स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: जानें खास बातें

Imphal Missile Destroyer Facts In Brief

वाई-12706 (इम्फाल): 
भारतीय नौसेना, वाई-12706 (इम्फाल), विध्‍वंसक को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। वाई-12706 (इम्फाल) पहला युद्धपोत है जिसका नाम उत्तर पूर्व के एक शहर के नाम पर रखा गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल 2019 को मंजूरी दी थी। इसे स्वदेशी रूप से भारतीय नौसेना के संस्‍थानिक संगठन युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है। 

भारतीय नौसेना 26 दिसंबर 2023 को मुख्य अतिथि के रूप में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई में अपने नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह आयोजन चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से तीसरे को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक है।

बंदरगाह और समुद्र दोनों में सख्‍त और व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद इम्फाल को 20 अक्टूबर 2023 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।

 ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण 

इम्‍फाल पोत ने नवंबर 2023 में विस्तारित-रेंज सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो बेड़े में शामिल किए जाने (कमीशनिंग) से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए पहला था, जो नौसेना के युद्ध प्रभावशीलता और अपने अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों में विश्वास पर जोर का प्रदर्शन है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद, आईएनएस इम्‍फाल के शिखर का अनावरण रक्षा मंत्री ने 28 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया। कमीशनिंग के बाद, आईएनएस इम्फाल पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा।

मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: Features 

  • नौसैनिक बेड़े में शामिल होने वाला इम्‍फाल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और एम/एस एमडीएल द्वारा निर्मित किया गया है।
  •  इसमें एमएसएमई और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। 
  • प्रोजेक्ट 15बी (विशाखापत्तनम वर्ग) उन्नत क्षमताओं और अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता वर्ग) और प्रोजेक्ट 15 (दिल्ली वर्ग) स्वदेशी विध्वंसक की श्रृंखला में नवीनतम है। 
  • 163 मीटर लंबाई, 7,400 टन वजन और 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ इम्फाल को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है।
  •  यह ‘आत्म-निर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता का प्रमाण है।
  •  इम्फाल ‘अमृत काल’ की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप, विकसित भारत का सच्चा अग्रदूत भी है।
  • समुद्र में दुर्जेय गतिशील किला इम्फाल 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों जैसे परिष्कृत ‘अत्याधुनिक’ हथियारों और सेंसर से परिपूर्ण है।
  •  इस युद्ध पोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा हुआ है, जो इसके तोपखाने हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है।
  •  इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलि‍कॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं। 
  • यह युद्ध पोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है। इसमें उच्च स्तर की स्वचालन और गुप्त विशेषताएं हैं जो उसकी युद्ध क्षमता और उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं।

इम्‍फाल में मौजूद कुछ प्रमुख स्वदेशी उपकरणों/प्रणालियों में स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट के अलावा लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली, एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित पावर प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और झुके हुए माउंटेड सोनार शामिल हैं।

 प्रमुख ओईएम के साथ-साथ बीईएल, एलएंडटी, गोदरेज, मरीन इलेक्ट्रिकल, ब्रह्मोस, टेक्निको, किनेको, जीत एंड जीत, सुषमा मरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि जैसे एमएसएमई ने शक्तिशाली इम्फाल के निर्माण में योगदान दिया है।

इम्फाल के निर्माण और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है।

 इम्फाल युद्धपोत का निर्माण 19 मई 2017 को की शुरु हुआ और इसे 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया था। इम्फाल 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और बंदरगाह तथा समुद्र दोनों में परीक्षणों का एक समग्र कार्यक्रम पूरा कर लिया है। 20 अक्टूबर 2023 को इसकी डिलीवरी की गई जो छह महीने की रिकॉर्ड समय सीमा के भीतर इस आकार के जहा

एस्ट्रोसैट द्वारा नए उच्च चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे में पाए गए मिली-सेकंड विस्फोट का पता लगाया

AstroSat India first multi-wavelength space-based observatory detected bright sub-second X ray bursts

