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सावन 2023:जाने क्यों चढ़ाते है शिवलिंग पर दूध और क्या है इसके पीछे मान्यता

Saavan 2023 why milk is offered to Shivling

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की प्रथा कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इस प्रथा का पालन हिन्दू धर्म में किया जाता है, जहां शिवलिंग को महादेव शिव का प्रतीक माना जाता है। इस प्रतीक की पूजा और अर्चना मान्यताओं के अनुसार की जाती है।

दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने का मुख्य कारण मान्यता है कि दूध महादेव को प्रिय होता है और यह उन्हें प्रसन्न करने में सक्षम होता है। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का अन्य एक मान्यता है कि यह प्रतीक ग्रहणशीलता के रूप में काम करता है, अर्थात् शिवलिंग द्वारा दूध अदृश्य रूप से ग्रहण किया जाता है और महादेव को उसका प्रसाद मिलता है। इसके अलावा, दूध शिव की प्रकृति के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है, जिसे इस प्रतीक की पूजा में उपयोग किया जाता है।

शिवलिंग पर दूध का अन्य एक अर्थ संकेतिक हो सकता है। दूध को सफेद रंग का माना जाता है, जो शुद्धता, पवित्रता, और निर्मलता का प्रतीक हो सकता है। इस तरह, दूध को शिवलिंग पर चढ़ाकर, श्रद्धालुओं का अभिवादन किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि महादेव सभी दुःखों को दूर करें और अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें।

यह उल्लेखनीय है कि धार्मिक प्रथाओं के पीछे विशेषता और मान्यताओं का प्रभाव होता है और व्यक्ति के आस-पास के सांस्कृतिक संदर्भों पर भी निर्भर करता है। अलग-अलग समुदायों में इस प्रतीक की विशेषताएं और अर्थों में अंतर हो सकता है।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की प्रथा का मूल आधार धार्मिक और पौराणिक कथाओं में पाया जा सकता है। यह प्रथा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है और इसका मतलब भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं जो इस प्रथा को समझाते हैं:

शिव के प्रतीक के रूप में: शिवलिंग पौराणिक दृष्टिकोण से शिव की प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। इसे अभिवादन करके भक्ति और समर्पण का अभिप्रेत किया जाता है। दूध को शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्त अपनी पूजा और आराधना को शिव के प्रति समर्पित करता है और उनके श्रीमंत, स्नेही, और प्रसन्न होने की कामना करता है।

पौराणिक कथाओं का महत्व: कई पौराणिक कथाओं में शिव को दूध का प्रिय भोग माना जाता है। इन कथाओं में दूध उनके प्रसन्नता और कृपा का प्रतीक होता है। इसलिए, भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं ताकि उन्हें आनंदित करें और उनकी मनोकामनाएं पूरी हों।

शिव के अनुयायों का परंपरागत रिवाज: दूध को शिव के लिए प्रिय भोग मानने और उनकी कृपा को प्राप्त करने की प्रथा शिव के भक्तों के बीच प्रचलित है। इसलिए, विशेष रूप से सावन महीने में शिवलिंग पर दूध की अर्पणा की जाती है, जब शिव भक्त अपने समर्पण और निष्ठा को दिखाते हैं।

यहां यह महत्वपूर्ण है कि धार्मिक प्रथाओं में भक्ति और समर्पण के भाव को महत्व दिया जाता है, और इन प्रतिष्ठानों का स्वरूप और महत्व व्यक्तिगत विश्वास और आचार्यों द्वारा सिद्धांतों पर निर्धारित किया जा सकता है।

गुरु पूर्णिमा: गुरु के महत्व को समर्पित है भक्ति, समर्पण और श्रद्धा का एक महान उत्सव

Gurupornima Fool Moon Importance Significance

गुरु पूर्णिमा एक हिन्दू त्योहार है जो हर साल आषाढ़ मास के पूर्णिमा दिन मनाया जाता है। यह पर्व गुरु को समर्पित है, जो हमारे जीवन में मार्गदर्शन करने वाले होते हैं। गुरु पूर्णिमा का महत्व विभिन्न आध्यात्मिक और सामाजिक पर्यावरण में होता है और यह भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए उन्हें पूजा और सम्मान करते हैं। यह एक परंपरागत रूप से विद्यार्थी और उनके गुरु के बीच एक आदर्श सम्बंध को दर्शाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग संगठन करके गुरु की पूजा करते हैं, वेद मंत्रों का पाठ करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह भक्ति, समर्पण और श्रद्धा का एक महान उत्सव है जो गुरु के महत्व को प्रकट करता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु से ज्ञान, उपदेश और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। यह उनकी साधना, स्वाध्याय और आत्म-परिश्रम की महत्वता को प्रतिपादित करता है। गुरु पूर्णिमा एक शिक्षा और संस्कृति का महान उत्सव है जो ज्ञान के महत्व को स्वीकार करता है और लोगों को शिक्षा के प्रति समर्पित करता है।

इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा पर्व को समाज में गुरु-शिष्य परंपरा को स्थापित करने और मान्यता देने का भी एक मौका माना जाता है। यह दिन भारतीय संस्कृति में शिक्षा का महत्व, शिक्षायात्री और गुरु के संबंध को संजोने का एक माध्यम है।

समस्त गुरुओं को सम्मान करते हुए, गुरु पूर्णिमा द्वारा हम अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त कर सकते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन से लाभ उठा सकते हैं। यह एक आदर्श मौका है अपने गुरुओं को गुरु पूर्णिमा के दिन सम्मानित करने का, उनकी कठिनाइयों को समझने का और उनके ज्ञान से अधिक सम्पन्न होने का।

पूर्णिमा हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एक त्योहार है, जो हर मास में आठवीं तिथि को प्रकट होता है। पूर्णिमा चंद्रमा के पूर्ण स्वरूप को दर्शाती है, जब चंद्रमा अपनी पूरी दिखाई देती है। यह दिन मान्यता के अनुसार स्पेशल और प्रामाणिक माना जाता है और इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

पूर्णिमा का महत्व बहुत सारे प्रशंसकों और विश्वासी लोगों के लिए अलग-थलग हो सकता है, लेकिन यहां कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं जिनके चलते इसे महत्वपूर्ण माना जाता है:

आध्यात्मिक महत्व: पूर्णिमा दिन आध्यात्मिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह एक मान्यता है कि पूर्णिमा दिन पर चंद्रमा और सूर्य की शक्तियों में वृद्धि होती है, जिससे मनुष्य की आध्यात्मिक ऊर्जा भी बढ़ती है। इस दिन पर ध्यान, पूजा, मेधावी गतिविधियों और पाठों का विशेष महत्व होता है।

व्रत और पूजा: पूर्णिमा के दिन विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और व्रत रखे जाते हैं। इस दिन लोग श्रीव्रत, सत्यनारायण व्रत, रखी व्रत, कार्तिकी पूर्णिमा, शारद पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा, आदि के व्रत रखते हैं। ये व्रत और पूजाएं सुख, समृद्धि, शांति, स्वास्थ्य, और पुण्य के लिए किये जाते हैं।

