नजरिया जीने का: अपनी सोच को सीमाओं से नही बांधे, कुछ बड़ा करने से पहले खुद से पूछे यह तीन सवाल?


नजरिया जीने का: आप अपनी सोच को नई उड़ान दें और उन सपनों से खुद को साक्षात्कार होने दें जहां तक आपको आपकी सोच ने पहुंचाया है। विश्वास कीजिए, अगर आप दिवास्वप्न नही देख रहें है तो वह सब आपकी पहुंच के अंदर है।

अपनी सोच को सीमाओं से नहीं बांधना और बड़ा सोचना एक जीवन बदलने वाला अनुभव है जिसका अनुभव करने के लिए यह जरुरी है कि सबसे पहले आप  खुद  पर यकीन  करना सीखें. विश्वास करें,  जब आप अपनी सोच को सीमाओं से नहीं बांधते हैं, तो आप अपनी क्षमताओं को पूरी तरह से विकसित कर में  सफल होते है और यही स्थिति आपको जीवन में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित करती है.

 जीवन  में आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी सोच  और कल्पना को ऊँची उड़ानों से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह  सच है कि जीवन में सिर्फ स्वतंत्रता ही काफी नहीं होती बल्कि हमें आगे बढ़ने के लिए खुद पर एक जिम्मेदार नियंत्रण भी  एक जरुरी फैक्टर है आप तो खुद के अंदर वह हिम्मत और साहस के साथ उन सपनों को यथार्थ के धरातल पर उतारने की कोशिश शुरू कीजिए।
किसी भी कार्य को करने के पहले खुद से तीन सवाल करें-
1. अपने आप से सवाल पूछें.
 अपने आप से यह सवाल पूछें कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं. अपने सपनों और लक्ष्यों के बारे में सोचें. एक बार जब आप जान जाएंगे कि आप क्या चाहते हैं, तो आप अपनी सोच को उस दिशा में केंद्रित करना शुरू कर सकते हैं.

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती…
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…
-हरिवंश राय बच्चन

2. अपने आप को प्रेरित करें. 
अपने आप को प्रेरित करने के लिए, आप कहानियों, वीडियो, या किसी भी चीज का इस्तेमाल कर सकते हैं जो आपको प्रेरित करती है. आप अपने दोस्तों और परिवार से भी प्रेरणा ले सकते हैं.
3. कार्रवाई करें. 
अपनी सोच को सीमाओं से नहीं बांधने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप कार्रवाई करें. जब आप कुछ करते हैं, तो आप अपने आप को विश्वास दिलाते हैं कि आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं.

 भले ही आपके रोजमर्रा के जीवन में हर जगह लिमिट एक जरूरी शर्त है जो आपके लिए जरूरी भी है। अगर आप सड़क पर गाड़ी से गुजर रहे हैं तो स्पीड लिमिट जरूरी है। बैंक का डेबिट कार्ड ही चाहे क्रेडिट कार्ड वहां भी आप लिमिट को नजरंदाज नहीं कर सकते। यहां तक आपके बोली और व्यवहार भी अगर गलती से लिमिट क्रॉस हो जाए तो आफत से कम नहीं है। लेकिन याद रखे, जीवन में हर जगह पर एक लिमिट का हीं आपके लिए जरूरी है लेकिन कभी भी अपनी थिंकिंग या सोच को लिमिट नही दें क्योंकि यह आपके लिए हानिकारक हो सकती है।

अपने सोच को हमेशा स्वतंत्र रखें क्योंकि प्रकृति ने हमें उन सभी गुणों से पूर्ण करके भेजा हैं जो अन्य लोगों में हैं तो फिर उन्हे सीमाओं से बांधने वाले हम कौन होते हैं।

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
तू रुख हवाओं का मोड़ दे,
हिम्मत की अपनी कलम उठा,
लोगों के भरम को तोड़ दे.
-नरेंद्र वर्मा

आप अपनी सोच को नई उड़ान दें और उन सपनों से खुद को साक्षात्कार होने दें जहां तक आपको आपकी सोच ने पहुंचाया है। विश्वास कीजिए, अगर आप दिवास्वप्न नही देख रहें है तो वह सब आपकी पहुंच के अंदर है।
आप तो खुद के अंदर वह हिम्मत और साहस के साथ उन सपनों को यथार्थ के धरातल पर उतारने की कोशिश शुरू कीजिए।

किसी शायर ने क्या खूब कहा है।।
"हम अपनी कोशिशों से बनाएंगे रास्ता, 
हिम्मत तो है, बला से कोई रास्ता नही."

हम अक्सर देखते हैं कि परिस्थितियों को अगर हम अनावश्यक रूप से बढ़ाकर पेश नहीं करें तो उनका सामना भी किया जा सकता है और वह भी आपके पास तत्काल उपलब्ध संसाधनों से।

लेकिन विडंबना यह है कि हम खुद को नगण्य और कम आंकने की दुर्भावना से इतने ग्रसित हो चुके हैं कि सकारात्मक ऊर्जा हमारे अंदर दस्तक भी नही दे पाती है।

इसके लिए यह जरूरी है कि हम खुद के अंदर पॉजिटिव सोच को जगह दी, नकारात्मक लोगों से दूरी बनाए और सबसे जरूरी हमेशा बड़ा सोचें और बड़ी उपलब्धियों को हासिल करें।





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