साल्हेर किला: जिसका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया, जाने इतिहास और विशेषता

Salher Fort history significance how to go facts in brief

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 124 वें संस्करण मे कुल 12 किलों का चर्चा किया है जिसे  UNESCO ने World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है। UNESCO ने जिन 12 मराठा किलों को World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है, उनमे शामिल है सलहेर या साल्हेर किला (Salher Fort) का किला। आइए जानते हैं कि सलहेर के का क्या है विशेषता जिसके कारण UNESCO ने इसे World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है। 

साल्हेर किला (Salher Fort) महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थल है। सलहेर किला" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह महाराष्ट्र के नासिक जिले की सतना तहसील के सलहेर गाँव के पास स्थित है। 

किला सह्याद्री पर्वतमाला में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 5,141 फीट (1,567 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे महाराष्ट्र का सबसे ऊँचा किला बनाता है। 

साल्हेर किला महाराष्ट्र के नासिक जिले के बगलान तालुका में साल्हेर गाँव के पास स्थित एक ऐतिहासिक किला है । यह किला समुद्र तल से 1,567 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। साल्हेर किला साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के लिए एक लोकप्रिय स्थल है।

1671 में यह किला महाराजा शिवाजी के नेतृत्व में था। 1672 में मुगलों ने इस किले पर हमला किया और यह लड़ाई मराठों ने जीत ली।

प्राचीन समय में यह किला शिलाहार वंश के अधीन था लेकिन 17वीं शताब्दी में यह किला शिवाजी महाराज के अधीन आया। साल्हेर किला खास तौर पर  ऐतिहासिक रूप से मराठा साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य के बीच संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा है।

1672 ई. में इस किले पर मराठों और मुगलों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध हुआ जिसे "साल्हेर का युद्ध" कहा जाता है। यह युद्ध मराठों की पहली बड़ी विजय थी जिसमें उन्होंने मुगलों को हराया।

किला न केवल एक ऐतिहासिक गाथा का प्रतीक है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक अनुभव का संगम भी है। यह स्थान इतिहास, ट्रेकिंग और प्राकृतिक दृश्यों में रुचि रखने वालों के लिए एक आदर्श स्थल है।


सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स: Facts In Brief

Suchindram Theroor Wetland Facts In Brief

Suchindram Theroor Wetland:
सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी कंजर्वेशन रिजर्व का हिस्सा है। इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया है और यह प्रवासी पक्षियों के मध्य एशियाई फ्लाईवे के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।

इसे पक्षियों के घोंसले के लिए बनाया गया था और यह हर साल हजारों पक्षियों को आकर्षित करता है। थेरूर पर निर्भर कुल जनसंख्या लगभग 10,500 है और इस जनसंख्या की 75 प्रतिशत आजीविका कृषि पर टिकी है जो बदले में थेरूर जलाशय से निकलने वाले पानी पर निर्भर है।

पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी हैं, 12 स्थानिक हैं, और चार खतरे में हैं। कम से कम 183 पौधों और जानवरों की प्रजातियों की उपस्थिति जलाशयों को पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण मंच और चारागाह प्रदान करने में सक्षम बनाती है

यह एक मानव निर्मित, अंतर्देशीय जलाशय है और बारहमासी है। 9वीं शताब्दी के तांबे की प्लेट के शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है। 

इस क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी, 12 स्थानिक और 4 विलुप्‍त होने की कगार पर हैं.

प्रजातियों की गणना

जिला वन अधिकारी एवं वन्यजीव वार्डन, कन्याकुमारी जिला के वेबसाइट के अनुसार सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स में  प्रजातियों की गणना इस प्रकार से है-

क्रम संख्याश्रेणीसंख्या
1पक्षी की संख्या135
2मछलियों का वर्ग16
3पौधे112
4स्तनधारी की संख्या10
5सरीसृप और उभयचर30
6ऑर्थ्रोपोड75

तंपारा झील-ओडिशा

मुख्य विशेषताएँ

चारों ओर फैली कृषि भूमि जैसे धान के खेत, नारियल के बाग, केले के पेड़ आदि, सिंचाई के लिए आर्द्रभूमि परिसर पर निर्भर हैं। यह संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए घोंसले के शिकार आवास प्रदान करता है। यह बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के साथ अंतर्राष्ट्रीय पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध है और मध्य एशियाई पक्षी प्रवासी मार्ग का हिस्सा है।

  • स्थान: तमिलनाडु, कन्याकुमारी जिला 
  • क्षेत्रफल: 94.229 हेक्टेयर 
  • संरक्षण: सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी संरक्षण रिजर्व का हिस्सा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित 
  • महत्व: महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र, मध्य एशियाई फ्लाईवे का दक्षिणी छोर, भूजल पुनर्भरण का स्रोत, बाढ़ नियंत्रण 
  • विशेषताएँ: दो मानव निर्मित जलाशय, थेरूर और सुचिन्द्रम, पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां

Idiom Hot Potato: जाने क्या होता है अर्थ, कैसे बनाएं वाक्य

Idioms Hot Potato meaning use

"हॉट पोटैटो" एक इडियम है, जिसका इस्तेमाल किसी ऐसी चीज़ के लिए किया जाता है, जिसे कोई नहीं चाहता है. यह अक्सर ऐसे मुद्दों या स्थितियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है,  "हॉट पोटैटो" एक बहुत ही आम इडियम है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के संदर्भों में किया जा सकता है. यह एक ऐसा इडियम है, जिसे हर कोई समझता है और इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है.

The phrase' a hot potato' can be understand as a delicate subject which people have different opinions and feel very emotional about. 

Example of use:  We should never ask about anyone's marital status. it can be a hot potato.

एक मुद्दा या प्रश्न जिसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है और बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं.   आप कह सकते हैं कि  विवादास्पद या जोखिम भरे होते हैं.एक समस्या या स्थिति जिससे निपटना कठिन है और बहुत अधिक असहमति का कारण बनती है

उदाहरण के लिए, अगर कोई पार्टी में किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना नहीं चाहता है, जिससे वह सहज नहीं महसूस करता है, तो वह कह सकता है कि वह "हॉट पोटैटो" से बच रहा है. या, अगर कोई कंपनी किसी ऐसे प्रोजेक्ट को नहीं लेना चाहती है, जो बहुत जोखिम भरा है, तो वह कह सकती है कि वह "हॉट पोटैटो" को नहीं पकड़ना चाहती है.

"हॉट पोटैटो" का इस्तेमाल अक्सर बच्चों के खेल में भी किया जाता है, जिसमें बच्चे एक-दूसरे को एक गर्म आलू पास करते हैं. जो बच्चा आलू पास करने से बचता है, वह खेल से बाहर हो जाता है. यह खेल लोगों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने और सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है.

