International Women Day : मलाला यूसुफजई-जिनकी आवाज को तालिबानी आतंकवादियों की गोली भी खामोश नहीं कर सकी

International Malala Day  Malala Yusufjai Quotes Importance

Point Of View: मलाला यूसुफजई सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि शिक्षा और हिम्मत की मिसाल हैं जिसने पाकिस्तान के तालिबानी कट्टरपंथियों को ललकार कर अपने मिशन को आगे बढ़ाया। उनका जीवन और संघर्ष हमें यह बताता है कि अगर इरादे पक्के हों, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। अपने जुनून के बदौलत मलाल ने 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।
मलाला यूसुफजई एक पाकिस्तानी शिक्षाविद और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता  हैं। उनका जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी में हुआ।

मलाला का पिता, जिसका नाम जियाद यूसुफजई है, एक स्कूल का प्रधानाध्यापक थे और उन्होंने हमेशा से अपनी बेटी की शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया। मालाला अपने पिता की प्रेरणा से जीवनभर शिक्षा के महत्व को समझने लगीं।

2012 में, जब मलाला केवल 15 वर्षीय थीं, तब उन्हें अपने लेखों के माध्यम से लड़ाई स्तंभ के रूप में जाना जाने लगा। वह पाकिस्तानी तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगीं। मलाला के द्वारा लिखे गए लेखों में वह लड़कियों के अधिकारों की बहुतायत से चर्चा करतीं थीं और उन्होंने बच्चों की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।

2012 के अक्टूबर में, मलाला को एक बस में जाते हुए तालिबानी लोगों द्वारा गोली मारी गई। इस हमले में उनकी गंभीर घायली हो गई, लेकिन वे बच गईं। मलाला की इस हमले के बाद विश्व भर में उनके समर्थन में आवाज बुलंद हुई और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। यह उन्हें सबसे युवा व्यक्ति बनाता है जिसे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

  • मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी में हुआ।
  • उनके पिता ज़ियाउद्दीन यूसुफजई खुद एक शिक्षक और शिक्षा के समर्थक थे।
  • उनकी आत्मकथा "I Am Malala" दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
  • उन्होंने "मलाला फंड" नामक संस्था बनाई, जो दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रही है।
  • 2014 में, मात्र 17 साल की उम्र में, मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वे सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गईं।

मलाला यूसुफजई आज भी मानवाधिकारों की प्रचार-प्रसार करती हैं और बाल-श्रम और बाल-विवाह के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रहती हैं। उन्होंने एक मानवाधिकार संगठन "मलाला फंड" की स्थापना की है, जो गरीबी से पीड़ित बच्चों की शिक्षा को संचालित करने का प्रयास करता है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण कोट्स ऑफ़ मलाला यूसुफजई हैं:

"एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक उसकी शिक्षा में चंद स्लेट, यही है हमारी मुसीबतों की आस्था और साथी।" -मलाला यूसुफजई

("One child, one teacher, one book, and one pen can change the world.")

"हम शिक्षा की ताकत से नहीं डरते हैं, बल्की उसकी आवश्यकता से डरते हैं।" -मलाला यूसुफजई

("We are not afraid of the power of education, but rather the need for it.")

"जब आप शिक्षा को इजाज़त देते हैं, आप उजाले को समर्थन देते हैं।"

-मलाला यूसुफजई

("When you give education the permission to exist, you give support to the light.")

"हमारी लड़ाई शिक्षा की लड़ाई है, और हमें इसमें गिरावट नहीं होने देनी चाहिए।" -मलाला यूसुफजई

("Our fight is a fight for education, and we must not allow setbacks in this.")

"शिक्षा एक बुराई से बचाव कर सकती है। शिक्षा एक बंदूक से ज़्यादा ताकतवर है।" -मलाला यूसुफजई

("Education can save us from evil. Education is mightier than a gun.")

"मैं नहीं चाहती कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मुझ पर हमला हुआ था, बल्कि मुझे इसलिए याद किया जाए कि मैं अपनी आवाज़ बदलने के लिए खड़ी हुई थी।" -मलाला यूसुफजई

("I don't want to be remembered because I was shot, but because I stood up to change my voice.")

"जब आपके शब्द और आपकी आवाज़ मिल जाती है, तब आप दुनिया को बदलने की शक्ति प्राप्त करते हैं।"-मलाला यूसुफजई

("When your words and your voice come together, you gain the power to change the world.")

मलाला यूसुफजई ने अपने समर्पण और साहस के माध्यम से दुनिया भर में शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है। उनके इन कोट्स ने दुनिया को प्रेरित किया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।


अंतरिक्ष से भारत का अवलोकन करने वाले नासा वैज्ञानिक ने माना : "भारत ज़मीन पर अधिक सुंदर है"

NASA Astronaut  Massimino Brian Greene Visits Taj Mahal
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइक मैसिमिनो जिन्होंने अंतरिक्ष से भारत का अवलोकन किया है, ने कहा है कि "भारत ज़मीन पर अधिक सुंदर है।" उन्होंने कहा है कि भारत में मैंने विज्ञान और नवाचार के प्रति जो जुनून देखा है वह अद्भुत है। भारत के सौंदर्य के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए उन्होंने ताजमहल की असाधारण शिल्पकला की प्रशंसा की और इसे भारत की इंजीनियरिंग और डिज़ाइन की समृद्ध विरासत का प्रमाण बताया। 

डॉ. ब्रायन ग्रीन ने ताजमहल की अपनी यात्रा के दौरान कहा, "भारत में मैंने विज्ञान और नवाचार के प्रति जो जुनून देखा है वह अद्भुत है। यहां के छात्रों में ऊर्जा और जिज्ञासा वास्तव में प्रेरणादायक है।" शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति भारत के विशिष्ट दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने वैश्विक प्रभाव डालने के लिए भारतीय छात्रों के उत्साह और महत्वाकांक्षा पर जोर दिया।

प्रोफेसर ब्रायन ग्रीन, एक प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, लेखक, तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी के प्रोफेसर हैं। इनको सुपरस्ट्रिंग सिद्धांत में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है जिसमें दर्पण समरूपता की सह-खोज और स्थानिक टोपोलॉजी परिवर्तन की खोज शामिल है।

नासा के दो अंतरिक्ष मिशनों के अनुभवी माइक मैसिमिनो ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है और वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। अंतरिक्ष से ट्वीट करने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में, उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है विशेष रूप से 2002 और 2009 में हबल स्पेस टेलीस्कोप सर्विसिंग मिशन में।

