मोदी 3.0: मिलिये उन पूर्व मुख्यमंत्रियों से जो अब टीम मोदी के हिस्सा हैं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इतिहास रच दिया जब उन्होंने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में वापसी किया है। प्रधान मंत्री के रूप मे तीसरी बार शपथ लेने के साथ हीं अब वे जवाहरलाल नेहरू के बाद या कारनामा करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बन गए। आज मंत्री पद के लिए शपथ लेने वाले नेताओं मे सबसे बड़ी खासियत यह रही कि लगभग 6 ऐसे मंत्री जिन्होंने शपथ लिया वे अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जैसे राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, एचडी कुमारस्वामी, सर्बानंद सोनोवाल और जीतन राम मांझी।

उल्लेखनीय है कि आज से शुरू होने वाले मोदी 3.0 मंत्रिमंडल मे एनडीए के सहयोगी पार्टियों जिनमे शामिल हैं चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू, चिराग पासवान की एलजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना और जयंत चौधरी की आरएलडी। इन दलों से भी आज की मंत्रियों ने शपथ लिया।

मिलिये उन मुख्यमंत्रियों से जिन्होंने अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री पद पूर्व मे सफलता पूर्वक संभाला और अब से मोदी 3.0 मे मंत्री पद का शपथ लिए हैं।

  

राजनाथ सिंह: लखनऊ, उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं। पिछली केन्द्रीय सरकार मे वे रक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं।  

  • राज्य-उत्तर प्रदेश
  • मुख्यमंत्री काल- 2000 से 2002 तक
  • क्रम 19वां
  • पार्टी-भाजपा

 

शिवराज सिंह चौहान (विदिशा मध्य प्रदेश से भाजपा सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- मध्य प्रदेश
  • मुख्यमंत्री काल- 2005 से 2018 तक और फिर 2020 से 2023
  • पार्टी-भाजपा

 





मनोहर लाल खट्टर: करनाल, हरियाणा से भाजपा के रूप मे चुनकर आए हैं।


  • राज्य- हरियाणा
  • मुख्यमंत्री काल- 2014 से मार्च 2024 तक
  • क्रम 10वां
  • पार्टी-भाजपा

 





सर्बानंद सोनोवाल: डिब्रूगढ़, असम से भाजपा के सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- असम
  • मुख्यमंत्री काल- 2016 से 2021 तक
  • क्रम 14 वां
  • पार्टी- भाजपा

 



एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक से मंड्या से जेडी(एस) के संसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- कर्नाटक
  • मुख्यमंत्री काल- 2006 से 2007 और 2018 से 2019 तक
  • पार्टी- जेडी(एस

जीतन राम मांझी:  वह बिहार के गया संसदीय क्षेत्र से हम पार्टी कि टिकट पर साँसद चुनकर आए हैं।

  • राज्य- बिहार
  • मुख्यमंत्री काल- 2014 से फरवरी 2015
  • क्रम 23 वां
  • पार्टी- भाजपा

 

Point Of View: नेहरू के बाद लगातार तीन कार्यकाल हासिल करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी


2024 के लोकसभा चुनावों के हाल मे हुए एग्जिट पोल साफ संकेत देते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल करने के लिए तैयार हैं। लगभग सभी न्यूज चैनल कि आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यह साफ है कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 350 से अधिक सीटें जीतने का अनुमान है और इसके साथ ही एक बार फिर से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी देश के नेतृत्व के लिए तैयार हैं। यह जीत इस मायने मे एतिहासिक होगी क्योंकि  यह जीत मोदी को जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन कार्यकाल हासिल करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बना देगी।

अब जबकि अंतिम राउंड का चुनाव बाकी है, राजनीतिक दलों के नेतागण अपने मन के मुताबिक आंकड़ों की व्याख्या करते हुए अपने दल की जीत को संभव बनाने में लगे हैं। हाल ही में अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर किए गए हमले के बावजूद, I.N.D.I.A गठबंधन इस तथ्य से परिचित है कि देश की जनता उसके नेताओं पर आसानी से भरोसा करने वाली नहीं है। अरविंद केजरीवाल का बीजेपी पर ताजा हमला शायद ही भारत के लोगों को समझ आएगा क्योंकि 2024 में आम चुनाव के मद्देनजर नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विपक्ष द्वारा शुरू किए गए सभी प्रयासों के बावजूद, भ्रष्टाचार और छवि पर लोगों पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है। सच तो यह है कि वर्तमान मे I.N.D.I.A के तहत आने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एकजुट रहने की मजबूरी है और इन नेताओं के पास मोदी को हराने के लिए एक छत्र के नीचे रहने का कोई अन्य विकल्प नहीं है, हालांकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि मोदी को हराने के लिए रास्ता इतना आसान भी नहीं है।

करिश्मा और आत्मविश्वास:

नरेंद्र मोदी का करिश्मा और आत्मविश्वास उन्हें लोगों के बीच पसंदीदा बनाता है। उनकी भाषा, उनकी भाषण की क्षमता, और उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता है। न केवल भारत के लोग, बल्कि बाकी दुनिया भी इस तथ्य को जानती है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत विशेषताएं राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ प्रतिबद्धता हैं, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। विपक्षी नेता भी तथ्यों से परिचित हैं, लेकिन खुले तौर पर स्वीकार करने में रुचि नहीं रखते, क्योंकि यह उनके विपक्षी धर्म की मजबूरी है। राष्ट्रीय हित में किसी भी चीज़ के प्रति मोदी का निडर दृष्टिकोण और भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को किसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं है।

कठिन निर्णय लेने की क्षमता:

मोदी ने कई महत्वपूर्ण और कठिन निर्णय लिए हैं, जैसे कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे विषयों पर। उनकी निर्णय लेने की क्षमता उन्हें राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में मजबूत करती है। सच तो यह है कि देश की जनता ने इस बात को आत्मसात कर लिया है कि एक नेता के तौर पर वह हमेशा अपने विरोधियों से कई कदम आगे रहते हैं और यही वजह है जो उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करती है।

तकनीकी उन्नति:

मोदी सरकार ने तकनीकी उन्नति को महत्व दिया है और इसे अपने कार्यकाल में बढ़ावा दिया है। उनके डिजिटल भारत अभियान, आधार, और डिजिटल वित्तीय सेवाएं आदि इस दिशा में प्रमुख उपाय हैं।  हालाँकि, नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम चुनाव 2024 के लिए विपक्षी गठबंधन के भविष्य की निश्चित रूप से भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, खासकर विशिष्ट राजनीतिक घटनाओं या चुनाव परिणामों के संबंध में।