सांस्कृतिक महत्व: पूर्णिमा के दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग नच, गीत, कविता, और भजनों के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक एवं कला दृष्टि का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा रंगों के मेले, पाठशाला, कवि सम्मेलन, और नाटकों का आयोजन भी किया जाता है।

संस्कारिक महत्व: पूर्णिमा विवाह, नामकरण, जन्मदिन, मृत्यु, ग्रह प्रवेश, यज्ञ आदि के संस्कारिक कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इन दिनों को चुनकर विशेष संस्कार किये जाते हैं ताकि वे प्रभावी और सुखद रहें।

समाजिक महत्व: पूर्णिमा के दिन लोग मिलकर आपस में रंग-बिरंगे त्योहार मनाते हैं और खुशियों का आनंद लेते हैं। यह एक सामाजिक महोत्सव होता है जहां लोग मेल-जोल और एकता का आनंद लेते हैं।

पूर्णिमा का महत्व विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, और समाजिक आयामों में होता है। यह एक पवित्र दिन होता है जब लोग आध्यात्मिकता, धर्म, और संस्कृति के महत्व को मनाते हैं।

सावन 2023 में सोमवार व्रत और मनाने की विधि क्या है

Sawan Somwar 2023 dates puja vidhi mahatva

Sawan Somwar 2023: देवों के देव भगवन शंकर की स्तुति और पूजन के लिए सबसे पवित्र महीना सावन या श्रावण को माना जाता है जिसका आरंभ 4 जुलाई से होने जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 में सावन  दो माह का होने वाला है क्योंकि  सावन की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है इसलिए समापन 31 अगस्त को होगा। वैसे तो सावन में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार का अलग ही महत्व है लेकिन इस महीने में सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना  का अलग महत्त्व होता है। सावन मास के सोमवार को "सावन सोमवार" या "सावन के सोमवार व्रत" के रूप में जाना जाता है। सावन मास व्रतों को सभी सोमवारों पर मनाने की परंपरा है, लेकिन सावन मास के पहले सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है।

हालाँकि सोमवार के व्रत की अलग-अलग  विधि होती है और इसमें जगह विशेष के अनुसार परिवर्तन भी संभव है. हालाँकि ससमान्यता: सावन सोमवार व्रत की विधि निम्नलिखित प्रकार से की जाती है:

  1. प्रातःकाल में स्नान करें। इससे पूर्व शुद्धि के लिए सभी आवश्यकताएं पूरी कर लें।
  2. सौंधी समय के अनुसार सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  3. शिवलिंग पर बेलपत्र, धातू या फूल चढ़ा सकते हैं।
  4. शिवजी के नाम का जाप करें और मंत्रों का पाठ करें, जैसे- 'ॐ नमः शिवाय' और 'महामृत्युंजय मंत्र'।
  5. शिवलिंग के चारों तरफ जल चढ़ाएं और अर्चना करें।
  6. पूजा में फल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और पंचामृत का उपयोग करें।
  7. शिवजी की कथा, आरती और भजन का पाठ करें।
  8. भक्ति भाव से पूजा करें और भगवान शिव की कृपा की प्रार्थना करें।

ध्यान दें कि यह सामान्य रूप से अनुशासन पूर्वक रखे जाने वाले नियम हैं, और इसके अलावा विभिन्न  क्षेत्रों में व्रत मनाने की अपनी अलग-अलग परंपराएं हो सकती हैं। 

नजरिया जीने का: भगवान राम के व्यक्तित्व में पाएं उदारता,त्याग, निष्ठा, पितृभक्ति, वत्सलता और भी बहुत कुछ

najariya jine ka Lord Rama Life filled with Sacrifice Love

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का चरित्र अपने आप में अतुलनीय है जहाँ माता-पिता,गुरु,पत्नी,बंधु,सेवक,शत्रु-सभी अन्य कई सम्बन्धो की विशालता समाहित है और अनुकरणीय हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामउनके जीवन कथाएं उदाहरण स्वरूप के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। भगवान राम ने अपने जीवन और परिवार में सम्बन्धों के बीच विभिन्न आदर्शों को स्थापित करते हुए एक उदाहरण सेतु प्रस्थान किया है। इन भावनाओं को कुशलता से पालन करने के लिए, निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं:

निष्ठा (Faithfulness): भगवान राम ने अपने पत्नी सीता में निष्ठा और वचनबद्धता दिखाई। वे उनके प्रति पूर्ण समर्पण और सम्मान रखते थे।

त्याग (Sacrifice): भगवान राम ने राज्य के लिए अपनी सुखद और आरामदायक जीवनस्था को त्याग करके वनवास ग्रहण किया। इससे वे अपने परिवार के प्रति कर्तव्यपरायणता का प्रतीक बने।

बंधुत्व (Brotherhood): भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के प्रति गहरी प्रेम और बंधुत्व दिखाया। वे उन्हें सहायता और समर्थन प्रदान करते थे।

शालीन स्नेहभाव (Gentle Affection): भगवान राम ने अपने परिवार और सभी लोगों के प्रति शालीन स्नेहभाव रखा। वे मित्रता, प्यार और सम्मान के साथ सभी के साथ व्यवहार करते थे।

उदारता (Generosity): भगवान राम ने अपनी उदारता का प्रदर्शन किया और अन्य लोगों की मदद करने में आनंद लिया। वे दान और सेवा के माध्यम से समाज के प्रति अपना समर्पण दिखाते थे।

वत्सलता (Parental Love): भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ के प्रति वत्सलता और सम्मान दिखाया। वे उनकी आज्ञाओं का पालन करते थे और पितृभक्ति में प्रमुख थे।

ये उदाहरण भगवान राम के चरित्र में प्रमुख भावों की झलक दिखाते हैं और यह बताते हैं कि उन्होंने अपने सभी सम्बन्धों में उच्च आदर्शों को स्थापित करते हुए अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। इसके अलावा, उनका जीवन और उपदेश धार्मिक साहित्य में महत्वपूर्ण माने जाते हैं और लोगों के बीच सद्भाव, न्याय, और धार्मिक आदर्शों को प्रचारित करते हैं।


नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती

9वां वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के प्रतिष्ठित नॉर्थ लॉन प्रधानमंत्री मोदी ने किया नेतृत्व

 Yoga Day PM Modi in UN


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून, 2023 को न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के प्रतिष्ठित नॉर्थ लॉन में 9वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया।

इस वर्ष की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग' है। "वसुधैव कुटुम्बकम" यानी "एक पृथ्वी - एक परिवार - एक भविष्य"।

इस कार्यक्रम में 135 से अधिक देशों के योग के प्रति उत्साहित हजारों लोगों की जबरदस्त रुचि देखी गई, जिसने एक योग सत्र में अधिकतम संख्या में देशों के लोगों द्वारा भागीदारी के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस का एक वीडियो संदेश भी चलाया गया।

इस कार्यक्रम में 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष श्री साबा कोरोसी, न्यूयॉर्क सिटी के मेयर श्री एरिक एडम्स, संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह की अध्यक्ष सुश्री अमीना जे. मोहम्मद सहित कई महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्तियों तथा जीवन के सभी क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों - राजनयिकों, अधिकारियों, शिक्षाविदों, स्वास्थ्य पेशेवरों, प्रौद्योगिकीविदों, उद्योगजगत के दिग्गजों, मीडिया की हस्तियों, कलाकारों, आध्यात्मिक गुरुओं और योग साधकों ने हिस्सा लिया।