Here are some examples of how to use the idiom "hot potato":

  • The abortion issue is a hot potato in American politics.
  • The company is trying to avoid taking on any more hot potatoes.
  • The teacher dropped the hot potato of discipline to the principal.
  • The two friends passed the hot potato of who would pay the bill back and forth.



Point Of View: सपने सभी देखते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही सपनों को हकीकत में बदलते हैं


Point Of View: 
मुश्किल और विपरीत परिस्थितियों मे अधीर हो जाना और धैर्य खोना एक सामान्य स्वभाव है और इससे हम अलग नहीं है। लेकिन यह भी एक साथ है कि धैर्य से अधिक मजबूत और कोई ताकत नहीं है और इसकी विशालता का अंदाज इससे हीं लगाया जा सकता है कि  यह हर तूफान को शांत कर सकता है।
धैर्य का जीवन में एक गहरा महत्व है और जीवन मे  सफलता के लिए यह सबसे जरूरी शर्त भी है। विश्वास करें, धैर्य हीं वह कुंजी है जिसके माध्यम से हम  असंभव के किसी भी दरवाजों को खोलने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह हमें कठिन परिस्थितियों में स्थिर रहने और सफलता की ओर अग्रसर रहने में सहायता करता है। 

जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम के अलावा भी हमें धैर्य और आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। आपका इस तथ्य को समझना होगा कि आजकल के कठिन और कम्पेटिटिव माहौल मे जहां सफलता आसान नहीं रहा गया है, हमें धैर्य और आत्मविश्वास को अपनाने कि नितांत जरूरत हैं। विंस्टन चर्चिल के उस कथन को आप हमेशा याद रखें जिसमें उन्होंने कहता था कि-"हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।"

धैर्य वह है जो हमें चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, भले ही परिणाम तुरंत न मिलें। यह हमें हार न मानने और प्रयास करते रहने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं आत्मविश्वास हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद करता है। यह हमें जोखिम लेने और नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।



 याद रखें तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हम अपने लाइफ में सफल हो सकते हैं और इसके लिए सबसे जरुरी फैक्टर हैं  आपके अंदर आत्मविश्वास और धैर्य का होना.

धैर्य का अर्थ हीं है अपने संघर्ष और लड़ाई मे हर परिस्थिति को स्वीकार करना और सही समय का इंतजार करना। क्योंकि किसी भी विपत्ति और असामान्य परिस्थिति मे हमारी व्यग्रता और उतावलापन हमारे द्वारा होने वाली गलतियों की संभावना को बढ़ायेगा जोकि हमारी लंबे लड़ाई को और भी कमजोर करती है। 

आप विश्वास कीजिए जिनके पास आत्मविश्वास है वह इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सफलता का मार्ग लेते हैं और इसके लिए सबसे जरूरी है  सकारात्मक और पॉजिटिविटी का होना.

दोस्तों विपरीत परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करने के लिए धैर्य  का होना बहुत जरूरी है पर यह याद रखें यह आपको अपने अंदर ही विकसित करनी होगी.  

किसी कवि की ये पंक्तियाँ आप को विपरीत परिस्थितियों में लड़ने में सार्थंक हो सकती है. 
वह पथ क्या पथिक परीक्षा क्या
जिस पथ में बिखरे शूल ना हो
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या 
यदि धाराएं प्रतिकूल ना हो. 


आप इतिहास के तमाम महापुरुषों की जीवन वृतांत को देखें तो यह साबित हो जाएगा की रातों-रात सफलता किसी को नहीं मिलती और यह भी उतना ही बड़ा सच है कि जिसने जितनी बड़ी सफलता हासिल किया है उसके मार्ग पर प्रकृति ने उतने ही कांटे और फूल बिछा कर रखे थे ऐसा नहीं है कि वे महापुरुषों और उन बाधाओं को देख अपने कदम वापस खींच लिए. 




तू रुख हवाओं का मोड़ दे,
हिम्मत की अपनी कलम उठा,
लोगों के भरम को तोड़ दे।
-नरेंद्र वर्मा

किसी भी कार्य को करने के बहुत सारे तरीके हो सकते हैं. और आपको भी अपने लिए तरीकों को चुनने की पूरी आजादी है. लेकिन यह याद रहें दोस्तों . अपने चुने गए तरीकों को जस्टिफाई करना भी आपको ही होगा. हाँ इसके लिए आप सफल महापुरुषों के अनुभवो और बताये गए रास्तों को आधार बना सकते हैं. 

विख्यात कवि/ साहित्यकार की उस कथन को याद करों दोस्तों..."महाशक्तियों के वेग में रोड़े अटकाने से उनके वेग कम नहीं होता बल्कि वो दुगुने वेग से आगे बढ़ती है." दोस्तों अब फैसला आपको करना है कि आप खुद का तुलना किसी मामूली शक्ति करते हैं या किसी महाशक्ति. अगर उत्तर महाशक्ति में है तो फिर याद रखें.आप इन बाधाओं को पार करने और निकलने के लिए दुगुने वेग से प्रयास करने वालों में से हैं. 
अक्सर ऐसा होता है कि अपनी राहों में मिलने वाले थोड़ी से चुनौतियों को हम बाधा का नाम देकर उससे परेशान हो जाते हैं कि हम खुद को परिस्थति के आगे विवश और लाचार समझने लगते हैं. पता नहीं हमें ऐसा क्यों लगता है कि परिस्थितियों का हमेशा हमारे पक्ष में हीं होनी चाहिए.

लेकिन क्या यह सच नहीं है दोस्तों कि परिस्थितियों हमेशा हमारे अनुकूल रहे हैं ऐसा नहीं करना चाहिए आखिर यह संसार सिर्फ हमारे लिए हीं तो नहीं बनी है. 

दोस्तों आपको आश्चर्य होगा के हम जिन बाधाओं और परिस्थितियों को अपनी सफलता के मार्ग का सबसे बाड़ा बाधा बताते हैं. सच्चाई तो यह है कि हम अपनी सफलता के मार्ग का बाधा खुद होते हैं. 

