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नज़रिया जीने का: सीखने का सबसे अच्छा तरीका अपनी गलतियों से सीखना है, पढ़ें स्टेप्स


विख्यात विद्वान और महान दार्शनिक डॉ एस राधाकृष्णन की एक फेमस कथन है जिसमें वह कहते हैं कि "हम भारतीयों के साथ सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हम जानते तो सही हैं लेकिन करते गलत हैं." आपको विश्वास नहीं होगा कि आज पूरी मानव जाति की यही हकीकत बन कर रह गईं है। हमें खूब अच्छी तरह सही और ग़लत के बीच का फर्क पता होता है, लेकिन हम इस कदर खुद से अनभिज्ञ हो चुके हैं कि गलत को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। 

महान विद्वान चाणक्य ने क्या खूब कहा है कि दूसरों की गलतियों से सीखों क्योंकि खुद  की गलतियों से सबक सीखने में यह उम्र हीं छोटी पद जाएगी।पद जाएगी। अब आप समझ सकते हैं कि गलतियों से सीखना हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिये कितना  जरूरी है। यह ठीक है कि गलतियों का होना एक सामान्य बात है और यह भी यथार्थ है कि गलतियां वही करता जो काम करता है क्योंकि जो काम हीं नहीं करेगा भला वह क्या गलती करेगा। लेकिन गलतियों का दुहराया जाना भीं सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि इससे आपके सुधार की गुंजाइश खत्म हो जाती है। 


महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन ने कहा भी है कि "सीखने का सबसे अच्छा तरीका अपनी गलतियों से सीखना है।" 

अपनी गलती को स्वीकार करें क्योंकि इससे आपके अंदर खुद को मजबूत  और अधिक स्ट्रांग बनाने में मदद मिलेगी। जीवन में कभी भी खुद की गलतियों को सही ठहराने की कोशिश  उसे नकारने की कोशिश न करें।

हाँ, यह याद रखें कि अपने से हुई सभी गलतियों पर गौर करें भले हीं तत्काल नहीं  लेकिन  बाद में हीं सही. गलती के कारणों का विश्लेषण करें उसका आत्मचिंतन करें कि आखिर किन परिस्थितियों में आपसे यह गलती हुई है और साथ हीं क्या यह वाकई में अनजाने में हुई गलती थी या किसी लापरवाही के कारन हुई थी। 

याद रखें अपनी गलतियों का मूल्याङ्कन करते समय कोशिश करें कि यह  ईमानदारी से आपके द्वारा किया गया प्रयास हो जो यह सुनिश्चित भी करें कि आगे  ऐसी गलती न हो।

अपनी गलतियों से सबक सीखना नहीं भूले साथ ही उसकी पुनरावृति भविष्य में नहीं हो, इसपर भी ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि  बिल गेट्स ने कहा है-"गलती करना और उससे सीखना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गलतियों को करने से ज्यादा जरुरी है कि हम उससे सबक लें और खुद को मजबूत बजाएं. विश्व प्रसिद्ध लेखिका - जे.के. राउलिंग की उस कथन को हमेशा याद रखें-"गलतियाँ हमें सिखाती हैं कि हम कैसे मजबूत बन सकते हैं।" 

अपने द्वारा हुई गलतियों से सबक लेकर उसे दूर करना और उस पर विजय प्राप्त करना सबसे जरुरी है और परफेक्ट होने का लक्षण भी है.  प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गलतियों के सन्दर्भ में कहना बिल्कुल सटीक था कि "अपनी गलतियों से सीखना ही सबसे बड़ा शिक्षक है।" 

जानें क्या होता है H-1B वीजा: किन देशों को मिलती है लाभ, आवेदन प्रक्रिया आदि

 


h1b visa meaning: H-1B वीज़ा वास्तव में अमेरिका (U.S.) का एक वर्क वीज़ा है जो वहाँ की कंपनियों को यह अनुमति देता है कि वे विदेशी (non-US) देशों के पेशेवर लोगों को अपने यहाँ विशेषज्ञता वाले काम (Specialty Occupation) के लिए नियुक्त कर सकें। दूसरे   शब्दों में  आप कह सकते  कि H-1B वीज़ा एक अमेरिकी जॉब पासपोर्ट है, जिसमें अच्छे अवसर और उच्च वेतन तो हैं, लेकिन साथ में प्रतियोगिता, अनिश्चितता और नियोक्ता पर निर्भरता का जोखिम भी है।

