नजरिया जीने का: आपके शांत मस्तिष्क का रिफ्लेक्शन है आपका धैर्य, पहचानें इसकी कीमत

शांत मस्तिष्क और धैर्य के बीच गहरा संबंध है और सच्चाई तो यह है कि धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है जो हमें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करता है। धैर्यवान व्यक्ति शांत रहता है और मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना आपा नहीं खोता है। इससे आप शायद हीं इंकार करेंगे कि जब हमारा मस्तिष्क शांत होता है, तो हम बेहतर तरीके से सोच सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं। इसके साथ ही शांत रहने का सबसे अहम् लाभ यह है कि हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, तो हम मुश्किल परिस्थितियों में भी शांत रह सकते हैं।
जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो धैर्य की कीमत को स्वीकारना हीं होगा। जब तक आपका मस्तिष्क शांत और मन गंभीर नहीं होगा आप धैर्य को अपना ही नही सकते।
और अशांत मन में धैर्य और शांति की कल्पना ही निरर्थक है क्योंकि आखिर शांति ही प्रगति और उन्नति का एकमात्र रास्ता हैं।
यह हमारा शांत मस्तिष्क और गंभीर मन हीं जो जीवन में आने वाली कठिन से कठिन  समस्याओं को भी सामना करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
समस्याओं का आना तय है क्योंकि आखिर जीवन है तो बाधा है और सफलता के मार्ग में फूलों की उम्मीद बेमानी ही तो है। यह धैर्य हीं है जो आपके जीवन में आने वाले विपरीत परिस्थितियों से गंभीरता के साथ निबटना सिखाती है।

मस्तिष्क शांत रखने के लाभ 

अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं: जब हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, तो हम मुश्किल परिस्थितियों में भी शांत रह सकते हैं।
स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं: जब हम स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं, तो हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं और मुश्किलों का सामना करने के बेहतर तरीके खोज सकते हैं।
सकारात्मक रह सकते हैं: जब हम सकारात्मक रहते हैं, तो हम मुश्किलों को चुनौतियों के रूप में देख सकते हैं और उनसे पार पा सकते हैं।
धैर्यवान बनने के लिए:

अपने मस्तिष्क को शांत करना सीखें:
ध्यान: ध्यान करने से मस्तिष्क शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
योग: योग करने से शरीर और मन दोनों शांत होते हैं।
गहरी सांस लेना: गहरी सांस लेने से तनाव कम होता है और मस्तिष्क शांत होता है।

सकारात्मक सोच रखें:
अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें: जब आप अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आपको मुश्किलों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है।
खुद पर विश्वास रखें: हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए और यह जानना चाहिए कि हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।
सकारात्मक लोगों के साथ रहें: सकारात्मक लोगों के साथ रहने से आपको सकारात्मक सोच रखने में मदद मिलती है।

नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती





Basant Panchami 2024: जाने बसंत पंचमी का महत्‍व, इतिहास और कला की देवी सरस्वती की उपासना

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही वजह  है कि माँ सरस्वती की पूजन इस दिन भक्तों द्वारा की जाती है. खास तौर पर विद्यार्थी इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। हालाँकि माँ सरस्वती को कला की देवी माना गया है और इसलिए सभी प्रकार के कला के उपासक इस दिन माँ सरस्वती अर्थात कला की देवी की पूजा करते हैं.  

 बसंत पंचमी, भारतीय हिंदू परंपराओं में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है,

 जो मुख्य रूप से माँ सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसे माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत है। यह पर्व भारतीय साहित्य, कला, और शिक्षा की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है।


बसंत पंचमी का इतिहास:

हिंदू मिथोलॉजी:

इस पर्व का मूख्य उद्देश्य माँ सरस्वती की पूजा है, जो विद्या, कला, और साहित्य की देवी हैं। हिंदू मिथोलॉजी में, बसंत पंचमी को भगवान ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती के अवतार के रूप में माना जाता है।

माँ सरस्वती की पूजा:

इस दिन विद्या, कला, और साहित्य में बढ़त के लिए लोग माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। विद्यार्थियों और कलाकारों को इस दिन उनके शिक्षकों और गुरुओं की आराधना करने का भी पर्वाह किया जाता है।

सांस्कृतिक आयोजन:

बसंत पंचमी पर स्कूलों, कॉलेजों, और सांस्कृतिक संस्थानों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो छात्रों को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखते हैं।

बसंत ऋतु का आगमन:

बसंत पंचमी का आयोजन वसंत ऋतु के आगमन के साथ जुड़ा है। इस दिन लोग पुराने और पुराने कपड़े पहनकर रंग-बिरंगी बसंती बुनाई बनाते हैं।

बसंत पंचमी के दिन लोग सरस्वती मंदिरों या नदी तटों पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और उमड़ी खेतों में फूलों का उपहार भी चढ़ाते हैं। सारे भारतवासी इस दिन को एक नए शुरुआत का संकेत मानते हैं और नई ऊर्जा के साथ नए कार्यों की शुरुआत करते हैं।

बसंत पंचमी पर्व का इतिहास क्या है? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि किसी भी कला के उपासक माँ सरस्वती की विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं ताकि कला के क्षेत्र में वो और भी अच्छा कर सकें. माना जाता है कि माँ सरस्वती का अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी का महत्‍व

जैसा कि हम  सभी जानते हैं कि माँ सरस्वती अक्षर के साथ ही कला की देवी मानी जाती है और इस दिन किताबों और वाद्य यंत्रों की पूजा की जाती है. इसके अलावा किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए ये दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन मुहूर्त का विचार किए बिना किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है.