एक व्यापक उपलब्धि हासिल करते हुए एस्ट्रोसैट, जो भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, ने अल्ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटर) के साथ एक नए और विशिष्‍ट न्यूट्रॉन तारे से चमकीले सब-सेकेंड एक्स-रे विस्फोट का पता लगाया है। इससे मैग्नेटर्स की दिलचस्प चरम खगोल भौतिकी स्थितियों को समझने में सहायता मिल सकती है।

मैग्नेटार के बारे में 

मैग्नेटार ऐसे न्यूट्रॉन तारे हैं जिनमें अल्‍ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र होता है जो स्थलीय चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक मजबूत होता है। सामान्‍य रूप से कहें तो मैग्नेटर का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से एक क्वाड्रिलियन (एक करोड़ शंख) गुना अधिक मजबूत होता है। उनमें उच्च-ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय विकिरण के उत्सर्जन की शक्ति इन वस्तुओं में चुंबकीय क्षेत्र का क्षरण है। इसके अलावा, मैग्नेटर्स मजबूत अस्थायी परिवर्तनशीलता को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें सामान्‍य रूप से धीमी गति से घूमना, तेजी से घूमना, चमकीले लेकिन छोटे विस्फोट शामिल होते हैं जो महीनों तक चलते रहते हैं।

ऐसे एक मैग्नेटर को एसजीआर  जे1830-0645 कहा जाता था, जिसकी अक्टूबर 2020 में नासा के स्विफ्ट अंतरिक्ष यान ने खोज की थी। यह अपेक्षाकृत युवा (लगभग 24,000 वर्ष) और पृथक न्यूट्रॉन तारा है।

एस्ट्रोसैट के साथ ब्रॉड-बैंड एक्स-रे ऊर्जा में मैग्नेटर का अध्ययन करने और इसकी विशेषताओं का पता लगाने के उद्देश्‍य के लिए प्रेरित होकर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) और दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एस्ट्रोसैट पर दो उपकरणों- बड़े क्षेत्र वाले एक्स-रे आनुपातिक काउंटर (एलएएक्सपीसी) और सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (एसएक्सटी) का उपयोग करके इस मैग्नेटर का समय और स्‍पेक्‍ट्रल का विश्लेषण किया है। 

“एक मुख्य निष्कर्ष 33 मिलिसेकंड की औसत अवधि के साथ 67 छोटे सब-सेकंड एक्स-रे विस्फोटों का पता लगाना था। इन विस्फोटों में से एक सबसे चमकीला विस्‍फोट लगभग 90 मिलीसेकंड का रहा।” यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त संस्थान आरआरआई में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो और अनुसंधान-पत्र के लेखक डॉ. राहुल शर्मा ने दी।

यह अध्‍ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक सूचना में प्रकाशित हुआ। जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि एसजीआर जे1830-0645 एक विशिष्‍ट मेगनेटर है जो अपने स्पेक्ट्रा में उत्सर्जन लाइन को प्रदर्शित करता है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि उत्सर्जन लाइनों की उपस्थिति और इसकी संभावित उत्पत्ति या तो आयरन की प्रतिदीप्ति, प्रोटॉन साइक्लोट्रॉन लाइन या एक उपकरणीय प्रभाव के कारण हुई जो चर्चा का कारण बनी हुई है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि एसजीआर जे1830-0645 में ऊर्जा-निर्भरता कई अन्य मगनेटरों में पाई गई ऊर्जा से भिन्न थी। यहां, न्यूट्रॉन तारे की सतह (0.65 और 2.45 किमी की रेडियस) से उत्पन्न होने वाले दो थर्मल ब्लैकबॉडी उत्सर्जन घटक थे। इस प्रकार, यह शोध मैग्नेटर्स और उनकी चरम खगोलीय स्थितियों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में योगदान देता है।

हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की सह-लेखिका प्रोफेसर चेतना जैन ने कहा कि हमने यह देखा है कि समग्र एक्स-रे उत्सर्जन के स्पंदित घटक ने ऊर्जा के साथ महत्वपूर्ण भिन्नता दर्शायी है। यह ऊर्जा के लिए लगभग 5 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (केवी) तक बढ़ गया और उसके बाद इसमें भारी गिरावट देखी गई। यह प्रवृत्ति कई अन्य मैग्‍नेटरों में पाई गई प्रवृत्ति से अलग है।

