Suchindram Theroor Wetland: सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी कंजर्वेशन रिजर्व का हिस्सा है। इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया है और यह प्रवासी पक्षियों के मध्य एशियाई फ्लाईवे के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
इसे पक्षियों के घोंसले के लिए बनाया गया था और यह हर साल हजारों पक्षियों को आकर्षित करता है। थेरूर पर निर्भर कुल जनसंख्या लगभग 10,500 है और इस जनसंख्या की 75 प्रतिशत आजीविका कृषि पर टिकी है जो बदले में थेरूर जलाशय से निकलने वाले पानी पर निर्भर है।
पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी हैं, 12 स्थानिक हैं, और चार खतरे में हैं। कम से कम 183 पौधों और जानवरों की प्रजातियों की उपस्थिति जलाशयों को पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण मंच और चारागाह प्रदान करने में सक्षम बनाती है
यह एक मानव निर्मित, अंतर्देशीय जलाशय है और बारहमासी है। 9वीं शताब्दी के तांबे की प्लेट के शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है।
इस क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी, 12 स्थानिक और 4 विलुप्त होने की कगार पर हैं.
चारों ओर फैली कृषि भूमि जैसे धान के खेत, नारियल के बाग, केले के पेड़ आदि, सिंचाई के लिए आर्द्रभूमि परिसर पर निर्भर हैं। यह संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए घोंसले के शिकार आवास प्रदान करता है। यह बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के साथ अंतर्राष्ट्रीय पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध है और मध्य एशियाई पक्षी प्रवासी मार्ग का हिस्सा है।
स्थान: तमिलनाडु, कन्याकुमारी जिला
क्षेत्रफल: 94.229 हेक्टेयर
संरक्षण: सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी संरक्षण रिजर्व का हिस्सा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित
महत्व: महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र, मध्य एशियाई फ्लाईवे का दक्षिणी छोर, भूजल पुनर्भरण का स्रोत, बाढ़ नियंत्रण
विशेषताएँ: दो मानव निर्मित जलाशय, थेरूर और सुचिन्द्रम, पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां
स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे जिन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिससे आज विश्व के अनेकों लोग ज्ञान की प्राप्ति कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद के विचार हमेशा युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। उन्होंने भारतीय और पश्चिमी दर्शन का अध्ययन किया, लेकिन रामकृष्ण से मिलने तक उन्हें मानसिक शांति नहीं मिली। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 कोलकाता मे हुआ था। सन्यास से पहले उनका नाम “नरेन्द्र नाथ दत्त” था। ऐसा कहा जाता है कि उनकी माताजी उन्हें बचपन में “बिलेह” कहकर बुलाती थी। स्वामी विवेकनंद का जन्म वीरेश्वर महादेव की बहुत पूजा-पाठ के बाद पुत्र प्राप्त हुआ था इसलिए वे इसे वीरेश्वर महादेव की कृपा ही मानती थी।
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं, इसलिए भारत में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने साहित्य, दर्शन और धर्म का भी अध्ययन किया, और इस क्षेत्र में माता-पिता तथा शिक्षकों से सहायता मिली। विवेकानंद (1863-1902) विवेकानंद का चरित्र उनके गुरु से बिलकुल अलग था।हालाँकि, वे केवल आध्यात्मिकता से संतुष्ट नहीं थे। जिस सवाल ने उन्हें लगातार परेशान किया, वह था उनकी मातृभूमि की पतित स्थिति। अखिल भारतीय दौरे के बाद उन्होंने पाया कि "गरीबी, गंदगी, मानसिक शक्ति की कमी और भविष्य के लिए कोई उम्मीद नहीं थी।
अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ब्रह्म समाज और साधु संतों के पास भटकने के बाद, नरेन्द्रनाथ रामकृष्ण परमहंस के शरण में पहुंचे। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर 1881 में उन्होंने रामकृष्ण को गुरु माना और संन्यास जीवन की शुरुआत की।
उनका उद्देश्य था भारतीय संस्कृति, वेदांत और योग के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाना।आत्मनिर्भरता, आत्मबल और मानव सेवा के वे प्रबल समर्थक थे और इसलिए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हम ही अपने सभी दुखों और अपने सभी पतन के लिए जिम्मेदार हैं"।
उन्होंने अपने देशवासियों से अपने उद्धार के लिए काम करने का आग्रह किया। इसलिए उन्होंने अपने देशवासियों को जगाने और उनकी कमजोरियों को याद दिलाने का काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने उन्हें "गरीबों के लिए सहानुभूति, उनके भूखे मुँह को रोटी और बड़े पैमाने पर लोगों को ज्ञान देने के लिए जीवन और मृत्यु तक संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।"
1893 में विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में अखिल विश्व धर्म सम्मेलन (धर्म संसद) में भाग लिया। वहाँ उनके भाषण ने अन्य देशों के लोगों पर गहरी छाप छोड़ी और इस तरह दुनिया की नज़र में भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद की।
रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के दर्शन धर्मों के सामंजस्य के इर्द-गिर्द घूमते थे। और यह सामंजस्य व्यक्ति की ईश्वर चेतना को गहन करने से इसकी अनुभूति होती है।
स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान
स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने शिक्षा को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न मानकर, व्यक्तित्व विकास, नैतिक मूल्यों और समाज सेवा से जोड़ने का प्रयास किया। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य "व्यक्ति में पहले से निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना" होना चाहिए।स्वामी विवेकानंद की नजरों में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए क्योंकि उनका मानना था कि चरित्र निर्माण के मजबूती के बगैर जीवन व्यर्थ है.
स्वामी विवेकानंद शिक्षा को केवल मानसिक रूप से मजबूती नहीं नहीं बल्कि युवाओं के लिए शारीरिक रूप से स्ट्रांग होने भी उनके लिए काफी जरुरी था. उन्होंने कहा था की युवाओं को गीता पढ़ने से अच्छा है कि वो जाकर फूटबाल खेलें क्योंकि उनका मानना था की मजबूत कन्धों और भुजाओं से वो गीता कीशिक्षा को अच्छे से ग्रहण कर सकेंगे.
दूसरों पर निर्भर रहने को वो हमेशा गलत मानते थे क्योंकि उनका मानना था कि इंसान स्वावलम्बी होना चाहिए.