योग सत्र से पहले, प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की, जिसका उद्घाटन दिसंबर 2022 में भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दौरान किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने नॉर्थ लॉन में स्थित पीसकीपिंग मेमोरियल में श्रद्धांजलि अर्पित की।

फादर्स डे 2023: किसी महंगे तोहफे से नहीं, इन 5 सिंपल तरीकों से बनाएं फादर्स डे को खास

Father day importance history how to celebrate

फादर्स डे 2023:
फादर्स डे हर किसी के जीवन में पिता के योगदान को याद करने का महत्वपूर्ण दिन है। किसी के जीवन में पिता के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है जो हमारे जीवन में हर मुस्कान का कारण माना जाता है। फादर्स डे 2023 को सेलिब्रेट करने के लिए 
वैसे तो पूरी दुनिया फादर्स डे मनाने के अपने तरीके को देखती है और निश्चित ही यह सभी के लिए इस खास दिन को महत्वपूर्ण बनाने और एन्जॉय करने का अलग-अलग अंदाज हो सकता है. लेकिन हम यहाँ आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे जो की निश्चित ही किसी भी पिता के लिए अपने बच्चों से उम्मीद होती है जैसे  नके योगदानों को याद करें, अपने इमोशनल पल शेयर करें निश्चित हीं इन सुझाव के  द्वारा हम इस दिन को अतिरिक्त महत्वपूर्ण बना सकते हैं। जी हां, फादर्स डे मनाने के क्रम में हमें यह जरूर सोचना चाहिए कि कुल मिलाकर आप इस फादर्स डे को खास बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?


1. पिता के साथ समय बिताना: सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने सबसे प्यारे पिता के साथ हमारा समय बिताना एक पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपहारों में से एक होगा... हाँ इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुत अधिक तनाव और काम है समाप्त करने के लिए लेकिन पिता के साथ समय बिताना एक पिता के लिए उपयुक्त और संतोषजनक उपहार हो सकता है।

2. उनके योगदानों को याद करें: किसी की प्रशंसा करने के लिए उसके योगदानों को याद करने का यह सबसे उपयुक्त तरीका है। आपको परिवार को उनके नैतिक और भावनात्मक समर्थन को याद रखना चाहिए जिस पर परिवार की हमारी मजबूत इमारत स्थापित हुई। पिता के भावनात्मक और नैतिक समर्थन के मजबूत कंधों के बिना शारीरिक सहयोग के बिना परिवार की मजबूत इमारत बनाने की कल्पना कैसे की जा सकती है। निश्चित रूप से आपको उनके योगदानों को याद रखना चाहिए और उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।

3. अपने इमोशनल पल शेयर करें: दरअसल फादर्स डे सिर्फ एक दिन को याद करने के लिए नहीं है बल्कि यह उनके साथ अपनी भावनाओं और भावनाओं का आदान-प्रदान करने का दिन है. हां, उसके साथ अहम पलों के साथ अपनी इमोशनल और इमोशनल फीलिंग शेयर करना न भूलें। आपको अपने परिवार के साथ बिताए जीवन के सभी शानदार पलों को विशेष रूप से अपने पिता के साथ साझा करना चाहिए। आपको भी उनके सम्मान और प्यार और उनके सहयोग को जीवन भर याद रखना चाहिए जिसके लिए हमारा परिवार उनके साथ खड़ा है।

4. पिता की बात सुनें: बेशक पिता हमेशा के लिए आपके परिवार के शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्ति नहीं होते हैं, लेकिन वे अभी परिवार के लिए अधिक सम्मान और सम्मान के पात्र हैं। हां एक पिता अपनी पूरी जवानी और महत्वपूर्ण दिन एक परिवार के स्तंभ का निर्माण करने के लिए खर्च करता है और इसलिए यह आपका कर्तव्य है कि आप उसके संघर्षों और हमारे परिवार के लिए इन संघर्षों के पीछे की कहानियों को सुनें। हो सकता है कि उसके पास हर बार आपकी तरह शारीरिक रूप से ताकत न हो लेकिन उसके पास आपके साथ साझा करने के लिए कई कहानियाँ हैं और इसलिए पहले उसे सुनें और फिर अपनी भावनाओं को साझा करें।

5. उन पर ध्यान दें- चूंकि परिवार के साथ पिता के योगदान को याद करने के लिए यह सबसे अच्छा दिन है, इसलिए अपने पिता के स्वाद और शौक के बारे में भी ध्यान रखें। निश्चित रूप से यह पिता का दिन है इसलिए उन्हें अपने अनुसार दिन मनाने का निर्णय लेने दें। हां, आप बस उसकी देखभाल और समर्थन के साथ उसका पालन करें लेकिन उसे दिन की योजना के बारे में फैसला करना होगा।

गुरु सिंधु मिश्रा के शिष्या द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम नृत्य: देखें झलक

आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स 2 अप्रैल, 2023 (रविवार) को भक्ति संध्या - नवदुर्गा का आयोजन होने वाला है. ये आयोजन त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में शाम 6:30 बजे होने वाला है. ये एक शाम अभिभावक (guardian), एक मां और एक गुरु को समर्पित है.




इस आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स में गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा के शिष्य भरतनाट्यम नृत्य पाठ के रूप में नवदुर्गा के रूप में देवी को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे- जिसका न तो आदि है और न ही अंत, जिसकी महिमा अनंत है, और जिसकी दिव्य शक्ति के लिए हम कला, संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रयास करते हैं. शाम को गोस्वामी तुलसीदास और आदि शंकराचार्य जैसे संत कवियों की भक्ति कविताओं पर संगीतमय पेशकश पेश की जाएगी.



कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश पर एक भक्ति प्रदर्शन के साथ शुरू होगी, जिसे "गैये गणपति जग वंदन" कहा जाता है. इसके बाद नवदुर्गा स्तोत्रम होगा और एक पारंपरिक भरतनाट्यम के साथ समापन होगा. ये म्यूजिक, दिल्ली स्थित हिंदुस्तानी गायक, श्री नितिन शर्मा द्वारा रचित है. ऐसे में ये हिंदुस्तानी और कर्नाटक परंपरा का एक मनोरंजक इंटरप्ले पेश करता है. प्रोडक्शन पेश करने वाले कलाकारों के नामों में अर्शिया माथुर, कृतिका कुमार, रिया गुप्ता, श्रुति वर्मा, आइशाने भार्गव, शताक्षी गुप्ता, ईशा अग्रवाल और खुशी यादव हैं.

प्रोडक्शन के बारे में बात करते हुए, गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, “भारतीय पारंपरिक नृत्य (Indian traditional dance) के चाहने वालों को अच्छा अनुभव प्रदान करने के लिए हमने एक टीम के रूप में कड़ी मेहनत की. नवदुर्गा एक भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुति है जो हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत को न केवल लय में बल्कि स्वर में भी जोड़ती है. 