2024 के आम चुनाव में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसी भी विपक्षी गठबंधन की सफलता या भविष्य राजनीतिक गतिशीलता, क्षेत्रीय गतिशीलता, सार्वजनिक भावना, पार्टी रणनीतियों और प्रत्येक पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए विशिष्ट उम्मीदवारों जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगा।

चुनाव में सत्तारूढ़ दल के प्रभुत्व को चुनौती देने में विपक्षी गठबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे अपने समर्थन आधार को मजबूत करने, संसाधनों को एकत्रित करने और मौजूदा पार्टी के खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करने के उद्देश्य से विभिन्न राजनीतिक दलों को एकजुट करने की कोशिश कर सकते हैं।

ऐसे गठबंधन संभावित रूप से अपनी चुनावी ताकत को मिलाकर विपक्ष की सफलता की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।

हालाँकि, विपक्षी गठबंधन की सफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। इनमें गठबंधन के भीतर एकता बनाए रखने की क्षमता, भाग लेने वाले दलों के बीच परस्पर विरोधी विचारधाराओं या हितों को संबोधित करना, मतदाताओं तक अपने एजेंडे और नीतियों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना और जमीन पर समर्थन जुटाना शामिल है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक परिदृश्य गतिशील है, और नए घटनाक्रम चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। आर्थिक स्थिति, सार्वजनिक भावना, क्षेत्रीय गतिशीलता और विशिष्ट अभियान रणनीति जैसे कारक चुनाव के नतीजे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

हालाँकि, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए इंतजार करना और देखना उचित होगा, भारतीय राजनीति में नवीनतम घटनाओं पर अपडेट रहना उचित होगा।

Exit Poll 2024: एग्जिट पोल क्या है, कैसे सम्पन्न होते हैं और कितनी होती है इसकी सटीकता?

What is exit poll and how it is analysed

एग्जिट पोल मतदाताओं के मतदान केंद्रों से बाहर निकलने के तुरंत बाद लिए गए सर्वेक्षण होते हैं। इनका उपयोग चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करने, यह समझने के लिए किया जाता है कि लोगों ने जिस तरह से मतदान किया, मतदान किन मुद्दों पर किया और क्या है मतदाताओं से संबंधित जनसांख्यिकीय डेटा। उन आंकड़ों को एकत्र करना और फिर उनका विश्लेषण कर के फिर अंतिम रूप से आँकड़े तैयार किए जाते हैं।  

एग्जिट पोल एक काफी व्यापक प्रक्रिया होती है और इसके सटीकता के लिए काफी सफाई और प्रोफेशनल तरीके से इन्हे कन्डक्ट किया जाता है। इस पर विस्तृत जानकारी यहाँ दी गई है-

सर्वेक्षण की रूपरेखा: 

यह एग्जिट पोल प्रक्रिया सबसे पहली चरण होती है जिसमें संबंधित एजेंसी एक प्रश्नावली बनाते हैं जिसमें मतदाता ने चुनाव में किसे चुना, उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी जैसे आयु, लिंग, जाति, आदि क्या है  और प्रमुख मुद्दों पर उनकी राय के बारे में प्रश्न शामिल होते हैं। 

नमूनाकरण योजना: 

इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि सर्वेक्षण के परिणाम समग्र मतदान आबादी को दर्शाते हैं साथ ही मतदान केंद्रों का एक प्रतिनिधि नमूना के लिए चुना जाता है। इस नमूने को अक्सर विविध भौगोलिक क्षेत्रों और समुदायों के प्रकारों को शामिल करने के लिए वर्गीकृत किया जाता है। 

मतदान केंद्रों का चयन: 

मतदान केंद्रों का चयन भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि की सारे फैक्टर जैसे मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकी और भूगोल आदि का अध्ययन करने के बाद इनका निर्धारण किया जाता है। इसका लक्ष्य शहरी, उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापक और प्रतिनिधि मिश्रण को कवर करना है। 

साक्षात्कारकर्ताओं को प्रशिक्षित करना:

साक्षात्कारकर्ताओं का प्रोफेशनल और विद्वान होना जरूरी है क्योंकि उन्हे मतदाताओं से लगातार और गैर-हस्तक्षेपपूर्ण तरीके से संपर्क कर प्रश्न कर उनकी सटीकता के साथ उनका विचार जानना जरूरी होता है। इसके लिए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि उच्च प्रतिक्रिया दर और सटीक डेटा संग्रह सुनिश्चित किया जा सके। उन्हें पूर्वाग्रह से बचने के लिए सर्वेक्षण के लिए यादृच्छिक रूप से मतदाताओं का चयन करने के तरीके के बारे में निर्देश दिया जाता है।

सर्वेक्षण का संचालन करना:

चुनाव के दिन, साक्षात्कारकर्ता खुद को चयनित मतदान केंद्रों के बाहर रखते हैं और मतदाताओं के बाहर निकलते ही यादृच्छिक रूप से उनसे संपर्क करते हैं। वे आमतौर पर एक व्यवस्थित यादृच्छिक नमूनाकरण पद्धति का उपयोग करते हैं, जैसे कि हर मतदाता से संपर्क करना।

मतदाताओं को सर्वेक्षण को गुमनाम रूप से पूरा करने के लिए कहा जाता है, जो सेटअप के आधार पर कागज पर या इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जा सकता है।

डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना:

फिर एकत्रित किए गए आंकड़ों को जमा कर उनका अध्ययन भी काफी जरूरी चरण होता है। पूरे किए गए सर्वेक्षणों को एकत्र किया जाता है और डेटा प्रविष्टि और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय स्थान पर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में कागजी सर्वेक्षणों के लिए मैन्युअल प्रविष्टि या डिजिटल सर्वेक्षणों के लिए सीधे इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण शामिल हो सकते हैं।

मतदाता डेटा को तौलने के लिए सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हैं, किसी भी नमूना पूर्वाग्रह को ठीक करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि नमूना व्यापक मतदान आबादी को सटीक रूप से दर्शाता है।

मतदान के लिए समायोजन:

मतदाता वास्तविक मतदाता मतदान के आधार पर अपने मॉडल को समायोजित करते हैं, जो प्रारंभिक नमूने की प्रतिनिधित्व क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसमें जनसांख्यिकीय समूह द्वारा ज्ञात मतदान पैटर्न के साथ संरेखित करने के लिए सर्वेक्षण डेटा को फिर से भारित करना शामिल हो सकता है।

परिणाम जारी करना:

एग्जिट पोल के प्रारंभिक परिणाम अक्सर मतदान बंद होने के तुरंत बाद उपलब्ध होते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम को प्रभावित करने से बचने के लिए आमतौर पर सभी मतदान केंद्रों के बंद होने तक उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

अंतिम परिणाम और विस्तृत विश्लेषण बाद में जारी किए जाते हैं, जो मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकीय रुझान और मतदाता प्रेरणाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

एग्जिट पोल चुनावों को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं, लेकिन वे अचूक नहीं हैं। वे गैर-प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह, गलत नमूनाकरण और उत्तरदाताओं की अपनी वास्तविक मतदान पसंद का खुलासा करने की अनिच्छा जैसे कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, जब सख्ती से आयोजित किया जाता है, तो एग्जिट पोल चुनावी परिणामों और मतदाता व्यवहार के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।


Exit Poll 2024: क्या होता है एग्जिट पोल और क्या होती है इसकी प्रामाणिकता क्या है?


