World Cancer Day 2024: जानें क्यों मनाते हैं विश्व कैंसर दिवस, क्या है इतिहास थीम और महत्त्व

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विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक पहल है जो कैंसर और दुनिया भर में व्यक्तियों, समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। यह एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम एक साथ मिलकर इस बीमारी से लड़ सकते हैं और जीवन बचा सकते हैं। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों को इसके खतरों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

इतिहास:

विश्व कैंसर दिवस की अवधारणा का जन्म 1999 में पेरिस में आयोजित न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में हुआ था। अगले वर्ष, 4 फरवरी 2000 को, कैंसर के खिलाफ पेरिस चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ, इस दिन को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। इस चार्टर में कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पता लगाने, उपचार और उपशामक देखभाल के लिए एक वैश्विक रणनीति की रूपरेखा दी गई है।

महत्व:

विश्व कैंसर दिवस कई कारणों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक महत्व रखता है:

जागरूकता बढ़ाता है: यह जनता को कैंसर, इसके जोखिम कारकों, शीघ्र पता लगाने के तरीकों और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने और सोच-समझकर निर्णय लेने का अधिकार देता है।

वकालत: यह दिन कैंसर रोगियों, बचे लोगों और उनके परिवारों के लिए एक आवाज प्रदान करता है, नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से कैंसर नियंत्रण प्रयासों को प्राथमिकता देने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक समान पहुंच सुनिश्चित करने का आग्रह करता है।

सहयोग: विश्व कैंसर दिवस कैंसर अनुसंधान, रोकथाम और उपचार में प्रगति में तेजी लाने के लिए सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, शोधकर्ताओं और व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

आशा: यह कैंसर से प्रभावित लाखों लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, उन्हें याद दिलाता है कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं और बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

2023-2025 के लिए थीम:

विश्व कैंसर दिवस की वर्तमान थीम है "Close the Care Gap: Everyone Deserves Access to Cancer Care" । यह विषय दुनिया भर में मौजूद कैंसर देखभाल में असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर देता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर किसी को, उनकी पृष्ठभूमि या स्थान की परवाह किए बिना, कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए आवश्यक आवश्यक सेवाओं तक पहुंच हो।


नजरिया जीने का: क्या बिहार के वर्तमान घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन की शुरुआत है



दबाव की राजनीती के मास्टर स्ट्रोक खेलने में माहिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही खुद को विजेता मानने का मुगालता पाल सकते हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रम में उन्होंने एक बार फिर से पलटी मारने की जो कवायद किया है, वह उनके विश्वसनीयता रूपी राजनैतिक पतन का आरंभ है. जिस प्रकार से उन्होंने सत्ता के सुख के लिए गठबंधन के धर्म को भुलाकर सत्तालोलुपता दिखाई है. उसने उनके विश्वनीयता को गंभीर संकट में दाल दिया है. अगर किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहना जीत का लक्षण है, तो फिर यह नीतीश कुमार को मुबारक हो, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा शायद ही हो कि कभी प्रधान मंत्री मोदी को चुनौती देने वाले विपक्ष का एकमात्र चेहरा होने वाले नीतीश कुमार आज अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुके हैं. इतना ज्यादा कि पचास से कम लोकसभा सीटों पर सिमटने वाले कांग्रेस भी उन्हें आँख दिखा कर संयोजक तो छोड़िये, किसी पद के लायक भी नहीं समझ रही.

हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत है, लेकिन इतना तो तय है कि सुशासन बाबू और विकास पुरुष की ख्याति पाए नीतीश कुमार के लिए 202 4 के बाद का समय और भी जटिल और कष्टप्रद हो सकती है। नीतीश कुमार एक अनुभवी राजनेता हैं और उन्होंने अतीत में भी कई चुनौतियों का सामना किया है और यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बिहार में राजनीतिक परिदृश्य बहुत अस्थिर है। 

यह संभव है कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों से उबर सकें और अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकें, लेकिन, यह भी संभव है कि ये घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत हों। समय ही बताएगा कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और इनका उनके राजनीतिक करियर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

खुद हीं जिम्मेदार

कहने की जरुरत नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है और इसके लिए काफी हद तक वह खुद हीं जिम्मेदार है। निश्चित हीं बिहार के वर्तमान के घटनाक्रम के बाद उनके राजनैतिक पतन की संभावनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि नीतीश कुमार का राजनैतिक पतन इतना आसान भी नहीं हैं क्योंकि भाजपा और महागठबंधन में कम से कम बिहार में कोई टक्कर का चेहरा नहीं है. 

अगर आप देखें तो नीतीश कुमार के राजनितिक रूप से कमजोर और अस्थिर चेहरा के पीछे कई अन्य कारण भी है. 

राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी 

इसका सबसे बड़ा कारण राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी भी बहुत कारण है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच राजनीतिक गठबंधन के बावजूद, दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। इस दूरी का कारण कई कारक हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप, नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले का असफल होना, और दोनों दलों के बीच चुनावी टिकटों को लेकर हुए विवाद शामिल हैं।

भाजपा का बढ़ता प्रभाव 

इसके अतिरिक्त भाजपा का बढ़ता प्रभाव भी नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है क्योंकि भाजपा के बढ़त के साथ जनता दल यू का बिहार में सिकुड़ना भी बहुत बड़ा कारन है.  बिहार में भाजपा का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बिहार में 20 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो भाजपा बिहार की राजनीति में एक प्रमुख दल बन जाएगा। इस स्थिति में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर हो सकती है।

पार्टी में टूट की आशंका

आंतरिक विरोध और पार्टी में टूट की आशंका भी एक प्रमुख कारण है जिसके कारण नीतीश कुमार परेशानी में थे. हाल के दिनों में पार्टी के अंदर कलह और अध्यक्ष का बदला जाना भी  नीतीश कुमार की सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।

नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन के संभावित परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं:

बिहार में राजनीतिक अस्थिरता: नीतीश कुमार की हार से बिहार में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इस स्थिति में राज्य में नए चुनाव कराने पड़ सकते हैं।

भाजपा का बिहार में वर्चस्व: भाजपा के बिहार में वर्चस्व बढ़ सकता है। इस स्थिति में राज्य में भाजपा की नीतियों का प्रभाव बढ़ेगा।

राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव: नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन से राष्ट्रीय राजनीति में भी बदलाव हो सकता है। इस स्थिति में बिहार की राजनीति भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाएगा।

क्या है कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ जिसका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया है

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मन की बात के 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया ने किया जिसमे उन्होंने कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ का चर्चा किया। आइये जानते हैं कि क्या है  'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ने क्यों इसका जिक्र किया. 