आगे श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा कि प्रोडक्शन का हिस्से बनने के लिए युवा कलाकारों के साथ, मुझे उन्हें भरतनाट्यम नृत्य शैली की कला को बढ़ावा देते हुए देखकर गर्व महसूस हो रहा है.

नजरिया जीने का: रामनवमी- जाने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवन राम के बारे में


राम नवमी हिंदू धर्म के कई सारे त्योहारों में से सबसे महत्वपूर्ण है जो भगवान राम की जयंती का प्रतीक है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था जिसे रामनवमी के रूप में हर साल मनाया जाता है.भगवान् राम ने जीवन और परिवार में सम्बन्धो के बीच समन्यव स्थापित करते हुए यह बताया है कि  निष्ठा, त्याग, बंधुत्व, शालीन स्नेहभाव,उदारता और वत्सलता जैसे जैसे भावों को किस प्रकार से कुशलता से पालन किया जा सकता है. उन्होंने हर सम्बन्धो में उच्च आदर्शों को स्थापित करते हुए किस प्रकार से अपने सभी कर्तव्यों का  पालन किया जा सकता हैं इसकी व्यापक झलक भगवान् राम के चरित्र में पाई जा सकती है. 

रामनवमी हर साल हिंदी के महीने के अनुसार चैत्र में पड़ता है. चैत्र नवरात्री जिसमे माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, उसी दौरान नवमी को भगवन राम के जन्म को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है. 

 नवरात्र का जश्न मनाने के लिए भक्तगण माता दुर्गा के विभिन्न रूपों का पूजन और  अनुष्ठान करते हैं तथा नवमी जिस दिन हम माँ सिद्धिदात्री पूजा करते हैं जो रामनवमी के दिन मनाई जाती है. 

रामनवमी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। रामायण जो हिंदू धर्म का धार्मिक महाकाव्य है जिसके अनुसार त्रेता युग में राजा दशरथ नामक एक सम्राट थे, जो भगवान् राम के पिता थे. हिन्दू धर्म के अनुसार यह मान्यता है कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर त्रेता युग में हुआ था।  

यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवन राम ही थे जिन्होंने राक्षस राजा रावण को परास्त किया, जिसने उसकी पत्नी सीता का अपहरण किया था।

राम नवमी का महत्व:

राम नवमी का त्यौहार वास्तव में पृथ्वी पर दैवीय शक्ति के आगमन का प्रतीक है क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार यह मान्यता है कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर बड़े पुत्र के रूप में जन्म लिया था।

रामनवमी क्योंकि भगवान राम का जन्म दिन है इसलिये भक्तगन इस दिन को खास त्यौहार के रूप में मनाते हैं. वास्तव में राम नवमी का उत्सव अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष को दर्शाता है। 

ऐसी मान्यता है कि सूर्य को भगवान राम का पूर्वज माना जाता है जो सूर्य शक्ति का प्रतीक है. इसलिए रामनवमी के दिन लोग भगवान् राम के साथ ही  सूर्य भगवान् की भी उपासना करते हैं. भक्तगण भगवन राम के साथ ही प्रभु हनुमान की पूजा करते हैं साथ ही राम के भक्त भक्ति गीत गाकर, धार्मिक पुस्तकों के पाठ सुनकर और वैदिक भजनों का जाप करके दिन मनाते हैं।


दिल्ली टूरिज्म फ़ूड फेस्टिवल’: अरेबियन, इंडोनेशियन, इतावली, मैक्सिकन, आस्ट्रेलियन, चाइनीज व्यंजन भी होंगे आकर्षण का केंद्र

Delhi Tourism Food Festival Facts

अगर  आप  भारतीय व्यंजनों के साथ-साथ लोग अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों का भी आनन्द उठाना चाहते हैं तो फिर राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले दिल्ली टूरिज्म फ़ूड फेस्टिवल आपके लिए  सर्वोत्तम डेस्टिनेशन है. दिल्ली में पर्यटन को बढ़ावा देने और उत्सवों के आयोजन के लिए प्रतिबद्ध केजरीवाल सरकार राजधानी के लोगों को इनका लुत्फ़ उठाने की श्रृंखला में मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘दिल्ली टूरिज्म फ़ूड फेस्टिवल’ का आयोजन करवा रही है|  टूरिज्म फ़ूड फेस्टिवल’ का  शुक्रवार को दिल्ली की पर्यटन मंत्री आतिशी ने इसका उद्घाटन किया| 

केजरीवाल सरकार दिल्ली में पर्यटन को बढ़ावा देने और उत्सवों के आयोजन के साथ राजधानी के लोगों को इनका लुत्फ़ उठाने की श्रृंखला में ‘दिल्ली टूरिज्म फ़ूड फेस्टिवल’ का आयोजन करवा रही है| मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित हो रहे इस तीन दिवसीय फ़ूड फेस्टिवल में भारतीय व्यंजनों के साथ-साथ लोग अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों का भी आनन्द ले सकेंगे| शुक्रवार को दिल्ली की पर्यटन मंत्री आतिशी ने इसका उद्घाटन किया| 

 फूड फेस्टिवल के उद्घाटन के मौक़े पर पर्यटन मंत्री आतिशी ने कहा, “दिल्ली टूरिज्म फूड फेस्टिवल राजधानी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण पहलों का  हिस्सा है।  

लजीज व्यंजनों का मिलेगा मौका 

फेस्टिवल के बारे में बताते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि भोजन स्वाद और संस्कृतियों का संगम है और यह फेस्टिवल लोगों खाने के माध्यम से लोगों को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराएगा। इसके अलावा इस फेस्टिवल के माध्यम से लोगों के बीच अंतरराष्ट्रीय और भारतीय  व्यंजनों के बारे में जागरूकता भी पैदा की जाएगी। उन्होंने कहा कि, लजीज व्यंजनों के शौकीन लोग अपने परिवार के साथ इस त्योहार का मजा लेने जरूर आएं और उनके साथ सुखद अनुभव लें।

एंट्री होगी फ्री

तीन दिवसीय फ़ूड फेस्टिवल में एंट्री होगी फ्री, सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक विभिन्न लजीज व्यंजन के साथ शानदार बैंड परफोर्मेंस का लुत्फ़ उठा सकेंगे लोग बता दे कि 10 मार्च से 12 मार्च तक चलने वाले 'दिल्ली टूरिज्म फूड फेस्टिवल' केजरीवाल सरकार के उन कई पहलों का हिस्सा है जिसके माध्यम से सरकार दिल्ली में पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है|  इस आयोजन में लोग सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक विभिन्न तरह के लजीज व्यंजन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लुत्फ़ उठा सकेंगे| फ़ूड फेस्टिवल के लिए किसी प्रकार का एंट्री शुल्क नहीं होगा व लोग यहाँ फ्री एंट्री कर सकेंगे| 

लोगों के मनोरंजन के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा फ़ूड फेस्टिवल में प्रसिद्ध बैंडो की प्रस्तुति का भी आयोजन करवाया जायेगा| इसमें 10 मार्च को मिरग्या, 11 मार्च को इंडियन ओशन और 12 मार्च को परिक्रमा जैसे पॉपुलर बैंड्स अपनी प्रस्तुति देंगे|