Born on Tuesday:ज्योतिष और कुंडली शास्त्र के अनुसार मंगलवार का सम्बन्ध प्लेनेट मंगल से होता है और हम सभी जानते हैं की मंगल को लाल प्लेनेट भी कहा जाता है. और यही वजह है की मंगल को जन्म लेने वाले लोग अक्सर साहसी, ऊर्जावान और दृढ़निश्चयी माने जाते हैं, और ऐसे लोग अपने प्रयासों में जल्दी हाँ स्वीकार नहीं करते हैं. मंगल के दिन जन्म लेने वाले जातकों का स्वामी मंगल ग्रह के प्रभाव के कारण उनमें नेतृत्व करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति और प्रतिस्पर्धी भावना होती है। आमतौर पर उत्साही और भावुक होने के साथ हीं उन्हें कभी-कभी अपनी निराशा को शांत करना और अपनी ऊर्जा को रचनात्मक रूप से निर्देशित का गुण अपनाना भी जरुरी होता है. आइये जानते हैं मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.
Born on Tuesday Famout Personalities
मंगलवार को जन्मे लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे दृढ इच्छाशक्ति के मालिक होते हैं और अपने सपनों को वास्तविकता के धरातल पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ऐसे लोग सफलता के लिए तब तक प्रयास करते रहते हैं जब तक कि वे उसे प्राप्त नहीं कर लेते। अच्छे दिनों में, मंगलवार को जन्मे लोग बुद्धिमान, प्रेरित और निडर होते हैं, लेकिन बुरे दिनों में, वे जिद्दी और असुरक्षित हो सकते हैं। हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद, संगीतकार उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, फिल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी, फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा, फिल्म अभिनेत्री करिश्मा कपूर, फिल्म अभिनेता रणबीर कपूर.
आसानी से नहीं मानते हार:
मंगल गृह के स्वाभाव के अनुसार मंगलवार के दिन जन्मे लोग स्वभाव से गुस्सैल और बहादुर होते हैं और वे किसी भी खराब परिस्थिति में आसानी से हार नहीं मानते हैं. ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं. ये लोग कोई भी गलत बात स्वीकार नहीं कर पाते हैं. स्वभाव से ये लोग बहुत खर्चीले होते हैं. गुस्सैल स्वभाव के होने की वजह से यह लोग छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा करते हैं.इन लोगों के आसानी से दोस्त नहीं बनते हैं लेकिन अगर एक बार दोस्ती हो गई तो ये लोग दिल से निभाते हैं.
स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता:
मंगल को मंगलवार के साथ जोड़ा जाता है, और इसलिए इस दिन जन्मे लोग नेतृत्व की क्षमता और अग्रसरता रखते हैं। इनमें नेतृत्व क्षमता जन्मजात होती है और वे लोगों को प्रेरित करने में माहिर होते हैं। वे समाज में अच्छी गाइडेंस कर सकते हैं और सामरिक परिस्थितियों में नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। मंगल ग्रह के प्रभाव से, मंगलवार को जन्मे लोग अक्सर साहसी, ऊर्जावान और शक्तिशाली होते हैं।
उच्च ऊर्जा स्तर:
मंगल का प्रतीक्षित ज्वालामुखी तत्व होने के कारण, जो उच्च ऊर्जा स्तर को संकेत करता है, मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग उच्च ऊर्जा स्तर वाले हो सकते हैं। वे सक्रिय और उत्साही हो सकते हैं और अपने काम में प्रभावी हो सकते हैं। मंगलवार को जन्मे लोग जीवन के प्रति उत्साही होते हैं और नए अनुभवों के लिए तैयार रहते हैं।
क्रोधप्रवृत्ति:
मंगलवार को जन्मे लोगों में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं। मंगल ग्रह आपातकालीन स्थितियों का प्रतीक होता है और इसलिए मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों के पास अधिक क्रोधप्रवृत्ति हो सकती है। वे छोटी बातों पर जल्दी गुस्सा हो सकते हैं और उन्हें अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।
ऐसे व्यक्तियों में रिस्क लेने और साहस करने की क्षमता कूट कूट कर भरी होती है और ऐसे लोग अपने वचन के पक्के होते हैं. ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं. मंगलवार को जन्म लेने वाले लोगों में मंगल ग्रह का प्रभाव होता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को शौर्य, साहस, निर्णायक और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.ऐसे लोग अपने विरोध बहुत कम ही सहन कर पाते हैं और इसके साथ ही ऐसे लोग शक्ति से भरपूर होते हैं.
मंगल वार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की यह सामान्य लक्षण हैं जिसे समान्यता: ज्योतिष और कुंडली की जानकारी पर दी गई है. हालाँकि यह भी सत्य है कि हर व्यक्ति अद्वितीय होता है, इसलिए यह सुनिश्चित नहीं है कि सभी मंगलवार को जन्म लेने वाले लोग इन लक्षणों से पूरी तरह से मेल खाते होंगे।
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नोट: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।
शादी और पार्टियों में चिकन मंचूरियन, चिकन कबाब और तंदूरी चिकन जैसी स्वादिष्ट स्नैक्स का लुत्फ तो आपने कई बार उठाया होगा, लेकिन हम यहाँ ऐसे डिश के बारे मे बता रहा हूँ जो आपके चॉइस को और भी खास बना देगा। अगर आप चिकन लवर्स हैं तो चिकन बॉल्स एक खास डिश है जो सिर्फ आपके लिए है। चिकन बॉल्स एक बेहद लाजवाब स्नैक्स हैंजो क्विक एंड इजी स्नैक है। इसको बनाना इतना आसान है कि आप इसे कभी भी बना सकते हैं खास तौर पर यह आपके यहाँ होने वाले पार्टी, पिकनिक और बच्चों के टिफिन के लिए खास आइटम हो सकता है।
फ्राई, स्टीम्ड, स्पाइसी एवं अन्य फैक्टर्स के अनुसार अगर आप देखेंगे तो चिकन बॉल्स के कई प्रकार होते हैं. इनमे शामिल है फ्राइड चिकन बॉल्स, स्टीम्ड चिकन बॉल्स, चिकन चीज़ बॉल्स, स्पाइसी चिकन बॉल्स, ग्रेवी चिकन बॉल्स, चिकन मंचूरियन बॉल्स एवं अन्य.