नजरिया जीने का: पति पत्नी के रिश्ते होते हैं नाजुक, विश्वाश और चरित्र का होना है जरूरी

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कहते हैं ना कि "विश्वाश प्रेम की पहली सीढ़ी होती है"इसलिए यह जरूरी है की किसी भी संबंध को चलाने और गहराई देने के लिए विश्वाश अत्यंत जरूरी शर्त होती है। और अगर यह रिश्ता पति पत्नी के बीच का हो, फिर तो विश्वाश और भी अधिक गहराई का होना चाहिए जो किसी भी शक और संदेह की गुंजाइश को दोनों के बीच में आने नही दे। 

स्वामी विवेकानंद की एक कथन का उल्लेख करना बहुत प्रासंगिक होगी जहां वह कहते हैं कि,"अपने चरित्र को इतना मजबूत बनाकर रखी कि कोई तुम पर आरोप लगाने नहीं पाए और अगर किसी ने आरोप लगाया भी तो तुम्हारे अपने उस आरोप को मानने से इंकार कर दे। और अगर तुम्हारे अपने उस आरोप के बारे में तुमसे पूछताछ कर बैठे तो समझो तुम्हारा चरित्र बचाने लायक नही है।" 
यह ठीक हैं की स्वामी जी ने उक्त कथन सिर्फ चरित्र की महत्ता के लिए लिखा था, लेकिन अब आप समझ सकते हैं कि चरित्र की मजबूती का होना खासकर पति पत्नी के रिश्तों के बीच, कितना जरूरी है।

ये कोट्स पति-पत्नी के बीच के प्यार और विश्वास को बयां करते हैं। ये कोट्स करवाचौथ के इस खास अवसर पर पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं

 पति के लिए

  • "तुम्हारे लिए तो मैं अपना सब कुछ न्योछावर कर दूंगी, तुम्हारी लंबी आयु के लिए मैं निर्जला व्रत रखूंगी, तुम्हारे लिए तो मैं चांद तक पहुंच जाऊंगी, क्योंकि तुम मेरे जीवन का सबसे अनमोल रत्न हो।"
  • "तुम मेरे पति हो, मेरे राजा हो, मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, मेरे जीवन का प्यार हो। तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूं। करवाचौथ पर मैं तुम्हारे लिए अपना व्रत रखती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा मेरे साथ रहो और मुझे हमेशा प्यार करते रहो।"
  • "तुम्हारे लिए मेरा प्यार इतना गहरा है कि मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। तुम मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो। करवाचौथ पर मैं तुम्हारे लिए व्रत रखती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा स्वस्थ और खुश रहो।"

पत्नी के लिए

  • "तुम मेरे जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद हो। तुमने मुझे प्यार, सम्मान और देखभाल से घेर रखा है। करवाचौथ पर मैं तुम्हारे लिए व्रत रखती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा मेरे साथ रहो और मुझे हमेशा प्यार करते रहो।"
  • "तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूं। तुम मेरे पति हो, मेरे राजा हो, मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, मेरे जीवन का प्यार हो। करवाचौथ पर मैं तुम्हारे लिए व्रत रखती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा स्वस्थ और खुश रहो।"
  • "तुम्हारे लिए मेरा प्यार इतना गहरा है कि मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। तुम मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो। करवाचौथ पर मैं तुम्हारे लिए व्रत रखती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा मेरे साथ रहो और मुझे हमेशा प्यार करते रहो।"

पति-पत्नी के लिए

  • "करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जो पति-पत्नी के प्यार और विश्वास को दर्शाता है। इस दिन, पत्नी अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के बंधन को और मजबूत बनाता है।"
  • "करवा चौथ एक ऐसा दिन है जब पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए अपना प्यार और सम्मान व्यक्त करते हैं। इस दिन, पत्नी अपने पति को चांद दिखाकर अपना व्रत पूरा करती है। यह पति-पत्नी के बीच के प्यार और विश्वास का प्रतीक है।"
  • "करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जो पति-पत्नी के बीच के प्यार और विश्वास को मजबूत बनाता है। इस दिन, पति-पत्नी एक-दूसरे को अपना प्यार और सम्मान व्यक्त करते हैं। यह त्योहार पति-पत्नी के बीच के बंधन को और मजबूत बनाता है।"

सॉवरेन स्वर्ण बांड योजना 2024: फ़रवरी में इस तिथि को खुलेंगी, जाने कैसे खरीदें और क्या है विशेषताएं

Sovereign Gold Bond Scheme facts in brief features

भारत सरकार ने सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV), 12-16 फ़रवरी, 2024 की अवधि के लिए खोले जाने जाने का निर्णय किया है. भारत सरकार की अधिसूचना संख्या फ़.संख्या.4(6)-B(W&M)/2023 दिनांक 08 दिसंबर, 2023 के संदर्भ में, सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV), 12-16 फ़रवरी, 2024 की अवधि के लिए खोली जाएगी। सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV) की निपटान तिथि 21 फ़रवरी, 2024 होगी।

 इस अभिदान अवधि के दौरान बॉन्ड का निर्गम मूल्य ₹ 6,263 (छह हज़ार दो सौ तिरेसठ रुपये मात्र) प्रति ग्राम होगा, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक की प्रेस विज्ञप्ति दिनांक 09 फ़रवरी, 2024 में भी प्रकाशित किया गया है।

भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से उन निवेशकों, जो ऑनलाइन आवेदन करते हैं तथा डिजिटल तरीके से भुगतान करते हैं, को निर्गम मूल्य में रु.50 (पचास रुपये मात्र) की छूट देने का फैसला किया है। ऐसे निवेशकों के लिए स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य रु 6,213 (छह हज़ार दो सौ तेरह रुपये मात्र) प्रति ग्राम स्वर्ण होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की विशेषताएं

एसजीबी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल), नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जैसे, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के माध्यम से बेचे जाएंगे। 

उत्पाद का नाम-सॉवरेन स्वर्ण बांड स्कीम 2023-24

निर्गमन-भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाएंगे ।

पात्रता- एसजीबी निवासी व्यक्तियों, हिन्‍दू अविभाजित परिवारों, न्‍यासों, विश्‍वविद्यालयों, धर्मार्थ संस्‍थाओं को ही बेचे जाएंगे।

मूल्‍यवर्ग-एसजीबी को एक ग्राम की मूल यूनिट के साथ ग्राम (ग्रामों) के गुणजों के मूल्‍यवर्ग में वर्गीकृत किया जाएगा।

अवधि- 5वें वर्ष के पश्चात् समय पूर्व मोचन के साथ बांड की अवधि 8 वर्ष की होगी जिसका प्रयोग ब्‍याज की देय तारीखों पर किया जा सकेगा।

न्‍यूनतम मात्रा-न्‍यूनतम अनुमत निवेश एक ग्राम सोना होगा।

अधिकतम सीमा-निवेश की अधिकतम सीमा व्यक्तियों के लिए 4 किलोग्राम, एचयूएफ के लिए 4 किलो ग्राम और ट्रस्टों और सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित समान संस्थाओं के लिए 20 किलो ग्राम प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) की होगी।  इसके संबंध में, स्‍वघोषणा आवेदन करते समय प्राप्‍त की जाएगी। वार्षिक अधिकतम सीमा में, वित्तीय वर्ष के दौरान विभिन्‍न ट्रांशों के अंतर्गत अभिदत्‍त बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे जाने वाले बांड शामिल होंगे।

