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Sea Vigil 2022: भारत के सम्पूर्ण 7516 किलोमीटर के समुद्र तट की सुरक्षा को समर्पित, जानें खास बातें


सी विजिल -22: पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा और इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और अन्य ऐसे मंत्रालयों के साथ मिल कर समन्वयपूर्वक किया जा रहा है जिनका कार्य समुद्री गतिविधियों से संबंधित है।

'पैन-इंडिया' तटीय रक्षा अभ्यास 'सी विजिल -22' का तीसरा संस्करण दिनांक 15-16 नवंबर 2022 को आयोजित किया जाएगा। इस राष्ट्रीय स्तर के तटीय रक्षा अभ्यास की परिकल्पना 2018 में '26/11' के बाद से समुद्री सुरक्षा को पुख़्ता करने के लिए उठाए गए अनेक कदमों की पुष्टि करने के लिए की गई थी। तटीय सुरक्षा के तटीय रक्षा निर्माण ढांचे का एक प्रमुख अंग होने के नाते, 'सी विजिल' की अवधारणा पूरे भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र को सक्रिय करना और व्यापक तटीय रक्षा तंत्र का आकलन करना है।

यह अभ्यास पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा और इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और अन्य ऐसे मंत्रालयों के साथ मिल कर समन्वयपूर्वक किया जा रहा है जिनका कार्य समुद्री गतिविधियों से संबंधित है।

अभ्यास का पैमाना और वैचारिक विस्तार भौगोलिक सीमा, शामिल हितधारकों की संख्या, भाग लेने वाली इकाइयों की संख्या और प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों के दृष्टिकोण से अभूतपूर्व है। यह अभ्यास प्रमुख थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स) की ओर एक बिल्ड अप है, जिसे भारतीय नौसेना हर दो साल में आयोजित करती है। सी विजिल और ट्रोपेक्स एक साथ पूरे स्पेक्ट्रम में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कवर करेंगे। भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्तियां सी विजिल अभ्यास में भाग लेंगी। रक्षा मंत्रालय के अलावा इस अभ्यास के संचालन में गृह मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, सीमा शुल्क, और केंद्र/राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा भी मदद की जा रही है।

हालांकि तटीय राज्यों में नियमित रूप से छोटे पैमाने पर अभ्यास आयोजित किए जाते हैं जिसमें आसपास के प्रदेशों के बीच संयुक्त अभ्यास शामिल हैं, राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री सतर्कता अभ्यास का उद्देश्य एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करना है। यह समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा के क्षेत्र में हमारी तैयारियों का आकलन करने के लिए शीर्ष स्तर पर अवसर प्रदान करता है। अभ्यास सी विजिल-22 हमारी ताकत और कमजोरियों का वास्तविक मूल्यांकन प्रदान करेगा एवं इस प्रकार समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने में मदद करेगा।

क्यूआरएसएएम का सफल परीक्षण किया: जाने क्या होता है क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल

QRSAM Missile Facts You Need to Know

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने ओडीशा तट के निकट एकीकृत परीक्षण क्षेत्र, चांदीपुर से क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली (क्यूआरएसएएम)की छह उड़ानों का सफल परीक्षण किया है। क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली का नयापन यह है कि वह चलित स्थिति में भी काम कर सकती है। इसमें थोड़ी सी देर रुककर तलाश, ट्रैकिंग और गोला-बारी करने की क्षमता है। पूर्व में इसका परीक्षण किया जा चुका है। ये उड़ान परीक्षण भारतीय सेना द्वारा किये जाने वाले मूल्यांकन परीक्षण का हिस्सा हैं।

उड़ान परीक्षण उच्च गति वाले लक्ष्यों पर किया गया था। ये लक्ष्य वास्तविक खतरे के प्रकार के बनाये गये थे, ताकि विभिन्न हालात में हथियार प्रणालियों की क्षमता का आकलन किया जा सके। इसमें लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य, छोटी रेंज वाले लक्ष्य, ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य, राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्य शामिल थे। इन सबको ध्यान में रखते हुये तेजी के साथ दो मिसाइल दागे गये। प्रणाली के काम करने का मूल्यांकन रात व दिन की परिस्थितियों में भी किया गया।

इन परीक्षणों के दौरान, सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी सटीकता के साथ भेदा गया। मूल्यांकन में हथियार प्रणाली और उसका उत्कृष्ट दिशा-निर्देश और नियंत्रण सटीक पाया गया। इसमें युद्धक सामग्री भी शामिल थी। प्रणाली के प्रदर्शन की पुष्टि आईटीआर द्वारा विकसित टेलीमेट्री, राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली से भी की गई। डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया।

