Ramnavmi 2024-नजरिया जीने का: भगवान राम से सीखें परिवार, एकता और रिश्तों का महत्व

 


Ramnavmi 2024: भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है, ने हमेशा अपने निजी सुख सुविधा से अधिक अपने परिवार, राज्य, को महत्व दिया। सच तो यह है कि  भगवान राम का जीवन एकता, परिवार और रिश्तों को महत्व देने की प्रेरणादायक कहानी है जिसकी आज के संदर्भ मे लोगों को सबसे अधिक जरूरत है। आज जहां हम अपने निजी लाभ के लिए परिवार से अलग हो जाना और खुद के बारे मे सोचने को प्रोफेशनल और समझदार मानते हैं, सच्चाई यह है कि हम अपने जीवन मे भगवान राम के आदर्शों को भूल गए हीं जिन्होंने अपने जीवन को इन मूल्यों को अपनाने के लिए न्योछावर कर मर्यादा पुरुषोतम के रूप मे पूजनीय बने।

एकता

भगवान राम ने सदैव एकता पर बल दिया और जीवन मे हर समय अपने परिवार और अपने सहयोगियों कि सहायता के लिए सदैव उपस्थितः रहे । उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ मिलकर वनवास के कष्टों का सामना किया। उन्होंने वनवासियों और वनचरों को भी एकजुट किया और रावण के विरुद्ध युद्ध में उनका नेतृत्व किया।

भगवान राम का यह एकता और त्याग  हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एकता अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए और एकता के सूत्र में बंधकर काम करना चाहिए।

परिवार

भगवान राम के लिए परिवार सर्वोपरि था और इसकी झलक हर समय प्राप्त होती है जब उन्हे परिवार के सदस्यों के लिए त्याग या समर्पण कि जरूरत होती है। उन्होंने अपने पिता दशरथ के वचन को पूरा करने के लिए वनवास का कष्ट सहन किया और अपनी पत्नी सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए युद्ध लड़ा। उन्होंने अपने भाईयों और माता कैकेयी का भी सदैव सम्मान किया।

भगवान राम हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों मे भी एक परिवार के रूप में एक साथ खड़े रहें एकजुटता का ही वह फल होता है जो आपको सबसे बुरे तूफानों से निपटने की शक्ति देता है। हर रिश्ता हमारे लिए लालच, क्रोध और शक्ति से ऊपर उठने का एक अवसर होता है और भगवान राम ने जीवन मे हर अवसर पर इसे साबित किया कि मर्यादा और उच्च आदर्श उनके लिए सबसे जरूरी है बजाए लालच, क्रोध और शक्ति है। अगर हम प्यार को हर चीज से ऊपर रखते हैं, जीवन के प्रति हमारा मूल्य और सम्मान अपने आप बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह हमारी आत्मा को शुद्ध करता है और हमें अच्छे कर्म के मार्ग पर स्थापित करता है।

भगवान राम का परिवार और उसके सदस्यों के प्रति प्रेम हमें सिखाता है कि जीवन में परिवार का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। हमें अपने परिवार के सदस्यों के प्रति सदैव प्रेम, स्नेह और सम्मान का भाव रखना चाहिए और उनके सुख-दुख में सदैव उनके साथ खड़ा रहना चाहिए।

रिश्ते

भगवान राम ने अपने जीवन में सभी रिश्तों को महत्व दिया फिर चाहे वह पुत्र के रूप में हो, पति के रूप मे हो चाहे भाई के रूप मे  उन्होंने गुरु वशिष्ठ, मित्र हनुमान, भक्त विभीषण और शत्रु रावण के साथ भी सदैव सम्मान और विनम्रता का व्यवहार किया। अगर आप भगवान राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने सभी रिश्तों को महत्व दिया। उन्होंने अपने पिता के सम्मान की रक्षा के लिए स्वेच्छा से 14 साल जंगल में बिताने का फैसला किया। इस दौरान, लक्ष्मण - उनके सौतेले भाई - भी उनका समर्थन करने के लिए उनके साथ वनवास गए।


भगवान राम के परिवार और अन्य सहकर्मियों के संबंधों को देखकर यह कहा जा सकता है कि जीवन में सभी रिश्ते अनमोल होते हैं। हमें अपने रिश्तेदारों, मित्रों और परिचितों के साथ सदैव प्रेम, विश्वास और सद्भाव का भाव रखना चाहिए और उनके साथ मजबूत संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

भगवान राम का जीवन एकता, परिवार और रिश्तों को महत्व देने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनके जीवन से हमें अनेक शिक्षाएं मिलती हैं जो हमें अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। हमें सदैव एकता के सूत्र में बंधकर काम करना चाहिए, अपने परिवार के प्रति समर्पित रहना चाहिए, और सभी रिश्तों को महत्व देना चाहिए।


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