"हॉट पोटैटो" एक इडियम है, जिसका इस्तेमाल किसी ऐसी चीज़ के लिए किया जाता है, जिसे कोई नहीं चाहता है. यह अक्सर ऐसे मुद्दों या स्थितियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, "हॉट पोटैटो" एक बहुत ही आम इडियम है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के संदर्भों में किया जा सकता है. यह एक ऐसा इडियम है, जिसे हर कोई समझता है और इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है.
The phrase' a hot potato' can be understand as a delicate subject which people have different opinions and feel very emotional about.
Example of use: We should never ask about anyone's marital status. it can be a hot potato.
एक मुद्दा या प्रश्न जिसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है और बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं. आप कह सकते हैं कि विवादास्पद या जोखिम भरे होते हैं.एक समस्या या स्थिति जिससे निपटना कठिन है और बहुत अधिक असहमति का कारण बनती है
उदाहरण के लिए, अगर कोई पार्टी में किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना नहीं चाहता है, जिससे वह सहज नहीं महसूस करता है, तो वह कह सकता है कि वह "हॉट पोटैटो" से बच रहा है. या, अगर कोई कंपनी किसी ऐसे प्रोजेक्ट को नहीं लेना चाहती है, जो बहुत जोखिम भरा है, तो वह कह सकती है कि वह "हॉट पोटैटो" को नहीं पकड़ना चाहती है.
"हॉट पोटैटो" का इस्तेमाल अक्सर बच्चों के खेल में भी किया जाता है, जिसमें बच्चे एक-दूसरे को एक गर्म आलू पास करते हैं. जो बच्चा आलू पास करने से बचता है, वह खेल से बाहर हो जाता है. यह खेल लोगों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने और सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
Here are some examples of how to use the idiom "hot potato":
The abortion issue is a hot potato in American politics.
The company is trying to avoid taking on any more hot potatoes.
The teacher dropped the hot potato of discipline to the principal.
The two friends passed the hot potato of who would pay the bill back and forth.
Suchindram Theroor Wetland: सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी कंजर्वेशन रिजर्व का हिस्सा है। इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया है और यह प्रवासी पक्षियों के मध्य एशियाई फ्लाईवे के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
इसे पक्षियों के घोंसले के लिए बनाया गया था और यह हर साल हजारों पक्षियों को आकर्षित करता है। थेरूर पर निर्भर कुल जनसंख्या लगभग 10,500 है और इस जनसंख्या की 75 प्रतिशत आजीविका कृषि पर टिकी है जो बदले में थेरूर जलाशय से निकलने वाले पानी पर निर्भर है।
पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी हैं, 12 स्थानिक हैं, और चार खतरे में हैं। कम से कम 183 पौधों और जानवरों की प्रजातियों की उपस्थिति जलाशयों को पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण मंच और चारागाह प्रदान करने में सक्षम बनाती है
यह एक मानव निर्मित, अंतर्देशीय जलाशय है और बारहमासी है। 9वीं शताब्दी के तांबे की प्लेट के शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है।
इस क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी, 12 स्थानिक और 4 विलुप्त होने की कगार पर हैं.
प्रजातियों की गणना
जिला वन अधिकारी एवं वन्यजीव वार्डन, कन्याकुमारी जिला के वेबसाइट के अनुसार सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स में प्रजातियों की गणना इस प्रकार से है-
चारों ओर फैली कृषि भूमि जैसे धान के खेत, नारियल के बाग, केले के पेड़ आदि, सिंचाई के लिए आर्द्रभूमि परिसर पर निर्भर हैं। यह संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए घोंसले के शिकार आवास प्रदान करता है। यह बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के साथ अंतर्राष्ट्रीय पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध है और मध्य एशियाई पक्षी प्रवासी मार्ग का हिस्सा है।
स्थान: तमिलनाडु, कन्याकुमारी जिला
क्षेत्रफल: 94.229 हेक्टेयर
संरक्षण: सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी संरक्षण रिजर्व का हिस्सा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित
महत्व: महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र, मध्य एशियाई फ्लाईवे का दक्षिणी छोर, भूजल पुनर्भरण का स्रोत, बाढ़ नियंत्रण
विशेषताएँ: दो मानव निर्मित जलाशय, थेरूर और सुचिन्द्रम, पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां
ढाबा स्टाइल राजमा एक ऐसी रेसिपी है जो आपके खाने में ढाबे जैसा स्वाद लाती है। यहाँ बताए गए तरीके से आप ढाबा के राजमा वाले टेस्ट को घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना आसान है और इसे आप आधा घंटे में तैयार कर सकते हैं। इसे बनाना जितना आसान है, खाने मे यह उतना ही जबरदस्त है।
विश्वास करें, आप इसके टेस्ट मे बाजार या ढाबा मे बजे राजमा का टेस्ट पाएंगे। इसे सही मसालों और धीमी आंच पर पकाकर बनाया जाता है। आइए जानते हैं इसकी परफेक्ट रेसिपी:
सामग्री:
राजमा: 1 कप (रातभर पानी में भिगोए हुए)