हमर हाथी - हमर गोठ: Facts in Brief

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं।

‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है।

 इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। 

छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

नजरिया जीने का: क्यों कहते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम?


 आखिरकार वह पावन दिन आ ही गया अर्थात जब अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का। भगवान राम के मर्यादा और उनके विशेष गुणों को लेकर जो छवि प्रत्येक हिंदुओं में बसी है वह किसी लेखनी की मोहताज नहीं है। "मर्यादा पुरुषोत्तम" श्रीराम भगवान हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं, जो "रामायण" के मुख्य पात्र में प्रस्तुत होते हैं। "मर्यादा पुरुषोत्तम" का अर्थ होता है "मर्यादा में सर्वोत्तम पुरुष" या "मर्यादा के परम आदमी"। "मर्यादा पुरुषोत्तम" का उपनाम भगवान राम के श्रद्धायुक्त और न्यायप्रिय व्यक्तित्व को संकेत करता है, जो उन्हें भक्तों के लिए एक आदर्श पुरुष बनाता है।

 भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मर्यादाओं का हमेशा पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मित्र थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इन मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया।

सच तो यह है कि इस उपनाम के माध्यम से भगवान राम की विशेषता और उनके जीवन में अनुसरण करने लायक आदर्शों को दर्शाने का प्रयास किया जाता है।  भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम उनकी महानता के लिए दिया गया उपाधि है जिसमे पारिवारिक संबंधो की मर्यादा के साथ ही राजकीय और दोस्तों और यहाँ तक कि दुश्मनों के साथ भी मर्यादा के निर्वाह के लिए दिया जाता है. और यही वजह है कि भगवन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से पुकारा जाता है.

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, जिनका सभी सम्बन्धो के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व

भगवान राम को "मर्यादा पुरुषोत्तम" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में धर्म, नैतिकता, और श्रेष्ठता की मर्यादा बनाए रखी। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, अपनी पतिव्रता पत्नी सीता के प्रति वफादारी दिखाई, और अपने भक्तों के प्रति सत्य, न्याय, और करुणा का प्रदर्शन किया।  

आदर्श पुत्र

कहने की जरुरत नहीं कि भगवन राम ने अपने पिता दशरथ के आदेश का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। वे जानते थे कि पिता का आदेश सदैव मानना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। इस प्रकार की मिसाल शायद हीं कहीं और मिलती है. 

भगवान राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है

आदर्श भाई

भारत मिलाप और अपने भाइयों के प्रति प्रेम और अनुराग भगवन राम की अलग विशेषता है जो उन्हें सबसे अलग रखता है. भगवन राम ने अपने भाई भरत के प्रति कभी भी ईर्ष्या या घृणा का भाव नहीं रखा। वे भरत को अपना सच्चा भाई मानते थे और उनका हमेशा सम्मान करते थे। 

आदर्श पति

मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी संबंधों को पूर्ण एवं उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाला प्रभु रामचंद्र के चरित्र के समान दूसरा कोई चरित्र नहीं है।  और जहाँ तक आदर्श पति का सवाल है, राम ने अपनी पत्नी सीता के प्रति हमेशा प्रेम और सम्मान का भाव रखा। वे सीता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार थे।

आदर्श राजा

राम के राज्य में राजनीति स्वार्थ से प्रेरित ना होकर प्रजा की भलाई के लिए थी। इसमें अधिनायकवाद की छाया मात्र भी नहीं थी। राम ने अपने राज्य में हमेशा न्याय और धर्म का पालन किया। वे प्रजा के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। 

आदर्श मित्र

श्री रामचंद्र जी निष्काम और अनासक्त भाव से राज्य करते थे। उनमें कर्तव्य परायणता थी और वे मर्यादा के अनुरूप आचरण करते थे।  राम ने अपने दोस्तों सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि के प्रति हमेशा निष्ठा और समर्पण का भाव रखा। उन्होंने अपने दोस्तों की हर समय मदद की। 

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वैलेंटाइन डे प्यार का त्योहार है और इस दिन प्रेमी अपने पार्टनर को प्रेम का अहसास दिलाने के लिए खास तैयारियां करते हैं । यह दिन दुनिया भर के प्रेमी जोड़ों के लिए बेहद खास होता है जहाँ प्रेमी कपल इस दिन का पुरे साल इन्तजार करते हैं। इस दिन प्रेमी जोड़े एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करते हैं। वे एक-दूसरे को उपहार देते हैं, रोमांटिक डिनर पर जाते हैं, या एक साथ समय बिताते हैं।

वैलेंटाइन डे हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में प्यार कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें अपने साथी के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने का मौका देता है।

वैलेंटाइन डे को मनाने के कई तरीके हो सकते हैं और यह खास आपके और आपके पार्टनर की समझ और पसंद पर निर्भर करता है। आखिर आप और आपके पार्टनर को एक दूसरे से अधिक कौन समझ सकता है और इसके लिए आप खुद ही तय करें कि अपने साथी के साथ कैसे यादगार शाम बना सकते हैं. इसके लिए आप एक रोमांटिक डिनर पर जा सकते हैं, एक साथ पार्क में घूम सकते हैं, या एक साथ किसी फिल्म देख सकते हैं। आप अपने साथी को एक उपहार दे सकते हैं, या उसे एक प्यारा सा ग्रीटिंग कार्ड लिख सकते हैं।



अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आप निम्न पंक्तियों की मदद ले सकते हैं जो आपके पार्टनर को आपके लिए और भी खास बनाने में मदद करेंगी. 

1. तुम 

विश्वास मैं कैसे दूँ, 

जीने की हो प्रेरणा हो तुम 

तेरा कोई विकल्प नहीं, 

कुछ पाने का संकल्प हो तुम 

मेरे इच्छाओं की सीमा हो,

अभिलाषाओं का अंत हो तुम. 