भारतीय व्यंजनों के साथ-साथ अरेबियन, इंडोनेशियन, इतावली, मैक्सिकन, आस्ट्रेलियन, चाइनीज व्यंजन भी होंगे आकर्षण का केंद्र

फ़ूड फेस्टिवल में भारतीय शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों के साथ-साथ अरेबियन, इंडोनेशियन, इतावली, मैक्सिकन, आस्ट्रेलियन, चाइनीज व्यंजन भी आकर्षण का केंद्र होंगे| इस फेस्टिवल का आयोजन  50 प्रमुख रेस्तरां, होटल, टूरिज्म कॉरपोरेशन आदि की सहभागिता से किया जा रहा है व सभी के लिए  केजरीवाल सरकर की ओर से फ्री स्टॉल व बिजली-पानी उपलब्ध करवाया गया है|

उल्लेखनीय है कि इस फूड फेस्टिवल का आयोजन अंतरराष्ट्रीय और भारतीय खाद्य व्यंजनों के बारे में जागरूकता पैदा करना है| इसका उद्देश्य सबसे विविध भारतीय व्यंजनों के साथ-साथ लोगों को उसके 8000 साल के इतिहास से भी रूबरू करवाया जायेगा|  

नजरिया जीने का: एक प्रेम और कितने अफ़साने- पढ़ें प्रेम की भावना को व्यक्त करते इन नामचीन हस्तियों के कोट्स

Valentine  day Love quotes to express your feeling

प्रेम का जीवन में खास महत्त्व है और यह एक ऐसा फीलिंग है जिससे अनजान शायद की कोई व्यक्ति रहा हो...प्यार करने का कोई उम्र नहीं होता और शायद इसीलिए प्रेमी ह्रदय को हमेशा युवा और सदाबहार कहा जाता है. युवा दिलों के धड़कन को व्यक्त करने का मौका सभी की जीवन में आता है और इसके लिए यह जरुरी होता है कि हम दिलों में रुमानियत  और प्यार के भाव को भरने और उन संवेंदनशीलता  के साथ व्यक्त करने के लिए हमें उदारता होनी चाहिए.   तो फिर आप भी वक्त और अवसर की नजाकत को समझते हुए अपने प्रेमी या प्रेमिका को इस अवसर पर इन प्रेम की भावनाओं के साथ व्यक्त करें। 



तो प्रेमी दिलों के लिए अपने प्रेमी या प्रेमिका के लिए अपने भावनाओं को व्यक्त करने के लिए पेश है प्यार से भरे कोट्स जो आपके प्रेम के भावना को सीधे अपने पार्टनर के दिल में पहुंचाने का मौका प्रदान करेगा.. 
गगन पर दो सितारे: एक तुम हो,
धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो,
‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो,
हिमालय दो शिखर है: एक तुम हो,
 -माखनलाल चतुर्वेदी


  1. प्रेम की शक्ति नफ़रत की ताक़त से हज़ारों गुना प्रभावशाली होती है। -अज्ञात
  2. संसार को प्रेम से अपने अधीन किया जा सकता है युद्ध से नहीं-हीगेल 
  3. प्रेम का नाता संसार के सभी संबंधो से पवित्र और श्रेष्ठ है। -प्रेमचंद
  4. जो सचमुच प्रेम करता है उस मनुष्य का ह्रदय धरती पर साक्षात स्वर्ग है। ईश्वर उस मनुष्य में बसता है क्योंकि ईश्वर प्रेम है। -लेमेन्नाइस
  5. जिस प्यार में पागलपन ना हो, वो प्यार प्यार नहीं है। -अज्ञात
  6. हमारे अन्तर में यदि प्रेम न जाग्रत हो, तो विश्व हमारे लिए कारागार ही है। -रविंद्रनाथ ठाकुर
  7. प्रेम में पवित्रता का वास होता है, वासना का नहीं/ प्रेम का अतिनिकृष्ट रूप वासना है. स्वामी अवधेशानंद 
  8. प्रेम के रस में डूबो तो ऐसे कि जब सुबह तुम जागो तो प्रेम का एक और दिन पा जाने का अहसान मानो। और फिर रात में जब तुम सोने जाओ तो तुम्हारे दिल में अपने प्रियतम के लिए प्रार्थना हो और होठों पर उसकी खुशी के लिए गीत। -ख़लील जिब्रान
  9. प्रेम के पथ पर कायर व्यक्ति नहीं चल सकते हैं  अज्ञात 
  10. पुरुषों का प्रेम आंखों से और महिलाओं का प्रेम कानों से शुरू होता है। -अज्ञात
  11. प्रेम और परमात्मा में कोई अंतर नहीं है- संतवाणी 
  12. प्रेम के स्पर्श से हर व्यक्ति कवि बन जाता है। -प्लेटो
  13. प्रेम असीम विश्वास है, असीम धैर्य है और असीम बल है। -प्रेमचंद
  14.  एक प्रेम से भरा हृदय सभी ज्ञान का प्रारंभ है। -थॉमस कार्लाइल

Mahashivratri 2023: जाने क्यों चढ़ाई जाती है शिवलिंग पर बेलपत्र, क्या कहते हैं वैदिक शास्त्र और शिव पुराण

 By Himanshu Ranjan Shekar

Mahashivratri Why Belpatra Being Used to worship Lord Shiva
Mahashivratri 2023:  महाशिवरात्रि  का पर्व इस वर्ष बार 18 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है ... जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।) हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इसके उपलक्ष में महाशिवरात्रि का पर्व मनाई जाती है. 

हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है जिस दिन लोग भगवन शिव या शंकर की पूजा करते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता  है और इस साल महाशिवरात्रि का महा पर्व  18 फरवरी 2023  को मनाई जाएगी. 

 महाशिवरात्रि के दिन श्रदालु  माता पार्वती और शंकर शंकर  की पूजा करते हैं और हैं और इस अवसर पर भगवन शिव लिंग पर पवित्र जल के साथ फूल, फल चढ़ाते हैं जिसे जलाभिषेक के रूप में जाना जाता है.

लोग उपवास रखते हैं और केवल फल और दूध से संबंधित उत्पादों का सेवन करते हैं। भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर किसी भी प्रकार का अनाज लेने से बचते हैं और उपवास का उपयोग करते हैं जो समझा जाता है कि उपवास से शरीर और हमारी चेतना भी शुद्ध होती है।

 फूल और फलों के अलावा, भक्त भगवान शिव को प्रभावित करने के लिए भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र भगवन शिव को बहुत प्रिय है इसलिए श्रदालु जो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव लिंग को अवश्य अर्पित  करते हैं. 

महा शिवरात्रि 2023 के अवसर पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा के लिए के लिए लोग मंदिरों को जाते हैं. 