प्याज: 2 मध्यम (बारीक कटे हुए)
टमाटर: 3 बड़े (प्यूरी बना लें)
हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी हुई)
अदरक-लहसुन पेस्ट: 1 बड़ा चम्मच
घी या मक्खन: 3 बड़े चम्मच
तेल: 1 बड़ा चम्मच
जीरा: 1 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
धनिया पाउडर: 1 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर: 1 छोटा चम्मच
गरम मसाला: 1 छोटा चम्मच
कसूरी मेथी: 1 बड़ा चम्मच (भुनी और मसलकर)
नमक: स्वादानुसार
धनिया पत्ती: गार्निश के लिए
राजमा मसाला बनाने की विधि
1. राजमा उबालना:
भिगोए हुए राजमा को धोकर प्रेशर कुकर में डालें।
उसमें 4 कप पानी, 1/2 छोटा चम्मच नमक और एक चुटकी हल्दी डालें।
मध्यम आंच पर 4-5 सीटी आने तक पकाएं। (राजमा नरम होना चाहिए।)
2. मसाला बनाना:
एक कढ़ाई में तेल और घी गर्म करें।
इसमें जीरा डालें और चटकने दें।
बारीक कटी हुई प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें।
अदरक-लहसुन पेस्ट और हरी मिर्च डालें। भूनें जब तक खुशबू न आ जाए।
अब टमाटर की प्यूरी डालें और मसाले (हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर) डालकर अच्छे से भूनें।
मसाला तब तक पकाएं जब तक तेल अलग न होने लगे।
3. राजमा और मसाला मिलाना:
उबले हुए राजमा को मसाले में डालें।
साथ में राजमा का पानी (जिसमें उबाला था) डालें।
इसे धीमी आंच पर 15-20 मिनट तक पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें।
4. तड़का और गार्निश:
गरम मसाला और कसूरी मेथी डालें। अच्छे से मिलाएं।
2 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
ऊपर से धनिया पत्ती से गार्निश करें।
सर्विंग टिप्स:
इसे चावल, तंदूरी रोटी या पराठे के साथ गरमा-गरम परोसें।
ऊपर से एक चम्मच मक्खन डालकर इसे और स्वादिष्ट बनाएं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि व्रत के दिनों में कुछ हल्का, सात्विक और ऊर्जा देने वाला भोजन ज़रूरी होता है। मखाना मिठाई न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि उपवास के दौरान आपकी सेहत का भी ध्यान रखती है। ऐसे में मखाना से बनी मिठाई न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी बेहद फायदेमंद होती है।
आज हम आपके साथ मखाना मिठाई (लड्डू या बर्फी) की व्रत विशेष रेसिपी बता रहे हैं जो आप व्रत के दौरान अपने थाली में इसे शामिल कर सकते हैं। इसके सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इसमें फाइबर की मात्रा होती है, जो पेट साफ रखने और कब्ज से राहत देने में मदद करता है।
सामग्री (Ingredients):
मखाने (फॉक्स नट्स)2 कप
देसी घी2-3 बड़े चम्मच
गुड़ (या शुद्ध मिश्री)1 कप (कद्दूकस किया हुआ)
सूखा नारियल (वैकल्पिक)¼ कप (कद्दूकस किया हुआ)
इलायची पाउडर½ चम्मच
काजू/बादाम (कटा हुआ)2-3 बड़े चम्मच
दूध (वैकल्पिक)2 बड़े चम्मच
बनाने की विधि (Step-by-Step Recipe):
मखाने भूनना:
सबसे पहले एक कढ़ाही में 1 बड़ा चम्मच घी गर्म करें। उसमें मखाने डालकर धीमी आंच पर 7-8 मिनट तक कुरकुरे होने तक भूनें। भूनने के बाद ठंडा करके मिक्सी में दरदरा पीस लें। चाहें तो आधे मखाने दरदरे रखें और आधे पाउडर बना लें, इससे टेक्सचर अच्छा आएगा।
मखाना मिठाई गुड़ की चाशनी कैसे तैयार करें?
एक पैन में थोड़ा सा पानी डालकर गुड़ गर्म करें जब तक वह पूरी तरह पिघलकर चाशनी जैसा बन जाए। ध्यान रहे – चाशनी को ज़्यादा गाढ़ा न करें।
मखाना मिठाई मिश्रण कैसे तैयार करें?
अब कढ़ाही में थोड़ा घी गर्म करें और उसमें कटा हुआ नारियल, काजू-बादाम हल्का भूनें। फिर उसमें मखाना पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएं। अब इसमें गुड़ की चाशनी डालें और इलायची पाउडर मिलाएं।
सेट करना या लड्डू बनाना:
अगर आप बर्फी बनाना चाहते हैं: मिश्रण को एक घी लगी थाली में फैलाएं, ठंडा होने दें और मनचाहे आकार में काट लें।
अगर आप लड्डू बनाना चाहते हैं: मिश्रण हल्का गुनगुना रहते ही हाथों से लड्डू का आकार दें।
Born on Tuesday:अगर आप हिंदू धर्म और उनको विस्तार से अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. इस प्रकार से गणना से मंगलवार का दिन बजरंगबली का माना जाता है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, ग्रहों का व्यक्ति के जीवन और व्यवहार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और उस जातक के व्यवहार, नेचर, मानसिक और शारीरिक शक्ति, करियर आदि जैसे कारकों पर ग्रहों का खास प्रभाव पड़ता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी विशेष ग्रह द्वारा शासित होता है, और मंगलवार को जन्म लेने का अर्थ है मंगल ग्रह जैसी विशेषताओं वाले दिन जन्म लेना, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित कर सकता है।
मंगलवार को जन्मे लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे दृढ इच्छाशक्ति के मालिक होते हैं और अपने सपनों को वास्तविकता के धरातल पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ऐसे लोग सफलता के लिए तब तक प्रयास करते रहते हैं जब तक कि वे उसे प्राप्त नहीं कर लेते। अच्छे दिनों में, मंगलवार को जन्मे लोग बुद्धिमान, प्रेरित और निडर होते हैं, लेकिन बुरे दिनों में, वे जिद्दी और असुरक्षित हो सकते हैं। आइये जानते हैं मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.