हमारी नेगेटिव सोच और खुद का अंदर पैदा किया गया नकारात्मक माइंडसेट प्रमुख बाधा होती है हमारी असफलता के पीछे….लेकिन हम दोष देते हैं उन परिस्थितियों और बाधाओं को. 
प्रमुख कोट्स:
  • "धैर्य ही शक्ति है। शांत रहकर आप किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।" - महात्मा गांधी
  • "आत्मविश्वास सफलता की पहली कुंजी है।" - स्वामी विवेकानंद
  • "अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।" - अननोद मॉरिल
  • "धैर्यवान व्यक्ति ही विजेता होता है।" - विलियम आर्थर वॉर्ड
  • "हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।" - विनस्टन चर्चिल
  • "धैर्य वह कुंजी है जो असंभव दरवाजों को भी खोल सकती है।"
  • "हर बड़ी उपलब्धि के पीछे धैर्य और निरंतर प्रयास छिपे होते हैं।"
  • "धैर्य रखने वालों को उनके सपने जरूर मिलते हैं, बस सही समय पर।"
  • "धैर्य का अर्थ है परिस्थिति को स्वीकार करना और सही समय का इंतजार करना।"
  • "जल्दी में सब कुछ खो सकता है, लेकिन धैर्य से हर चीज जीती जा सकती है।"
  • "धैर्य से अधिक मजबूत और कोई ताकत नहीं है। यह हर तूफान को शांत कर सकता है।"
  • "कठिन समय में धैर्यवान रहना, सच्ची ताकत का प्रतीक है।"
  • "एक बूँद की तरह गिरते रहो, समय आने पर पत्थर भी कट जाएगा।"
  • "धैर्य वह जड़ है, जिससे सफलता का वृक्ष फलता-फूलता है।"
  • "सपने देखने वाले कई होते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही अपने सपनों को हकीकत में बदलते हैं।"

कांवड़ यात्रा 2025: आस्था और भक्ति से सराबोर एक पवित्र तीर्थयात्रा, जानें महत्व, प्रकार और भी अन्य


कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रथाओं में से एक है जिसके अंतर्गत कांवड़िये (भक्त) गंगा नदी (आमतौर पर हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री से) से पवित्र जल लेकर निकटवर्ती शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा वह प्रथा है जिसमें लोग पवित्र नदी से पवित्र जल लेते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। शिवलिंग पर पवित्र जल चढ़ाने के पवित्र अभियान का हिस्सा बनने वाले कांवड़ यात्रियों को कांवड़िये कहा जाता है। वास्तव मे काँवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि यह एक आस्था और भक्ति से जुड़ा श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक भी है। 

वास्तव में, कांवड़ यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर है क्योंकि यह एक प्रकार की आध्यात्मिक यात्रा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है जो कांवड़ियों से उनकी इच्छाशक्ति की परीक्षा और भगवान शिव के प्रति उनके गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में मांग करती है।

भारत में सावन (श्रावण) के महीने में हरिद्वार, गौमुख, बैद्यनाथ, नीलकंठ, काशी विश्वनाथ आदि सभी प्रसिद्ध शिवलिंगों के दर्शन के लिए कांवड़ यात्रा विशेष रूप से मनाई जाती है। कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है और भक्तों द्वारा यात्रा करने के तरीके के आधार पर इसे मोटे तौर पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे डाक कांवड़, बैठी कांवड़, साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़ आदि। आपको यहाँ कांवड़ यात्रा, सावन में यह क्यों मनाई जाती है, और कांवड़ यात्रा के प्रकार आदि के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।

कांवड़ यात्रा क्या है?

कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जिसके तहत वे पवित्र जल उठाते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस पवित्र यात्रा को कांवड़ यात्रा के रूप में जाना जाता है, जिसके दौरान भक्त हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री या सुल्तानगंज जैसे स्थानों से गंगा नदी का पवित्र जल लाने के लिए अधिकतर पैदल यात्रा करते हैं। भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति के अनुसार, वे कांवड़ सजाते हैं, अर्थात वह उपकरण जिसके माध्यम से वे कांवड़ ले जाते हैं। लंबी दूरी तय करने के बाद, वे इसे स्थानीय या प्रसिद्ध शिव मंदिरों, विशेष रूप से झारखंड के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम (देवघर) या उत्तराखंड के नीलकंठ महादेव में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा क्यों मनाई जाती है?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र महीना सावन या श्रावण भगवान शिव की पूजा और पवित्र जल चढ़ाने का महीना है। पूरा सावन महीना भक्तों के लिए भगवान शिव की पूजा करने के लिए उपयुक्त है।



हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पी लिया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था (और नीलकंठ बन गए थे)। भक्त शिवलिंग को शीतलता प्रदान करने के लिए उस पर गंगा जल चढ़ाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अपनी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सावन में गंगा जल चढ़ाने से आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और पापों व पिछले कर्मों से मुक्ति मिलती है।

कांवड़ यात्रा के प्रकार:

भक्तों द्वारा की जाने वाली यात्रा के आधार पर कांवड़ यात्रा को मोटे तौर पर निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

डाक कांवड़

कांवड़ यात्रा का सबसे तेज़ रूप जिसमें भक्त गंगा स्रोत से मंदिर तक बिना रुके दौड़ते या जॉगिंग करते हैं और इसे कांवड़ यात्रा का एक कठिन मार्ग माना जाता है। यह कांवड़ यात्रा का कठिन मार्ग है जो आमतौर पर बिना सोए एक ही बार में किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र नदी से जल लेने के 24 घंटे के भीतर शिव को पवित्र जल अर्पित किया जाता है।

बैठी काँवर

बैठी काँवड़ की प्रथा के तहत, पूरी यात्रा के दौरान काँवर को कभी ज़मीन पर नहीं रखा जाता। भक्त इसे वैकल्पिक रूप से या कंधों का उपयोग करके ले जाते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करते हैं कि पवित्र नदी से काँवर उठाने के बाद यह ज़मीन को न छुए।

खड़ी काँवर

भक्तों के विश्राम के समय काँवर को सीधा खड़ा रखा जाता है और इसे गिरना या झुकना नहीं चाहिए—अगर ऐसा होता है तो इसे अशुभ माना जाता है।

झूला काँवर

झूला काँवर के अंतर्गत काँवर को कंधों पर संतुलित एक डंडे पर लटकाकर ले जाया जाता है। संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों सिरों पर जल के घड़े लटकाए जाते हैं।

संकल्प काँवर

संकल्प काँवर के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि भक्तों को पूर्ण उपवास की स्थिति में पवित्र जल अर्पित करना होता है। काँवरिये शिवलिंग पर जल अर्पित करने तक उपवास रखते थे।

साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़

यह कांवड़ यात्रा का आधुनिक रूप है जिसके अंतर्गत कांवड़िये लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए साइकिल, बाइक या यहां तक कि ट्रक का उपयोग करते हैं।

काँवड़ यात्रा के दौरान किन सावधानियों का पालन करना है जरूरी? 

अगर आप काँवड़ यात्रा पर जाने कि तैयार कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप कुछ सावधानियों को बरते और किसी किस्म कि लापरवाही से बचें। स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़ी सावधानियों के साथ है यह जरूरी है कि आप धार्मिक मर्यादा और अनुशासन का ध्यान रखें। इसके अतिरिक्त क्योंकि रात में काँवड़ यात्रा के साथ ही सड़क पर दूसरे वाहन और सवारी और गाड़ियों को भी गुजरना होता है इसलिए यह जरूरी है कि आप यातायात नियम का पालन करें और  रात में रिफ्लेक्टिव जैकेट पहन कर ही यात्रा करें। खाली पेट यात्रा न करें और हल्का और सात्त्विक भोजन करें साथ ही डिहाइड्रेशन से बचें तथा खूब पानी पिएं, नींबू पानी या ORS साथ रखें।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

सावन 2025 अंतिम सोमवार आज: जानें शिव को प्रिय क्यों है यह महीना और क्यों करते हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक?


