Year Ender 2024 : साल 2024 के करेंट अफेयर्स का कम्प्लीट कलेक्शन सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए जरूरी

Year Ender 2024 : साल 2024 के करेंट अफेयर्स का कम्प्लीट कलेक्शन सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए जरूरी

(संकलन-पी. शिवम द्वारा) 

अगर आप विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा अर्थात सरकारी नौकरियों, CUET, बैंक, रैलवे,  SSC, UPSC,  एन्ट्रन्स इग्ज़ैम आदि की तैयारी कर रहे हैं तो परीक्षा मे  करंट अफेयर्स के महत्व को जानते होंगे। आप जानते हैं कि करंट अफेयर्स प्रतियोगी परीक्षाओं के सिलेबस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि आप कम समय मे अच्छा स्कोरिन्ग कर सकते हैं। करंट अफेयर्स में अपडेट रहने के ढेरों लाभ है जिनमे शामिल है हाल की घटनाओं के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होने से सामान्य ज्ञान (GK) सेगमेंट में आपका प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। 
करंट अफेयर्स को समझने से आपकी आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक क्षमताएँ बढ़ती हैं, जो निबंध लेखन और साक्षात्कार प्रश्नों को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 साल 2024 बीतने को है और इस साल के महत्व टोपिक्स जो  सामान्य ज्ञान और सामान्य जानकारी अर्थात करेंट अफेयर्स के लिए जरूरी है उनपर नजर रखना जरूरी है क्योंकि अगले साल के सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं मे उनसे प्रश्न पूछे जाएंगे। तो यहाँ प्रस्तुत है साल 2024 मे घटित महत्वपूर्ण घटनाओं का संकलन  जो आपके परीक्षा के लिए अत्यंत हीं जरूरी है-


करंट अफेयर्स क्यों है जरूरी 

प्रमुख बैंक परीक्षाओं में, करंट अफेयर्स पर अधिकांश प्रश्न पिछले 12 महीनों के करंट अफेयर्स से लिए जाएँगे। इसलिए, IBPS, UPSC, SBI, SSC, आदि जैसी आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवार इस आर्टिकल  का उपयोग कर सकते हैं।

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2024 के करंट अफेयर्स महत्वपूर्ण टॉपिक्स 

हमने साल 2024 के सभी महत्व पूर्णत टोपिक्स को आपके लिये कलेक्शन करके लाए हैं जिनमे  शामिल है-

गगनयान कार्यक्रम

  • सरकार द्वारा गगनयान कार्यक्रम की शुरुआत पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए की गई थी.
  • इसके अंतर्गत  एक मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को 5 से 7 दिनों के कक्षीय मिशन के लिए LEO में सुरक्षित रूप से लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से पुनः प्रवेश और पुनर्प्राप्ति की जाएगी। 
  • प्रधानमंत्री ने फरवरी 2024 में चार IAF अंतरिक्ष यात्रियों के नाम राष्ट्र के सामने प्रकट किए और उन्हें ‘स्पेस विंग्स’ से सम्मानित किया। 
  • चार IAF अंतरिक्ष यात्री हैं: ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। 
  • वर्तमान में, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर 2025 में निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए Axiom-4 मिशन के लिए NASA में अंतरिक्ष प्रशिक्षण ले रहे हैं।

Persons/Places in News

  • विभाग के प्लेटिनम जुबली वर्ष समारोह के अंतर्गत लद्दाख के हानले में स्वदेश निर्मित प्रमुख वायुमंडलीय चेरेनकोव प्रयोग (एमएसीई) वेधशाला का उद्घाटन 4 अक्टूबर 2024 को किया गया। 
  • एमएसीई एशिया का सबसे बड़ा इमेजिंग चेरेनकोव टेलीस्कोप है जो दुनिया में लगभग 4300 मीटर की उच्चतम ऊंचाई पर स्थित है।

  • टीआईएफआर मुंबई परिसर में स्वदेशी रूप से एक निकट-क्षेत्र स्कैनिंग टेराहर्ट्ज माइक्रोस्कोप विकसित किया गया है।
  •  यह भारत में अपनी तरह का एकमात्र माइक्रोस्कोप है। यह उपकरण 0.01 मिमी परिशुद्धता के साथ निकट-क्षेत्र टेराहर्ट्ज विकिरण का पता लगाने में सक्षम है, जो उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का 1/30वां हिस्सा है।
  • कृषि क्षेत्र में, दो नई उच्च उपज देने वाली और बहु ​​रोग प्रतिरोधी उड़द की फसल किस्मों (ट्रॉम्बे जवाहर उड़द 339 (TJU-339) और ट्रॉम्बे जवाहर उड़द 130 (TJU-130)) को भारत सरकार द्वारा वाणिज्यिक खेती के लिए अधिसूचित किया गया है और चावल के दो नए किस्मों को राज्य किस्म विमोचन समितियों द्वारा अनुमोदित किया गया है। 
  • आज तक BARC द्वारा कुल 70 किस्में जारी की गई हैं।
  • हरीश-चंद्र शोध संस्थान (एचआरआई), इलाहाबाद की प्रोफेसर अदिति सेन डे को जीडी बिड़ला पुरस्कार मिला। वह यह पुरस्कार पाने वाली वह प्रथम महिला भौतिक विज्ञानी हैं।
भारत-आसियान
  • 21वीं आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की बैठक 20 सितंबर 2024 को वियनतियाने, लाओ पीडीआर में आयोजित की गई थी।
  • सदस्य देश: 10 आसियान देश इसके सदस्य है- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम।  
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) -

  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की 13वीं मंत्रिस्तरीय कॉन्फ्रेंस (एमसी13) 26 फरवरी से 2 मार्च, 2024 तक अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित की गई थी। 
  • सम्मेलन के दौरान, कोमोरोस और पूर्वी तिमोर को औपचारिक रूप से डब्ल्यूटीओ में शामिल किया गया, जिससे सदस्यता संख्या बढ़कर 166 हो गई।
Places In News 
  • इंडस-एक्स (भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र) शिखर सम्मेलन का तीसरा संस्करण सितंबर 2024 में कैलिफोर्निया में आयोजित किया गया।
  • एयरो इंडिया का 15वां संस्करण 10-14 फरवरी, 2025 तक कर्नाटक के बेंगलुरु में वायु सेना स्टेशन, येलहंका में आयोजित किया जाएगा।
  •  भारत-मिस्र संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) का छठा सत्र 16 से 17 सितंबर 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
  •  भारत-नाइजीरिया के साथ एक संयुक्त व्यापार समिति की बैठक 29 और 30 अप्रैल, 2024 के दौरान आयोजित की गई। 
  • 19वां सीआईआई भारत अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव 20 से 22 अगस्त, 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित की गई। 
  • भारत-म्यांमार संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) की 8वीं बैठक भारत की ओर से 27 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में आयोजित की गई। 

