Hanuman Jayanti 2024: संकट मोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें

Lord Hanuman and Teaching Sankatmochak Hanuman Jayanti

Hanuman Jayanti 2024  हनुमान जयंती, जिसे हनुमान जन्मोत्सव भी कहा जाता है, इस साल 23/24 अप्रैल, 2024 को पूरे धूम धाम से मनाई जाएगी। भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और देश भर में लोग हनुमान जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। भगवान हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं।
वैसे तो भगवन हनमान जी को भक्तगण अनगिनत नामों से पुकारते हैं,  लेकिन उन सबमे जो सबसे लोकप्रिय है वह है "संकट मोचन". ऐसी मान्यता है कि भगवन हनुमान जो खुद प्रभु राम के सेवक हैं, हमेशा से संकट में पड़ें लोगों को उबारने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. आप रामायण या रामचरित मानस का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि प्रभु हनुमान न केवल भगवान् राम बल्कि सभी चरित्रों चाहे वह माता सीता हो, लक्ष्मण हो, विभीषण हो, सुग्रीव हो या अन्य चरित्र।। हनुमान हमेशा से उन्हें संकटों से निकालने में हमेशा आगे रहे हैं और यही वजह है कि अपने भक्तों में भगवन हनुमान संकटमोचन नाम से अधिक प्रिय भी हैं. मान्यता भी यही है कि सभी के संकट को हरने वाले भगवान् हनुमान इस घोर कलयुग में सबसे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर भी करते हैं.

भगवान् राम के सेवा के लिए तो प्रभु हुनमान हमेशा तैयार रहते हैं. फिर वह चाहिए रावण द्वारा सीता माता का हरण किये जाने पर लंका में उनका पता लगाना हो या रावण के साथ युद्ध का प्रसंग हो, भगवन हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं. 

अपने बड़े भाई बालि द्वारा से प्रताडित होकर सुग्रीव जहाँ पहाड़ों की कंदराओं में जीवन काट रहे थे. बड़े भाई बालि के भय से चिप कर जीवन गुजरने किए लिए विवश सुग्रीव को भगवन हनुमान ही इस संकट से निकलते हैं. सुग्रीव से भगवन राम की मित्रता करने वाले हनुमान ही हैं जो बालि का वध कर सुग्रीव को राज पाट दिलवाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. 

लंकाधिपति रावण द्वारा ठुकराए गए उसके भाई विभीषण को संकट के क्षण में भगवन हनुमान ही निकलते हैं. पहले भगवन राम से मित्रता और फिर विभीषण को लंका का राजा बनाने में हनुमान प्रमुख भूमिका निभाते हैं. 

कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने शनि देव को अपने दरबार में उलटा लटका कर बंधक बना लिया था. भगवन शनि देव उस समय खुद संकट में थे क्योंकि रावण के जाल से शनिदेव का निकलना आसान नहीं था. ऐसी मान्यता है कि भगवन हनुमान ने ही शनिदेव को उस संकट से उबारा था. आज भी यह कहा जाता है कि भगवन हनुमान की पूजा करने वाले भक्तों को शनि के प्रकोप से शांति मिलती है. 

ऐसे अनगिनत प्रसंग रामायण और रामचरित मानस में आपको मिलेंगे जो यह प्रमाणित करता है कि भगवन हनुमान हमेशा से आपदाग्रस्त या किसी संकट में रहने वाले चरित्रों को संकट से निकलने में सबसे आगे रहते हैं और यही कारण है कि भगवान् हनुमान हमेशा अपने भक्तों के संकट को दूर करने में तत्पर रहते हैं और इसीलिए भक्तगण उन्हें संकटमोचन के नाम से पुकारते हैं. 

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