Sawan 2025 Date Time Puja Muhurat:  आज अर्थात 5 अगस्त को सावन महीने का अंतिम सोमवार पड़ रहा है. वैसे तो सावन का प्रत्येक दिन भगवान शंकर को जलाभिषेक के लिए युपयुक्त माना जाता है लेकिन सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. ख़ासतौर पर सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है.
हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है जो पूर्ण रूप से  भगवान शिव को समर्पित होता है। भक्तजनों का ऐसा विश्वास है कि सावन के महीने मे भगवान शंकर का पूजन और जलाभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल अर्थात 2025 में चार सोमवार पड़ रहें हैं। तो आइए जानते हैं कि इस सावन मे  पहला सोमवार कब पड़ेगा और जानिए पहले सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त क्या है। 
सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और शिवभक्त सालभर से इस पवित्र महीने का इंतजार करते हैं। देवों के देव महादेव अर्थात भगवान शंकर और शिव के पूजन के लिए सावन का महिना सबसे पवित्र माना जाता है। वैसे तो सावन के इस पवित्र महीने का हर दिन सुख और  समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान शंकर से आशीर्वाद मांगने का दिन होता है, लेकिन सावन के सोमवार को भगवान शंकर के व्रत (सोमवार व्रत) के लिए विशेष अवसर माना जाता है।

क्यों करते हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक?

ऐसी मान्यता है कि इस महीने के दौरान भगवान शिव ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले घातक हलाहल विष का सेवन किया था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से कई दिव्य चीज़ें निकली थीं, लेकिन उनमें हलाहल भी शामिल था, जो एक ख़तरनाक ज़हर था। दुनिया को इसके प्रभाव से बचाने के लिए भगवान शिव ने ज़हर पी लिया और इसे अपने गले में रख लिया, जिससे ज़हर नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया।



ज़हर के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को गंगा जल अर्पित किया। माना जाता है कि यह दिव्य घटना श्रावण के महीने में हुई थी। इसलिए, यह महीना शिव भक्ति को समर्पित है और सावन के दौरान उनकी पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।कहा जाता है कि विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने शिव पर गंगा जल डाला और भक्ति का यह कार्य सावन के दौरान विशेष पूजा और उपवास के माध्यम से जारी रहता है। कहा जाता है कि भगवान शंकर ने उस हलाहल विष को अपने कंठ पर हीं रोककर उसके असर को खतम कर दिया था और इसलिए भगवान शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है। 

सावन सोमवार पूजा विधि (पूजा विधि)

हालांकि सावन के इस पवित्र महीने का हर दिन भगवन शंकर के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है और भक्तजन अपने सुख और  समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान शंकर से आशीर्वाद मांगने का दिन होता है, लेकिन सावन के सोमवार को भगवान शंकर के व्रत (सोमवार व्रत) के लिए विशेष अवसर माना जाता है।

सावन सोमवार पूजा के लिए सबसे जरूरी है कि खुद को पवित्र करें जिसमें शामिल है तन और मन से पवित्र होना। इसके लिए वैसे तो आप विभिन्न पूजा कि पुस्तकों से मदद ले सकते हैं, हालांकि आप निम्न स्टेप्स को अपनाकर सावन सोमवार का व्रत कर सकते हैं। 

  • सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान करें।
  • अपने घर के मंदिर को साफ करें और शिवलिंग पर गंगाजल मिला हुआ जल या दूध चढ़ाएं।
  • भगवान शिव को बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा, भस्म (पवित्र राख) और फल चढ़ाएं।
  • “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें या शिव चालीसा का पाठ करें।
  • पूरे दिन व्रत रखें और शाम को पूजा करने के बाद व्रत तोड़ें।
  • संभव हो तो नज़दीकी शिव मंदिर जाएँ।
 शिव पुराण के अनुसार  सावन के महीने में शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले भक्तजन को विशेष पुण्य मिलता है। इस महीने मे श्रद्धालु पवित्र जल को लेकर पैदल चलकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं।  शिव पुराण के अनुसार मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शंकर को शीतलता और प्रसन्न करने का माध्यम माना गया है। इसके साथ ही सावन के प्रत्येक सोमवार कि विशेष महता है और ऐसा करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


सावन 2025 अंतिम सोमवार आज: जाने क्यों चढ़ाते है शिवलिंग पर दूध और क्या है इसके पीछे मान्यता

Saavan 2023 why milk is offered to Shivling
आज अर्थात 5 अगस्त को सावन महीने का अंतिम सोमवार पड़ रहा है. वैसे तो सावन का प्रत्येक दिन भगवान शंकर को जलाभिषेक के लिए युपयुक्त माना जाता है लेकिन सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. ख़ासतौर पर सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है.सावन में जलाभिषेक का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर जल के साथ ही, दूध चढ़ाने की प्रथा कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इस प्रथा का पालन हिन्दू धर्म में किया जाता है, जहां शिवलिंग को महादेव शिव का प्रतीक माना जाता है। इस प्रतीक की पूजा और अर्चना मान्यताओं के अनुसार की जाती है।

दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने का मुख्य कारण मान्यता है कि दूध महादेव को प्रिय होता है और यह उन्हें प्रसन्न करने में सक्षम होता है। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का अन्य एक मान्यता है कि यह प्रतीक ग्रहणशीलता के रूप में काम करता है, अर्थात् शिवलिंग द्वारा दूध अदृश्य रूप से ग्रहण किया जाता है और महादेव को उसका प्रसाद मिलता है। इसके अलावा, दूध शिव की प्रकृति के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है, जिसे इस प्रतीक की पूजा में उपयोग किया जाता है।



शिवलिंग पर दूध का अन्य एक अर्थ संकेतिक हो सकता है। दूध को सफेद रंग का माना जाता है, जो शुद्धता, पवित्रता, और निर्मलता का प्रतीक हो सकता है। इस तरह, दूध को शिवलिंग पर चढ़ाकर, श्रद्धालुओं का अभिवादन किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि महादेव सभी दुःखों को दूर करें और अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें।

यह उल्लेखनीय है कि धार्मिक प्रथाओं के पीछे विशेषता और मान्यताओं का प्रभाव होता है और व्यक्ति के आस-पास के सांस्कृतिक संदर्भों पर भी निर्भर करता है। अलग-अलग समुदायों में इस प्रतीक की विशेषताएं और अर्थों में अंतर हो सकता है।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की प्रथा का मूल आधार धार्मिक और पौराणिक कथाओं में पाया जा सकता है। यह प्रथा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है और इसका मतलब भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं जो इस प्रथा को समझाते हैं:

शिव के प्रतीक के रूप में:

 शिवलिंग पौराणिक दृष्टिकोण से शिव की प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। इसे अभिवादन करके भक्ति और समर्पण का अभिप्रेत किया जाता है। दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्त अपनी पूजा और आराधना को शिव के प्रति समर्पित करता है और उनके श्रीमंत, स्नेही, और प्रसन्न होने की कामना करता है।

  • पहला सावन सोमवार व्रत 14 जुलाई, सोमवार
  • दूसरा सावन सोमवार व्रत 21 जुलाई, सोमवार
  • तीसरा सावन सोमवार व्रत 28 जुलाई, सोमवार
  • चौथा सावन सोमवार व्रत 4 अगस्त, सोमवार


पौराणिक कथाओं का महत्व: 

कई पौराणिक कथाओं में शिव को दूध का प्रिय भोग माना जाता है। इन कथाओं में दूध उनके प्रसन्नता और कृपा का प्रतीक होता है। इसलिए, भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं ताकि उन्हें आनंदित करें और उनकी मनोकामनाएं पूरी हों।



शिव के अनुयायों का परंपरागत रिवाज:

 दूध को शिव के लिए प्रिय भोग मानने और उनकी कृपा को प्राप्त करने की प्रथा शिव के भक्तों के बीच प्रचलित है। इसलिए, विशेष रूप से सावन महीने में शिवलिंग पर दूध की अर्पणा की जाती है, जब शिव भक्त अपने समर्पण और निष्ठा को दिखाते हैं।

यहां यह महत्वपूर्ण है कि धार्मिक प्रथाओं में भक्ति और समर्पण के भाव को महत्व दिया जाता है, और इन प्रतिष्ठानों का स्वरूप और महत्व व्यक्तिगत विश्वास और आचार्यों द्वारा सिद्धांतों पर निर्धारित किया जा सकता है।

International Friendship Day 2025: सच्चा दोस्त-मिलना मुश्किल है और मिला जाना सौभाग्य की बात


फ्रेंडशिप डे 2025  या  मित्रता दिवस हमारे दोस्तों के साथ हमारे संबंधों का जश्न मनाने के लिए समर्पित एक विशेष दिन है। भारत में  फ्रेंडशिप डे 2025  हर साल अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है। हालाँकि  फ्रेंडशिप डे 2025 पूरी दुनिया में मनाई जाती है , लेकिन हर देश में इसकी तिथि अलग-अलग हो सकती है। यह दिन दोस्तों के महत्व और हमारे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान और पहचान भी करता है।

फ्रेंडशिप डे का यह दिन खास तौर पर दोस्तों के लिए होता है और इसके लिए हम उनके प्रति आभार व्यक्त करने, रिश्तों को मज़बूत करने और दोस्ती से मिलने वाली खुशियों का जश्न मनाने का अवसर मनाते हैं।

सच्ची मित्रता के रिश्ते का वर्णन करने के लिए, हमें प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के उद्धरणों से परिचित होना चाहिए, जो इस प्रकार हैं - "विचारों में समानता ही व्यक्तियों के बीच मित्रता का आधार है।" मित्रता दिवस के अवसर पर मित्रता को परिभाषित करने वाला यह सर्वोत्तम उद्धरण है। 

विचार और हमारी प्रतिबद्धता ही मानवीय रिश्तों की नींव हैं, यह प्रेम के बंधन, साथ रहने के आनंद और सीमाओं, देशों और पृष्ठभूमियों से परे समर्थन और साथ के प्रति कृतज्ञता का जश्न मनाने के लिए एक विशेष श्रद्धांजलि है। आपसी सम्मान, विश्वास, समर्थन और साझा अनुभव इस रिश्ते की आधारशिला हैं।

इस दिन, लोग आमतौर पर उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, संदेश भेजते हैं और साथ में समय बिताते हैं, ये सभी मज़बूत और सहयोगी दोस्ती के महत्व को और मज़बूत करते हैं।

फ्रेंडशिप डे 2025: तिथि

ध्यान दें कि भारत में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है और इस साल यानी 2025 में साल का पहला रविवार 3 अगस्त को पड़ रहा है, इसलिए फ्रेंडशिप डे 5 अगस्त, 2025 को मनाया जाएगा।

फ्रेंडशिप डे का महत्व

दोस्ती का जश्न: यह उन दोस्तों का सम्मान और सराहना करने का दिन है जो हमारे जीवन में खुशी और अर्थ जोड़ते हैं।

रिश्तों को मज़बूत करना: मित्रता दिवस कृतज्ञता और स्नेह व्यक्त करके मौजूदा दोस्ती को मज़बूत करने का अवसर प्रदान करता है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान: विभिन्न संस्कृतियाँ मित्रता दिवस को अनूठी परंपराओं के साथ मनाती हैं, जिससे वैश्विक समुदाय और समझ की भावना को बढ़ावा मिलता है।

मानसिक स्वास्थ्य: मित्रता को पहचानना और उसका जश्न मनाना सामाजिक सहयोग नेटवर्क को मज़बूत करके मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

मित्रता के बारे में महत्वपूर्ण Quotes

  • अरस्तू: "मित्र क्या है? दो शरीरों में एक ही आत्मा निवास करती है।"
  • राल्फ वाल्डो इमर्सन: "मित्र होने का एकमात्र तरीका स्वयं मित्र होना है।"
  • अल्बर्ट कैमस: "मेरे आगे मत चलो... हो सकता है मैं पीछे न आऊँ। मेरे पीछे मत चलो... हो सकता है मैं नेतृत्व न करूँ। मेरे साथ चलो... बस मेरे मित्र बनो।"
  • हेलेन केलर: "मैं उजाले में अकेले चलने की बजाय अंधेरे में एक मित्र के साथ चलना पसंद करूँगी।"
  • ऑस्कर वाइल्ड: "अंततः, सभी संगति का बंधन, चाहे वह विवाह में हो या मित्रता में, बातचीत ही है।"
  • एल्बर्ट हबर्ड: "एक दोस्त वह होता है जो आपके बारे में सब कुछ जानता है और फिर भी आपसे प्यार करता है।"
  • सी.एस. लुईस: "दोस्ती उस पल पैदा होती है जब एक व्यक्ति दूसरे से कहता है, 'क्या! तुम भी? मुझे तो लगा था कि मैं ही अकेला हूँ।'"
  • महात्मा गांधी: "खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है दूसरों की सेवा में खुद को खो देना।"
  • मार्क ट्वेन: "अच्छे दोस्त, अच्छी किताबें और एक सुप्त अंतःकरण: यही आदर्श जीवन है।"
  • हेनरी डेविड थोरो: "दोस्ती की भाषा शब्द नहीं, बल्कि अर्थ हैं।"
  • वाल्टर विंचेल: एक सच्चा दोस्त वह होता है जो तब भी आपके साथ रहता है जब बाकी दुनिया चली जाती है।
  • वुडरो विल्सन: दोस्ती ही एकमात्र सीमेंट है जो दुनिया को एक साथ जोड़े रखेगी।
  • मैंडी हेल: दो चीजें जिनके पीछे आपको कभी नहीं भागना पड़ेगा: सच्चे दोस्त और सच्चा प्यार।
  • आयरिश कहावत: एक अच्छा दोस्त चार पत्ती वाले तिपतिया घास की तरह होता है; मिलना मुश्किल है और मिलना सौभाग्य की बात है।
  • एड कनिंघम: दोस्त वो दुर्लभ लोग होते हैं जो पूछते हैं कि हम कैसे हैं और फिर जवाब सुनने का इंतज़ार करते हैं।
  • जॉर्ज हर्बर्ट: सबसे अच्छा आईना एक पुराना दोस्त होता है।