शोध दल अब इन अत्यधिक ऊर्जावान उत्सर्जनों की उत्पत्ति को समझने और यह पता लगाने के लिए अपने आगे के अध्ययन का विस्तार करने की योजना बना रहा है कि क्या ये उत्‍सर्जन खगोलीय है या यांत्रिक‍ प्रकृति के हैं। (स्रोत-PIB)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2023: Facts In Brief


भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद के सघन उत्‍सर्जन में कटौती करने के मद्देनजर लक्ष्‍य को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाना; इसके अलावा गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली की निर्धारित क्षमता को 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य

जी-20 पहल में गांधीनगर कार्यान्वयन प्रारूप और गांधीनगर सूचना मंच (जीआईआर-जीआईपी) के अंतर्गत जंगल की आग और खनन प्रभावित क्षेत्रों की भूमि बहाली पर वैश्विक गठबंधन; संसाधन दक्षता परिपत्र अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन आरईसीईआईसी और सतत एवं सशक्‍त नीली/महासागर-आधारित अर्थव्यवस्था (एचएलपीएसआरबीई) के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों की शुरूआत

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सीओपी 28 के अवसर पर ग्रीन क्रेडिट पहल का शुभारंभ किया  
  • प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिष्‍टी) के लिए मैंग्रोव पहल का शुभारंभ
  • बाघ सहित बिग कैट प्रजातियों के वैश्विक स्‍तर पर संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन (आईबीसीए) का प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ
  • भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार भारत में कुल वन और वृक्षावरण  क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है
  • पर्यावरण स्‍वीकृति प्रस्तावों को बढ़ाने के लिए गतिशक्ति पोर्टल का परिवेश 2.0 के साथ एकीकरण

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान 2023 

  1.  भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। 
  2. हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 
  3. 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां सत्र (सीओपी-28)

भारत के एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 30 नवंबर' 2023 से 13 दिसंबर' 2023 तक दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 28) के 28वें सत्र में भाग लिया।

रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि

  • देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। 
  • वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है।
  •  पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। 
  • सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।


20 अक्टूबर 2022 को मिशन लाईफ का भारत के माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा शुभारंभ किया गया था। 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी 26) में, माननीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में सकारात्मक सुधार के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को अग्रणी रखने के लिए मिशन लाईफ की घोषणा की।

वन्यजीव 2023 

चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है। 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में बढ़ोत्‍तरी: देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या, जो वर्ष 2014 में 745 थी, बढ़कर 998 हो गई है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.28 प्रतिशत है। देश में सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों की संख्या वर्ष 2014 में 43 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 220 हो गई है।

वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि: भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्ष आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत होता है। इसमें से, 2019 की तुलना में, वन आवरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई है। 2020 की तुलना में, अक्टूबर 2023 तक, 589.70 करोड़ पौधे लगाए गए और कुल 8.77 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वृक्षारोपण के तहत कवर किया गया।

तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए वनस्‍पति गरान पहल (मिश्ती): माननीय प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2023) पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिश्ती) के लिए वनस्‍पति गरान पहल शुरू की गई थी। 

ब्लू फ्लैग समुद्र तट: 2014 में, भारत में कोई ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट नहीं था। भारत सरकार ने समुद्र तट विकास कार्य शुरू किया और 2020 में 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया गया। 2022 में, कुल 12 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ।

परिवेश: परिवेश एक वेब आधारित, भूमिका आधारित वर्कफ़्लो अनुप्रयोग है, जिसे केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और सीआरजेड मंजूरी प्राप्त करने के लिए समर्थकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी के लिए विकसित किया गया है।

(Source PIB)


रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: Facts in Brief


देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। 

  1. वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है।
  2.  पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। 
  3. सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।

(सोर्स: PIB) 

वन्यजीव 2023 : Facts in Brief


चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है।

 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

(सोर्स: PIB) 

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान 2023 : Facts in Brief


भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। 

  • हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया. 
  •  भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 
  • 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

(सोर्स: PIB) 

