नजरिया जीने का: क्षमा मांगने से अच्छा है आप अनुशासन को अपनाएं, गलतियों को चेक करें


गलतियों के लिए क्षमा मांगना एक अच्छी आदत तो है इससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर हम इन अक्सर होने वाली गलतियों पर नियंत्रण कर लें फिर तो जीवन हीं संवर जाएगी। हालांकि यह इतनी मुश्किल वाली कयावद भी नहीं है जिसे लाइफ में अपनाया नही जा सके। हां, इसके लिए यह जरूरी है कि हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाएं ताकि  इन गलतियों की गुंजाइश ही नहीं रहे।

याद रखे, जीवन में होने वाली गलतियों के लिए क्षमा मांग लेने से हमारा वर्तमान तो आसान होता है, लेकिन यह हमारे आने वाले कल अर्थात भविष्य को कठिन बनाती है। वहीं अगर आप जीवन में अनुशासन को अपनायेंगे तो भले हीं आज आपको कठिन लगे, लेकिन भविष्य अर्थात आपके कल को आसान और अनुकूल बनाएगा।


गौतम बुद्ध की यह कथन अनुशासन की आवश्यकता को साबित करने के लिए काफी है - "व्यक्ति खुद ही अपना सबसे बड़ा रक्षक हो सकता है; और दूसरा कौन उसकी रक्षा कर सकता है? अगर आपका स्वयं पर पूरा नियंत्रण है, तो आपको वह क्षमता हासिल होगी जिसे बहुत ही कम लोग हासिल कर पाते हैं।"

अनुशासन और अभ्यास से ही हमारे अंदर आत्मविश्वास पैदा होता है।
कहने की जरुरत नहीं है कि अगर हम अपने जीवन को कठोर अनुशासन में जीने की आदत देंगे तो हमारा तमाम जीवन और भविष्य भी  हर प्रकार  की परेशानियों और बीमारियों से दूर रहता है. क्योंकि अनुशासित व्यक्ति समय से अपना काम पूरा करता है साथ ही वह वर्तमान पर विजय प्राप्त करता है जो कि हमारे बेहतर भविष्य की बुनियाद होती है. सच्चाई तो यह है कि अनुशासन एक ऐसी क्रिया है जो कि व्यक्ति के मन, दिमाग और आत्मा को कंट्रोल करने का काम करता है और ऐसे स्थिति में निश्चित ही हम खुद को एक व्यस्थित  जीवन जीने के लिए तैयार होते हैं ।

महात्मा गाँधी के इस कथन को हमेशा याद रखें कि- दबाव से अनुशासन कभी नहीं सीख सकते।

जाहिर है, अगर हम अपने जीवन में कठोर अनुशासन को अपनाएंगे तो आपके जीवन पद्वति में गलती की संभावना नहीं के बराबर होगी क्योंकि आपका जीवन अनुशासित और नैतिकता से परिपूर्ण होगी।

एडगर हूवर की यह कथन आज के सन्दर्भ में कितना प्रासंगिक है- "यदि हर घर में अनुशासन का पालन किया जाये तो युवाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों में 95 % तक कमी आ जाएँगी।”


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