ढाबा स्टाइल राजमा: परफेक्ट रेसिपी, मार्केट का स्वाद पाएं घर पर


ढाबा स्टाइल राजमा एक ऐसी रेसिपी है जो आपके खाने में ढाबे जैसा स्वाद लाती है। यहाँ बताए गए तरीके से आप ढाबा के राजमा वाले टेस्ट को घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना आसान है और इसे आप आधा घंटे में तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना जितना आसान है, खाने मे यह उतना ही जबरदस्त है। 

विश्वास  करें, आप इसके टेस्ट मे बाजार या ढाबा मे बजे राजमा का टेस्ट पाएंगे। इसे सही मसालों और धीमी आंच पर पकाकर बनाया जाता है। आइए जानते हैं इसकी परफेक्ट रेसिपी:



सामग्री:

राजमा: 1 कप (रातभर पानी में भिगोए हुए)

प्याज: 2 मध्यम (बारीक कटे हुए)

टमाटर: 3 बड़े (प्यूरी बना लें)

हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी हुई)

अदरक-लहसुन पेस्ट: 1 बड़ा चम्मच

घी या मक्खन: 3 बड़े चम्मच

तेल: 1 बड़ा चम्मच

जीरा: 1 छोटा चम्मच

हल्दी पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच

धनिया पाउडर: 1 छोटा चम्मच

लाल मिर्च पाउडर: 1 छोटा चम्मच

गरम मसाला: 1 छोटा चम्मच

कसूरी मेथी: 1 बड़ा चम्मच (भुनी और मसलकर)

नमक: स्वादानुसार

धनिया पत्ती: गार्निश के लिए

राजमा मसाला बनाने की विधि

1. राजमा उबालना:

भिगोए हुए राजमा को धोकर प्रेशर कुकर में डालें।

उसमें 4 कप पानी, 1/2 छोटा चम्मच नमक और एक चुटकी हल्दी डालें।

मध्यम आंच पर 4-5 सीटी आने तक पकाएं। (राजमा नरम होना चाहिए।)

2. मसाला बनाना:

एक कढ़ाई में तेल और घी गर्म करें।

इसमें जीरा डालें और चटकने दें।

बारीक कटी हुई प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें।

अदरक-लहसुन पेस्ट और हरी मिर्च डालें। भूनें जब तक खुशबू न आ जाए।

अब टमाटर की प्यूरी डालें और मसाले (हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर) डालकर अच्छे से भूनें।

मसाला तब तक पकाएं जब तक तेल अलग न होने लगे।

3. राजमा और मसाला मिलाना:

उबले हुए राजमा को मसाले में डालें।

साथ में राजमा का पानी (जिसमें उबाला था) डालें।

इसे धीमी आंच पर 15-20 मिनट तक पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें।

4. तड़का और गार्निश:

गरम मसाला और कसूरी मेथी डालें। अच्छे से मिलाएं।

2 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।

ऊपर से धनिया पत्ती से गार्निश करें।

सर्विंग टिप्स:

इसे चावल, तंदूरी रोटी या पराठे के साथ गरमा-गरम परोसें।

ऊपर से एक चम्मच मक्खन डालकर इसे और स्वादिष्ट बनाएं।


व्रत के लिए जरुरी मखाना मिठाई: स्वाद में लाजवाब और सेहत के लिहाज़ से फायदेमंद


जैसा कि हम सभी जानते हैं  कि व्रत के दिनों में कुछ हल्का, सात्विक और ऊर्जा देने वाला भोजन ज़रूरी होता है। मखाना मिठाई न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि उपवास के दौरान आपकी सेहत का भी ध्यान रखती है। ऐसे में मखाना से बनी मिठाई न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी बेहद फायदेमंद होती है। 

आज हम आपके साथ मखाना मिठाई (लड्डू या बर्फी) की व्रत विशेष रेसिपी बता  रहे हैं जो आप व्रत के दौरान अपने थाली में इसे शामिल कर सकते हैं। इसके सबसे बड़ा लाभ यह  होता है कि इसमें फाइबर की मात्रा होती है, जो पेट साफ रखने और कब्ज से राहत देने में मदद करता है।

 सामग्री (Ingredients): 

  • मखाने (फॉक्स नट्स) 2 कप
  • देसी घी 2-3 बड़े चम्मच
  • गुड़ (या शुद्ध मिश्री) 1 कप (कद्दूकस किया हुआ)
  • सूखा नारियल (वैकल्पिक) ¼ कप (कद्दूकस किया हुआ)
  • इलायची पाउडर ½ चम्मच
  • काजू/बादाम (कटा हुआ) 2-3 बड़े चम्मच
  • दूध (वैकल्पिक) 2 बड़े चम्मच



बनाने की विधि (Step-by-Step Recipe):

मखाने भूनना:

सबसे पहले एक कढ़ाही में 1 बड़ा चम्मच घी गर्म करें। उसमें मखाने डालकर धीमी आंच पर 7-8 मिनट तक कुरकुरे होने तक भूनें। भूनने के बाद ठंडा करके मिक्सी में दरदरा पीस लें। चाहें तो आधे मखाने दरदरे रखें और आधे पाउडर बना लें, इससे टेक्सचर अच्छा आएगा।


मखाना मिठाई गुड़ की चाशनी कैसे तैयार करें?

एक पैन में थोड़ा सा पानी डालकर गुड़ गर्म करें जब तक वह पूरी तरह पिघलकर चाशनी जैसा बन जाए। ध्यान रहे – चाशनी को ज़्यादा गाढ़ा न करें।

मखाना मिठाई मिश्रण कैसे तैयार करें?