वैदिक शास्त्र और शिव पुराण कहते हैं कि भक्त माघ या फाल्गुन के महीने में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन बेलपत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं जो भगवान शिव को अधिक आनंद प्रदान करते हैं।

वैदिक शास्त्रों और शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि जब भक्त फाल्गुन महीने (हिंदी महीने के 12 वें महीने का अंतिम महीना) में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन उनकी पूजा करते हैं,  इसे अर्पित करते हैं तो इससे भगवन शिव को  अधिक खुशीहोती है ।

एक और कारण है जिसका विभिन्न पवित्र पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है ... जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।)

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र: 

ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा चढ़ानी चढ़ानी चाहिए अर्थात बेलपत्र के चिकनी सतह वाली भाग को शिव लिंग से स्पर्श होनी चाहिए. बेलपत्र को चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि बेलपत्र को हमेशा हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। 

अन्य पवित्र ग्रंथ में यह उल्लेख है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था और तभी से यह पर्व मनाया जाता है।

जानें कैसे करें अपने महंगे फर्नीचर की देखभाल: एक्सपर्ट टिप्स

घरों को सुन्दर और व्यवस्थित रखना न केवल आपको शांति और खुशगवार माहौल प्रदान करता है बल्कि वास्तु के हिसाब से भी यह पॉजिटिव और सकारात्मक  ऊर्जाओं की प्रवेश के लिए जरुरी होता है. जाहिर है कि आपके घर के अंदर रखी गई महँगी और मूल्यवान फर्नीचर को  व्यवस्थित और सजाकर रखने आपके घर को शोभा बढ़ाने के साथ ही शांति और प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करता है. इसके साथ ही आपके घरो में मौजूद महँगी और मूल्यवान फर्नीचर को उचित रूप से देखभाल की भी जरुरत होती है ताकि आपके घर को यह हमेशा की तरह रौनक प्रदान करती रहे. 

मानसून लगभग हमेशा उमस भरी गर्मी से राहत चाहता है. यह एक ऐसा मौसम है जो  उदासीनता के साथ ही भावनात्मक रूप से एक शांत ठहराव की अभियक्ति देता है. इसके लिए जरुरी है की हम अपने घरों के अंदर  मानसून के दौरान आंतरिक सजावट में कुछ चेंज करें ताकि हम मानसून के दौरान घर को व्यस्थित करें. जानें इस सम्बन्ध में विशेषज्ञों का क्या कहता है ताकि हम मानसून के दौरान अपने घरों के फर्नीचर और आंतरिक साज सजा को कैसे करें व्यवस्थित. 

नमी, कवक और बैक्टीरिया से कैसे बचें?
जैसा कि आप जानते हैं कि मानसून के दौरान एक साथ रखे गए फर्नीचर नमी को अवशोषित करते हैं और कवक और बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं. इसके लिए यह जरुरी है कि फर्नीचर को एक-दूसरे से दूर रखे साथ हीं अगर संभव हो सके तो घरों के अंदर रखे गए फर्नीचर को दीवार और खिड़कियों से भी दूर रखें ताकि मॉइस्चर से उन्हें बचाया जा सके. 

सामान्यत: इसके लिए सबसे सही जगह होगा कमरे के अंदर फर्नीचर को ऐसे जगह स्थान देना जहाँ प्राकृतिक प्रकाश समुचित रूप से पहुँच सके. इसके साथ ही हवा का हमेशा आना भी जरुरी है ताकि फर्नीचर को मॉइस्चर से बचाई जा सके. 

गीले कपड़ों से बचें
फर्नीचर को साफ करने के लिए गीले कपड़ों के इस्तेमाल से हमेशा बचें. ध्यान रखें कि गीले कपडे मॉइस्चर का कारण बन सकते हैं जो आपके फर्नीचर में बरसाती फंगस और बैक्टेरिया का कारन बन समते हैं. गीले कपड़े के बजाय, धूल के संचय से बचने के लिए एक हल्का , सूखे कपड़े का उपयोग करें धूल नमी को अवशोषित करती है जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ फर्नीचर नरम हो सकता है.

खिड़कियों के बहुत पास न जाएं- 
अपने फर्नीचर को खिड़कियों से दूर रखने की कोशिश करें. मानसून के दौरान बाहर से आने वाले हवा के माध्यम से घर के अंदर नमी आ सकती है जो आपके महंगे फर्नीचर के लिए घातक हो सकती है. खिड़कियों के माध्यम से आने वाले नमी के कारण  फर्नीचर का रंग भी फीका हो सकता है.

नवीनीकरण या रिनोवेशन के कार्यो से बचे- मानसून के दौरान किसी भी प्रकार के नवीनीकरण या रिनोवेशन के कार्यो को ना कहना ज्यादा सही कदम हो सकता है. 

 हवा में नमी न होने पर इमारत का रेनोवेशन, पेंटिंग और बढ़ईगीरी आदि के कार्यों पर असर पड़ता है. इस हिसाब से  मॉनसून के दौरान आवशयकता है कि आपके फर्नीचर  को आवश्यक रखरखाव देकर उनके सुंदरता और मजबूती को बढ़ाने का उपक्रम किया जाए. 

बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों से निर्मित है यह वर्टिकल गार्डन; जानें खास बातें

vertical Garden Made With Plastic Bottles

प्लास्टिक कचरे से निपटने और हरित स्थलों के निर्माण की चिंताओं को दूर करने हुए एक अद्भुत कल्पना को साकार करते हुए प्लास्टिक की बेकार पड़ी खाली बोतलों का इस्तेमाल करके वर्टिकल गार्डन का निर्माण किया गया है। आय कर विभाग के अंतर्गत आईआरएस अधिकारी श्री रोहित मेहरा इसका अगुआई कर रहे हैं।

उन्होंने सरकारी भवनों की दीवारों पर वर्टिकल गार्डन बनाने के लिए बेकार प्लास्टिक की बोतलों को कंटेनर के रूप में उपयोग करके इस शानदार सुझाव को क्रियान्वित किया है। इस पहल के तहत अपशिष्ट प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जा रहा है और पर्यावरण के प्रति सकारात्मक कार्य के लिए इसका पुन: उपयोग भी हो रहा है, जो एक तरह से दो चिंताओं को एक साथ दूर करने का प्रयास करता है।

इस विचार के द्वारा न केवल प्लास्टिक का पुन: उपयोग किया जाता है बल्कि इससे इमारतों का सौंदर्यीकरण भी होता है। इतना ही नहीं, इस अनूठी पहल से आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है। 

अब तक, इस अवधारणा के अनुसार 7 लाख से अधिक बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों का पुन: उपयोग हुआ है और 7 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। 

भारत के 17 राज्यों और देश भर के 50 से अधिक जिलों में ऐसे 900 वर्टिकल गार्डन बनाए जा चुके हैं।

इसके कारण 70 टन (लगभग) सिंगल-यूज वाले अपशिष्ट प्लास्टिक का पुन: उपयोग किया गया है, अन्यथा इसे लैंडफिल में पहुंचा दिया जाता।

किसी आयकर कार्यालय में बेकार की प्लास्टिक बोतलों से बना देश का सबसे बड़ा वर्टिकल गार्डन लुधियाना में स्थित है।

 यह 10,135 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला है और इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी स्थान दिया गया है।

Point of View: खास अंदाज में सभी को भेजें इन मैसेज, कोट्स, शायरी, तस्वीरों, वॉलपेपर के जरिए शुभकामनाएं

Happy Karwa Chauth Wishes Images, Messages

करवा चौथ 2022:
करवाचौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। 'चौथ' शब्द का अर्थ है चौथा दिन और करवा जो एक टोंटी के साथ मिट्टी का बर्तन है - जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है। विवाहित महिलाएं पूरे दिन करवा चौथ का व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, करवा चौथ हिंदू चंद्र कैलेंडर के आठवें महीने कार्तिक के महीने में मनाया जाता है। जाहिर है कि पति पत्नी के बीच में प्रेम पारस्परिक सम्बन्धो को अभियक्त करने के लिए लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और जानने वालों को शुभकामनाएं भी भेजते हैं। आप भी इस अवसर का उपयोग करके  इस करवा चौथ को आप भी खास अंदाज में करें सेलिब्रेट और सभी को इन मैसेज, कोट्स, शायरी, तस्वीरों, वॉलपेपर के जरिए शुभकामनाएं भेजें।

तेरे क़दमों की आहट से ही तो  दिल को शुकुन मिलती है. 

