MCD कमिश्नर को सिसोदिया की चिट्ठी: 10 व्यक्तियों के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की सलाह

Aldermen Nominations Sisodia writes to MCD Commissioner

ताजा घटना क्रम में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आज एमसीडी के आयुक्त ज्ञानेश भारती को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने निर्वाचित दिल्ली सरकार को दरकिनार कर एमसीडी में नामित किए गए 10 व्यक्तियों के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की सलाह दी है। उन्होंने लिखा है कि यह नामांकन भारत के संविधान के अनुच्छेद 239एए के साथ ही राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम भारत संघ और अन्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा की गई व्याख्या के विपरीत भी है।

 डिप्टी सीएम ने चिट्ठी में कहा है कि नामांकन की फाइलों को शहरी विकास विभाग एवं उसके प्रभारी मंत्री के कार्यालय को भेजे और वहां से स्वीकृत हुए बिना 10 सदस्यों को एमसीडी में नामित किया गया है, जबकि मैं विभाग का सक्षम प्राधिकारी हूं। यह नामांकन संविधान के अनुच्छेद 239एए के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा की गई व्याख्या के विपरीत भी है। डिप्टी सीएम ने पत्र में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर इस तरह के कदम का सहारा लिया गया है। इस तरह के नामांकन से संबंधित फाइलें हमेशा नगर निगम द्वारा शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, जो इस मामले में नहीं किया गया है। 

पत्र में डिप्टी सीएम ने एलजी द्वारा निर्वाचित दिल्ली सरकार को दरकिनार कर एमसीडी में नामित किए गए 10 व्यक्तियों के शपथ ग्रहण को लेकर की जा रही कार्यवाही को रोकने की सलाह दी   है। डिप्टी सीएम ने पत्र में कहा है, ‘‘मैं आपका ध्यान उक्त अधिसूचना की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जिसमें नामांकन की उक्त प्रक्रिया से संबंधित फाइलों को शहरी विकास विभाग एवं उक्त विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में मेरे कार्यालय के माध्यम से भेजे बिना 10 व्यक्तियों को नगर निगम में नामित किया गया है। आप जानते हैं कि प्रशासनिक कार्य नियमावली-1993 की धारा-4 के अनुसार, मैं शहरी विकास विभाग से संबंधित मामलों को लेकर निर्णय, नीतियों, कार्रवाइयों और अनुमोदित करने की जिम्मेदारी के लिए सक्षम प्राधिकारी हूं। निर्विवाद तौर पर नगर निगम प्रशासनिक प्राधिकरण और शहरी विकास विभाग के मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है।’’

उन्होंने पत्र में आगे कहा है, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर इस तरह की कार्यवाही का सहारा लिया गया है। यह कहने के लिए पर्याप्त है कि यह अतीत में ऐतिहासिक रूप से इस तरह के नामांकन के तरीके के संबंध में स्थापित नियम व प्रक्रिया के विपरीत है। इस तरह के नामांकन से संबंधित फाइलें हमेशा नगर निगम द्वारा प्रशासनिक विभाग, अर्थात शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, जो दुर्भाग्य से वर्तमान मामले में नहीं किया गया है।

उन्होंने लिखा है कि यह नामांकन भारत के संविधान के अनुच्छेद 239एए के साथ ही राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम भारत संघ और अन्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा की गई व्याख्या के विपरीत भी है। इसके अलावा आप जानते हैं कि प्रविष्टि 5 सूची प्प् संविधान की सातवीं अनुसूची के संदर्भ में, ‘स्थानीय सरकार’ एक राज्य का विषय है, जिस पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास पूर्ण विधायी और कार्यकारी निर्णय लेने का अधिकार व शक्ति प्राप्त है।

डिप्टी सीएम ने पत्र के आखिर में कहा है, ‘‘इस मामले को ध्यान में रखते हुए मैं आपको सलाह देता हूं कि आप उपरोक्त अवैध और गैर सलाह वाली अधिसूचना और विशेष रूप से इसके तहत 10 सदस्यों के शपथ ग्रहण के संबंध में और कोई भी कार्यवाही करने से बचें और कानून की स्थापित परंपरा का सम्मान करें, जिसे आप बेहतर जानते हैं।


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