अपने पूरे करियर के दौरान, मैसिमिनो को कई नासा स्पेस फ़्लाइट मेडल, नासा विशिष्‍ट सेवा मेडल और अमेरिकन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी के फ़्लाइट अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वह वर्तमान में न्यूयॉर्क शहर में इंट्रेपिड सी, एयर एंड स्पेस म्यूज़ियम में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं।

डॉ. ग्रीन और श्री मैसिमिनो की ताजमहल की यात्रा वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। उनकी यात्रा शिल्पकला में भारत की ऐतिहासिक उत्कृष्टता और विश्व मंच पर विज्ञान और नवाचार में इसकी तेजी से बढ़ती भूमिका के बीच एक सेतु का काम करेगी है।

डॉ. ब्रायन ग्रीन और माइक मैसिमिनो वर्तमान में भारत की यात्रा पर हैं और देश की समृद्ध वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रतिष्ठित ताजमहल का दौरा किया जहां उन्होंने विज्ञान, इंजीनियरिंग और शिल्प कौशल में भारत की प्रगति की प्रशंसा की।

प्रोफेसर ब्रायन ग्रीन, एक प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, लेखक, तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी के प्रोफेसर हैं। इनको सुपरस्ट्रिंग सिद्धांत में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है जिसमें दर्पण समरूपता की सह-खोज और स्थानिक टोपोलॉजी परिवर्तन की खोज शामिल है।

Daily Current Affairs Complete GK Dose March 01 Patryacha Wada Asteroid 2025 DU7

  


संकलन : पी.शिवम द्वारा 

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Rare planetary parade

एक खास और दुर्लभ आकाशीय  घटना जिसके अंतर्गत कई ग्रह एक साथ और पृथ्वी से देखने पर भी संरेखित दिखाई दिए।

 ग्रहों के नाम- मंगल, बृहस्पति, यूरेनस, नेपच्यून, बुध, शनि और शुक्र.

Patryacha Wada

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गाँव का नाम बदलकर निवासियों ने दिवंगत अभिनेता- इरफान खान की विरासत का सम्मान करने के लिए "हीरो ची वाड़ी" रखा है

Asteroid 2025 DU7

क्षुद्रग्रह 2025 DU7 का आकार 15 फीट है और यह अपोलो समूह के क्षुद्रग्रहों से संबंधित है, यह तब चर्चा में था जब यह 28 फरवरी, 2025 को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचा था। क्षुद्रग्रह 7,175 मील प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहा था।


Point Of View : अपनी प्रसन्नता को संभालकर रखें इसमें छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य

Inspiring  Thoughts: Happiness..Ultimate weapon for success in life
Point Of View :  
भले ही यह आपको कुछ विचित्र और अस्वाभाविक लगे, लेकिन व्यावहारिक रूप से यह जीवन का यथार्थ  है कि हमारी सफलता का रहस्य खुशी की स्थिति में है. किसी ने क्या खूब कहा है कि " प्रसन्नता ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। इसे सँभालकर रखें, क्योंकि यह आपको हर मुश्किल से बाहर निकाल सकती है।"
 चिंता या दुखी होना जीवन में किसी भी परिस्थिति का एक हिस्सा हो सकता है लेकिन  यदि आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो प्रसन्न रहने की कला सीखना नितांत आवश्यक है. याद रखें-"खुश रहना अपने आप में एक महान सफलता है। जो व्यक्ति खुशी को चुनता है, वह हर परिस्थिति में विजयी होता है।"

आप खुद इस बात का अनुभव करेंगे कि अगर आपका चित प्रसन्न है तो आप बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं और आखिर जीवन में सफल होने के लिए आपके बेहतर प्रदर्शन के अतिरिक्त और क्या चाहिए. 

सच्चाई तो यह है कि जीवन मे सच्ची खुशी भीतर से आती है। जब आप अपने जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढने लगते हैं, तो जीवन सफल होने लगता है और यही वह वास्तविकता है जिसे हम खुद के अंदर नहीं ढूंढ पाते हैं। 



प्रसन्नता : एक यात्रा है, एक गंतव्य  नहीं है. आप अपने दैनिक जीवन में  अपने जीवन के लिए खुशी की स्थिति पर विचार करें  तो पाएंगे कि  प्रसन्न रहने की कला आपके द्वारा घटनाओं को देखने की दृष्टिकोण और मन की स्थिति में निहित है.

आप भले हीं इस पर विश्वास नहीं करें लेकिन जीवन कि वास्तविकता यही है कि "खुशी किसी मंज़िल तक पहुँचने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह सफर के दौरान हमारे नजरिये की अभिव्यक्ति है।"


धैर्य और आत्मविश्वास का नहीं छोड़े दामन.... मिलेगी विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता

 आपको अपने हर एक उस परिवेश  में खुश होने का एक कारण खोजने की कोशिश करनी होगी जिसमें हम रहते हैं,बावजूद इसके कि  आपके आस-पास  आपको दुखी रखने के लिए पर्याप्त कारक मौजूद है। 

"सफलता और खुशी दोनों एक-दूसरे से जुड़ी हैं। खुश रहोगे, तो सफलता अपने आप आपके करीब आएगी।"

हमारे जीवन का अंतिम गंतव्य तो वह टारगेट है जिसके लिए हम अपने जीवन को एक कारण बनाते हैं. लेकिन प्रसन्नता  सिर्फ एक यात्रा है और हमारे प्रदर्शन और हमारे जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने का साधन है.

बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे 

जीवन में प्रसन्नता प्रदान करने वाले कारणों को  नोट करें और इस बात को आत्मसात करें कि "जिंदगी छोटी है, इसलिए हर पल में खुशी ढूंढो। खुश रहने वाले लोग ही अपनी दुनिया बदल सकते हैं।"


आपको खुश रखने और अपने लक्ष्य को हासिल  अभिप्रेरक बनने वाले कारणों को  अपने  डायरी में लिखें....  आपको प्रसन्न रखने वाले आपके जीवन  में तब आपके लिए खास भूमिका निभाएंगे जब आपके दिमाग में निराशावादी और नकारात्मक दृष्टिकोण का विचार आएगा।

गगन पर दो सितारे: एक तुम हो,

धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो,

‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो,

हिमालय दो शिखर है: एक तुम हो,

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

-माखनलाल चतुर्वेदी


कहने की जरूरत नहीं है, यदि आप दुखी मनोदशा की स्थिति में आप कोई कार्य कर रहे होते हैं तो  आप देखेंगे कि आपके काम की दर बहुत धीमी है साथ हीं आपसे अक्सर गलतियां भी काफी होती है.  जाहिर है कि  अप्रसन्नता की स्थिति में आप  प्रदर्शन सही नहीं रख पाते हैं साथ ही अंत में  आप  मानसिक तनाव के से भी पीड़ित होते हैं.... 

