Neena Gupta gete Ramanujan Prize for Mathematicians

Neena Gupta gete Ramanujan Prize for Mathematicians
युवा गणितज्ञों को दिए जाने वाले रामानुजन पुरस्कार से कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान की एक गणितज्ञ प्रोफेसर डॉ. नीना गुप्ता को सम्मानित किया गया है। 22 फरवरी, 2022 को उन्हें एक वर्चुअल समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें संबद्ध बीजीय ज्यामिति और विनिमेयशील बीजगणित में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए साल 2021 का यह पुरस्कार मिला है।

सचिव और विभाग की ओर से डीएसटी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रभाग के प्रमुख श्री संजीव वार्ष्णेय ने डॉ. नीना गुप्ता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक महिला शोधकर्ता को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है और यह पूरे विश्व की अन्य महिला शोधकर्ताओं को गणित को अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। श्री संजीव वार्ष्णेय ने आगे कहा, "मुझे यह भी विश्वास है कि यह मान्यता उन्हें भविष्य में और अधिक उल्लेखनीय परिणामों के साथ अपने अनुसंधान का विस्तार करने के लिए प्रेरित करेगी। यह न केवल हमारे देश में बल्कि, पूरे विकासशील विश्व में शोधकर्ताओं व युवा गणितज्ञों को गणितीय विज्ञान में अनुसंधान करने के लिए प्रेरित करेगा।”

आईसीटीपी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर थ्योरीटिकल फिजिक्स) व अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (आईएमयू) के सहयोग से भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित यह पुरस्कार विकासशील देश के एक शोधकर्ता को हर एक साल प्रदान किया जाता है।

यह पुरस्कार 45 साल से कम उम्र के युवा गणितज्ञों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने एक विकासशील देश में उत्कृष्ट शोध किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की ओर से समर्थित यह पुरस्कार श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में प्रदान किया जाता है। श्रीनिवास रामानुजन जो शुद्ध गणित में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जिन्होंने खुद से पढ़ाई करके दीर्घवृत्तीय कार्यों, निरंतर अंशों, अनंत श्रृंखला और संख्याओं के विश्लेषणात्मक सिद्धांत में अपना शानदार योगदान दिया था।

बीजगणितीय ज्यामिति में एक मूलभूत समस्या- जारिस्की कैंसिलेशन प्रॉब्लम के समाधान के लिए प्रोफेसर गुप्ता को 2014 का भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (एनएसए) का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त हुआ था। एनएसए ने उनके समाधान को 'हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए बीजगणितीय ज्यामिति में सबसे अच्छे कार्यों में से एक' के रूप में बताया गया था। इस प्रॉब्लम को 1949 में आधुनिक बीजगणितीय ज्यामिति के सबसे प्रख्यात संस्थापकों में से एक ऑस्कर जारिस्की ने सामने रखा था।

एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के साथ साक्षात्कार में प्रोफेसर गुप्ता ने इस प्रॉब्लम का वर्णन किया था --- कैंसिलेशन प्रॉब्लम पूछती है कि अगर आपके पास दो ज्यामितीय संरचनाओं के ऊपर सिलेंडर रखे हैं और जिनके समान रूप हैं तो क्या कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि मूल आधार संरचनाओं के भी समान रूप हैं?

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