संयुक्‍त धारक-संयुक्‍त धारिता के मामले में निवेश सीमा 4 किलो ग्राम केवल प्रथम आवेदक के लिए लागू होगी।

निर्गमन मूल्‍य-एसजीबी का मूल्‍य अभिदान की अवधि से पहले सप्‍ताह के अंतिम तीन कार्य दिवसों के लिए इंडियन बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन लि. द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले सोने के सामान्‍य औसत के आधार पर भारतीय रुपए में तय किया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन करने वालों और इसका भुगतान डिजीटल रूप में करने वालों के लिए स्‍वर्ण बांड का निर्गम मूल्‍य 50 रूपए प्रतिग्राम कम होगा।

भुगतान का विकल्‍प-एसजीबी के लिए भुगतान नकद भुगतान (अधिकतम 20,000 रूपए) या डिमांड ड्राफ्ट या चैक या इलेक्‍ट्रानिक बैंकिंग के जरिए होगा।

निर्गमन का प्रकार-एसजीबी जी एस अधिनियम, 2006 के अंतर्गत भारत सरकार स्‍टाक के रूप में जारी किए जाएंगे। निवेशकों को इसके लिए होल्‍डिंग प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। ये बांड डिमेट रूप में रूपांतरण हेतु पात्र होंगे।

उन्‍मोचन मूल्‍य-उन्‍मोचन मूल्‍य आईबीजेए द्वारा प्रकाशित 999 की शुद्धता वाले सोने के पिछले तीन कार्य दिवस के लिए अंतिम मूल्य के साधारण औसत के आधार पर भारतीय रूपए में होगा। 

बिक्री के चैनल-एसजीबी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) , स्‍टॉक हाल्‍डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), क्लियरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) और नामित डाक घरों (जैसा भी अधिसूचित किया जाए) और मान्यता प्राप्त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों अर्थात् नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज से सीधे या एजेंटों के जरिए बेचे जाएंगे।

ब्‍याज दर-निवेशकों को निवेश के आरंभिक मूल्‍य पर 2.50 प्रतिशत प्रति वर्ष की नियत दर पर अर्धवार्षिक रूप से देय होगा।

संपार्श्‍विक-एसजीबी को ऋणों के लिए संपार्श्‍विक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। मूल्‍य के लिए ऋण (एलटीवी) का अनुपात भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिदेशित साधारण स्वर्ण ऋण के बराबर निहित किया जाएगा। 

केवाईसी प्रलेखन-अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) मानदंड वही होंगे जो वास्‍तविक सोने की खरीद के हैं। केवाईसी दस्‍तावेज जैसे मतदाता पहचानपत्र, आधार कार्ड/पैन या टैन/पासपोर्ट जरूरी होंगे। प्रत्येक आवेदन के साथ आयकर विभाग और अन्य इकाइयों द्वारा जारी किया गया पैन नम्बर लगा होना चाहिए

कर उपचार-आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) के उपबंधों के अनुसार एसजीबी पर ब्‍याज करादेय होगा। किसी व्‍यक्‍ति को एसजीबी के उन्‍मोचन से प्राप्‍त पूंजी लाभ कर पर छूट दी गई है। बांड अंतरित किए जाने पर किसी व्‍यक्‍ति को मिलने वाले दीर्घावधिक पूंजी लाभों के लिए सूचीकरण लाभ दिए जाएंगे। 

व्‍यापार योग्‍यता-एसजीबी व्‍यापार योग्‍य होंगे।

एसएलआर पात्रता-केवल ग्रहणाधिकार/दृष्टिबाधक गिरवी रखने की प्रक्रिया के माध्यम से बैंकों द्वारा अर्जित एसजीबी की गणना सांविधिक नकदी अनुपात में की जाएगी।

कमीशन-प्राप्‍तकर्ता कार्यालयों द्वारा एसजीबी के वितरण के लिए कमीशन कुलअभिदान राशि के 1 प्रतिशत की दर पर अदा किया जाएगा और प्राप्‍तकर्ता कार्यालय उनके द्वारा किए गए कारोबार के लिए एजेंटों अथवा उप एजेंटों के साथ प्राप्‍त कमीशन का 50 प्रतिशत भाग साझा करेंगे। 

(श्रोत: वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिलीज़ )

नजरिया जीने का: इन टिप्स से करें एक्जाम स्ट्रेस को गायब

Avoid Exam Stress, Tips For Exam Stress Controlling

देश में एक बार फ़िर बोर्ड और बारहवीं की परीक्षा की घोषणा हो चुकी है। राज्यों के बोर्ड का शेड्यूल जारी  हो चुकी है और सच तो यह है कि आने वाले कुछ महीने परीक्षा के माहौल से गुलजार रहने वाला है. जाहिर है की परीक्षार्थी अपने एक्जाम की तैयारी को लेकर तनाव में रहते हैं लेकिन जरूरत इस बात की हैं कि वे एक्जाम स्ट्रेस को खुद पर हावी नहीं होने दें. उच्च तनाव का स्तर छात्रों की दक्षता में बाधा डाल सकता है जिसके परिणामस्वरूप बोर्ड परीक्षाओं के दौरान उनका प्रदर्शन ख़राब हो सकता है। कहने की जरुरत नहीं है कि परीक्षा की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है और इसमें कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण की आवश्यकता होती है। 

हालांकि, कभी-कभी परीक्षा की तैयारी के दौरान निराशा का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कहते हैं ना कि " परिस्थितियां  हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसी आशा नहीं करो क्योंकि आखिर संसार सिर्फ तुम्हारे लिए तो नहीं बना है।" क्या आप जानते हैं कि आखिर इस निराशा के क्या कारण हो सकते हैं?

