इस दिन पैदा हुए लोगों पर होती है भगवान सूर्य की विशेष कृपा


रविवार को जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे अत्यंत महत्वाकांक्षी और भीड़ का हिस्सा नहीं बनने वाले होते हैं। Sunday को जन्मे लोगों का यह विश्वास होता है कि वे भगवान ने उन्हे भीड़ का हिस्सा बन कर जीने के लिए पैदा नहीं किया है और ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि रविवार जिसे सप्ताह का पहला दिन माना जाता है, और रविवार के दिन जन्में लोगों का स्वामी अस्ट्रालजी के अनुसार हमेशा भगवान सूर्य को माना जाता है। स्ट्रालजी और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को जन्में लोगों पर भगवान सूर्य की कृपा बनी रहती है क्योंकि  भगवान सूर्य को इनका इष्ट देव कहा जाता है। आइये जानते हैं विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा कि रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की क्या होती है खासियत और उनके विशेषताएं-

नेतृत्व क्षमता से पूर्ण 

रविवार के दिन जन्में लोगों का स्वामी अस्ट्रालजी के अनुसार हमेशा भगवान सूर्य को माना जाता है और यही कारण है कि ऐसे जातकों कि जीवन पर भगवान सूर्य का गहरा प्रभाव होता है। सूर्य हमारे सौरमंडल के केंद्र होता है जिसके चारों ओर सभी गृह चक्कर लगते हैं और यही सोच रविवार के दिन जन्मे लोगों कि होती है जिनका मानना होता है कि वे नेतृत्व करने के लिए पैदा हुए हैं और यही सोच उन्हे जीवन में मुश्किलों के बावजूद  वे नेतृत्व के गुणों से संपन्न होते हैं और भीड़ का हिस्सा नहीं बनकर बल्कि उनके नेतृत्वकर्ता और हमेशा आगे रहने वाले होते हैं। 

व्यक्तित्व और आदतें 

रविवार को जन्में लोगों का व्यक्तित्व और आदतें अन्य दिनों में जन्मे लोगों से बिल्कुल अलग होती हैं और ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि आप जानते हैं कि रविवार को सप्ताह का पहला दिन माना जाता है और दूसरा सूर्य, जिनके इर्द-गिर्द हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह चक्कर लगाते हैं, वह  रविवार को जन्मे लोगों के स्वामी होता हैं। ऐसे लोगों पर हमेशा भगवान सूर्य की कृपा बनी रहती और इसकी कारण से  ऐसे लोग मेहनती, महत्वाकांक्षी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। सूर्य कि तरह चमकना इनका स्वभाव होता है और ये हमेशा नेतृत्व करने वाले होते हैं। इसके साथ हीं ऐसे लोगों का मन बहुत साफ होता है और ये बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं।

आकर्षक व्यक्तित्व  के मालिक 

सूर्य जो कि सौरमंडल के केंद्र होता है उसी के समान रविवार को जन्में लोगों आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं और हमेशा पार्टियों और महफिलों कि जान होते हैं। इनके चेहरे का तेज और चमक हमेशा दूसरों को आकर्षित करता है। आकर्षक कद, लंबा और चौड़ी छाती होने के साथ ये अक्सर सुंदर चेहरे वाले होते हैं। कुल मिलकर कहा जाए तो इनका व्यक्तित्व नेतृत्व करने वाला तो होता हीं है,  ये दूसरों को बहुत शीघ्र अपनी ओर आकर्षित भी कर लेते हैं। 

आत्मसम्मान कि गहरी ललक 

 रविवार को जन्में लोगआत्म सम्मान को हमेशा सर्वोपरि रखते हैं और इसकी खातिर वे बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं। बोलने मे जल्दबाजी नहीं करने वाले और खासतौर पर रविवार को जन्मे लोग  कम बोलने में विश्वास रखते हैं। बोलने के लिए  शब्दों का चयन और भाषा पर इनकी बहुत पकड़ होती है  और वे जो भी बोलते हैं, सोच-समझकर बोलते हैं। पहले ही कहा जा चुका है कि ऐसे लोग नेतृत्व करने वाले होते हैं और इसलिए इनकी बातों का सामने वाले पर अलग और गहरा असर होता है। 

संवेदनशील लेकिन दृढ़ संकल्प शक्ति वाले 

रविवार जो जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे बहुत संवेदनशील होते हैं लेकिन इसके साथ हीं मजबूत मनोबल, दृढ़ संकल्प शक्ति और इच्छाशक्ति होते हैं। अगर कोई बात बुरी लग गई तो वे जल्दी उन्हे भुला नहीं पाते लेकिन निर्णय लेने मे कोई जल्दबाजी भी नहीं करते। संदेड़नशीलता के साथ ही ये बहुत रचनात्मक प्रवृति के होते हैं और साथ हीं बहुत महत्वाकांक्षा रखने वाले और मजबूत इरादे वाले होते हैं। 


श्री एस्ट्रोलॉजी: मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) - जानें व्यवहार, भविष्य, गुण और अन्य विशेषताएं

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मूलांक 01 (जन्म 01, 10, 19, 28):
अंक ज्योतिष या ज्योतिष के अनुसार, अंग्रेजी की तारीख को जन्म लेने वाले लोग जो मूलांक 01 के अंतर्गत आते हैं, उनमें जन्म की तारीख 01, 10, 19, 28 को जन्म लेने वाले लोग शामिल हैं। अर्थात अंक ज्योतिष या रूलिंग संख्या 1 मे वैसे लोग आते हैं जो लोग किसी भी महीने के अंक 1 या 10 (1+0=1), 19 (1+9=1), 28 (2+8=1) से संबंधित हैं, वे अंक 1 की श्रेणी में आते हैं, उन पर सूर्य ग्रह का शासन होता है।

वे मुख्य रूप से दृढ़ निश्चयी और आज्ञाकारी स्वभाव के होते हैं जो उन्हें सबसे अच्छे और स्वाभाविक नेता बनाता है। उनके पास एक अच्छी नियंत्रण और नेतृत्व करने की शक्ति होती है। ये लोग सभी को प्रकाश देते हैं और जीवन में स्पष्टता के साथ इस अंधेरे ब्रह्मांड को रोशन करते हैं। 

सभी अंग्रेजी महीनों में जन्म तिथि 01, 10, 19 और 28 (मूल अंक 01) वाले व्यक्तियों के अंक ज्योतिष के सभी पहलुओं को जानें, प्रसिद्ध ज्योतिषी कुंडली विशेषज्ञ हिमांशु आर. शेखर से।

मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) वाले लोग स्वाभिमानी होने के साथ-साथ महत्वाकांक्षी भी होते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हैं। ऐसे लोग निर्णय लेने में अपनी स्पष्टता के लिए जाने जाते हैं और शायद ही कभी असमंजस की स्थिति में होते हैं। वे अपने किसी भी काम को करने से पहले उचित योजना बनाकर ही आगे बढ़ते हैं और अपने कामों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं।

नेतृत्व करने की क्षमता

मूलांक 01 (जन्म तिथि 01, 10, 19, 28) वाले लोग नेतृत्व करने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं। ऐसे लोगों को अपने काम में हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है और वे चीजों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना पसंद करते हैं। ऐसे लोग योजना बनाने वाले होते हैं और साथ ही रणनीति बनाकर अपने प्रोजेक्ट को लागू करना चाहते हैं। ऐसे लोगों की नेतृत्व करने की अनोखी क्षमता का लोहा न केवल उनके परिवार के सदस्य बल्कि उनके दोस्त और परिचित भी मानते हैं और अक्सर इस गुण का फायदा उठाते हैं। जीवन में अनुशासन सर्वोपरि है.

अनुशासन का पालन करने वाले 

मूलांक 01 वाले लोग (जन्म 01, 10, 19, 28) अपने जीवन में अनुशासन को बहुत महत्व देते हैं। जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने से लेकर उसे पूरा करने तक, हर जगह आपका अनुशासन नियंत्रण में रहता है। जीवन में घृणित व्यवहार, आचरण, जीवनशैली आदि आपसे घृणा करती है। आपके जीवन में अनुशासन का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि आप नकारात्मक और निराशावादी लोगों और विचारों या विचारधाराओं वाले लोगों से तुरंत दूर हो जाते हैं।

प्रभावशाली व्यक्तित्व

मूलांक 01 वाले लोग (जन्म 01, 10, 19, 28) प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। स्वाभिमानी और महत्वाकांक्षी तथा मेहनती होने के कारण ऐसे लोग अपने व्यक्तित्व से दूसरों को प्रभावित करने में पूरी तरह सफल होते हैं। जीवन में कठिन परिस्थितियों में भी आप हार नहीं मानते और उम्मीद नहीं छोड़ते और ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका व्यक्तित्व मिस्टर कूल जैसा है जहाँ विपरीत परिस्थितियों में भी आप अधिक केंद्रित हो जाते हैं और अपना आपा नहीं खोते। इच्छा शक्ति और साहस के कारण ऐसे लोग आसानी से हार नहीं मानते।

उत्कृष्ट वक्ता और कानून का पालन करने वाले

मूलांक 01 वाले लोगों (जन्म 01, 10, 19, 28) की विशेषता होती है कि वे कुशल वक्ता होते हैं और अपनी गंभीर बातों से लोगों के सामने अपनी छाप छोड़ने में सफल होते हैं। ऐसे लोग नियमों और कानूनों के प्रति अपना सम्मान दिखाते हैं और कुशल वक्ता होने के कारण अक्सर वकालत का पेशा अपनाते हैं।

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास एस्ट्रोलॉजी संबंधित विषय से के बारे मे कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।


कुंभवाणी : महाकुंभ 2025 पर शुरू हुआ आकाशवाणी का कुंभ बुलेटिन, पाएं विस्तृत जानकारी


एक ओर जहां भारत मे आयोजित महाकुंभ 2025 ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, ऐसे में आकाशवाणी ने विशेष महाकुंभ न्यूज बुलेटिन अर्थात "कुंभवाणी" का प्रसारण आरंभ कर इस आध्यात्मिक सामाजिक समागम मे भाग लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेले से संबंधित विभिन्न गतिविधियों पर अपडेट प्रदान करने का बीड़ा उठाया है। 

कुंभवाणी समाचार बुलेटिन दिन में तीन बार, सुबह 8.30 बजे, दोपहर 2.30 बजे और शाम 8.30 बजे प्रसारित किए जाएंगे, जो महाकुंभ मेले से संबंधित विभिन्न गतिविधियों पर अपडेट प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त, श्रद्धालु प्रयागराज में 103.5 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्‍वेंसी पर कुंभवाणी समाचार बुलेटिन भी सुन सकते हैं। विशेष कुंभ समाचार बुलेटिन न्यूज़ ऑन एआईआर ऐप, वेव्स ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर भी प्रसारित किए जाते हैं और ये आकाशवाणी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल न्यूज़ ऑन एआईआर ऑफिशियल पर भी उपलब्ध हैं।

श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों ने इस पहल की सराहना की है और कई लोगों ने इसे "महाकुंभ के बारे में जानकारी प्राप्त करने की महत्‍वपूर्ण पहल” बताया है। प्रयागराज की निवासी तनु शर्मा ने कहा, "आकाशवाणी के कुंभ बुलेटिन विश्वसनीय, सटीक और जानकारी से परिपूर्ण हैं।" महाकुंभ में आए मध्य प्रदेश के उज्जैन निवासी योगराज सिंह झाला ने कहा, "मेला परिसर में आकाशवाणी के कुंभ बुलेटिन सुनना एक सुखद अनुभव है। इससे महाकुंभ में श्रद्धालुओं को जानकारी का एक प्रामाणिक स्रोत मिला है।" 

प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत कुमार सहगल ने कहा, "महाकुंभ एक विशाल आध्यात्मिक सामाजिक समागम है और प्रसार भारती पूरी प्रामाणिकता के साथ समाचार उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। आकाशवाणी और दूरदर्शन के पूरे नेटवर्क पर महाकुंभ की निरंतर कवरेज के लिए प्रयागराज में संवाददाताओं, संपादकों और समाचार वाचकों की एक समर्पित टीम तैनात की गई है।" 

महाकुंभ 2025 को समर्पित आकाशवाणी के कुंभवाणी चैनल का शुभारंभ 10 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन की वर्चुअल मौजूदगी में किया था। यह चैनल 26 फरवरी तक समाचार और अन्य कार्यक्रम प्रसारित करता रहेगा।


महाकुंभ 2025; महत्व, महत्वपूर्ण तिथियां, शाही स्नान, और अन्य जानकारी


2025 का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2024 तक उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक प्रयागराज में आयोजित होने वाला है। महाकुंभ मेला के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार पूरी तरह से तैयार है। महाकुंभ मेला 2025 आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव है, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री पवित्र नदियों में स्नान के लिए आते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक सफाई और नवीनीकरण का प्रतीक है। 

यह हर 12 साल में चार बार होता है, गंगा पर हरिद्वार, शिप्रा पर उज्जैन, गोदावरी पर नासिक और प्रयागराज, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जो 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाई जाती है। 