आसानी से नहीं मानते हार:
मंगल गृह के स्वाभाव के अनुसार मंगलवार के दिन जन्मे लोग स्वभाव से गुस्सैल और बहादुर होते हैं और वे किसी भी खराब परिस्थिति में आसानी से हार नहीं मानते हैं. ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं. ये लोग कोई भी गलत बात स्वीकार नहीं कर पाते हैं. स्वभाव से ये लोग बहुत खर्चीले होते हैं. गुस्सैल स्वभाव के होने की वजह से यह लोग छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा करते हैं.इन लोगों के आसानी से दोस्त नहीं बनते हैं लेकिन अगर एक बार दोस्ती हो गई तो ये लोग दिल से निभाते हैं.
स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता:
मंगल को मंगलवार के साथ जोड़ा जाता है, और इसलिए इस दिन जन्मे लोग नेतृत्व की क्षमता और अग्रसरता रखते हैं। इनमें नेतृत्व क्षमता जन्मजात होती है और वे लोगों को प्रेरित करने में माहिर होते हैं। वे समाज में अच्छी गाइडेंस कर सकते हैं और सामरिक परिस्थितियों में नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। मंगल ग्रह के प्रभाव से, मंगलवार को जन्मे लोग अक्सर साहसी, ऊर्जावान और शक्तिशाली होते हैं।
उच्च ऊर्जा स्तर:
मंगल का प्रतीक्षित ज्वालामुखी तत्व होने के कारण, जो उच्च ऊर्जा स्तर को संकेत करता है, मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग उच्च ऊर्जा स्तर वाले हो सकते हैं। वे सक्रिय और उत्साही हो सकते हैं और अपने काम में प्रभावी हो सकते हैं। मंगलवार को जन्मे लोग जीवन के प्रति उत्साही होते हैं और नए अनुभवों के लिए तैयार रहते हैं।
क्रोधप्रवृत्ति:
मंगलवार को जन्मे लोगों में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं। मंगल ग्रह आपातकालीन स्थितियों का प्रतीक होता है और इसलिए मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के पास अधिक क्रोधप्रवृत्ति हो सकती है। वे छोटी बातों पर जल्दी गुस्सा हो सकते हैं और उन्हें अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।
ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं. ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं. मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों में मंगल ग्रह का प्रभाव होता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को शौर्य, साहस, निर्णायक और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं.
मंगल वार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की यह सामान्य लक्षण हैं जिसे समान्यता: ज्योतिष और कुंडली की जानकारी पर दी गई है. हालाँकि यह भी सत्य है कि हर व्यक्ति अद्वितीय होता है, इसलिए यह सुनिश्चित नहीं है कि सभी मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग इन लक्षणों से पूरी तरह से मेल खाते होंगे।
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नोट: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।
गर्मी के मौसम का आरंभ होने के साथ ही हमें आइसक्रीम की जरूरत शुरू हो जाती है। यह एक मज़ेदार और स्वादिष्ट आइसक्रीम अगर घर पर तैयार हो जाए तो फिर क्या कहना क्योंकि आखिर और घर पर बनी आइसक्रीम से बढ़कर कुछ नहीं है! तो आइए आपको हम सबसे बेहतरीन घर पर बनी चॉकलेट आइसक्रीम बनाने की अपनी रेसिपी शेयर रहा हूँ जो बनाने मे आसान और स्वादिष्ट चॉकलेट से तैयार आइसक्रीम रेसिपी है जिसे आप घर पर बिना अंडा और बिना आइसक्रीम मेकर के बना सकते हैं-
सामग्री:
2 कप हैवी व्हिपिंग क्रीम (ठंडी)
1 कप कन्डेन्स्ड मिल्क (मीठा दूध)
½ कप कोको पाउडर (unsweetened)
½ कप डार्क चॉकलेट (पिघली हुई)
1 टीस्पून वनीला एक्सट्रैक्ट
चॉकलेट चिप्स या ग्रेटेड चॉकलेट (सजाने के लिए – वैकल्पिक)
बनाने की विधि:
इस होममेड चॉकलेट आइसक्रीम रेसिपी को बनाने के लिए कई सारे स्टेप्स शामिल हैं जैसे कुछ देर तक ठंडा करना और साथ मे मिक्स्चर को जमाना भी - लेकिन सबसे अच्छी चॉकलेट आइसक्रीम बनाने में लगने वाला समय से ज्यादा आवश्यक है रेसीपी अच्छा बनना।
कोको मिक्स तैयार करें:
एक बाउल में कन्डेन्स्ड मिल्क, कोको पाउडर, वनीला एक्सट्रैक्ट और पिघली हुई डार्क चॉकलेट को अच्छी तरह मिलाएं। एक स्मूद और गाढ़ा मिक्सचर बनाना है।
व्हिपिंग क्रीम फेंटें:
आप जो भी प्रतिशत चाहें, इस्तेमाल करें - बस इतना जान लें कि मिल्क चॉकलेट से आइसक्रीम ज़्यादा मीठी बनेगी और चॉकलेट जितनी डार्क होगी, चॉकलेट का स्वाद उतना ही ज़्यादा तीखा होगा। एक अलग बाउल में हैवी क्रीम को इलेक्ट्रिक बीटर से तब तक फेंटें जब तक सॉफ्ट पीक्स न बन जाएं।
मिक्सिंग:
अब धीरे-धीरे कोको मिक्स को व्हिप्ड क्रीम में मिलाएं। हल्के हाथ से फोल्ड करें ताकि हवा बनी रहे और आइसक्रीम स्मूद बने।
सबसे पहले, एक कटोरे में कंडेंस्ड मिल्क, कोको पाउडर, पिघली हुई चॉकलेट और वेनिला एक्सट्रेक्ट को एक साथ फेंटें जब तक कि यह चिकना न हो जाए।"
एक अलग कटोरे में, ठंडी हैवी क्रीम को तब तक फेंटें जब तक कि उसमें सख्त चोटियाँ न बन जाएँ। इससे आइसक्रीम हल्की और हवादार बनती है।