26 जनवरी 2024: जानें गणतंत्र दिवस परेड में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

26 जनवरी 2024: जानें  गणतंत्र दिवस परेड  में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

भारत सरकार हर साल एक विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित करती है। यह आमंत्रण भारत और उस देश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार के मेहमान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन हैं। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुथ्य अतिथि होंगे। इमैनुएल मैक्रों छठे फ्रांसीसी नेता हैं जो 2024 गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री जैक्स शिराक ने 1976 और 1998 में दो बार इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु और लोकतांत्रिक देश है जिसने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया था. भारत के एक गणराज्य बनने की खुशी में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप मनाया जाता है.

वर्ष-    अतिथि का नाम-देश

  • 1950-राष्ट्रपति सुकर्णो-इंडोनेशिया
  • 1951-राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह-नेपाल
  • 1952-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1953-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1954-राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक-भूटान
  • 1955-गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद-पाकिस्तान
  • 1956-राजकोष के चांसलर आरए बटलर
  • मुख्य न्यायाधीश कोटारो तनाका-यूनाइटेड किंगडमजापान
  • 1957-रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़ुकोव-सोवियत संघ
  • 1958-मार्शल ये जियानिंग-चीन
  • 1959-एडिनबर्ग के ड्यूक प्रिंस फिलिप-यूनाइटेड किंगडम
  • 1960-राष्ट्रपति क्लिमेंट वोरोशिलो-सोवियत संघ
  • 1961-क्वीन एलिजाबेथ II-यूनाइटेड किंगडम
  • 1962-प्रधान मंत्री विगो काम्पमैन-डेनमार्क
  • 1963-राजा नोरोडोम सिहानोक-कंबोडिया
  • 1964-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लॉर्ड लुईस माउंटबेटन-यूनाइटेड किंगडम
  • 1965-खाद्य एवं कृषि मंत्री राणा अब्दुल हामिद-पाकिस्तान
  • 1966-कोई निमंत्रण नहीं-
  • 1967-राजा मोहम्मद ज़हीर शाह-अफ़ग़ानिस्तान
  • 1968-प्रधान मंत्री एलेक्सी कोसिगिन-सोवियत संघ
  • राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो एसएफआर यूगोस्लाविया
  • 1969-बुल्गारिया के प्रधान मंत्री टोडर ज़िवकोव बुल्गारिया
  • 1970-बेल्जियम के राजा बाउडौइन-बेल्जियम
  • 1971-राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे तंजानिया
  • 1972-प्रधान मंत्री शिवसागर रामगुलाम-मॉरीशस
  • 1973-राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको-ज़ैरे
  • 1974-राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो-एसएफआर यूगोस्लाविया
  • प्रधान मंत्री सिरिमावो रतवाटे डायस भंडारनायके-श्रीलंका
  • 1975-राष्ट्रपति केनेथ कौंडा-जाम्बिया
  • 1976-प्रधान मंत्री जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1977-प्रथम सचिव एडवर्ड गिरेक-पोलैंड
  • 1978-राष्ट्रपति पैट्रिक हिलेरी-आयरलैंड
  • 1979-प्रधान मंत्री मैल्कम फ़्रेज़र-ऑस्ट्रेलिया
  • 1980-राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टाइंग-फ्रांस
  • 1981-राष्ट्रपति जोस लोपेज़ पोर्टिलो-मेक्सिको
  • 1982-राजा जुआन कार्लोस प्रथम-स्पेन
  • 1983-राष्ट्रपति शेहु शगारी-नाइजीरिया
  • 1984-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 1985-राष्ट्रपति राउल अल्फोन्सिन-अर्जेंटीना
  • 1986-प्रधान मंत्री एंड्रियास पापंड्रेउ-यूनान
  • 1987-राष्ट्रपति एलन गार्सिया-पेरू
  • 1988-राष्ट्रपति जुनियस जयवर्धने-श्रीलंका
  • 1989-महासचिव गुयेन वान लिन्ह-वियतनाम
  • 1990-प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जुगनुथ-मॉरीशस
  • 1991-राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम-मालदीव
  • 1992-राष्ट्रपति मारियो सोरेस-पुर्तगाल
  • 1993-प्रधान मंत्री जॉन मेजर-यूनाइटेड किंगडम
  • 1994-प्रधान मंत्री गोह चोक टोंग-सिंगापुर
  • 1995-राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला-दक्षिण अफ्रीका
  • 1996-राष्ट्रपति डॉ. फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो-ब्राज़िल
  • 1997-प्रधान मंत्री बासदेव पांडे-त्रिनिदाद और टोबैगो
  • 1998-राष्ट्रपति जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1999-राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव-नेपाल
  • 2000-राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासंजो-नाइजीरिया
  • 2001-राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका-एलजीरिया
  • 2002-राष्ट्रपति कसाम उतीम-मॉरीशस
  • 2003-राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी-ईरान
  • 2004-राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा-ब्राज़िल
  • 2005-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 2006-किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-सऊद[ सऊदी अरब
  • 2007-राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन-रूस
  • 2008-राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी-फ्रांस
  • 2009-राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव-कजाखस्तान
  • 2010-राष्ट्रपति ली म्युंग बाक-कोरियान गणतन्त्र
  • 2011-राष्ट्रपति सुसीलो बंबांग युधोयोनो-इंडोनेशिया
  • 2012-प्रधान मंत्री यिंगलक शिनावात्रा-थाईलैंड
  • 2013-भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक-भूटान
  • 2014-प्रधान मंत्री शिंजो आबे-जापान
  • 2015-राष्ट्रपति बराक ओबामा-संयुक्त राज्य अमेरिका
  • 2016-राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद-फ्रांस
  • 2017-क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद-संयुक्त अरब अमीरात
  • 2018-सभी दस आसियान देशों के प्रमुख
  • 2019-राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा-दक्षिण अफ्रीका
  • 2020-राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो-ब्राज़िल
  • 2021-प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन (अपनी यात्रा रद्द)-यूनाइटेड किंगडम
  • 2022=
  • 2023-राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी-मिस्र
  • 2024-इमैनुएल मैक्रों -फ्रांस के राष्ट्रपति 