कुंभ मेले की भौगोलिक स्थिति का अनुसर भारत में चार महत्वपूर्ण स्थानों पर फैली हुई है और जो चार पवित्र नदियों पर स्थित जिन चार तीर्थस्थलों पर आयोजन होता है वे निम्न हैं-

महत्वपूर्ण शहर और नदियाँ

  • हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर
  • उज्जैन, मध्य प्रदेश में, शिप्रा के तट पर
  • नासिक, महाराष्ट्र में, गोदावरी के तट पर
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर।


प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है।

कुंभ मेला एक आध्यात्मिक सभा से कहीं अधिक है। यह संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है, जो एक "लघु-भारत" को प्रदर्शित करता है, जहाँ लाखों लोग बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के एक साथ आते हैं। यह आयोजन विभिन्न पृष्ठभूमियों से तपस्वियों, साधुओं, कल्पवासियों और साधकों को एक साथ लाता है, जो भक्ति, तप और एकता का प्रतीक है। 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, कुंभ मेला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत मूल्यवान है। प्रयागराज 2025 में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक फिर से इस भव्य आयोजन की मेजबानी करेगा, जिसमें अनुष्ठान, संस्कृति और खगोल विज्ञान का मिश्रण होगा।

महाकुंभ मेला 2025: आध्यात्मिकता और नवाचार का एक नया युग

2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में आध्यात्मिकता, संस्कृति और इतिहास के एक अनूठे मिश्रण का वादा करता है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक, तीर्थयात्री न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला में शामिल होंगे, बल्कि एक ऐसी यात्रा पर भी निकलेंगे जो भौतिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि आध्यात्मिक सीमाओं से परे होगी। 

शहर की जीवंत सड़कें, चहल-पहल भरे बाज़ार और स्थानीय व्यंजन इस अनुभव में एक समृद्ध सांस्कृतिक परत जोड़ते हैं। अखाड़ा शिविर एक अतिरिक्त आध्यात्मिक आयाम प्रदान करते हैं, जहाँ साधु और तपस्वी चर्चा, ध्यान और ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। ये तत्व मिलकर महाकुंभ मेला 2025 को आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव बनाते हैं, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है।

आगामी 2025 महाकुंभ मेला भी उन्नत सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ भक्तों के अनुभव को बढ़ाने के लिए तैयार है, जो सभी प्रतिभागियों के लिए एक सहज, सुरक्षित और अधिक आकर्षक यात्रा सुनिश्चित करता है। बेहतर सफाई व्यवस्था, विस्तारित परिवहन नेटवर्क और उन्नत सुरक्षा उपायों से एक सहज, सुरक्षित और अधिक समृद्ध अनुभव प्रदान करने की उम्मीद है। अभिनव समाधानों को शामिल करते हुए, 2025 महाकुंभ मेला इस परिमाण के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है।

प्रयागराज: समय के साथ जानें शहर कि  यात्रा

एक समृद्ध इतिहास वाला प्रयागराज 600 ईसा पूर्व का है जब वत्स साम्राज्य फला-फूला और कौशाम्बी इसकी राजधानी थी। गौतम बुद्ध ने कौशाम्बी का दौरा किया था। बाद में, सम्राट अशोक ने मौर्य काल के दौरान इसे एक प्रांतीय केंद्र बनाया, जो उनके अखंड स्तंभों से चिह्नित था। शुंग, कुषाण और गुप्त जैसे शासकों ने भी इस क्षेत्र में कलाकृतियाँ और शिलालेख छोड़े।

7वीं शताब्दी में, चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज को "मूर्तिपूजकों का महान शहर" बताया, जो इसकी मजबूत ब्राह्मणवादी परंपराओं को दर्शाता है। शेर शाह के शासनकाल में इसका महत्व बढ़ गया, जिन्होंने इस क्षेत्र से होकर ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण कराया। 16वीं शताब्दी में, अकबर ने इसका नाम बदलकर 'इलाहाबास' कर दिया, जिससे यह एक किलेबंद शाही केंद्र और प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया, जिसने इसकी आधुनिक प्रासंगिकता के लिए मंच तैयार किया।

प्रयागराज के प्रमुख स्थल और आध्यात्मिक स्थल

त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती मिलती हैं। माना जाता है कि अदृश्य सरस्वती कुंभ मेले के दौरान प्रकट होती है, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। भक्त अपने पापों को धोने के लिए आते हैं, जो इसे कुंभ मेले का केंद्र बनाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक भव्य उत्सव है।

त्रिवेणी संगम पर आने वाले तीर्थयात्री प्रयागराज में कई प्रतिष्ठित मंदिरों का भी भ्रमण करते हैं। संत समर्थ गुरु रामदासजी द्वारा स्थापित दारागंज में श्री लेटे हुए हनुमान जी मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली और नवग्रह की मूर्तियाँ हैं। पास में, श्री राम-जानकी और हरित माधव मंदिर आध्यात्मिक वातावरण में चार चांद लगाते हैं। 

नृत्यधारा: भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण को भव्यता से प्रस्तुत

आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय ने भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म, उसकी सुरुचिपूर्ण सुंदरता, और पारंपरिक समर्पण को भव्यता से प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम लिटिल थिएटर ग्रुप (LTG) ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ, जिसे प्रसिद्ध गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने बड़ी ही कुशलता और श्रद्धा के साथ संजोया और कोरियोग्राफ किया।  

यह आयोजन भरतनाट्यम के पारंपरिक बानी पर आधारित था, जिसे विख्यात गुरु के.एन. दंडयुधापाणि पिल्लई ने विकसित किया था। नृत्यधारा ने नृत्य (शुद्ध नृत्य), भाव (अभिव्यक्ति) और ताल (लय) के जटिल समन्वय को जीवंत कर दिया।  

कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्पांजलि से हुआ, जिसमें रागम बौली और तालम आदि पर आधारित एक दिव्य प्रस्तुति दी गई। यह प्रस्तुति गुरु, देवता और दर्शकों को समर्पित थी। इसके बाद ध्यान श्लोकम प्रस्तुत किया गया, जो भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप को समर्पित था। इसे प्रसिद्ध संगीतकार श्रीमती सुधा रघुरामन ने रचा और इसमें शिव के वैश्विक और ब्रह्मांडीय स्वरूप को चित्रित किया गया। 

प्रत्येक प्रस्तुति में भरतनाट्यम की शास्त्रीयता और रचनात्मकता का अद्भुत मेल देखने को मिला। शिवाष्टकम में भगवान शिव की महानता को राग भूपाली और ताल खंड चापू पर प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव को असुरों के विनाशक, गणेश के स्नेही पिता, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रतीक के रूप में दिखाया गया।  