एग्जिट पोल एक प्रकार का सर्वेक्षण है जो मतदान या चुनाव के अंतिम फेज कि समाप्ति के बाद किया जाता है। वास्तव मे एग्जिट पोल मतदाताओं के मतदान केंद्रों से बाहर निकलने के तुरंत बाद उनके साथ किया जाने वाले सर्वेक्षण जिसका उद्देश्य चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना, मतदाता व्यवहार को समझना और मतदाताओं पर जनसांख्यिकीय डेटा एकत्र करना है।

एग्जिट पोल उद्देश्य: 

जाहिर है कि एग्जिट पोल का मुख्य उद्देश्य चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करना हीं होता है जो कि आधिकारिक परिणामों की घोषणा से कई घंटे पहले, रुझानों के बारे में एक प्रारंभिक संकेत देते हैं। 

एग्जिट पोल के अंतर्गत संबंधित एजेंसियाँ मतदाता व्यवहार को समझकर वे इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं कि लोगों ने जिस तरह से मतदान किया, उसमें प्रमुख मुद्दों और उम्मीदवार वरीयताओं पर उनकी राय शामिल है। 

मतदान पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए मतदाता मतदाताओं की जनसांख्यिकी, जैसे आयु, लिंग, जाति और सामाजिक आर्थिक स्थिति पर डेटा एकत्र करते हैं। इसके साथ ही मतदाताओं की पसंद, जनसांख्यिकीय जानकारी और राय पर प्रश्न पूछते  हैं। 

डेटा संग्रह एग्जिट पोल के लिए सबसे जरूरी कम्पोनेन्ट होता है जो  प्रशिक्षित साक्षात्कारकर्ता प्रतिभागियों द्वारा यादृच्छिक नमूनाकरण विधियों का उपयोग करके चयनित मतदान केंद्रों पर मतदाताओं से संपर्क करते हैं। इसके बाद प्राप्त डेटा का विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषित किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह व्यापक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है।

एग्जिट पोल की प्रामाणिकता

एग्जिट पोल कि प्रामाणिकता हमेशा से चर्चा का विषय रहा है क्योंकि अगर भारत के संदर्भ मे चुनाव परिणामों को देखी जाए तो कुछ एग्जिट पोल सटीकता मे वास्तविक परिणामों के काफी करीब होते हैं। लेकिन अधिकांश एग्जिट पोल के परिणाम वास्तविक परिणामों से काफी दूर भी होते हैं। 

प्रामाणिकता को प्रभावित करने वाले कारक:

नमूना सटीकता: 

चयनित मतदान केंद्रों की प्रतिनिधित्व क्षमता और मतदाता चयन प्रक्रिया की यादृच्छिकता सटीक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रतिक्रिया दर:

 उच्च प्रतिक्रिया दर सटीकता में सुधार करती है। यदि कुछ प्रकार के मतदाताओं के भाग लेने की संभावना कम है, तो कम प्रतिक्रिया दर पूर्वाग्रह ला सकती है।

प्रश्नावली डिजाइन: 

एक्सपर्ट द्वारा  तैयार किए गए प्रश्नावली भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं जो मतदाताओं से पूछे जाते हैं। प्रश्नों कि सटीकता और क्लेरिटी भी जरूरी होती है क्योंकि सत्य प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए स्पष्ट, निष्पक्ष प्रश्न हीं बेहतर परिणाम देने वाले होते हैं। 

भार और समायोजन: 

ज्ञात पूर्वाग्रहों और मतदान पैटर्न के लिए डेटा को समायोजित करने के लिए उचित सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए।

समयबद्धता और डेटा हैंडलिंग:

 परिणामों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए तेज़ और सटीक डेटा संग्रह और प्रसंस्करण आवश्यक है।

प्रामाणिकता के लिए चुनौतियाँ:

मतदाताओं का गैर-प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह होना :

 यदि मतदाताओं के कुछ समूहों द्वारा प्रतिक्रिया देने की संभावना कम है, या वे किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं  तो परिणाम विषम हो सकते हैं। ऐसी स्थिति मे एग्जिट पोल के परिणाम, वास्तविक परिणामों से काफी अलग हो सकते हैं। 

सामाजिक वांछनीयता पूर्वाग्रह: 

मतदाता हमेशा सत्य उत्तर नहीं दे सकते हैं, खासकर यदि उन्हें लगता है कि उनके विकल्पों को सामाजिक रूप से कलंकित किया जाता है। ऐसी स्थिति मे प्रतिनिधि का यह कर्तव्य है कि वह वास्तविकता कि करीब तक जाने कि कोशिश करें और मतदाताओं से यथार्थ जानने का प्रयत्न करें। 

मतदान विसंगतियाँ: 

एग्जिट पोल को अपने मॉडल को सही ढंग से समायोजित करने के लिए मतदाता मतदान का सटीक अनुमान लगाना चाहिए। गलत अनुमान लगाने से गलत भविष्यवाणियाँ हो सकती हैं।

हैदराबादी चिकन मसाला :अगर नॉनवेज खाने के शौकीन हैं तो घर पर करें ट्राई

Hyderabadi Chicken Masala Method Ingredients and others

अगर आप नॉन वेज खाने के शौकीन हैं तो 
फिर यह खास डिश हैदराबादी चिकन रेसिपी खास तौर पर आपके लिए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि हैदराबाद अपने स्वादिष्ट चिकन व्यंजनों और बहुत कुछ के लिए बहुत प्रसिद्ध है। हैदराबादी चिकन मसाला करी' भी अलग नहीं है, मसाला करी में पकाया गया चिकन रसीला और रसदार होता है, मसालों से भरपूर होता है। हैदराबादी चिकन मसाला एक प्रसिद्ध और स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय डिश है जो चिकन को अद्वितीय मसालों के साथ बनाया जाता है।

