 वैज्ञानिकों के अनुसार अमरूद में आहार फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो अच्छे पाचन को बढ़ावा देता है, कब्ज को रोकने में मदद करता है और स्वस्थ आंत का समर्थन करता है। यह फाइबर स्थिर रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में भी सहायता करता है, जिससे यह मधुमेह वाले लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बन जाता है।

हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करता है: 

अमरूद में मौजूद पोटेशियम और फाइबर बेहतर हृदय स्वास्थ्य में योगदान करते हैं। पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जबकि फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है।

वजन घटाने में योगदान

अमरूद में कैलोरी कम होती है और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है और वजन प्रबंधन में सहायता करता है।

त्वचा के लिए अच्छा: 

अमरूद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, जैसे कि विटामिन सी और लाइकोपीन, आपकी त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के संकेतों को धीमा कर सकते हैं। पानी की उच्च मात्रा त्वचा को हाइड्रेट भी रखती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: 

अमरूद में कई पोषक तत्व होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जिसमें विटामिन ए, फोलेट और विटामिन ई शामिल हैं, जो संक्रमण से लड़ने और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद करते हैं।

आँखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है: 

अमरूद में विटामिन ए होता है, जो आँखों के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक तत्व है। इसके साथ ही यह मोतियाबिंद और धब्बेदार अध: पतन जैसी स्थितियों के जोखिम को कम कर सकता है।

मासिक धर्म के दर्द को कम करता है: 

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अमरूद के पत्तों का अर्क मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह कुछ व्यक्तियों में ऐंठन को कम करने में मदद करता है।

कुल मिलाकर, नियमित रूप से अमरूद खाने से आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं जो स्वास्थ्य के कई पहलुओं को लाभ पहुँचाते हैं।

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अस्वीकरण : कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित किसी भी चिकित्सा मामले के बारे में कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने डॉक्टर या पेशेवर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

Who Is Shaik Rasheed?

who is shaik rasheed

गुंटूर, आंध्र प्रदेश के होनहार 20 वर्षीय बल्लेबाज शेख रशीद ने अंडर-19 टी20 विश्व कप 2022 में शानदार प्रदर्शन के बाद पहचान बनाई, जहां उन्होंने भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाई। सीएसके ने दो नए चेहरे पेश किए उनमें से एक हैं शेख रशीद.

चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने लखनऊ सुपर जायंट्स (एलएसजी) के खिलाफ गुंटूर, आंध्र प्रदेश के होनहार 20 वर्षीय बल्लेबाज शेख रशीद को पेश किया। मैच में शेख रशीद का वीडियो देखें "इंच इनसाइड: शेख रशीद ने जितेश को आउट करने के लिए शानदार संतुलन बनाया"

रशीद ने 2022 के दौरान भारत के लिए तीसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में उभरे, उन्होंने 4 मैचों में 201 रन बनाए। उनका घरेलू प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा है, जिसमें 19 प्रथम श्रेणी खेलों में 46.04 की सराहनीय औसत से 1,204 रन शामिल हैं।