लक्ष्य द्वीप: जानें इतिहास, पर्यटन स्थल, कैसे जाएँ, जाने का अनुकूल महीना और भी बहुत कुछ


लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है जो अरब सागर में स्थित है। यह 36 द्वीपों से बना है, जिनमें से 11 द्वीपों पर रहने वाले लोग हैं। मलयालम और संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ है ‘एक सौ हजार द्वीप।  लक्ष्द्वीप का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है। लक्ष्यदीप के ऐतिहासिक महत्त्व पर नजर डालें तो ऐसी प्रमाण है है कि इस क्षेत्र पर कई सभ्यताओं ने शासन किया है, जिनमें चोल, चोल और पुर्तगाली शामिल हैं। 

लक्षद्वीप क्यों प्रसिद्ध है?
भारत वन राज्य रिपोर्ट 2021 के अनुसार, लक्षद्वीप में वन क्षेत्र 27.10 वर्ग किमी है। जो कि इसके भौगोलिक क्षेत्रफल का 90.33 प्रतिशत है। लगभग 82 प्रतिशत भूभाग निजी स्वामित्व वाले नारियल के बागानों से आच्छादित है लक्षद्वीप का पिट्टी द्वीप भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पक्षी अभयारण्य लिए प्रसिद्ध है।

यह एक यूनियन संघ शाषित राज्य क्षेत्र है और इसमें 12 एटोल, तीन रीफ, पांच जलमग्न बैंक और दस बसे हुए द्वीप हैं। द्वीपों में 32 वर्ग किमी शामिल हैं राजधानी कवरत्ती है और यह यूटी के प्रमुख शहर भी है।


लक्षद्वीप के पर्यटन स्थल

अगाती द्वीप: अगाती द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी सुंदर समुद्र तटों, पारंपरिक संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। अगाती द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

बंगारम

बांगरम एक छोटे टिड्ड्रॉप आकार का द्वीप है, जो अग्टाटी और कवड़ती के करीब है।  थिन्नकरा और परली के दो छोटे द्वीप भी वही लैगून द्वारा संलग्न बांगरम के करीब स्थित हैं। इस रिजॉर्ट के मेहमान अग्टाटी से नाव हस्तांतरण या हेलीकाप्टर ट्रांसफर का लाभ ले सकते हैं। लक्षद्वीप में एकमात्र निर्जन द्वीप सहारा होने के कारण इसे अपना आकर्षण मिला है। विख्यात विशेष पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य, बांगरम ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र में अपनी उपस्थिति बना ली है।

मंजेरी बीच: यह लक्ष्द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

अगाती लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे पुराना लाइटहाउस है। यह 1889 में बनाया गया था।

अगाती मस्जिद: यह द्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

मिनिकॉय द्वीप: मिनिकॉय द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है। यह अपनी समृद्ध संस्कृति और विदेशी वातावरण के लिए जाना जाता है। यह 10.6 किमी लंबा है और एंड्रट के बाद दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है. ब्रिटिश द्वारा 1885 में बनाया गया एक 300 फुट लंबा लाइटहाउस एक शानदार मील का पत्थर है। 

मिनिकॉय द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

चार्ली बीच: यह द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

मिनिकॉय लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे ऊँचा लाइटहाउस है। यह 1885 में बनाया गया था।

मिनिकॉय बाजार: यह द्वीप का सबसे बड़ा बाजार है। यह अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, व्यंजनों और संस्कृति के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी द्वीप: कवात्ती प्रशासन का मुख्यालय और सबसे विकसित द्वीप है द्वीप पर 52 मस्जिद फैले हुए हैं, उज्रा मस्जिद सबसे सुंदर है।

 कवारात्टी द्वीप लक्ष्द्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। कवारात्टी द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं: 

कवारात्टी बीच: यह द्वीप का दूसरा सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी किला: यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया एक पुर्तगाली किला है।

कवारात्टी मस्जिद: यह द्वीप की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

लक्षद्वीप कैसे जाएँ

लक्षद्वीप भारत के दक्षिणी तट से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित है। आप लक्ष्द्वीप के लिए सीधी उड़ान या जहाज से यात्रा कर सकते हैं।

लक्षद्वीप जाने का अनुकूल महीना

लक्षद्वीप जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के बीच है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और बारिश कम होती है।


नजरिया जीने का: चिंता को कम करके ज्यादा खुश कैसे रहें



आज की जीवन संस्कृति में जहां समय और दूरी समग्र सफलता को मापने का अंतिम कारक है, कोई भी समग्र जीवन के लिए कम चिंता करने और अधिक खुश रहने की आवश्यकता को समझ सकता है। कम चिंता करना और अधिक खुश रहना अंतिम लक्ष्य है जिसके लिए बहुत से लोग प्रयास करते हैं। कहने की जरूरत नहीं है, चिंता को कम करने और खुशी बढ़ाने में अक्सर सकारात्मक आदतें अपनाना और कुछ विचार पैटर्न बदलना शामिल होता है। आपकी चिंता कम करने और आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करने के लिए यहां कुछ युक्तियां दी गई हैं:

अपने तनाव और चिंता को प्रबंधित करें:

माइंडफुलनेस और ध्यान: ये अभ्यास आपको अपने विचारों और भावनाओं के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद कर सकते हैं, और आपको उनसे अधिक आसानी से अलग होने की अनुमति दे सकते हैं। निर्देशित ध्यान का प्रयास करें या बस हर दिन कुछ मिनट के लिए अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।

गहरी साँसें: जब आप तनाव महसूस कर रहे हों तो अपने पेट से धीमी, गहरी साँसें लें। यह आपके शरीर और दिमाग को शांत करने में मदद कर सकता है।

व्यायाम: शारीरिक गतिविधि तनाव को कम करने और अपने मूड को बेहतर बनाने का एक शानदार तरीका है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें।

स्वस्थ नींद का शेड्यूल बनाए रखें: पर्याप्त नींद लेना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। हर रात 7-8 घंटे की नींद का लक्ष्य रखें।

कैफीन और अल्कोहल को सीमित करें: ये पदार्थ चिंता को बढ़ा सकते हैं और सोना कठिन बना सकते हैं।

नकारात्मक विचारों को चुनौती दें:

नकारात्मक विचार पैटर्न को पहचानें और चुनौती दें: अक्सर, हमारी चिंताएँ अवास्तविक या अनुपयोगी सोच पर आधारित होती हैं। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) आपको इन नकारात्मक विचारों को पहचानना और चुनौती देना सिखा सकती है।

कृतज्ञता का अभ्यास करें: अपने जीवन में अच्छी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने से आपके दृष्टिकोण को बदलने और आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। एक कृतज्ञता पत्रिका रखने का प्रयास करें और प्रत्येक दिन कम से कम तीन चीजें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं।

उस पर ध्यान केंद्रित करें जिसे आप नियंत्रित कर सकते हैं: चिंता अक्सर उन चीज़ों के इर्द-गिर्द घूमती है जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। इसके बजाय, उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करें जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि आपके विचार, आपके कार्य और स्थितियों पर आपकी प्रतिक्रियाएँ।

दूसरों से जुड़ें:

प्रियजनों के साथ समय बिताएं: खुशी के लिए सामाजिक जुड़ाव जरूरी है। उन लोगों के लिए समय निकालें जो आपको अच्छा महसूस कराते हैं और नियमित रूप से उनके साथ समय बिताएँ।

किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जिस पर आप भरोसा करते हैं: किसी भरोसेमंद दोस्त, परिवार के सदस्य या चिकित्सक के साथ अपनी चिंताओं को साझा करने से आपको कम अकेलापन महसूस करने और अलग-अलग दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

किसी क्लब या समूह में शामिल हों: ऐसे लोगों से जुड़ना जो आपकी रुचियों को साझा करते हैं, अकेलेपन से निपटने और नए दोस्त बनाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

अपना ख्याल रखें:

स्वस्थ आहार लें: पौष्टिक आहार खाने से आपके मूड और ऊर्जा के स्तर को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

स्क्रीन पर समय सीमित करें: स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। पूरे दिन टेक्नोलॉजी से ब्रेक लेने की कोशिश करें।

वे काम करें जिनमें आपको आनंद आता है: उन गतिविधियों के लिए समय निकालें जिनसे आपको खुशी मिलती है, चाहे वह पढ़ना हो, संगीत सुनना हो, प्रकृति में समय बिताना हो या कोई शौक पूरा करना हो।

याद रखें, हर कोई अलग है, और जो एक व्यक्ति के लिए काम करता है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकता है। अपने साथ धैर्य रखें और विभिन्न रणनीतियों के साथ प्रयोग करें जब तक कि आपको वह चीज़ न मिल जाए जो आपको कम चिंता करने और अधिक खुश रहने में मदद करती है। यदि आपकी चिंताएँ आपके दैनिक जीवन में हस्तक्षेप कर रही हैं तो पेशेवर मदद लेना भी महत्वपूर्ण है।

नजरिया जीने का: संसार सिर्फ आपके लिए नही बनी है, परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखें


नजरिया जीने का Inspiring thoughts: संसार सिर्फ आपके लिए नही बनी है, परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखें

परिस्थितियों से सामना करना एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है और इनसे निबटने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप इन्हे स्वीकार करें और उनसे डरने की बजाय उनका सामना करने का निर्णय लें। आप इन विपरीत परिस्थितियों को ऐसे लें कि यह हमें कठिन समय में भी धैर्य और दृढ़ता बनाए रखने में मदद करता है। परिस्थितियों से सामना करना सीखने के लिए आप कुछ टिप्स की मदद ले सकते हैं:

परिस्थिति को स्वीकार करें। सबसे पहले, हमें यह स्वीकार करना होगा कि परिस्थिति हमारे नियंत्रण में नहीं है। हम इसे बदल नहीं सकते, लेकिन हम इसका सामना कर सकते हैं.

परिस्थिति को स्वीकार करें। 
सबसे पहले, हमें यह स्वीकार करना होगा कि परिस्थिति हमारे नियंत्रण में नहीं है और इसे बदल तो नहीं सकते, लेकिन इसका सामना कर सकते हैं और इसे आप ।

परिस्थिति का विश्लेषण करें- अगला, हमें परिस्थिति का विश्लेषण करना होगा। हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि यह परिस्थिति कैसे उत्पन्न हुई और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक योजना बनाएं- एक बार जब हम परिस्थिति को समझ लेते हैं, तो हमें एक योजना बनानी चाहिए। हमें यह तय करना होगा कि हम इस परिस्थिति का सामना कैसे करेंगे।
अपनी योजना पर अमल करें- अंत में, हमें अपनी योजना पर अमल करना होगा। हमें धैर्य और दृढ़ता रखनी होगी, भले ही परिस्थिति कठिन हो।
परिस्थितियों से सामना करने के लिए कुछ विशिष्ट तरीके यहां दिए गए हैं:

सकारात्मक दृष्टिकोण रखें- कठिन समय में भी, सकारात्मक दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है। इससे हमें धैर्य और दृढ़ता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
अपने आप को समर्थन दें। कठिन समय में, अपने आप को समर्थन देना महत्वपूर्ण है। हम ऐसा अपने परिवार, दोस्तों, या किसी पेशेवर सलाहकार से बात करके कर सकते हैं।
स्वस्थ आदतें अपनाएं। स्वस्थ आदतें अपनाने से हमें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रहने में मदद मिल सकती है। इन आदतों में अच्छी नींद लेना, स्वस्थ आहार खाना, और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल हैं।
परिस्थितियों से सामना करना सीखना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। लेकिन, इस कौशल को विकसित करने से हमें जीवन में सफल होने में मदद मिलेगी।

जीवन की खूबसूरती इसके साथ निरंतर घटने वाली प्रत्येक घटनाओं का लुत्फ उठाते हुए जीने में होती है और जब हम इसमें आनंद उठाने किंकला सीख जाते हैं, हमारे लिए जीवन का मायने हीं बदल जाती है।।।।

याद रखें, जीवन में घटनाओं पर आपका नियंत्रण हमेशा नही होती है।।।।पर आप उन घटनाओं से प्रभावित अवश्य होते हैं।।