 हैदराबादी चिकन मसाला करी'के लिए सीधी, आसानी से मिलने वाली सामग्री की आवश्यकता होती है और इसे बनाने मे  मुख्य रूप से एक ही बर्तन में पकाया जाता है, इसलिए सफाई करना भी आसान है। हैदराबादी व्यंजन कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि यह अपनी खाना पकाने की तकनीक और असामान्य मसाला मिश्रणों के लिए प्रसिद्ध है।

 यह साधारण चिकन करी वह सब और उससे भी अधिक का वादा करती है। इस रेसिपी को बड़ी मात्र मे भी पकाना आसान है, जिससे यह एक विशेष अवसर के लिए एकदम सही चॉइस हो सकती है खासकर तब जब अपने घर मे कोई छोटी से पार्टी का आयोजन कर रहे हैं।

यहाँ एक सरल विधि है जिससे आप इसे घर पर बना सकते हैं:

सामग्री:

  • चिकन (मुर्गा) - 500 ग्राम, मोटे टुकड़ों में कटा हुआ
  • प्याज़ - 2 मध्यम, कटा हुआ
  • टमाटर - 2 बड़े, पेस्ट किया हुआ
  • दही - 1/2 कप
  • तेल - 3-4 टेबल स्पून
  • अदरक लहसुन का पेस्ट - 1 टेबल स्पून
  • हरा धनिया (ताजा) - बारीक कटा हुआ, सजाने के लिए
  • हल्दी पाउडर - 1/2 चमच
  • लाल मिर्च पाउडर - 1 चमच
  • धनिया पाउडर - 1 चमच
  • गरम मसाला पाउडर - 1/2 चमच
  • नमक – स्वादानुसार
देखें विडिओ 

 ग्रेवी के लिए:

  • 2 बड़े प्याज, बारीक कटे हुए
  • अदरक, कद्दूकस किया हुआ
  • 4 लौंग
  • 4 काली इलायची
  • 2 दालचीनी की छड़ें
  • 1 स्टार ऐनीस
  • 3 हरी मिर्च, कटी हुई
  • 2 टेबलस्पून धनिया पाउडर
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1/4 छोटा चम्मच गरम मसाला
  • 1/4 कप कटे हुए धनिये के पत्ते
  • 2 कप पानी
  • नमक स्वादअनुसार
  • तेल

विधि:

एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर इसमें प्याज़ और अदरक लहसुन का पेस्ट डालें और उन्हें सुनहरा होने तक भूनें।

अब इसमें टमाटर पेस्ट डालें और अच्छे से मिला दें। फिर इसमें हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, और नमक डालें।

मसाले अच्छे से मिलाने के बाद दही डालें और उसे अच्छे से मिला दें।

अब इसमें कटा हुआ चिकन डालें और उसे मसाले में अच्छे से लपेट दें। इसे ढककर रखें और मीडियम आंच पर 10-12 मिनट तक पकाएं।

चिकन पकने के बाद उसमें गरम मसाला पाउडर और ताजा हरा धनिया डालें।

आपका हैदराबादी चिकन मसाला तैयार है। इसे गरमा गरम चावल या नान के साथ परोसें और मज़े करें।

ध्यान दें कि आप मसाले की मात्रा को अपने स्वादानुसार बढ़ाएं या घटाएं, और चिकन की पकाने की समय अनुसार उसे अच्छे से पकाएं ताकि वह नरम और जूसी हो।

Point Of View : संकटमोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें


Point Of View : भगवान  हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं।

संकट मोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें
यह सच है कि हमें अपने लक्ष्य को पाने की खातिर हर संभव प्रयासों को अपनाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। निरंतर प्रयास करते करते अगर आपको लगता है कि कुछ ब्रेक की जरूरत है तो इंस्पायर होने के लिए आप किसी भी अन्य महापुरुषों और व्यक्तित्व का अध्ययन कर सकते हैं क्योंकि यह न केवल मोटिवेट करेगा बल्कि आपको नई आज से सराबोर भी करेगा।

विशेषताएं
बल और बुद्धि:
हनुमान जी अपार बल और बुद्धि के धनी हैं। उन्हें असाधारण शक्ति और बुद्धिमानी का प्रतीक माना जाता है।
अजर-अमर:
वे अजर-अमर हैं, अर्थात उनका न तो कोई जन्म है और न ही कोई मृत्यु।
रामभक्ति:
 वे भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं और उन्होंने रामायण के दौरान उनकी सेवा की थी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान हनुमान अपने गुरु रामचंद्र के चरण कमलों के प्रति काफी समर्पित रहते हैं और इसलिए प्रभु राम को प्रसन्न करके भी लोग भगवान हनुमान को खुश और प्रसन्न करने के लिए मंदिरों और घरों मे पूजन आयोजित करते हैं।
 भगवान हनुमान की पूजा करने के दो तरीके हैं; पारंपरिक पूजा और हनुमान के गुणों का ध्यान।  

प्रमुख घटनाएं
लंकादहन: 
जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तब हनुमान जी ने लंका जाकर उसे जलाया था।
संजिवनी बूटी: 
लक्ष्मण जी के मूर्छित होने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए थे।
सुंदरकांड: 
रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी की वीरता और भक्ति का वर्णन है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान इस लोक मे तब तक  तक गुप्त रूप से पृथ्वी पर रहेंगे जब तक भगवान राम का नाम गाया जाएगा , महिमामंडित और स्मरण और पूजा किया जाएगा।
विशेष गुण
संकटमोचन: 
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है क्योंकि वे भक्तों के सभी संकटों का निवारण करते हैं।
अष्टसिद्धि और नव निधि: 
उन्हें अष्टसिद्धि (आठ प्रकार की सिद्धियाँ) और नव निधि (नौ प्रकार की धन) का वरदान प्राप्त है।

लेकिन याद रखें दोस्तों, अपने लक्ष्य को पाने के लिए जिस डिटरमिनेशन या इच्छा शक्ति की जरूरत है, उसे आपको अपने अंदर ही तलाश करनी होगी। इच्छा शक्ति अगर महबूत है तो फिर आपको इंस्पायर होने की जरूरत काम पड़ेगी, क्योंकि यह आपको थकने नही देगा।

प्रसिद्ध कवि जय शंकर प्रसाद की इन पंक्तियों को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लें " महाशक्तियों के बेग में रोड़े अटकाने से उनका बेग काम नहीभोता बल्कि वे दुगुने बेग से आगे बढ़ती हैं"

अपने इच्छाशक्ति को मजबूत बनाकर खुद को एक महाशक्ति के समान कठोर बना लें, फिर आपके और आपके लक्ष्य की बीच कोई बाधा टिक नहीं पाएगी।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।