इसके बाद तुलसीदास जी के भजन श्री राम चंद्र पर आधारित भरतनाट्यम प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग सिंधु भैरवी और आदि ताल पर आधारित इस प्रस्तुति में भगवान राम के गुणों को अत्यंत भावुकता से प्रस्तुत किया गया।  

पदम – यारो इवर यारो में माता सीता और भगवान राम की प्रथम भेंट को भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया गया। राग भैरवी और ताल आदि पर आधारित इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इसके अलावा भो शंभो और तिल्लाना जैसे नृत्यांशों ने भी दर्शकों को अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया।  

गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, "नृत्यधारा – द्वितीय समर्पण, श्रद्धा और भरतनाट्यम की शाश्वत सुंदरता का उत्सव है। दर्शकों का अपार स्नेह और समर्थन इस कला रूप की अमरता को प्रमाणित करता है। हमारा उद्देश्य इस अद्भुत परंपरा को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को इसकी ओर प्रेरित करना है।"  

नृत्यधारा – द्वितीय न केवल एक नृत्य प्रस्तुति थी, बल्कि यह भरतनाट्यम की समृद्धता और विविधता का जीवंत उत्सव था। इसने दर्शकों को भरतनाट्यम की अद्वितीय सुंदरता और शाश्वत आकर्षण का अनुभव कराया।

Swami Vivekananda Jayanti 2025 : युवाओं की तकदीर बदल सकते हैं स्वामी विवेकानंद के ये अनमोल विचार


Point of View : 
स्वामी विवेकानंद, महान भारतीय भिक्षु, विद्वान और विख्यात आध्यात्मिक नेता, जिनके विचारों और शब्दों का विशेष महत्व है।  स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ था. उन्होंने राष्ट्र के प्रति समर्पण और स्वाभिमान भाव का संकल्प लिया और इसके लिए उन्हे न केवल भारत बल्कि आज दुनिया मे उनके  दर्शन और शिक्षा लोगों को विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करने के लिए आज भी पढ़ी जाती  है।

उनके द्वारा कही बातें जैसे- ‘यह संसार कायरों के लिए नहीं है’, ‘आप का संघर्ष जितना बड़ा होगा जीत भी उतनी बड़ी होगी’, ‘जिस दिन आपके मार्ग में कोई समस्या ना आए, समझ लेना आप गलत मार्ग पर चल रहे हो’ जैसे स्वामी विवेकानंद द्वारा कई परिवर्तित उत्प्रेरक मंत्र को युवा जागरण का प्रतीक माना जाता है. उन्होंने सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिक उत्थान के अपने आदर्शों का प्रचार करने के लिए रामकृष्ण मठ और मिशन की स्थापना की। विवेकानंद का दर्शन और शिक्षा लोगों को विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त है।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म कलकत्ता के एक बंगाली कायस्थ परिवार में 12 जनवरी, 1863 को हुआ था। इनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ते के उच्च न्यायालय में एटर्नी (वकील) थे। वे बड़े बुद्धिमान, ज्ञानी, उदारमना, परोपकारी एवं गरीबों की रक्षा करने वाले थे। ' स्वामी विवेकानंद भारत के उन महापुरुषों में अग्रणी हैं, जो युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं. वे भारतीय युवा प्रेरणा के प्रतीक पुरुष या यूथ आइकन हैं. उनका तेजस्वी शरीर और संपूर्ण व्यक्तित्व इतना आकर्षक, प्रभावी, भव्य और उदात्त है कि बरबस ही वह युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है.

यह स्वामी विवेकानंद और उनकी शिक्षाएँ ही थीं, जिन्होंने भारत के बारे में दुनिया की धारणा को बदलने में मदद की...वह व्यक्ति जिसने न केवल युवाओं को प्रेरित किया, बल्कि अपने प्रेरक शब्दों से मानवता को नई ऊँचाईयाँ दीं।उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जो बातें कहीं वह आज भी याद की जाती है. यही कारण है कि हर साल स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के के रूप में मनाया जाता है.

स्वामी विवेकानन्द नाम का अर्थ 

अपने संरक्षक, मित्र और शिष्य खेतड़ी के राजा अजीत सिंह के सुझाव पर उन्होंने अपना नाम "विवेकानंद" रखा - जो संस्कृत शब्दों विवेक और आनंद का मिश्रण है, जिसका अर्थ है " विवेकपूर्ण ज्ञान का आनंद "।

स्वामी विवेकानंद क्यों प्रसिद्ध थे?

स्वामी विवेकानंद पश्चिमी दर्शन सहित विभिन्न विषयों के ज्ञाता होने के साथ-साथ एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह भारत के पहले हिंदू सन्यासी थे, जिन्होंने हिंदू धर्म और सनातन धर्म का संदेश विश्व भर में फैलाया। उन्होंने विश्व में सनातन मूल्यों, हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति की सर्वाेच्चता स्थापित की।

नाम “विवेकानंद”

उल्लेखनीय है कि विवेकानंद नाम का प्रस्ताव खेतड़ी (राजस्थान का एक शहर) के राजा अजीत सिंह ने दिया था, जो भिक्षु के अनुयायियों और शुभचिंतकों में से एक थे, इससे पहले कि भिक्षु शिकागो में 1893 के विश्व धर्म संसद के लिए रवाना हुए। यह नाम दो संस्कृत शब्दों, विवेक ("विवेक") और आनंद ("खुशी") का एक संयोजन है।

शिकागो में विश्व धर्म संसद में भाग लेना: टर्निंग पॉइंट 

शिकागो में विश्व धर्म संसद में भाग लेना स्वामी विवेकानंद के जीवन का टर्निंग पॉइंट रहा। विश्व धर्म संसद शिकागो मे  विभिन्न धर्मों और दुनिया के विभिन्न हिस्सों के प्रतिनिधियों के लिए एक मंच था जहां 1893 में हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में इस आयोजन में शामिल हुए । बताता जाता है कि इस धर्म सभा मे वह एक आकर्षक वक्ता थेऔर वहाँ  उन्हे ईश्वरीय एक वक्ता और "धर्म संसद में सबसे महान व्यक्ति" के रूप में वर्णित किया। इसके बाद विवेकानंद ने दुनिया के मंच पर भारतीय दर्शन को वह ऊंचाई दिया जो आज तक दुनिया मे विराजमान है।

