छठ पूजा स्पेशल: इस प्रकार सजाएं अपना छठ घाट कि मंत्रमुग्ध हो जाए हर देखने वाला!


छठ पूजा एक ऐसा पावन पर्व है जिसे भले हीं घर की महिला करती है, लेकिन उसे पूर्ण रूप  से संपन्न करवाने में पूरा परिवार केसदस्यों को लगना पड़ता है. छठ पर्व में जितनी तैयारी घर के अंदर करनी होती  है,इससे भी ज्यादा छठ  घाट के लिए करना होगा हैं जहाँ सूर्य देव और छठी मैया के लिए एक शांत और गहन आध्यात्मिक वातावरण तैयार किया जा सके। जाहिर है कि छठ घाट को सजावट और डेकोरेट करना  भी उतना हीं जरुरी होता है क्योंकि सुबह और शाम का अर्ध्य जो सूरज भगवन को दिया जाता  है,वह छठ घाट पर हीं संपन्न होता है. 


घाट की सजावट में प्रकाश, सादगी और पारंपरिक, प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है ताकि सूर्य देव और छठी मैया के लिए एक शांत और गहन आध्यात्मिक वातावरण तैयार किया जा सके। ध्यान रखें की छठ पूजा की सामग्री से भरे हुए बांस के सूप (Dala) और दौरा (टोकरी) को खास तौर पर सजाने  के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए. इसके लिए इन्हे ढकने के लिए लाल, पीले कपड़े या फूलों से हल्की सजावट की जा सकती है।

छठ घाट की प्रभावशाली और पारंपरिक सजावट के लिए कुछ प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:

दीये/मोमबत्तियाँ: यह सबसे ज़रूरी तत्व है। घाट की सीढ़ियों पर, अर्घ्य क्षेत्र के चारों ओर और घाट के किनारों पर जलते हुए मिट्टी के दीयों (दीयों) या छोटी मोमबत्तियों की कतारें लगाएँ। हज़ारों छोटे दीयों की सामूहिक चमक एक मनमोहक, पवित्र और प्रभावशाली छवि बनाती है, खासकर सूर्यास्त (संध्या अर्घ्य) और सूर्योदय (उषा अर्घ्य) के समय।

स्ट्रिंग लाइट्स (फेयरी लाइट्स): आज जबकि दिया का स्थान स्ट्रिंग लाइट और रंगीन लाईट ने  ले लिए है, मुख्य पूजा क्षेत्र, रेलिंग या आस-पास के पेड़ों की सीमा को रेखांकित करने के लिए साधारण, गर्म रंग की स्ट्रिंग लाइट्स (एलईडी फेयरी लाइट्स) का उपयोग करना ज्यादा सही होगा. खासतौर पर रात  के  अंध्रेरे में लाईट की जगमगाहट छठ घाट  की सजावट में चार चाँद लगा देता है।  

 फूलों की सजावट:  गेंदे के फूल, और फूलों की पंखुड़ियों की रंगोली से भी घाट   सजाना अच्छा लगता है. आखिर बगैर फूल के सजावट की कल्पना  भी कैसे की जा सकती है. घाट के प्रवेश द्वार पर तोरण बनाकर या पानी की ओर जाने वाले रास्ते के किनारों को सजाने के लिए गेंदे की लंबी लड़ियों का इस्तेमाल करें। त्योहार की पर्यावरण-अनुकूल भावना को ध्यान में रखते हुए, कृत्रिम रंगों के बजाय ताज़ी फूलों की पंखुड़ियों (विशेषकर गेंदा, गुलाब और कमल की पंखुड़ियों) का उपयोग करके अर्घ्य क्षेत्र के पास ज़मीन पर बड़ी, जीवंत रंगोली बनाएँ।

केले के पेड़ के डंठल: केला के फल  उसके पते और पेड़ को भी हिंदू सभ्यता  संस्कृति में शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त केला को समृद्धि के प्रतीक और पवित्र स्थान को चिह्नित करने के लिए उसके प्रयोग किया  है. छठ घाट की सजावट पारंपरिक रूप से केले के पेड़ के डंठलों को अर्घ्य क्षेत्र के किनारों पर रखा जाता है।

 व्यवस्थित अर्पण क्षेत्र: सूप (टोकरियाँ) की व्यवस्था: प्रसाद को व्यवस्थित रूप से प्रदर्शित करने से सबसे सुंदर छवि बनती है। अर्घ्य से पहले पानी के किनारे फलों, ठेकुआ, गन्ने और दीयों से भरी सजी हुई बाँस की टोकरियाँ (सूप या दौरा) व्यवस्थित करें, और उन्हें साफ-सुथरे और पारंपरिक तरीके से रखें।

प्रभावशाली छवि के लिए सुझाव:स्वच्छता और व्यवस्था: छठ घाट का सबसे प्रभावशाली पहलू उसकी पवित्रता और स्वच्छता है। सुनिश्चित करें कि क्षेत्र की सावधानीपूर्वक सफाई की गई हो और सभी सजावट व्यवस्थित रूप से की गई हो।

प्राकृतिक तत्वों पर ध्यान दें: चूँकि छठ प्रकृति (सूर्य, जल और पृथ्वी) को समर्पित एक त्योहार है, इसलिए प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्रियों की बजाय बायोडिग्रेडेबल और प्राकृतिक सजावट (फूल, मिट्टी के दीये, गन्ना, फल) को प्राथमिकता दें।

शुभ रंगों का प्रयोग करें: त्योहार से जुड़े पारंपरिक, चमकीले रंगों, जैसे पीला, लाल और नारंगी, जो सूर्य और शुभता के प्रतीक हैं, को कपड़ों, फूलों और रंगोली के माध्यम से शामिल करें।

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