उठना है तुझे नहीं गिरना है, जो गिरा तो फिर से उठना है,
अब रुकना नहीं इक पल तुझको, बस हर पल आगे बढ़ना है,
राहों में मिलेंगे तूफ़ान कई, मुश्किलों के होंगे वार कई,
इन सबसे तुझे न डरना है, तू लक्ष्य पे अपने जोर दे,
घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
-नरेंद्र वर्मा


अगर आपकी कार की स्टेयरिंग आपके हाथ में हैं और होने वाले किसी एक्सीडेंट के लिए आप खुद को दोष दे सकते हैं और यह स्वाभाविक भी है।।।।अगर गाड़ी की स्टेयरिंग आपके हाथों में है तो आपके साथ होने वाली किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी से आप कैसे बच सकते हैं।।।।
वो कहते हैं ना, "परिस्थितियां हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसी आशा नहीं कारों क्योंकि यह संसार सिर्फ तुम्हारे लिए थोड़े ही बना है।"

लेकिन रेल गाड़ी या हवाई जहाज या अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में भी तो हम यात्रा करने को बाध्य होते हैं जहां की स्टेयरिंग हमारे हाथो में नही होती है और फिर दुर्घटना तो कहीं भी होती है।।।


याद रखें दोस्तों, जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटनाएं हमें कुछ सीखाने के लिए आती है, बुद्धिमान लोग लेसन लेकर आगे बढ़ जाते हैं।




याद रखें दोस्तों, जीवन एक निरन्तर बहती धारा है। हर दिन अनोखा है और हर काम की अपनी चुनौतियाँ हैं। हमें अपने काम से प्यार करना सीखना चाहिए और इसके हर क्षण का आनन्द लेना चाहिए।
तू छोड़ ये आंसू उठ हो खड़ा,
मंजिल की ओर अब कदम बढ़ा,
हासिल कर इक मुकाम नया,
पन्ना इतिहास में जोड़ दे,
घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
-नरेंद्र वर्मा




नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती



Born in January: जनवरी में पैदा लोगों की विशेषता जानकर आप भी हो जायेंगे हैरान-महत्वाकांक्षी, दृढ़ संकल्प शक्ति के मालिक

Born in January: Know Traits Nature health and much more
Born in January: जनवरी के महीने में पैदा हुए (Born in January ) लोगों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग महत्वाकांक्षी होने के साथ ही वे पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रबल समर्थक होते हैं। जनवरी में पैदा होना व्यक्ति आमतौर पर निराशावादी स्वभाव के होते हैं फिर भी वे अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं। अगर आप संसार मे जनवरी महीने में पैदा होने वाले महान व्यक्तियों  के जीवन का आकलन करेंगे तो यह पाएंगे कि ऐसे लोग दृढ़ संकल्प शक्ति के मालिक होने के साथ ही वे अपने  जीवन में विषम परिस्थितियों के सामने कभी झुकना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे लोग रीति-रिवाजों  और अपने सांस्कृतिक और पारम्परिक जीवन पद्धतियों को सम्मान करने वाले  होते हैं.  आइये जानते हैं हिमांशु  रंजन शेखर (ज्योतिषी, अंकशास्त्री और मोटिवेटर ) द्वारा जनवरी में पैदा हुए लोगों की बुनियादी विशेषताओं और लक्षणों के बारे में ।

प्रकृति में महत्वाकांक्षी

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने जीवन में महत्वाकांक्षी बने रहते हैं और वे आमतौर पर अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं। दृढ़ संकल्प शक्ति और उनके प्रयासों की कठोरता उनके जीवन में उनकी सफलता के प्रमुख कारक हैं। दार्शनिक विचार और गंभीर प्रकृति का होने के साथ ही ऐसे लोग अपने जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी सफल होते हैं ।

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सोच विचार का लेते हैं फैसले 

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति कभी भी किसी योजना या रणनीति को जल्दबाजी में या बिना सोचे-समझे उस पर तार्किक रूप से अमल नहीं करते हैं। वे उसी के लिए रणनीति बनाने से पहले अपनी परियोजना के लिए सभी इनपुट/आउटपुट की पुष्टि करना चाहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए संदिग्ध स्वभाव उनके अपने लिए अच्छा नहीं होता क्योंकि वे अपने कार्यों का परिणाम पहले से चाहते हैं और अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं।

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नियंत्रित होना पसंद नहीं करते 

जनवरी के महीने में जन्में लोग आमतौर पर रीति-रिवाजों या मान्यताओं में भी किसी भी तरह के नियंत्रण को नापसंद करते हैं। उनके लिए जीवन के हर तरीके में आजादी जरूरी है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ऐसे व्यक्ति पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रबल समर्थक होते हैं । बस वे स्थिति या व्यक्तियों द्वारा बनाए गए ऐसे नियमों और रिवाजों से रहेज करते हैं। जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले ऐसे व्यक्तियों के लिए यह एक बड़ा विरोधाभास है।

निराशावादी होने के वावजूद झुकना पसंद नहीं करते 

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले जातकों के लक्षणों के अनुसार वे आमतौर पर निराशावादी स्वभाव के होते हैं लेकिन अपने जीवन में विषम परिस्थितियों के सामने कभी झुकना पसंद नहीं करते । उन्होंने अपने चरित्र के निराशावादी स्वभाव के बावजूद अपने जीवन में परिस्थितियों को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

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मजबूत काया के मास्टर, लेकिन सकारात्मक रहने की जरूरत

ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति के निराशावादी लक्षणों से बचना  चाहिए क्योंकि यह उनके लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा करता है। ऐसे व्यक्तियों की निराशावादी और नकारात्मकता पाचन संबंधी समस्या पैदा करती है और जो पाचन अंगों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। आहार पर ध्यान देना चाहिए और व्यायाम से उन्हें रक्त परिसंचरण को सामान्य रूप से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। ऐसे व्यक्तियों को ठंडे वातावरण से बचना चाहिए क्योंकि इससे सांस लेने में कुछ समस्या हो सकती है।


भारत की समृद्ध विरासत का संरक्षण: अयोध्या में राम मंदिर, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ,चारधाम और अन्य

Indian Heritage Somnath Mahakal Kedarnath Ram Temple Kartar Sahib

भारत अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण देश है। देश में अनेक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल और विरासत स्मारक मौजूद हैं। भारत सरकार ने देश की कालातीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 'विकास भी विरासत भी' के नारे के तहत यह प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के कार्य को अत्यधिक महत्व दिया है।