T20 World Cup 2024: धुआँ धार बल्लेबाजी के रोमांचक किस्से -भारत-पाकिस्तान @2022

T20 World Cup nail biting finishes India-Pakistan 2022

बहुप्रतीक्षित टी20 विश्व कप 2024 1 जून, 2024 से शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम दुनिया भर में 20 अंतरराष्ट्रीय टीमों और उनके प्रशंसकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है । टी20 विश्व कप 2024 संयुक्त राज्य अमेरिका और वेस्टइंडीज में आयोजित किया जाना है जो नौ स्थानों पर अपनी मनमोहक और प्रभावशाली व्यवस्था से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देगा। 

यहां टी20 विश्व कप के इतिहास में अब तक हुए मैचों में से हम उन रोमांचक मुकाबलों के बारे मे बताएंगे जो कि धुआँ धार बल्लेबाजी या बाउलिंग के रोमांचक किस्सों के कारण स्वर्णिम मैच बन गए। ऐसा ही मैच 2022 मे भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ जिस रोमांचक मुकाबले मे भारत ने पाकिस्तान को मात दिया। 

 टी20 वर्ल्ड कप: भारत-पाकिस्तान @2022 

2022 में, भारत ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आखिरी गेंद पर रोमांचक मुकाबले में पाकिस्तान को हराकर सबसे यादगार फिनिश में से एक की पटकथा लिखी।

पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के खिलाफ 20.0 ओवर में 159/8 का शानदार स्कोर बनाया, जब शान मसूद ने 52 और हारिस रऊफ ने 6 रन का योगदान दिया। 

हालाँकि पाकिस्तान के लिए यह अच्छी शुरुआत नहीं रही और उसके दोनों सलामी बल्लेबाज, बाबर आज़म केवल शून्य और मोहम्मद रिज़वान केवल चार रन बनाकर लौट गए।  

यह मध्य क्रम था जिसने शान मसूद (42 गेंदों में 52 रन) और इफ्तिखार अहमद (34 गेंदों में 51 रन) के साथ उपयुक्त आधार प्रदर्शित करते हुए 160 रन का उचित लक्ष्य बनाया। शाहीन शाह अफरीदी ने 08 गेंदों में 16 रनों का योगदान दिया.

स्कोर का पीछा करने उतरी भारत ने भी अपनी पारी की शुरुआत कुछ आक्रामक अंदाज में की और केएल राहुल और रोहित शर्मा अपनी पारी में नाकाम रहे. केएल राहुल और रोहित शर्मा दोनों 04-04 रन बनाकर पवेलियन लौटे. 

लेकिन वह विराट कोहली ही थे जिन्होंने हार्दिक पंड्या (37 गेंदों पर 40 रन) की स्थिर पारी के साथ साझेदारी करके ठोस आधार प्रदान किया। उन्होंने उस मैच में भारत की उम्मीद बरकरार रखी जो भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ था। 

विराट कोहली ने अपनी शानदार पारी में 53 गेंदों में चार छक्के और छह चौकों की मदद से 82 रन बनाए. हार्दिक पंड्या ने 37 गेंदों में 40 रन बनाए और भारत के लक्ष्य का पीछा करने में कोहली को विश्वसनीय समर्थन प्रदान किया।

जब भारत को आखिरी तीन गेंदों पर 13 रन चाहिए थे, लेकिन मोहम्मद नवाज की एक नो बॉल ने मैच का रुख भारत के पक्ष में कर दिया। कोहली ने इस पर छक्का जड़ा और भारत के लक्ष्य को तीन गेंदों पर छह रनों तक पहुंचा दिया. 

अंततः रविचंद्रन अश्विन ने गेंद को मिड-ऑफ के ऊपर से उछाला और पाकिस्तान के खिलाफ इतिहास रचा और उस इतिहास को बरकरार रखा जिसने विश्व कप मैचों में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत जारी रखी।

Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा कब है और इसे क्यों मनाया जाता है?


Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष यह 23 मई, 2024  को मनाई जा रही है। बुद्ध पूर्णिमा खासतौर पर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का दिन है और इस कारण से इस महत्वपूर्ण दिवस का खास पहचान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है, इसका खास महत्व है।  यह भारतीय और बौद्ध कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को आता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में पड़ता है। 

किसी कवि ने गौतम बुद्ध के बारे मे क्या खूब लिखा है-
"गौतम के दूसरा गौतम नहीं हुआ,
निकले  तो बेशुमार हैं घरबार  छोड़कर "

बुद्ध पूर्णिमा  केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। यह हमें सिखाता है कि हम कैसे अच्छे जीवन जी सकते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं। 
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और  इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।

बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति

 बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई।

गौतम बुद्ध का जन्म:

गौतम बुद्ध का जन, 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को  नेपाल के लुंबिनी, शाक्य राज्य  में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय 'कुशनारा' था। 

 बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ था, जो आगे चलकर गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए। उनके जन्म को एक दिव्य घटना के रूप में माना जाता है। कहते हैं कि उनके जन्म के समय उनके शरीर पर 32 शुभ लक्षण थे, जो उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में दर्शाते थे।

ज्ञान प्राप्ति: 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था।बुद्ध पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गौतम बुद्ध को बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह घटना उन्हें 'बुद्ध' (जाग्रत) बना देती है, और इसके बाद उन्होंने अपने ज्ञान को लोगों के साथ साझा किया।

महापरिनिर्वाण:

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व तीसरे कारण से भी है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (वर्तमान में उत्तर प्रदेश, भारत) में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था, जो उनके जीवन के अंतिम क्षणों को दर्शाता है।

पूर्णिमा को जन्म लेने वाले व्यक्ति होते हैं ईमानदार, उदार, यशस्वी, गुरु और पिता का विशेष स्थान

 हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का खास महत्व है, जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है। एस्ट्रोलॉजी के अनुसार अलग-अलग तिथियों को जन्म लेने  वाले व्यक्तियों में खास लक्षण और गुण  पाए जाते हैं और उसमे अगर आप पूर्णिमा की महत्त्व को देखेंगे तो हिन्दू पंचांग के अनुसार इसका अलग स्थान होता है. गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा सहित अन्य पूर्णिमा है जिनके स्थान होता है. स्वाभाविक है कि पूर्णिमा को जन्म लेने वाले लोग भी खास गुणों से परिपूर्ण होते हैं. 
जैसा कि आप जानते हैं कि पंचांग के अनुसार एकम या प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक कुल 15 तिथियां और अमावस्या होती है. इन अलग-अलग तिथियों को जन्म लेने वाले जातकों की अलग-अलग विशेषता होती है जो उनके व्यवहार से लेकर उनका व्यक्तित्व, सोच, स्वास्थय और विभिन्न गुणों को प्रदर्शित करता है. आज हम बात करेंगे विख्यात कुंडलीशास्त्र, नुमेरोलॉजिस्ट और मोटिवेटर हिमांशु  रंजन शेखर से कि  पूर्णिमा तिथि को जन्म लेने वाले जातकों की क्या होती विशेषता। 

उदार प्रवृति : 

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि  ऐसे लोग अपने जीवन में काफी उदार प्रवृत्ति वाले होते हैं ऐसे लोग दूसरों के मनोभावों को और भावनाओं को काफी अच्छी तरह समझते हैं.  यह लोग अपने संबंधी या आपने आसपास के लोगों को हमेशा सुखी  देखना चाहते हैं और उनके सुख दुख में हमेशा साथ रहते हैं वह कभी भी अपने संबंधियों के वह हमेशा वह हमेशा अपने संबंधियों और अपने दोस्तों की आवश्यकता के समय उपलब्ध रहते हैं. 