Video-भरवां टमाटर की सब्जी स्पेशल डिश: बनाएं खास तरीके से, पाइये रेस्टोरेंट का स्वाद

bharwan tamatar ki recipi tomato recipis

भरवां टमाटर की सब्जी स्पेशल डिश है जिसको बनाने की विधि आप यहाँ देख सकते हैं. भरवां टमाटर की सब्जी एक खास स्टाइल से जिसे आप  बिहारी स्टाइल भी कह सकते हैं, यहाँ बिना किसी खास तेल या मसाले के भरवां टमाटर की सब्जी बनाने का एक स्वादिष्ट तरीका प्रस्तुत है.  यह एक सरल रेसिपी है जिसमें टमाटर को भरकर बनाई जाती है, और उसे एक अद्भुत ग्रेवी के साथ परोसा जा सकता है।

भरवां टमाटर की सब्जी रेसिपी: सामग्री:

  • टमाटर - 4  (मध्यम आकार के)  
  • प्याज - 2
  • धनिया पाउडर - 1 चमच
  • लाल मिर्च पाउडर - 1/2 चमच
  • हल्दी पाउडर - 1/2 चमच
  • गरम मसाला - 1/2 चमच
  • अदरक-लहसुन का पेस्ट - 1 चमच
  • नमक - स्वाद के अनुसार
  • तेल - 2 बड़े चमच
  • हरा धनिया - सजाने के लिए



ग्रेवी के लिए:

टमाटर प्यूरी - 1 कप

अदरक-लहसुन का पेस्ट - 1 चमच

जीरा - 1/2 चमच

लाल मिर्च पाउडर - 1 चमच

धनिया पाउडर - 1 चमच

गरम मसाला - 1/2 चमच

नमक - स्वाद के अनुसार

टमाटर के बीज निकालते समय ध्यान रखें कि टमाटर फट न जाए। आप अपनी पसंद के अनुसार भरवां टमाटर में अन्य सामग्री भी मिला सकते हैं, जैसे कि पनीर, मूंगफली, या काजू। टमाटर को ग्रेवी में पकाने के लिए, आप 2 कप पानी या 1 कप टमाटर की प्यूरी डाल सकते हैं।

टमाटर की सब्जी:

टमाटरों को धोकर, बीच से काट लें और बीज निकाल दें। एक कटोरे में गोभी, आलू, प्याज, लहसुन, हरी मिर्च, अदरक, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर और गरम मसाला डालकर अच्छी तरह मिला लें।

इस मिश्रण से भरवां टमाटर बना लें। एक कढ़ाई में तेल गरम करें और भरवां टमाटर डालकर धीमी आंच पर 3-4 मिनट तक भूनें।

टमाटरों को ढककर 10-15 मिनट तक पकाएं। टमाटर पक जाने पर गैस बंद कर दें और हरे धनिये से गार्निश करके परोसें

ग्रेवी:

एक पैन में कस्टर्ड ऑयल गरम करें। जीरा और हींग डालें और सुधारा निकालें।

अब इसमें प्याज और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें और साute करें।

इसमें लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला डालें और अच्छे से मिला कर पकाएं।

फिर इसमें टमाटर प्यूरी, कस्टर्ड पाउडर, नमक, और शहद डालें।

अच्छे से मिला कर कस्टर्ड ऑयल के साथ धीरे-धीरे मिलाएं।

अब इसमें क्रीम डालें और अच्छे से मिला कर 2-3 मिनट के लिए पकाएं।

आपकी भरवां टमाटर की सब्जी तैयार है, जो एक नए और रुचिकर अंदाज़ में आपके परिवार को पसंद आ सकती है।

एडमिरल कप 2023: जानें खास बातें


एडमिरल कप' सेलिंग रेगाटा के 12वें संस्करण का समापन 08 दिसंबर 2023 को एझिमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) के एट्टीकुलम बीच पर एक शानदार अभिनन्दन समारोह के साथ पूरा हुआ। मिडशिपमैन एवलोन एंटोनियो और मिडशिपमैन क्रिएटी कार्लो लियोनार्डो के नेतृत्व में उतरी इटली की टीम ने एडमिरल कप 2023 पर कब्जा किया। 