अब व्हीप्ड क्रीम को चॉकलेट मिश्रण में धीरे से मिलाएँ। मिश्रण को फूला हुआ रखने के लिए इसे धीरे-धीरे करें।
मिश्रण को एक कंटेनर में डालें, ऊपर से चिकना करें और इसे ढक्कन या प्लास्टिक रैप से ढक दें। बेहतरीन नतीजों के लिए कम से कम 6-8 घंटे या रात भर के लिए फ़्रीज़ करें।
उस मलाईदार बनावट को देखें! इसके ऊपर कुछ चॉकलेट चिप्स या शेविंग्स डालें और अपने घर के बने खाने का आनंद लें।
Vaduvur Bird Sanctuar:वडुवूर पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित है, जो एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई तालाब है, जो कावेरी डेल्टा के हिस्से के साथ नीदमंगलम तालुक में स्थित है. यह तंजावुर से लगभग 25 किमी और तिरुवरूर से 30 किमी दूर स्थित है। यह अभयारण्य हरे-भरे जलाशयों, दलदली भूमि और घास के मैदानों से घिरा हुआ है जो पक्षियों के लिए अनुकूल पर्यावास प्रदान करते हैं। यहाँ कई प्रकार कि प्रवासी पक्षी जैसे साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय पक्षी जैसे भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट आदि का भी स्थल है।
वडुवूर पक्षी अभयारण्य 112.638 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है, यह एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई जलाशय और प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।
इन जलाशयों में निवासी और सर्दियों के पानी के पक्षियों की अच्छी आबादी को शरण देने की क्षमता है लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
सर्वेक्षण किए गए अधिकांश जलाशयों में भारतीय जलाशय बगुला अर्देओला ग्रेई पाया गया। यूरेशियन विजोन अनस पेनेलोप, नॉर्दर्न पिंटेल अनस एक्यूटा, गार्गनी अनस क्वेरक्वेडुला जैसे सर्दियों के जलपक्षी की बड़ी उपस्थिति जलाशयों में दर्ज की गई थी।
वडुवूर पक्षी अभ्यारण्य में विविध निवास स्थान हैं जिनमें कई इनलेट और आसपास के सिंचित कृषि क्षेत्र शामिल हैं जो पक्षियों के लिए अच्छा घोंसला बनाने और चारागाह प्रदान करते हैं। इस प्रकार, यह स्थल उपर्युक्त सूचीबद्ध प्रजातियों को उनके जीवन-चक्र के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान सहायता प्रदान करती है।
एक और जहाँ देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष मना रहा है ऐसे में भारत के लिए और उपलब्धि हासिल हुई है जहाँ 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। 11 नए स्थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्येक में एक (1) शामिल हैं।
भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं।
11 नए स्थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्येक में एक (1) शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।
1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्थलों की सूची में कुल 26 स्थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।
इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्थल हैं।
तमिलनाडु में अधिकतम संख्या है। रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्चात उत्तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं।
रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त विवरण
Kanjirankulam Bird Sanctuary:कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण पक्षी संरक्षण क्षेत्र है जो प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक शानदार गंतव्य है।
कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो रामनाथपुरम जिले के कांजीरनकुलम गांव के भीतर स्थित है। केबीएस का अनुमानित क्षेत्र कीला (निचला) कांजीरनकुलम (66.66 हेक्टेयर) और मेला (ऊपरी) कांजीरनकुलम (30.231 हेक्टेयर) के बीच विभाजित है। तमिलनाडु में कुल सत्रह घोषित पक्षी अभयारण्य हैं हालांकि कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान करीब 40 प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करता है।
यह मछलियों के भोजन, अंडे देने की जगह, नर्सरी और/या प्रवास पथ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का भंडार निर्भर करता है।
बरसात के मौसम में बांधों के भीतर जमा होने वाला अतिरिक्त पानी बाद में कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता है। अभयारण्य एक कुशल बाढ़ नियंत्रण, बाढ़ भंडारण तंत्र के लिए भंडार स्थान के रूप में कार्य करता है।
भारत के तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्थल के रूप में प्रसिद्ध है यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं।
ये स्थल पक्षियों के प्रजनन, घोंसले के शिकार, आश्रय, चारागाह और ठहरने के स्थलों के रूप में कार्य करते हैं। यह आर्द्रभूमि आईयूसीएन रेडलिस्ट विलुप्त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों जैसे स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) का पालन करती है।
प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर और फरवरी के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं। यह स्थल आईबीए के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है।
भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट
आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं।
चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य, जिसे स्थानीय रूप से "चित्रांगुडी कनमोली" के नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह रामेश्वरम और मन्नार की खाड़ी के करीब स्थित है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार स्थल बनाता है। यह अभ्यारण्य पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है जो पक्षियों और प्रकृति की तस्वीरें लेने वालों के लिए एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त यह अभ्यारण्य जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अद्भुत स्थल है।
यह आर्द्रभूमि 1989 से एक संरक्षित क्षेत्र है और इसे पक्षी अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया गया है, जो तमिलनाडु वन विभाग, रामनाथपुरम डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में आता है।
चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास है। स्थल से 30 परिवारों के लगभग 50 पक्षियों के उपस्थित होने की जानकारी मिली है। इनमें से 47 जल पक्षी और 3 स्थलीय पक्षी हैं।
इस स्थल क्षेत्र से स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, लिटिल एग्रेट, ग्रे हेरॉन, लार्ज एग्रेट, ओपन बिल स्टॉर्क, पर्पल और पोंड हेरॉन जैसे उल्लेखनीय जलपक्षी देखे गए।
प्रवासी पक्षी: फ्लेमिंगो, ग्रे हेरॉन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, सैंडपाइपर।
स्थानीय पक्षी: भारतीय बगुला, किंगफिशर, टर्न आदि।
चित्रांगुडी कृषि क्षेत्रों से घिरा हुआ है, जहां साल भर विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। आर्द्रभूमि कई मछलियों, उभयचरों, मोलस्क, जलीय कीड़ों और उनके लार्वा का भी पालन करती है यह प्रवासी जलपक्षियों के लिए अच्छे भोजन स्रोत बनाते हैं। कृषि उद्देश्यों के लिए आर्द्रभूमि के आसपास और भीतर सिंचाई के लिए भूजल निकाला जाता है।
हिन्दू धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है जो देवों के देव महादेव की पूजा के लिए पूरी तरह से समर्पित होता है। भगवान शंकर को सभी हिन्दू देवताओं में सर्वोच्च भगवान माना जाता है भगवान सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवी-देवताओं में से भी एक है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह मान्यता है कि सावन के पावन महीने में विधिपूर्वक भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने और उनके निमित्त व्रत रखने से वे अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती का भी भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। हिंदू पौराणिक कहानियों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने कई अवतार लिया था. आइए जानते हैं भगवान शंकर के प्रमुख अवतारों के बारे में.
शिव के 19 अवतार
शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण शिव अवतारों के बारे में जानकारी दी गई है. हिंदू पंचांग के अनुसार, शिव पुराण एक प्रमुख हिंदू पुराण है, जो भगवान शिव के महत्वपूर्ण कथाओं, अवतारों और उपास्य रूपों के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है। शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण शिव अवतारों के बारे में जानकारी दी गई है :शिव के इन 19 अवतारों ने सभी प्राणियों को कष्टों से मुक्त किया है और उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान की है. वे सभी भक्तों के लिए पूजनीय हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं.
हिन्दू पञ्चाङ्गे और अन्य स्रोतों के अनुसार भगवान शिव के प्रमुख अवतार हैं-वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि ।
शिव के 19 अवतारों का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. इनमें से कुछ प्रमुख अवतार हैं:
विश्वरूप अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विष और अमृत पीने वाले देवता-असुरों के सामने अपनी विश्वरूप दिखाई थी। इससे उन्होंने अपने भक्तों को प्रेरित किया और दुर्योधन के पक्ष से द्रोणाचार्य को मदद करने का भी वादा किया था।
भैरव अवतार: भगवान शिव के इस अवतार में उन्होंने अश्वत्थामा के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भैरव रूप धारण किया था। उन्होंने अश्वत्थामा को प्रतिज्ञा की थी कि उन्हें उसके श्राप से मुक्ति मिलेगी।
दक्षिणामूर्ति अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने गुरुपूर्वक ज्ञान को प्रदान किया था। उन्होंने चारों दिशाओं के देवताओं को ज्ञान दिया था और संसार की माया और अविद्या का नाश करने की महत्वपूर्ण उपदेश दिया था।
महाकाल: महाकाल भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध अवतार है. वे काल का देवता हैं और मृत्यु के अधिपति हैं. वे सभी प्राणियों के अंत के जिम्मेदार हैं.