जानें किस दिन को जन्म लेने वाले लोग होते हैं रोमांटिक और अपने पार्टनर के प्रति केयरिंग

भगवान में विशेष अनुरक्ति 

 पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक भगवान में अत्यधिक विश्वास करने वाले होते हैं और उनका ऐसा मान्यता है कि ईश्वर हमेशा उनके लिए उपलब्ध रहते हैं. ईश्वर की  भक्ति और पूजा-पाठ उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा होती है और उनका यह मान्यता है की ईश्वर होता है जो  किसी भी संकट या कष्ट में वह मदद करता है. ऐसे विश्वास का कारण भी होता क्योंकि  ये लोग अपने कार्यो को  अंजाम तक पहुंचाने के दौरान भी ईश्वर को नहीं भूल सकते हैं. 

गुरु/पिता का विशेष स्थान:

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातकों में अपने  गुरु और पिता के प्रति विशेष अनुरक्ति देखी  जाती है. जीवन में किसी भी उपलब्धि या विशेष अवसरों पर  ऐसे लोग अपने पिता और अपने गुरु को विशेष तौर पर याद करना  हैं और सारा श्रेय उन्हें हीं देना पसंद करते हैं. उनका ऐसा मान्यता है कि जीवन में पिता  और टीचर  के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और जीवन में वाे इनके  प्रति वे काफी अनुराग दिखाते हैं और अपना पथ प्रदर्शक और मोटीवेटर मानते हैं.

वचन के पक्के: 

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातकों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह वचन के काफी  पक्के होते हैं. उनके लिए उनके द्वारा किया गया कोई भी वादा या वचन अपने जीवन से काफी जरूरी है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं. उनके लिए  अपने द्वारा दिया गया कोई भी वचन या किया गया वादा को हर हाल में पूरा किया जाना और  ऐसे लोग ईमानदारी के साथ उसे पूरा करने की कोशिश भी करते हैं. 

यशस्वी और प्रभावशाली:

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक काफी यशस्वी और प्रभावशाली होते हैं जो जीवन में काफी प्रभाव छोड़ने में सफल  रहते हैं. ऐसे लोग अपने कर्मों और अपने सोच की वजह से जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं साथ ही दुनिया को रोशनी भी दिखाने का काम करते हैं. उन्हें जो भी काम जीवन में मिलती है वे लोग उसे काफी तल्लीनता के साथ करना पसंद करते हैं.

ईमानदारी: 

ईमानदारी पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले लोगों का सबसे प्रमुख विशेषता होती है जीवन जीने के लिए ऐसे लोग ईमानदारी को काफी तवज्जो देते  हैं और जीवन में आगे बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण यही होती है कि वे अपने जीवन के  हर क्षेत्र   में  चाहे वह इनके निजी जीवन  हो या परिवारिक जीवन हो सामाजिक जीवन हो या प्रोफेशनल फ्रंट,  हर जगह वह इमानदारी से अपने काम को अंजाम देते हैं,

Point Of View @ Budha Purnima: जानें गौतम बुद्ध के अनुसार-सत्य के राह पर चलने वाला मनुष्य कौन सी दो गलतियाँ करता है

 

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Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह खासतौर पर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का स्मरण करती है। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, 2024  को मनाई जा रही है।  हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है, इसका खास महत्व है। 

गौतम बुद्ध, जिन्हें "शांत" और "ज्ञानोदय" के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, जीवन जीने का एक अनूठा और गहन नजरिया प्रदान करते हैं।गौतम बुद्ध  कहते हैं, अगर आप जीवन में शांति और खुशी चाहते हैं तो कभी भी भूतकाल और भविष्य काल में न उलझें। वह कहते हाँ कि सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य जीवन में दो ही गलतियां कर सकता है- पहला या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता और दूसरा कि वह शुरुआत ही नहीं करता।

 बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में हमेशा लोगों को अहिंसा और करुणा की शिक्षा दी और आज भी यह सच है कि साथ ही गौतम बुद्ध के विचार और उपदेश हमें जीवन की हकीकत से रूबरू कराते हैं,उनकी शिक्षाएं, जिन्हें "धर्म" कहा जाता है, आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि 2500 साल पहले थीं।

बुद्ध से सीखने के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:

वर्तमान पर ध्यान दें: बुद्ध हमें वर्तमान क्षण में जीने का महत्व सिखाते हैं। अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंता में फंसने के बजाय, हमें वर्तमान क्षण की सुंदरता और संभावनाओं को स्वीकार करना चाहिए। भूतकाल पर ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो। 

अपने विचारों को संभालें: "आपके सबसे बड़े दुश्मन को भी उतना नुकसान नहीं पहुँचा सकता जितना कि आपके अपने असुरक्षित विचार।

करुणा और दया: बुद्ध की शिक्षाओं का केंद्र करुणा और दया है। हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए, चाहे वे कोई भी हों। घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है जो की एक प्राकृतिक सत्य है.

क्रोध से बचें: गौतम बुद्ध का कहना है कि क्रोध एक दण्ड है साथ  हीं क्रोध एक जहर  और आग है जो तुम्हें जला देगी। उनका कहना है कि क्रोध को हर प्रकार शमन किया जाना जरूरी है अगर जीवन मे शांति कि तलाश है। "किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं."

मन को वश में करें: गौतम बुद्ध  ने कहा है कि जिसने अपने मन को वश में कर लिया उसने शांति को प्राप्त कर लिया। इसके लिए सबसे जरूरी इस बात की  हैं कि  हम अपने मन को अपने वश मे करें जो कि संतोष के साथ जीने का अवसर प्रदान करती है। 

अपने कार्यों के प्रति जागरूक रहें:  "हम वही हैं जो बार-बार करते हैं। उत्कृष्टता तब एक क्रिया नहीं बल्कि एक आदत बन जाती है।"

खुद को जानो: बुद्ध ने हमें अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के बारे में जागरूक होने का महत्व सिखाया। उनका कहना है ki आत्म-जागरूकता से ही हम अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। स्वयं की विजय सबसे बड़ी विजय है। आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें, उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते.