विदेशी नौसेनाओं के साथ अभ्यास

मालाबार:
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास मालाबार का 28वां संस्करण, भारतीय नौसेना द्वारा 08 से 18 अक्टूबर, 2024 तक विशाखापत्तनम में/के पास आयोजित किया गया।

रिमपैक: 
आईएन शिप शिवालिक, पी8आई विमान और मरीन कमांडो की टीम को 27 जून से 02 अगस्त, 2024 तक पर्ल हार्बर, हवाई में/के पास बहुराष्ट्रीय अभ्यास रिमपैक के 29वें संस्करण में भाग लेने के लिए मई से अगस्त 2024 तक दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में तैनात किया गया था।

जिमेक्स 24:
भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री आत्मरक्षा बल के बीच द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का आठवां संस्करण, जिमेक्स 24, 11 से 14 जून, 2024 तक दो चरणों में जापान के योकोसुका में आयोजित किया गया।

Ex-इंद्र: 
आईएन शिप तबर ने अभ्यास इंद्र में भाग लिया 25 जुलाई से 01 अगस्त, 2024 तक रूसी संघ की नौसेना के साथ। जहाज ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी नौसेना दिवस समारोह में भी भाग लिया। वरुण अभ्यास: अभ्यास वरुण का 22वां संस्करण 01 से 04 सितंबर, 2024 तक भूमध्य सागर में आयोजित किया गया, जिसमें वरुण अभ्यास 24 में भाग लेने के लिए पहली P8I यूरोपीय टुकड़ी को इस्ट्रेस, फ्रांस में ले जाया गया।
आईबीएसएएमएआर VIII: 
आईएन शिप तलवार ने 10 से 16 अक्टूबर, 2024 तक दक्षिण अफ्रीका के साइमन टाउन में भारत-दक्षिण अफ्रीका-ब्राजील त्रिपक्षीय अभ्यास आईबीएसएएमएआर VIII में भाग लिया।

टाइगर ट्रायम्फ: 
भारत और अमेरिका के बीच स्थापित साझेदारी के अनुरूप, दोनों देशों के बीच एक उन्नत बड़े पैमाने पर संयुक्त उभयचर त्रि-सेवा मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास, टाइगर ट्रायम्फ 24, 18 मार्च से 31 मार्च, 2024 तक भारत के पूर्वी समुद्र तट पर आयोजित किया गया। 22 जनवरी, 2024 तक।
Ex सी ड्रैगन: 
आईएन पी8आई विमान 08 से 22 जनवरी, 2024 तक बहुपक्षीय अभ्यास सी ड्रैगन के लिए एंडरसन एयर फोर्स बेस, गुआम से संचालित हुआ। भारतीय पी8आई चालक दल को टोनल की पहचान में प्रथम चुना गया।
अभ्यास पूर्वी लहर: भारतीय नौसेना ने मार्च 2024 में पूर्वी तट पर कई चरणों में अभ्यास पूर्वी लहर का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना की तैयारियों के आकलन की दिशा में प्रक्रियाओं का सत्यापन करना था।

अखिल भारतीय वायुसेना अभ्यास:

Ex-वायुशक्ति-24:
 17 फरवरी 2024 को पोखरण रेंज में Ex- वायुशक्ति-24 का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में दिखाया गया कि भारतीय वायुसेना दुश्मन पर किस तरह से प्रहार करने में सक्षम है
Ex- गगन शक्ति-24:
 तीनों सेनाओं का पूर्व गगन शक्ति-24 01 से 10 अप्रैल 2024 के बीच आयोजित किया गया, जिसमें सभी क्षेत्रों में संचालन के पूर्ण स्पेक्ट्रम का अभ्यास किया गया। लाइव अभ्यास से पहले, एक टेबलटॉप, युद्ध-खेल आयोजित किया गया, जहाँ सभी आकस्मिकताओं के लिए परिचालन योजनाओं पर चर्चा की गई।

बोर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन द्वारा निर्मित सुरंग/एयरफील्ड/सड़क 

सेला सुरंग: 
  • प्रधानमंत्री ने मार्च 2024 में अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में विकसित भारत विकसित उत्तर पूर्व कार्यक्रम के दौरान सेला सुरंग परियोजना को राष्ट्र को वर्चुअली समर्पित किया। 
  • इस सुरंग का निर्माण असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले के तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर 13,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया है। 
  • कुल 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सुरंग बालीपारा-चारिद्वार-तवांग रोड पर सेला दर्रे के पार तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिससे सशस्त्र बलों की तैयारियों को बढ़ावा मिलेगा और सीमा क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 शिंकुन ला सुरंग:
  • प्रधानमंत्री ने जुलाई 2024 में 25वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर आयोजित एक कार्यक्रम से लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग परियोजना के पहले विस्फोट को वर्चुअली देखा। 
  • इस परियोजना में लेह को हर मौसम में संपर्क प्रदान करने के लिए निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग का निर्माण किया जाना है। 
  • पूरा होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। 
  • शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

मुध-न्योमा एयरफील्ड:

  •  न्योमा-मुध एयरफील्ड परियोजना (2.7 किमी) एलएसी से 46 किमी दूर, 13700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाकू ठिकानों में से एक होगा। 
  • इसकी आधारशिला सितंबर 2023 में रक्षा मंत्री द्वारा रखी गई थी। 
  • पूरी परियोजना नवंबर 2025 तक पूरी हो जाएगी।

निम्मू-पदुम-दारचा सड़क: 
  • मनाली से लेह के लिए एक वैकल्पिक मार्ग, 298 किलोमीटर लंबी निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर कनेक्टिविटी मार्च 2024 में स्थापित की गई थी
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना

  • भारतीय सेना ने दस संयुक्त राष्ट्र मिशनों में स्टाफ अधिकारियों/सैन्य पर्यवेक्षकों के अलावा पांच पैदल सेना बटालियनों और 11 गठित इकाइयों में लगभग 5200 सैन्य कर्मियों को तैनात किया है।
  • जिन देशों मे ये सैन्य कर्मी तैनात हैं-कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, अबेई, पश्चिमी सहारा, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, अदीस अबाबा, लेबनान, सीरिया, इजरायल और साइप्रस। 


भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी: Facts in Brief

India Forest Report 2023 Facts in Brief

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ का विमोचन किया। उल्लेखनीय है कि 1987 से भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा द्विवार्षिक आधार पर भारत वन स्थिति रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है। भारतीय वन सर्वेक्षण (भा.व.स.) सुदूर संवेदन उपग्रह आंकड़ों और फील्ड आधारित राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री (रा.व.इ) के निर्वचन के आधार पर देश के वन और वृक्ष संसाधनों का गहन आकलन करता है और इसके परिणाम भारत वन स्थिति रिपोर्ट (भा.व.स्थि.रि.) में प्रकाशित किए जाते हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 इस श्रृंखला की 18वीं रिपोर्ट है।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 Facts in Brief 

  • वर्तमान आकलन के अनुसार, कुल वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग कि.मी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। 
  • वनावरण का क्षेत्रफल लगभग 7,15,343 वर्ग कि.मी. (21.76 प्रतिशत) है जबकि वृक्ष आवरण का क्षेत्रफल 1,12,014 वर्ग कि.मी. (3.41 प्रतिशत) है।
  • 2021 की तुलना में देश के कुल वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृ‌द्धि हुई है।
  • देश का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,367 वर्ग कि.मी. है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है, जिसमें 7,15,343 वर्ग कि.मी. (21.76 प्रतिशत) बनावरण और 1,12,014 वर्ग कि.मी. (3.41 प्रतिशत) वृक्ष आवरण है।
  • वर्ष 2021 की तुलना में, देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है, जिसमें वनावरण में 156 वर्ग कि.मी. और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग कि.मी. की वृद्धि शामिल है।
  • वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृ‌द्धि दर्शाने वाले शीर्ष चार राज्य हैं- छत्तीसगढ़ (684) वर्ग कि.मी.), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग कि.मी.), ओडिशा (559 वर्ग कि.मी.) तथा राजस्थान (394 वर्ग कि.मी.) हैं।
  • वनावरण में अधिकतम वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मिजोरम (242 वर्ग कि.मी.), गुजरात (180 वर्ग कि.मी.) और ओडिशा (152 वर्ग कि.मी.) हैं।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे अधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग कि.मी.) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग कि.मी.) है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग कि.मी.) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग कि.मी.) हैं।
  • कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में वन आवरण के प्रतिशत की दृष्टि से, लक्ष‌द्वीप (91.33 प्रतिशत) में सबसे अधिक वन आवरण है, जिसके बाद मिजोरम (85.34 प्रतिशत) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत) का स्थान है।
  • वर्तमान आकलन से यह भी जात होता है कि 19 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनावरण के अंतर्गत हैं। इनमें से आठ राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों, जैसे मिजोरम, लक्ष‌द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में 75 प्रतिशत से अधिक वनावरण है।
  • कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4,992 वर्ग कि.मी. है।
  • भारत के वन और वाह्य वन वृक्षों की कुल निधि 6430 मिलियन घन मीटर अनुमानित की गई है, जिसमें से 4479 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 1951 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर है। पिछले आकलन की तुलना में कुल निधि में 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 91 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 171 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर की वृद्धि शामिल है।
  • देश में बांस धारित क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है। 
  • वर्ष 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
  • वाह्य वन वृक्षों से औ‌द्योगिक काष्ठ का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है।
  • वर्तमान आकलन में देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन अनुमानित किया गया है। पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
  • भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है, जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार: ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर पाने वाले पहले भारतीय पीएम


कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कुवैत के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, ‘‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर’’ से सम्‍मानित किया है। इसके साथ ही प्रधान मंत्री को अब तक 20 देश अपने यहाँ के प्रमुख और शीर्ष सम्मनों से सम्मानित कर चुके हैं जिनमे शामिल है-फ्रांस ने पीएम मोदी को लीजन ऑफ ऑनर, मिस्र में ऑर्डर ऑफ द नाइल सम्मान, अमेरिका ने पीएम मोदी को लीजन ऑफ मेरिट सम्मान, रूस ने ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू पुरस्कार, सउदी अरब द्वारा ऑर्डर ऑफ अब्दुलअजीज अल सऊद तथा अन्य। 

इस मौके पर कुवैत के प्रधानमंत्री शेख अहमद अल-अब्दुल्ला अल-अहमद अल-सबाह भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस पुरस्कार को भारत और कुवैत के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्‍ती को, कुवैत में भारतीय समुदाय को और भारत के 1.4 अरब लोगों को समर्पित किया है। 

उल्लेखनीय है कि 43 वर्षों के बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री की कुवैत की इस ऐतिहासिक यात्रा पर यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।

Facts In Brief 

  • इस पुरस्कार की शुरुआत 1974 में की गई थी और तब से चुनिंदा वैश्विक नेताओं को यह पुरस्‍कार दिया गया है।
  • इसे पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को प्रदान किया जा चुका है।


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मिले विदेशी सम्मानों की सूची

  •  पीएम मोदी को लीजन ऑफ ऑनर -फ्रांस 
  • ऑर्डर ऑफ द नाइल सम्मान मिस्र 
  • कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू -पापुआ न्यू गिनी 
  •  मोदी कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी -फिजी
  •  एबाकल पुरस्कार -पलाऊ गणराज्य
  •  ड्रुक ग्यालपो -भूटान
  • लीजन ऑफ मेरिट सम्मान -अमेरिका
  • किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां- बहरीन
  • ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन -मालदीव
  • ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू पुरस्कार -रूस
  • ऑर्डर ऑफ जायद अवॉर्ड -यूएई 
  • ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन अवॉर्ड -फिलिस्तीन
  • स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान पुरस्कार-अफगानिस्तान 
  • ऑर्डर ऑफ अब्दुलअजीज अल सऊद -सउदी अरब 

महाकुंभ मेला 2025: क्विज़ और वन लाइनर सामान्य ज्ञान-Facts in Brief

महाकुंभ मेला 2025: क्विज़ और वन लाइनर सामान्य ज्ञान-Facts in Brief

2025 का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2024 तक उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक प्रयागराज में आयोजित होने वाला है। महाकुंभ मेला 2025 आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव है, जो दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर आप गवर्नमेंट जॉब्स या किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा या क्विज़ की  तैयारी करते हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज और वन लाइनर सामान्य ज्ञान के लिए जानकारी जो आपको महाकुंभ 2025 के लिए अपडेट रखेगा।  


  • उत्तराखंड के हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किस नदी के तट पर होता है-गंगा 
  • मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन किस नदी के तट पर होता है-शिप्रा 
  • महाराष्ट्र के नासिक में महाकुंभ का आयोजन किस नदी के तट पर होता है-गोदावरी
  • उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किस नदी के तट पर होता है गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर

  • महाकुंभ प्रथम स्नान तिथि : पौष शुक्ल एकादशी 10 जनवरी 2025 
  • महाकुंभ द्वितीया स्नान तिथि : पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025
  • महाकुंभ चतुर्थ स्नान तिथि : माघ कृष्ण एकादशी 25 जनवरी, 2025
  • महाकुंभ पंचम स्नान तिथि : माघ कृष्ण त्रयोदशी 27 जनवरी, 2025
  • महाकुंभ अष्टम स्नान तिथि : माघ शुक्ल सप्तमी -4 फरवरी, 2025 
  • महाकुंभ नवम स्नान तिथि : माघ शुक्ल अष्टमी  -5 फरवरी, 2025 
  • महाकुंभ दशम स्नान तिथि : माघ शुक्ल एकादशी  -8 फरवरी, 2025 
  • महाकुंभ एकादश स्नान तिथि : माघ शुक्ल त्रयोदशी  - 10 फरवरी, 2025
  • महाकुंभ द्वादश स्नान तिथि : माघ पूर्णिमा, 12 फरवरी, 2025
  • महाकुंभ त्रयोदश स्नान तिथि : फाल्गुन कृष्ण एकादशी, 24 फरवरी, 2025
  • महाकुंभ चतुर्दश स्नान पर्व : महाशिवरात्रि, 26 फरवरी, 2025

राष्ट्रपति निलयम में शुरू होगा उद्यान उत्सव: जानें डेट और कैसे करें ऑनलाइन अपना स्लॉट बुक


राष्ट्रपति निलयम  का शाब्दिक अर्थ "राष्ट्रपति भवन" है जो  हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है। इसे पहले रेजीडेंसी हाउस के नाम से जाना जाता था वर्तमान मे यह भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक शीतकालीन आवास है।

बोलारम, सिकंदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम में 29 दिसंबर, 2024 से पुष्प और बागवानी से संबंधित 15 दिनों का उद्यान उत्सव आयोजित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के दक्षिण प्रवास के समय को छोड़कर राष्ट्रपति निलयम वर्ष भर लोगों के लिए खुला रहता है।  29 दिसंबर, 2024 से पुष्प और बागवानी से संबंधित 15 दिनों का उद्यान उत्सव को देखने के लिए आगंतुक https://rashtrapatibhavan.gov.in पर ऑनलाइन अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) हैदराबाद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित उद्यान उत्सव का उद्देश्य जन भागीदारी द्वारा प्रकृति, पर्यावरण संरक्षण और संधारणीयता को बढ़ावा देना है। विषयगत स्टाल और कार्यशालाओं में भाग लेकर लोग कृषि और बागवानी के क्षेत्र में नवीन और तकनीकी ज्ञान हासिल कर सकते हैं।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (18 दिसंबर, 2024) उद्यान उत्सव आरंभ करने की  तैयारियों और आने वाले लोगों के लिए सुविधाओं की समीक्षा की। उन्होंने राष्ट्रपति निलयम के आगंतुक सुविधा केंद्र में मिट्टी कैफे के एक भोजनालय और एक स्मारिका विक्रय केंद्र का उद्घाटन किया। परिसर में खाद बनाने की प्रक्रिया देखने के लिए राष्‍ट्रपति ने खाद इकाई का भी दौरा किया। उन्होंने आशा व्‍यक्‍त की कि इस इकाई में बाग के कचरे से जैविक खाद बनाकर एक उदाहरण प्रस्‍तुत किया जाएगा।

राष्ट्रपति के दक्षिण प्रवास के समय को छोड़कर राष्ट्रपति निलयम वर्ष भर लोगों के लिए खुला रहता है। आगंतुक https://rashtrapatibhavan.gov.in पर वहां के भ्रमण के लिए ऑनलाइन अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं।

राष्ट्रपति निलयम एक पर्यटन स्थल से कहीं अधिक एक समृद्ध अनुभव है जो पीढ़ियों को जोड़ता है, सभी को एकता, शिक्षा और सुंदरता की विरासत में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। यह ऐतिहासिक स्थल, जो अब आम जनता के लिए खुला है, परिवारों, इतिहास के प्रति उत्साही लोगों और भारत के शाही अतीत और जीवंत वर्तमान की एक अनूठी झलक पाने के इच्छुक पर्यटकों के लिए एक आकर्षक प्रकाशस्तंभ बन गया है। चाहे आप एक शैक्षिक सैर की तलाश कर रहे परिवार हों या भारत के अतीत की कहानियों में तल्लीन होने के लिए उत्सुक इतिहास के शौकीन हों, राष्ट्रपति निलयम भारतीय परंपरा और भव्यता के दिल में एक अद्वितीय यात्रा प्रदान करता है।

Point Of View : इन टिप्स से बढ़ाएं अपना साहस-डर का सामना करें, अपने आप को चुनौती दें तथा दूसरों से प्रेरणा लें

Inspiring Thoughts: Why Courage is Important for Our Life…Follow These Quotes and witness Changes in your Life
Point Of View : साहस एक ऐसा गुण है जो हमें कठिनाइयों का सामना करने और अपनी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है. यह हमें जोखिम लेने और नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रेरित करता है. साहस के बिना, हम अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते हैं. यह न केवल हमें कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है बल्कि  जीवन में नए अवसरों को खोजने के लिए तैयार करने का भी कार्य करता है. 

 भले ही आप साहस और हिम्मत के सन्दर्भ में अनगिनत कोट्स पढ़े होंगे लेकिन अगर हम सबसे प्रासंगिक कथन जो हिम्मत को ग्लोरिफाई करती है वह है  कि हिम्मत न कर पाने का कारण यह नहीं होता है की कुछ कर पाना कठिन हैं, बल्कि सच्चाई तो यह है है कि कुछ कर पाना कठिन इसलिए हो जाता है  क्योंकि हम हिम्मत ही नही करते और इसके लिए आवश्यक साहस नहीं जुटा पाते हैं. 

साहस हीं हमारा वह आत्म बल है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है आपने मुंशी प्रेमचंद की वह कथन तो सुनी होगी-" भय की तरह साहस भी संक्रामक होती है" तो साफ़ है कि अगर आप साहस को अपना जीवन का आधार नहीं बनाएंगे, तो भय आप पर हावी हो जायेगा.  लोगों का हुजूम हो चाहिए आप अपने जीवन के  पथ पर अकेले ही संघर्षरत हो, साहस का होना अत्यंत आवश्यक है. सच तो यह है कि साहस हीं हमारा वह आत्म बल है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है, यह हमारा साहस हीं हैं जो किसी भी असस्म्भव से लगने वाले काम को भी पूरा करना का हिम्मत प्रदान करती है.