ये परीक्षण स्वदेश में विकसित समस्त उप-प्रणालियों की तैनाती के तहत किया गया, जिसमें स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, मोबाइल लॉन्चर, पूरी तरह स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी और बहुपयोगी राडार शामिल है। क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली का नयापन यह है कि वह चलित स्थिति में भी काम कर सकती है। इसमें थोड़ी सी देर रुककर तलाश, ट्रैकिंग और गोला-बारी करने की क्षमता है। पूर्व में इसका परीक्षण किया जा चुका है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षणों के लिये डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने भरोसा जताया कि क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली सशस्त्र बलों की शक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी होगी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने सफल परीक्षणों से जुड़े दल को बधाई दी और कहा कि यह प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिये तैयार है।

भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" लद्दाख में स्थापित की जाएगी: Facts in Brief

India first Night Sky Sanctuary in Ladakh Facts in Brief

एस्ट्रो पर्यटन को बढ़ावा देने तथा ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे टेलिस्कोप के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक होने वाला भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" लद्दाख में स्थापित की जाएगी। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक विशिष्ट और अपनी तरह की पहली पहल के तहत लद्दाख में भारत की पहली "नाइट स्काई सैंक्चुअरी" स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस सैंक्चुअरी की स्थापना का कार्य अगले तीन महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। 

 केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर. के. माथुर के साथ मुलाकात करने के बाद  बताया कि केन्द्र शासित प्रशासन लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के बीच डार्क स्पेस रिजर्व की स्थापना के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

यह प्रस्तावित डार्क स्काई रिजर्व चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूप में लद्दाख के हनले में स्थापित किया जाएगा। इससे देश में एस्ट्रो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे टेलिस्कोप के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक होगा। 

सभी हितधारक संयुक्त रूप से अवांछित प्रकाश प्रदूषण और रोशनी से रात्रिकालीन आकाश के संरक्षण की दिशा में कार्य करेंगे, जो वैज्ञानिक अवलोकनों और प्राकृतिक आकाश की स्थिति के लिए एक गंभीर खतरा है। 

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हनले इस परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह लद्दाख के सबसे ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है और किसी भी प्रकार की मानवीय बाधाओं से दूर है और यहां पूरे साल आसमान साफ रहता है और शुष्क मौसम की स्थिति मौजूद रहती है। 

भारत-ओमान संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजफ IV: Facts in Brief

Indo Oman Military Exercise Al Najaf

भारत और ओमान के बीच आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजफ IV आज महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित हुआ । इस अभ्यास में स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर 'ध्रुव', ड्रोन और नई पीढ़ी की विभिन्न तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल भी शामिल था।   दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने संयुक्त रूप से सत्यापन अभ्यास में भाग लिया जिसमें मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे ।यह प्लाटून स्तर 13 दिनों का सैन्य अभ्यास था जिसका आरम्भ 1 अगस्त 2022 को शुरू हुआ था।

अल नजफ IV: Facts in Brief 

  • भारतीय दल मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की 18वीं बटालियन से था। 
  • ओमान की शाही सेना का प्रतिनिधित्व ओमान पैराशूट रेजिमेंट के सुल्तान ने किया था.
  • यह सैन्य अभ्यास तीन चरणों में आयोजित किया गया । 
  • कॉम्बैट कंडीशनिंग, साझा ड्रिल्स,मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे

इस अभ्यास का उद्देश्य अंतर-संचालनीयता प्राप्त करना और संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत आतंकवाद-रोधी माहौल में एक दूसरे को संचालन प्रक्रियाओं और युद्ध अभ्यास से परिचित कराना था । दोनों सेनाएं  उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम थीं । भारतीय दल मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की 18वीं बटालियन से था और ओमान की शाही सेना का प्रतिनिधित्व ओमान पैराशूट रेजिमेंट के सुल्तान ने किया था।

यह सैन्य अभ्यास तीन चरणों में आयोजित किया गया । पहला चरण भाग लेने वाली सैन्य टुकड़ियों के लिए हथियार, उपकरण और एक दूसरे के सामरिक अभ्यास के साथ अभिविन्यासित और परिचित होने का था । दूसरे चरण में कॉम्बैट कंडीशनिंग, साझा ड्रिल्स और उन्हें अभ्यास में लाने का था।