अब कढ़ाही में थोड़ा घी गर्म करें और उसमें कटा हुआ नारियल, काजू-बादाम हल्का भूनें। फिर उसमें मखाना पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएं। अब इसमें गुड़ की चाशनी डालें और इलायची पाउडर मिलाएं।

सेट करना या लड्डू बनाना:

अगर आप बर्फी बनाना चाहते हैं: मिश्रण को एक घी लगी थाली में फैलाएं, ठंडा होने दें और मनचाहे आकार में काट लें।

अगर आप लड्डू बनाना चाहते हैं: मिश्रण हल्का गुनगुना रहते ही हाथों से लड्डू का आकार दें।

तमिलनाडु का चित्रांगुडी अभ्यारण्य: पक्षीप्रेमियों के लिए एक छिपा खज़ाना- Facts In Brief

Chitrangudi Bird Sanctuary Facts in Brief

चित्रांगुडी पक्षी अभ्‍यारण्य, जिसे स्थानीय रूप से "चित्रांगुडी कनमोली" के नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह रामेश्वरम और मन्नार की खाड़ी के करीब स्थित है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार स्थल बनाता है। यह अभ्यारण्य पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है जो पक्षियों और प्रकृति की तस्वीरें लेने वालों के लिए एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त यह अभ्यारण्य जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अद्भुत स्थल है।

 यह आर्द्रभूमि 1989 से एक संरक्षित क्षेत्र है और इसे पक्षी अभ्‍यारण्य के रूप में घोषित किया गया है, जो तमिलनाडु वन विभाग, रामनाथपुरम डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

चित्रांगुडी पक्षी अभ्‍यारण्य शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास है। स्‍थल से 30 परिवारों के लगभग 50 पक्षियों के उपस्थित होने की जानकारी मिली है। इनमें से 47 जल पक्षी और 3 स्थलीय पक्षी हैं। 

इस स्‍थल क्षेत्र से स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, लिटिल एग्रेट, ग्रे हेरॉन, लार्ज एग्रेट, ओपन बिल स्टॉर्क, पर्पल और पोंड हेरॉन जैसे उल्लेखनीय जलपक्षी देखे गए।

पाई जाने वाली पक्षी प्रजातियाँ

  • जलपक्षी: ग्रे पेलिकन, लिटिल कॉर्मोरेंट, स्पूनबिल, एग्रेट, पेंटेड स्टॉर्क।
  • प्रवासी पक्षी: फ्लेमिंगो, ग्रे हेरॉन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, सैंडपाइपर।
  • स्थानीय पक्षी: भारतीय बगुला, किंगफिशर, टर्न आदि।

 चित्रांगुडी कृषि क्षेत्रों से घिरा हुआ है, जहां साल भर विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। आर्द्रभूमि कई मछलियों, उभयचरों, मोलस्क, जलीय कीड़ों और उनके लार्वा का भी पालन करती है यह प्रवासी जलपक्षियों के लिए अच्छे भोजन स्रोत बनाते हैं। कृषि उद्देश्यों के लिए आर्द्रभूमि के आसपास और भीतर सिंचाई के लिए भूजल निकाला जाता है।

श्रावण में शिव महिमा: भगवान शिव ने क्यों लिए ये प्रमुख अवतार?

Lord Shankar Avtaar Shivpuran
हिन्दू धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है जो देवों के देव महादेव की पूजा के लिए पूरी तरह से समर्पित होता है।  भगवान शंकर को सभी हिन्दू देवताओं में सर्वोच्च भगवान माना जाता है भगवान सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवी-देवताओं में से भी एक है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह मान्यता है कि सावन के पावन महीने में विधिपूर्वक भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने और उनके निमित्त व्रत रखने से वे अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती का भी भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। हिंदू पौराणिक कहानियों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने कई अवतार लिया था. आइए जानते हैं भगवान शंकर के प्रमुख अवतारों के बारे में.
शिव के 19 अवतार
शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण शिव अवतारों के बारे में जानकारी दी गई है.  हिंदू पंचांग के अनुसार, शिव पुराण एक प्रमुख हिंदू पुराण है, जो भगवान शिव के महत्वपूर्ण कथाओं, अवतारों और उपास्य रूपों के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है। शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण शिव अवतारों के बारे में जानकारी दी गई है :शिव के इन 19 अवतारों ने सभी प्राणियों को कष्टों से मुक्त किया है और उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान की है. वे सभी भक्तों के लिए पूजनीय हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं.

 हिन्दू पञ्चाङ्गे और अन्य स्रोतों के अनुसार भगवान शिव के प्रमुख अवतार हैं-वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि । 



शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. इनमें से कुछ प्रमुख अवतार हैं:

विश्वरूप अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विष और अमृत पीने वाले देवता-असुरों के सामने अपनी विश्वरूप दिखाई थी। इससे उन्होंने अपने भक्तों को प्रेरित किया और दुर्योधन के पक्ष से द्रोणाचार्य को मदद करने का भी वादा किया था।

भैरव अवतार: भगवान शिव के इस अवतार में उन्होंने अश्वत्थामा के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भैरव रूप धारण किया था। उन्होंने अश्वत्थामा को प्रतिज्ञा की थी कि उन्हें उसके श्राप से मुक्ति मिलेगी।

दक्षिणामूर्ति अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने गुरुपूर्वक ज्ञान को प्रदान किया था। उन्होंने चारों दिशाओं के देवताओं को ज्ञान दिया था और संसार की माया और अविद्या का नाश करने की महत्वपूर्ण उपदेश दिया था।

महाकाल: महाकाल भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध अवतार है. वे काल का देवता हैं और मृत्यु के अधिपति हैं. वे सभी प्राणियों के अंत के जिम्मेदार हैं.

अर्धनारीश्वर अवतार: इस अवतार में भगवान शिव और पार्वती के सम्मिलित रूप में व्यक्त होते हैं, जो प्रकृति और पुरुष के सम्मिलन को प्रतिष्ठित करता है। इस रूप में उन्हें सृष्टि, स्थिति और संहार का सार्वभौमिक अधिकार होता है।



जानें चार धामों के बारे में: बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम और द्वारका

तारक: तारा भगवान शिव का एक अन्य प्रसिद्ध अवतार है. वे तारा देवी के अवतार हैं, जो एक शक्तिशाली देवी हैं जो सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति देती हैं.

भुवनेश: भुवनेश भगवान शिव का एक अवतार है जो समस्त ब्रह्मांड का स्वामी है. वे सभी प्राणियों के संरक्षक हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से बचाते हैं.



षोडश: षोडश भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के ज्ञान और शक्ति का भंडार है. वे सभी भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्रदान करते हैं.

गौरीशंकर अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने भक्ता पार्वती के साथ गौरीशंकर के रूप में जन्म लिया था। यह अवतार पर्वतीश्वरी देवी के श्रद्धावान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए धारण किया गया था।

कालभैरव अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने कालभैरव रूप धारण किया था और दक्ष यज्ञ का विनाश किया था। उन्होंने देवी सती के दुख को दूर करने के लिए अपना शक्तिशाली रूप प्रदर्शित किया था।

धूम्रवान: धूम्रवान भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के रोगों और बीमारियों को दूर करने वाला है. वे सभी भक्तों को रोगों और बीमारियों से मुक्त करते हैं.