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने साहस को बढ़ा सकते हैं:

अपने डर का सामना करें: 
सबसे अच्छा तरीका अपने डर का सामना करना है. जब आप अपने डर का सामना करते हैं, तो आप देखते हैं कि वे उतने खतरनाक नहीं हैं जितने आप सोचते थे.
अपने आप को चुनौती दें: 
अपने आप को चुनौती दें. अपने आप को उन चीजों के लिए चुनौती दें जो आपके लिए मुश्किल हैं. जब आप अपने आप को चुनौती देते हैं, तो आप अपने साहस का निर्माण करते हैं.

दूसरों से प्रेरणा लें: 
 उन लोगों के बारे में सोचें जो आपके लिए साहसी हैं. उन लोगों से प्रेरणा लें और उनके जैसा बनने की कोशिश करें.

साहस एक ऐसा गुण है जो आपको अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद कर सकता है. अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको साहसवान होना होगा.

इंसान के जीवन में साहस सबसे महत्वपूर्ण घटना है जो आपको अपने जीवन में कुछ सोचने और कुछ आश्चर्य करने की हिम्मत प्रदान करती है..मानव जीवन में जहां सब कुछ अप्रत्याशित है और हमें अपने अस्तित्व की लड़ाई और जीने के लिए बहुत से ऐसे कार्य भी करने होते हैं जो सामान्य रूप से हम उसे नहीं करना चाहते हैं.


दोस्तों.. यह केवल साहस है जो हमारे जीवन में कुछ अप्रत्याशित सपने देखने की शक्ति प्रदान करती है..   अन्यथा हम अपने वर्तमान हालात के आगे मजबूर होकर जीने को विवश हो जाते....

बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे 


 आपका साहस आपको कुछ अप्रत्याशित और असंभव से लगने वाले लक्ष्य को पाने का हिम्मत प्रदान करती है जो आगे चलकर हमारे जीवन में हमारे लक्ष्य को निर्धारित करने का अवसर प्रदान करती है...

Inspiring Thoughts: हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं.. बदलें इस माइंडसेट को

 जीवन में लक्ष्य का होना अत्यंत आवश्यक है और बिना लक्ष्य के हमारा जीवन  करें ... आपके सपने की नींव और आपके प्रयासों का निष्पादन वह कारक है जो आपको प्रदान करता है। अपने भाग्य को प्राप्त करने का तरीका और यह साहस ही है जो आपको रास्ता प्रदान करता है ... सोच से लेकर लक्ष्य हासिल करने तक ...


 कहने की जरूरत नहीं है ... मानव ने  अपने सोच को हमेशा से नकारात्मक और अजीबोगरीब सोच से भरकर उसे कंफ्यूज बनाकर रखा है.... और यही हमारी सोच है जो हमें हमेशा से जीवन के दौड़ में पीछे धकेलने में मुख्य भूमिका निभाती है.... हमने अपने सोच को हमेशा से डर और संदेह से कभी बाहर नहीं आने देते ऐसे में भला हमारा मस्तिष्क सही और साहसी निर्णय कैसे ले सकता है...

Inspiring Thoughts: हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं.. बदलें इस माइंडसेट को

Inspiring Thoughts: साहस को अपनाएँ... सफलता की कहानी खुद लिखें...

 निश्चित रूप से इन संदेहों का जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है... .हमारे जीवन में और कोई भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता ....तो इसके लिए जरुरी है कि आप निर्णय लेने में अपने साहस का इस्तेमाल करें और कभी भी खुद पर संदेह नहीं करें...

Inspiring Thoughts: डिप्रेशन और फ़्रस्ट्रेशन पर काबू पाने के लिए पाएं नेगेटिव माइंडसेट से छुटकारा

 निश्चित रूप से यह आपके अंदर का साहस है जो इन अनावश्यक डर को दूर करता है और जीवन में ठोस और सही लक्ष्य के निर्धारण में आपकी मदद करती है... दोस्तों बिना किसी लक्ष्य के निर्धारण के आप उसे कैसे प्राप्त करने की कोशिश करेंगे.... जाहिर है कि या आपका साहस ही हैं जो जीवन में किसी भी अप्रत्याशित सपने और लक्ष्य को साकार करने और पाने का हिम्मत प्रदान करती है.

Slinex 24: श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास, Facts in Brief

Slinex 24 Facts in brief

द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास एसएलआईएनईएक्स-24 (श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास) है जो भारत और श्रीलंका के बीच आयोजित किया जाता है। इस वर्ष या यह पूर्वी  नौसेना कमान के तत्वावधान में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास एसएलआईएनईएक्स-24 (श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास) 17 से 20 दिसंबर, 2024 तक विशाखापत्तनम में आयोजित किया जाएगा।

एसएलआईएनईएक्स-24 अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाएगा-17 से 18 दिसंबर तक बंदरगाह चरण और 19 से 20 दिसंबर तक समुद्री चरण। 

इतिहास: 

द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास एसएलआईएनईएक्स-24 2005 में शुरू किया गया जो भारत और श्रीलंका के बीच आयोजित किया जाता है। वास्तव मे यह दोनों देशों के बीच  द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों की एक महत्वपूर्ण संस्करण है जिसने पिछले कुछ वर्षों में भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत किया है।

भाग लेने वाली इकाइयां:

भारत से : भारतीय नौसेना जहाज आईएनएस सुमित्रा, पूर्वी बेड़े का एक नौसेना अपतटीय गश्ती पोत, एक विशेष बल के साथ होगा।

श्रीलंका से : एसएलएनएस सयूरा, एक अपतटीय गश्ती पोत, जिसमें विशेष बल होगा।

इस चरण के दौरान, प्रतिभागी आपसी समझ को मजबूत करने के लिए पेशेवर और सामाजिक आदान-प्रदान में संलग्न होंगे। 

19 दिसंबर को शुरू होने वाले समुद्री चरण में विशेष बलों के संचालन, बंदूक फायरिंग, संचार अभ्यास, नाविक अभ्यास, नेविगेशन विकास और हेलीकॉप्टर संचालन सहित संयुक्त अभ्यास शामिल होंगे।

पिछले कुछ वर्षों में एसएलआईएनईएक्स-24 का दायरा बढ़ा है, जिससे दोनों नौसेनाओं को अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में मदद मिली है। 