गर्म, कुरकुरी, सुनहरी चिकन बॉल्स एक स्वादिष्ट स्नैक है जो किसी भी पार्टी, टी टाइम पार्टी की जान होती है। आप इस स्वादिष्ट नॉन-वेजिटेरियन ऐपेटाइज़र को घर पर बने मेयोनेज़ में साइट्रस का स्वाद के साथ या ताज़ी पिसी हुई काली मिर्च की गर्माहट के साथ भी सर्व कर सकते हैं। खासतौर पर बच्चे इस अधिक लाइक करते हैं क्योंकि उन्हे चिकेन ग्रेवी से अलग एक स्नॅकस लुक मिलती है और आप इसे उनके टिफिन मे डाल सकते हैं।
चिकन बॉल्स बाहर से कुरकुरे और अंदर से नरम, रसीले होते हैं और सही सामग्री और विधि अपनाकर आप घर पर ही रेस्टोरेंट जैसा टेस्ट पा सकते हैं।
आइए जानें इसकी पूरी रेसिपी:
गर्म, कुरकुरी, सुनहरी चिकन बॉल्स बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इसे समय देकर बनाएं ताकि यह स्वादिष्ट और खास प्रकार का रेसिपी बन जाए। इसके लिए जरूरी सामग्री निम्न है-
ज़रूरी सामग्री (Ingredients)
चिकन कीमा – 500 ग्राम
प्याज़ – 1 (बारीक कटा हुआ)
अदरक-लहसुन पेस्ट – 1 टेबलस्पून
हरी मिर्च – 1 (बारीक कटी हुई)
हरा धनिया – 2 टेबलस्पून (कटा हुआ)
काली मिर्च पाउडर – ½ टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर – ½ टीस्पून
गरम मसाला – ½ टीस्पून
नमक – स्वादानुसार
ब्रेड क्रम्ब्स – ½ कप
अंडा – 1 (फेंट लें)
कॉर्नफ्लोर – 2 टेबलस्पून
तेल – तलने के लिए
बनाने की विधि (Step-by-step Recipe)
1. तैयारी करें
इस को बनाने के लिए चिकन को ठंडे पानी से अच्छी तरह धो लें और एक बड़े कटोरे में रख दें। दूसरी तरफ, ओवन को गरम करें और अब एक बड़े बर्तन में चिकन कीमा, बारीक कटा प्याज़, हरी मिर्च, हरा धनिया, अदरक-लहसुन पेस्ट, काली मिर्च, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला और नमक डालें।
2. मिश्रण बनाएं
अब इस मिश्रण में ब्रेड क्रम्ब्स, अंडा और कॉर्नफ्लोर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब प्याज़ को चॉपिंग बोर्ड पर रखें और अच्छे से काट लें। फिर पनीर लें और उसे अच्छे से काट लें और चिकन को पीस लें। पनीर और चिकन को अलग-अलग कटोरी में रखें। इसके बाद लहसुन लें और उसे अच्छे से काट लें। मिश्रण को 15-20 मिनट के लिए फ्रिज में रखें ताकि वह सेट हो जाए।
3. बॉल्स बनाएं
अब इस मिश्रण से छोटे-छोटे गोल बॉल्स बनाएं। अगर मिश्रण चिपक रहा हो तो हाथों पर हल्का तेल लगाएं। चिकन बिल्कुल बारीक कीमा होना चाहिए, तब ही बॉल्स अच्छे बनेंगे। आप चाहें तो ब्रेड क्रम्ब्स की जगह सूजी (रवा) भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
4. तलना (Frying)
एक कड़ाही में तेल गरम करें और गरम तेल में मध्यम आंच पर चिकन बॉल्स को गोल्डन ब्राउन और क्रिस्पी होने तक तलें। इसमें कटा हुआ प्याज डालें और पारदर्शी होने तक भूनें। अब एक बड़ा कटोरा लें और उसमें तले हुए प्याज, पिसा हुआ चिकन, बिस्किट मिक्स, कसा हुआ पनीर, कटा हुआ लहसुन और मिर्च के गुच्छे को एक साथ मिलाएँ। इन चिकन बॉल्स को तब तक बेक करें जब तक कि वे भूरे रंग के न हो जाएँ। तेल से निकालकर पेपर नैपकिन पर रखें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए।
इन चिकन बॉल्स को आप ग्रीन चटनी, मयोनीज़ या टमैटो सॉस के साथ गरमा गरम परोस सकते हैं। चाहें तो इन्हें नूडल्स या फ्राइड राइस के साथ भी परोसा जा सकता है।
Kanjirankulam Bird Sanctuary:कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण पक्षी संरक्षण क्षेत्र है जो प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक शानदार गंतव्य है।
कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो रामनाथपुरम जिले के कांजीरनकुलम गांव के भीतर स्थित है। केबीएस का अनुमानित क्षेत्र कीला (निचला) कांजीरनकुलम (66.66 हेक्टेयर) और मेला (ऊपरी) कांजीरनकुलम (30.231 हेक्टेयर) के बीच विभाजित है। तमिलनाडु में कुल सत्रह घोषित पक्षी अभयारण्य हैं हालांकि कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान करीब 40 प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करता है।
यह मछलियों के भोजन, अंडे देने की जगह, नर्सरी और/या प्रवास पथ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का भंडार निर्भर करता है।
बरसात के मौसम में बांधों के भीतर जमा होने वाला अतिरिक्त पानी बाद में कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता है। अभयारण्य एक कुशल बाढ़ नियंत्रण, बाढ़ भंडारण तंत्र के लिए भंडार स्थान के रूप में कार्य करता है।
भारत के तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्थल के रूप में प्रसिद्ध है यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं।
ये स्थल पक्षियों के प्रजनन, घोंसले के शिकार, आश्रय, चारागाह और ठहरने के स्थलों के रूप में कार्य करते हैं। यह आर्द्रभूमि आईयूसीएन रेडलिस्ट विलुप्त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों जैसे स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) का पालन करती है।
प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर और फरवरी के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं। यह स्थल आईबीए के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है।
भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट
आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं।
Point Of View: अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि-"जीवन के सुख को ढूंढना शुरू करें, न कि कभी भी खोने का ख़याल करें" और निश्चित ही जीवन में प्रसन्नता पाने के लिए महत्वपूर्ण उक्तियों में से यह सर्वाधिक पूर्ण और योग्य है. प्रसन्नता एक ऐसा भाव है जो हमारे जीवन में सकारात्मकता लाता है। यह हमें ऊर्जावान, सकारात्मक और उत्पादक बनाता है। प्रसन्नता के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें इन लाभों को प्राप्त करने की आवश्यकता है। उचित तो यह होगा कि जीवन में प्रसन्नता वाले पलों की एक डायरी बना कर आप हमेशा अपने पास रखें. प्रसन्न रह कर किया जाने वाले काम हमें थकने नहीं देता और जीवन में सफलता के एकमात्र यही सत्य है.
