नजरिया जीने का: युवाओं के लिए खास हैं प्रधानमंत्री का वह श्लोक जो अतीत और भविष्य को भूल मुक्त वर्तमान में जीना सिखाती है




हाल के दिनों में जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेरणात्मक उदेश्य के लिए संस्कृत  श्लोक को शेयर करने का सिलसिला शुरू किया था, उसी के अंतर्गत आज उन्होंने अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर, वर्तमान क्षण में पूरी तरह से जीने और कर्म करने का संदेश देने वाले एक  संस्कृत सुभाषितम साझा किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक संस्कृत सुभाषितम साझा किया-

"गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।

वर्तमानेन कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः।"

चाणक्य नीति से लिए गए इस श्लोक का मतलब है कि किसी को अतीत पर शोक नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य के बारे में चिंता करनी चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ति केवल वर्तमान में ही कार्य करते हैं।

नजरिया जीने का: जानें वृक्ष के चिरस्थायी लाभों को समर्पित प्रधानमंत्री का सुन्दर श्लोक 

गते  शोको  न  कर्तव्यो  भविष्यं  नैव   चिन्तयेत्  |

वर्तमानेन  कालेन  वर्तयन्ति  विचक्षणाः               ||

                                      - चाणक्य नीति  (१३/२/)

श्लोक के माध्यम से प्रधानमंत्री ने लोगों को स्पष्ट सन्देश दिया है कि जो समय बीत गया है उसके बारे में शोक नहीं करना।  इसका मतलब साफ है कि हमें हमेशा वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि वही हमारे हाथ में हैं. बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्ति  केवल वर्तमान परिस्थिति के अनुसार ही जीवनयापन  करते हैं  |

संस्कृत के इस श्लोक की विवेचना करने  निम्न अर्थ निकलता है-

गते शोको न कर्तव्यो: बीते हुए (अतीत) का शोक (दुःख) नहीं करना चाहिए।

भविष्यं नैव चिन्तयेत्: भविष्य के बारे में बिल्कुल भी चिंता नहीं करनी चाहिए।

वर्तमानेन कालेन: वर्तमान के समय से ही।

वर्तयन्ति विचक्षणाः: बुद्धिमान लोग कार्य करते/जीते हैं (या जीवन यापन करते हैं)। 

यह श्लोक हमें अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर, वर्तमान क्षण में पूरी तरह से जीने और कर्म करने का संदेश देता है, क्योंकि यही समझदारी का मार्ग है। 



No comments:

Post a Comment