वर्ष 2024 के इस संस्करण का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच मज़बूत समुद्री संबंधों को और मज़बूत करना है, साथ ही सुरक्षित, संरक्षित और नियम-आधारित समुद्री वातावरण को बढ़ावा देना है।

Who is D Gukesh: भारतीय ग्रैंडमास्टर डोमराजू गुकेश ने इतिहास रचा


भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनकर  एक इतिहास रच दिया है। ऐसा कारनामा करने वाले वह विश्व मे प्रथम व्यक्तित्व बने हैं।  उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18वीं विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती है। खास बात यह है कि कार्लसन, क्रैमनिक और कास्पारोव भी 18 साल के थे जब वे विश्व शतरंज चैंपियन बने थे।
 उल्लेखनीय है कि गुकेश से पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब अपने नाम किया था। 

भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश (D. Gukesh) भारत के उभरते हुए शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका पूरा नाम डोममाराजू गुकेश है। वे अपनी असाधारण प्रतिभा और कम उम्र में हासिल की गई उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं। गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को हुआ था और उन्होंने बहुत कम उम्र में शतरंज की दुनिया में अपनी पहचान बनाई।

  • चैम्पियनशिप-फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप
  • स्थल-सिंगापुर
  • उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18वीं विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती है
  • उनकी सफलता चमत्कार है क्योंकि कार्लसन, क्रैमनिक और कास्पारोव भी 18 साल के थे जब वे विश्व शतरंज चैंपियन बने थे। 
  • पहली अंतर्राष्ट्रीय सफलता का स्वाद चखा जब उन्होंने 2015 में अंडर 9 एशियाई स्कूल शतरंज चैंपियनशिप जीती और कैंडिडेट मास्टर (CM) का खिताब भी जीता। 
  • गुकेश जनवरी 2019 में 12 साल 7 महीने की उम्र में इतिहास के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने।
  • जन्म- 29 मई, 2006
  •  ग्रैंडमास्टर गुकेश के पिता एक ईएनटी सर्जन हैं और उनकी मां पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं.
  • टाइटल- ग्रैंडमास्टर (2019), इंटरनेशनल मास्टर (2018), कैंडिडेट मास्टर (2015), फिडे मास्टर (2014) फिडे रेटिंग- 2783
पूर्व कि उपलबधिया: 

  1. दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर: गुकेश 12 साल, 7 महीने और 17 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने। वे दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने में सफल रहे, जो सिर्फ सर्गेई कार्याकिन से पीछे हैं।

  2. 2022 ओलंपियाड में प्रदर्शन: डी. गुकेश ने 44वें शतरंज ओलंपियाड (चेन्नई, भारत) में शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपने बोर्ड पर 9/11 का स्कोर किया।

  3. FIDE रैंकिंग में उभरती प्रतिभा: गुकेश ने लगातार बेहतर प्रदर्शन कर फिडे रैंकिंग में शीर्ष खिलाड़ियों में जगह बनाई और भारत के शतरंज सितारों जैसे विश्वनाथन आनंद और आर. प्रज्ञानंदा के साथ अपनी पहचान बनाई।

  4. सिंकेफील्ड कप 2023: 2023 में गुकेश ने सिंकेफील्ड कप में भाग लिया और अपने प्रदर्शन से विश्व स्तर पर चर्चा बटोरी।

गिद्ध: जानें भारत में कितनी पाई जाती है प्रजातियाँ और कितनी हैं इनकी संख्या


भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां दर्ज की गई हैं। भारत में विशिष्ट क्षेत्रों और पर्यावासों में गिद्धों की संख्या का आकलन नहीं किया गया है। हालांकि, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अलग-अलग समय पर अपने-अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गिद्धों की संख्या का आकलन करते हैं, जिन्‍हें मंत्रालय के स्तर पर संकलित नहीं किया जाता है। मंत्रालय के पास उपलब्ध विवरण के अनुसार भारत में गिद्धों की अनुमानित संख्या निम्‍नलिखित है:


प्रजाति का नामअनुमानित संख्या (2017)
लंबी चोंच वाला गिद्ध ( जिप्स इंडिकस )26,500
पतली चोंच वाला गिद्ध ( जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस )1000
सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध ( जिप्स बंगालेंसिस )6000

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने राज्य सरकारों के सहयोग से प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत गिद्ध प्रजनन केंद्र स्थापित किए हैं। ये सुविधाएं गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों जैसे कि लंबी चोंच वाले गिद्ध, सफेद पीठ वाले गिद्ध तथा पतली चोंच वाले गिद्ध के प्रजनन के लिए समर्पित हैं। 

  • प्रजनन केंद्र
  • हरियाणा में पिंजौर गिद्ध प्रजनन केंद्र
  •  पश्चिम बंगाल में राजाभटखवा गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र


उल्लेखनीय प्रजनन केंद्रों में हरियाणा में पिंजौर गिद्ध प्रजनन केंद्र, पश्चिम बंगाल में राजाभटखवा गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र आदि शामिल हैं, जहां गिद्धों को बंद कर के पाला जाता है तथा बाद में उन्हें प्राकृतिक पर्यावासों में छोड़ दिया जाता है।

अगस्त 2006 में, भारत के औषधि महानियंत्रक ने पशु चिकित्सा डाइक्लोफेनाक के उपयोग, बिक्री और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत सरकार ने पशुओं के उपचार में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए दवा डाइक्लोफेनाक की शीशी का आकार 3 मिलीलीटर तक सीमित कर दिया है। (Source PIB)


चंद्रयान: वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग का है लक्ष्य-Facts in Brief


इसरो ने तीन चंद्रयान मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और चंद्रयान-3 मिशन के परिणामस्वरूप चंद्रमा पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही। वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में क्षमता निर्माण हेतु चंद्रयान मिशनों की एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है। 

इस दिशा में भारत सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसमें नमूना संग्रह की प्रौद्योगिकियों सहित चंद्रमा पर उतरने और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा। चंद्रयान-5/लुपेक्स मिशन की योजना उच्च क्षमता वाले लैंडर को प्रदर्शित करने के लिए बनाई जा रही है, जो मानव लैंडिंग सहित भविष्य के लैंडिंग मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।

मानकीकरण, स्वदेशीकरण, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग और बहुविध कार्यात्मकताओं के एकीकरण के माध्यम से मिशनों की लागत प्रभावशीलता के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत सरकार ने जून, 2020 को अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की है, जिससे प्राइवेट प्लेयर्स को भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण स्तर तक बढ़ाने के लिए एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को अंतरिक्ष सुधार दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में अप्रैल 2023 में जारी किया गया था। 