याद रखें दोस्तों, निराशा एक सामान्य भावना है। हालांकि, यदि आप निराशा से ग्रस्त हो जाते हैं, तो यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, निराशा पर काबू पाने के लिए निम्न टिप्स की मदद ले सकते हैं जो आपको परीक्षा की तैयारी में निराशा पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं:

परीक्षा की तैयारी में निराशा पर काबू पाने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

सकारात्मक सोच रखें। निराशा का सबसे अच्छा इलाज सकारात्मक सोच है। जब आप सकारात्मक सोच रखते हैं, तो आप किसी भी बाधा को पार करने के लिए तैयार रहते हैं।
अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखें। परीक्षा की तैयारी करते समय, अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखें। यह आपको प्रेरित रहने में मदद करेगा।
अपनी प्रगति का मूल्यांकन करें। अपनी प्रगति का मूल्यांकन करके, आप यह देख पाएंगे कि आप कितनी दूर आ चुके हैं। यह आपको आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा।
अपनी रणनीति में बदलाव करें। यदि आप लगातार निराशा महसूस कर रहे हैं, तो अपनी रणनीति में बदलाव करने का प्रयास करें। हो सकता है कि आप अपनी तैयारी का तरीका बदलकर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।
अपने दोस्तों और परिवार से बात करें। अपने दोस्तों और परिवार से बात करके, आप अपनी भावनाओं को बाहर निकाल सकते हैं और उन्हें समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।

तैयारी के लिए एक विशिष्ट योजना बनाएं। यह आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक दिशा प्रदान करेगा।  पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, व्यायाम, आराम और मनोरंजन के लिए भी समय निकालें।

अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने से न डरें। नई चीजें सीखने और चुनौतियों का सामना करने से आपको अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

नजरिया जीने का: सही लक्ष्य का चयन है सफलता का राज, लक्ष्य सेट करते समय रखे इन बातों पर ध्यान

Inspiring Thoughts Goal Motivational Quotes for Success
नजरिया जीने का: लक्ष्य का सही चयन करना और उसकी प्राप्ति के लिए मेहनत और निष्ठा महत्वपूर्ण हैं। सही लक्ष्यों का चयन करके, आप अपने जीवन में सफलता की दिशा में बढ़ सकते हैं।
 यह लक्ष्य ही हैं जो हमें अपने जीवन में अपने वजूद और वजह का आधार और बुनियाद प्रदान करता है.  लक्ष्य निर्धारण हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण क्यों है, यह सबसे आम प्रश्न है जो हमारे मन में उठता है. 

सही लक्ष्य का चयन कैसे करें:

स्वयं अध्ययन (Self-Reflection): अपनी प्राथमिक रुचियों, प्राकृतिक क्षमताओं का हमेशा आकलन करें क्योकि खुद के  अतिरिक्त कोई और आपका मुख्यांकन उतना अच्छा नहीं कर जायेगा जितना आप अपने अपने आप को करेंगे.  आपके इंटरेस्ट्स, पैशन, और क्षमताओं को पहले पहचाने और समझकर लक्ष्य तय करें।

स्वयं को समझें (Know Yourself): आखिर आपके स्वभाव, मूल्य, और लक्ष्यों को आपके अतिरिक्त कोई और उतना ईमानदारी से कैसे कर सकता है जितना ईमानदारी आप आप अपनी विशेषताओं और जरूरतों को समझेंगे । आपके स्वाभाविक प्रवृत्तियों और मूल्यों के साथ मेल खाते हुए लक्ष्य चयन करें।

स्वयं में योग्यता की पहचान (Identify Your Competence): आपकी क्षमताओं, योग्यताओं, और दक्षताओं को पहचानें और उन्हें आपके लक्ष्य के साथ मेल करने का प्रयास करें।

आधुनिकता और आगामी चुनौतियों का सामना (Relevance and Future Challenges): आपके लक्ष्य का सामर्थ्य और उसकी महत्वपूर्णता की जांच करें। आपके लक्ष्यों को आधुनिक या आगामी चुनौतियों के साथ मेलाने का समर्थन करना महत्वपूर्ण है।

दीर्घकालिक और संक्षेपिक लक्ष्यों की तैयारी (Short-term and Long-term Goals): छोटे और बड़े लक्ष्य तय करें। दीर्घकालिक लक्ष्य आपकी दिशा दिखा सकते हैं, जबकि संक्षेपिक लक्ष्य आपको निरंतर मोटीवेट कर सकते हैं।

मान्यता और संतोष (Recognition and Satisfaction): आपके लक्ष्यों की प्राप्ति पर मान्यता और संतोष को महत्वपूर्ण बनाए रखें।

सही संसाधन (Right Resources): अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सही संसाधनों का चयन करें, जैसे कि शिक्षा, अनुभव, और मेंटरशिप।

स्वतंत्रता (Autonomy): आपके लक्ष्य और उनकी प्राप्ति को लेकर आपकी स्वतंत्रता बनाए रखें।

नियमित मूल्यांकन (Regular Evaluation): अपने प्रगति को नियमित रूप से मूल्यांकित करें और जरूरत के हिसाब से अपने लक्ष्यों में सुधार करें।

लक्ष्य को पाने के लिए आपके द्वारा की जाने वाले प्रयासों को नियमित मूल्याङ्कन भी जरुरी है. इससे न केवल आपके रणनीति को जानने और समझने में मदद मिलेगी बल्कि आप परिणामों और फीडबैक पर भी नजर रख सकते हैं. यहां कुछ अतिरिक्त युक्तियां दी गई है जो आपके लक्ष्य को पाने में मदद कर सकती है-
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समय सीमा निर्धारित करें।
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाएं।
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों की पहचान करें।
  • अपनी प्रगति को ट्रैक करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करें।
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दूसरों से मदद और समर्थन प्राप्त करें।

याद रखें दोस्तों, अपने जीवन को एक वास्तविक कारण से सक्रिय रखने के लिए, आपको अपने जीवन में अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा। अपने जीवन में किसी भी मंजिल के लिए लक्ष्य निर्धारित किए बिना, आप अपने जीवन में अपनी सफलता की जांच नहीं कर सकते।


जीवन में एक लक्ष्य का होना ही आपके लिए आपके जीवन में आकर्षण पैदा करने के लिए काफी है. लक्ष्य का निर्धारण ही आपके ध्यान को निर्देशित करने में मदद करता है और आपको जीवन में उस गति को बनाए रखने में मदद करता है... यह लक्ष्यों की सेटिंग है जो आपको आपके जीवन का रोड मैप प्रदान करती है... अपना ध्यान केंद्रित करें और आत्म-निपुणता की भावना को बढ़ावा दें।

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ध्यान रखें,  जीवन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण उपहार है, इस तथ्य के बावजूद कि यह पूरी तरह से एक मुश्किलों  से भरा खेल है जो काफी चुनौतियों से भरी पड़ी है... 

