सभी संथाली भाषा बोलने वाले लोगों के लिए आज का दिन काफी गर्व और खुशी की बात है कि अब भारत का संविधान अब संथाली भाषा में, ओल चिकी लिपि में उपलब्ध है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 25 दिसंबर, 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में संथाली भाषा में भारत का संविधान जारी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह सभी संथाली लोगों के लिए गर्व और खुशी की बात है कि भारत का संविधान अब संथाली भाषा में, ओल चिकी लिपि में उपलब्ध है। इससे वे संविधान को अपनी भाषा में पढ़ और समझ सकेंगे।संथाली भाषा भारत में जनजातीय भाषा बोलने वाला सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।
इस वर्ष हम ओल चिकी लिपि की शताब्दी मना रहे हैं।
ओल चिकी लिपि: जानें खास बातें
- पंडित रघुनाथ मुर्मू ने सनतली भाषा के लिए एक लिपि विकसित की, जिसे ' ओल चिकी लिपि ' के नाम से जाना जाता है। ऐसा मान्यता है कि इस लिपि को 1935-36 में विकसित किया गया था।
- ओल चिकी लिपि वर्णमाला में छह स्वर और चौबीस व्यंजन हैं, जिनमें प्रत्येक स्वर के बाद चार व्यंजन आते हैं.
- लेकिन एक व्यंजन केवल एक स्वर के बाद ही आता है।
संथाली भाषा: Facts in Brief
- संथाली भाषा, जिसे 2003 के 92वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था.
- भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है।
- यह झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बड़ी संख्या में आदिवासी लोगों द्वारा बोली जाती है।

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