यह अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की मूल्य श्रृंखला में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करता है ताकि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की बड़ी हिस्सेदारी के लिए मजबूत, नवीन और प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष इकोसिस्टम विकसित किया जा सके। 

वर्ष 2021 से अब तक 15 अंतरिक्ष यान मिशन (2 संचार, 9 पृथ्वी अवलोकन, 1 नेविगेशन और 3 अंतरिक्ष विज्ञान), 17 प्रक्षेपण यान मिशन (8 पीएसएलवी, 3 जीएसएलवी, 3 एलवीएम3 और 3 एसएसएलवी) और 5 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं। 

इसरो द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए उल्लेखनीय उपग्रहों में आर्यभट्ट, एस्ट्रोसैट, मंगलयान, चंद्रयान श्रृंखला, एक्सपोसैट, आदित्य-एल1 जैसे अंतरिक्ष विज्ञान मिशन शामिल हैं।

 इसरो ने स्वदेशी उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली, आईआरएनएसएस/नाविक श्रृंखला के उपग्रहों को भी सफलतापूर्वक तैनात किया है। इसके अलावा रिसोर्ससैट श्रृंखला और कार्टोसैट श्रृंखला जैसे विभिन्न पृथ्वी अवलोकन उपग्रह भी लॉन्च किए गए। 

संचार उपग्रह खंड में उल्लेखनीय प्रक्षेपणों में इनसैट और जीसैट श्रृंखला जैसे इनसैट-4सी, जीसैट-7ए, जीसैट-11, जीसैट-29, जीसैट-9 आदि शामिल हैं।

2021 से अब तक इसरो की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

  • PSLV-C52 ने फरवरी-2022 में EOS-04 उपग्रह (RISAT-1A) के साथ-साथ दो छोटे उपग्रहों - भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) का एक छात्र उपग्रह (INSPIREsat-1) और इसरो का एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह (INS-2TD) सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह (INS-2B) का अग्रदूत है।
  • जुलाई-2022 में ‘सुरक्षित एवं सतत संचालन प्रबंधन के लिए इसरो प्रणाली (IS4OM) राष्ट्र को समर्पित की गई।
  •  LVM3 M2/OneWeb India-1 और LVM3 M3/OneWeb India-2 मिशन क्रमशः अक्टूबर 2022 और मार्च 2023 में सफलतापूर्वक पूरे किए गए, जो आत्मनिर्भरता का उदाहरण है और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवा बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बढ़ाता है।  PSLV-C54 ने नवंबर 2022 में भारत भूटान सैट (INS-2B) सहित आठ नैनो-उपग्रहों के साथ EOS-06 उपग्रह (ओशनसैट-3) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
  •  SSLV-D2 का पहला सफल मिशन फरवरी 2023 में तीन उपग्रहों को कीमती कक्षा में स्थापित करके पूरा किया गया।
  •  2023-24 के दौरान कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में तीन बार पुन: प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल ऑटोनॉमस लैंडिंग एक्सपेरीमेंट (RLV-LEX) सफलतापूर्वक आयोजित किए गए।
  • मई 2023 में GSLV-F12/NVS-01 मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया। GSLV ने NVS-01 नेविगेशन उपग्रह को तैनात किया, जो दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रहों में से पहला है।
  •  चंद्रयान-3: LVM3-M4 ने 14 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। 23 अगस्त, 2023 को ‘शिव शक्ति’ बिंदु (स्टेशन शिव शक्ति) पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट-लैंडिंग और चंद्र सतह पर प्रज्ञान रोवर की तैनाती सफलतापूर्वक पूरी की गई।  सितंबर-2023 में PSLV-C57 का उपयोग करके आदित्य-L1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। 6 जनवरी, 2024 को सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (L1) यानी हेलोऑर्बिट इंसर्शन (HOI) पर अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।  PSLV-C58/XPOSAT मिशन जनवरी-2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।  GSLV F14/INSAT-3DS मिशन (पूरी तरह से MoES द्वारा वित्तपोषित) फरवरी 2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
  •  एयर ब्रीदिंग प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन के लिए ATV-D03/DFS की दूसरी प्रायोगिक उड़ान जुलाई 2024 में सफलतापूर्वक पूरी की गई।
  • SSLV की तीसरी विकासात्मक उड़ान सफल रही। SSLV-D3 ने EOS-08 को अगस्त 2024 में कक्षा में स्थापित किया।
  • GSAT-N2 को नवंबर 2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

(Source PIB)

गगनयान मिशन: क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना के डिजाइन का कार्य पूरा, जानिए मिशन की स्थिति


गगनयान मिशन, मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयास होने के बावजूद, भारत के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ लेकर आया है। ऐसे कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जहाँ मिशन के सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। गगनयान कार्यक्रम की प्रगति की स्थिति इस प्रकार है:

मानव रेटेड लॉन्च वाहन:

इसका आशय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित लेने की क्षमता वाले प्रक्षेपण वाहन से है। प्रक्षेपण वाहन की मानव रेटिंग की दिशा में ठोस, तरल और क्रायोजेनिक इंजन सहित प्रणोदन प्रणाली चरणों का ग्राउंड परीक्षण पूरा हो गया है।

क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम: 

इसका आशय आपातकालीन प्रणाली से है जिसका उद्देश्य प्रक्षेपण के दौरान किसी भी तरह की असफलता की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपण वाहन से सुरक्षित दूरी पर ले जाना होता है। पांच प्रकार के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स का डिजाइन और कार्यान्वयन पूरा हो गया है। सभी पांच प्रकार के सॉलिड मोटर्स का स्टेटिक परीक्षण पूरा हो गया है। क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) के प्रदर्शन सत्यापन के लिए पहला टेस्ट व्हीकल मिशन (टीवी-डी 1) सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।

ऑर्बिटल मॉड्यूल सिस्टम: 

क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का डिजाइन पूरा हो गया है। एकीकृत मुख्य पैराशूट एयर ड्रॉप टेस्ट और रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज टेस्ट के माध्यम से विभिन्न पैराशूट सिस्टम का परीक्षण किया गया है

गगनयात्री प्रशिक्षण:

 प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीन में से दो सत्र पूरे हो चुके हैं। स्वतंत्र प्रशिक्षण सिम्युलेटर और स्टेटिक मॉकअप सिम्युलेटर का निर्माण किया गया है।

मुख्य आधारभूत ढांचा: 

ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयारी सुविधा (ओएमपीएफ), अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा (एटीएफ) और ऑक्सीजन परीक्षण सुविधा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं चालू हो चुकी हैं। मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) सुविधाओं का निर्माण और ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क की स्थापना का काम पूरा होने वाला है।