तुम हीं तो जीने का आधार हो, भला तेरे बिना मैं कभी पूर्ण हो सकती हूँ.....

करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।


बथुकम्मा महोत्सव तेलंगाना: युवतियों को अपनी पसंद के जीवनसाथी के लिए देवी से प्रार्थना करने का मौका


Bathukamma festival Telangana Facts in Brief
Bathukamma Festival : 
बथुकम्मा महोत्सव तेलंगाना में एक वार्षिक उत्सव है जो नौ दिनों तक चलता है और नवरात्र के त्योहार के दौरान ही आता है। यह त्यौहार इस क्षेत्र के रंगबिरंगे फूलों के साथ मनाया जाता है एवं तेलंगाना के लोगों की सामूहिक भावना का प्रतीक है। संस्कृति मंत्रालय ने नई दिल्ली में इंडिया गेट स्थित कर्तव्यपथ पर बथुकम्मा उत्सव का आयोजन किया  है। 

बथुकम्मा महोत्सव के बारे में 

बथुकम्मा महोत्सव तेलंगाना में एक वार्षिक उत्सव है जो नौ दिनों तक चलता है और नवरात्र के त्योहार के दौरान ही आता है। यह त्यौहार इस क्षेत्र के रंगबिरंगे फूलों के साथ मनाया जाता है एवं तेलंगाना के लोगों की सामूहिक भावना का प्रतीक है। 

यह त्योहार प्रत्येक परिवार के स्वास्थ्य और उपलब्धियों के लिए देवी से प्रार्थना करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू परिवार की युवतियों को अपनी पसंद के जीवनसाथी के लिए देवी से प्रार्थना करने का मौका मिलता है। बथुकम्मा का अर्थ है "माँ देवी जीवन में पधारें है"। यह त्योहार तेलंगाना के लोगों की संस्कृति और पहचान का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें गौरी देवी (नारीत्व की संरक्षक देवी) के रूप में महा गौरी - "जीवनदात्री" की पूजा की जाती है।

बथुकम्मा महोत्सव कैसे मनाते हैं 

त्योहार में युवा महिलाएं ढेर में फूलों की व्यवस्था करती हैं और उत्सव के लिए रंगोली बनाती हैं।  पुरुष भी मैरीगोल्ड, कमल, सेना जैसे विभिन्न फूलों को इकट्ठा कर तैयारियों में सहायता करके इस त्योहार को मनाने में मदद करते हैं। कुछ महिलाएं फूलों को जीवंत रंगों में डुबोकर उन्हें एक विस्तृत प्लेट में व्यवस्थित कर उनका ढेर बना देती हैं। इस त्योहार की रस्में हिंदू महिलाओं, विशेष रूप से युवा लड़कियों द्वारा की जाती हैं, जो अपने अपने क्षेत्रों में बड़ी संख्या में इकट्ठा होती हैं। लड़कियां एक मंडली बनाकर, लोक गीत गाते हुए पूरे समय लयबद्ध ढंग से तालियां बजाकर बथुकम्मा देवी के चारों ओर घूमती हैं। यह पूरा प्रदर्शन श्रद्धालुओं के परिवारों के अच्छे स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए देवी के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए होता है।

नई दिल्ली में इंडिया गेट स्थित कर्तव्यपथ पर आयोजित  बथुकम्मा उत्सव कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और डोनर मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट तथा प्रशासनिक एवं कानून प्रवर्तन में वरिष्ठ महिला अधिकारी और विभिन्न सरकारी विभागों की महिला विभागाध्यक्षों ने भाग लिया।

मां ब्रह्मचारिणी:जानें महिमा, कैसे करें पूजन

Goddess Brahmacharini how to worshipp

नवरात्रि के दूसरे दिन हम मां दुर्गा के जिस स्वरूप को पूजा करते हैं उन्हें  मां ब्रह्मचारिणी के नाम से बुलाते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है जिनके बारे में मान्यता है कि उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

ऐसी मान्यता है कि  शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

 मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। 

 देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें  संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।कहा जाता है कि  मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने और उनका कृपा प्राप्त करने के लिए कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

तनोट राय माता मंदिर जहाँ माँ के चमत्कार से पाकिस्तानी बम गोले नहीं फटे थे: Facts in Brief

Tanot Rai Mandir Facts You Need to Know

जैसलमेर के ऐतिहासिक श्री मातेश्वरी तनोट राय मंदिर का अद्भुत इतिहास है और ऐसी मान्यता है कि तनोट माँ जवानों को दुश्मनों से लड़ने की शक्ति देती हैं और युद्ध में देश की रक्षा करती हैं। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में श्री तनोट राय माता मंदिर परिसर में पकिस्तान द्वारा कई बम के गोले गिराए गये थे लेकिन तनोट माता के चमत्कार से कोई भी गोला नहीं फटा था। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अपनी राजस्थान यात्रा के दूसरे दिन आज जैसलमेर में सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत श्री तनोट मंदिर कॉम्प्लेक्स परियोजना का शिलान्यास और भूमिपूजन किया। श्री अमित शाह ने तनोट माता के दर्शन कर देश व देशवासियों की सुख-शांति व समृद्धि की प्रार्थना की।

श्री तनोट राय माता मंदिर: Facts in Brief 

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में श्री तनोट राय माता मंदिर परिसर में पकिस्तान द्वारा कई बम के गोले गिराए गये थे लेकिन तनोट माता के चमत्कार से कोई भी गोला नहीं फटा था। वर्ष 1965 से सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर की पूजा अर्चना एवं व्यवस्था का कार्यभार संभाल रहा है। सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर को एक ट्रस्ट के माध्यम से संचालित करता है एवं प्रतिदिन सुबह-शाम माता की आरती एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जिसमें हज़ारों की तादाद में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुगण आते हैं। इतिहास गवाह है कि 1971 के भारत- पाकिस्तान लोंगेवाला युद्ध के दौरान सीमा सुरक्षा बल के बहादुर जवानों ने लोंगेवाला पोस्ट पर‌ अहम एवं निर्णायक भूमिका अदा की थी। 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में पहली बार सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास पहुँच रहा है और बॉर्डर टूरिज्म की दूरदर्शी पहल के फलस्वरूप न सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवनस्तर ऊपर उठ रहा है बल्कि यहाँ से पलायन भी रुक रहा है, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा को भी बल मिल रहा है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने जैसलमेर में सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 17.67 करोड़ रूपए की श्री तनोट मंदिर कॉम्प्लेक्स परियोजना का शिलान्यास किया, जिससे यहाँ आने वाले युवा श्री तनोट माता मंदिर के दर्शन करने के साथ ही देश के बहादुर सैनिकों के शौर्य व बलिदान के इतिहास को भी करीब से जान पाएंगे।