हम प्रसन्न होते हैं, तो हम चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक तैयार होते हैं और हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक दृढ़ संकल्पित होते हैं। बेहतर स्वास्थ्य, मजबूत संबंध, अधिक रचनात्मकता और अधिक सहनशीलता मानवीय विशेषताएं है जिनसे आप प्रसन्न रहना सीख सकते हैं. प्रसन्नता एक ऐसी चीज है जो आपके नियंत्रण में है। अपने जीवन में प्रसन्नता लाने के लिए प्रयास करें और आप देखेंगे कि यह आपकी सफलता के लिए एक शक्तिशाली शक्ति हो सकती है। प्रसन्न रहना सीखना एक महत्वपूर्ण कौशल है जो हमें सफल होने में मदद कर सकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप कैसे प्रसन्न रहना सीख सकते हैं:
1. अपने जीवन में सकारात्मक चीजों पर ध्यान दें-
अपने जीवन में सकारात्मक चीजों पर ध्यान दें। जब आप सकारात्मक चीजों पर ध्यान देते हैं, तो आपके पास नकारात्मक चीजों पर ध्यान देने की संभावना कम होती है। जब हम सकारात्मक चीजों पर ध्यान देते हैं, तो हमके पास नकारात्मक चीजों पर ध्यान देने की संभावना कम होती है। अपने जीवन में सकारात्मक चीजों को नोटिस करने के लिए समय निकालें, भले ही वे छोटी चीजें हों। उदाहरण के लिए, आप अपने परिवार और दोस्तों की सराहना कर सकते हैं, प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, या अपने लक्ष्यों की प्रगति पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
"मुस्कान कभी भी भले ही छोटी हो, पर इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है।" - Unknown
2. कृतज्ञता का अभ्यास करें-
कृतज्ञता का अभ्यास करें। रोजाना कुछ चीजों के लिए कृतज्ञ होने की कोशिश करें, भले ही वे छोटी चीजें हों। कृतज्ञता का अभ्यास करना प्रसन्नता के स्तर को बढ़ाने का एक शक्तिशाली तरीका है। रोजाना कुछ चीजों के लिए कृतज्ञ होने की कोशिश करें, भले ही वे छोटी चीजें हों। आप एक कृतज्ञता जर्नल रख सकते हैं, अपने दोस्तों और परिवार के साथ कृतज्ञता की बातचीत कर सकते हैं, या कृतज्ञता के अभ्यास के लिए एक ऐप का उपयोग कर सकते हैं।
3. अपने जीवन में खुशी लाने के लिए चीजें करें-
जिन चीजों में आपको आनंद आता है, उन्हें करने के लिए समय निकालें। अपने शौक का पालन करें, नए अनुभवों का अन्वेषण करें, या अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। अपने जीवन में खुशी लाने के लिए आप जो भी कर सकते हैं, वह करें।
4. अपने आप को दूसरों की मदद करने के लिए समर्पित करें-
दूसरों की मदद करने से आपको अच्छा महसूस होता है और यह आपके जीवन में अधिक अर्थ जोड़ता है। अपने स्थानीय समुदाय में स्वयंसेवा करें, एक कारण के लिए दान करें, या किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करें। दूसरों की मदद करना एक सरल तरीका है जो आपकी खुशी को बढ़ा सकता है।
5. अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करें-
जब आप नकारात्मक विचारों या भावनाओं का अनुभव करते हैं, तो उन्हें बदलने का प्रयास करें। अपने विचारों को अधिक सकारात्मक दिशा में निर्देशित करें और अपने भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करें। नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दबाने से बचें, क्योंकि इससे वे और भी बदतर हो सकते हैं।
6. स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं-
स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। स्वस्थ आहार खाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें।स्वस्थ जीवन शैली जीने से आपको शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है, जिससे आपको खुशी महसूस करने की संभावना अधिक हो सकती है।
7. अपने आसपास के लोगों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखें-
अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करें। जब आप नकारात्मक विचारों या भावनाओं को महसूस करते हैं, तो उन्हें बदलने का प्रयास करें। सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने से आपको खुश रहने में मदद मिल सकती है। ऐसे लोगों के साथ जुड़ें जो आपको उत्साहित करते हैं और आपको अच्छा महसूस कराते हैं। नकारात्मक लोगों से दूर रहें जो आपकी खुशी को कम कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण कोट्स-
"जीवन के सुख को ढूंढना शुरू करें, न कि कभी भी खोने का ख़याल करें।" - Albert Einstein
"मुस्कान दुनिया को सुंदर बना देती है।" - Unknown
"आपके चेहरे पर मुस्कान रखने से आप खुद को भी अच्छा महसूस करते हैं और दूसरों को भी अच्छा महसूस करवा सकते हैं।" - Les Brown
"जीवन में कभी-कभी आपको अपनी मुस्कान का कारण बनना पड़ता है।" - Thich Nhat Hanh
"मुस्कान कभी भी भले ही छोटी हो, पर इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है।" - Unknown
"खुश रहने का एक तरीका यह है कि आप अपने सुररेखा पर केंद्रित हों, न कि अपनी समस्याओं पर।" - David DeNotaris
"मुस्कान एक भयंकर सामरिक हथियार है, जिससे आप दूसरों को जीत सकते हैं।" - Dale Carnegie
"मुस्कान से हम दुनिया को हंसी और प्रेम की ओर बढ़ाने में मदद करते हैं।" - Sri Sri Ravi Shankar
"मुस्कान से आपका दिल भी खुश रहता है और दूसरों को भी खुशी मिलती है।" - Unknown
"जीवन में हर पल को मुस्कान के साथ जियें, क्योंकि यह हमें और भी खूबसूरत बना देता है।" - Dolly Parton
Point Of View : सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) जिन्हे लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है वह भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री थे. सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) पेशे से एक वकील थे और उनका जिनका जन्म 31 अक्टूबर को हुआ था। सरदार पटेल ने अपने कुशलता और अपने सामर्थ्य के बल पर लगभग हर रियासत को भारत में विलय के लिए राजी कर लिया था । पटेल का अहिंसा के वारे में कहना था कि -"जिनके पास शस्त्र चलाने का हुनर हैं लेकिन फिर भी वे उसे अपनी म्यान में रखते हैं असल में वे अहिंसा के पुजारी हैं. कायर अगर अहिंसा की बात करे तो वह व्यर्थ हैं"
सरदार पटेल कहा करते थे कि " भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।"
देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत रहा है पटेल का जीवन और उनके जीवन का इतिहास और लिए गए ऐतिहासिक निर्णय यह साबित करते हैं।।
भारतीयता और देश को एक सूत्र में पिरोने के अपने सिद्धांतो को प्राथमिकता देते हुए सरदार पटेल कहा करते थे कि "हर भारतीय को अब भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत, एक सिख या जाट है। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसके पास अपने देश में हर अधिकार है लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ।"
सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel): प्रमुख कोट्स
आम प्रयास से हम देश को एक नई महानता तक ले जा सकते हैं, जबकि एकता की कमी हमें नयी आपदाओं में डाल देगी।
जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को म्यान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।
इस मिट्टी में कुछ खास बात है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास बना रहा है।
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"
मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
हर भारतीय को अब भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत, एक सिख या जाट है। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसके पास अपने देश में हर अधिकार है लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ।
कठिन समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।
अहिंसा को विचार, शब्द और कर्म में देखा जाना चाहिए। हमारी अहिंसा का स्तर हमारी सफलता का मापक होगा।
बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
डीआरडीओ) ने ओडिशा तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए।
वैशाली, बिहार
बिहार के वैशाली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मारक स्तूप का उद्घाटन किया गया।
1958 और 1962 के बीच हुई खुदाई के दौरान प्राप्त भगवान बुद्ध का अस्थि कलश संग्रहालय की पहली मंजिल पर स्थापित किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस - 29 जुलाई
2025 का विषय: "स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों को केंद्र में रखते हुए बाघों के भविष्य को सुरक्षित करना।"
भारत ने 2025 तक 58 बाघ अभयारण्यों के साथ बाघ संरक्षण को मज़बूत किया है।
भारत में बाघ अभयारण्यों की कुल संख्या 2014 में 46 से बढ़कर 2025 में 58 हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है और 2025 का विषय है "स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों को केंद्र में रखते हुए बाघों के भविष्य को सुरक्षित करना।"
भगवान बुद्ध की पवित्र पिपरहवा निशानियां
भगवान बुद्ध की पवित्र पिपरहवा निशानियां 127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद स्वदेश वापस आ गई हैं.
पिपरहवा निशानियां 1898 में खोजी गई थीं, किंतु औपनिवेशिक काल के दौरान इन्हें भारत से बाहर ले जाया गया था।
इस वर्ष की शुरुआत में ये एक अंतरराष्ट्रीय नीलामी में यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि ये स्वदेश वापस आ जाएं।
भरत लाल
"भारत में बाघ अभयारण्यों के झरने" पुस्तक के लेखक
डॉ. एस.पी. यादव
"भारत के बाघ अभयारण्यों के अंदर जल निकाय" पुस्तक के लेखक
आईसीजीएस अटल
यह एक तेज़ गश्ती पोत है। आईसीजीएस अटल
ये गश्ती नौकाएँ 52 मीटर लंबी हैं, 320 टन भार वहन करती हैं और उन्नत समुद्री निगरानी के लिए सुसज्जित हैं।
पूगा घाटी, लद्दाख
लद्दाख की बर्फीली ऊंची घाटियों में स्थित पूगा घाटी में एक प्राकृतिक गर्म झरना पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत के रहस्यों को समेटे हुए हो सकता है।
भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक महत्वपूर्ण खोज की है, जो न केवल पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में हमारी समझ को पुनः परिभाषित करेगी, बल्कि मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन के जैव-संकेतों की खोज से संबंधित खगोलीय जैविक प्रक्रिया पर भी प्रकाश डालेगी।
सिमबेक्स-25
सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (सिमबेक्स-25) के 32वें संस्करण का आयोजन सिंगापुर में।
सिम्बेक्स भारत और सिंगापुर के बीच मजबूत नौसैनिक संबंधों का एक प्रमाण है, जो एक साझा विजन को प्रदर्शित करता है।
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन
महाराष्ट्र ने डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के सम्मान में 'सतत कृषि दिवस' मनाने का निर्णय लिया है।
सीमा
एक एथलीट जो विश्व विश्वविद्यालय खेलों में 5000 मीटर दौड़ में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
खेलों का 32वां संस्करण जर्मनी के छह शहरों में आयोजित किया जा रहा है।
ऑपरेशन महादेव
यह कोडनेम है जिसके तहत सेना के पैरा कमांडो ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था।
भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान और शुभमन गिल ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी खास परिचय कि मोहताज नहीं होती है और सफल लोग चीजों को बस अलग तरीके से करते हैं। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में दोहरा शतक लगाकर इतिहास रचते हुए गिल ने कप्तानी पाली खेलते हुए किसी भारतीय कप्तान द्वारा टेस्ट मैचों में सर्वोच्च स्कोर को बनाकर ऐसा रिकार्ड बनाया है जिसे तोड़ना किसी भी कप्तान के लिए आसान नहीं होगा। Edgbaston टेस्ट (दूसरा टेस्ट), जुलाई 2025 में उसने पहली इनिंग में 269 और दूसरी इनिंग में 100* बनाकर इतिहास रच दिया।
आज गिल भारतीय क्रिकेट टीम के एक उभरते हुए सितारे हैं और क्रिकेट के वह नए भविष्य भी है। 2023 में जबसे उन्हे उन्हें टेस्ट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया इसके बाद उन्होंने बतौर अपनी प्रातिभा को और निखारने मे सफलता पाई है। भारत के 37वें टेस्ट कप्तान बने शुभमन गिल ने 2019 में वनडे क्रिकेट मे पदार्पण किया था। 2020 में टेस्ट टीम मे शामिल किया गया और 2023 में टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया करने वाले गिल को "भारतीय क्रिकेट का राजकुमार" भी कहा जाता है.