 विवेकानंद के महत्वपूर्ण कोटेशन 

  1. एक विचार लो, उस एक विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, अपने शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर दो, और हर दूसरे विचार को अकेला छोड़ दो। यही सफलता का मार्ग है।
  2. अपने आप पर विश्वास करें और दुनिया आपके चरणों में होगी।
  3. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या न आए  तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं।
  4. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा को उसमें डाल दो, बाकी सब कुछ छोड़कर।
  5. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
  6. दिन में एक बार अपने आप से बात करें, नहीं तो आप इस दुनिया के एक बेहतरीन इंसान से मिलने से चूक सकते हैं।
  7. एक आदमी एक रुपये के बिना गरीब नहीं है, लेकिन एक आदमी सपने और महत्वाकांक्षा के बिना वास्तव में गरीब है।
  8. मस्तिष्क और मांसपेशियों को एक साथ विकसित होना चाहिए। लोहे की नसें एक बुद्धिमान मस्तिष्क के साथ - और पूरी दुनिया आपके चरणों में है।
  9. हमेशा खुद को खुश दिखाने की कोशिश करें। शुरू में यह आपका रूप बन जाता है, धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाता है और अंत में यह आपका व्यक्तित्व बन जाता है.
  10. "ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। बस हमें उनका उपयोग करना सीखना है।"
  11. "स्वयं को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।"
  12. "ज्ञान और कर्म दोनों के बिना जीवन अधूरा है।"
  13. "सपने देखना और उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करना ही जीवन का उद्देश्य है।"

Swami Vivekananda Jayanti 2025 Quotes : जानें स्वामी विवेकानंद के प्रमुख कोट्स जो आपके सोच को बदल देंगी

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Point Of View :  आज यानी 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की 163वीं जन्म जयंती मनाई जा (Swami Vivekananda Jayanti Images) रही है। महान आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक और विचारक स्वामी विवेकानंद की स्मृति में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस भी प्रत्‍येक वर्ष 12 जनवरी को मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद का युवाओं की क्षमता में अटूट विश्वास देश के युवा नागरिकों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के (Swami Vivekananda Jayanti Quotes) ज्ञाता थे। उनके दार्शनिक विचार और कथन आज भी युवाओं को आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करते हैं साथ ही उनका प्रेरक जीवन और सशक्त संदेश युवाओं से अपने सपनों को संजोने, अपनी ऊर्जा को उजागर करने और उनके कल्पित आदर्शों के अनुरूप भविष्य को आकार देने का आग्रह करता है।

भारत में कई सामाजिक और धार्मिक सुधारों के लिए काम अलख जगाने वाले दार्शनिक, संत और विचारक स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था तथा उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं। बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान और जिज्ञासु प्रवृति के स्वामी विवेकानन्द की बचपन से ही धर्म और दर्शन में गहरी रुचि थी।

भारत में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस के अवसर पर किया जाता है. इस अवसर पर कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो युवाओं मानसिक तथा उनके सर्वांगीण विकास के लिए जरुरी है. 
Swami Vivekananda Jayanti 2025 Quotes


एक महान विचारक होने के साथ हीं वे  रामकृष्ण परमहंस के अनुयायी थे. उल्लेखनीय स्वामी विवेकानंद ने  1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।


यह दिन विशेष रूप से सांस्कृतिक उत्सव और युवाओं के कुछ पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। युवाओं को उनकी सांस्कृतिक प्रतिभाओं और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति और पूर्ति के लिए देश भर में कई तरह की गतिविधियों के साथ कई अन्य कार्यक्रमों को कवर करने के साथ यह दिन मनाया जाता है।

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राष्ट्रीय युवा दिवस इतिहास

विवेकानंद का मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त  था जिन्होंने पश्चिमी दुनिया के लिए वेदांत और योग के भारतीय दर्शन की शुरुआत करने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे।

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विवेकानंद के महान विद्वान और दार्शनिक अपने प्रज्वलित विचारों के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने मुख्य रूप से इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने मन को कैसे नियंत्रित किया जाए। उनका दर्शन निश्चित रूप से मन को नियंत्रित करने पर बहुत जोर देता है जो कि अंतिम चीजें हैं जो हमारे व्यक्तिवाद को तय करती हैं।

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सत्यवादिता, निःस्वार्थता और पवित्रता जैसे गुण जीवन के महत्वपूर्ण कारक हैं जिन पर व्यक्ति द्वारा ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जैसा कि विवेकानंद ने जोर दिया था।

विवेकानंद के अनुसार, ब्रह्मचर्य युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कारक है और युवाओं को अपने व्यक्तित्व विकास के लिए इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह सहनशक्ति और मानसिक कल्याण का स्रोत है।

शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन 

स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने इस सम्मेलन में अपने भाषण में भारत और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उनके भाषण ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। इस भाषण के बाद उन्हें "युवा भारत का प्रेरणास्रोत" और "आधुनिक भारत का पिता" कहा जाने लगा।

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वह अपने विचारों के लिए अद्वितीय थे जिन्होंने युवाओं को पवित्र पुस्तक भगवद् गीता का अध्ययन करने के बजाय फुटबॉल खेलने पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि उनका मानना ​​है कि युवा गीता के अर्थ को अपने मजबूत कंधे और बांह के साथ बेहतर तरीके से समझ सकते हैं जो केवल फुटबॉल द्वारा ही बनाया जा सकता है। 

विवेकानंद का सफलता मंत्र क्या है?

"एक विचार उठाओ। उस एक विचार को अपना जीवन बनाओ; उसका सपना देखो; उसके बारे में सोचो; उस विचार पर जियो। मस्तिष्क, शरीर, मांसपेशियों, नसों और शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर दो, और बाकी हर विचार को अकेला छोड़ दो। यही सफलता का रास्ता है, और इसी तरह महान आध्यात्मिक दिग्गज पैदा होते हैं।"

विवेकानंद के अनुसार सच्चा मनुष्य कौन था?

स्वामी विवेकानंद के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो जीवन में सफल होने का सपना देखता है उसके भीतर सबसे पहला गुण आत्मविश्वास का जरूर मौजूद होना चाहिए। विवेकानंद का कहना था कि जिस व्यक्ति में आत्म विश्वास नहीं होता वो बलवान होकर भी कमजोर ही बना रहता है। जबकि आत्म विश्वास से भरा हुआ व्यक्ति कमजोर होकर भी बलवान ही रहता है।

स्वामी विवेकानंद पढ़ाई कैसे करते थे?

ऐसा कहा जाता है कि  विवेकानंद ध्यान साधना करते थे जिसके कारण उनकी एकाग्रता बहुत तीव्र थी। वह बहुत बुद्धिमान भी थे। इसी कारण वे एक ही दिन में 10-10 किताबें पढ़ लेते थे और उन्हें किस लाइन में क्या लिखा है और किस पृष्ठ पर क्या लिखा है यह सभी याद रहता था।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार पढ़ने के लिए क्या जरूरी है?

पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।

विवेकानंद के महत्वपूर्ण कोटेशन 

  1. एक विचार लो, उस एक विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, अपने शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर दो, और हर दूसरे विचार को अकेला छोड़ दो। यही सफलता का मार्ग है।
  2. अपने आप पर विश्वास करें और दुनिया आपके चरणों में होगी।
  3. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या न आए  तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं।
  4. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा को उसमें डाल दो, बाकी सब कुछ छोड़कर।
  5. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
  6. दिन में एक बार अपने आप से बात करें, नहीं तो आप इस दुनिया के एक बेहतरीन इंसान से मिलने से चूक सकते हैं।
  7. एक आदमी एक रुपये के बिना गरीब नहीं है, लेकिन एक आदमी सपने और महत्वाकांक्षा के बिना वास्तव में गरीब है।
  8. मस्तिष्क और मांसपेशियों को एक साथ विकसित होना चाहिए। लोहे की नसें एक बुद्धिमान मस्तिष्क के साथ - और पूरी दुनिया आपके चरणों में है।
  9. हमेशा खुद को खुश दिखाने की कोशिश करें। शुरू में यह आपका रूप बन जाता है, धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाता है और अंत में यह आपका व्यक्तित्व बन जाता है.
  10. "ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। बस हमें उनका उपयोग करना सीखना है।"
  11. "स्वयं को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।"
  12. "ज्ञान और कर्म दोनों के बिना जीवन अधूरा है।"
  13. "सपने देखना और उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करना ही जीवन का उद्देश्य है।"

Point of View: मेरा जीवन मेरा सबसे बड़ा शिक्षक-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Point of View: मेरा जीवन मेरा सबसे बड़ा शिक्षक-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट में जब श्री मोदी से पूछा गया कि परिस्थितियों ने किस तरह से जीवन को आकार दिया है, तो उन्होंने अपने चुनौतीपूर्ण बचपन को "विपत्तियों का विश्वविद्यालय" बताया और कहा, "मेरा जीवन मेरा सबसे बड़ा शिक्षक है।"

उन्होंने कहा कि अपने राज्य की महिलाओं के संघर्ष को देखकर, जो पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलती थीं, उन्हें स्वतंत्रता के बाद पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता से प्रेरणा मिली। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि वे योजनाओं का स्वामित्व नहीं लेते हैं, लेकिन वे राष्ट्र को लाभ पहुंचाने वाले सपनों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर देते हैं।

 उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के मार्गदर्शक सिद्धांतों को साझा किया: अथक परिश्रम करना, व्यक्तिगत लाभ की इच्छा नहीं करना और जानबूझकर गलत काम करने से बचना। उन्होंने स्वीकार किया कि गलतियाँ मानवीय हैं, लेकिन उन्होंने अच्छे इरादों के साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने भाषण को याद करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि वे कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटेंगे, वे अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ नहीं करेंगे और वे गलत नीयत से कोई गलती नहीं करेंगे। वे इन तीन नियमों को अपने जीवन का मंत्र मानते हैं।

आदर्शवाद और विचारधारा के महत्व के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि "राष्ट्र प्रथम" ही हमेशा उनका मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है। उन्होंने कहा कि यह विचारधारा पारंपरिक और वैचारिक सीमाओं से परे है, जिससे उन्हें नए विचारों को अपनाने और पुराने विचारों को त्यागने की अनुमति मिलती है, यदि वे राष्ट्र के हित में हों। उन्होंने कहा कि उनका अटल मानक "राष्ट्र प्रथम" है। 

प्रधानमंत्री ने प्रभावशाली राजनीति में विचारधारा की तुलना में आदर्शवाद के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विचारधारा आवश्यक है, लेकिन सार्थक राजनीतिक प्रभाव के लिए आदर्शवाद महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का उदाहरण दिया, जहां विभिन्न विचारधाराएं स्वतंत्रता के सामान्य लक्ष्य के लिए आपस में समाहित हो गयीं। (स्रोत-PIB )

Point of View: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेगिस्तान मे बिताई थी रात, जानें कैसे बना गुजरात मे रण उत्सव बड़ा इवेंट


ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट मे इस सवाल के जवाब मे कि कोई एक ऐसी चीज जिसे प्रधानमंत्री मिस करते हैं, और उसके बारे मे अपनी व्यस्तताओं के कारण नहीं सोच पाते हैं,  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि वन लाइफ वन विजन जैसा हो गया है। इसलिए शायद मुझे लेकिन एक चीज मैं पहले करता था जो कभी-कभी मेरा मन अभी भी करता है। 

मेरा एक कार्यक्रम होता था और मैंने उसको नाम दिया था मैं मुझको मिलने जाता हूं, मैं मुझको मिलने जाता हूं, यानी कभी-कभी हम खुद को ही नहीं मिलते दुनिया को तो मिलते हैं खुद को मिलने के लिए समय ही नहीं है। तो मैं क्या करता था साल में कोई समय निकाल के तीन चार दिन मेरी जितना जरूरत है उतना सामान लेकर के चल पड़ता था और उस जगह पर जाकर रहता था जहां कोई मनुष्य ना हो, कहीं पानी की सुविधा मिल जाए बस ऐसी जगह मैं ढूंढता था जंगलों में कहीं, उस समय तो ये मोबाइल फोन वगैरह तो कुछ था ही नहीं, अखबार वगैरह का कुछ सवाल नहीं उठता था, तो वो जीवन मेरा एक अलग आनंद होता था, वो मैं कभी-कभी मिस करता हूं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि अपने आप में खो जाना बस यही एक बात है। एक उदाहरण बताता हूं जैसे क्या हुआ। शायद 80 का कालखंड होगा, मैंने तय किया कि मैं रेगिस्तान में रहूंगा, तो मैं चल पड़ा, लेकिन रेगिस्तान में मैं भटकता ही गया भटकता ही गया, लेकिन एक दिया दिखता था लेकिन मैं पहुंच ही नहीं पाता था, तो कोई मुझे एक कैमल वाला मिल गया, बोले भाई तुम क्या कर रहे हो यहां पर, मैंने कहा भाई मैं रेगिस्तान में अंदर जाना चाहता हूं, उसने कहा ऐसा करो अभी मेरे साथ चलो वो जो सामने लाइट दिखती है वो एक आखिरी गांव है, मैं तुम्हें वहां तक छोड़ देता हूं, रात को वहां रुक जाना और सुबह फिर कोई वहां से तुम्हें मिल जाए तो तो मुझे ले गया। कोई गुलबेक करके मुस्लिम सज्जन थे, उनके यहां ले गया। 