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 लेकिन अगर आप प्रसन्नता की स्थिति में कोई मुश्किल कार्य को भी  करने का बीड़ा  उठाते हैं तो काम को एन्जॉय  गलतियों  की सम्भावना भी कम  होती है साथ ही आपका काम निर्धारित समय के भीतर पूरा भी हो जाता है... 

जाहिर है...प्रसन्नता की स्थिति में आप अपने प्रदर्शन को अच्छे से दुहरा पाते हैं. पाते हैं.... 


किसी के रोके न रुक जाना तू,

लकीरें किस्मत की खुद बनाना तू,

कर मंजिल अपनी तू फतह,

कामयाबी के निशान छोड़ दे,

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,

-नरेंद्र वर्मा


सभी के पास खुश होने या दुखी होने का कारण मौजूद है क्योंकि यह आपके मन की स्थिति पर निर्भर करता है....  बस आप कल्पना करें ... आपको किसी भी प्रतीक्षित यात्रा के लिए अपना दिन शुरू करना है तो क्या अप्रसन्नता  और नकारात्मक मन की स्थिति के साथ हमारी उस बहुप्रतीक्षित यात्रा को शुरू करना उचित है ... 

Inspiring Thoughts: डिप्रेशन और फ़्रस्ट्रेशन पर काबू पाने के लिए पाएं नेगेटिव माइंडसेट से छुटकारा

क्या आप इस तरह के आधे-अधूरे प्रयासों में यात्रा के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ... . निश्चित रूप से आपकी अंतरात्मा भी आपको अपनी यात्रा के दौरान खुश रहने की सलाह देगी और अपनी यात्रा के बेहतर परिणाम के लिए प्रसन्न रहने के अतिरिक्त और कोई भी बढ़िया  इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपको अपने जीवन की बेहतरी के लिए दुखी और नकारात्मक मानसिकता को नजरअंदाज करना होगा।

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Daily Current Affairs: Complete GK Dose -February (23 to 28)

 


संकलन : पी.शिवम द्वारा 

1. भारत-जापान संयुक्त सैन्य अभ्यास-धर्म गार्डियन

छठे भारत-जापान संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्डियन का आयोजन  24 फरवरी से 9 मार्च 2025 तक जापान के पूर्वी फ़ूजी युद्धाभ्यास प्रशिक्षण क्षेत्र में होगा। 

  • धर्म गार्डियन सैन्य अभ्यास एक वार्षिक सैन्य अभ्यास है जो भारत और जापान में बारी-बारी से होता है।
  • भारतीय टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन के सैनिकों के साथ-साथ अन्य सेनाओं की टुकड़ियों और सैन्य सहायता इकाइयों के सैनिक करेंगे।
  • जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेजीएसडीएफ) का प्रतिनिधित्व 34 वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट करेंगी। 
2. Places in News: पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025-नई दिल्ली

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा आयोजित तीन दिवसीय "पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025" का आज उद्घाटन किया। 
3. बैंगनी क्रांति का संबंध किस चीज की खेती से है?
  • -लैवेंडर की खेती
  • बैंगनी क्रांति का संबंध  लैवेंडर के खेती से है जिसका प्रमुख उद्देश्य विदेशी सुगंधित फसलों से घरेलू किस्मों की ओर बदलाव करके स्वदेशी सुगंधित फसल-आधारित कृषि-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। 
  • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अरोमा मिशन के माध्यम से 2016 में बैंगनी क्रांति या लैवेंडर क्रांति की शुरुआत की गई ।
  • सीएसआईआर-अरोमा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) ने जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में लैवेंडर की कृषि शुरू की। 




महाशिवरात्रि 2025 : जाने क्यों चढ़ाई जाती है शिवलिंग पर बेलपत्र, क्या कहते हैं वैदिक शास्त्र और शिव पुराण

Mahashivratri Why Belpatra Being Used to worship Lord Shiva
महाशिवरात्रि 2025:   महाशिवरात्रि जिसे भगवान शंकर की पूजा अर्चना किया जाता है, इस वर्ष 26 फरवरी, 2025 को मनाया जाएगा।महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान भोलेनाथ अर्थात देवों के देव महादेव के भक्तों के लिए खास अवसर है जिस दिन का इंतजार भक्तगण काफी बेसब्री से करते हैं।  हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है और  ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के खास पर्व  पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पावन स्मृति में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदुओं के बीच महाशिवरात्रि  का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की अपार भक्ति और समर्पण के साथ प्रार्थना करते हैं। इस खास पर्व के अवसर पर श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हैं और मानते हैं कि इससे उनके जीवन में समृद्धि और खुशियाँ आएंगी।

ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है. जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।) हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इसके उपलक्ष में महाशिवरात्रि का पर्व मनाई जाती है. 

 महाशिवरात्रि के दिन श्रदालु  माता पार्वती और शंकर शंकर  की पूजा करते हैं और हैं और इस अवसर पर भगवन शिव लिंग पर पवित्र जल के साथ फूल, फल चढ़ाते हैं जिसे जलाभिषेक के रूप में जाना जाता है.

महाशिवरात्रि: पूजन विधि 

महाशिवरात्रि के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर जल के अभिषेक करते हैं और इसके लिए शिवलिंग  पर अभिषेक किया जाता है। खास तौर पर की बहुमूल्य पदार्थों जैसे दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल आदि को  अर्पित से किया जाता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और अक्षत आदि भी अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

लोग उपवास रखते हैं और केवल फल और दूध से संबंधित उत्पादों का सेवन करते हैं। भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर किसी भी प्रकार का अनाज लेने से बचते हैं और उपवास का उपयोग करते हैं जो समझा जाता है कि उपवास से शरीर और हमारी चेतना भी शुद्ध होती है।

 फूल और फलों के अलावा, भक्त भगवान शिव को प्रभावित करने के लिए भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र भगवन शिव को बहुत प्रिय है इसलिए श्रदालु जो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव लिंग को अवश्य अर्पित  करते हैं. 