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जीवन बहुत महत्वपूर्ण है और यह कीमती है और इसका उपयोग करने का एक कारण होना चाहिए. अपने जीवन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना अंतिम और वास्तविक कारण है जो आपको अपने जीवन में प्रेरित और ऊर्जावान बनाए रखता है.

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याद रखें लक्ष्य वह अंतिम कारक है जो आपको जीने का कारण प्रदान करता है और यह आपको अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है…।

आराम की तुम भूल-भुलैया में न भूलो 

सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो 

अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलों 

उठो छलांग मार के आकाश को छू लो

तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के 

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के.

-प्रदीप 


कहने की जरुरत नहीं कि हम सभी के जीवन में काफी कुछ हासिल करना एक चुनौती की तरह है और निश्चित ही हमार सीमित समय   और साधनों के अंतर्गत विषम परिस्थितियों में काम करते हुए उसे प्राप्त करने की चुनौती होती है. 

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हमें न केवल व्यक्तिगत, बाकि प्रोफेशनल और भी लक्ष्यों को हासिल करने होते हैं जिनके सामाजिक और पारिवारिक सरोकारों से सम्बंधित  कई लक्ष्यों को प्राप्त करना है ... जाहिर है कि  इसके लिए सम्बंधित लक्ष्य का  निर्धारित करना अंतिम उपाय है जो यह सुनिश्चित करता है कि हम अपना अधिकतम लाभ उठा सकें जीवन और पूरी तरह से जियो!

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विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है..."यदि आप एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं, तो इसे एक लक्ष्य से बांधें, न कि लोगों या चीजों से।"...निश्चित रूप से यह जीवन का अंतिम सत्य है कि जीवन बिना सेटिंग के लक्ष्य का कोई महत्व नहीं होता...

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अपने जीवन में हर उद्देश्य के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित किए बिना, आप किसी विशेष गंतव्य के लिए अपने प्रयासों की सफलता को कैसे माप सकते हैं। एक लक्ष्य निर्धारित करना अंतिम कारक है जो आपको उन लक्ष्यों को प्राप्त करने और पार करने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए प्रेरित करता है जो आपके सर्वोत्तम जीवन को संभव बनाते हैं।

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यह आपके जीवन का लक्ष्य है जो आपके जीवन के लिए एक ठोस और वास्तविक कारण प्रदान करता है। जैसे कि आपके जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करने के बाद, आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने आप में एक भूख पैदा करेंगे। अपने जीवन की हर लड़ाई में आपको एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और तभी आप अपने लक्ष्य के लिए अपने आप में एक मजबूत जुनून पैदा कर सकते हैं।



World Cancer Day 2024: जानें क्यों मनाते हैं विश्व कैंसर दिवस, क्या है इतिहास थीम और महत्त्व

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विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक पहल है जो कैंसर और दुनिया भर में व्यक्तियों, समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। यह एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम एक साथ मिलकर इस बीमारी से लड़ सकते हैं और जीवन बचा सकते हैं। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों को इसके खतरों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

इतिहास:

विश्व कैंसर दिवस की अवधारणा का जन्म 1999 में पेरिस में आयोजित न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में हुआ था। अगले वर्ष, 4 फरवरी 2000 को, कैंसर के खिलाफ पेरिस चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ, इस दिन को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। इस चार्टर में कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पता लगाने, उपचार और उपशामक देखभाल के लिए एक वैश्विक रणनीति की रूपरेखा दी गई है।

महत्व:

विश्व कैंसर दिवस कई कारणों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक महत्व रखता है:

जागरूकता बढ़ाता है: यह जनता को कैंसर, इसके जोखिम कारकों, शीघ्र पता लगाने के तरीकों और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने और सोच-समझकर निर्णय लेने का अधिकार देता है।

वकालत: यह दिन कैंसर रोगियों, बचे लोगों और उनके परिवारों के लिए एक आवाज प्रदान करता है, नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से कैंसर नियंत्रण प्रयासों को प्राथमिकता देने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक समान पहुंच सुनिश्चित करने का आग्रह करता है।

सहयोग: विश्व कैंसर दिवस कैंसर अनुसंधान, रोकथाम और उपचार में प्रगति में तेजी लाने के लिए सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, शोधकर्ताओं और व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

आशा: यह कैंसर से प्रभावित लाखों लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, उन्हें याद दिलाता है कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं और बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

2023-2025 के लिए थीम:

विश्व कैंसर दिवस की वर्तमान थीम है "Close the Care Gap: Everyone Deserves Access to Cancer Care" । यह विषय दुनिया भर में मौजूद कैंसर देखभाल में असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर देता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर किसी को, उनकी पृष्ठभूमि या स्थान की परवाह किए बिना, कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए आवश्यक आवश्यक सेवाओं तक पहुंच हो।


नजरिया जीने का: क्या बिहार के वर्तमान घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन की शुरुआत है



दबाव की राजनीती के मास्टर स्ट्रोक खेलने में माहिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही खुद को विजेता मानने का मुगालता पाल सकते हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रम में उन्होंने एक बार फिर से पलटी मारने की जो कवायद किया है, वह उनके विश्वसनीयता रूपी राजनैतिक पतन का आरंभ है. जिस प्रकार से उन्होंने सत्ता के सुख के लिए गठबंधन के धर्म को भुलाकर सत्तालोलुपता दिखाई है. उसने उनके विश्वनीयता को गंभीर संकट में दाल दिया है. अगर किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहना जीत का लक्षण है, तो फिर यह नीतीश कुमार को मुबारक हो, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा शायद ही हो कि कभी प्रधान मंत्री मोदी को चुनौती देने वाले विपक्ष का एकमात्र चेहरा होने वाले नीतीश कुमार आज अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुके हैं. इतना ज्यादा कि पचास से कम लोकसभा सीटों पर सिमटने वाले कांग्रेस भी उन्हें आँख दिखा कर संयोजक तो छोड़िये, किसी पद के लायक भी नहीं समझ रही.

हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत है, लेकिन इतना तो तय है कि सुशासन बाबू और विकास पुरुष की ख्याति पाए नीतीश कुमार के लिए 202 4 के बाद का समय और भी जटिल और कष्टप्रद हो सकती है। नीतीश कुमार एक अनुभवी राजनेता हैं और उन्होंने अतीत में भी कई चुनौतियों का सामना किया है और यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बिहार में राजनीतिक परिदृश्य बहुत अस्थिर है। 

यह संभव है कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों से उबर सकें और अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकें, लेकिन, यह भी संभव है कि ये घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत हों। समय ही बताएगा कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और इनका उनके राजनीतिक करियर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

खुद हीं जिम्मेदार

कहने की जरुरत नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है और इसके लिए काफी हद तक वह खुद हीं जिम्मेदार है। निश्चित हीं बिहार के वर्तमान के घटनाक्रम के बाद उनके राजनैतिक पतन की संभावनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि नीतीश कुमार का राजनैतिक पतन इतना आसान भी नहीं हैं क्योंकि भाजपा और महागठबंधन में कम से कम बिहार में कोई टक्कर का चेहरा नहीं है. 

अगर आप देखें तो नीतीश कुमार के राजनितिक रूप से कमजोर और अस्थिर चेहरा के पीछे कई अन्य कारण भी है. 

राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी 

इसका सबसे बड़ा कारण राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी भी बहुत कारण है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच राजनीतिक गठबंधन के बावजूद, दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। इस दूरी का कारण कई कारक हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप, नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले का असफल होना, और दोनों दलों के बीच चुनावी टिकटों को लेकर हुए विवाद शामिल हैं।

भाजपा का बढ़ता प्रभाव 

इसके अतिरिक्त भाजपा का बढ़ता प्रभाव भी नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है क्योंकि भाजपा के बढ़त के साथ जनता दल यू का बिहार में सिकुड़ना भी बहुत बड़ा कारन है.  बिहार में भाजपा का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बिहार में 20 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो भाजपा बिहार की राजनीति में एक प्रमुख दल बन जाएगा। इस स्थिति में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर हो सकती है।

पार्टी में टूट की आशंका

आंतरिक विरोध और पार्टी में टूट की आशंका भी एक प्रमुख कारण है जिसके कारण नीतीश कुमार परेशानी में थे. हाल के दिनों में पार्टी के अंदर कलह और अध्यक्ष का बदला जाना भी  नीतीश कुमार की सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।

नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन के संभावित परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं:

बिहार में राजनीतिक अस्थिरता: नीतीश कुमार की हार से बिहार में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इस स्थिति में राज्य में नए चुनाव कराने पड़ सकते हैं।

भाजपा का बिहार में वर्चस्व: भाजपा के बिहार में वर्चस्व बढ़ सकता है। इस स्थिति में राज्य में भाजपा की नीतियों का प्रभाव बढ़ेगा।

राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव: नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन से राष्ट्रीय राजनीति में भी बदलाव हो सकता है। इस स्थिति में बिहार की राजनीति भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाएगा।

क्या है कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ जिसका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया है

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मन की बात के 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया ने किया जिसमे उन्होंने कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ का चर्चा किया। आइये जानते हैं कि क्या है  'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ने क्यों इसका जिक्र किया. 

हमर हाथी - हमर गोठ: Facts in Brief

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं।

‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है।

 इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। 

छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

नजरिया जीने का: क्यों कहते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम?


 आखिरकार वह पावन दिन आ ही गया अर्थात जब अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का। भगवान राम के मर्यादा और उनके विशेष गुणों को लेकर जो छवि प्रत्येक हिंदुओं में बसी है वह किसी लेखनी की मोहताज नहीं है। "मर्यादा पुरुषोत्तम" श्रीराम भगवान हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं, जो "रामायण" के मुख्य पात्र में प्रस्तुत होते हैं। "मर्यादा पुरुषोत्तम" का अर्थ होता है "मर्यादा में सर्वोत्तम पुरुष" या "मर्यादा के परम आदमी"। "मर्यादा पुरुषोत्तम" का उपनाम भगवान राम के श्रद्धायुक्त और न्यायप्रिय व्यक्तित्व को संकेत करता है, जो उन्हें भक्तों के लिए एक आदर्श पुरुष बनाता है।

 भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मर्यादाओं का हमेशा पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मित्र थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इन मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया।

सच तो यह है कि इस उपनाम के माध्यम से भगवान राम की विशेषता और उनके जीवन में अनुसरण करने लायक आदर्शों को दर्शाने का प्रयास किया जाता है।  भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम उनकी महानता के लिए दिया गया उपाधि है जिसमे पारिवारिक संबंधो की मर्यादा के साथ ही राजकीय और दोस्तों और यहाँ तक कि दुश्मनों के साथ भी मर्यादा के निर्वाह के लिए दिया जाता है. और यही वजह है कि भगवन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से पुकारा जाता है.

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, जिनका सभी सम्बन्धो के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व

भगवान राम को "मर्यादा पुरुषोत्तम" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में धर्म, नैतिकता, और श्रेष्ठता की मर्यादा बनाए रखी। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, अपनी पतिव्रता पत्नी सीता के प्रति वफादारी दिखाई, और अपने भक्तों के प्रति सत्य, न्याय, और करुणा का प्रदर्शन किया।  

आदर्श पुत्र

कहने की जरुरत नहीं कि भगवन राम ने अपने पिता दशरथ के आदेश का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। वे जानते थे कि पिता का आदेश सदैव मानना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। इस प्रकार की मिसाल शायद हीं कहीं और मिलती है. 

भगवान राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है

आदर्श भाई

भारत मिलाप और अपने भाइयों के प्रति प्रेम और अनुराग भगवन राम की अलग विशेषता है जो उन्हें सबसे अलग रखता है. भगवन राम ने अपने भाई भरत के प्रति कभी भी ईर्ष्या या घृणा का भाव नहीं रखा। वे भरत को अपना सच्चा भाई मानते थे और उनका हमेशा सम्मान करते थे। 

आदर्श पति

मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी संबंधों को पूर्ण एवं उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाला प्रभु रामचंद्र के चरित्र के समान दूसरा कोई चरित्र नहीं है।  और जहाँ तक आदर्श पति का सवाल है, राम ने अपनी पत्नी सीता के प्रति हमेशा प्रेम और सम्मान का भाव रखा। वे सीता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार थे।

आदर्श राजा

राम के राज्य में राजनीति स्वार्थ से प्रेरित ना होकर प्रजा की भलाई के लिए थी। इसमें अधिनायकवाद की छाया मात्र भी नहीं थी। राम ने अपने राज्य में हमेशा न्याय और धर्म का पालन किया। वे प्रजा के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। 