  • भारतीय टीम इस प्रतियोगिता की उपविजेता रही। 
  • मिडशिपमैन पीपीके रेड्डी और कैडेट जीवाई रेड्डी के प्रतिनिधित्व में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया। ब्रिटेन टीम की कमान ब्रिटिश नौसेना के अधिकारी कैडेट लुसी बेल और मिडशिपमैन आरोन मिडलटन ने संभाली तथा जर्मनी का नेतृत्व जर्मनी के कैडेट बेकमैन कार्ल व कैडेट हिंज एंटोन ने किया।
  •  रूस के सीमैन गोर्कुनोव पेट्र ने पुरुष वर्ग की व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्थान हासिल किया, उनके बाद इटली के मिडशिपमैन एवलोन एंटोनियो दूसरे और भारत के मिडशिपमैन पीपीके रेड्डी तीसरे स्थान पर रहे। ब्रिटेन की ऑफिसर कैडेट लुसी बेल महिला वर्ग की व्यक्तिगत स्पर्धा पर पहले स्थान पर रहीं, उनके बाद इंडोनेशिया की कैडेट सांगला एल्मा साल्सडिला ने दूसरा स्थान प्राप्त किया और भारत की कैडेट जान्हवी सिंह ने तीसरा स्थान हासिल किया।
  • मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडेंट वाइस एडमिरल पुनीत के बहल ने समापन समारोह के दौरान विजेताओं को 'एडमिरल कप', उपविजेता की ट्रॉफी और व्यक्तिगत पुरस्कार प्रदान किए। 
  • एडमिरल कप सेलिंग रेगाटा 2023 के इस संस्करण में 20 देशों तथा भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला की भारतीय टीमों ने भाग लिया।

Assembly Election Result 2023 Live: तेलंगाना में केसीआर की हार का क्षेत्रीय पार्टियों के लिए कई सबक


तेलंगाना में केसीआर को मिली व्यापक हार ने साबित  दिया है कि क्षेत्रीय पार्टियों को दिवास्वप्न दिखना छोड़कर अब अपने राज्यों पर फोकस करनी चाहिए न की राज्य की जनता की उपेक्षा कर मोदी मोदी का माला जपना चाहिए. केसीआर की पार्टी को 36 सीटों पर बढ़त और लगभग 52 सीटों पर उनके उम्मीदवारों का पीछे चलना यह साबित करता है की तेलंगाना की जनता ने उन्हें ठुकरा दिया है. मोदी के विकल्प के रुप में देखने वाले अन्य नेताओं जो रीजनल पार्टी के मुख्यमंत्री हैं के लिए यह साफ संकेत है की केंद्र में मोदी का विकल्प बनने के लिए उन्हें काफी वक्त लगेंगे क्योंकि मोदी को आज भी देश की जनता सर्वमान्य नेता मानती है. 

भाजपा को तीनों राज्यों में मिली बढ़त इस बात का साफ संकेत दे रहा  है कि क्षेत्रीय पार्टियों की शक्ति कम हो रही है। केसीआर ने तेलंगाना में 2014 में एक नए राज्य के गठन के बाद से सत्ता में कब्जा किया हुआ था। उनकी हार से यह संकेत मिल सकता है कि क्षेत्रीय पार्टियां अब भीड़ को आकर्षित करने में उतनी सक्षम नहीं हैं जितनी पहले थीं।

दूसरी तरफ, क्षेत्रीय पार्टियों के लिए, केसीआर की हार से यह सबक निकलता है कि उन्हें अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। उन्हें लोगों की चिंताओं को समझने और उनसे जुड़ने की जरूरत है। उन्हें नए विचारों और दृष्टिकोणों को भी अपनाने की जरूरत है।

यहां कुछ विशिष्ट कदम दिए गए हैं जो क्षेत्रीय पार्टियां केसीआर की हार से सीख सकती हैं:

अपने संगठनों को मजबूत करें। क्षेत्रीय पार्टियों को अपने संगठनों को मजबूत करने और लोगों के साथ मजबूत संबंध बनाने की जरूरत है। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और उन्हें लोगों के बीच जाकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

