नजरिया: जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में


अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, सीखो की सह संस्थापक दिव्या जैन, भारतीय मुक्केबाज और 2 बार की विश्व चैम्पियन निखत जरीन, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित शांति टेरेसा लकड़ा, बायोकॉन लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन और संस्थापक किरण मजूमदार शॉ, भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सिंथिया मैक कैफ्री ने सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों ने पिछले नौ वर्षों के दौरान समावेशी विकास में योगदान में अपने विचार रखें। “जन जन का विश्वास” नाम के सत्र में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि इस बात पर विचार करने के लिए एकजुट हुए कि कैसे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों ने पिछले नौ वर्षों के दौरान समावेशी विकास में योगदान दिया है। 

खेलो इंडिया ने भारतीय खेल प्रतिभाओं को वैश्विक पटल पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम बनाया हैः निखत जरीन

भारतीय मुक्केबाज और 2 बार की विश्व चैम्पियन निखत जरीन ने श्रोताओं को बताया कि सरकार की प्रमुख योजना खेलो इंडिया ने भारतीय खेल प्रतिभाओं को पंख दिए हैं और अधिक युवा और प्रतिभाशाली भारतीयों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने अपनी जैसी लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में भी बताया।

“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के कारण अब लड़कियों के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव हुआ हैः नवाजुद्दीन सिद्दीकी

अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने याद करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में परिवहन बहुत आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी युवा जो कुछ बड़ा करना चाहता है, उसके पास आज अपने सपनों को साकार करने के लिए बहुत सारी सहायता प्रणालियां हैं। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के बारे में बोलते हुए, अभिनेता ने कहा कि लड़कियों के प्रति सोच और मानसिकता अब बदल गई है, जो लड़कियों के प्रति माता-पिता के बदले हुए नजरिए और महिलाओं की उपलब्धियों में परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा कि आत्म-साक्षात्कार के लिए महिलाओं की दबाई गई आवाज अब बाहर आ गई है और समाज भी इसे स्वीकार कर रहा है।

“सरकार ने वैश्विक पटल पर भारत को प्रासंगिक बनाने के लिए शानदार काम किया है”

सीखो की सह संस्थापक दिव्या जैन ने श्रोताओं को बताया कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास एक बड़े बदलाव के रूप सामने आया है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ साल में 7 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। सरकारी योजनाओं को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे महिलाएं आगे आ सकें। उन्होंने कहा, “पहले महिलाओं को आगे आने में झिझक होती थी, अब महिलाओं के आगे आने से पूरा समाज आगे आता है और पूरा समाज बदल जाता है। यह परिवर्तन गांवों में जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहा है।”

एक स्टार्टअप उद्यमी के रूप में बोलते हुए दिव्या जैन ने कहा कि भारत ने पिछले एक साल में एफडीआई का सबसे ज्यादा प्रवाह देखा। उन्होंने कहा, “आज, भारत वैश्विक मंच पर प्रासंगिक है। सरकार ने हमें प्रासंगिक बनाने में शानदार काम किया है, हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें अपने उद्यमियों और अपने युवाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, हम ही भविष्य को परिभाषित करेंगे।”

“आयुष्मान भारत ने दूरदराज के इलाकों के नागरिकों को सशक्त बनाया है”

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की चिकित्सा नर्स, स्वास्थ्य सेवा पेशेवर और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित शांति टेरेसा लकड़ा ने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत स्थापित वेलनेस सेंटर लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता विशेष रूप से ऐसे अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सहायक है जो दुर्गम इलाकों और आंतरिक जंगलों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल है, लेकिन डिजिटल इंडिया के तहत प्रगति और आउटरीच पहलों ने इन लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, यह संस्थागत प्रसव में वृद्धि से परिलक्षित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र पर पुल के निर्माण से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सड़क संपर्क में सुधार हुआ है।

“सरकार इंडिया को आगे बढ़ाने के बजाय, गांव के विकास यानी भारत के विकास पर जोर दे रही है”

पर्यावरणविद् अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि राष्ट्र अब समावेशी और पारिस्थितिक रूप से जागरूक रहते हुए समृद्धि लाने के संदर्भ में सोच रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में गांव के विकास को शामिल करना और विकसित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पारिस्थितिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कैच द रेन और सॉइल हेल्थ जैसी पहलों की सराहना की और कहा कि सरकार सिर्फ तभी टिकाऊ है, अगर यह भागीदारी पूर्ण है। उन्होंने कहा कि गांवों के विकास पर जोर के साथ, अब इंडिया की जगह भारत आगे बढ़ रहा है।

“स्टार्टअप इंडिया ने हमारे युवा और गतिशील उद्यमियों को आगे बढ़ने में मदद की है”

बायोकॉन लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन और संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि सरकार द्वारा ऐसी कई परिवर्तनकारी पहल की गई हैं, जिनका लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि आरोग्य सेतु और कोविन ऐप दोनों ही नवीन प्रौद्योगिकियां थीं, जिन्होंने हमें कोविड-19 महामारी से निपटने में सक्षम बनाया। इनसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर टीकाकरण को सक्षम हुआ है। आयुष्मान भारत पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों ने बड़े स्तर पर लोगों तक जीवनरक्षक दवाओं की पहुंच में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास कई युवा और गतिशील उद्यमी हैं, स्टार्टअप इंडिया और सरकार द्वारा उन्हें दिए गए समर्थन के लिए धन्यवाद।

 “राष्ट्रीय शिक्षा नीति समग्र शिक्षा में सहायता कर रही है”

भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सिंथिया मैक कैफ्री ने कहा कि भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण आयोजित किया, जिसने यह समझने के लिए प्रणाली को देखा कि बच्चे क्या सीख रहे हैं और भारतीय छात्र वास्तव में क्या जानते हैं। उन्होंने कहा, “इसके आधार पर, सरकार ने व्यक्तिगत छात्रों तक पहुंच कायम करने और शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के क्रम में नीतियां तैयार की हैं। इससे यह पता चलता है कि भारत ने मूलभूत शिक्षा में निवेश किया है और यह भी सुनिश्चित किया है कि हम बच्चों को सुरक्षित वातावरण में स्कूलों में रखें। स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत आदि सभी कार्यक्रम एक बच्चे के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने और सीखने में योगदान करने के लिए एक साथ आए हैं। आपके पास स्वच्छता और पोषण सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं एक साथ आती हैं। सरकार ने एक नवीन दृष्टिकोण के साथ मूलभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है, साथ ही कई तरीकों से कौशल के साथ बच्चों के स्वस्थ विकास और उन्हें 21 वीं सदी का कौशल हासिल करने में सक्षम बनाने में मदद कर रही है।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूलभूत शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और उद्यमशीलता सीखने पर जोर दिया गया है, जिससे बच्चे समग्र शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं। (Source PIB)


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इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

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