प्रधानमंत्री ने बताया कि अब वो छोटा सा गांव धोरडो जो पाकिस्तान की सीमा पर भारत का आखिरी गांव है, और वहां 20-25 घर और सभी मुस्लिम परिवार तो अतिथि सत्कार तो हमारे देश में है ही है उनका भाई बच्चे तुम आओ भाई, मैंने कहा नहीं मुझे तो जाना है तो बोले नहीं जा सकते रेगिस्तान में अभी तो तुम्हें अंदाज है माइनस टेंपरेचर होगा। तुम कैसे रहोगे वहां, अभी रात को यहां सो जाओ तुम्हें सुबह दिखाएंगे। खैर रात को मैं उनके घर रुका उन्होंने खाना वाना खिलाया, मैंने कहा भाई मुझे तो अकेले रहना है कुछ चाहिए नहीं मुझे, बोले तुम अकेले रह ही नहीं सकते तुम्हें यहां एक हमारा छोटा सा झोपड़ी है तुम वहां रहो और उस दिन में चले जाना तुम रण में रात को वापिस आ जाना, मैं गया वो वाइट रण था और कल्पना बाहर का वो एक दृश्य ने मेरे मन को इतना छू लिया जो चीजें मैंने मेरे हिमालयन लाइफ में अनुभव की थी, बर्फ की चट्टानों के बीच में जिंदगी गुजारना यहां मैं वही दृश्य अनुभव कर रहा था और मुझे एक स्पिरिचुअल फीलिंग आता था लेकिन वो जो दृश्य मेरे मन में था जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने वहां एक रण उत्सव बड़ा इवेंट बना दिया और आज वो टूरिज्म का बहुत बड़ा डेस्टिनेशन बन गया है और अभी ग्लोबली बेस्ट टूरिस्ट विलेज का उसको दुनिया में नंबर वन इनाम मिला है उसको। (स्रोत-PIB )

Makar Sankranti 2025: जानें कैसे करें पवित्र स्नान और क्या है मंत्र और महत्व


हिन्दू पंचांग और धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पवित्र स्नान से न केवल शरीर शुद्ध होता है बल्कि  यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है।

इस दिन स्नान करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, जिससे आत्मा को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। स्नान के लिए यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या तीर्थस्थानों में स्नान करें हालांकि अगर व्यस्तताओं के कारण वहाँ जाना संभव नहीं हो तो आप अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

स्नान से पहले की तैयारी

स्नान से पहले मन को शांत करें और सकारात्मक विचार रखना अत्यंत जरूरी होता है क्योंकि स्नान सिर्फ तन से हीं नहीं बल्कि यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है। 

हमारे धर्म ग्रंथों मे नदियों की पवित्रता को विशेष रूप से उल्लेख किया गया है जिन्हे माँ के रूप मे पुकारा जाता है। यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या अन्य  तीर्थस्थानों में स्नान करें। हालांकि व्यस्तताओं के कारण अगर आप पवित्र नदी मे नहीं जा सकते तो अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान आरंभ करने से पहले यह मान्यता है कि जल को हाथ में लेकर भगवान का ध्यान करते हुए आचमन करें।

 स्नान का विधि-विधान

स्नान करने के लिए ऐसी मान्यता हा कि पहले जल को पवित्र करें और फिर शुद्ध मन से हाथ मे जल को हाथ में लेकर संकल्प करें-

"मैं इस स्नान के द्वारा अपने पापों और दोषों को दूर कर, शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना चाहता/चाहती हूं।"

इसके साथ ही इस अवसर पर भगवान सूर्य, विष्णु या शिव का ध्यान करें और उनसे अपने  शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए प्रार्थना करें। 

मंत्रोच्चार करें: स्नान करते समय निम्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।

स्नान के बाद के नियम

स्नान के बाद हमेशा शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनें क्योंकि स्नान के बाद पूजा और भगवान को ध्यान करने कि प्रक्रिया पूरी करना जरूरी होता है। भगवान को ध्यान और प्रार्थना करें तथा इस अवसर पर आप दान दें। मकर संक्रांति जैसे पावन अवसर पर तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। भोजन में सात्विकता जरूरी है और स्नान के बाद केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें। की स्थानों पर लोग दही चूड़ा, तिल और अन्य चीजों से बनी लाई खाते हैं। 

मकर संक्रांति में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

जैसा कि पहले ही कहा जा गया है कि मकर संक्रांति का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकिइस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पर कोई भी 'तामसिक' खाद्य पदार्थ न खाएं और न ही घर लाएं । आपको सभी का सम्मान करना चाहिए और इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए न हीं किसी का दिल दुखाना चाहिए। अगर संभव हो तो गरीब या भूखे लोगों को अन्न और वस्त्र दान करनी चाहिए। खुद को कारात्मक विचारों और नकारात्मक वातावरण से दूर रखनी चाहिए साथ ही नकारात्मक  ऊर्जा वाले स्थानों और लोगों से हमें दूर रखनी चाहिए। 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।


मकर संक्रांति 2025: जानें महत्त्व, मनाने की विधि और क्या है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?

Makar sankranti 2024 Significance date how to celebrate

मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
हिन्दू पंचांग के अनुआर पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इसे हीं मकर संक्रांत के नाम से पुकारा जाता है। पंचांग के अनुसार Makar Sankrati 2025 जनवरी 14, 2025  को हर्षोलास के साथ मनाया जाएगा। देश के विभिन्न हिस्सों मे यह अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि।

मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि। हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है। उन्‍हीं में से एक है मकर संक्राति। आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्‍कर उत्‍तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। 

क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति? 