अपनी नीतियों को अपडेट करें। क्षेत्रीय पार्टियों को अपनी नीतियों को अपडेट करने और लोगों की बदलती जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है। उन्हें नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए खुले रहने की 

Assembly Election Result 2023 Live: सेमीफानल में बीजेपी ने दिखाई ताकत, एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पीछे

Assembly Election Result 2023 Live: सेमीफानल में बीजेपी ने दिखाई ताकत, एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पीछे

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे जो सामने आ रहे हैं उसे यह साबित कर दिया है कि मोदी फैक्टर देश में आज भी कायम है. इन चारों राज्यों में भाजपा स्पष्ट जीत हासिल करने की और अग्रसर है. एक झलक आप ताजा रुझानों पर डालेंगे तो पाएंगे की मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद अब भाजपा छत्तीसगढ़ में भी सरकार बना सकती है. 

इन नतीजों को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था। भाजपा के इन नतीजों से यह संकेत मिलता है कि वह 2024 में लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर सकती है।

कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है जो की उसके लिए काफी बुरी हो सकती है. कांग्रेस के साथ इंडियन अलायन्स के लिए भी यह व्यापक हार का कारण हो सकती है और उनके उम्मीदों पर पानी फेर सकती है. 

इन चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस को 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इन चारों राज्यों में जीत हासिल हुई थी।

कांग्रेस के इस हार के कई कारण हैं। इनमें पार्टी की अंदरूनी कलह, आर्थिक संकट और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा शामिल है।

भाजपा ने दिखाई ताकत

भाजपा ने इन चुनावों में अपनी ताकत दिखाई है जिसने  ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकारें बनाने की और अग्रसर है.

भाजपा के इस जीत के कई कारण हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, केंद्र सरकार की नीतियों का लोगों पर सकारात्मक प्रभाव और कांग्रेस की कमजोर स्थिति शामिल है।

नतीजों का राजनीतिक प्रभाव

इन नतीजों का राजनीतिक प्रभाव भी देखने को मिलेगा। भाजपा को इन नतीजों से 2024 के लोकसभा चुनाव में मदद मिलेगी। कांग्रेस को इन नतीजों से झटका लगा है। कांग्रेस को अपने संगठन को मजबूत करने और लोगों से जुड़ने की जरूरत है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में भाजपा ने 127 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। कांग्रेस 82 सीटों पर सिमट गई है।

राजस्थान

राजस्थान में भाजपा ने 107 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी है। कांग्रेस 80 सीटों पर सिमट गई है।

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकारें बनाने की और अग्रसर है.



Born In December: खासियत जानकार आप हो जायेंगे हैंरान-क्रिएटिव माइंड, नेतृत्व क्षमता, संवेदनशील और साहित्य में रूचि

What is Traits for Born In December

Born In December: दिसंबर महीने में जन्मे लोग क्रिएटिव माइंड के होते हैं और संभवत: इनका रचनात्मक स्वभाव ही इन्हें दूसरों से अलग बनाता है। माने जाते हैं। कहा जाता है कि इनका रचनात्मक स्वभाव ही इन्हें दूसरों से अलग बनाता है। नेतृत्व की क्षमता इन्हे जन्म से ही प्राप्त होती है और इसलिए हीं ये पैदाइशी लीडर माने जाते हैं। विषम परिस्थिति को हैंडल करने इन्हे बखूबी आता है और अगर इन्हें कहीं भी लीड करने का मौका मिलता है तो ये बेहतरीन ढंग से अपनी जिम्मेदारियों को निभा लेते हैं। कानून और व्यवस्था के प्रति उनका गहरा सम्मान व्यक्त करने वाले होते हैं और वे शायद ही कभी नियमों का उल्लंघन करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग पूरी तरह से आशावादी रहते हैं और किसी भी मिशन के लिए शुरुआत में कभी उम्मीद नहीं छोड़ते। दिसंबर में पैदा हुए लोगों के लिए कला, संस्कृति और साहित्य के प्रति अत्यधिक लगाव र आकर्षण पाई जाती है. दिसंबर में पैदा हुए लोग दूसरों से बातचीत के दौरान अत्यधिक समझदार और संवेदनशील होते हैं। चूंकि वे एकाग्रता की गुणवत्ता प्रदर्शित करते हैं इसलिए वे पूरी एकाग्रता और उत्साह के साथ अपने लक्ष्य पर अपने ध्यान को केंद्रित करते हैं। 