सीखने की यात्रा पर रहें:  सीखने की कभी समाप्ति नहीं होती और यह जीवन का सतत प्रक्रिया है। उनका  कहना है कि  अज्ञानी व्यक्ति एक बैल के समान है वह ज्ञान में नहीं बल्कि आकार में बढ़ता है।

शांति का मार्ग अपनाएं: शांति अपने आप में नहीं आती है; यह उपलब्धि है जिसे बुद्धि, करुणा और साहस से प्राप्त किया जाना चाहिए। नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती. नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है. यह एक प्राकृतिक सत्य है.

बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में कैसे लागू करें:

  • ध्यान: ध्यान एकाग्रता और आत्म-जागरूकता विकसित करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  • सचेतता: अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के प्रति सचेत रहने का प्रयास करें।
  • करुणा: दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनें।
  • मध्यम मार्ग: चरम सीमाओं से बचें और संतुलित जीवन जीने का प्रयास करें।
  • नैतिकता: सदाचारी जीवन जीने का प्रयास करें।
  • गौतम बुद्ध की शिक्षाएं हमें एक अधिक शांतिपूर्ण, खुशहाल और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
गौतम बुद्ध Quotes 

  • भविष्य के सपनों में मत खोओ और भूतकाल में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। -गौतम बुद्ध
  • शत्रुओं से बदला लेना चाहिए, न कि शत्रुओं को बदल देना चाहिए। - गौतम बुद्ध
  • क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।
  • अपने विचारों का मालिक बनो, न कि अपने विचारों के गुलाम। - गौतम बुद्ध
  • स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।गौतम बुद्ध
  • घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। गौतम बुद्ध
  • विवेकी पुरुष विचारों के परिणामों के आधार पर अपने कार्य को निर्णय करता है, और फिर कार्य करता है।-गौतम बुद्ध
  • बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन को शांत करता है, जैसे एक झील में पानी को शांत किया जा सकता है, ताकि अन्यत्र मछलियाँ तस्वीरें देख सकें।" - गौतम बुद्ध
  • वहीं जीत है, जो दूसरों को जीतता है।- 
  • किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं। -गौतम बुद्ध


Born on Monday: सोमवार को जन्में लोगों कि खूबियां जानकर आप भी हो जायेंगे हैरान, रखें ये नाम

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Born on Monday : सोमवार को जन्मे लोगों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे मेहनती होने के साथ ही जुझारू प्रवृति के होते हैं। इनके स्वामी मून अर्थात चन्द्रमा होता है और चंद्र का स्वाभाव शांत और शीतलता का होता है. इसके  अनुसार ही सोमवार को जन्म लेने वाले लोग शांत मस्तिष्क वाले होते है साथ ही संवेदनशील, दयालु, विनम्र, देखभाल करने वाले और मातृभाषा सहित अद्वितीय व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. ऐसे लोगों में दृढ़ संकल्प शक्ति होती है। एस्ट्रोलॉजी के अनुसार आप जानते हैं कि चन्द्र पृथ्वी के बहुत निकट होता है और यही कारण है कि सोमवार को पैदा हुए लोग तर्कसंगत रूप से भावनात्मक रूप से व्यवहार करते हैं और ऐसे व्यक्ति लगातार मिजाज प्रदर्शित करते हैं और इसलिए महत्वपूर्ण निर्णय लेना आसान नहीं होता है। प्रसिद्ध ज्योतिष और राशिफल विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर से आप सोमवार को जन्म लेने वाले लोगों के चरित्र, स्वास्थ्य, स्वभाव और बहुत कुछ के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा  एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत करीब है इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी पर बहुत प्रमुख है। ऐस्टरोलोजी के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है. यह ग्रह घरेलू जीवन, पारिवारिक संबंधों और आनुवंशिकी को नियंत्रित करता है। चंद्रमा को सोम देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे जीवन के सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है.


Born On Tuesday: होते हैं साहसी, जुझारू और जल्दी हार नही मानने वाले

सोमवार को जन्मे बच्चों के नाम 

हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार सोमवार को जन्मे लोगों के नाम अक्सर भगवान शिव से जुड़े होते हैं साथ ही सोमवार को चंद्रमा का दिन माना जाता है, और ऐसा मान्यता है कि चंद्रमा भगवान शिव का वाहन है। इसलिए, सोमवार को जन्मे लोगों के नाम अक्सर शिव के नामों या चंद्रमा से संबंधित नामों से लिए जाते हैं। हालाँकि किसी बच्चे के नाम रखने के पीछे बहुत सारे फैक्टर होते हैं जैसे कि राशि, नक्षत्र, धर्म, और परिवार की परंपराआदि. 

रविवार को हुआ है जन्म तो आप होंगे: दृढ इच्छा शक्ति के मालिक

सोमवार को  जन्म लेने वाले बच्चों के नामों के लिए कुछ लोकप्रिय नाम निम्न हो सकते हैं. इनके अलावा, सोमवार को जन्मे लोगों के लिए अन्य नाम भी चुने जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति का नाम उसके जन्म के समय के आधार पर भी रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति सुबह जल्दी पैदा होता है, तो उसे "उदय" या "प्रभात" जैसे नाम दिया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति शाम को पैदा होता है, तो उसे "शाम" या "सौरभ" जैसे नाम दिया जा सकता है।

लड़कों के लिए

  • शिव
  • शंकर
  • चंद्र
  • कार्तिकेय
  • उदय
  • दीप
  • प्रकाश
  • शांत
  • धीरज

लड़कियों के लिए

  • शिवांगी
  • चंद्रिका
  • उषा
  • दीप्ति
  • शीतल
  • शांति
  • प्रज्ञा
  • भावना
  • श्रद्धा

मेहनती के साथ ही जुझारू प्रवृति 

सोमवार को जन्मे लोग बहुत मेहनती होते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी भी शांति से रहना पसंद नहीं करते और हमेशा खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं। ऐसे लोग समय का सदुपयोग करने में काफी सक्रिय होते हैं और अगर ये अच्छी और सक्रिय प्रवृत्ति के स्वामी हों तो ऐसे लोग जीवन में कई कार्यों को सफलतापूर्वक अपने हाथ में लेकर उन्हें अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।

उच्च चरित्र के स्वामी 

सोमवार को जन्मे लोगों की यह विशेषता होती है कि ये उच्च चरित्र के होते हैं और ये अपने चरित्र का बहुत ध्यान रखते हैं। हालांकि जातक विपरीत और विपरीत स्वभाव को जीना पसंद करता है। वासना और भोग जैसे विषयों को ये गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी इनके लिए उच्च चरित्र हमेशा महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए ये आमतौर पर कोई समझौता पसंद नहीं करते हैं।