अर्धनारीश्वर अवतार: इस अवतार में भगवान शिव और पार्वती के सम्मिलित रूप में व्यक्त होते हैं, जो प्रकृति और पुरुष के सम्मिलन को प्रतिष्ठित करता है। इस रूप में उन्हें सृष्टि, स्थिति और संहार का सार्वभौमिक अधिकार होता है।
तारक: तारा भगवान शिव का एक अन्य प्रसिद्ध अवतार है. वे तारा देवी के अवतार हैं, जो एक शक्तिशाली देवी हैं जो सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति देती हैं.
भुवनेश: भुवनेश भगवान शिव का एक अवतार है जो समस्त ब्रह्मांड का स्वामी है. वे सभी प्राणियों के संरक्षक हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से बचाते हैं.
षोडश: षोडश भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के ज्ञान और शक्ति का भंडार है. वे सभी भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्रदान करते हैं.
गौरीशंकर अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने भक्ता पार्वती के साथ गौरीशंकर के रूप में जन्म लिया था। यह अवतार पर्वतीश्वरी देवी के श्रद्धावान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए धारण किया गया था।
कालभैरव अवतार: इस अवतार में भगवान शिव ने कालभैरव रूप धारण किया था और दक्ष यज्ञ का विनाश किया था। उन्होंने देवी सती के दुख को दूर करने के लिए अपना शक्तिशाली रूप प्रदर्शित किया था।
धूम्रवान: धूम्रवान भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के रोगों और बीमारियों को दूर करने वाला है. वे सभी भक्तों को रोगों और बीमारियों से मुक्त करते हैं.
बगलामुख: बगलामुख भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के शत्रुओं और विरोधियों को हराने वाला है. वे सभी भक्तों को शत्रुओं और विरोधियों से मुक्त करते हैं.
मातंग: मातंग भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के सुख और समृद्धि का भंडार है. वे सभी भक्तों को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं.
कमल: कमल भगवान शिव का एक अवतार है जो सभी प्रकार के ज्ञान और मोक्ष का मार्गदर्शक है. वे सभी भक्तों को ज्ञान और मोक्ष प्रदान करते हैं.
यह केवल कुछ शिव पुराण में वर्णित अवतार हैं, लेकिन इस पुराण में भगवान शिव के अन्य अवतारों का भी वर्णन है। शिव पुराण के अलावा भी अन्य हिंदू पुराणों में भगवान शिव के विभिन्न अवतारों का वर्णन मिलता है।
शिव के अनेक अंशावतार भी हुए
शिव के अंश ऋषि दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनर्तक, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर आदि जन्मे. इन अंशावतार का उल्लेख ‘शिव पुराण’ में भी मिलता है.
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।
Born on Monday:मंडे अर्थात सप्ताह के दूसरे दिन का स्वामी चंद्रमा होता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुआर यह एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत निकट है। सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर भगवान शिव अर्थात देवाओं के देव महादेव कि विशेष कृपादृष्टि होती है। ज्योतिष के अनुसार ऐसे लोग भगवान शंकर जिन्हे भक्त गण भोले बाबा के नाम से भी बुलाते हैं, उनके समान भोले और सरल स्वभाव के होते हैं। वैसे तो सोमवार को जन्म लेने वाले जातकों का स्वभाव खुशमिजाज और प्रसन्नचित होता है, लेकिन ऐसे लोग किसी भी परिस्थिति में आसानी से खुद को ढाल लेने मे माहिर होते हैं।
सोमवार को जन्में लोगों की व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण होता है और अक्सर लोगों के बीच खास लोकप्रिय होते हैं। स्वभाव मे शालीनता और मीठी वाणी इनकी सबसे बड़ी खासियत होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार को जन्मे जातकों पर चन्द्र ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है और यही वजह है कि सोमवार को जन्में लोगों के जीवन पर चंद्रमा का उच्च प्रभाव रहता है।
सोमवार वाले जन्में लोगों पर भगवान शंकर की विशेष कृपदृष्टि होती हैं क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार सोमवार को भगवान शंकर की दिवस माना जाता है। एस्ट्रोलॉजी के अनुसार सोमवार को जन्म लेने वाले लोग काफी भोलेभाले होते हैं और आप जानते हैं कि भगवान शंकर को भोले शंकर भी कहा जाता है। इनका मन हमेशा शांत रहता है और इन्हें बेवजह किसी से लड़ाई-झगड़ा करना पसंद नहीं होता है। इसके अलावा न ही ये किसी की लाइफ में इंटरफेयर करते हैं और न ही किसी को दखल देने देते हैं।सोमवार जन्म लेने वाले लोगों के बारे में विस्तार से जाने विख्यात मोटिवेटर, ज्योतिष और कुंडली विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर से.