कानून और व्यवस्था के लिए आदर 

दिसंबर में पैदा हुए लोगों का कानून और व्यवस्था के प्रति गहरा सम्मान होता है और वे शायद ही कभी नियमों का उल्लंघन करने की कोशिश करते हैं। वास्तव में उनका धार्मिक दिमाग मजबूत होता है और वे आध्यात्मिक और धार्मिक बातों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं। ऐसे लोग शायद ही कभी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की अवहेलना करते हैं और किसी भी कीमत पर पूरा करने की कोशिश करते हैं।



ऊर्जा से भरपूर और आशावादी

दिसंबर में पैदा हुए लोग पूरी तरह से आशावादी रहते हैं और शुरुआत में किसी भी मिशन के लिए अपने प्रयासों पर भरोसा रखते हैं. वे अंत तक अपने प्लान को पूरा करने की उम्मीद रखते हैं और निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते हैं। वे अपनी पूरी कोशिश करते हैं और अपने लक्ष्य या लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनके पास उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग करते हैं जो उन्होंने अपने जीवन के लिए निर्धारित किए हैं। मेहनती दिमाग के कारण ये किसी भी परियोजना के बीच में कभी हार नहीं मानते थे और अपनी परियोजना को अंत तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।

कलम को तलवार से अधिक शक्तिशाली मानते हैं 

दिसंबर में पैदा हुए लोगों को तलवार से ज्यादा कलम की ताकत पर भरोसा होता है। कला और संस्कृति के सच्चे अनुयायी होने के नाते, वे इस तथ्य में विश्वास करते हैं कि वे अपनी आध्यात्मिकता, लेखन, कला या वाणी से दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं जो तलवार की ताकत से हासिल नहीं किया जा सकता है। ऐसे लोगों के लिए कलम दूसरों से संवाद करने का अंतिम साधन है और दर्शन, धर्म, अध्यात्म और गूढ़ विज्ञान के साथ उनका आकर्षण उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

Guru Nanak Jayanti 2023: कब है गुरु नानक जयंती और इस दिन क्यों मनाया जाता है प्रकाश पर्व?


गुरु नानक देव जयंती 2023 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा, जो कि 27 नवंबर, सोमवार को है। यह सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन का उत्सव है। 

इक ओंकार सिख धर्म के मूल दर्शन का प्रतीक है, जिसका अर्थ है 'परम शक्ति एक ही है'. गुरू नानक देव जी ने सिख समुदाय की नींव रखी थी. इसीलिए सिखों के पहले गुरू कहे जाते हैं. गुरु नानक देव जी का असली नाम 'नानक' था.

क्या होता है गुरुपर्व

गुरुपर्व (पंजाबी: ਗੁਰਪੁਰਬ (गुरुमुखी)), जिसे वैकल्पिक रूप से गुरुपर्व या गुरुपरुब के रूप में जाना जाता है, सिख परंपरा में एक गुरु के जन्म की सालगिरह का उत्सव है जिसे एक त्योहार के आयोजन द्वारा चिह्नित किया जाता है।

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को पंजाब के तलवंडी नामक गांव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में सभी धर्मों के लोगों को एकता और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने सामाजिक सुधारों के लिए भी काम किया और जाति व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास किया।


गुरु नानक का जन्मदिन कैसे मनाते हैं? 