महा शिवरात्रि के अवसर पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा के लिए के लिए लोग मंदिरों को जाते हैं. 

वैदिक शास्त्र और शिव पुराण कहते हैं कि भक्त माघ या फाल्गुन के महीने में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन बेलपत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं जो भगवान शिव को अधिक आनंद प्रदान करते हैं।

वैदिक शास्त्रों और शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि जब भक्त फाल्गुन महीने (हिंदी महीने के 12 वें महीने का अंतिम महीना) में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन उनकी पूजा करते हैं,  इसे अर्पित करते हैं तो इससे भगवन शिव को  अधिक खुशीहोती है ।

एक और कारण है जिसका विभिन्न पवित्र पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है.जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।)

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र: 

ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा चढ़ानी चढ़ानी चाहिए अर्थात बेलपत्र के चिकनी सतह वाली भाग को शिव लिंग से स्पर्श होनी चाहिए. बेलपत्र को चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि बेलपत्र को हमेशा हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। 

अन्य पवित्र ग्रंथ में यह उल्लेख है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था और तभी से यह पर्व मनाया जाता है।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


Parenting Tips: बच्चों को उनके "जरूरत" और "ईच्छाओं" के बीच के फर्क को समझाएं

  difference between want and needs points of view


पैरेटिंग बच्चों के वर्तमान के साथ ही उनके बच्चों के भविष्य से जुड़ा पहलू है और इसके लिए यह जरूरी है कि पेरेंट्स को बच्चों को  बुनियादी बातों का हमेशा ख्याल रखें। कोरोना महामारी के बाद लॉक डाउन और आम लोगों को जिस तरह से जॉब्स और बचत कि क्राइसिस झेलना पड़ा, उसे देखते हुए सभी पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वो बच्चों मे बचत की  आदत डालें। और इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम बच्चों को "चाहतें (Wants) और ज़रूरतें (Needs)" के बीच के अंतर को सिखाएं ताकि वे जीवन मे दोनों के बीच के फर्क को समझ सकें। 

हमें बच्चों को यह समझना  बहुत जरूरी है कि जरूरत और इच्छाओं मे बेसिक फर्क क्या है? जरूरत और  इच्छाओं मे होने वाली फर्क को अगर हमारे बच्चे समझ लेंगे तो फिर पेरेंट्स की भूमिका काफी आसान हो जाएगी। " ज़रूरतें " वे चीज़ें हैं जिनके बिना आप नहीं रह सकते और इन्हे बेसिक नीड्स भी कह सकते हैं। भोजन और पानी  और रहने के लिए मकान का होना हमें जरूरी है क्योंकि अगर हमें वो चीज़ें न मिलें  तो हमारा जीवन और स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ सकता है।

वहीं दूसरी ओर गैर-ज़रूरी चीज़ों को " इच्छाएँ " कहा जाता है जिनके नहीं होने से हमारी जीवन तो खतरे में नहीं पड़ेगी, लेकिन हमारी जीवन के परेशानियों को कुछ हद तक कम हो सकती है। अगर र-ज़रूरी ये चीजें हमारे पास नहीं हैं, तो आपके जीवन पर भौतिक रूप से कोई असर नहीं पड़ेगा, हालाँकि आप कुछ समय के लिए परेशान हो सकते हैं।

बच्चों को "चाहत" और "ज़रूरत" सिखाने का उद्देश्य यह है कि वे निर्णय लेने में सक्षम हों और जीवन के लिए प्राथमिकताएं तय कर सकें। इसे जितना मज़ेदार और इंटरैक्टिव बनाएंगे, उतना ही बेहतर सीखेंगे

याद रखें, यही वो बुनियाद है जिस पर हम अपने बच्चों का भविष्य के महल खड़ा करते हैं। बच्चों को "चाहतें (Wants) और ज़रूरतें (Needs)" के बीच के अंतर को सीखने के लिए आप नीचे दिए गए मज़ेदार और इंटरैक्टिव तरीकों कि हेल्प ले सकते हैं जो न केवल प्रभावी है बल्कि यह आसान भी है-

1. ज़रूरतों और चाहतों के बीच के अंतर को बताएं 

ज़रूरतें: बच्चों को समझाएँ कि ज़रूरतें ऐसी चीज़ें हैं जिनकी हमें जीवित रहने और काम करने के लिए बिल्कुल ज़रूरत होती है, जैसे कि खाना, पानी, आश्रय, कपड़े और नींद। वहीं उन्हे समझाएं कि चाहते हमेशा जरूरत नहीं होती बल्कि वे हमारी इच्छा पर निर्भर करती है और हमारे जीवन के लिए वे जरूरी नहीं है जितनी नीड्स होती है। जैसे  खिलौने, वीडियो गेम, कैंडी या नवीनतम गैजेट के बगैर जीवन तो सकता है लेकिन कहना और पानी के बिना जीवन काटना काफी मुश्किल होगा ।

2. वास्तविकता मे जीने का मतलब समझाएं :

हमेशा बच्चों को अपने यथार्थ और वास्तविकता मे जीना  सिखाएं ताकि वे खयाली और यथार्थ कि जीवन मे फर्क को समझ सकह। ।  बच्चे को किराने की खरीदारी पर ले जाएँ और उन चीज़ों पर चर्चा करें जिन्हें आप खरीद रहे हैं। उन्हें ज़रूरतों (दूध, ब्रेड, सब्ज़ियाँ) या चाहतों (कुकीज़, कैंडी, सोडा) के रूप में सामग्री को बताएं कि क्या उनमें नीड्स है और क्या wants है। मनोरंजन कि चीजें और जरूरी चीजों के फर्क को समझना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि विलासिता और जरूरी चीजों के फर्क पर एक पैरेंट्स खूबसूरती और प्रभावी ढंग से समझा सकता है। 

3. इच्छाओं और ज़रूरतों का चार्ट बनाएँ: 

अगर आप  बच्चों कि जरूरत और इच्छाओं वाली चीजों को एक चार्ट बनाकर बच्चों को समझाएंगे तो वे अछे से समझ सकेंगे। याद रखें चार्ट के माध्यम से उन्हे दोनों वस्तुओं के बीच के फर्क को समझने मे हेल्प मिलेगी। एक बोर्ड पर या फ्लैशकार्ड पर चीजें लिखें, जैसे "चॉकलेट", "किताबें", "स्कूल बैग", "टीवी", "फल"। बच्चों से पूछें कि इनमें से कौन सी ज़रूरत है और कौन सी चाहत।

आप उनसे पूछे कि अगर उसे जोरों कि भूख लगी है तो फिर उसे क्या चाहिए-चॉकलेट या खाना?" "स्कूल जाने के लिए बैग चाहिए, लेकिन डिज़ाइनर बैग ज़रूरत है या चाहत?"