धार्मिक/सामाजिक कार्यों में सहभागी

 सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सामान्यतः धार्मिक प्रकृति के होते हैं, धार्मिक कार्यों एवं पूजा-पाठ में इनकी विशेष रुचि होती है. भले ही ये लंबे समय तक पूजा-पाठ में विश्वास नहीं रखते हों, लेकिन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में ये विशेष रुचि दिखाते हैं।

सुख-दुःख में समान भाव 

ऐसा व्यक्ति सुख हो या दुख दोनों ही स्थितियों में समान रहता है और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करता। सुख की स्थिति में भी ये प्राय: अपने को आडम्बर से दूर ही रखते हैं। साथ ही दु:ख या दुर्दशा की स्थिति में भी ये अपना सम्मान नहीं छोड़ते हैं और जल्दबाजी में किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं करते हैं।

स्वास्थ्य और व्यक्तित्व

ऐसे व्यक्तियों का चेहरा आमतौर पर गोल आकार का होता है। ऐसे लोगों को सेहत को लेकर सर्दी या जुकाम को लेकर विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत होगी। ऐसे लोग सर्दी या जुकाम के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें इससे खास परहेज करने की जरूरत होती है। हल्की सर्दी भी उन्हें परेशान करती है और उन्हें सर्दी या जुकाम हो सकता है। इसके साथ ही सोमवार को जन्में जातकों का शरीर वात और कफ से भरपूर होता है इसलिए इन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

उज्जवल निकम: Person in News-Facts in Brief

Ujjwal Nikam persons in news facts in brief

भाजपा ने वकील उज्ज्वल निकम को मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार चुना है।

  • श्री निकम 26/11 हमले के मामले में अभियोजक के रूप में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, जो देश भर में सबसे बड़े मामलों में से एक था। उज्जवल निकम 26/11 हमले के बाद पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे में सरकारी वकील थे।

मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र

महाराष्ट्र में स्थित मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और 20 मई, 2024 को मतदान होगा।

  • उज्जवल निकम ने अपना करियर जलगांव में जिला अभियोजक के रूप में शुरू किया। 30 साल के करियर में, उन्होंने 628 आजीवन कारावास और 37 मृत्युदंड की सजा दिलवाने मे सफलता प्राप्त किए हैं।

एक कानूनी करियर के रूप में, उज्ज्वल निकम के पास कई हाई-प्रोफाइल कार्य हैं, जिन्होंने उन्हें जीवन में सुर्खियों में रखा है।

  • 1997 में बॉलीवुड निर्माता और टी सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या का मामला।
  • भाजपा नेता प्रमोद महाजन की हत्या (2006)।
  • 1993 बम्बई बम विस्फोट

2016 में, उज्ज्वल निकम को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती कब है? जानिए सही तिथि, पूजन विधि और महत्व


Hanuman Jayanti
: हनुमान जयंती, जिसे हनुमान जन्मोत्सव भी कहा जाता है, चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मनाई जाती है। इस साल 23/24 अप्रैल, 2024 को यह पर्व पूरे धूम धाम से मनाई जाएगी। धर्मग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भगवान हनुमान अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं और भगवान श्री राम के प्रबल भक्त हैं। 

भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और देश भर में लोग हनुमान जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। आम तौर पर, त्योहार चैत्र माह (अप्रैल-मई) में मनाया जाता है। 

यदि आप भारत भूमि का भ्रमण करें, तो आपको अलग-अलग लोग अलग-अलग तरीकों से भगवान हनुमान की पूजा करते हुए पाएंगे। यह उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के रूप में सबसे अधिक मनाया जाता है।

भगवान हनुमान जी व्यक्तित्व कि विशालता और उनके अनगिनत कारनामों ने हमेशा से दुनिया भर के विद्वानों, विचारकों और पौराणिक कथाओं का केंद्र बिन्दु रहा है। 

भगवान हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं ।

हनुमान जयंती 2024: तिथि और समय

पूर्णिमा तिथि आरंभ - 23 अप्रैल, 2024 - 03:25 पूर्वाह्न

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 24 अप्रैल, 2024 - 05:18 पूर्वाह्न

हनुमान जयंती कैसे मनाएं? 

भगवान हनुमान केसरी और अंजना के पुत्र हैं और उनका जन्म नाम अंजनेय (अंजना का पुत्र) था, लेकिन जीवन भर उन्हें उनके वीरतापूर्ण कार्यों से प्राप्त नामों से संबोधित किया गया था। 

हनुमान जयंती पर सभी भक्तगन प्रभु हनुमान को पूजन करते हैं और उनकी प्रसन्नता के लिए हम भगवान हनुमान के शुभ जन्म की पूजा करते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के भक्ति कार्यक्रम आयोजन कि जाती है साथ ही प्रभु हनुमान की दिव्यता की पूजा करने के साथ ही उनकी बचपन की लीलाओं, वीरतापूर्ण कृत्यों को याद किया जाता है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान हनुमान अपने गुरु रामचंद्र के चरण कमलों के प्रति काफी समर्पित रहते हैं और इसलिए प्रभु राम को प्रसन्न करके भी लोग भगवान हनुमान को खुश और प्रसन्न करने के लिए मंदिरों और घरों मे पूजन आयोजित करते हैं। भगवान हनुमान की पूजा करने के दो तरीके हैं; पारंपरिक पूजा और हनुमान के गुणों का ध्यान।  

ऐसी मान्यता है कि भगवान इस लोक मे तब तक  तक गुप्त रूप से पृथ्वी पर रहेंगे जब तक भगवान राम का नाम गाया जाएगा , महिमामंडित और स्मरण और पूजा किया जाएगा।

हनुमान जयंती 2024: अनुष्ठान

  • सबसे पहले भक्तगन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें जो कि किसी भी पूजन के आरंभ के लिए प्राथमिक शर्त होती है ।
  •  पूजन स्थल पर या किसी भी पवित्र जगह पर भगवान हनुमान की मूर्ति रखें और देसी घी का दीया जलाएं।
  •  उसके उपरांत भगवान हनुमान के मूर्ति पर लाल फूल चढ़ाएं और हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का जाप करें।
  •  हनुमान मंदिर जाएं और भगवान हनुमान को चोला चढ़ाएं जिसमें - चमेली का तेल, वस्त्र और सिन्दूर शामिल हों।
  • ज्यादातर लोग घर में सुंदर कांड का पाठ कराते हैं।
  •  इस शुभ दिन पर रामायण का पाठ करना भी लाभकारी होता है।