जानें किन देशों को किन क्षेत्रों में मिलती  है H-1B वीज़ा

H-1B वीज़ा उन नौकरियों के लिए होता है जिनमें टेक्निकल, आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, रिसर्च, साइंस और मैनेजमेंट जैसे क्षेत्र शामिल होते हैं। आंकड़ों के अनुसार अमेरिका लगभग 70% से अधिक H-1B वीज़ा भारतीय IT और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को देता है जबकि हेल्थकेयर और टेक्निकल क्षेत्रों के लिए  फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, कनाडा को प्राप्त होता है इसके साथ ही रिसर्च, इंजीनियरिंग और साइंस क्षेत्रों में चीन को यह वीजा अमेरिका की और से दिया जाता है.  

trump h1b visa: H-1B वीज़ा का प्रयोग 

अपने ग्रोथ के लिए कम्पनियाँ इनोवेटिव माइंड को हायर करना चाहती है और जाहिर है की अमेरिकी कंपनियाँ भी विदेशी प्रोफेशनल्स को हायर करती हैं जब उन्हें skilled लोग अमेरिका में आसानी से नहीं मिलते।

इसका सबसे ज़्यादा उपयोग आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियाँ करती हैं। इसके अंतर्गत इस वीजा के तहत कर्मचारी अमेरिका में रहकर उस कंपनी के लिए काम करता है जिसने वीज़ा sponsor किया है।

H-1B वीज़ा के लाभ 

  • नौकरी का अवसर-khasभारत, चीन, फिलीपींस जैसे देशों के लाखों युवाओं को अमेरिका में काम का अवसर मिलता है।
  • नौकरी का अवसर-कई ऐसे देश हैं जिनमे रोजगार की कमी है और खासकर उन देशों में जहाँ बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है. रोजगार के सिमित संसाधन और बेरोजगारों की संख्या को देखते हुए भारत, चीन, फिलीपींस जैसे देशों के लाखों युवाओं को अमेरिका में काम का अवसर मिलता है।
  • अच्छा वेतन – कई सारे देशों में  काम की कमी के  अलावा अच्छे कंपनियों का आभाव होने के कारण अच्छा वेतन मिलना मुश्किल होता है. खासतौर पर जहाँ काम की कमी है वैसे में अच्छे वेतन की उम्मीद कैसे की जा सकती है.  जबकि अमेरिका में  भारत की तुलना में कई गुना ज़्यादा वेतन युवाओं को प्राप्त होता है।
  • ग्रीन कार्ड का रास्ता – H-1B को “dual intent” वीज़ा माना जाता है यानी अमेरिका में स्थायी निवास (Green Card) के लिए आवेदन किया जा सकता है।
  • करियर ग्रोथ – युवाओं को अमेरिका में काम करने से ग्लोबल एक्सपीरियंस और exposure मिलता हैजिसका लाभ उनके  भविष्य के करियर ग्रोथ में मिलता है ।

हालांकि H-1B वीज़ा के कई फायदे हैं जिनका लाभ सम्बंधित देशों  के साथ उन अमेरिकन कंपनियों को भी प्राप्त होती है. इसके साथ ही  H-1B वीज़ा के कई जोखिम भी हैं जिसका ध्यान रखना जरुरी है. 

आवेदन करने की क्या है आवशयकताएँ?:

आवेदन करने के लिए आपके पास  जरुरी दस्तावेज और फॉर्मेलिटी पूरा करना होता है और इसके लिए यह जरुरी है कि आप इन आवश्यकताएं को पूरा करते हैं-

विशेषज्ञता वाला व्यवसाय: नौकरी के लिए विशिष्ट ज्ञान का सैद्धांतिक और व्यावहारिक अनुप्रयोग आवश्यक है, आमतौर पर इसके लिए कम से कम स्नातक की डिग्री आवश्यक है।

नियोक्ता प्रायोजन: एक अमेरिकी नियोक्ता को विदेशी कर्मचारी को प्रायोजित करना होगा और अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) के पास एक याचिका दायर करनी होगी।

श्रम स्थिति आवेदन: नियोक्ता को श्रम विभाग के पास एक LCA दायर करना होगा, जिसमें यह प्रमाणित किया जाएगा कि H-1B कर्मचारी को प्रचलित वेतन या समान अनुभव और योग्यता वाले अन्य कर्मचारियों को दिए जाने वाले वास्तविक वेतन का भुगतान किया जाएगा।

जानें क्या होता है आवेदन प्रक्रिया:

पंजीकरण: नियोक्ता मार्च में H-1B लॉटरी के लिए पंजीकरण करते हैं, और यदि पंजीकरणों की संख्या वार्षिक सीमा से अधिक हो जाती है, तो USCIS एक यादृच्छिक चयन प्रक्रिया आयोजित करता है।