अंतिम चरण पहले दो चरणों के दौरान सीखे गए प्रमुख अभ्यासों और अवधारणाओं का 48 घंटे का सत्यापन अभ्यास था । दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने संयुक्त रूप से सत्यापन अभ्यास में भाग लिया जिसमें मोबाइल वेहिकल चेक पोस्ट की स्थापना, घेराबंदी और खोजबीन अभियान, हेलीबोर्न इंसर्शन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स और आतंकवाद-रोधी वातावरण में आईसीवी का प्रभावी इस्तेमाल शामिल थे । इस अभ्यास में स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर 'ध्रुव', ड्रोन और नई पीढ़ी की विभिन्न तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल भी शामिल था।

कुल मिलाकर यह सैन्य अभ्यास एक शानदार सफलता थी । दोनों सेनाओं ने एक अंतरराष्ट्रीय वातावरण में काउंटर टेररिस्ट, क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति रक्षा अभियानों के संबंध में मूल्यवान युद्ध अनुभव साझा किया । यह दोनों सेनाओं के बीच अंतःक्रियाशीलता सुनिश्चित करने, दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाने में हासिल किया गया एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

भारतीय नौसेना ने किया ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण: Facts in Brief

Extended Range Brahmos Misslle Facts in Brief

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए आज भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का लंबी दूरी तक जमीन पर सटीक हमले का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। 

भारतीय नौसेना ने 5 मार्च, 2022 को अपने युद्धपोत आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। मिसाइल ने एक लंबी रेंज के प्रक्षेप वक्र को पार करने के बाद अपने लक्ष्य पर सटीकता के साथ निशाना साधा और जटिल युद्धाभ्यास किया।

उल्लेखनीय है कि  ब्रह्मोस मिसाइल और आईएनएस चेन्नई दोनों का देश में ही निर्माण हुआ और इन्होंने अत्याधुनिक भारतीय मिसाइल तथा जहाज निर्माण कौशल का प्रदर्शन किया।

इससे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की पहलों में भारतीय नौसेना के योगदान को मजबूती मिलती है।

यह उपलब्धि भारतीय नौसेना की जरूरत पड़ने पर दूर से हमला करने और समुद्र से जमीन तक हमला करने की क्षमता को स्थापित करती है।

नौसैनिक अभ्यास मिलन-22: 26 पोत, 21 वायुयान और एक पनडुब्बी-Facts in Brief

Milan 22 Sea Phase Exercise Facts in Brief

मिलन-22 एक बहु-पक्षीय नौसैनिक अभ्यास है जो बंगाल की खाड़ी में आयोजित हुई।   1 मार्च, 2022 से बंगाल की खाड़ी में किए जा रहे इस बहु-पक्षीय नौसैनिक अभ्यास में कुल 26 पोत, 21 वायुयान और एक पनडुब्बी हिस्सा ले रहे हैं। यह समुद्री चरण 4 मार्च तक निर्धारित है और इसमें समुद्री ऑपरेशनों के सभी तीनों आयामों में उन्नत व जटिल अभ्यास शामिल हैं।

समुद्री चरण का अभ्यास शुरू करने से पहले प्री-सेल (समुद्री यात्रा से पूर्व) संयुक्त ब्रीफिंग की अध्यक्षता पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल संजय भल्ला ने की थी। इसमें मित्र देशों के सभी प्रतिभागी इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों, कमांडिंग अधिकारियों और नियोजन टीमों ने भी हिस्सा लिया।

मिलन के समुद्री चरण का उद्देश्य पारस्परिकता और समुद्री सहयोग को बढ़ाना तथा इसमें हिस्सा लेने वाली नौसेनाओं के बीच सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को साझा करना है। इसकी कार्यसूची में हथियार फायरिंग, नौ-कौशल का विकास, उन्नत पनडुब्बी-रोधी युद्ध अभ्यास, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर लैंडिंग, जटिल परिचालन परिदृश्यों का सतत अनुकरण और सामरिक युद्धाभ्यास शामिल हैं।

धर्म गार्जियन-2022: भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, जाने Facts in Brief

Dharma Guardian-2022 Indo Japan Exercise Facts in Brief
भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास "धर्म गार्जियन-2022" 27 फरवरी 2022 से 10 मार्च 2022 तक बेलगावी (बेलगाम, कर्नाटक) के फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आयोजित किया जाएगा। सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 एक वार्षिक अभ्यास कार्यक्रम है, जो साल 2018 से भारत में आयोजित किया जा रहा है। विशेष तौर पर, विभिन्न देशों के साथ भारत द्वारा किए गए सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों की श्रृंखला में, जापान के साथ अभ्यास "धर्म गार्जियन" वर्तमान वैश्विक परिस्थिति की पृष्ठभूमि में दोनों देशों द्वारा सामना की जाने वाली सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में निर्णायक और अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