इस परियोजना के तहत प्रतीक्षालय, रंगभूमि, इंटप्रेटेशन केंद्र, बच्चों के लिए कक्ष एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिय अन्य ज़रूरी सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। 

श्री अमित शाह ने जैसलमेर में ‘तनोट विजय स्तंभ’ पर सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर बलिदानियों को नमन कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि दी। 

शास्त्रीय संगीत से सजा ठुमरी उत्सव: Facts in Brief

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ठुमरी उत्सव साहित्य कला परिषद की ओर से आयोजित किये जाने वाले उत्सवो में से एक है। इस साल यह उत्सव काफी लंबे समय के बाद शुरू हुआ है। इस 3 दिवसीय संगीत कार्यक्रम की शुक्रवार को कमानी सभागार, मंडी हाउस में हुई, जो 28 अगस्त तक चलेगा। 

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की मधुर यात्रा को दर्शकों के समक्ष रखने वाले वाले इस संगीत समारोह के पहले दिन कई बेहतरीन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। पहली प्रस्तुति बहुमुखी गायक पं. भोलानाथ मिश्रा की थी, जिन्होंने नृत्य भाव बंदिश ठुमरी को 'हाठो जाओ जाओ हाठो, मानो मोरी बात सैंया' गीत के साथ प्रस्तुत किया। उनकी अगली प्रस्तुति जाट ताल में एक विलाम्बित ठुमरी और राग तिलक कमोद 'अरे बेदर्दी सैयां, कहे जाने दिल की बात' थी और उसके बाद 'लडाई गई रे पिया रे मोसे नैना' पर खमाज दादरा था।

 दिन का दूसरा प्रदर्शन मधुमिता रे का था, जो अपनी प्रस्तुति में ग्वालियर-रामपुर के प्रारूप का अनुसरण करती हैं। कार्यक्रम के दौरान मधुमिता ने राग मिश्र माज खमाज में ठुमरी, दादर में राग पीलू गाना, झूला और काजरी प्रस्तुत की। कार्यक्रम का पहला दिन इंद्राणी मुखर्जी के प्रदर्शन के साथ समाप्त हुआ, जो 2017 के संस्करण का हिस्सा बनने के बाद ठुमरी महोत्सव में शामिल होने के लिए काफी उत्साहित थीं। इंद्राणी मुखर्जी ने पूरब अंग ठुमरी प्रस्तुत की, जो कि सुंदर, स्नेहशील और नाजुक तान से सजी हुई थी।

दिल्लीवासी महोत्सव के दूसरे और तीसरे दिन डॉ. रीता देवी, सोनाली बोस, काकाली मुखर्जी इंद्रेश मिश्रा, सुनंदा शर्मा व पद्मश्री शुभा मुद्गल जैसे प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुति के गवाह बनेंगे। 

Independence Day Google Doodle 2022 : गूगल ने प्रभावशाली डूडल से मनाया जश्न, जानें डूडल बनाने वाले आर्टिस्ट के बारे में


Independence Day Google Doodle 2022: भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में Google ने अपने होम पेज पर एक प्रभावशाली डूडल प्रदर्शित किया है। केरल स्थित अतिथि कलाकार नीति द्वारा चित्रित यह कृति भारत का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाता है। डूडल यह संदेश प्रदर्शित करता है कि 1947 में उसी दिन, भारत आधिकारिक तौर पर एक लोकतांत्रिक देश बन गया था - लगभग दो सौ वर्षों के ब्रिटिश शासन का अंत।

कहने की जरूरत नहीं है कि यह भारतीय इतिहास के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह भारत की आजादी के 75 साल है और Google ने अपनी आजादी के लिए भारतीयों के लंबे संघर्ष को प्रदर्शित किया है। स्वतंत्रता के लिए लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। महात्मा गांधी जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने सविनय अवज्ञा और अहिंसक विरोध के माध्यम से देश के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किले पर पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था।

सरकार ने ऐतिहासिक दिन मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और इस अवसर को मनाने के लिए घर घर तिरंगा और अन्य सहित कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

सबसे बड़ा वार्षिक उत्सव दिल्ली के लाल किले में होता है, जहां प्रधान मंत्री 21 तोपों की सलामी के साथ भगवा, सफेद और हरे रंग का राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। प्रधान मंत्री द्वारा अपना टेलीविज़न भाषण देने के बाद, एक देशभक्ति परेड भारतीय सशस्त्र बलों और पुलिस के सदस्यों को सम्मानित करती है।

लोग पतंग उड़ाकर भी जश्न मनाते हैं - स्वतंत्रता का एक पुराना प्रतीक। भारतीय क्रांतिकारियों ने एक बार ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए नारों के साथ पतंग उड़ाई। तब से, मनोरंजक और प्रतिस्पर्धी पतंगबाजी स्वतंत्रता दिवस की सबसे लोकप्रिय परंपराओं में से एक बन गई है। भारतीय भी इस दिन को प्रियजनों के साथ समय बिताकर और पड़ोस और स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करके मनाते हैं।

सावन सोमवार 2022: जानें क्यों भगवान् शंकर को चढ़ाते हैं बेलपत्र

Savan Somvar: Why Belpatra Used to Worship Lord Shankar

सावन सोमवार 2022: सावन को भगवन शंकर की पूजन के लिए उपयुक्त महीना माना जाता है जिस पवित्र महीने के लिए भक्तगण काफी इन्तजार  करते हैं.  जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पूजन के तौर पर  श्रदालु  भगवान शिव के लिंग को फूल, फल पानी (जल जिसे जलाभिषेक के रूप में जाना जाता है) के साथ चढ़ाते हैं। फूल और फलों के अलावा, भक्त भगवान शिव को प्रसन्न  करने के लिए भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं। हालाँकि, बेलपत्र सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है जो सावन सोमवार के दिन भगवान शिव लिंग को अर्पित की जाती है। क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर को बेलपत्र क्यों चढ़ाई जाती है ?

वैदिक शास्त्र और शिव पुराण कहते हैं कि भक्त माघ या फाल्गुन के महीने में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन बेलपत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं जो भगवान शिव को अधिक आनंद प्रदान करते हैं।

वैदिक शास्त्रों और शिव पुराण के अनुसार,ऐसी मान्यता है कि  भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा था कि जब भक्त फाल्गुन महीने (हिंदी महीने के 12 वें महीने का अंतिम महीना) में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन उनकी पूजा करते हैं, तो  इस पूजन से उन्हे अत्यधिक प्रसन्नता प्राप्त होती है और उन श्रदालुओ और भक्तों पर  भगवन शिव काफी उदार होते हैं. ।

एक और कारण है जिसका विभिन्न पवित्र पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र जो तीन पत्रों (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है ... जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।)