4 . बजट निर्धारित करें:

कभी भी अपने बच्चों के सामने यह प्रकट नहीं करें कि उनके लिए पैसे का कोई अभाव नहीं है और उसके लिए सबकुछ खरीद सकते हैं। आप अगर इस लायक हैं कि आपके पास पैसे का अभाव नहीं है तो यह और भी अच्छा है लेकिन बच्चों को चाहते और जरूरतों मे अंतर को समझाना कभी भी अभाव मे जीना सिखाना नहीं होता है। हमेशा से एक बजट बनाकर बच्चों को दें और कहें कि वो कैसे अपने जरूरी और चाहत वाली चीजों को उस बजट के भीतर चुनाव करता है। इससे उन्हें पैसे के मूल्य और बजट बनाने के महत्व को समझने में मदद मिलेगी।

5. सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें:

बच्चों को अपने बच्चे को इच्छाओं और ज़रूरतों के बारे में सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें लेकिन इसका ध्यान रखें कि आपका जवाब हमेशा हीं  प्रैक्टिकल एप्लिकेशन पर आधारित हो। आप उनके इच्छाओं और ज़रूरतों के बारे में पूछें गए सवालों का जवाब  ईमानदारी और धैर्य से दें ताकि उनपर इसका व्यापक असर पद सके। इसके साथ ही बच्चों को जरूरत और चाहतों के अतिरिक्त नैतिक शिक्षा कि भी जानकारी दें तथा यह भी सिखाएं कि हर किसी के पास अपनी ज़रूरतें पूरी करने के साधन नहीं होते। उन्हें दयालु बनाएं ताकि वे दूसरों की मदद के लिए प्रेरित हों।


Point Of View: इतिहास बनाने वाले हमारे बीच से ही होते हैं, फर्क तो बस जूनून का होता है

Inspiring Thoughts Importance of Passion in Life

Point Of View:  सफलता तक पहुँचने के लिए आपके अंदर का जुनून बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसके अभाव मे लक्ष्य को पाने की तो भूल जाएँ, आप शुरुआत नहीं कर सकते। किसी भी लक्ष्य को पाने का जुनून केवल एक भावना नहीं, बल्कि त्याग, धैर्य और निरंतर प्रयास की मांग करता है।

इतिहास बनाने वाले लोगों की जीवनी को पढ़ते समय अक्सर हम सोचते हैं कि ऐसे लोग कुछ खास किस्म के होते हैं और वे इतिहास का निर्माण करने के लिए ही पैदा होते है। अगर आप बॉलीवुड के सफल अभिनेताओं की शुरुआती दिनों के संघर्ष को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा की लगभग सभी को अपना मुकाम हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था।

कहते है ना,

"जो कहे नही करता भी हो,विश्वास उसी का होता है।

जो युग को कर्मठता से मोड़े, इतिहास उसी का होता है।।"

लेकिन क्या कभी आपने इस पर कभी गौर किया कि आज जो अपने क्षेत्र में सफलता का कीर्तिमान स्थापित करने वाले इन कलाकारों का वजूद भी हमारे और आपके बीच से रहा है।।सच तो यह है कि हम अपनी मानसिकता को इस तरह बनाकर जीने की आदत बना चुके हैं,  जहां हम अपने को स्टेज पर नही बल्कि दर्शक दीर्घा में बैठकर ताली बजाने वालों के बीच का बना लिया है।

किसी कवि ने कितना सुंदर चित्रण किया है...

"वह पथ क्या पथिक परीक्षा क्या जिस पथ में बिखरे शूल न हो।

नाविक की धैर्य परीक्षा क्या यदि धाराएं प्रतिकूल न हो।।।"

सफलता का कीर्तिमान बनाने वालों और हमारे बीच अगर कुछ फर्क रहा तो वह सिर्फ जुनून का था जो उन्हें सफलता दिलाया और हम कुछ कर गुजरने के लिए सोचने का साहस तक नही उठा पाए।

अगर आपके सपनों में सच्चा जुनून है, तो पूरा ब्रह्मांड उसे पूरा करने में आपकी मदद करेगा। – पाउलो कोएल्हो

विश्वास कीजिए, अगर हम सभी ने भी जीवन के किसी भी मुकाम पर हार के दर को निकालने में सफलता प्राप्त कर लिया होता तो हमारे अंदर का जुनून भी आज हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचा दिया होता।।।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा

 अंतिम जय का वज़्र बनाने-नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

-अटल बिहारी वाजपेयी


वो इसलिए सफल हुए क्योंकि उन्होंने सिर्फ सफलता को ध्यान में रखकर अपना प्रयास जारी रखा,लेकिन हम सफलता के बारे में नही बल्कि अपने असफलता का खौफ पर फोकस रखा।।।

सिर्फ जुनून का होना ही काफी नहीं है दोस्तों बल्कि जरुरी यह भी है कि हम सही दिशा और उचित अवसर पर इसे नई धार दें।।।

 दुनियाँ के दांव पेंच से रखना न वास्ता 

मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता 

 भटका न दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के

-प्रदीप 


सफलता अपनी कीमत तो मांगती है और यह भी एक अनिवार्य शर्त होती जिसे आपको अपने संघर्ष के दिनों का लेसन या सीख समझकर आत्मसात करनी होती है।।।

हवा के साथ नाव खेना कोई साहस कार्य नही इसमें कोई संदेह नहीं, याद तो उन्हे किया जाता है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में सफलता की अलख जगाए रखते हैं। 