सोमवार को जन्मे लोग सहज, विनम्र और दयालु
होते हैं तथा वे पारिवारिक संबंधों और मित्रता को महत्व देते
हैं। वे स्थितियों का व्यवस्थित रूप से
विश्लेषण करने के बजाय अपने मन की भावनाओं के अनुसार चलने की प्रवृत्ति रखते हैं।विपरीत और विरोधावासी प्रवृति को जीना पसंद करते हैं. जैसे विषय वासना और भोग को वे गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी उच्च चरित्र उनके लिए हमेशा महत्वपूर्ण होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत करीब है इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी पर बहुत प्रमुख है। ऐस्टरोलोजी के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है. यह ग्रह घरेलू जीवन, पारिवारिक संबंधों और आनुवंशिकी को नियंत्रित करता है। चंद्रमा को सोम देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे जीवन के सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है.
सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे गंभीर प्रकृति के होते हैं. सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियो का व्यक्तित्व चन्द्रमा के गुणों से प्रभावित होता है इसलिए वे धार्मिक स्वाभाव के होते हैं. काफी परिश्रमी होने के साथ ही ऐसे लोग सुख और दुःख दोनों हीं परिस्थितियों में एक सामान होते हैं और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करते.
क्या रखें सोमवार को जन्मे बच्चे का नाम?
सोमवार को हम भगवन शंकर अर्थान शिव दिन मान कर पूजा करते हैं और इसलिए सोमवार को जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व भगवन शंकर के समान माना जाता है. सोमवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें सोमवार को जन्मे बच्चे का नामकरण और उनको उपयुक्त नाम रखने के लिए अक्सर माता पिता उत्सुक और परेशान रहते हैं।
हालाँकि नामकरण के पीछे भी सामान्यत:कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और घर के अनुसार रखने की परंपरा होती है और सच तो यह है कि बच्चे का नाम रखने में ज्योतिष और परंपरागत फैक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. हालांकि सोमवार को जन्म लेने वाले बच्चों के नाम के लिए आप निचे दिए गए कुछ नामों पर विचार कर सकते हैं।
परिश्रमी: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति काफी परिश्रमी और मेहनती होते हैं. ऐसे व्यक्ति कभी भी शांति से बैठना पसंद नहीं करते हैं और हमेशा खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं. समय का सदुपयोग करने में ऐसे लोग काफी सक्रिय रहते हैं और अगर अच्छे और क्रियाशील प्रवृति के स्वामी होने पर ऐसे जातक जीवन में कई सारे कार्यों को अपने हाथ में एक साथ लेकर सफलतापूर्वक उसे अंजाम तक पहुंचाते हैं.
चरित्रवान: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की यह खासियत होती है कि वे उच्च चरित्र वाले होते हैं और खुद की चरित्र की उन्हें काफी परवाह रहती हैं. हालाँकि जातक विपरीत और विरोधावासी प्रवृति को जीना पसंद करे हैं. जैसे विषय वासना और भोग को वे गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी उच्च चरित्र उनके लिए हमेशा महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए वे सामान्यत: कोई समझौता पसंद नहीं करते हैं.
धार्मिक/सामाजिक कार्यों में भाग लेने वाले: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सामान्यत: धार्मिक प्रवृति के होते हैं धार्मिक कार्यों और पूजा पाठ में उनकी विशेष रूचि होती है. भले है वे अधिक देर तक पूजा करने विश्वाश नहीं करें लेकिन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में वे विशेष रूचि दिखाते हैं.
सुख दुःख में समान रहेगा: ऐसे व्यक्ति सुख और दुःख दोनों हीं परिस्थितियों में एक सामान होते हैं और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करते. सुख की स्थिति में भी ये सामान्यत: अपने आपको दिखावे और आडंवर से बचाए रखते हैं. वहीँ दुःख की स्थिति में भी ये अपने सम्मान को नहीं छोड़ते हैं और जल्दी किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं करते हैं.
स्वास्थय और व्यक्तित्व : ऐसे व्यक्तियों का चेहरा सामान्यत: गोल होता ऐसे लोगों को स्वास्थ्य को लेकर कोल्ड या ठंडी से विशेष सावधान रहने की जरुरत होगी. ऐसे लोग सर्दी या जुकाम से काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें इससे विशेष परहेज लेने की जरुरत होती है. हल्का कोल्ड भी इन्हे परेशान करती है और इन्हे सर्दी या जुकाम अपने चपेट में ले सकती है. इसके साथ ही सोमवार को जन्म लेने वाले जातको का शरीर वात और कफ से युक्त होता है इसलिए इन्हे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रथाओं में से एक है जिसके अंतर्गत कांवड़िये (भक्त) गंगा नदी (आमतौर पर हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री से) से पवित्र जल लेकर निकटवर्ती शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा वह प्रथा है जिसमें लोग पवित्र नदी से पवित्र जल लेते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। शिवलिंग पर पवित्र जल चढ़ाने के पवित्र अभियान का हिस्सा बनने वाले कांवड़ यात्रियों को कांवड़िये कहा जाता है। वास्तव मे काँवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि यह एक आस्था और भक्ति से जुड़ा श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक भी है।
वास्तव में, कांवड़ यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर है क्योंकि यह एक प्रकार की आध्यात्मिक यात्रा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है जो कांवड़ियों से उनकी इच्छाशक्ति की परीक्षा और भगवान शिव के प्रति उनके गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में मांग करती है।
भारत में सावन (श्रावण) के महीने में हरिद्वार, गौमुख, बैद्यनाथ, नीलकंठ, काशी विश्वनाथ आदि सभी प्रसिद्ध शिवलिंगों के दर्शन के लिए कांवड़ यात्रा विशेष रूप से मनाई जाती है। कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है और भक्तों द्वारा यात्रा करने के तरीके के आधार पर इसे मोटे तौर पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे डाक कांवड़, बैठी कांवड़, साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़ आदि। आपको यहाँ कांवड़ यात्रा, सावन में यह क्यों मनाई जाती है, और कांवड़ यात्रा के प्रकार आदि के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
कांवड़ यात्रा क्या है?