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति को मनाने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ धार्मिक और कुछ वैज्ञानिक हैं।

धार्मिक कारण

मकर संक्रांति को सूर्य देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सूर्य देवता को हिंदू धर्म में जीवनदाता माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। उत्तरायण काल को शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस काल में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसलिए, इस दिन को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन मौसम में बदलाव होता है। इस दिन से ठंड का मौसम खत्म हो जाता है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इसलिए, इस दिन को नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के परंपरागत आयोजन

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के परंपरागत आयोजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख आयोजन हैं:

स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है।

सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। सूर्य देवता को अमृत कलश, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।

पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय परंपरा है। पतंग उड़ाने से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

खिचड़ी: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी को शुभ और मंगलकारी माना जाता है।


ढाबा स्टाइल राजमा: परफेक्ट रेसिपी, मार्केट का स्वाद पाएं घर पर


ढाबा स्टाइल राजमा एक ऐसी रेसिपी है जो आपके खाने में ढाबे जैसा स्वाद लाती है। यहाँ बताए गए तरीके से आप ढाबा के राजमा वाले टेस्ट को घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना आसान है और इसे आप आधा घंटे में तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना जितना आसान है, खाने मे यह उतना ही जबरदस्त है। 

विश्वास  करें, आप इसके टेस्ट मे बाजार या ढाबा मे बजे राजमा का टेस्ट पाएंगे। इसे सही मसालों और धीमी आंच पर पकाकर बनाया जाता है। आइए जानते हैं इसकी परफेक्ट रेसिपी:



सामग्री:

राजमा: 1 कप (रातभर पानी में भिगोए हुए)

प्याज: 2 मध्यम (बारीक कटे हुए)

टमाटर: 3 बड़े (प्यूरी बना लें)

हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी हुई)

अदरक-लहसुन पेस्ट: 1 बड़ा चम्मच

घी या मक्खन: 3 बड़े चम्मच

तेल: 1 बड़ा चम्मच

जीरा: 1 छोटा चम्मच

हल्दी पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच

धनिया पाउडर: 1 छोटा चम्मच

लाल मिर्च पाउडर: 1 छोटा चम्मच

गरम मसाला: 1 छोटा चम्मच

कसूरी मेथी: 1 बड़ा चम्मच (भुनी और मसलकर)

नमक: स्वादानुसार

धनिया पत्ती: गार्निश के लिए

विधि:

1. राजमा उबालना:

भिगोए हुए राजमा को धोकर प्रेशर कुकर में डालें।

उसमें 4 कप पानी, 1/2 छोटा चम्मच नमक और एक चुटकी हल्दी डालें।

मध्यम आंच पर 4-5 सीटी आने तक पकाएं। (राजमा नरम होना चाहिए।)

2. मसाला बनाना:

एक कढ़ाई में तेल और घी गर्म करें।

इसमें जीरा डालें और चटकने दें।

बारीक कटी हुई प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें।

अदरक-लहसुन पेस्ट और हरी मिर्च डालें। भूनें जब तक खुशबू न आ जाए।

अब टमाटर की प्यूरी डालें और मसाले (हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर) डालकर अच्छे से भूनें।

मसाला तब तक पकाएं जब तक तेल अलग न होने लगे।

3. राजमा और मसाला मिलाना:

उबले हुए राजमा को मसाले में डालें।

साथ में राजमा का पानी (जिसमें उबाला था) डालें।

इसे धीमी आंच पर 15-20 मिनट तक पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें।

4. तड़का और गार्निश:

गरम मसाला और कसूरी मेथी डालें। अच्छे से मिलाएं।

2 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।

ऊपर से धनिया पत्ती से गार्निश करें।

सर्विंग टिप्स:

इसे चावल, तंदूरी रोटी या पराठे के साथ गरमा-गरम परोसें।

ऊपर से एक चम्मच मक्खन डालकर इसे और स्वादिष्ट बनाएं।


Born On Tuesday: मंगलवार को जन्म लेने वाले होते हैं साहसी, जुझारू और जल्दी हार नही मानने वाले


Born on Tuesday: अगर आप हिंदू धर्म और उनको विस्तार से अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. इस प्रकार से गणना से मंगलवार का दिन बजरंगबली का माना जाता है. मंगलवार को जन्मे लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे दृढ इच्छाशक्ति के मालिक होते हैं और अपने सपनों को वास्तविकता के धरातल पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ऐसे लोग सफलता के लिए तब तक प्रयास करते रहते हैं जब तक कि वे उसे प्राप्त नहीं कर लेते। अच्छे दिनों में, मंगलवार को जन्मे लोग बुद्धिमान, प्रेरित और निडर होते हैं, लेकिन बुरे दिनों में, वे जिद्दी और असुरक्षित हो सकते हैं।  आइये जानते हैं  मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.

आसानी से नहीं मानते हार: 
मंगल गृह के स्वाभाव के अनुसार मंगलवार के दिन जन्मे लोग स्वभाव से गुस्सैल और बहादुर होते हैं और वे किसी भी खराब परिस्थिति में आसानी से हार नहीं मानते हैं.  ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं.  ये लोग कोई भी गलत बात स्वीकार नहीं कर पाते हैं. स्वभाव से ये लोग बहुत खर्चीले होते हैं. गुस्सैल स्वभाव के होने की वजह से यह लोग छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा करते हैं.इन लोगों के आसानी से दोस्त नहीं बनते हैं लेकिन अगर एक बार दोस्ती हो गई तो ये लोग दिल से निभाते हैं.

स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता: 

मंगल को मंगलवार के साथ जोड़ा जाता है, और इसलिए इस दिन जन्मे लोग नेतृत्व की क्षमता और अग्रसरता रखते हैं। इनमें नेतृत्व क्षमता जन्मजात होती है और वे लोगों को प्रेरित करने में माहिर होते हैं। वे समाज में अच्छी गाइडेंस कर सकते हैं और सामरिक परिस्थितियों में नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। मंगल ग्रह के प्रभाव से, मंगलवार को जन्मे लोग अक्सर साहसी, ऊर्जावान और शक्तिशाली होते हैं।

उच्च ऊर्जा स्तर:

 मंगल का प्रतीक्षित ज्वालामुखी तत्व होने के कारण, जो उच्च ऊर्जा स्तर को संकेत करता है, मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग उच्च ऊर्जा स्तर वाले हो सकते हैं। वे सक्रिय और उत्साही हो सकते हैं और अपने काम में प्रभावी हो सकते हैं। मंगलवार को जन्मे लोग जीवन के प्रति उत्साही होते हैं और नए अनुभवों के लिए तैयार रहते हैं।

क्रोधप्रवृत्ति: 

मंगलवार को जन्मे लोगों में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं। मंगल ग्रह आपातकालीन स्थितियों का प्रतीक होता है और इसलिए मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के पास अधिक क्रोधप्रवृत्ति हो सकती है। वे छोटी बातों पर जल्दी गुस्सा हो सकते हैं और उन्हें अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीखना चाहिए। 

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रिस्क और साहस करने की क्षमता

ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं. ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं. मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों में मंगल ग्रह का प्रभाव होता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को शौर्य, साहस, निर्णायक और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं. 

मंगल वार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की यह सामान्य लक्षण हैं जिसे समान्यता: ज्योतिष और कुंडली की जानकारी पर दी गई है. हालाँकि यह भी सत्य है कि हर व्यक्ति अद्वितीय होता है, इसलिए यह सुनिश्चित नहीं है कि सभी मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग इन लक्षणों से पूरी तरह से मेल खाते होंगे। 

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नोट: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।