आखिर क्यों हुई नई संसद की आवश्यकता: Facts In Brief

New Parliament building Need Coast Facts in Brief

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार के ऑफिसियल वेबसाइट पर दिए गए तथ्यों के अनुसार  संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। यह लगभग 100 वर्ष पुराना एक विरासत ग्रेड-I भवन है।

 गत वर्षों में, संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है। इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है। इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया है। इसीलिए, यह अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा हैं तथा स्थान, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी जैसे मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है।

सांसदों के बैठने की संकीर्ण जगह

वर्तमान भवन को पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 पर अपरिवर्तित बनी हुई है। 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर स्थिरता केवल 2026 तक ही है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।

अप्रचलित संचार संरचनाएं

वर्तमान संसद भवन में, संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन कालीन है। सभी हॉलों की ध्वनिकी में बड़े सुधार की आवश्यकता है।

सुरक्षा सरोकार

इस भवन की संरचनात्मक सुरक्षा चिंताएं हैं। वर्तमान संसद भवन तब बनाया गया था जब दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र- II में थी, वर्तमान में यह भूकंपीय क्षेत्र- IV में है।

कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र

कार्यक्षेत्र की बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खराब गुणवत्ता वाले और संकीर्ण कार्यस्थल बने। स्थान की लगातार बढ़ती हुई मांग को समायोजित करने के लिए, मौजूदा कार्यक्षेत्र के भीतर उप-विभाजन बनाए गए, जिससे कार्यालय में भीड़भाड़ हो गई।

(Source: मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)

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