भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मर्यादाओं का हमेशा पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मित्र थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इन मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया.
सच तो यह है कि इस उपनाम के माध्यम से भगवान राम की विशेषता और उनके जीवन में अनुसरण करने लायक आदर्शों को दर्शाने का प्रयास किया जाता है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम उनकी महानता के लिए दिया गया उपाधि है जिसमे पारिवारिक संबंधो की मर्यादा के साथ ही राजकीय और दोस्तों और यहाँ तक कि दुश्मनों के साथ भी मर्यादा के निर्वाह के लिए दिया जाता है. और यही वजह है कि भगवन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से पुकारा जाता है.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, जिनका सभी सम्बन्धो के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व
भगवान राम को "मर्यादा पुरुषोत्तम" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में धर्म, नैतिकता, और श्रेष्ठता की मर्यादा बनाए रखी। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, अपनी पतिव्रता पत्नी सीता के प्रति वफादारी दिखाई, और अपने भक्तों के प्रति सत्य, न्याय, और करुणा का प्रदर्शन किया।
भगवान राम को आदर्श पुत्र क्यों कहते हैं
अगर आप रामायण और रामचरित मानस का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि भगवन राम ने अपने पिता दशरथ के आदेश का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। वे जानते थे कि पिता का आदेश सदैव मानना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। इस प्रकार की मिसाल शायद हीं कहीं और मिलती है.
भगवान राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है
भगवान राम को आदर्श भाई क्यों कहते हैं?
भारत मिलाप और अपने भाइयों के प्रति प्रेम और अनुराग भगवन राम की अलग विशेषता है जो उन्हें सबसे अलग रखता है. भगवन राम ने अपने भाई भरत के प्रति कभी भी ईर्ष्या या घृणा का भाव नहीं रखा। वे भरत को अपना सच्चा भाई मानते थे और उनका हमेशा सम्मान करते थे।
भगवान राम को आदर्श पति क्यों कहते हैं?
मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी संबंधों को पूर्ण एवं उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाला प्रभु रामचंद्र के चरित्र के समान दूसरा कोई चरित्र नहीं है। और जहाँ तक आदर्श पति का सवाल है, राम ने अपनी पत्नी सीता के प्रति हमेशा प्रेम और सम्मान का भाव रखा। वे सीता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार थे।
भगवान राम को आदर्श राजा क्यों कहते हैं?
राम के राज्य में राजनीति स्वार्थ से प्रेरित ना होकर प्रजा की भलाई के लिए थी। इसमें अधिनायकवाद की छाया मात्र भी नहीं थी। राम ने अपने राज्य में हमेशा न्याय और धर्म का पालन किया। वे प्रजा के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
भगवान राम आदर्श मित्र कैसे हैं?
श्री रामचंद्र जी निष्काम और अनासक्त भाव से राज्य करते थे। उनमें कर्तव्य परायणता थी और वे मर्यादा के अनुरूप आचरण करते थे। राम ने अपने दोस्तों सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि के प्रति हमेशा निष्ठा और समर्पण का भाव रखा। उन्होंने अपने दोस्तों की हर समय मदद की।
भगवान राम की विशेषता हैं ये खास 16 गुण
भगवान राम के मर्यादा और उनके विशेष गुणों को लेकर जो छवि प्रत्येक हिंदुओं में बसी है वह किसी लेखनी की मोहताज नहीं है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान राम को भगवान विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन एक मर्यादा में रहकर व्यतीत किया.
भगवान राम जी के चरित्र की कई ऐसी विशेषताएं हैं जो उन्हें लोगों का आदर्श बनाती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रभु राम 16 गुणों से युक्त थे जो उनको मर्यादा पुरुषोतम बनाते हैं और हम सभी उनके इन गुणों को अपनाकर अपना जीवन बना सकते हैं-
जानते हैं भगवान राम के चरित्र मे कौन-कौन से 16 गुण हैं जो हमें अपनानी चाहिए .
- गुणवान (योग्य और कुशल)
- किसी की निंदा न करने वाला (प्रशंसक, सकारात्मक)
- धर्मज्ञ (धर्म का ज्ञान रखने वाला)
- कृतज्ञ (आभारी या आभार जताने वाला विनम्रता)
- सत्य (सत्य बोलने वाला और सच्चा)
- दृढ़प्रतिज्ञ (प्रतिज्ञा पर अटल रहने वाला, दृढ़ निश्चयी )
- सदाचारी (धर्मात्मा, पुण्यात्मा और अच्छे आचरण वाला, आदर्श चरित्र)
- सभी प्राणियों का रक्षक (सहयोगी)
- विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)
- सामर्थशाली (सभी का विश्वास और समर्थन पाने वाला समर्थवान)
- प्रियदर्शन (सुंदर मुख वाला)
- मन पर अधिकार रखने वाला (जितेंद्रीय)
- क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)
- कांतिमान (चमकदार शरीर वाला और अच्छा व्यक्तित्व)
- वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
- युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें : (वीर, साहसी, धनुर्धारि, असत्य का विरोधी)