सभ्यतागत महत्व के उपेक्षित स्थलों का पुनर्विकास करना सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। मई 2023 तक, सरकार द्वारा भारत की प्राचीन सभ्यता की विरासत को संरक्षित करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दर्शाते हुए देश भर में तीर्थ स्थलों को कवर करने वाली 1584.42 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 45 परियोजनाओं को प्रसाद (पीआरएएसएडी) यानी (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान) योजना के तहत अनुमोदित किया गया है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 

कई दशकों की उपेक्षा के बाद, भारत के लंबे सभ्यतागत इतिहास वाले विभिन्न स्थलों को संरक्षण, पुनरुद्धार और विकास परियोजनाओं के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और वाराणसी में कई अन्य परियोजनाओं ने शहर की गलियों, घाटों और मंदिर परिसरों को बदल दिया है। 

महाकाल परियोजना

इसी तरह, उज्जैन में महाकाल लोक परियोजना और गुवाहाटी में मां कामाख्या कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं से मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने, उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

अयोध्या में राम मंदिर

एक ऐतिहासिक क्षण में, अगस्त 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण जोरों पर है।

चारधाम सड़क परियोजना

एक अन्य उल्लेखनीय प्रयास के तहत 825 किमी लंबी चारधाम सड़क परियोजना है, जो चार पवित्र धामों को निर्बाध बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण और विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी, जिसमें श्री आदि शंकराचार्य की समाधि भी शामिल थी, जो 2013 की विनाशकारी बाढ़ में तबाह हो गई थी। नवंबर 2021 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ में श्री आदि शंकराचार्य की समाधि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया था। इसके अतिरिक्त, गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो रोपवे परियोजनाएं पहुंच को और बढ़ाने और भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार हैं।

सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन

सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार के समर्पण के एक और उदाहरण में, प्रधानमंत्री ने गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिसमें सोमनाथ प्रोमेनेड, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। 

करतारपुर कॉरिडोर 

इसी तरह, करतारपुर कॉरिडोर और एकीकृत चेक पोस्ट का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिससे श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में मत्था टेकना आसान हो गया।

बौद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: बौद्ध सर्किट

हिमालयी और बौद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना भी सरकार के प्रयासों में विशेष रूप से शामिल है। स्वदेश दर्शन योजना के हिस्से के रूप में, सरकार ने भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले विषयगत सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से 76 परियोजनाएं शुरू की हैं। बौद्ध सर्किट के लिए विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे भक्तों के लिए बेहतर आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित हुआ है। 2021 में, कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया, जिससे महापरिनिर्वाण मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सके। पर्यटन मंत्रालय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में बौद्ध सर्किट के तहत सक्रिय रूप से स्थलों का विकास कर रहा है। 

इसके अलावा, श्री नरेंद्र मोदी ने मई 2022 में नेपाल के लुंबिनी में तकनीकी रूप से उन्नत भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखी थी, जो बौद्ध विरासत और भारत की सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

पुरावशेषों  की वापसी 

पुरावशेषों की वापसी के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला। 24 अप्रैल, 2023 तक, भारतीय मूल के 251 अमूल्य पुरावशेषों को विभिन्न देशों से वापस प्राप्त किया गया है, जिनमें से 238 को 2014 के बाद से वापस लाया गया है। भारत के अमूल्य पुरावशेषों की वापसी देश के सांस्कृतिक खजाने की सुरक्षा और पुनः प्राप्ति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रमाण है।

हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) योजना

हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) योजना के तहत 12 विरासत शहरों का विकास एक असाधारण विरासत के संरक्षक के रूप में खुद को स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत प्रभावशाली 40 विश्व विरासत स्थलों का दावा करता है, जिनमें से 32 सांस्कृतिक हैं, 7 प्राकृतिक हैं, और 1 मिश्रित श्रेणी के अंतर्गत है, जो भारत की विरासत की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करता है। पिछले नौ वर्षों में ही विश्व विरासत स्थलों की सूची में 10 नए स्थलों को जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त, भारत की अस्थायी सूची 2014 में शामिल 15 साइटों से बढ़कर 2022 में 52 हो गई है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता और बड़ी संख्या में विदेशी यात्रियों को आकर्षित करने की क्षमता का संकेत है।

'काशी तमिल संगमम'

भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को महीने भर चलने वाले 'काशी तमिल संगमम' के माध्यम से भी प्रदर्शित किया गया - जो कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का जश्न मनाना, देश के शिक्षण के 2 सबसे महत्वपूर्ण स्थानों फिर से पुष्टि करना और उन्हें खोजना है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से, सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत के विचार को सशक्त रूप से बढ़ावा देती है, जिसका उद्देश्य देश की संस्कृति का जश्न मनाना है। हाल ही में, देश भर के सभी राज्यों के सभी राजभवनों द्वारा राज्य दिवस मनाने का निर्णय भी एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को उजागर करता है।

इन सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और पहलों के माध्यम से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से निर्देशित भारत सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वे देश की समृद्ध संस्कृति के प्रति गहरी जागरूकता और इसकी विरासत को संरक्षित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। सरकार का उद्देश्य भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने की रक्षा और प्रचार करके, भारतीय इतिहास और संस्कृति की वर्तमान और भावी पीढ़ियों की समझ को समृद्ध करना है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या को आकर्षित करने की क्षमता और विरासत स्थलों को पुनर्जीवित करने के चल रहे प्रयासों के साथ, भारत की प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक परंपराएं वैश्विक मंच पर चमकती रहेंगी।

(लेखक: नानू भसीन, अपर महानिदेशक; ऋतु कटारिया, सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय; और अपूर्वा महिवाल, यंग प्रोफेशनल, अनुसंधान इकाई, PIB)

(Source: PIB)