Junoon Quotes in Hindi

  • अगर आपके पास जुनून है, तो असंभव कुछ भी नहीं। 
  • सफलता उन्हीं को मिलती है, जिनमें कुछ कर गुजरने का जुनून होता है।
  • जुनून वह चिंगारी है जो असंभव को भी संभव बना सकती है।
  • "सिर्फ इच्छा करने से कुछ नहीं होता, सफलता के लिए जुनून और मेहनत दोनों जरूरी हैं।"
  • "जब तक आपके अंदर जुनून और हौसला है, तब तक कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।"
  • "सपने देखने वालों के पास उम्मीद होती है, लेकिन जुनूनी लोगों के पास सफलता होती है।"
  • "अपने जुनून को अपनी ताकत बनाइए, फिर देखिए कैसे दुनिया आपके कदमों में होती है।"
  • "जुनून ही वह ताकत है जो साधारण इंसान को भी असाधारण बना देती है।"
  • "अगर तुम कुछ करने का जुनून रखते हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले जाएंगे।"

मध्य प्रदेश का Mini Brazil: जानें क्या है नशे के बदनाम अड्डे से देश की Football Nursery तक के सफर की कहानी

नशे की लत के लिए कुख्यात रहा मध्य प्रदेश का Mini Brazil आज  Football क्रांति का जन्म स्थली बन चुकी है। इस स्थान की चर्चा पोल मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के संस्करण मे किया था। क्या आप जानते हैं कि  कभी यह इलाका नशे के लिए बदनाम था। यह इलाका अवैध शराब के लिए बदनाम था और यहाँ के युवा पूरी तरह नशे की गिरफ्त में थे और इसका खामियाजा इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था| लेकिन अब देश मे यह Football क्रांति का जन्म स्थली बन चुकी है जो अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है | आज शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा Football club बन चुके हैं | इसकी चर्चा इसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के जुलाई 2023 के संस्करण मे किया था। आइए जानते हैं कि क्या है नशे के बदनाम अड्डे से देश की Football Nursery तक के सफर की कहानी। 

शहडोल में एक गांव है बिचारपुर

मध्य प्रदेश (एम.पी.) के शहडोल में एक गांव है बिचारपुर | बिचारपुर को Mini Brazil कहा जाता है | Mini Brazil इसलिए, क्योंकि ये गांव आज फुटबाल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है | 

रईस एहमद का लग्न और मेहनत 

बिचारपुर गांव के Mini Brazil बनने की यात्रा दो-ढाई दशक पहले शुरू हुई थी | उस दौरान, बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की गिरफ्त में था | इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था | एक पूर्व National Player और coach रईस एहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना | रईस जी के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने, पूरी लगन से, युवाओं को, Football सिखाना शुरू किया | 

कुछ साल के भीतर ही यहाँ Football इतनी popular हो गयी, कि बिचारपुर गांव की पहचान ही Football से होने लगी | अब यहाँ Football क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है | इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें training दी जाती है | ये प्रोग्राम इतना सफ़ल हुआ है कि बिचारपुर से National और state level के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं | ये Football क्रांति अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है | शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा Football club बन चुके हैं | 

यहाँ से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे है, जो, National level पर खेल रहे हैं | Football के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और coach, आज, यहाँ, युवाओं को, Training दे रहे हैं | एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था, नशे के लिए बदनाम था, वो अब देश की Football Nursery बन गया है|

(स्रोत-मन की बात कार्यक्रम)

   

Mazargues War Cemetery, France: Facts in Brief


मज़ार्ग्यूज़ युद्ध समाधि स्थल यूरोप में शांति के लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान का इतिहास को खूबसूरती से सँजोये हुए  है।  मज़ार्ग्यूज़ युद्ध समाधि स्थल दोनों देशों के लोगों के बीच उन गहरे संबंधों का स्मरण कराता है जो भारत और फ्रांस संबंधों को विकसित करते रहे हैं। मज़ार्ग्यूज़ युद्ध समाधि स्थल स्थल यूरोप में शांति के लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान के इतिहास को संरक्षित करता है।

  • मज़ार्ग्यूज़ युद्ध समाधि स्थल, बुचेस-डु-रोन विभाग का मुख्य शहर है। मार्सिलेस एक दक्षिणी उपनगर (9वां अरोन्डिसमेंट) है, जो मार्सिले के केंद्र से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। 
  • 1914-18 के युद्ध के दौरान फ्रांस में भारतीय सैनिकों का बेस मार्सिले था और पूरे युद्ध के दौरान रॉयल नेवी, मर्चेंट नेवी, ब्रिटिश सैनिक और लेबर यूनिट बंदरगाह में काम करते थे या इससे होकर गुजरते थे।
  • शहर के चार कब्रिस्तानों का इस्तेमाल मुख्य रूप से मार्सिले में मारे गए राष्ट्रमंडल बलों के अधिकारियों और सैनिकों को दफनाने के लिए किया गया था। 
  • शहर के पूर्वी हिस्से में स्थित सेंट पियरे समाधि स्थल में 1914-16 में हिंदू सैनिकों और मजदूरों के शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
  •  ले कैनेट ओल्ड कब्रिस्तान और ले कैनेट न्यू कब्रिस्तान, उत्तर की ओर स्थित हैं, जो 1917-19 में भारतीय सैनिकों और भारतीय, मिस्र और चीनी मजदूरों को दफनाने के स्थान थे।

श्री एस्ट्रोलॉजी: मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) - जानें व्यवहार, भविष्य, गुण और अन्य विशेषताएं

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मूलांक 01 (जन्म 01, 10, 19, 28): अंक ज्योतिष या ज्योतिष के अनुसार, अंग्रेजी की तारीख को जन्म लेने वाले लोग जो मूलांक 01 के अंतर्गत आते हैं, उनमें जन्म की तारीख 01, 10, 19, 28 को जन्म लेने वाले लोग शामिल हैं। अर्थात अंक ज्योतिष या रूलिंग संख्या 1 मे वैसे लोग आते हैं जो लोग किसी भी महीने के अंक 1 या 10 (1+0=1), 19 (1+9=1), 28 (2+8=1) से संबंधित हैं, वे अंक 1 की श्रेणी में आते हैं, उन पर सूर्य ग्रह का शासन होता है।

वे मुख्य रूप से दृढ़ निश्चयी और आज्ञाकारी स्वभाव के होते हैं जो उन्हें सबसे अच्छे और स्वाभाविक नेता बनाता है। उनके पास एक अच्छी नियंत्रण और नेतृत्व करने की शक्ति होती है। ये लोग सभी को प्रकाश देते हैं और जीवन में स्पष्टता के साथ इस अंधेरे ब्रह्मांड को रोशन करते हैं। 