करियर-टू‑डेट आँकड़ों (जुलाई 5, 2025 तक) प
पूरा नाम: शुबमन सिंह गिल
जन्म: 8 सितंबर 1999, फिरोजपुर, पंजाब
भूमिका: राइट‑हैंडेड बैट्समैन, आईपीएल में गुजरात टाइटन्स के लिए अहम
भारतीय टेस्ट कप्तान: मई 2025 में इंग्लैंड दौरे से
भारतीय कप्तान के रूप में सर्वाधिक रन
सिर्फ दूसरे ही टेस्ट में गिल ने कप्तान के तौर पर 308* रन बनाए
गुजरात टाइटन्स के लिए अब तक 4 शतकीय पारियाँ और 74 छक्के ।
शुभमन ने 387 गेंदों पर 269 रन बनाए, जिसमें 30 चौके और 2 छक्के शामिल रहे.
टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले भारतीय कप्तान
लीड्स टेस्ट मैच में शुभमन ने पहली पारी में 147 और दूसरी पारी में 8 रन बनाए थे.
विदेशी धरती पर 250 से अधिक का स्कोर (भारतीय बैटर)
309- वीरेंद्र सहवाग vs पाकिस्तान, मुल्तान, 2004
270- राहुल द्रविड़ vs पाकिस्तान, रावलपिंडी, 2004
269-शुभमन vs इंग्लैंड एजबेस्टन 2025
अंतरराष्ट्रीय करियर-टेस्ट
अंतरराष्ट्रीय करियर के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो उन्होंने 34 टेस्ट मैच खेल है जिसके 63 इनिंगस मे 42.4 के औसत से 2,417 रन बनाए हैं। इनमे 7 सेन्चरी और 08 हाफ सेन्चरी भी शामिल है।
मैच: 34,
इनिंग्स: 63,
रन: 2,417,
सेन्चरी : 7,
पचास: 8,
उच्चतम स्कोर: 269
वनडे (ODI)
एक दिवसीय मैचों मे गिल ने कुल 55 मैच खेले हिन जिसमे 55 के औसत से 2,775 ठोके हैं। औरत उनका 59.04 और स्ट्रिक्ट रेट 99.57 है।
Shubman Gill Total Centuries in ODI
शुबमन सिंह गिल ने एकदिवसीय मैचों मे अभी तक कुल 8 सेन्चरी मार चुकेहैं। उन्होंने एक दिवसीय कुल 55 मैचों मे कुल 55 इनिंगस खेल कर 59.04 के औसत से रन बनाएं हैं।
मैच: 55,
इनिंग्स: 55,
औसत: 59.04,
SR: 99.57
सेन्चरी : 8
उच्चतम स्कोर: 208
टी‑20 इंटरनेशनल
टी‑20 इंटरनेशनल मे भी सुभमन गिल ने कुल 21 खेलते हुए 21 इनिंगस मे 30.42 के औसत से 578 रन बनाए हैं।
मैच: 21,
इनिंग्स: 21,
रन: 578,
औसत: 30.42,
SR: 139.28
सेंचुरी : 1,
उच्चतम स्कोर: 126
54 वर्षों में किसी भारतीय का इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट में 350+ रन का रिकॉर्ड भी उन्होंने ही बनाया ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 124 वें संस्करण मे कुल 12 किलों का चर्चा किया है जिसे UNESCO ने World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है। UNESCO ने जिन 12 मराठा किलों को World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है, उनमे शामिल है सलहेर या साल्हेर किला (Salher Fort) का किला। आइए जानते हैं कि सलहेर के का क्या है विशेषता जिसके कारण UNESCO ने इसे World Heritage Sites के रूप में मान्यता दिया है।
साल्हेर किला (Salher Fort) महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थल है। सलहेर किला" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह महाराष्ट्र के नासिक जिले की सतना तहसील के सलहेर गाँव के पास स्थित है।
किला सह्याद्री पर्वतमाला में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 5,141 फीट (1,567 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे महाराष्ट्र का सबसे ऊँचा किला बनाता है।
साल्हेर किला महाराष्ट्र के नासिक जिले के बगलान तालुका में साल्हेर गाँव के पास स्थित एक ऐतिहासिक किला है । यह किला समुद्र तल से 1,567 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। साल्हेर किला साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के लिए एक लोकप्रिय स्थल है।
1671 में यह किला महाराजा शिवाजी के नेतृत्व में था। 1672 में मुगलों ने इस किले पर हमला किया और यह लड़ाई मराठों ने जीत ली।
प्राचीन समय में यह किला शिलाहार वंश के अधीन था लेकिन 17वीं शताब्दी में यह किला शिवाजी महाराज के अधीन आया। साल्हेर किला खास तौर पर ऐतिहासिक रूप से मराठा साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य के बीच संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा है।
1672 ई. में इस किले पर मराठों और मुगलों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध हुआ जिसे "साल्हेर का युद्ध" कहा जाता है। यह युद्ध मराठों की पहली बड़ी विजय थी जिसमें उन्होंने मुगलों को हराया।
किला न केवल एक ऐतिहासिक गाथा का प्रतीक है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक अनुभव का संगम भी है। यह स्थान इतिहास, ट्रेकिंग और प्राकृतिक दृश्यों में रुचि रखने वालों के लिए एक आदर्श स्थल है।
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रथाओं में से एक है जिसके अंतर्गत कांवड़िये (भक्त) गंगा नदी (आमतौर पर हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री से) से पवित्र जल लेकर निकटवर्ती शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा वह प्रथा है जिसमें लोग पवित्र नदी से पवित्र जल लेते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। शिवलिंग पर पवित्र जल चढ़ाने के पवित्र अभियान का हिस्सा बनने वाले कांवड़ यात्रियों को कांवड़िये कहा जाता है। वास्तव मे काँवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि यह एक आस्था और भक्ति से जुड़ा श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक भी है।
वास्तव में, कांवड़ यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर है क्योंकि यह एक प्रकार की आध्यात्मिक यात्रा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है जो कांवड़ियों से उनकी इच्छाशक्ति की परीक्षा और भगवान शिव के प्रति उनके गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में मांग करती है।
भारत में सावन (श्रावण) के महीने में हरिद्वार, गौमुख, बैद्यनाथ, नीलकंठ, काशी विश्वनाथ आदि सभी प्रसिद्ध शिवलिंगों के दर्शन के लिए कांवड़ यात्रा विशेष रूप से मनाई जाती है। कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है और भक्तों द्वारा यात्रा करने के तरीके के आधार पर इसे मोटे तौर पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे डाक कांवड़, बैठी कांवड़, साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़ आदि। आपको यहाँ कांवड़ यात्रा, सावन में यह क्यों मनाई जाती है, और कांवड़ यात्रा के प्रकार आदि के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
कांवड़ यात्रा क्या है?