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जिसके तहत वे पवित्र जल उठाते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस पवित्र यात्रा को कांवड़ यात्रा के रूप में जाना जाता है, जिसके दौरान भक्त हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री या सुल्तानगंज जैसे स्थानों से गंगा नदी का पवित्र जल लाने के लिए अधिकतर पैदल यात्रा करते हैं। भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति के अनुसार, वे कांवड़ सजाते हैं, अर्थात वह उपकरण जिसके माध्यम से वे कांवड़ ले जाते हैं। लंबी दूरी तय करने के बाद, वे इसे स्थानीय या प्रसिद्ध शिव मंदिरों, विशेष रूप से झारखंड के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम (देवघर) या उत्तराखंड के नीलकंठ महादेव में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा क्यों मनाई जाती है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र महीना सावन या श्रावण भगवान शिव की पूजा और पवित्र जल चढ़ाने का महीना है। पूरा सावन महीना भक्तों के लिए भगवान शिव की पूजा करने के लिए उपयुक्त है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पी लिया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था (और नीलकंठ बन गए थे)। भक्त शिवलिंग को शीतलता प्रदान करने के लिए उस पर गंगा जल चढ़ाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अपनी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सावन में गंगा जल चढ़ाने से आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और पापों व पिछले कर्मों से मुक्ति मिलती है।
कांवड़ यात्रा के प्रकार:
भक्तों द्वारा की जाने वाली यात्रा के आधार पर कांवड़ यात्रा को मोटे तौर पर निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
डाक कांवड़
कांवड़ यात्रा का सबसे तेज़ रूप जिसमें भक्त गंगा स्रोत से मंदिर तक बिना रुके दौड़ते या जॉगिंग करते हैं और इसे कांवड़ यात्रा का एक कठिन मार्ग माना जाता है। यह कांवड़ यात्रा का कठिन मार्ग है जो आमतौर पर बिना सोए एक ही बार में किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र नदी से जल लेने के 24 घंटे के भीतर शिव को पवित्र जल अर्पित किया जाता है।
बैठी काँवर
बैठी काँवड़ की प्रथा के तहत, पूरी यात्रा के दौरान काँवर को कभी ज़मीन पर नहीं रखा जाता। भक्त इसे वैकल्पिक रूप से या कंधों का उपयोग करके ले जाते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करते हैं कि पवित्र नदी से काँवर उठाने के बाद यह ज़मीन को न छुए।
खड़ी काँवर
भक्तों के विश्राम के समय काँवर को सीधा खड़ा रखा जाता है और इसे गिरना या झुकना नहीं चाहिए—अगर ऐसा होता है तो इसे अशुभ माना जाता है।
झूला काँवर
झूला काँवर के अंतर्गत काँवर को कंधों पर संतुलित एक डंडे पर लटकाकर ले जाया जाता है। संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों सिरों पर जल के घड़े लटकाए जाते हैं।
संकल्प काँवर
संकल्प काँवर के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि भक्तों को पूर्ण उपवास की स्थिति में पवित्र जल अर्पित करना होता है। काँवरिये शिवलिंग पर जल अर्पित करने तक उपवास रखते थे।
साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़
यह कांवड़ यात्रा का आधुनिक रूप है जिसके अंतर्गत कांवड़िये लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए साइकिल, बाइक या यहां तक कि ट्रक का उपयोग करते हैं।
काँवड़ यात्रा के दौरान किन सावधानियों का पालन करना है जरूरी?
अगर आप काँवड़ यात्रा पर जाने कि तैयार कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप कुछ सावधानियों को बरते और किसी किस्म कि लापरवाही से बचें। स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़ी सावधानियों के साथ है यह जरूरी है कि आप धार्मिक मर्यादा और अनुशासन का ध्यान रखें। इसके अतिरिक्त क्योंकि रात में काँवड़ यात्रा के साथ ही सड़क पर दूसरे वाहन और सवारी और गाड़ियों को भी गुजरना होता है इसलिए यह जरूरी है कि आप यातायात नियम का पालन करें और रात में रिफ्लेक्टिव जैकेट पहन कर ही यात्रा करें। खाली पेट यात्रा न करें और हल्का और सात्त्विक भोजन करें साथ ही डिहाइड्रेशन से बचें तथा खूब पानी पिएं, नींबू पानी या ORS साथ रखें।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।