गगनयान का पहला मानवरहित मिशन: 

मानव-रेटेड लॉन्च वाहन के ठोस और तरल प्रणोदन चरण उड़ान एकीकरण के लिए तैयार हैं। C32 क्रायोजेनिक चरण उड़ान एकीकरण के लिए तैयार किया जा रहा है। क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का निर्माण पूरा हो चुका है। उड़ान एकीकरण गतिविधियाँ प्रगति पर हैं।

तकनीकी उन्नति और स्पिन-ऑफ:

नई तकनीकें: क्रायोजेनिक इंजन, हल्के पदार्थ, जीवन रक्षक प्रणाली और रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों के विकास का एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होगा।

रोजगार सृजन: इस मिशन से एयरोस्पेस उद्योग, शोध संस्थानों और संबंधित क्षेत्रों में कई अनेक रोजगारों के अनेक अवसर सृजन की उम्मीद है।

आर्थिक विकास: स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास निवेश को आकर्षित करेगा, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और आर्थिक विकास में योगदान देगा।

भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करना:

एसटीईएम शिक्षा: यह मिशन युवा प्रतिभाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।

राष्ट्रीय गौरव: एक सफल मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाएगा और भारतीय आबादी में विशिष्ट उपलब्धि की भावना को प्रेरित करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति:

वैश्विक भागीदारी: यह मिशन अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे ज्ञान साझाकरण और संयुक्त उपक्रमों को बढ़ावा मिलेगा।

राजनयिक प्रभाव: भारत का सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम इसकी वैश्विक स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाएगा।

वैज्ञानिक शोध और नवाचार:

सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोग: सूक्ष्मगुरुत्व में प्रयोग करने से पदार्थ विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिल सकती है।

रिमोट सेंसिंग और पृथ्वी अवलोकन: यह मिशन बेहतर मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन में योगदान दे सकता है।

सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हरियाणा राज्य सहित पूरे भारत में भारतीय उद्योगों और स्टार्ट-अप की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।(Source PIB)

नैफिथ्रोमाइसिन: जानें भारत की पहली स्वदेश मे निर्मित एंटीबायोटिक के बारे में

Nafithromycin Indias First Antibiotics Facts in Brief

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध लंबे समय से एक बढ़ती वैश्विक चिंता का विषय रहा है, दवा कंपनियां दुनिया भर में इससे निपटने के लिए नई दवाएं विकसित करने का प्रयास कर रही हैं। वर्षों की चुनौतियों और अथक प्रयासों के बाद अंततः एक सफलता मिली है। तीन दशकों के शोध और कड़ी मेहनत के बाद भारत ने पहली स्वदेशी मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन का  निर्माण किया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ लड़ाई में  फार्मास्युटिकल नवाचार में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि नैफिथ्रोमाइसिन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारत की स्वास्थ्य सेवा संबंधी चुनौतियों के लिए स्वदेशी समाधान विकसित करने की क्षमता बढ़ा रही है।

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ भारत की लड़ाई

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी रोगाणुरोधी दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। दवा प्रतिरोध के परिणामस्वरूप एंटीबायोटिक्स और अन्य रोगाणुरोधी दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं और संक्रमण का इलाज करना मुश्किल या असंभव हो जाता है। इससे बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी, विकलांगता और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। जबकि एएमआर समय के साथ रोगाणु में आनुवंशिक परिवर्तनों द्वारा संचालित एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसका प्रसार मानवीय गतिविधियों, विशेष रूप से मनुष्यों, जानवरों और पौधों में रोगाणुरोधी दवाओं के अति प्रयोग और दुरुपयोग से काफी तेज हो जाता है।

 रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है, भारत में हर साल लगभग 6 लाख लोगों की जान प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण जाती है। हालांकि भारत एएमआर को संबोधित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, विशेष रूप से नई दवाओं के विकास के माध्यम से। चरण 3 नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) बायोटेक उद्योग कार्यक्रम के अंतर्गत  8 करोड़ रुपये के वित्त पोषण के साथ विकसित नेफिथ्रोमाइसिन के एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नैफिथ्रोमाइसिन बेहतर रोगी अनुपालन प्रदान करता है और एएमआर से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नैफिथ्रोमाइसिन: सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मील का पत्थर

नैफिथ्रोमाइसिन को आधिकारिक तौर पर 20 नवंबर 2024 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा शुरू किया गया था। बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) के समर्थन से वॉकहार्ट द्वारा विकसित नैफिथ्रोमाइसिन को "मिक्नाफ" के रूप में विपणन किया जाता है।  दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होने वाले सामुदायिक-अधिग्रहित जीवाणु निमोनिया (सीएबीपी) को लक्षित करता है। यह बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है।

यह अभूतपूर्व एंटीबायोटिक एज़िथ्रोमाइसिन जैसे वर्त्तमान उपचारों की तुलना में दस गुना अधिक प्रभावी है और तीन-दिन के उपचार से रोगी में सुधार होने के साथ-साथ ठीक होने का समय भी काफी कम हो जाता है। नेफिथ्रोमाइसिन को विशिष्ट और असामान्य दोनों प्रकार के दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह इसे एएमआर (एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस) के वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान में एक महत्वपूर्ण बनाता है। इसमें बेहतर सुरक्षा, न्यूनतम दुष्प्रभाव और कोई दवा पारस्परिक प्रभाव नहीं होता है।

नेफिथ्रोमाइसिन का विकास एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, क्योंकि यह 30 से अधिक वर्षों में वैश्विक स्तर पर पेश किया गया, अपनी श्रेणी का पहला नया एंटीबायोटिक है। अमेरिका, यूरोप और भारत में व्यापक नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजरने वाली इस दवा को 500 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया गया है। अब केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से अंतिम मंजूरी का इंतजार है।

यह नवाचार सार्वजनिक-निजी सहयोग की शक्ति का उदाहरण है और जैव प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दिखता है। नैफिथ्रोमाइसिन का सफल आगमन एएमआर के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि है। यह बहु-दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज और दुनिया भर में जीवन बचाने की उम्मीद प्रदान करता है।

भारत सरकार ने नैफिथ्रोमाइसिन को विकसित करने के अलावा निगरानी, ​​जागरूकता और सहयोग के उद्देश्य से रणनीतिक पहलों की एक श्रृंखला के माध्यम से रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) का मुकाबला करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ये प्रयास एएमआर नियंत्रण को बढ़ाने, संक्रमण नियंत्रण में सुधार करने और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। (Source PIB)