अल जुबारा (Al Zubarah): फ़ारस की खाड़ी में स्थित अल ज़ुबारह नामक चारदीवारी से घिरा तटीय शहर, 18वीं शताब्दी के अंत और 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह मोतियों के व्यापार (Pearl Trade) और समुद्री वाणिज्य का प्रमुख केंद्र था। 1811 में इसे नष्ट कर दिया गया और 1900 के दशक के प्रारंभ में इसे वीरान कर दिया गया। अल जुबारा (Al Zubarah) एक पुरातात्विक स्थल है जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के रूप में नामित किया है।
इसे 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था और यह खाड़ी क्षेत्र में अठारहवीं-उन्नीसवीं शताब्दी के व्यापारिक और मोती मछली पकड़ने वाले शहर का सबसे अच्छा संरक्षित उदाहरण है।
अल जुबारा (Al Zubarah) सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि क़तर के गौरवशाली इतिहास का सजीव प्रमाण है। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर घोषित किया जाना इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।कुवैत के व्यापारियों द्वारा स्थापित, अल ज़ुबारह के हिंद महासागर, अरब और पश्चिमी एशिया में व्यापारिक संबंध थे।
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यह स्थल 60 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है जहाँ घरों, मस्जिदों, मदाबी (खजूर बनाने वाली मशीनों), विशाल किलेबंद इमारतों और एक बाज़ार के अवशेष मौजूद हैं।
Al Zubarah Facts in Brief
- यह क़तर की राजधानी दोहा (Doha) से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम (north-west) की दूरी पर स्थित है।
- यह क़तर का पहला ऐसी धरोहर स्थल है जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
- पूरा स्थल लगभग 60 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है।
- सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा ही अब तक खुदाई (excavation) के अंतर्गत आ पाया है।
- इसकी स्थापना 18वीं सदी के मध्य में हुई थी।
- यह मोतियों के व्यापार (Pearl Trade) और समुद्री वाणिज्य का प्रमुख केंद्र था।
- 1811 में यहाँ हमला हुआ और नगर काफी हद तक नष्ट हो गया।
- 20वीं सदी तक यह पूरी तरह वीरान हो गया।
- यह स्थल क़तर के “Golden Age of Trade” का प्रतीक माना जाता है।
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