सभी अंग्रेजी महीनों में जन्म तिथि 01, 10, 19 और 28 (मूल अंक 01) वाले व्यक्तियों के अंक ज्योतिष के सभी पहलुओं को जानें, प्रसिद्ध ज्योतिषी कुंडली विशेषज्ञ हिमांशु आर. शेखर से।

मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) वाले लोग स्वाभिमानी होने के साथ-साथ महत्वाकांक्षी भी होते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हैं। ऐसे लोग निर्णय लेने में अपनी स्पष्टता के लिए जाने जाते हैं और शायद ही कभी असमंजस की स्थिति में होते हैं। वे अपने किसी भी काम को करने से पहले उचित योजना बनाकर ही आगे बढ़ते हैं और अपने कामों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं।

नेतृत्व करने की क्षमता

मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) वाले लोग नेतृत्व करने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं। ऐसे लोगों को अपने काम में हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है और वे चीजों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना पसंद करते हैं। ऐसे लोग योजना बनाने वाले होते हैं और साथ ही रणनीति बनाकर अपने प्रोजेक्ट को लागू करना चाहते हैं। ऐसे लोगों की नेतृत्व करने की अनोखी क्षमता का लोहा न केवल उनके परिवार के सदस्य बल्कि उनके दोस्त और परिचित भी मानते हैं और अक्सर इस गुण का फायदा उठाते हैं। जीवन में अनुशासन सर्वोपरि है.

अनुशासन का पालन करने वाले 

मूलांक 01 वाले लोग (जन्म 01, 10, 19, 28) अपने जीवन में अनुशासन को बहुत महत्व देते हैं। जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने से लेकर उसे पूरा करने तक, हर जगह आपका अनुशासन नियंत्रण में रहता है। जीवन में घृणित व्यवहार, आचरण, जीवनशैली आदि आपसे घृणा करती है। आपके जीवन में अनुशासन का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि आप नकारात्मक और निराशावादी लोगों और विचारों या विचारधाराओं वाले लोगों से तुरंत दूर हो जाते हैं।

प्रभावशाली व्यक्तित्व

मूलांक 01 वाले लोग (जन्म 01, 10, 19, 28) प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। स्वाभिमानी और महत्वाकांक्षी तथा मेहनती होने के कारण ऐसे लोग अपने व्यक्तित्व से दूसरों को प्रभावित करने में पूरी तरह सफल होते हैं। जीवन में कठिन परिस्थितियों में भी आप हार नहीं मानते और उम्मीद नहीं छोड़ते और ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका व्यक्तित्व मिस्टर कूल जैसा है जहाँ विपरीत परिस्थितियों में भी आप अधिक केंद्रित हो जाते हैं और अपना आपा नहीं खोते। इच्छा शक्ति और साहस के कारण ऐसे लोग आसानी से हार नहीं मानते।

उत्कृष्ट वक्ता और कानून का पालन करने वाले

मूलांक 01 वाले लोगों (जन्म 01, 10, 19, 28) की विशेषता होती है कि वे कुशल वक्ता होते हैं और अपनी गंभीर बातों से लोगों के सामने अपनी छाप छोड़ने में सफल होते हैं। ऐसे लोग नियमों और कानूनों के प्रति अपना सम्मान दिखाते हैं और कुशल वक्ता होने के कारण अक्सर वकालत का पेशा अपनाते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास एस्ट्रोलॉजी संबंधित विषय से के बारे मे कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।


Point of View: भगवान शिव के माथे पर लगने वाले तीन क्षैतिज रेखाओं को कहते हैं-त्रिपुंड, जाने खास बातें


महाशिवरात्रि 2025: महाशिवरात्रि 26 फरवरी, 2026 को पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी। दुनिया भर के शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। कुछ लोगों के लिए महाशिवरात्रि वह दिन है जब सदियों की प्रतीक्षा, तपस्या और साधना के बाद भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन हुआ था। कुछ अन्य लोगों के लिए यह वह रात है जब भगवान शिव ने तांडव किया था, जो ब्रह्मांडीय सृजन, संरक्षण और विनाश का नृत्य है। यह भगवान शिव की पूजा करने का शुभ अवसर है, जिन्हें आमतौर पर सभी देवताओं के देव महादेव के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव का रहस्य इतना आसान नहीं है और सच्चाई यह है कि यह एक निरंतर खोज है जो भक्तों को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाती है। 

शिव पुराण और हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव स्वयंभू हैं और उनका न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। उनके अस्तित्व के कारण ही यह पूरी दुनिया घूम रही है। जबकि विष्णु पुराण में भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। नर्मदेश्वर शिवलिंग को भगवान शिव के निराकार स्वरूप की पूजा करने के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है। भगवान शिव का रहस्य एक जटिल और बहुआयामी विषय है, जिसके कई पहलू हैं।

हिंदू धर्म में त्रिपुंड का बहुत महत्व है और इसे भगवान शिव के कई पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के माथे पर त्रिपुंड तीन गुणों (सत्व, रज, तम) का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि वे इन तीन गुणों से परे हैं।

विनाश और सृजन का चक्र:

भगवान शिव का रहस्य विनाश और सृजन का चक्र है। यह चक्र हमें जीवन के प्राकृतिक क्रम को समझने और उसके साथ सामंजस्य बिठाने में मदद करता है। भगवान शिव को अक्सर विनाश के देवता के रूप में देखा जाता है, लेकिन वे सृजन के देवता भी हैं। वे 'सृष्टि चक्र' का प्रतीक हैं, जिसमें जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म शामिल हैं। भगवान शिव को अक्सर 'महाकाल' या 'काल' कहा जाता है, जो समय के देवता हैं। समय सभी चीजों को नष्ट कर देता है, और भगवान शिव इस विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भगवान शिव को 'नटराज' के नाम से भी जाना जाता है, जो 'नृत्य' के देवता हैं। उनका 'तांडव' नृत्य ब्रह्मांड के विनाश का प्रतीक है, लेकिन यह एक नए ब्रह्मांड के निर्माण का भी प्रतीक है।

ज्ञान और ध्यान:

ज्ञान और ध्यान जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्ञान हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है, और ध्यान हमें शांत और एकाग्र रहने में मदद करता है। भगवान शिव को ज्ञान और ध्यान का देवता भी माना जाता है। वे योग, तपस्या और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक हैं। भगवान शिव को 'ज्ञान का भण्डार' माना जाता है। वे 'वेद', 'शास्त्र' और सभी प्रकार के 'ज्ञान' के ज्ञाता हैं। भगवान शिव 'ध्यान' के प्रतीक हैं। वे 'समाधि' की अवस्था में रहते हैं, जो 'आत्म-ज्ञान' प्राप्त करने का मार्ग है।