नजरिया: नरेंद्र मोदी के चमत्कारिक व्यक्तित्व और सीट शेयरिंग पर इंडी गठबंधन की अपनी "डफली अपनी राग"

najariya jine ka I.N.D.I.A. Vs NDA in 2024

भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) का गठन कर प्रमुख विपक्षियों पार्टियों ने जो एक उम्मीद देश को दिया थान नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक गठबंधन बना कर, हाल में सीटों के शेयरिंग और संयोजक के पद को लेकर मची खलबली ने उम्मीदों को धुंधला सा कर दिया है। पहले पटना और हाल में बैंगलोर के बाद हाल में संपन्न बैठक के माध्यम से एक सकारात्मक और सर्वमान्य विपक्ष देखने को मिला था लेकिन आज  की हकीकत यह है कि गठबंधन में शामिल सभी दल गतभंधन के हितों से अलग अपनी पार्टी के हितों को लेकर अपनी डफली अपनी राग गा  रहे हैं।  हालाँकि वावजूद इसके कि I.N.D.I.A. अपनी एकता बनाए रखने में अब तक सक्षम रहा है जो 2024 के आम चुनाव में एनडीए के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के चमत्कारिक व्यक्तित्व और मजबूत चेहरे के मुकाबले के लिए एक स्ट्रॉन्ग चेहरा की कमी विपक्ष को खलेगी जिसकी कीमत गठबंधन को चुकानी पड़ सकती है क्योंकि एन डी ए तो मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लडेगी।

हालाँकि एनडीए 30 से अधिक विभिन्न दलों का गठबंधन है, लेकिन यह नरेंद्र मोदी जैसे मजबूत नेता सहित कई प्रथाओं को अपनाकर स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है, जो विभिन्न दलों को एकजुट करने में सक्षम हैं।

भारत में गठबंधन सरकारों की स्थिरता कई वर्षों से बहस का विषय रही है। कुछ लोगों का तर्क है कि गठबंधन सरकारें स्वाभाविक रूप से अस्थिर होती हैं, क्योंकि वे विभिन्न विचारधाराओं और हितों वाली कई अलग-अलग पार्टियों द्वारा बनाई जाती हैं। इससे संघर्ष और अस्थिरता पैदा हो सकती है, क्योंकि पार्टियां प्रमुख नीतियों या निर्णयों पर सहमत नहीं हो पाएंगी।

लगभग एक दशक का समय बीत चुका है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंबे समय बाद बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने पर भारत में गठबंधन सरकार की कवायदों पर पूर्ण विराम लगा दिया था। इस तथ्य के बावजूद, भाजपा ने 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के तहत सरकार बनाई।

भगवान राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है

भारत में गठबंधन सरकारों की स्थिरता कई वर्षों से बहस का विषय रही है। कुछ लोगों का तर्क है कि गठबंधन सरकारें स्वाभाविक रूप से अस्थिर होती हैं, क्योंकि वे विभिन्न विचारधाराओं और हितों वाली कई अलग-अलग पार्टियों द्वारा बनाई जाती हैं। इससे संघर्ष और अस्थिरता पैदा हो सकती है, क्योंकि पार्टियां प्रमुख नीतियों या निर्णयों पर सहमत नहीं हो पाएंगी।

जानें चार धामों के बारे में: बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम और द्वारका

दूसरों का तर्क है कि गठबंधन सरकारें एकल-दलीय सरकारों की तरह ही स्थिर हो सकती हैं, यदि पार्टियाँ प्रभावी ढंग से एक साथ काम करने में सक्षम हों। वास्तव में, भारत में कई सफल गठबंधन सरकारें रही हैं, जिनमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) भी शामिल है, जो 2014 से सत्ता में है।

एनडीए 35 से अधिक विभिन्न दलों का गठबंधन है, लेकिन यह कई प्रथाओं को अपनाकर स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है। इसमे शामिल है:

  • एक मजबूत नेता होना जो विभिन्न दलों को एकजुट करने में सक्षम हो।
  • एक सामान्य एजेंडे और प्राथमिकताओं के सेट पर सहमति।
  • विभिन्न पक्षों के बीच संचार की स्पष्ट रेखाएँ स्थापित करना।
  • आवश्यकता पड़ने पर समझौता करना।

एनडीए की स्थिरता को इस तथ्य से मदद मिली है कि भाजपा गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है, और यह निर्णय लेने में प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम है। हालाँकि, एनडीए की स्थिरता अन्य दलों की प्रभावी ढंग से मिलकर काम करने की क्षमता पर भी निर्भर करेगी। यदि बहुत अधिक संघर्ष या असहमति हो तो गठबंधन अस्थिर हो सकता है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, जिनका सभी सम्बन्धो के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व

भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) का हालिया गठन एक संकेत है कि विपक्षी दल एनडीए को चुनौती देने के अपने प्रयासों में अधिक एकजुट हो रहे हैं। यदि I.N.D.I.A. अपनी एकता बनाए रखने में सक्षम है, यह 2024 के आम चुनाव में एनडीए के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

निष्कर्षतः, भारत में गठबंधन सरकारों की स्थिरता कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें नेता की ताकत, एक साझा एजेंडे पर सहमति और पार्टियों की प्रभावी ढंग से एक साथ काम करने की क्षमता शामिल है। एनडीए आठ वर्षों से अधिक समय से स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है, लेकिन I.N.D.I.A. का गठन अगले आम चुनाव में एनडीए के प्रभुत्व के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है।

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं? जानें महत्त्व, मनाने की विधि और क्या है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?

Makar sankranti 2024 Significance date how to celebrate

मकर संक्रांति एक हिन्दी हिन्दू पर्व है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन साल 2024 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि।

मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि। हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है। उन्‍हीं में से एक है मकर संक्राति। आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्‍कर उत्‍तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। 

क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति? 

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति को मनाने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ धार्मिक और कुछ वैज्ञानिक हैं।

धार्मिक कारण

मकर संक्रांति को सूर्य देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सूर्य देवता को हिंदू धर्म में जीवनदाता माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। उत्तरायण काल को शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस काल में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसलिए, इस दिन को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन मौसम में बदलाव होता है। इस दिन से ठंड का मौसम खत्म हो जाता है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इसलिए, इस दिन को नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के परंपरागत आयोजन

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के परंपरागत आयोजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख आयोजन हैं:

स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है।

सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। सूर्य देवता को अमृत कलश, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।

पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय परंपरा है। पतंग उड़ाने से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

खिचड़ी: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी को शुभ और मंगलकारी माना जाता है।