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जिसके तहत वे पवित्र जल उठाते हैं और उसे प्रसिद्ध शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस पवित्र यात्रा को कांवड़ यात्रा के रूप में जाना जाता है, जिसके दौरान भक्त हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री या सुल्तानगंज जैसे स्थानों से गंगा नदी का पवित्र जल लाने के लिए अधिकतर पैदल यात्रा करते हैं। भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति के अनुसार, वे कांवड़ सजाते हैं, अर्थात वह उपकरण जिसके माध्यम से वे कांवड़ ले जाते हैं। लंबी दूरी तय करने के बाद, वे इसे स्थानीय या प्रसिद्ध शिव मंदिरों, विशेष रूप से झारखंड के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम (देवघर) या उत्तराखंड के नीलकंठ महादेव में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा क्यों मनाई जाती है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र महीना सावन या श्रावण भगवान शिव की पूजा और पवित्र जल चढ़ाने का महीना है। पूरा सावन महीना भक्तों के लिए भगवान शिव की पूजा करने के लिए उपयुक्त है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पी लिया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था (और नीलकंठ बन गए थे)। भक्त शिवलिंग को शीतलता प्रदान करने के लिए उस पर गंगा जल चढ़ाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अपनी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सावन में गंगा जल चढ़ाने से आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और पापों व पिछले कर्मों से मुक्ति मिलती है।
कांवड़ यात्रा के प्रकार:
भक्तों द्वारा की जाने वाली यात्रा के आधार पर कांवड़ यात्रा को मोटे तौर पर निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
डाक कांवड़
कांवड़ यात्रा का सबसे तेज़ रूप जिसमें भक्त गंगा स्रोत से मंदिर तक बिना रुके दौड़ते या जॉगिंग करते हैं और इसे कांवड़ यात्रा का एक कठिन मार्ग माना जाता है। यह कांवड़ यात्रा का कठिन मार्ग है जो आमतौर पर बिना सोए एक ही बार में किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पवित्र नदी से जल लेने के 24 घंटे के भीतर शिव को पवित्र जल अर्पित किया जाता है।
बैठी काँवर
बैठी काँवड़ की प्रथा के तहत, पूरी यात्रा के दौरान काँवर को कभी ज़मीन पर नहीं रखा जाता। भक्त इसे वैकल्पिक रूप से या कंधों का उपयोग करके ले जाते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करते हैं कि पवित्र नदी से काँवर उठाने के बाद यह ज़मीन को न छुए।
खड़ी काँवर
भक्तों के विश्राम के समय काँवर को सीधा खड़ा रखा जाता है और इसे गिरना या झुकना नहीं चाहिए—अगर ऐसा होता है तो इसे अशुभ माना जाता है।
झूला काँवर
झूला काँवर के अंतर्गत काँवर को कंधों पर संतुलित एक डंडे पर लटकाकर ले जाया जाता है। संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों सिरों पर जल के घड़े लटकाए जाते हैं।
संकल्प काँवर
संकल्प काँवर के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि भक्तों को पूर्ण उपवास की स्थिति में पवित्र जल अर्पित करना होता है। काँवरिये शिवलिंग पर जल अर्पित करने तक उपवास रखते थे।
साइकिल/बाइक/वाहन कांवड़
यह कांवड़ यात्रा का आधुनिक रूप है जिसके अंतर्गत कांवड़िये लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए साइकिल, बाइक या यहां तक कि ट्रक का उपयोग करते हैं।
काँवड़ यात्रा के दौरान किन सावधानियों का पालन करना है जरूरी?
अगर आप काँवड़ यात्रा पर जाने कि तैयार कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप कुछ सावधानियों को बरते और किसी किस्म कि लापरवाही से बचें। स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़ी सावधानियों के साथ है यह जरूरी है कि आप धार्मिक मर्यादा और अनुशासन का ध्यान रखें। इसके अतिरिक्त क्योंकि रात में काँवड़ यात्रा के साथ ही सड़क पर दूसरे वाहन और सवारी और गाड़ियों को भी गुजरना होता है इसलिए यह जरूरी है कि आप यातायात नियम का पालन करें और रात में रिफ्लेक्टिव जैकेट पहन कर ही यात्रा करें। खाली पेट यात्रा न करें और हल्का और सात्त्विक भोजन करें साथ ही डिहाइड्रेशन से बचें तथा खूब पानी पिएं, नींबू पानी या ORS साथ रखें।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।
Sawan 2025 Date Time Puja Muhurat: आज अर्थात 5 अगस्त को सावन महीने का अंतिम सोमवार पड़ रहा है. वैसे तो सावन का प्रत्येक दिन भगवान शंकर को जलाभिषेक के लिए युपयुक्त माना जाता है लेकिन सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. ख़ासतौर पर सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है.
हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है जो पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। भक्तजनों का ऐसा विश्वास है कि सावन के महीने मे भगवान शंकर का पूजन और जलाभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल अर्थात 2025 में चार सोमवार पड़ रहें हैं। तो आइए जानते हैं कि इस सावन मे पहला सोमवार कब पड़ेगा और जानिए पहले सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त क्या है।
सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और शिवभक्त सालभर से इस पवित्र महीने का इंतजार करते हैं। देवों के देव महादेव अर्थात भगवान शंकर और शिव के पूजन के लिए सावन का महिना सबसे पवित्र माना जाता है। वैसे तो सावन के इस पवित्र महीने का हर दिन सुख और समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान शंकर से आशीर्वाद मांगने का दिन होता है, लेकिन सावन के सोमवार को भगवान शंकर के व्रत (सोमवार व्रत) के लिए विशेष अवसर माना जाता है।
क्यों करते हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक?