आदर्श मित्र

श्री रामचंद्र जी निष्काम और अनासक्त भाव से राज्य करते थे। उनमें कर्तव्य परायणता थी और वे मर्यादा के अनुरूप आचरण करते थे।  राम ने अपने दोस्तों सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि के प्रति हमेशा निष्ठा और समर्पण का भाव रखा। उन्होंने अपने दोस्तों की हर समय मदद की। 

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वैलेंटाइन डे प्यार का त्योहार है और इस दिन प्रेमी अपने पार्टनर को प्रेम का अहसास दिलाने के लिए खास तैयारियां करते हैं । यह दिन दुनिया भर के प्रेमी जोड़ों के लिए बेहद खास होता है जहाँ प्रेमी कपल इस दिन का पुरे साल इन्तजार करते हैं। इस दिन प्रेमी जोड़े एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करते हैं। वे एक-दूसरे को उपहार देते हैं, रोमांटिक डिनर पर जाते हैं, या एक साथ समय बिताते हैं।

वैलेंटाइन डे हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में प्यार कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें अपने साथी के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने का मौका देता है।

वैलेंटाइन डे को मनाने के कई तरीके हो सकते हैं और यह खास आपके और आपके पार्टनर की समझ और पसंद पर निर्भर करता है। आखिर आप और आपके पार्टनर को एक दूसरे से अधिक कौन समझ सकता है और इसके लिए आप खुद ही तय करें कि अपने साथी के साथ कैसे यादगार शाम बना सकते हैं. इसके लिए आप एक रोमांटिक डिनर पर जा सकते हैं, एक साथ पार्क में घूम सकते हैं, या एक साथ किसी फिल्म देख सकते हैं। आप अपने साथी को एक उपहार दे सकते हैं, या उसे एक प्यारा सा ग्रीटिंग कार्ड लिख सकते हैं।



अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आप निम्न पंक्तियों की मदद ले सकते हैं जो आपके पार्टनर को आपके लिए और भी खास बनाने में मदद करेंगी. 

1. तुम 

विश्वास मैं कैसे दूँ, 

जीने की हो प्रेरणा हो तुम 

तेरा कोई विकल्प नहीं, 

कुछ पाने का संकल्प हो तुम 

मेरे इच्छाओं की सीमा हो,

अभिलाषाओं का अंत हो तुम. 


26 जनवरी 2024: जानें गणतंत्र दिवस परेड में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

26 जनवरी 2024: जानें  गणतंत्र दिवस परेड  में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

भारत सरकार हर साल एक विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित करती है। यह आमंत्रण भारत और उस देश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार के मेहमान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन हैं। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुथ्य अतिथि होंगे। इमैनुएल मैक्रों छठे फ्रांसीसी नेता हैं जो 2024 गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री जैक्स शिराक ने 1976 और 1998 में दो बार इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु और लोकतांत्रिक देश है जिसने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया था. भारत के एक गणराज्य बनने की खुशी में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप मनाया जाता है.

वर्ष-    अतिथि का नाम-देश

  • 1950-राष्ट्रपति सुकर्णो-इंडोनेशिया
  • 1951-राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह-नेपाल
  • 1952-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1953-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1954-राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक-भूटान
  • 1955-गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद-पाकिस्तान
  • 1956-राजकोष के चांसलर आरए बटलर
  • मुख्य न्यायाधीश कोटारो तनाका-यूनाइटेड किंगडमजापान
  • 1957-रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़ुकोव-सोवियत संघ
  • 1958-मार्शल ये जियानिंग-चीन
  • 1959-एडिनबर्ग के ड्यूक प्रिंस फिलिप-यूनाइटेड किंगडम
  • 1960-राष्ट्रपति क्लिमेंट वोरोशिलो-सोवियत संघ
  • 1961-क्वीन एलिजाबेथ II-यूनाइटेड किंगडम
  • 1962-प्रधान मंत्री विगो काम्पमैन-डेनमार्क
  • 1963-राजा नोरोडोम सिहानोक-कंबोडिया
  • 1964-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लॉर्ड लुईस माउंटबेटन-यूनाइटेड किंगडम
  • 1965-खाद्य एवं कृषि मंत्री राणा अब्दुल हामिद-पाकिस्तान
  • 1966-कोई निमंत्रण नहीं-
  • 1967-राजा मोहम्मद ज़हीर शाह-अफ़ग़ानिस्तान
  • 1968-प्रधान मंत्री एलेक्सी कोसिगिन-सोवियत संघ
  • राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो एसएफआर यूगोस्लाविया
  • 1969-बुल्गारिया के प्रधान मंत्री टोडर ज़िवकोव बुल्गारिया
  • 1970-बेल्जियम के राजा बाउडौइन-बेल्जियम
  • 1971-राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे तंजानिया
  • 1972-प्रधान मंत्री शिवसागर रामगुलाम-मॉरीशस
  • 1973-राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको-ज़ैरे
  • 1974-राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो-एसएफआर यूगोस्लाविया
  • प्रधान मंत्री सिरिमावो रतवाटे डायस भंडारनायके-श्रीलंका
  • 1975-राष्ट्रपति केनेथ कौंडा-जाम्बिया
  • 1976-प्रधान मंत्री जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1977-प्रथम सचिव एडवर्ड गिरेक-पोलैंड
  • 1978-राष्ट्रपति पैट्रिक हिलेरी-आयरलैंड
  • 1979-प्रधान मंत्री मैल्कम फ़्रेज़र-ऑस्ट्रेलिया
  • 1980-राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टाइंग-फ्रांस
  • 1981-राष्ट्रपति जोस लोपेज़ पोर्टिलो-मेक्सिको
  • 1982-राजा जुआन कार्लोस प्रथम-स्पेन
  • 1983-राष्ट्रपति शेहु शगारी-नाइजीरिया
  • 1984-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 1985-राष्ट्रपति राउल अल्फोन्सिन-अर्जेंटीना
  • 1986-प्रधान मंत्री एंड्रियास पापंड्रेउ-यूनान
  • 1987-राष्ट्रपति एलन गार्सिया-पेरू
  • 1988-राष्ट्रपति जुनियस जयवर्धने-श्रीलंका
  • 1989-महासचिव गुयेन वान लिन्ह-वियतनाम
  • 1990-प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जुगनुथ-मॉरीशस
  • 1991-राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम-मालदीव
  • 1992-राष्ट्रपति मारियो सोरेस-पुर्तगाल
  • 1993-प्रधान मंत्री जॉन मेजर-यूनाइटेड किंगडम
  • 1994-प्रधान मंत्री गोह चोक टोंग-सिंगापुर
  • 1995-राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला-दक्षिण अफ्रीका
  • 1996-राष्ट्रपति डॉ. फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो-ब्राज़िल
  • 1997-प्रधान मंत्री बासदेव पांडे-त्रिनिदाद और टोबैगो
  • 1998-राष्ट्रपति जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1999-राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव-नेपाल
  • 2000-राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासंजो-नाइजीरिया
  • 2001-राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका-एलजीरिया
  • 2002-राष्ट्रपति कसाम उतीम-मॉरीशस
  • 2003-राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी-ईरान
  • 2004-राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा-ब्राज़िल
  • 2005-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 2006-किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-सऊद[ सऊदी अरब
  • 2007-राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन-रूस
  • 2008-राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी-फ्रांस
  • 2009-राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव-कजाखस्तान
  • 2010-राष्ट्रपति ली म्युंग बाक-कोरियान गणतन्त्र
  • 2011-राष्ट्रपति सुसीलो बंबांग युधोयोनो-इंडोनेशिया
  • 2012-प्रधान मंत्री यिंगलक शिनावात्रा-थाईलैंड
  • 2013-भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक-भूटान
  • 2014-प्रधान मंत्री शिंजो आबे-जापान
  • 2015-राष्ट्रपति बराक ओबामा-संयुक्त राज्य अमेरिका
  • 2016-राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद-फ्रांस
  • 2017-क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद-संयुक्त अरब अमीरात
  • 2018-सभी दस आसियान देशों के प्रमुख
  • 2019-राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा-दक्षिण अफ्रीका
  • 2020-राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो-ब्राज़िल
  • 2021-प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन (अपनी यात्रा रद्द)-यूनाइटेड किंगडम
  • 2022=
  • 2023-राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी-मिस्र
  • 2024-इमैनुएल मैक्रों -फ्रांस के राष्ट्रपति 