इस अभ्यास के दौरान जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में जंगी कार्रवाई पर प्लाटून स्तर का संयुक्त प्रशिक्षण भी आयोजित किया जा रहा है।

 भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 15वीं बटालियन और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (जेजीएसडीएफ) की 30वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के अनुभवी सैनिक इस वर्ष अभ्यास में भाग ले रहे हैं ताकि जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में विभिन्न कौशलों की योजना तथा निष्पादन अंतर-संचालन बढ़ाने के लिए युद्धक कार्रवाई के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा किया जा सके। 

जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज की टुकड़ी 25 फरवरी 2022 को अभ्यास स्थल पर पहुंची, जहां भारतीय सैनिकों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

 12 दिनों तक चलने वाले संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास में हाउस इंटरवेंशन ड्रिल, अर्ध शहरी इलाकों में आतंकवादी ठिकानों पर छापेमारी, प्राथमिक उपचार, बिना हथियार के मुकाबला करना और क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट फायरिंग अभ्यास शामिल हैं, जहां दोनों पक्ष संयुक्त रूप से संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए अच्छी तरह से विकसित सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला के दौरान प्रशिक्षण, योजना निर्माण और क्रियान्वयन करेंगे।

संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास, संयुक्त युद्ध चर्चा और संयुक्त प्रदर्शन का समापन 08 और 09 मार्च 2022 को निर्धारित दो दिवसीय वैलीडेशन एक्सरसाइज के साथ होगा। वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए सामरिक कौशल को बढ़ाने तथा बलों के बीच अंतर-संचालन बढ़ाने और एक सेना से दूसरी सेना के संबंधों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

"एक्सरसाइज धर्म गार्जियन" से भारतीय सेना तथा जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के बीच रक्षा सहयोग का स्तर बढ़ेगा, जो बदले में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा।

राफेल विमान हुआ भारतीय वायु सेना में शामिल: Facts-in brief

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पहले पांच राफेल विमान वायु सेना स्टेशन, अंबाला पहुंचे हैं। विमानों ने 27 जुलाई 2020 की सुबह दसौं एविएशन फैसिलिटी, मेरिग्नैक, फ्रांस से उड़ान भरी और आज दोपहर भारत पहुंचे। यात्रा के दौरान विमान, संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रुके थे।

यात्रा की योजना दो चरणों में तैयार की गई थी और इसे भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा संचालित किया गया था। विमानों ने फ्रांस से भारत तक लगभग 8500 किमी की दूरी तय की। 

उड़ान के पहले चरण में साढ़े सात घंटे में 5800 किमी की दूरी तय की गयी। फ्रांसीसी वायु सेना (एफएएफ) के टैंकर ने उड़ान के दौरान समर्पित एयर-टू-एयर ईंधन भरने की सुविधा दी। 2700 किमी से अधिक दूरी की उड़ान के दूसरे चरण में, वायुसेना के टैंकर द्वारा एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया।

 भारतीय वायु सेना, समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए फ्रांस सरकार और फ्रांस के उद्योग द्वारा दिए गए सक्रिय समर्थन की सराहना करती है। उड़ान के दौरान फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा दी गयी टैंकर सुविधा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे लंबी उड़ान सफलतापूर्वक और समयबद्ध तरीके से पूरी हुई।

विमान 17 स्क्वाड्रन, "गोल्डन एरो" के हिस्से के रूप में शामिल होंगे, जिसे 10 सितंबर 19 को पुनर्गठित किया गया था। स्क्वाड्रन को मूल रूप से वायु सेना स्टेशन, अंबाला में 01 अक्टूबर 1951 को स्थापित किया गया था। कई उपलब्धियां ऐसी हैं जो पहली बार 17 स्क्वाड्रन के द्वारा हासिल की गयी हैं; इसे 1955 में पहला जेट फाइटर, डी हैविलैंड वैम्पायर मिला। अगस्त 1957 में, स्क्वाड्रन एक स्वेप्ट विंग लड़ाकू विमान, हॉकर हंटर में परिवर्तित होने वाला पहला स्क्वाड्रन बना।

17 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल करने का औपचारिक समारोह अगस्त 2020 के दूसरे पक्ष में आयोजित किया जायेगा। समारोह का विवरण नियत समय पर सूचित किया जाएगा।