बगलामुख: बगलामुख भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के शत्रुओं और विरोधियों को हराने वाला है. वे सभी भक्तों को शत्रुओं और विरोधियों से मुक्त करते हैं.

मातंग: मातंग भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के सुख और समृद्धि का भंडार है. वे सभी भक्तों को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं.

कमल: कमल भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के ज्ञान और मोक्ष का मार्गदर्शक है. वे सभी भक्तों को ज्ञान और मोक्ष प्रदान करते हैं.

यह केवल कुछ शिव पुराण में वर्णित अवतार हैं, लेकिन इस पुराण में भगवान शिव के अन्य अवतारों का भी वर्णन है। शिव पुराण के अलावा भी अन्य हिंदू पुराणों में भगवान शिव के विभिन्न अवतारों का वर्णन मिलता है।

शिव के अनेक अंशावतार भी हुए

शिव के अंश ऋषि दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनर्तक, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर आदि जन्मे. इन अंशावतार का उल्लेख ‘शिव पुराण’ में भी मिलता है.



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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

विंबलडन : Facts in Brief



Point of View : सोशल मीडिया के सैलाब में अपनी परंपराओं की नाव न डुबोएं

Point of View : सोशल मीडिया के दौर मे दुनिया जुड़ें, लेकिन अपनी जड़ों से कटकर नहीं

Point of View : आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया के बगैर हमारे रोज के जिंदगी कि कल्पना भी मुश्किल हो चुकी है। सच तो यह है कि आज सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, यह बात और है कि सकारात्मक प्रभाव के तुलना मे नकारात्मक दुष्प्रभावों से हमें दो चार होना मजबूरी हो चुका है। आज भले हीं हम सोशल मीडिया के माध्यम से खुद को कान्टैक्ट मे रखने और रहने मे हम खुद को सफल मानने की खुशफहमी पाल बैठे हों, लेकिन सच यह है कि हम इसके दुष्प्रभाव जैसे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, नींद में व्यवधान,ध्यान की कमी और पढ़ाई में बाधा के साथ सामाजिक अलगाव और शारीरिक गतिविधियों में कमी जैसे परेशानियों ने हमारी रोज के जीवन को नरक जैसा बना रहा है। 
कहने की जरूरत नहीं है कि आज के समय मे सोशल मीडिया कई मायनों में एक शक्तिशाली उपकरण है और इसके बगैर हमारी दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। सोशल मीडिया ने दुनिया को नया आयाम दिया है और सच्चाई तो यह है कि  ऐसी दुनिया की कल्पना करना भी कठिन है जहाँ इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर मौजूद न हों और हमारे फैन और फालोअर की संख्या पर भी हमारी प्रसिद्धि और स्टैटस जानी जाती है।  याद रखें कि सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन और लाइफस्टाइल ब्लॉगर्स को दिखाने और दोस्तों से जुड़ने के लिए ही नहीं है बल्कि आज हमारी युवा पीढ़ी का पूरा करियर भी इन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है और और अपडेट रखने का माध्यम भी। 

आज के दौड़ मे जहां लोगों को अपने जीवन मे भागदौड़ और जीने की जद्दोजहद मे तनाव और मानसिक थकान आम बात हो चुकी है, खुशी और प्रसन्नता को निश्चय ही व्यापक और विश्व स्तर पर मनाए जाने की जरूरत है। यह दिन जीवन में खुशी के महत्व को पहचानने और दुनिया भर के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने का एक अवसर है जिसका इस्तेमाल हमें अपने बीते हुए कल से अच्छा और आने वाले कल को बेहतर मनाने का मौका जरूर मिलता है। 

देखें विडिओ: सोशल मीडिया का सकारात्मक तरीके से उपयोग कैसे करें

हालाँकि, हाल ही में लोगों ने सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध भी स्थापित किए हैं, खासकर युवा लोगों में। ऐसे समय में, जब स्क्रीन और  सोशल मीडिया पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है और व्यतीत किया हुआ समय बढ़ रहा है,  यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक और जिम्मेदारी से करें और अपनों से कटकर नहीं रहने क्योंकि उनके बगैर हमारी आज  और कल की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 

दुनिया  से जुड़े पर अपनों से दूर 

आज के दौर मे जहां हम सोशल मीडिया और मोबाईल फोन जैसे अत्याधुनिक संसाधनों के साथ रहते हुए भी खुशी और अपने लोगों के प्रेम को भूल चुके हैं, अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हमें याद दिलाता है कि खुशी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें हर दिन खुशी के क्षणों को खोजने और उन्हें संजोने का प्रयास करना चाहिए। सच्चाई तो यह है कि सोशल मीडिया के इस युग मे हम चाहे दुनिया से भले हीं 

कनेक्ट हो गए हैं, लेकिन अपने माता-पिता और भाई बहन से काफी दूर हो गए हैं जो की प्रसन्नता और खुशी के लिए सबसे प्रभावी  और सस्ता श्रोत हैं। 

हेनरी डेविड थोरो ने जीवन के लिए खुशी को लेकर  व्याख्या करते हुए क्या खूब कहा है कि  "खुशी एक तितली की तरह है, जिसे आप जितना अधिक पीछा करते हैं, वह उतनी ही दूर रहेगी, लेकिन अगर आप अपना ध्यान दूसरी चीजों पर केंद्रित करते हैं, तो यह आएगी और धीरे से आपके कंधे पर बैठ जाएगी।" 

अक्सर हम कहते हैं की "संतोषम परम सुखम" लेकिन खुद पर जब इसका प्रयोग करना होता है तो हम भूल सा जाते हैं।  इस संदर्भ मे अज्ञात के इस कथन को हमेशा याद रखें-"खुशी का रहस्य यह नहीं है कि हमेशा अधिक पाने की कोशिश करें, बल्कि जो आपके पास है उसका आनंद लेना है।" 

नकारात्मक पहलुओं ने हमेशा से लोगों के खुशी को उनसे छीना है और इसके लिए यह जरूरी था की लोगों के बीच सकरात्मकता फैलाई जाए। यह दिन सकारात्मकता और आशावाद को बढ़ावा देता है, जो व्यक्तियों और समुदायों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

वैश्विक कल्याण को बढ़ावा देना भी प्रमुख उदेश्य है ताकि इसके माध्यम से दुनिया भर के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालकर उनके जीवन में अच्छाई और उजाले को शामिल किया जाए। 

खुशी के संदर्भ मे राल्फ वाल्डो इमर्सन की उस उक्ति को अवश्य याद रखें जिसमें उन्होंने कहा है कि -"खुशी कोई मंजिल नहीं है, यह एक यात्रा है।" जीवन मे प्रसन्नता और खुशी को लेकर महात्मा  गांधी का यह कथन लाजवाब और सटीक है कि -"खुशी वह है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, वह सामंजस्य में होता है" 

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