भारत की धरोहरें विश्वभर में अपनी भव्यता और कला-कौशल के लिए जानी जाती हैं और इसमें किसी को संदेह नहीं होनी चाहिए. उन्हीं में से एक है खजुराहो जो अपनी अद्वितीय मूर्तिकला, मंदिरों की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.
खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के दौरान हुआ था, जो 950 और 1050 के बीच अपने चरमोत्कर्ष पर था। अब केवल लगभग 20 मंदिर ही बचे हैं; ये तीन अलग-अलग समूहों में आते हैं और दो अलग-अलग धर्मों - हिंदू धर्म और जैन धर्म - से संबंधित हैं।
खजुराहो अपनी नागर शैली की वास्तुकला और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है. इन्हें पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी समूहों में विभाजित किया गया है, जिनमें महादेव मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर शामिल हैं.
ये मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला के बीच एक आदर्श संतुलन बनाते हैं।
खजुराहो समूह: संक्षिप्त तथ्य
- 10वीं और 11वीं शताब्दी ईस्वी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाले चंदेल राजवंश की भारतीय मंदिर कला और वास्तुकला।
- 1986 में यूनेस्को ने खजुराहो को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया।
- 6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले सुरम्य परिदृश्य में, 23 मंदिर (जिनमें एक आंशिक रूप से उत्खनित संरचना भी शामिल है) खजुराहो स्मारक समूह के पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समूहों का निर्माण करते हैं।
- खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था।
- खजुराहो का मतलब संस्कृत शब्द 'खर्जुरावाहक' से है, जिसका अर्थ है खजूर ले जाने वाला या खजूर के पेड़ों वाला.
- यह स्मारक समूह यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है।
- मंदिर नागर शैली में बने हैं, जिनमें ऊँचे शिखर और जटिल नक्काशी देखने को मिलती है।
- मंदिरों की मूर्तियों में प्रेम और यौन कला को भी बहुत सुंदर ढंग से दिखाया गया है।
छतरपुर मध्य प्रदेश राज्य की उत्तर पूर्वी सीमा में स्थित है यहाँ पर अन्य पर्यटक स्थल भी स्थित है जिनमें शामिल है-
- चित्रगुप्त मंदिर
- चौंसठ योगिनी
- कंदरिया महादेव
- लक्ष्मण मंदिर
- चतुर्भुज मंदिर
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