गुरु नानक देव जी की जयंती को सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। इसके अलावा, भजन-कीर्तन, लंगर और प्रभात फेरी जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। 

सिख लोग इस दिन का वर्षों से इन्तजार करते हैं और इस दिन को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं. इस दिन को लोग हर साल लोग सड़कों पर आतिशबाजी और जुलूस के साथ गुरु नानक का जन्म मनाते हैं। सिख मंदिरों - गुरुद्वारों में - सिखों की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब, को पूरा पढ़ा जाता है। मोमबत्तियाँ घरों और सार्वजनिक स्थानों जैसे कार्यालयों और दुकानों में जलाई जाती हैं। 


 गुरु नानक देव जी के अनमोल विचार

1 अहंकार, ईर्ष्या, लालच, लोभ मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देते हैं। ऐसे में इनसे दूर रहना चाहिए।"

2. हमें अपनी कमाई का दसवां हिस्सा परोपकार के लिए और अपने समय का दसवां हिस्सा प्रभु सिमरन या ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहिए। 

3.ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है। सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।  ईश्वर सब जगह उपस्थित हैं। ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी बात का भय नहीं रहता है।

4. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए।

5. सत्य को जानना हर एक चीज से बड़ा है और उससे भी बड़ा है सच्चाई से जीना। 




छठ पूजा 2023: छठ घाटों को डिजाइनर गेटों और रंगीन रोशनी से सजाएं, जानें टिप्स

Chhath puja How to Decorate Chhth Ghat Tips

छठ पूजा 2023: नहाय खान और खरना के सफलतापूर्वक उत्सव के बाद,अब संध्या अर्ध्य की बारी है जो घरों के आस-पास में स्थित  निकटतम तालाब या नदी पर आयोजित की जाती है। व्रती और परिवार के अन्य सदस्य संध्या अर्ध्य के लिए छठ घाट पहुँचते हैं जहाँ भगवन सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. 

सूर्य को संध्या अर्घ्य

चूँकि छठ पूजा का मुख्य कार्य भगवान सूर्य की पूजा करना है और यह छठ पूजा के तीसरे दिन होता है जब हम सूर्य देव को शाम का अर्घ्य देते हैं।   आम तौर पर लोग निकटतम नदी या तालाब पर जाते हैं, जहां वे घाटों को सजाते हैं और घर की महिलाएं भगवान सूर्य को प्रार्थना करती हैं।


हालाँकि छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है जिसे आमतौर पर भव्य उत्सव के पहले चरण के रूप में जाना जाता है। छठ पूजा सूर्य देव को पृथ्वी पर जीवन प्रदान करने के लिए धन्यवाद देने और कुछ इच्छाओं को पूरा करने का अनुरोध करने के लिए समर्पित है। 



छठ पूजा की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें न केवल सिर्फ व्रती  और उनके परिवार के लोग बल्कि पड़ोस के लोग भी इसमें सम्मिलित होते हैं.  लोग लोगों के सुचारू आवागमन के लिए लोग सड़कों सहित अपने आसपास के इलाकों को साफ करते हैं। लोग छठ घाटों और क्षेत्र को विभिन्न रंगीन रोशनी के साथ डिजाइनर द्वारों से भी सजाते हैं।

संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य देने के लिए लोग हमेशा छठ घाटों को रंगीन और प्रभावशाली तरीके से सजाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।

लोग, आमतौर पर परिवार के पुरुष सदस्य अपनी उपलब्धता के अनुसार नदियों/तालाबों के किनारे छठ घाटों को सजाते हैं। क्षेत्र के पास नदियों/तालाबों के अभाव में, आजकल लोग छठ पूजा मनाने के लिए अपने घरों की छत पर छठ घाट बनाते हैं और उसे सजाते हैं।

छठ घाटों को सजाने के लिए लोग केले के पेड़ों का इस्तेमाल करते हैं, जो हर हिंदू अवसर पर बहुत शुभ माना जाता है। हालाँकि, अब समय बदल गया है और आज लोग छठ घाटों को नया रूप देने के लिए रंगीन रोशनी और अन्य चीजों सहित नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हैं।

घाटों को खूबसूरत लुक देने के लिए लोग छठ घाटों पर अलग-अलग रंगों की मदद से रंगोली भी बनाते हैं।

कहने की जरूरत नहीं है कि छठ पूजा की उत्पत्ति मूल रूप से बिहार से हुई है, लेकिन अब छठ पूजा भारत के लगभग सभी हिस्सों में मनाई जाती है। बिहार ही नहीं, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल देश को ऐसा सशक्त क्षेत्र कहा जा सकता है, जहां छठ पूजा पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है।