ऐसी मान्यता है कि इस महीने के दौरान भगवान शिव ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले घातक हलाहल विष का सेवन किया था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से कई दिव्य चीज़ें निकली थीं, लेकिन उनमें हलाहल भी शामिल था, जो एक ख़तरनाक ज़हर था। दुनिया को इसके प्रभाव से बचाने के लिए भगवान शिव ने ज़हर पी लिया और इसे अपने गले में रख लिया, जिससे ज़हर नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया।
ज़हर के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को गंगा जल अर्पित किया। माना जाता है कि यह दिव्य घटना श्रावण के महीने में हुई थी। इसलिए, यह महीना शिव भक्ति को समर्पित है और सावन के दौरान उनकी पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।कहा जाता है कि विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने शिव पर गंगा जल डाला और भक्ति का यह कार्य सावन के दौरान विशेष पूजा और उपवास के माध्यम से जारी रहता है। कहा जाता है कि भगवान शंकर ने उस हलाहल विष को अपने कंठ पर हीं रोककर उसके असर को खतम कर दिया था और इसलिए भगवान शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है।
सावन सोमवार पूजा विधि (पूजा विधि)
हालांकि सावन के इस पवित्र महीने का हर दिन भगवन शंकर के पूजन के लिए उत्तम माना जाता है और भक्तजन अपने सुख और समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान शंकर से आशीर्वाद मांगने का दिन होता है, लेकिन सावन के सोमवार को भगवान शंकर के व्रत (सोमवार व्रत) के लिए विशेष अवसर माना जाता है।
सावन सोमवार पूजा के लिए सबसे जरूरी है कि खुद को पवित्र करें जिसमें शामिल है तन और मन से पवित्र होना। इसके लिए वैसे तो आप विभिन्न पूजा कि पुस्तकों से मदद ले सकते हैं, हालांकि आप निम्न स्टेप्स को अपनाकर सावन सोमवार का व्रत कर सकते हैं।
सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान करें।
अपने घर के मंदिर को साफ करें और शिवलिंग पर गंगाजल मिला हुआ जल या दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा, भस्म (पवित्र राख) और फल चढ़ाएं।
“ॐ नमः शिवाय” का जाप करें या शिव चालीसा का पाठ करें।
पूरे दिन व्रत रखें और शाम को पूजा करने के बाद व्रत तोड़ें।
संभव हो तो नज़दीकी शिव मंदिर जाएँ।
शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले भक्तजन को विशेष पुण्य मिलता है। इस महीने मे श्रद्धालु पवित्र जल को लेकर पैदल चलकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं। शिव पुराण के अनुसार मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शंकर को शीतलता और प्रसन्न करने का माध्यम माना गया है। इसके साथ ही सावन के प्रत्येक सोमवार कि विशेष महता है और ऐसा करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।
आज अर्थात 5 अगस्त को सावन महीने का अंतिम सोमवार पड़ रहा है. वैसे तो सावन का प्रत्येक दिन भगवान शंकर को जलाभिषेक के लिए युपयुक्त माना जाता है लेकिन सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. ख़ासतौर पर सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है.सावन में जलाभिषेक का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर जल के साथ ही, दूध चढ़ाने की प्रथा कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इस प्रथा का पालन हिन्दू धर्म में किया जाता है, जहां शिवलिंग को महादेव शिव का प्रतीक माना जाता है। इस प्रतीक की पूजा और अर्चना मान्यताओं के अनुसार की जाती है।
दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने का मुख्य कारण मान्यता है कि दूध महादेव को प्रिय होता है और यह उन्हें प्रसन्न करने में सक्षम होता है। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का अन्य एक मान्यता है कि यह प्रतीक ग्रहणशीलता के रूप में काम करता है, अर्थात् शिवलिंग द्वारा दूध अदृश्य रूप से ग्रहण किया जाता है और महादेव को उसका प्रसाद मिलता है। इसके अलावा, दूध शिव की प्रकृति के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है, जिसे इस प्रतीक की पूजा में उपयोग किया जाता है।
शिवलिंग पर दूध का अन्य एक अर्थ संकेतिक हो सकता है। दूध को सफेद रंग का माना जाता है, जो शुद्धता, पवित्रता, और निर्मलता का प्रतीक हो सकता है। इस तरह, दूध को शिवलिंग पर चढ़ाकर, श्रद्धालुओं का अभिवादन किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि महादेव सभी दुःखों को दूर करें और अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें।
यह उल्लेखनीय है कि धार्मिक प्रथाओं के पीछे विशेषता और मान्यताओं का प्रभाव होता है और व्यक्ति के आस-पास के सांस्कृतिक संदर्भों पर भी निर्भर करता है। अलग-अलग समुदायों में इस प्रतीक की विशेषताएं और अर्थों में अंतर हो सकता है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की प्रथा का मूल आधार धार्मिक और पौराणिक कथाओं में पाया जा सकता है। यह प्रथा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है और इसका मतलब भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं जो इस प्रथा को समझाते हैं:
शिव के प्रतीक के रूप में:
शिवलिंग पौराणिक दृष्टिकोण से शिव की प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। इसे अभिवादन करके भक्ति और समर्पण का अभिप्रेत किया जाता है। दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्त अपनी पूजा और आराधना को शिव के प्रति समर्पित करता है और उनके श्रीमंत, स्नेही, और प्रसन्न होने की कामना करता है।
पहला सावन सोमवार व्रत 14 जुलाई, सोमवार
दूसरा सावन सोमवार व्रत 21 जुलाई, सोमवार
तीसरा सावन सोमवार व्रत 28 जुलाई, सोमवार
चौथा सावन सोमवार व्रत 4 अगस्त, सोमवार
पौराणिक कथाओं का महत्व:
कई पौराणिक कथाओं में शिव को दूध का प्रिय भोग माना जाता है। इन कथाओं में दूध उनके प्रसन्नता और कृपा का प्रतीक होता है। इसलिए, भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं ताकि उन्हें आनंदित करें और उनकी मनोकामनाएं पूरी हों।
शिव के अनुयायों का परंपरागत रिवाज:
दूध को शिव के लिए प्रिय भोग मानने और उनकी कृपा को प्राप्त करने की प्रथा शिव के भक्तों के बीच प्रचलित है। इसलिए, विशेष रूप से सावन महीने में शिवलिंग पर दूध की अर्पणा की जाती है, जब शिव भक्त अपने समर्पण और निष्ठा को दिखाते हैं।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि धार्मिक प्रथाओं में भक्ति और समर्पण के भाव को महत्व दिया जाता है, और इन प्रतिष्ठानों का स्वरूप और महत्व व्यक्तिगत विश्वास और आचार्यों द्वारा सिद्धांतों पर निर्धारित किया जा सकता है।