याचिका दाखिल करना: चयनित नियोक्ता USCIS के पास फॉर्म I-129 दाखिल करते हैं, जिसमें पात्रता का प्रमाण दिया जाता है।

USCIS अनुमोदन: USCIS याचिका की समीक्षा करता है और इसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने से पहले अतिरिक्त साक्ष्य का अनुरोध कर सकता है।

वीज़ा आवेदन: यदि स्वीकृति मिल जाती है, तो विदेशी कर्मचारी अमेरिकी दूतावास या वाणिज्य दूतावास में एच-1बी वीज़ा के लिए आवेदन करता है।

जानें क्या होता है एच-1बी, एच-1बी1 और ई-3 वीजा: किन देशों के लिए कौन सा वीजा है?



एच-1बी, एच-1बी1 और ई-3 वीजा वास्तव में अमेरिका (U.S.) का एक वर्क वीज़ा है जो वहाँ की कंपनियों को यह अनुमति देता है कि वे विदेशी (non-US) देशों के पेशेवर लोगों को अपने यहाँ विशेषज्ञता वाले काम (Specialty Occupation) के लिए नियुक्त कर सकें।  हालाँकि अलग-अलग देशों के लिए क्षेत्रों के अनुसार अमेरिका विभिन्न वीजा  को जारी करती हैऔर इस प्रकार से अलग अलग कैटगरी के अनुसार उन देश  के लोगों  सम्बंधित वीजा कैटगरी के लिए आवेदन करना होता है. 

एच-1बी

एच-1बी कार्यक्रम नियोक्ताओं को अमेरिका में गैर-आप्रवासी आधार पर विशिष्ट व्यवसायों में या विशिष्ट योग्यता और क्षमता वाले फैशन मॉडल के रूप में विदेशी कर्मचारियों को अस्थायी रूप से नियुक्त करने की अनुमति देता है। किसी विशिष्ट व्यवसाय के लिए विशिष्ट ज्ञान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक अनुप्रयोग और विशिष्ट विशेषज्ञता (जैसे, विज्ञान, चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, जैव प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक विशेषज्ञता, आदि) में स्नातक की डिग्री या समकक्ष की आवश्यकता होती है।

वर्तमान कानून उन योग्य विदेशी कर्मचारियों की वार्षिक संख्या को सीमित करते हैं जिन्हें वीज़ा जारी किया जा सकता है या अन्यथा एच-1बी दर्जा प्रदान किया जा सकता है, जिसमें एच-1बी उन्नत डिग्री छूट के तहत अतिरिक्त 20,000 शामिल हैं। एच-1बी सीमा, सीमा योग्यता और एच-1बी याचिकाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए, अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) की वेबसाइट देखें ।

 एच-1बी1

H-1B1 कार्यक्रम नियोक्ताओं को विशिष्ट व्यवसायों में गैर-आप्रवासी आधार पर चिली और सिंगापुर के विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में अस्थायी रूप से नियुक्त करने की अनुमति देता है। वर्तमान कानून H-1B1 वीज़ा जारी किए जा सकने वाले योग्य विदेशी कर्मचारियों की वार्षिक संख्या को 6,800 तक सीमित करते हैं, जिनमें से 1,400 चिली से और 5,400 सिंगापुर से हैं। H-1B1 सीमा, H-1B1 सीमा योग्यताओं और H-1B1 याचिकाओं के बारे में जानकारी के लिए, USCIS वेबसाइट या चिली और/या सिंगापुर के लिए विदेश विभाग की वेबसाइट के कांसुलर अनुभाग देखें।

ई-3

ई-3 कार्यक्रम नियोक्ताओं को विशिष्ट व्यवसायों में गैर-आप्रवासी आधार पर ऑस्ट्रेलिया के विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में अस्थायी रूप से नियुक्त करने की अनुमति देता है। वर्तमान कानून विशिष्ट व्यवसायों में अस्थायी कार्य चाहने वाले योग्य विदेशी कर्मचारियों की वार्षिक संख्या को 10,500 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों तक सीमित करता है जिन्हें ई-3 वीज़ा जारी किया जा सकता है। ई-3 सीमा, ई-3 सीमा योग्यता और ई-3 याचिकाओं के बारे में जानकारी के लिए, यूएससीआईएस वेबसाइट या ऑस्ट्रेलिया के विदेश विभाग की वेबसाइट के कांसुलर अनुभाग देखें।