लक्ष्य द्वीप: जानें इतिहास, पर्यटन स्थल, कैसे जाएँ, जाने का अनुकूल महीना और भी बहुत कुछ


लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है जो अरब सागर में स्थित है। यह 36 द्वीपों से बना है, जिनमें से 11 द्वीपों पर रहने वाले लोग हैं। मलयालम और संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ है ‘एक सौ हजार द्वीप।  लक्ष्द्वीप का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है। लक्ष्यदीप के ऐतिहासिक महत्त्व पर नजर डालें तो ऐसी प्रमाण है है कि इस क्षेत्र पर कई सभ्यताओं ने शासन किया है, जिनमें चोल, चोल और पुर्तगाली शामिल हैं। 

लक्षद्वीप क्यों प्रसिद्ध है?
भारत वन राज्य रिपोर्ट 2021 के अनुसार, लक्षद्वीप में वन क्षेत्र 27.10 वर्ग किमी है। जो कि इसके भौगोलिक क्षेत्रफल का 90.33 प्रतिशत है। लगभग 82 प्रतिशत भूभाग निजी स्वामित्व वाले नारियल के बागानों से आच्छादित है लक्षद्वीप का पिट्टी द्वीप भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पक्षी अभयारण्य लिए प्रसिद्ध है।

यह एक यूनियन संघ शाषित राज्य क्षेत्र है और इसमें 12 एटोल, तीन रीफ, पांच जलमग्न बैंक और दस बसे हुए द्वीप हैं। द्वीपों में 32 वर्ग किमी शामिल हैं राजधानी कवरत्ती है और यह यूटी के प्रमुख शहर भी है।


लक्षद्वीप के पर्यटन स्थल

अगाती द्वीप: अगाती द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी सुंदर समुद्र तटों, पारंपरिक संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। अगाती द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

बंगारम

बांगरम एक छोटे टिड्ड्रॉप आकार का द्वीप है, जो अग्टाटी और कवड़ती के करीब है।  थिन्नकरा और परली के दो छोटे द्वीप भी वही लैगून द्वारा संलग्न बांगरम के करीब स्थित हैं। इस रिजॉर्ट के मेहमान अग्टाटी से नाव हस्तांतरण या हेलीकाप्टर ट्रांसफर का लाभ ले सकते हैं। लक्षद्वीप में एकमात्र निर्जन द्वीप सहारा होने के कारण इसे अपना आकर्षण मिला है। विख्यात विशेष पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य, बांगरम ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र में अपनी उपस्थिति बना ली है।

मंजेरी बीच: यह लक्ष्द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

अगाती लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे पुराना लाइटहाउस है। यह 1889 में बनाया गया था।

अगाती मस्जिद: यह द्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

मिनिकॉय द्वीप: मिनिकॉय द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है। यह अपनी समृद्ध संस्कृति और विदेशी वातावरण के लिए जाना जाता है। यह 10.6 किमी लंबा है और एंड्रट के बाद दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है. ब्रिटिश द्वारा 1885 में बनाया गया एक 300 फुट लंबा लाइटहाउस एक शानदार मील का पत्थर है। 

मिनिकॉय द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

चार्ली बीच: यह द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

मिनिकॉय लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे ऊँचा लाइटहाउस है। यह 1885 में बनाया गया था।

मिनिकॉय बाजार: यह द्वीप का सबसे बड़ा बाजार है। यह अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, व्यंजनों और संस्कृति के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी द्वीप: कवात्ती प्रशासन का मुख्यालय और सबसे विकसित द्वीप है द्वीप पर 52 मस्जिद फैले हुए हैं, उज्रा मस्जिद सबसे सुंदर है।

 कवारात्टी द्वीप लक्ष्द्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। कवारात्टी द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं: 

कवारात्टी बीच: यह द्वीप का दूसरा सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी किला: यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया एक पुर्तगाली किला है।

कवारात्टी मस्जिद: यह द्वीप की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

लक्षद्वीप कैसे जाएँ

लक्षद्वीप भारत के दक्षिणी तट से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित है। आप लक्ष्द्वीप के लिए सीधी उड़ान या जहाज से यात्रा कर सकते हैं।

लक्षद्वीप जाने का अनुकूल महीना

लक्षद्वीप जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के बीच है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और बारिश कम होती है।