त्रिपुंड:

त्रिपुंड भगवान शिव के माथे पर लगाई जाने वाली तीन क्षैतिज रेखाएं हैं। इसे राख, चंदन या मिट्टी से बनाया जा सकता है। हिंदू धर्म में त्रिपुंड का बहुत महत्व है और इसे भगवान शिव के कई पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के माथे पर त्रिपुंड तीन गुणों (सत्व, रज, तम) का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि वे इन तीन गुणों से परे हैं।

त्रिपुंड के तीन अर्थ हैं:

सृजन, संरक्षण और विनाश: त्रिपुंड की तीन रेखाएं ब्रह्मांड के तीन गुणों का प्रतीक हैं: सृजन, संरक्षण और विनाश। भगवान शिव को इन तीन गुणों का स्वामी माना जाता है। भूत, वर्तमान और भविष्य: त्रिपुंड की तीन रेखाएं समय के तीन पहलुओं का भी प्रतीक हैं: भूत, वर्तमान और भविष्य। भगवान शिव को समय का देवता माना जाता है। आत्मा, मन और शरीर: त्रिपुंड की तीन रेखाएं मनुष्य के तीन पहलुओं का प्रतीक हैं: आत्मा, मन और शरीर। भगवान शिव को इन तीनों पहलुओं का स्वामी माना जाता है। नंदी बैल: नंदी बैल भगवान शिव का वाहन है। यह शक्ति, धैर्य और भक्ति का प्रतीक है। नंदी को आमतौर पर शिव मंदिरों के प्रवेश द्वार पर बैठे देखा जाता है। भगवान शिव का वाहन नंदी बैल 'शक्ति' और 'धैर्य' का प्रतीक है। गंगा नदी: भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया है। इससे पता चलता है कि वे 'पवित्रता' और 'शुद्धिकरण' के प्रतीक हैं। अर्धनारीश्वर: भगवान शिव को 'अर्धनारीश्वर' रूप में भी दर्शाया गया है, जिसमें वे आधे पुरुष और आधे महिला हैं। इससे पता चलता है कि वे 'पुरुष-महिला समानता' और 'संपूर्णता' के प्रतीक हैं।

 मृत्युंजय:

भगवान शिव को 'मृत्युंजय' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'मृत्यु को जीतने वाला'। इससे पता चलता है कि वे 'अमरता' और 'जीवन शक्ति' का प्रतीक हैं।

त्रिनेत्र:

भगवान शिव की तीन आंखें हैं, जो 'भूत, वर्तमान और भविष्य' का प्रतीक हैं। इससे पता चलता है कि वे 'सर्वज्ञ' और 'सर्वव्यापी' हैं।

सांप:

भगवान शिव अपने गले में सांप पहनते हैं। इससे पता चलता है कि वे 'जहर' और 'बुराई' पर विजय प्राप्त करते हैं।

रुद्र:

भगवान शिव को 'रुद्र' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'विनाशक'। इससे पता चलता है कि वे 'अन्याय' और 'अधर्म' का नाश करते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जिसकी आम लोगों से अपेक्षा की जाती है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इन सुझावों को पेशेवर सलाह न समझें तथा यदि इन विषयों से संबंधित आपके कोई विशिष्ट प्रश्न हों तो सदैव संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श करें।

Mahashivratri 2025 Date: महाशिवरात्रि कब और कैसे मनाएं, जानें इतिहास, पूजन सामग्री और विधि तथा और भी बहुत कुछ

Mahashivratri Date fast vrat pujan vidhi  facts in brief

Mahashivratri 2024 Date: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है जिस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. भगवन शिव की उपासना करने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह खास अवसर होता है, हालाँकि हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष स्थान है जिस दिन का इन्तजार सभी पुरुष और महिलायें करती है. 

महाशिवरात्रि का इस अवसर के लिए शिव भक्त सालों का इंतजार करते हैं क्योंकि उनके लिए यह पर्व भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और उनके योग्य होने के लिए सबसे महान दिन होता है। इस दिन भक्तगण पूजा के लिए विशेष अनुष्ठानों का पूरा करते हैं साथ ही भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों या अपने घर के पास के मंदिरों में करना पसंद करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं साथ ही लोगों की ऐसी मान्यता है की भगवान शंकर की कृपा से उनके घरों में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया  जाएगा. 

महाशिवरात्रि का इतिहास क्या है?

हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है। एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है। साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है।

शिवरात्रि मनाने का क्या कारण है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार फाल्गुन या माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार शिव और पार्वती के विवाह और उस अवसर की याद दिलाता है जब शिव अपना दिव्य नृत्य करते हैं, जिसे तांडव कहा जाता है।

साल में कितनी बार शिवरात्रि आती है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल 2 बार महाशिवरात्रि मनाया जाता है। पहली महाशिवरात्रि फाल्गुन माह में कृष्ण चुतर्दशी तिथि को मनाई जाती है और दूसरी सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि के व्रत में शाम को क्या खाते हैं?

उपवास में ड्राई फ्रूट्स खाने की सलाह दी जाती है. महाशिवरात्रि के व्रत में काजू, किशमिश, बादाम, मखाना आदि खा सकते हैं. महाशिवरात्रि के व्रत के दौरान आप साबूदाना की खिचड़ी, लड्डू, हलवा खा सकते हैं.

शिवरात्रि की पूजा में क्या क्या सामान लगता है?

महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri)

  • बेलपत्र
  • गंगाजल
  • दूध
  • शिवलिंग: पत्थर, धातु या मिट्टी का
  • गंगाजल:
  • दूध:
  • दही:
  • घी:
  • शहद:
  • फल:
  • फूल:
  • बेलपत्र:
  • धतूरा:
  • भांग:
  • चंदन:
  • दीप:
  • अगरबत्ती:
  • नारियल:
  • पान:
  • सुपारी:
  • कपूर:
  • लौंग:
  • इलायची

पूजन विधि:

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
  • शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन आदि से स्नान कराएं।
  • शिवलिंग पर दीप जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  • शिव चालीसा का पाठ करें।
  • भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  • आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।